Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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December 6, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Overcome Fear of Needle Shots in Kids – क्या करें जब बच्चे सुई से डरें – बच्चों का डर कैसे दूर करें

Overcome Fear of Needle Shots in Kids

Overcome Fear of Needle Shots in Kids – क्या करें जब बच्चे सुई से डरें – बच्चों का डर कैसे दूर करें – Needle Phobia – कल घर पर एक जानकार आई हुई थी उनका 3 साल का बच्चा बहुत शरारत कर रहा था दो चार तो उसने मना किया पर बाद मे बोली… कहना नही मान रहे न चलो तुम्हें डाक्टर के ले कर चलती हूं जब सुई लगेगी तब पता चलेगा… और गुस्से में उसे गोदी में उठाया और बाय बोल कर चली गई… वो तो चली गई पर मुझे बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया… आप बताईए क्या ये सही किया..

Overcome Fear of Needle Shots in Kids – बच्चों का डर कैसे दूर करें –

इस तरह से डराना और वो भी सुई के लिए… जबकि ये पता है कि सुई लगती तो है ही…

तो ये गलत है क्योकि जब आप डाक्टर के पास ले कर जाएगें तो वो आसमान सिर पर उठा लेगा..

तो चलिए आज बात करते हैं कि क्या करना चाहिए… क्या नही करना चाहिए जब इंजेक्शन लगवाने जाएं …

सबसे पहले तो बात बात में डर न बैठाएं… सुई लगगेगी

बल्कि मन से बहादुर बनाएं

कैसे बनाएं बच्चे घर घर खेलते हैं डाक्टर डाक्टर खेलने का का भी शौक होता है.. तो बताईए कि सुई लगेगी तो और मजबूत बनेंगें..बीमार नही होंगें..जानबूझ कर बीमार हों और सुई लगवाएं और ऐसे शो करिए कि कुछ नही हुआ.. Short term pain long term pain

ब्लड डोनेशन कैम्प मे जाए तो रक्तदान देकर एक उदाहरण बनें कि हमारी एक सुई किसी की जान भी बचा सकती है… बच्चे बहुत कोमल होते हैं…सच बताईए उन्हें ये मत बताए कि कुछ नही होता बल्कि सच बताई कि जब सूई लगती है तो एक पल का दर्द होता है फिर ठीक हो जाता है…

बहादुर बनें…

अब मैं फिर बोल रही हूं कि बहादुर बनें पर अब ये बच्चों के लिए नही बल्कि खास तौर पर माताओ के लिए हैं खुद ही सुई लगने के समय बहुत नर्वस हो जाती है… तो बच्चे को लगता है पता नही क्या होता है इसलिए भावुक न बनें… और अगर ज्यादा ही बुरा हाल है देख नही सकते तो बच्चे को डाक्टर और नर्स के सुपुर्द कर दे पर अगर आप पास खडे हों तो बी बोल्ड…

ध्यान भटका दे…

सुई लगते समय कुछ बच्चे के हाथ मे दे दें मोबाईल या कुछ ही या फिर कुछ ऐसा बोलिए कि बच्चे का ध्यान वहां से हट जाए… मुझे याद है वो देखो कोको आई.. वो देखो वो क्या है.. फिर लगते ही…बच्चे को कस कर हग करें

ट्रीट टाईम

बच्चे को इस काम के लिए award भी देना चाहिए जैसा कि या तो आईस्क्रीम खिला दीजिए या चाकलेट या टाफी .. कुछ भी ..

Overcome Fear of Needle Shots in Kids – क्या करें जब बच्चे सुई से डरें – बच्चों का डर कैसे दूर करें –

December 5, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

What we can Learn from Santa Claus – Santa Claus से सीखें ये अच्छी बातें – क्रिसमस डे

What we can Learn from Santa Claus

What we can Learn from Santa Claus – Santa Claus से सीखें ये अच्छी बातें -क्रिसमस डे  – सांता क्लॉज़ और क्रिसमस एक दूसरे के पूरक है क्रिसमिस का अहम हिस्सा हैं सांता क्लॉज़…  इनके बिना तो क्रिसमस की कल्पना भी नही की जा सकती…

