Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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April 28, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्त दान और हमारी भ्रांतियां

ISBTI &World Blood donors Day

Blood Donation यानि रक्त दान  और रक्तदान और  हमारी भ्रांतियां बहुत हैं पर सबसे जरुरी बात Blood Donation करना कोई आसान बात नही है इसके लिए दिल यानि जिगर चाहिए और जिसमें वो दिल है उन्हें  मेरा सलाम …

blood donation photo

रक्त दान और हमारी भ्रांतियां

रक्त दान और हमारी भ्रांतियां

Some blood donation Questions

रक्त दान और हमारी भ्रांतियां Blood Donation को लेकर यह विचार अक्सर  हमारे मन मे बहुत विचार या भ्रांतियां पैदा होती हैं. वो किस किस तरह की होती  हैं आईए जानते हैं …!!!

रक्तदान से होगी खून की कमी  हो जाएगी तो आप बिल्कुल गलत हैं जबकि  रक्तदान के 48 घंटे बाद रक्त की क्षतिपूर्ति हो जाती है। इतना ही नहीं, अगर हम पूरी तरह स्वस्थ हैं तो हर तीन महीने में एक बार रक्तदान बेझिझक करवा सकते हैं।
रक्तदान से सेहत को नुकसान  को कोई नुकसान नहीं होगा। असलियत तो यह है कि यह दिल की बीमारियों की आशंका कम करने में सहायक है और शरीर में अतिरिक्त आयरन को जमने से रोकता है। दूसरे ओर, Blood Donation के पहले दाता का शारीरिक परीक्षण किया जाता है और हिमोग्लोबिन 12.5 प्रतिशत से कम होने पर रक्तदान नहीं करने दिया जाता है।
रक्तदान में दर्द होता है ….  ह हा हा सच्चाई तो ये है  कि इसमें दर्द बिल्कुल नहीं होता। सिर्फ कुछ सेंकड के लिए आपको सुई चुभोने का एहसास होगा, इससे अधिक कुछ भी नहीं।
रक्तदान के बाद करना होगा एक दिन का आराम  करना पडेगा जबकि ऐसा बिल्कुल भी नही है. आप रक्तदान के बाद भी सामान्य रुटीन अपना सकते हैं बशर्ते आप थोड़ी सावधानी बरतें। जैसे दिन में 10 से 12 ग्लास पानी पिएं, एक-दो दिन एल्कोहल, सिग्रेट आदि से दूर रहें। इसके अलावा तीन से चार घंटे तक ड्राइविंग और धूप में आने से थोड़ा बचें. और जहां तक मेरा ख्याल है सिग्रेट पीना या शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक है और ज्यादा पानी पीना लाभदायक….  तो रक्तदान अच्छा है कम से कम एक दो दिन तो हम अपने स्वास्थय का ख्याल रख पाएगें

और सबसे जरुरी बात Blood Donation करना कोई आसान बात नही है इसके लिए दिल यानि जिगर चाहिए और जिसमें वो दिल है उन्हें  मेरा सलाम …

 

ऑडियो – टैटू गुदवाना- रक्तदान और हमारी जागरुकता – Monica Gupta

लिंक क्लिक कीजिए और सुनिए 2 मिनट और 5 सैंकिंड का ये ऑडियो – टैटू गुदवाना- रक्तदान और हमारी जागरुकता ऑडियो – टैटू गुदवाना- रक्तदान और हमारी जागरुकता 14 जून यानि World Blood Donor Day पर मैं कुछ लिखने का सोच ही रही थी कि घर पर जानकार आ गए … बातो बातो में उन्होने बताया कि उनकी मंगेतर fiancee का बर्थ डे है और वो उसे अपने हाथ पर टैटू read more at monicagupta.info

 

April 24, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

Letter of didi

Letter of didi

दीदी की चिठ्ठी… दैनिक नव ज्योति, जयपुर से हर रविवार धमाचौकडी में

Letter of didi

हैलो नन्हे दोस्तों,

कैसे हो? पता है आज मुझे अवि मिला. उसे बहुत ज्यादा खांसी हो रही थी. असल मे, वो कभी तेज धूप मे बाहर चला जाता है तो कभी कूलर की ठंडी हवा के सामने बैठ जाता है तो कभी पसीने तरबतर होकर फ्रिज का ना सिर्फ ठंडा पानी पीता है बल्कि ट्रै से बर्फ भी निकाल कर खाता है अब ऐसे मे उसे गर्म सर्द हो गया और नतीजा है जबरदस्त खांसी.

