Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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May 10, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Competitive Exams और बच्चों की मेहनत

Competitive Exams और बच्चों की मेहनत- IIT HSEE 2017 – हर बच्चे का और माता पिता का सपना होता है कि बच्चा जिस Competitive Exams को दें उसमें अच्छे अंक मिलें . इसमें दोनों की मेहनत होती है बच्चों की भी और कोचिंग संस्थान की भी.

Competitive Exams और बच्चों की मेहनत

ये होते हैं बच्चें … पढने वाले बच्चे अलग ही होते हैं ये बात मैं इसलिए कह रही हूं कि आज कुछ ऐसा ही देखा … हरियाणा के हिसार में रहने वाले  भावेश ख्यालिया की IIT HSEE 2017 All India Ranking 8 आई है जब मुझे पता चला तो मैने बात करनी चाही तो पता चला कि वो दो साल से अपने पास फोन नही रखते…..

आर्टिकल में देरी भी इसलिए हो गई कि उन्हें उनकी फोटो नही मिल रही थी … जहां हम जैसे लोग दिन भर सैल्फी लेते रहते हैं और मोबाईल तस्वीरों से भरा रहता है भावेश इन सबसे कोसो दूर है …

 

 

नतीजा कल देर शाम ही आया और भावेश को पूरे देश में 8 रैंक मिली … निसदेंह खुशी की बात है और गर्व की बात है माता पिता के लिए और उस संस्था के लिए जहां से वो कोचिंग ले रहा हैं …

Cross & climb coaching  संस्था के डायरेक्टर श्री आर के नारवाल भी बच्चों की शानदार उपलब्धि से बहुत खुश हैं श्री नारवाल career counselling में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं और उनका कहना है कि हम हर उस काम को कर सकते हैं जिसे हम करना चाहते हैं हर बच्चा इतिहास लिख सकता है अगर उसे सही दिशा मिले …

वही भावेश ख्यालिया के मम्मी पापा दोनों ही शिक्षा के क्षेत्र से जुडे हैं पापा श्री राजकुमार ख्यालिया हिसार Government College, Hisar  में Sociology के Professor है और सरकारी स्कूल में मम्मी सुशीला ख्यालिया संस्कृत की टीचर हैं दोनों ही अपने बेटे की इस शानदार सफलता बेहद उत्साहित हैं  और इसका पूरा श्रेय भावेश की मेहनत और उसे मिला सही मार्ग दर्शन को देते हैं उनका कहना है कि अगर इसे सही कोचिंग नही मिली होती तो शायद वो इतना अच्छा नही कर पाता …

उन्होनें विशेष धन्यवाद Cross & Climb को दिया जहां भावेश लगभग एक साल से पूरी तरह से तल्लीन होकर पढ रहा था…

जब भावेश ख्यालिया से बात हुई तो वो बिल्कुल सहजता से बोले कि अच्छा लग रहा है मेहनत की थी और सबसे ज्यादा योगदान कोचिंग का रहा … ना दिल्ली जाने की जरुरत हुई न कोटा … इतने अच्छे टीचर मिले कि जब भी जो भी मन में प्रश्न  आया वो पूछा और तुरंत उसका जवाब मिल गया … भावेश ने बताया कि दिन में 4 से 5 घंटे पढाई करता और उसके इलावा कोचिंग क्लास में जाता था… अभी भी वो और भी competitive exams की तैयारी में जुटे थे …

 

जो मैं शुरु में बात कर रही थी कि पढने वाले बच्चे ये होते हैं मोबाईल से दूर … बस एक लक्ष्य निर्धारित किया और उसी में जुटे हैं कि जिंदगी में कुछ बन कर दिखाना है … हमारी ढेर सारी बधाई भावेश के परिवार को और कोचिंग संस्था को जो इतनी अच्छी सुविधाएं दे रहे हैं बच्चे अपने लक्ष्य को हासिल करने में समर्थ हो रहे हैं …

May 9, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका

Importance of Mothers in Life

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका क्या है ?? Mahila Sashaktikaran me Shiksha ki Bhumika. क्या नारी सशक्तिकरण वास्तव में हो रहा है या महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका क्या है ?? स्त्री शिक्षा ka mahatva …बेटियां शुभकामनाएं हैं  बेटी एक वरदान हैं.

महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका

कल मैं एक आर्टिकल पढ रही थी कि दुनिया की top most working ladies  अपने दिन की शुरुआत कैसे करती हैं कोई जिम जाती हैं, बच्चों को उठाती हैं  वर्क आउट करती हैं कोई सुबह 7 बजे आफिस ही पहुंच जाती हैं…

मैने लेख पढने के बाद जब अपनी एक दो जानकारों से पूछा तो उनका जवाब था कि उठते ही मोबाईल चैक करती हैं कि कौन कौन से मैसेज आए किसने लाईक किया किसने किसको कमेंट किया…

अगर कुछ बनना है तो काम तो करना ही पडेगा …

महिला सशक्तिकरण के उपाय

वैसे  महिलाओं को आगे लाने के लिए बढावा देने के लिए समय समय पर हमारे देश में अभियान चलते रहते हैं इन्ही अभियानों से से एक है कुछ समय पहले एक अभियान चला था Selfie With Daughter..

फिर एक खबर पढने को मिली  हरियाणा में स्वतंत्रता दिवस पर हर गांव की जो सबसे ज्यादा पढी लिखी लडकी होगी वो अपने अपने  गांव में ध्वजारोहण करेगी.और सुमन ने देश का ध्वज फहराया

एक दूसरी खबर ने और भी ज्यादा आत्मविश्वास भरा कि गांव की सबसे पढी लिखी लडकी सुशीला को एक दिन का सरपंच बनाया …

मेरी भी बात हुई और उसने बताया कि कितना गर्व का पल था वो और इस मुहीम ने लडकी की पढाई को एक नया रुप दिया है … और आज एक और खबर पढने को मिली जिसने एक बार फिर मन में आत्मविश्वास  भर दिया ..

 

 

खबर रांची के पूर्वी सिंहभूम के दुरकु गांव की है वहां उच्च विद्यालय हाई स्कूल की  एक प्रतिभाशाली लडकी प्रियंका मुरमू  जोकि 14 साल की है एक दिन के लिए स्कूल की मानद प्राचार्य बनाया गया.. ‘बालिका सशक्तिकरण’ को लेकर हाई स्कूल में नया प्रयोग किया गया ..

अपने अनुभव को बयां करते हुए प्रियंका मुरमू ने कहा कि वह अपने अकादमिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करेगी और एक दिन वास्तव में इस पद तक पहुंचेगी …

सफल कैसे बने महिलाएं – सफल महिलाओं की 11 habbits – Monica Gupta

सफल कैसे बने महिलाएं – सफल महिलाओं की 11 habbits – successful ladies ki habit जिंदगी में हम सभी सफल होना चाह्ते हैं पर हमें ये नही पता होता कि सफल किस तरह read more at monicagupta.info

 

सांझा प्रयास करने से ही होंगें सिर्फ सरकार लागू कर दे इससे कुछ नही होगा और अच्छे और बेहतर भविष्य के लिए लडकियों को भी आगे आने होगा क्योकि गर्ल है तो कल है….कॉमन बात है पढाई

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आपको इस बारे में कुछ और भी पता हो तो जरुर बताईएगा ……

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना , बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इन हिंदी , बेटी स्पेशल स्टेटस, बेटियां शुभकामनाएं हैं , बेटी एक वरदान, शिक्षा का महत्व और बेटी पढाओ अभियान , जीवन में शिक्षा का महत्व, गर्ल है तो कल है , बालिका सशक्तिकरण , महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका, महिला सशक्तिकरण के उपाय, नारी सशक्तिकरण का महत्व, क्या नारी सशक्तिकरण वास्तव में हो रहा है, महिला सशक्तिकरण की अवधारणा , महिला सशक्तिकरण लेख , Beti bachao beti Padao (BBBP) Yojana (save daughter, educate daughter) to save and empower the girl child is making waves all over the nation. मातृ सैल्फी विद डॉटर कान्टैस्ट

 

May 7, 2017 By Monica Gupta 2 Comments

साहेब दास मानिकपुरी एक असाधारण शख्सियत

साहेब दास मानिकपुरी एक असाधारण शख्सियत

साहेब दास मानिकपुरी एक असाधारण शख्सियत- Saheb Das Manikpuri ek asadharan shakhsiyat – किसी का साधारण होना ही उसे असाधारण बना देता है .. और मैं आज ऐसी ही एक असाधारण प्रतिभा से आपको रुबरु करवा रही हूं जो बेहद साधारण कद काठी रंग रुप होते हुए भी फिल्मी दुनिया में अपनी आसाधारण छाप छोडने में सफल हो रहें हैं …