What we can Learn from Santa Claus – Santa Claus से सीखें ये अच्छी बातें – क्रिसमस डे

जब क्रिसमस पर अपनी जानी पहचानी लाल पोशाक पहन कर ,एक बैग में खूब सारे गिफ्ट लेकर हो हो हो करते  सांता क्लॉज़ आते हैं तो माहौल खुशनुमा हो जाता है… बच्चे तो बच्चे बडो के चेहरे पर भी स्माईल आ जाती है…

Santa Claus न सिर्फ हमारे चेहरे पर स्माईल ले आते हैं बल्कि हमें सबक भी सीखा जाते हैं… आप ये सोच रहे होंगें कि आखिर क्या सीखने को मिलता है… चलिए आज सांता क्लॉज़ की ही बात करते हैं…

सबसे पहले तो .. हमेशा हंसना और मुस्कुराना चाहिए

  1. उनका आगमन ही हमेशा हंसते मुस्कुराते होता है… हो हो हो करते आते हैं तो बच्चे बडो में खुशी की लहर दौड जाती है… हमे ये सबक मिलता है हमेशा खुश रहना चाहिए और जिंदगी को पूरा enjoy  करना चाहिए.. खुशियां बिखेर देनी चाहिए…अच्छा बनना चाहिए

2. आज का समय हम सभी जानते है कैसा समय चल रहा है और इन बातों से हट कर Santa Claus हमें अच्छा यानि दयालु, केयरिंग और परोपकारी बनना सीखाता है… मदद के लिए आगें आएं

3 सब की सुनिए Santa Claus से हमें सब यह मिलता है कि सबकी सुननी चाहिए… कैसे… देखिए हर बच्चा चाहे अमीर का हो गरीब का हो वो सेंटा से कुछ न कुछ मांगता है और बच्चों के म्म्मी पापा भी तो मांगते हैं बच्चों की खुशी के लिए … चाहे जुराब में रखते हैं चाहे तकिए के नीचे रखते हैं, चाहे जूते में गाजर रखतें हैं  सब की सुनते हैं और उसे पूरा भी करते हैं…

जरुरत के हिसाब से देना.. .. बस दे देना बल्कि सोच समझ कर किस की क्या जरुरत है.. एक गरीब बच्चे को खाना चाहिए ना कि खिलौना.. जरुरत के हिसाब से देना सीखातें हैं…

4. लेने से ज्यादा जरुरी देना है..

हम सभी से उम्मीद रखते हैं कि हमें मिले पर Santa Claus हमें देना सीखाते हैं हम उनसे ये सीखते हैं देना चाहिए जितना देंगें उतनी ज्यादा खुशी मिलेगी… वो हम सभी को देते हैं कुछ न कुछ पर इस उम्मीद से नही देते कि उन्हें भी कुछ मिले… बस बांटते जाते हैं … देते जाते हैं … यही पाठ हमें सीखतें हैं कि दयालु बनो

5. दूसरे के जिंदगी में उजाला भरना

हमें पूरे साल इंतजार रहता है वो इसलिए वो वो आगेंगे और खुशियां आएगीं इसलिए हमें दूसरों की जिंदगी में भी उजाला भर देना चाहिए… कोशिश यही करनी चाहिए कि दूसरा दुखी न हो… अंधकार छ्ट जाए…

6.  मन में इच्छा हो तो कुछ भी किया जा सकता है

हम कहां रहते हैं क्या करते हैं क्या नही… ये बात इतनी जरुरी नही .. जरुरी है तो मन में बस लग्न… कि करना है… पहचान की जरुरत नही… सैंटा कहां रहतें है कहां से आते है कुछ नही पता.. जब आते हैं तो कम से कम आठ या नौ उड़ने वाले रेन्डियर रहते हैं और तो और कभी घर की चिमनी से आते हैं… अगर हम किसी का करना चाहे  तो कर सकते हैं… अच्छा काम नेक काम किसी की मदद करके लोगो का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं..

7.   उम्र कितनी भी हो..

