लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ क्या वाकई गम्भीर है – loktantra ka chautha stambh एक महिला के घर पर उसके बच्चे ने कुछ ऐसा बोल दिया जो उसे नही बोलना चाहिए था अब उस महिला ने घर घर जाकर ये बात बताई कि बेटे ने क्या कह दिया … उसकी बात सुनकर लोग भी बात बनाने लगे और कुछ हंसने भी लगे … अब प्रश्न ये उठता है कि जब बात सही ही नही थी तो उस महिला ने वो बात लोगो को किसलिए बताई … क्या उस बात का ढिंढोरा पीटना सही था … ???
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ क्या वाकई गम्भीर है
यकीनन आप भी सोच रहे होंगें कि घर पर ही बच्चे को समझा लेती तो सही हो जाता ना लोगो को बात पता चलती न वो मजाक का कारण बनते … पर आजकल ये हो नही रहा … मीडिया को ही ले लीजिए …
एक से एक खराब और गलत खबर खोज खोज कर लाएगें और फिर उस पर बहस करवाएगें साथ ही साथ ये भी कहेंगें कि मीडिया इस बात की प्रमाणिकता की पुष्टि नही करता और नतीजा वही ढाक के तीन पात …
अगले दिन फिर कोई मुद्दा आएगा और फिर उसके पीछे दौड पडेगें …
सच मानिए मुझे नही लगता कि न्यूज मीडिया देशहित में जरा भी सोच रहा है ठीक उसी तरह जैसे मैंने पहले उदाहरण दिया … अगर कोई नेता गलत बोलता है और उसके बयान वाकई में देश हित में नही है उस बात से देश का माहौल खराब होता है तो उसे उछालना गलत है … जो उस बात से सम्बंधित है उससे बात साफ करनी चाहिए बजाय मीडिया पर एक घंटा ढिंढोरा पीटने से (जिसमे से लगभग 30 मिनट या ज्यादा का समय विज्ञापनो को सादर समर्पित होता हैं) …
और ये भी देखिए कि इससे नतीजा क्या निकल रहा है देश गर्त में जा रहा है …
कही सुरक्षा नही रही … हर जगह मार पिटाई, खून खराबा … आखिर कहां आ गए हैं हम … इसकी सबसे बडी जिम्मेदार मीडिया है और रही सही कसर पूरी कर रहा है सोशल मीडिया …
सोशल मीडिया वाले लोगो पर तो नाराजगी बाद में होगी पर जो चौथा स्तम्भ बना हुआ है उस के भी कुछ कर्तव्य हैं या नही ???
और एक बात और … अगर इतनी ही देशभक्ति या दिल में देश के प्रति दर्द है तो मुद्दे का हल जब तक न निकल जाए उसी पर डटे रहो … 24 घंटे का चैनल है आप लोगो के पास फिर किसलिए कहते हो कि अब समय समाप्त हो रहा है … एक बहुत बडा प्रश्नवाचक ??
विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका को लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तंभ माना जाता है. इसमें चौथे स्तंभ के रूप में मीडिया को शामिल किया गया. कहते है कि किसी भी लोकतंत्र की सफलता के लिए जरूरी है कि उसके ये चारों स्तंभ मजबूत हों. चारों अपना अपना काम पूरी जिम्मेदारी व निष्ठा से करें…
यहां विधायिका जहां कानून बनाती है, कार्यपालिका उन्हें लागू करती है और न्यायपालिका कानूनों की व्याख्या करती है, उनका उल्लंघन करने वालों को सजा देती है. मीडिया यहां जहां समसामयिक विषयों पर लोगों को जागरुक करने तथा उनकी राय बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है इसलिए
प्लीज जरा ख्याल करो देश का … !!
खबरे फटाफट … खबर और तेज एक मिनट में 50 खबरें … कल अखबार के आखिरी पन्ने पर एक छोटी सी खबर थी कि तेजपाल को राहत नही. याद ही नही आया कि कि कौन तेजपाल. फिर दिमाग पर जोर दिया तो याद आया. ओह वो. फिर सारी कहानी आखों के आगे घूम गई, असल में, आज कल खबरो की रफ्तार इतनी तेज और इतनी ज्यादा तेज हो गई है कि हफ्तें की खबर तो क्या दो दिन पहले की खबर भी याद नही रहती. अब तो खबर आती है इस घंटे की खास खबर फिर आएगी इस सैकिंड की खास खबर !!एक मिनट मे दस खबरें, फटाफट खबरें और 5 मिनट मे सौ खबरों के बीच दिमाग अगर भूल भी जाए तो कोई हैरानी की बात नही … loktantra ka chautha stambh
प्लीज जरा ख्याल करो देश का … !! रहम … T R P से बचो … देशहित किसमे है इसका सोचो !!
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ क्या वाकई गम्भीर है ?? आपके विचारो का स्वागत है …
प्लीज जरा ख्याल करो देश का … !! रहम … T R P से बचो … देशहित किसमे है इसका सोचो !!
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ क्या वाकई गम्भीर है ?? आपके विचारो का स्वागत है …
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