आजकल वो स्कूल  नही जा पा रहा और मजबूरन घर बैठना पड रहा है. असल मे, जब हमारे मम्मी पापा या घर के बडे हमे कुछ समझाते हैं तो हम उनकी बात अनसुनी कर देते हैं. कहना नही मानते और अपनी ही चलाते हैं और इसका नतीजा यह निकलता है कि बच्चो को तो दिक्कत तो होती ही है साथ ने मम्मी पापा को भी परेशानी होती है.

कभी डाक्टर के ले कर जाना तो कभी आफिस से छुट्टी करना. इसलिए अपने बडो का कहना मानना बहुत जरुरी है क्योकि वो हमसे ज्यादा अनुभवी है और वो हमारी भलाई का ही सोचते हैं. जाते जाते एक ही बात आप सभी से कहना चांहूगी कि सबसे मुश्किल काम है खुद को सुधारना और सबसे आसान काम है दूसरो की गल्तियां निकालना.

ढेर सारी शुभकामनाओं सहित /आपकी दीदी /मोनिका गुप्ता

Letter of didi   आपको कैसी लगी … जरुर बताना 🙂

 

April 14, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

Blood Donor Ashok kumar

 Blood donor Ashok kumar

   रक्तदाता अशोक कुमार

 रक्तदान से सम्बंधित एक कार्यक्रम चल रहा था. मीडिया, नेता, वक्ता, टीचर, डाक्टर आदि बहुत सज्जन मौजूद थे. सभी बहुत ध्यान पूर्वक कार्यक्रम सुन रहे थे तभी अचानक दरवाजा खुला और एक पुलिस वाले भीतर आए. उन्हे देख कर अन्य लोगो की तरह मेरे मन मे भी यही सवाल उठ रहा था कि यह यहां किसलिए आए हैं इनका यहां क्या काम है. इतने मे उन्हे स्टेज पर बुलाया गया. मैने सोचा कि स्पीच वगैरहा देकर चले जाएगे. पर स्पीच के दौरान सुना कि वो तो स्वयं रक्तदाता हैं और अभी तक 45 बार रक्तदान कर चुके हैं और 15 बार रक्तदान के कैम्प लगा चुके हैं. उनकी बातो से प्रभावित होकर मैने विस्तार से उनसे बात की.

 उनका पूरा नाम है श्री अशोक कुमार. 3 सितम्बर सन 1972 मे जन्मे अशोक जी  का जन्म हरियाणा के करनाल मे हुआ. पिता आर्मी मे थे. उन्होने सन 1962 और 1964 की लडाई भी लडी  इसलिए  बचपन से ही वो उनसे प्रेरित थे और बस एक ललक थी कि बडे होकर या तो आर्मी या पुलिस मे जाना है. कालिज मे जाने के बाद एनसीसी ज्वाईन कर ली थी. वैसे ना तो उन्हे सांइस और ना ही कामर्स का शौक था पर बडो के कहने पर उस विषय को लेना पडा. इससे पहले मैं कुछ और पूछती  उन्होने बताया कि आज की तारीख मे उनके पास चार डिग्री बीकाम, एमकाम, एलएलबी और एलएलएम की हैं. फिर सन 98 मे वो पुलिस मे भर्ती हुए और आजकल  हरियाणा के कुरुक्षेत्र मे वो फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट हैं.

                        रक्तदान के बारे मे अपने पहले अनुभव को उन्होने  इस तरह से बताया कि सन 90 मे जब एनएसएस का कैम्प लगा था तब वो और उनके तीन चार दोस्त रक्तदान करने गए. तब अपने तीनो दोस्तो मे वो ही रक्तदान कर पाए और उनके दोस्त किसी ना किसी वजह से रक्त दान नही कर पाए. उस दिन इनमे एक अलग सा ही आत्मविश्वास आ गया और बस तभी से रक्तदान की शुरुआत हुई. एक और अच्छी बात यह भी हुई कि घर पर सभी ने शाबाशी दी और प्रोत्साहित किया. वैसे भी आर्मी मे समय बेसमय रक्त की जरुरत तो पडती  ही रहती थी तब उनके पिता भी हमेशा आगे रहते. यही भावना उनके मन मे भी घर कर गई थी कि वो भी कभी भी जरुरतमंद को अवश्य खून दिया करेगें.