मन मे जज्बा होना चाहिए… आप कितने बडे हो या बूढे अगर मन में किसी के करने लग्न है तो उम्र कोई बाधा नही.. इसी का जीता जागता उदाहरण है सैंटा क्लाज

हमेशा प्यार दीजिए और प्यार ही बांटिए…

December 4, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Always Love and Respect Your Parents – बड़ों के प्रति व्यवहार कैसा हो – बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें

Always Love and Respect Your Parents

Always Love and Respect Your Parents – बड़ों के प्रति व्यवहार कैसा हो – बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें – कल एक जानकार के घर गए. बहुत उम्र के हैं और बहुत परेशान लग रहे थे उनकी ज्वाईट फैमली है… उस समय बेटा, बहू किसी शादी में बाहर गए हुए थे… उन्होनें बताया कि बच्चे घर बेच रहे हैं इस घर से इतनी पुरानी यादें जुडी हैं … कैसा जाऊंगा इसे छोड कर… हम भी कुछ नही बोले और चुपचाप चले आए.. वापिस लौटते समय मुझे एक कहानी याद आई जो नेट पर ही पढी थी… और बहुत ही अच्छी लगी थी… !!

Always Love and Respect Your Parents – बड़ों के प्रति व्यवहार कैसा हो – बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें

कहानी कुछ ऐसे हैं कि एक बुजुर्ग अपने बेटे बहू और दो पोतों के साथ रहते थे… … सारी सुख सुविधाएं थी… उनका बहुत बडा बंगला, कार, नौकर चाकर थे… सारा परिवार मिलजुल कर रहता..

 

एक बार उन बुजुर्ग की तबियत खराब हो गई और अस्पताल दाखिल करवाना पडा… वहां पता लगा कि उन्हें कोई गम्भीर बीमारी है हालाकि ये छूत की बीमारी नही है… पर फिर भी इनका बहुत ध्यान रखना पडेगा…

कुछ समय बाद वो घर आ गए… घर पर पूरी सेवा होने लगी… और पूरे समय का नौकर और नर्स को रखा ही हुआ था…

और धीरे धीरे उनके पोतो ने उनके कमरे में आना बंद कर दिया कि दादू बीमार रहते हैं बेटा, बहू भी ज्यादतर अपने कमरे मे रहते…

बुजुर्ग को  अच्छा तो नही लगता पर वो कुछ कहते नही थे.. एक दिन शाम को जब टहल रहे थे तो उन्हें बेटे बहू की आवाज सुनाई दी… वो अपने कमरे में बात कर रहे थे कि पिताजी को वृद्धाश्रम में भर्ती करवा दो या किसी अस्पताल के प्राईवेट कमरे में…

पैसे की कोई कमी तो है नही और हम मिलने जाते ही रहेंगें.. 24 घंटे बीमार पडे रहते हैं अच्छा नही लगता.. घर घर नही अस्पताल ज्यादा लगता है … मुझे तो डर है कि कही बच्चे भी बीमार न हो जाएं..

फिर उनके बेटी की आवाज आई कि सही कह रही हो, मैं आज ही पिताजी से बात करूँगा….

और पिता चुपचाप अपने कमरे में लौट आए…सुनकर दुख तो हुआ … पर उन्होनें मन ही मन कुछ सोच लिया था…

शाम को कमरे में लेटे हुए थे.. तभी बेटा आया .. बेटे को देखते ही उन्होनें बोला कि अरे मैं तुम्हें ही याद कर रहा था… कुछ बात करनी है … बेटा बोला जी पिताजी मुझे भी आपसे कुछ बात करनी है.

आप बताओ क्या बात है… तो वो बोले तुम्हें तो पता ही है कि मेरी तबियत ठीक नही रहती… इसलिए अब मैं चाहता हूँ कि मैं अपना बचा खुचा जीवन मेरे जैसे बीमार, असहाय,  बेसहारा बुजुर्गों के साथ बिताऊं

सुनते ही बेटा मन ही मन खुश हो गया कि उसे तो कहने की जरुरत ही नही पडी…  पर दिखावे के लिए उसने कहा .. ये आप क्या कह रहे हो पिताजी आपको यहां रहनें मे क्या दिक्कत है.. ??

