Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 30, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Cartoon on GST India

Cartoon on GST India

Cartoon on GST India – जी एस टी बिल क्या है – What is Goods and Service Tax GST  अभी कुछ नही कह सकते कि इसके आने से फायदा होगा या नुकसान … पर एक बात तो तय है कि डर तो है … इसी डर से बन निकला एक कार्टून

Cartoon on GST India

 

Cartoon on GST India

GST बोले तो

June 30, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

अच्छे काम करते रहने चाहिए

अच्छे काम करते रहने चाहिए

अच्छे काम करते रहने चाहिए – अच्छे काम कोई भी हो … भले ही कोई प्रशंसा करे न करे पर छोडना नही चाहिए  … असल में मेरी एक सहेली ने घर की दीवार पर पानी से भरा बर्तन रखना शुरु किया … कुछ दिन रखा पर पिछ्ले दो तीन दिन से नही रखा वो इसलिए कि मौसम भी बारिश वाला था और उसे लगा कि कोई पक्षी आता तो है नही पानी पीने …

अच्छे काम करते रहने चाहिए

आज जब वो घर से बाहर  निकली तो देखा कि दो पक्षी बैठे खाली बर्तन को देख रहे हैं … ये देख कर उसे बहुत दुख हुआ … इसलिए अच्छा काम करना कभी नही छोडना चाहिए …  इसी बारे में एक कहानी भी बहुत समय पह्ले पढी थी कि

एक शहर में एक मंदिर में नए पंडित जी आए … उनका बहुत नाम था कि बहुत ही अच्छे हैं नेक हैं  एक बार उन्हें दूसरे शहर जाना था तो वो बस मे चढ़े उन्होंने कंडक्टर को किराए के रुपये दिए और सीट पर जाकर बैठ गए. कंडक्टर ने जब किराया काटकर रुपये वापस दिए तो पंडित जी ने पाया की कंडक्टर ने दस रुपये ज्यादा उन्हें दे दिए है

पंडित जी ने सोचा कि थोड़ी देर बाद कंडक्टर को रुपये वापस कर दूँगा

 

 

कुछ देर बाद मन मे विचार आया कि अरे वापिस किसलिए करु .. कौन सा इसे याद है गलती से तो दिए हैं … ये तो भगवान का प्रशाद ही है .
मन मे चल रहे विचार के बीच उनका शहर आ गया बस मे उतरते ही उनके कदम अचानक रुके उन्होंने जेब मे हाथ डाला और दस का नोट निकाल कर कंडक्टर को देते हुए कहा भाई तुमने मुझे किराए के रुपये काटने के बाद भी दस रुपये ज्यादा दे दिए थे

कंडक्टर मुस्कराते हुए बोला क्या आप ही गाँव के मंदिर के नए पुजारी हो? पंडित जी को हामी भरने पर कंडक्टर बोला आपका बहुत नाम सुना था.. आज जब आपको यहां देखा तो सोचा चलो देखते है कि मैं ज्यादा पैसे लौटाऊँ तो आप क्या करते हो अब मुझे पता चल गया की आपके प्रवचन जैसा ही आपका आचरण है आप वाकई में अच्छे हैं मैं जरुर आऊंगा … और बस आगे बढ गई

पंडित जी ने हे भगवान बोला और शुक्रिया बोला कि आज तूने बचा लिया … नही तो दस रुपये के पीछे  बहुत गलत हो जाता … इसलिए अच्छा काम करते रहना चाहिए …

 

व्यक्तित्व विकास , स्मार्ट दिखने का एक तरीका,

सावधान रहें सतर्क रहें इन लोगो से

June 29, 2017 By Monica Gupta 1 Comment

छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाए – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी

जीवन में माता पिता का महत्व

छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाए – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी – कल जब मैं अपनी जानकार के घर गई तो टेबल पर खूब सारी कॉपी बिखरी हुई थी … वो कुछ उल्टे हाथ से लिख रही थी … मुझे देख कर वो एक दम से खडी हो गई … और कॉपी समेटते हुए बताया कि बेटे का स्कूल का होमवर्क कर रही हूं उसने किया नही अब स्कूल खुलने वाले हैं … स्कूल में सजा न मिले इसलिए उल्टे हाथ से खुद ही लिख रही हूं … ताकि पता न चले ..

छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाए – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी

वैसे होम वर्क तो बहुत मिलता है बच्चों को .. पर क्या ये सही है मम्मी खुद होमवर्क करें … इसके लिए पढाई में interest create करना  होगा

मेरे पास भी बहुत मैसेज आते हैं बच्चा LKG में है UKG मे है कैसे पढाए ध्यान ही नही है उसका … असल में,  बच्चे से ज्यादा मम्मियां  impatient हो जाती हैं … तो छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाए

Interest create करें ..सबसे पहले तो किताबी दुनिया से बाहर आकर असली दुनिया की चीजे दिखाए … इससे बच्चा जल्दी सीखेगा.  किताब में चिडिया दिखाने की बजाय असल में चिडिया दिखाएं .. जितना प्रैक्टिकल दिखाएगें उतना फर्क पडेगा

गाने या कविता के माध्यम से बच्चे जल्दी सीखते हैं … बाजार में बहुत तरह के खिलौने आते हैं जिनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है

टीवी या computer games   के माध्यम से बच्चे बहुत बातें सीख सकता है

दोस्तों के साथ खेलने दें … हम उम्र के बच्चों से जल्दी सीखते हैं बच्चे को स्पेस दें ताकि वो सीख सके

 

अब आती है बहुत जरुरी बात … अगर बच्चे को कुछ समझ न आए तो वो बार बार पूछ्ता है तो उसे सही और ढंग से जवाब दें टालमटोल न करें

नही पढाई की तो पीटूंगी … या खाना नही मिलेगा या आज खेलना बंद ऐसे उसके मन में डर बैठ जाएगा ..बल्कि ये कहना चाहिए चलो अप्पन  मिलकर होमवर्क खत्म करते हैं फिर पार्क चलेंगें या पसंद की कार्टून देखेंगें.

मनोबल बढाए ,

शाबाशी दें

ईनाम दें ,

तारीफ करें

और सबसे जरुरी बात की आप धर्य धैर्य रखें … आधीर न हो कि आज से स्कूल जाना शुरु किया छोटी ए बी सी, क ख ग अगले दिन ही आ जाए …  बिना मारे प्यार से सारी बात आराम से समझाएं

बच्चे को डांट देना या मार देना ही एक विकल्प नही ऐसे पढाए कि बच्चे की रुचि बने रहे …

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छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाए – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी

June 28, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ क्या वाकई गम्भीर है

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ क्या वाकई गम्भीर है

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ क्या वाकई गम्भीर है – loktantra ka chautha stambh एक महिला के घर पर उसके बच्चे ने कुछ ऐसा बोल दिया जो उसे नही बोलना चाहिए था अब उस महिला ने घर घर जाकर ये बात बताई कि बेटे ने क्या कह दिया … उसकी बात सुनकर लोग भी बात बनाने लगे और कुछ हंसने भी लगे … अब प्रश्न ये उठता है कि जब बात सही ही नही थी तो उस महिला ने वो बात लोगो को किसलिए बताई … क्या उस बात का ढिंढोरा पीटना सही था … ???

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ क्या वाकई गम्भीर है 

यकीनन आप भी सोच रहे होंगें कि घर पर ही बच्चे को समझा  लेती तो सही हो जाता ना लोगो को बात पता चलती न वो मजाक का कारण बनते … पर आजकल ये हो नही रहा … मीडिया को ही ले लीजिए …

एक से एक खराब और गलत खबर खोज खोज कर लाएगें और फिर उस पर बहस करवाएगें  साथ ही साथ ये भी कहेंगें कि मीडिया  इस बात की प्रमाणिकता की पुष्टि नही करता और नतीजा वही ढाक के तीन पात …

अगले दिन फिर कोई मुद्दा आएगा और फिर उसके पीछे दौड पडेगें …

सच मानिए मुझे नही लगता कि न्यूज मीडिया देशहित में जरा भी सोच रहा है  ठीक उसी तरह जैसे मैंने पहले उदाहरण दिया … अगर कोई नेता गलत बोलता है और उसके बयान  वाकई में देश हित में नही है उस बात से देश का माहौल खराब होता है तो उसे उछालना गलत है …  जो उस बात से सम्बंधित है उससे बात साफ करनी चाहिए बजाय मीडिया पर एक घंटा ढिंढोरा पीटने से (जिसमे से लगभग 30 मिनट या ज्यादा का समय  विज्ञापनो को सादर समर्पित होता हैं)   …

और ये भी देखिए कि  इससे नतीजा क्या निकल रहा है देश गर्त में जा रहा है …

कही सुरक्षा नही रही … हर जगह मार पिटाई, खून खराबा … आखिर कहां आ गए हैं हम … इसकी सबसे बडी जिम्मेदार मीडिया है और रही सही कसर पूरी कर रहा है सोशल मीडिया …

सोशल मीडिया वाले लोगो पर तो नाराजगी बाद में होगी पर जो चौथा स्तम्भ बना हुआ है उस के भी कुछ कर्तव्य हैं या नही ???