साहेब दास मानिकपुरी एक असाधारण शख्सियत

असल में, एक सीरियल देख रही थी May I Come in Madam उसमे एक हास्य पात्र हैं खिलौनी… जी, मैने कुछ गलत नही लिखा उनका नाम ही है खिलौनी … सीरियल में एक बहुत अच्छे और सच्चे दोस्त है हमेशा मदद के लिए भी तत्पर रहते हैं पर कुछ न कुछ गडबड हो ही जाती है और आप समझ ही सकते हैं कि अंत क्या होता होगा …

असल में, इस सीरियल के इलावा भी मैने उनके द्वारा किए गए बहुत सारे विज्ञापन देखे, सीरियल भी देखे, हर बार अपनी अलग पहचान और दर्शकों के दिल में अलग जगह बनाने में सफल रहे तो महसूस हुआ कि इनके बारे में और जाना जाए और मुझे बात करने का मौका मिला और खिलौनी जी उर्फ साहेब दास मानिकपुरी  जी से बात हुई और उन्होनें शूटिंग की अपनी भारी व्यस्तता के बावजूद् भी समय निकाला और शुरु हुआ बातों का सिलसिला…

बिल्कुल हंसते मुस्कुराते जैसा कि हमेशा हम अभिनय में देखते हैं … सबसे अच्छी बात मानिक जी में ये लगी कि वो बिल्कुल जमीन से जुडे कलाकार है … किसी भी तरह का अहम या धमंड उन्हें छू तक नही गया है जैसा कि इस industry में आमतौर पर देखने को मिलता है … और शायद यही साधारण बात उन्हें असाधारण बना रही थी …

 

(बालक साहेब उन की माता और भाई कुमार मानिकपुरी)

मानिक जी का जन्म 31 मार्च को रायपुर छत्तीसगढ़ के छोटे से गाँव भैंसा सकरी में हुआ . ये चार भाई बहन में सबसे छोटे और सबसे लाडले थे. बेशक शरारती थे पर किसी का नुकसान नही करते थे  . प्यार से इन्हें संजू नाम से बुलाया जाता.  पिता कोतवाल हुआ करते थे और मां घर का काम काज देखतीं.

अपने बचपन को याद करते हुए मानिक जी बताते हैं कि स्कूल जाने के लिए नाला पार करना पडता था आमतौर पर बच्चे साईकिल पर स्कूल जाते हैं वो साईकिल को अपने हाथों में उठा कर स्कूल जाते क्योकि नाला जो पडता था रास्ते में .. इसलिए साईकिल हाथों में उठा कर जाना पडता ..

बचपन का एक बहुत खास दोस्त था …कल्लू कुत्ता… वो हमेशा साथ रहता और माता जी का भी बहुत ख्याल रखता .. उन्होनें बताया कि जब वो बहुत छोटे थे तब एक बार गलत इलाज के चलते उनकी माता जी की आखों की ज्योति चली गई थी पर माता जी फिर भी घर का काम करती और किसी को अहसास नही होने देती कि उन्हें दिखाई नही दे रहा ऐसे समय में कल्लू उनका बहुत ख्याल रखता था …

मानिक जी ने बताया कि उनका गाँव भैंसा सकरी गांव नही बल्कि एक परिवार था …गाँव वालो के दुख हो या सुख हों सब सांझे होते थे. बचपन की बात को याद करते हुए उन्होनें बताया कि गाँव में एक अंकल को अधरंग हो गया पर पूरे गांव ने उनके खाने का जिम्मा ले लिया एक डुगडुगी बजाते निकल जाते और गांव वाले उन्हें खाना खिलाते …

वही गाँव की एक बुआ पर जब बहुत मुसीबत आन पडी तब वो लोगो के घर पर काम करती और सभी उसकी बढ चढ कर मदद करते … ये सब बचपन से देखा इसलिए आज भी मन में हमेशा किसी की मदद करने की भावना रहती है …