तब बुजुर्ग बोले कि नहीं बेटे, मुझे यहाँ रहने में कोई तकलीफ नहीं… लेकिन यह कहने में तकलीफ हो रही है कि तुम अब अपने रहने की व्यवस्था कहीं और कर लो, मैंने इस बँगले को “वृद्धाश्रम ” बना रहा हूं ..

यहां कुछ असहाय और बेसहारों की देख रेख करते हुए अपना जीवन व्यतीत करुंगा… अरे हां तुम भी कुछ कह रहे थे न .. बताओ… … और हाँ, तुम भी कुछ कहना चाहते थे …

कमरे में एक चुप्पी थी…..

Always Love and Respect Your Parents – बड़ों के प्रति व्यवहार कैसा हो – बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें

December 3, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Manage Your Work at Home – घर के काम सही तरीके से कैसे करें महिलाएं

How to Manage Your Work at Home

How to Manage Your Work at Home – घर के काम सही तरीके से कैसे करें महिलाएं – Housekeeping tips for mom कृपया महिलाएं ध्यान दें… जिंदगी का एक कडवा सच ये भी है कि महिलाएं बहुत impatient उतावली, आतुर होती हैं और इस चक्कर में बहुत बार गडबड भी हो जाती है…

How to Manage Your Work at Home – घर के काम सही तरीके से कैसे करें महिलाएं

देखिए घर चलाने मे हम महिलाओं की भूमिका जबरदस्त होती है… पर फिर भी कभी कुछ तो कभी कुछ गडबड झाला हो ही जाता है…

 

चलिए पहले बात करते हैं कि कुछ फेवरेट गडबडों की फिर मैं आती हूं असली मुद्दे पर..

गैस पर सब्जी रखी हुई है…

और अचानक फोन आ गया फोन पर बात कर ही रहे थे कि डोर बेल हुई और सामने थी पडोसन.. बात करते करते समय का पता ही नही चला और खाने की बात सुनते हुए अचानक ख्याल आता है कि अरे बाप रे सब्जी रखी थी गैस पर… और जब तक भाग कर अंदर गए .. सब्जी अपना रंग बदल चुकी थी और जले जले की महक बिखर रही थी…

एक दूसरा उदाहरण…

मान लीजिए चार पांच दिन के लिए हम कहीं छुट्टियों में बाहर घूमने जा रहें हैं.. फुल्ल मस्ती के मूड में… और रास्ते में जाते हुए अचानक ख्याल आता है कि शायद अलमारी को लॉक करना रह गया था… जाते जाते कुछ याद आया था तो अलमारी खोली थी और … पांच छ दिन जितनी मस्ती का सोचा था उससे ज्यादा टेंशन दिखाई देती है डर लगता है कहीं चोरी हो गई तो… कह भी नही सकते…

अगर पति को बता दिया तो डांट पडेगी जबरदस्त वाली…

तो इन उदाहरणों को देखते हुए हमें क्या करना चाहिए… अगर हम कुछ बातों का ख्याल रखेंगें तो शायद सब्जी जलने से भी बच जाए और अलमारी भी लॉक की थी इस बात का भी ख्याल रह सकता है…

सबसे पहले तो स्माईल दीजिए.. जो आप मुझे इतने तनाव में देख रही हैं कि क्या है जल्दी बताओ… गैस पर दूध रखा है या सब्जी रखी है या बच्चों को stop से लेने जाना है .. यही !! सबसे पहले impatient हबडा तबडी छोड दीजिए… ये जो है न कि ये काम नही हुआ वो नही हुआ … ये रह गया वो रह गया… शांति शांति शांति ..

रिलेक्स होकर बैठिए और लम्बा सांस लीजिए… आराम से बैठिए और एक प्लानर बनाईए.. सुबह से लेकर रात तक का.. जैसे बच्चों का टाईम टेबल बनाते हैं कि किस समय से किस समय तक क्या करना है… दिन भर का जो जरुरी काम है है priorities प्राथमिकता के हिसाब से प्लान कीजिए… प्लान करने से हबडा तबडी नही होगी…