 अब मेरे मन मे एक ही सवाल था कि पुलिस वालो के लिए अक्सर लोग बोलते है कि ये लोग तो खून पीतें  हैं. इस पर वो मुस्कुराते हुए बोले कि यकीनन बोलते हैं और कई बार दुख भी होता है पर खुद काम अच्छा करते चलो तो कोई परेशानी नही आएगी. एक बार का वाक्या याद करते हुए उन्होने बताया सन 2010 मे जब उन्होने खून दान किया तो अखबार मे प्रमुखता से खबर छपी तो श्री सुधीर चौधरी (आईपीएस) ने भी यही  बात की थी और शाबाशी भी दी थी कि बहुत अच्छा  कार्य कर रहे हों. तब भी विश्वास को एक नया बल मिला था.

 कोई मजेदार बात सोचते हुए उन्होने बताया कि जब भी वो कैम्प लगाते है कि जानी मानी शखसियत को बुलाते हैं. एक बार ( नाम नही बताया) जब उन्होने अपने कैम्प मे आने का निमत्रंण दिया तो पहले तो उन्होने सहर्ष स्वीकार कर लिया पर बाद मे बोले कि उन्हे रक्त देख कर ही डर लगता है इसलिए वो नही आ पाएगे. पर बहुत प्रयास और समझाने के बाद वो आए और पूरे समय कैम्प पर ही रहे. पर रक्तदान के नाम से आज भी कतराते हैं.

 अशोक जी ने बहुत गर्व से बताया कि आज की तारीख मे लगभग 1000 पुलिस विभाग के लोग उस मुहिम से जुडे हैं और वो जब भी खुद  कैम्प आयोजित करते हैं ज्यादा से ज्यादा पुलिस को जोडते हैं ताकि समाज मे फैली धारणा को वो बदल सकें. समाज सेवा मे मात्र रक्तदान ही नही वो भ्रूण हत्या, वृक्षारोपण, सडक दुर्धटना मे घायल लोगो की मदद करना और गरीब बच्चो को छात्रवृति भी प्रदान करवाते हैं. आज की तारीख मे अशोक जी के पास दो नेशनल एवार्ड हैं. 15 स्टेट एवार्ड ,13 जिले व प्रशासन की ओर से मिले सम्मान और 23 एनजीओ की तरफ से मिले विशेष सम्मान मिले है जोकि बहुमूल्य हैं. मैं उनकी बातों से शत प्रतिशत सहमत थी.

अंत मे जब मैने पूछा  कि जनता के लिए क्या संदेश है  इस पर वो बोले कि एक कविता लिखी हैं. ये  बात फिर चौका गई क्योकि पहली  बात तो वो पुलिस वाले फिर रक्तदाता और फिर अब कवि भी. अपना संदेश उन्होने कुछ इस तरह से रखा….

आओ मिल कर कसम ये खाए

खून की कमी से ना कोई मरने पाए

जात पात और मजहब से उपर उठ कर

इंसानियत की जोत जगाए

हम तो है भारत वासी देख का गौरव ऊंचा बढाए !!!

 Blood donor Ashok kumar

अशोक जी इसी तरह रक्तदान की मुहिम को आगे बढाते रहॆं. आईएसबीटीआई की ओर से ढेरो शुभकामनाएं !!!