और एक बात और … अगर इतनी ही देशभक्ति  या दिल में देश के प्रति दर्द है तो मुद्दे का हल जब तक न निकल जाए उसी पर डटे रहो … 24 घंटे का चैनल है आप लोगो के पास फिर किसलिए कहते हो कि अब समय समाप्त हो रहा है … एक बहुत बडा प्रश्नवाचक ??

विधायिका, कार्यपालिका, न्‍यायपालिका को लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्‍तंभ माना जाता है. इसमें चौथे स्‍तंभ के रूप में मीडिया को शामिल किया गया. कहते है कि किसी भी लोकतंत्र की सफलता  के लिए जरूरी है कि उसके ये चारों स्तंभ मजबूत हों. चारों अपना अपना काम पूरी जिम्मेदारी व निष्ठा से करें…

यहां विधायिका जहां कानून बनाती है, कार्यपालिका उन्‍हें लागू करती है और न्‍यायपालिका कानूनों की व्‍याख्‍या करती है, उनका उल्‍लंघन करने वालों को सजा देती है. मीडिया यहां जहां समसामयिक विषयों पर लोगों को जागरुक करने तथा उनकी राय बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है  इसलिए

प्लीज जरा ख्याल करो देश का … !!

खबरे फटाफट … खबर  और तेज एक मिनट में  50 खबरें … कल अखबार के आखिरी पन्ने पर एक छोटी सी खबर थी कि तेजपाल को राहत नही. याद ही नही आया कि कि कौन तेजपाल. फिर दिमाग पर जोर दिया तो याद आया. ओह वो. फिर सारी कहानी आखों के आगे घूम गई, असल में, आज कल खबरो की रफ्तार इतनी तेज और इतनी ज्यादा तेज हो गई है कि हफ्तें की खबर तो क्या दो दिन पहले की खबर भी याद नही रहती. अब तो खबर आती है इस घंटे की खास खबर फिर आएगी इस सैकिंड की खास खबर !!एक मिनट मे दस खबरें, फटाफट खबरें और 5 मिनट मे सौ खबरों के बीच दिमाग अगर भूल भी जाए तो कोई हैरानी की बात नही … loktantra ka chautha stambh

प्लीज जरा ख्याल करो देश का … !! रहम … T R P  से बचो … देशहित किसमे है इसका सोचो !!

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ क्या वाकई गम्भीर है ?? आपके विचारो का स्वागत है …

 

सोशल मीडिया का समाज पर असर कितना

 

 

प्लीज जरा ख्याल करो देश का … !! रहम … T R P  से बचो … देशहित किसमे है इसका सोचो !!

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ क्या वाकई गम्भीर है ?? आपके विचारो का स्वागत है …

June 28, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

दुख सुख में बदल सकता है – दुख दूर करने के उपाय

जीवन में माता पिता का महत्व

दुख सुख में बदल सकता है – दुख दूर करने के उपाय –   सुख-दुःख आते जाते रहते हैं.  उदास मन रखने की कोई जरुरत नही क्योकि दुख सुख में बदल सकता है.

दुख सुख में बदल सकता है – दुख दूर करने के उपाय

कई बार बातें बहुत आसान होती हैं पर हम उसे बहुत कॉम्प्लिकेटेड complicated बना देेेेते हैंं.   कल एक जानकार मिली बोली बहुत गर्मी है बारिश पता नही किसलिए नही हो रही … आज बारिश हो गई तो … तो भी न खुश कि पता नही कब रुकेगी … सारा काम रुक गया … न कपडे धोए न बाई आई … इसे तो होना ही नही चाहिए कई लोग ऐसे ही होते हैं हमेशा दुखी … तो क्या ऐसी कोई तरकीब है आईडिया है दुख सुख में बदल जाए … बिल्कुल बदला जा सकता है

दुख सुख में बदल जाएगा … एक तरकीब है कि कैसे दुख सुख में बदल सकता है … एक कहानी पढी थी …