मल्टी टास्किंग

मल्टी टास्किंग से बचेगें… एक समय में एक ही काम करेंगें तो गडबड भी नही होगी… कि एक ही समय में दूध उबालना हैं, वाशिंग हो रही है, बच्चे ने पॉटी कर दी, किसी मेहमान ने आना है… कोई एक काम थोडे ही न होता है बहुत सारे होते हैं तो अगर पता होगा कि कपडे हर तीसरे दिन धोने हैं और इतने बजे धोने हैं खाना इतने बजे बनाना है तो फिर सब्जी नही जलेगी क्योकि अगर सब्जी बन भी रही है और आप के पास फोन आ गया तो आप वही खडे होकर बात कर सकती है…

इसमे एक बात और ध्यान रखनी है कि

अपने लिए समय जरुर निकलिएगा… हम क्या करते हैं कि अपने लिए समय नही निकालते.. चलो कोई भी समय झपकी ले लेंगें… कई बार झपकी ज्यादा बडी हो जाती है… पर अगर अपने लिए समय निकालेंगें तो आपको सोचने का समय भी मिलेगा कि अभी तक क्या हुआ क्या नही हुआ… अगर थोडा कमर सीधा नही करेंगें तो फ्रेश नही रहेंगें… जरुरी है कि अपने लिए समय निकालना फिर उसमें मैगजीन पढे, टीवी देखें या कुछ रिलेक्स करने वाला काम करें..

इस बात का भी ख्याल रखना है कि

टालमटोल नही करनी… जो प्लान बना लिया उस पर डटे भी रहें कई बार हम सोचते हैं कि चलो दस दिन बाद से शुरु कर देंगें या अगले महीने से… नही आज और अभी से शुरु करना है… टाल मटोल नही ये जो गडबड शुरु होती है इसका मुख्य कारण ही टालमटोल होता है…

हैल्प

घर के काम के लिए अगर बाई है तो वो भी सही है और नही है तो कोई दिक्कत ही नही… सारा काम आपको करना है और आपको पता है कि कब क्या काम करना है… अगर घर का कोई सदस्य आपकी मदद करता है छोटे मोटे काम में तो बहुत अच्छा और मिलती मदद तो भी कोई बात नही… बी पाजीटिव

और फिर सकारात्मक सोच रखिए.. आराम से खुश होकर सारा काम कीजिए

जब सारा काम व्यवस्थित ढंग  से टाईम मैनेज करके  होगा तो मजाल है कि कोई गडबड हो जाए… तो अपना कर देखिए… ये होता तभी है जब हम मैनेज नही होते…

जो महिलाएं धैर्य रखती है वो जल्दी बूढी नही दिखती और जो धैर्य नही रखती उनकी कोशिकाओं पर एजिंग का असर जल्दी दिखता है  एक अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई कि धैर्य ना रखने पर हम जल्दी तनाव में आ जाते हैं जिससे कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं। बार-बार धैर्य खोने से कोशिकाएं स्ट्रेस के कारण सिकुड़ जाती हैं जिससे झुर्रियां जल्दी दिखने लगती हैं।

How to Manage Your Work at Home – घर के काम सही तरीके से कैसे करें महिलाएं

December 2, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

How not to Talk to Your Child – बच्चों से बातचीत का तरीका क्या हो

How not to Talk to Your Child

How not to Talk to Your Child – बच्चों से बातचीत का तरीका क्या हो – बच्चों से कैसे Communicate करते हैं आप ?? अगर अच्छी तरह कर रहे हैं तो positive नही तो negative effect डालेगी.. बच्चों की परवरिश कैसे करें – How to Raise a Child…

How not to Talk to Your Child – बच्चों से बातचीत का तरीका क्या हो

बच्चों से कैसे बात करते हैं आप ?? कल्पना कीजिए एक बीमार बच्चा हो गया doctor के पास गए  और वो अपने पापा के साथ अस्पताल से बाहर आया तो पापा ने जोर से गुस्सा किया.. कहना नही मानते कितनी बार समझाते हैं तुम हो कि समझते ही नही.. अब हो गए न बीमार पडे रहना अब घर पर.. आज से तुम्हारा बाहर खेलना बंद.. आपको कैसा लगा..