 

मोनिका गुप्ता

April 4, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान महादान – क्या आप भी सूईं से डरते हैं

रक्तदान महादान - क्या आप भी सूईं से डरते हैं

रक्तदान महादान है फिर भी बहुत लोग स्वैच्छिक रक्तदान करते हुए कतराते हैं और बहाना होता है कि सूई से डर लगता है. कितना अजीब लगता है कि आदमी को सूई से डर लगता है … अगर आपकी भी यही सोच है तो इस लेख को पूरा पढिए … हीमोफीलिया और थैलीसीमिया के मरीजो का संंदेश सुनिए और फिर अपनी राय बनाईगा …

रक्तदान महादान – क्या आप भी सूईं से डरते हैं

14 June World blood donors day होता है रक्तदान महादान है फिर भी  ना जाने क्यो आम जनता मे स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति  जागरुकता उतनी नही है जितनी होनी चाहिए.कोई कहता है कि सूई से डर  लगता है तो कोई कहता है कि हमे किसी ने कहा ही नही तो कोई कहता है इसे करने से कमजोरी आ जाती है.

ISBTI संस्था दिन रात इसी प्रयास मे जुटी है कि लोगो मे रक्तदान के प्रति जागरुकता आए इसी सिलसिले में मैनें  कुछ ऐसे मरीजों से बात की जिन्हें नियमित रुप से  रक्त की जरुरत पडती रहती है. आईए जाने उनके विचार….!!!

रक्तदान महादान - क्या आप भी सूईं से डरते हैं

रक्तदान महादान – क्या आप भी सूईं से डरते हैं

 

हीमोफेलिया एक ऐसी बीमारी है जिसमे एक बार अगर कट लग जाए तो रक्तस्राव शुरु हो जाता है जो कई सप्ताह  तक चलता ही रहता  या अंदरुनी रक्तस्राव  एक बार शुरु हो जाए तो लगातार रक्तस्राव होता रहता  बहता रहता है. जम्मू मे रहने वाले हीमोफीलिया से पीडित  जगदीश कुमार जी ने ऐसे बहुत पीडित बच्चो को गोद ले रखा है और उनका इलाज अपने पैसे से करवाते हैं, उन्होनें रक्तदाताओ को अपना संदेश कुछ इस तरह दिया……

रक्तदान महादान  पर संदेश 

रक्त का कोई विकल्प नही. हम सभी आपकी दया के भिखारी हैं. रक्तदान कुम्भ के शाही स्नान से भी ज्यादा कीमती है क्योकि कुम्भ का स्नान सिर्फ अंतरात्मा को पवित्र करता है जबकि रक्तदान अंतरात्मा के साथ साथ दूसरे के जीवन को भी पवित्र करता है.

हमारे जीवन को चलाने के लिए आप सभी के सहयोग की आवश्यकता है. अगर आज मैं संदेश भेजने के काबिल हूं तो उसके पीछे 248 लोगो का रक्त मेरे शरीर मे दौड रहा है.

यू तो वर्ष चलते चलते रुक जाते है आपका रक्त मिला तो दौड लगाते हैं. कुदरत की देन कहे या करिश्मा बस आपके सहयोग से जीवन चलाते है.

पूना निवासी, थैलीसीमिया की मरीज, संगीता वधवा थैलीसीमिया के क्षेत्र मे  Face, Fight & Finish को लेकर  अभूतपूर्व काम कर रही हैं फिर भी उनका संदेश सभी रक्तदाताओ के लिए:

रक्तदान महादान पर संदेश

दो तरह के लोग होते हैं. पहले तो वो जो रक्त दान नही करते और दूसरे वो जो रक्तदान तो करते हैं पर उनका रक्त रिजेक्ट हो जाता है. दोनो के लिए यह सोचने की बात है. जो नही दे रहे हैं उनके बारे मे और जो रिजेक्ट हो रहे हैं उन्हे भी बहुत सोचने की आवश्यकता है. दुर्भाग्य की बात है कि आज की तारीख मे जितने लोग रक्तदान करते हैं उनसे चार गुणा हमे ज्यादा चाहिए. मंदिर मे हम दान करके आते हैं तो हमे पता नही चलता कि हमारा रुपया कहां जाता है किसके काम आता है पर रक्तदान महादान है रक्तदान देंगे तो एक साथ चार जिंदगी बचाएगें. प्लीज, स्वैच्छिक रक्तदान कीजिए और हमारी जिंदगी बचाईए.

जब ये लोग बीमारी के बावजूद ना सिर्फ  इससे लड रहे हैं बल्कि  दूसरो को भी जागरुक कर रहे हैं तो हम क्या इतना सहयोग भी नही दे सकते कि रक्तदान के प्रति जागरुक हो और दूसरो को भी इसकी महत्ता से अवगत करवाए.