एक आश्रम  मे गुरु शिष्य रहते थे .  एक दिन शिष्य गुरु के पास आया और बोला कि एक आदमी आया है वो कुछ समय के लिए अपनी भैंस वहां छोडना चाह्ता है उसे दूर गांव जाना है गुरु शांत स्वभाव में बोले  ठीक है उसे बोलो छोड जाए  कम से कम दूध तो पीने को मिलेगा …

कुछ समय बाद शिष्य गुरु जी के पास आया बोला वो आदमी आया है भैंस लेने … गुरु ने कहा कि हां हां दे दो … कम से कम गोबर के झंझंट से तो छुटकारा मिलेगा इस कहानी से यही सबक मिलती है कि

परिस्थिति Situation  बदलने पर मनोस्थिति Mood बदल लो – दुख सुख में बदल जाएगा

जिंदगी जिंदादिली का नाम है – Monica Gupta

जिंदगी जिंदादिली का नाम है. zindagi zindadili ka naam hai –  सुख दुख आते जाते रहते है – जिंदगी चलती रहनी चाहिए. सोशल नेट वर्किंग साईट पर एक लडकी से जान पहचान read more at monicagupta.info

 

सुख दुख मन के ही समीकरण हैं …

दुख सुख में बदल सकता है – दुख दूर करने के उपाय – सुख-दुःख , दुख के कारण , दुखों का निवारण , दुखी मन, दुख सुख था एक सबका,

उदास मन, आज मन उदास है .

June 27, 2017 By Monica Gupta 1 Comment

GST बोले तो

GST बोले तो

GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें … 

GST बोले तो

Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. Goods and Services tax or GST is actually an indirect tax which is applied when a customer buys a good or a service. This tax is an individual tax for the whole country. This tax aims to make India a united market.

 

GST बोले तो …. एक कहानी जो मैसेज मे पढी

एक राजा ने बहुत ही सुंदर ”महल” बनावाया और महल के मुख्य द्वार पर एक ”गणित का सूत्र” लिखवाया और एक घोषणा की कि इस सूत्र से यह ‘द्वार खुल जाएगा और जो भी इस ”सूत्र” को ”हल” कर के ”द्वार” खोलेगा में उसे अपना उत्तराधीकारी घोषित कर दूंगा।

राज्य के बड़े बड़े गणितज्ञ आये और सूत्र देखकर लोट गए, किसी को कुछ समझ नहीं आया। आख़री दिन आ चुका था उस दिन 3 लोग आये और कहने लगे हम इस सूत्र को हल कर देंगे। उसमे 2 तो दूसरे राज्य के बड़े गणितज्ञ अपने साथ बहुत से पुराने गणित के सूत्रो की पुस्तकों सहित आये। लेकिन एक व्यक्ति जो ”साधक” की तरह नजर आ रहा था सीधा साधा कुछ भी साथ नहीं लाया था।

उसने कहा मै यहां बैठा हूँ पहले इन्हें मौक़ा दिया जाए। दोनों गहराई से सूत्र हल करने में लग गए लेकिन द्वार नहीं खोल पाये और अपनी हार मान ली। अंत में उस साधक को बुलाया गया और कहा कि आपका सूत्र हल करिये समय शुरू हो चुका है।

साधक ने आँख खोली और सहज मुस्कान के साथ ‘द्वार’ की ओर गया। साधक ने धीरे से द्वार को धकेला और यह क्या? द्वार खुल गया, राजा ने साधक से पूछा – आप ने ऐसा क्या किया? साधक ने बताया जब में ‘ध्यान’ में बैठा तो सबसे पहले अंतर्मन से आवाज आई, कि पहले ये जाँच तो कर ले कि सूत्र है भी या नहीं। इसके बाद इसे हल ”करने की सोचना” और मैंने वही किया!

कई बार जिंदगी में कोई ”समस्या” होती ही नहीं और हम ”विचारो” में उसे बड़ा बना लेते हैं।

जीएसटी लगने तो दीजिये अभी अपना ब्लड प्रेशर मत बढाइये

क्या लगता है।

पहले बरसात आएगी

या

GST

❓❓

 

Breaking:-

जिन Whatsapp groups का daily turnover 20 messages से अधिक है वे सभी 1 जुलाई से GST के दायरे में मानें जायेंगे।

बहुत तरह की बाते हो रही हैं इसे लेकर …

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