 

यकीनन आप सोच रहे होंगें कि जब बच्चा नही ख्याल रखेगा तो पापा को तो गुस्सा आएगा ही… सही बात है पर अगर हम इस बात का ख्याल रखें कि बच्चे की तबियत ठीक नही है.. पर अगर यही बात आराम से कही जाए तो उसका असर भी जरुर पडेगा… जैसाकि बेटा आपने अपना ख्याल नही रखा ना अब देखो… छुट्टी भी लेनी पडेगी कितना नुकसान भी होगा पढाई का..  अपनी बात भी कनवे कर दी.. और कुछ बदमगजी भी नही हुई… ऐसी रोजमर्रा की छोटी छोटी बातों का ख्याल रखेंगे आराम से कहेंगें तो बच्चे पर लम्बे समय तक असर डालेगा..

कुछ उदाहरण बताती हूं …

  1. हे भगवान ऐसे नालायक बच्चे से तो मुझे बेऔलाद ही रखता… पता नही कौन से पाप किए थे जो तुझ जैसा बेटा मिला…

बेशक हमें किसी बात पर गुस्सा आया पर इस तरह से गुस्सा निकालना कहां तक सार्थक है..

  1. 100 बार बताना पडता है एक बात को समझ नही आता तुम्हें… पागल है क्या तू
  2. मुझे maths जरा भी अच्छा नही लगता इसका नाम लेते ही टेंशन शुरु हो जाती है.. बच्चा नम्बर कम लाया तो अपने पापा पर गया है
  3. खबरदार जो रोए तो चुप हो जाओ एकदम चुप…

5. कजिन को देखा है वो कितनी प्यारी है

  1. बाद मे बात करेगें… देख नही रहे मैं काम कर रही हूं
  2. तू मुझे सीखाएगा.. तू मुझसे जुबान लगाएगा.. मां हूं मैं तेरी चटाक चटाक…

8. Be a man आदमी बनो.. क्या डर रहे हो डरपोक कही का…

9.  अपनी मम्मी को मत बताना ये बात..

पेरेंटस के लिए बच्चे सबसे खूबसूरत उपहार हैं… इसलिए उन्हें प्यार से सहेज करना उन्हें अच्छे संस्कार देना पेरेंटस का ही काम है… जैसा देंगें वैसा ही मिलेगा…  बच्चे हम पेरेंटस से ही सीखते हैं … इसलिए अच्छी बात बोलना , रिस्पेक्ट करना…..

How not to Talk to Your Child –

December 1, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Stay Calm in a Fight- लड़ाई झगड़ों से कैसे बचें – शांत कैसे रहें

How to Stay Calm in a Fight

How to Stay Calm in a Fight- लड़ाई झगड़ों से कैसे बचें – शांत कैसे रहें – लड़ाई झगड़े से कैसे बचें… लड़ाई झगड़े .. लड़ाई का झगड़े का अनुभव हम सभी के साथ होता है चाहे बच्चों के साथ हो, बड़ों के साथ हो, दोस्त के साथ हो या किसी अंजान से… खुश कैसे रहें – खुश रहने के लिए क्या करें..

How to Stay Calm in a Fight- लड़ाई झगड़ों से कैसे बचें – शांत कैसे रहें

आप ही बताईए किसी से हमारी लड़ाई हो जाए या argument बहुत बढ जाए तो कैसा लगता है… यकीनन अच्छा तो नही लगता होगा… बेशक उस समय तो हम गुस्से में बहुत कुछ बोल देते हैं पर कुछ देर बाद upset हो जाते हैं … दुख भी होता है कई बार शर्म भी आती है… पछताते भी हैं तो क्यो लड़ाई झगड़ा करते हैं किसलिए चिल्ला कर बात करते हैं …

आपको पता है जब हम किसी से गुस्से से बात करते हैं तो हमारे दिलों की दूरियां बढ जाती हैं… मैंनें पढा था कि जब हम चिल्लाते हैं तो हमारे दिल दूर हो जाते हैं.. जितनी दूरी ज्यादा होगी उतनी जोर से हम चिल्लाएगें…