मेरे ख्याल मे अब तो आप यह नही कहेंगे कि आपको सूई से डर लगता है और अब आपको लगने लगा होगा कि रक्तदान महादान  है.

रक्तदान का महत्व – आईए नया जीवन दें – Monica Gupta

रक्तदान करना मानो किसी को नया जन्म देना पहले समय में जब हमें रक्तदान का महत्व नही पता था और जब जानवरों का खून इंसानों में चढाया जाता था तब अलग बात थी पर आज read more at monicagupta.info

जय रक्तदाता – रक्तदान का महत्व – Monica Gupta

जय रक्तदाता – रक्तदान का महत्व समझते हुए हमें न सिर्फ रक्तदान blood donate करना चाहिए बल्कि स्वैच्छिक रक्तदान जैसे रक्तदान महादान के लिए लोगो को प्रेरित जय रक्तदाता – रक्तदान का महत्व – Monica Gupta

 

 

 

April 4, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

Success story of Blood donor

Blood donor Rajinder Saini

राजेंद्र सैनी और उनका न्यू पिंच …Success story of Blood donor…!!!  

 

हरियाणा के जिला  कुरुक्षेत्र में रक्तदान से सम्बंधित एक कार्यक्रम चल रहा था. स्टेज पर जो भी वक्ता आ रहे थे सभी राजेंद्र सैनी का धन्यवाद और आभार प्रकट कर रहे थे कि आज रक्तदान के क्षेत्र मे रक्तदाता या कैम्प आयोजक या प्रेरक वो जो भी कुछ  है  सब राजेंद सैनी जी  की वजह से हैं.सभी के मुंह से यह बात सुनकर एक उत्सुकता सी बनी हुई थी कि आखिर सैनी जी है कौन  क़िस तरह का काम कर रहे हैं.खैर मीटिंग खत्म हुई और मुझे मौका मिला सैनी साहब से बात करने का ….Success story of Blood donor.

1 जून 1962 को पुंडरी मे जन्मे राजेंद्र सैनी आज पूरी तरह से रक्तदान के प्रति समर्पित है. इतना ही नही इनके  परिवार  परिवार म्रे बेटा और बेटी भी रक्तदाता है. मेरे पूछ्ने पर कि रक्तदान के प्रति ऐसी प्रेरणा कब आईतो उन्होने बताया सन 1998 मे रक्तदान मे मीटिंग के दौरान  एक बार उन्होने श्री युद्दबीर सिह ख्यालिया को सुना और रक्तदान के बारे मे उनकी बाते सुनकर उनकी सोच बदली और उन्होने मन ही मन प्रण किया कि वो भी रक्तदान करेंगें. बाकि तो सब ठीक था बस एक ही जरा सी अडचन थी कि उन्हे सूई से डरलगता था. हालाकिं वो बच्चो या बडो को रक्तदान के प्रति जागरुक करते रहते थे कि सूई से जरा भी डर नही लगता पर खुद सूई फोबिया से बाहर नही निकल पा रहे थे.
एक दिन एक कैम्प के दौरान मन बना पर फिर डर गए और सोचा कि किसी लैब मे ही जाकर चुपचाप रक्तदान करके आउगा क्योकि अगर यहां  रक्तदान कैम्प मे वो रक्तदान करते समय डर के मारे चिल्ला पडे तो दूसरे लोग उनके बारे मे क्या सोचेगें पर शायद उस दिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था. डाक्टर ने उनकी भावनाओ को समझा और उन्हे बातो मे लगा कर उन्हे लिटाया और  सूई लगा दी. जब रक्तदान करके वो उठे  तो नई स्फूर्ति का उनके अंदर संचार हो रहा था, उस समय का अनुभव बताया कि दर्द तो महज इतना ही हुआ जितना  कोई नई कमीज पहनता है और उसके दोस्त उसे न्यू पिंच बोलते. 