आप देखिए जब कोई एक दूसरे से प्यार करता है तो क्या वो चिल्लाता है नही … कितनी आराम से बात करते हैं… कई बार तो आखों आखों मे ही बात हो जाती है… समझ आ जाता है कि क्या कहा जा रहा है यानि दिल इतने करीब होते हैं और वही जब दिल की दूरी बढ जाती है तो … चिल्लाते हैं … ।

दिलों की दूरियों को न बढ़ने दें… शांत चित्त और धीमी आवाज में बात करें। ध्यान रखें कि कहीं दूरियां इतनी न बढ़े जाएं कि वापस आना ही मुमकिन न हो।

तो क्या करना चाहिए जब किसी से लड़ाई झगड़ा हो जाए तो किस तरह से रिएक्ट करना चाहिए चाहे परिवार मे किसी के साथ हो पति पत्नी का दोस्त के साथ हो … लड़ाई झगड़ा होने पर क्या करना चाहिए..

जब लगे कि सिचयूएशन आऊंट ऑफ कंट्रोल हो रही है तो… मैं अपना ही उदाहरण देती हूं मान लीजिए मेरी किसी से लडाई हो गई है…और बात बहुत ज्यादा बढ गई है

तो मेरे लिए बेस्ट यही है कि मैं चुप हो जाऊ… एक चुप सौ सुख… दूसरा कोई अकेला कितनी देर तक बोलेगा… तो बेस्ट यही है कि मैं चुप हो जाऊ … उससे क्या फायदा होगा…

व्यर्थ की बहस से बच जाएगे…

अपशब्द बोलने से बच जाएगें …

थोडा सोचने का समय मिल जाएगा कई बार हम बहुत जल्दी रिएक्ट कर जाते हैं… गलती हमारी भी होती है पर हम ब्लेम दूसरों को करते हैं

3.परिणाम सोचिए.. लडते समय परिणाम सोचिए..ये सोचिए कि अगर एक्ट्रीम हो गया तो कोई बात ज्यादा बढ गई तो नुक्सान हो सकता है चोट लग सकती है… हमेशा के लिए रिश्ता खराब हो सकता है… जान से भी हाथ धोना पड सकता है

  1. लड़ाई हल नही… कई बार हम गुस्से मे बहुत कुछ बोल जाते हैं पर अगर हम ये सोच लें कि लडाई कोई हल नही… इससे नुकसान ही होगा … हल नही निकलेगा तो इससे बचा जा सकता है… प्रोब्लम में फस सकते हैं ..

5. कई बार जब दो लोग लड़ रहे हो और तीसरा impartial बचाव के लिए आ जाए दोनो पक्षों को अलग अलग कर दें तो भी बचाव हो सकता है… मान लीजिए दो दोस्तों के बीच में लड़ाई हो गई तो तीसरा आकर भी समझौता करवा दे तो ठीक रहता है… दोनों की ईगो बहुत हो जाती है कोई झुकने को तैयार नही तब तीसरे की बात को रखते हुए कि चलो तू कह रहा है तो मान जाता हूं वरन ऐसे छोडना नही था… बात शांत की जा सकती है… impartial

6. हम पीछे हट कर एक मिसाल भी बन सकते हैं…

कई बार लड़ाई झगड़ा से पीछे हटना हमारा दर या कमजोरी नही बल्कि भी बडप्पन होता है समझदारी की निशानी होता है इसलिए कई बार अपना कदम पीछे हटा लेना अच्छा ही होता है..

7. माहौल हलका बना लेना चाहिए… ओके ओके गुरु जी माफ कीजिए… मुझसे गलती हो गई… झगडे से माहौल बहुत भारी हो जाता है.. इसलिए कुछ ऐसा करना चाहिए कि माहौल कूल हो जाए… एक दम से बात खत्म हो जाएगी… सॉरी बोलना , माफी मांगना हमें छोटा नही बल्कि हमारा बडप्पन हमारा बडा दिल दिखाता है…

कुल मिलाकर यही बात सामने आती है कि इसका फायदा नही… इसलिए अगर किसी से झगडा करने की सोच रहे हैं तो कैंसिल कर दीजिए… मिल बैठ कर ही बात हो जाए तो बहुत अच्छा होगा…

How to Stay Calm in a Fight – लड़ाई झगड़ों से कैसे बचें – शांत कैसे रहें 

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