 दूसरे शब्दो मे यह न्यू पिंच ही था जिसने एक नई दिशा दी और वो और भी ज्यादा विश्वास से भर कर लोगो को रक्तदान के प्रति जागरुक करने मे जुट गए. तब का दिन है और आज का दिन है. आज सैनी जी 49 बार रक्तदान कर चुके हैं और न्यू पिंच से प्यार हो गया है. उन्होने बताया कि रक्तदान मे अर्धशतक तो लग चुका है पर  बस अब वो  शतक लगना चाहते हैं. उन्होने बताया कि लोगो को प्रेरित करना और वो प्रेरित हुए  लोग  आगे लोगो को प्रेरित करके मुहिम जारी रखे तो एक सकून सा मिलता है. बहुत अच्छा लगता है. जब  एक दीए से दूसरा दीया जगमग करता है तो दिल को खुशी मिलती है जिसका बयान शब्दो मे नही किया जा सकता. अपनी बिटिया श्वेता के बारे मे उन्होने बताया कि जब उनकी बिटिया पहली बार रक्तदान के लिए गई तो डाक्टर ने बोला कि वजन कम है  वो रक्तदान कर  नही पाएगी. इस पर वो काफी मायूस हो गए पर आधे धटे बाद जब देखा तो वो रक्तदान करके बाहर आ रही थी इस पर जब उन्होने हैरानी जाहिर की तो श्वेता ने बताया कि उसने 5-6 केले खा लिए थे और रक्तदान कर के आई है. उसके चेहरे से जो खुशी झलक  रही थी वो आज भी भुलाए नही भूलती.

मैने जब उनसे पूछा कि कार्यक्रम के दौरान जब सभी उनका नाम ले कर सम्बोधित कर रहे थे तो वो कैसा महसूस कर रहे थे इस पर वो बोले कि खुशी तो हो रही थी एक नया संचार सा शरीर मे भर  रहा था पर दूसरी तरफ अच्छा भी नही लग रहा था. कारण पूछ्ने पर उन्होने बताया कि कही दर्शक यह ना सोचे कि मैंने  हीउन्हे कहा है कि  मेरे बारे मे भी जरुर कहना. उनकी बात सुनकर मै मंद मंद मुस्कुरा उठी क्योकि मैने खुद सुना कि लोग पीठ पीछे भी उनकी तारीफ कर रहे थे. आखिर नेक काम की अच्छाई तो छुपाए नही छिप सकती.

आज रक्तदान के क्षेत्र मे राजेंद् सैनी अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. पीजीआई रोहतक से उन्हे कैम्प आयोजक रुप मे दो बार सम्मान मिल चुका है और फस्ट एड ट्रैनर यानि प्राथमिक चिकित्सक ट्रैनर  व रक्तदाता के रुप मे वो महा महिम बाबू परमानंद, डाक्टर किदवई और श्री धनिक लाल मंडल से सम्मानित हो चुके है. राजेंद्र सैनी  दिन रात इसी उधेड बुन मे रहते है  कि किस तरहलोगो को जागरुक करे और उन्हे मोटिवेटर बनाए ताकि वो इसका संदेश आगे औरआगे फैलाते रहें. भले ही राजेंद्र सैनी आज 52 साल के हो चुके हैं पर खुद को वो नौजवान ही मानते है उनका कहना है कि रक्तदाता कभी बूढा नही होता वो हमेशा जवान ही बना रहता है.उनकी भाषा मे ‘ तो आप न्यू पिंच कब करवा रहे हैं”  !!!!

हमारी ढेर सारी शुभकामनाएं !!

Success story of Blood donor … कैसी लगी !!! हमें जरुर बताईएगा !!!!!

 

April 4, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

छोटी बाल कहानी – दीदी की चिठ्ठी

छोटी बाल कहानी - दीदी की चिठ्ठी

छोटी बाल कहानी- कहानी  हमेशा प्रेरित करती हैं और हमेशा कुछ नया सीखाती हैं. दैनिक नवज्योति से प्रकाशित दीदी की चिठ्ठी हर रविवार प्रकाशित होती थी  जिसमे छोटी कहानियों के माध्यम से मैं बच्चों को समझाया करती थी…

छोटी बाल कहानी – दीदी की चिठ्ठी

छोटी बाल कहानी - दीदी की चिठ्ठी

छोटी बाल कहानी – दीदी की चिठ्ठी

दैनिक नवज्योति, जयपुर से प्रकाशित रविवारीय में दीदी की चिठ्ठी !!!

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