फिर बात हुई अभिनय की तो उन्होनें बताया कि कोई खास शौक नही था छोटा मोटा रोल कर लेते थे बडे होने पर जब आईटीआई में दाखिला लेने की बात  आई तो उनके बडे भाई कुमार मानिकपुरी जी जोकि मुम्बई ही रहते हैं उन्होनें मुम्बई बुला लिया पढने के लिए और उनके कहने पर वो मुम्बई आ गए…

May I Come in Madam

भाई के बारे में उन्होने बताया कि कि वो जाने माने लेखक हैं. उन्होने “माणिक खंड” लिखा है और अभी हाल ही में उन्होंने “श्रीमद्भगवत गीता की दोहा चौपाई में सरल टीका” की है जिसका जल्द ही प्रकाशन होने वाला है. उन्होनें बताया कि भाई ने बुलाया तो पढाई करने के लिए ही था पर वहां पर उन्होनें थिएटर ज्वाइन कर लिया …

सबसे पहले  इस्कॉन थिएटर ज्वाइन किया जहाँ कुछ नाटक किये फिर पृथ्वी थिएटर ज्वाइन किया…  थिएटर के दौरान बहुत कुछ सीखा.

अपने सबसे पहले नाटक को याद करते हुए उन्होनें बताया कि नाटक कंस वध था जिसमें वो कृष्ण के दोस्त मनसुख बने थे… बहुत खुशी की बात यह हुई कि उन्हें अभिनय के लिए मनोज बाजपेयी से अवार्ड मिला … जोकि निसंदेह एक मील का पत्थर साबित हुआ…

वहीं जब पहली बार कैमरा फेस करने की बात पूछी तो उन्होनें बताया कि उनका पहला सीरियल सी आई डी था … बहुत नर्वस थे पर धबराहट तो आज भी कोई रोल करते हुए होती है पर सब हो जाता है … बताते बताते मुस्कुराने लगे ..

उनकी फिल्मों में कुछ हैं … फँस गए रे ओबामा , मर्दानी , जयंता भाई की लव स्टोरी , रमैया वस्ता वैया और हिस्स आदि  हैं और सीरियल में तोता वेड्स मैना , ऍफ़ आई आर , भाभी जी घर पर हैं, मे आई कम इन मैडम  हैं इतना ही नहीं  फिल्मों के साथ साथ ऐड फिल्म्स यानि विज्ञापन भी खूब किए चाहे स्वच्छता अभियान पर हो या आधार कार्ड पर या शिशु आहार पर विज्ञापन बहुत सराहे गए खासकर वो विज्ञापन जिसमें श्री अमिताभ बच्चन और कंगना रनावत हैं.

 

अपनी एक फिल्म “रायता”के बारे में उन्होनें बताया कि फिल्म में वो  इरफ़ान खान के साथ काम कर रहें हैं. ये फिल्म पानी की समस्या और भविष्य में उपजे संकट के बारे में है.   इसके अलावा एक फिल्म टाइपकास्ट है ये  बुंदेलखंड की कहानी है और इस फिल्म में  श्रेयस तलपड़े लीड रोल में हैं फिल्म भी  मज़ेदार है और रोल भी बताते हुए वो फिर मुस्कुरा दिए.

जैसाकि मैं शुरु में ही बात कर रही थी कि उनके भीतर असाधारण सी शख्सियत की छाप देखने को मिली … जिस सादगी से,  जिस ईमानदारी से उन्होनॆं अपनी बातें बताई बहुत प्रभावित कर गई …

अब मेरा प्रश्न था कि क्या ये फिल्मी सफर आसान रहा … इस पर उनका सीधा सा जवाब था नही … क्योकि साधारण शक्ल सूरत बहुत साधारण थी … बहुत बार रिजेक्ट भी हुआ पर जिस भी काम को किया उसे बहुत मेहनत और ईमानदारी से दिल लगा कर किया … चाहे वो हास्य पात्र खिलौनी हो या विज्ञापन का भ्रष्ट अधिकारी जो पान खाकर पीक भी करता है या फिर एक पात्र जो लोटा लेकर जंगल जाता है और वातावरण अस्वच्छ कर रहा है…

अब उनकी शूटिंग का समय भी हो गया था  तो जाते जाते मैने एक बात और पूछी कि जो अभिनय के क्षेत्र में आना चाहते हैं उनके लिए आपका क्या संदेश है ..

उन्होने कहा कि जो भी आए उसका स्वागत है अभिनय करें पर थियेटर करते हुए और आगे बढें इसी के साथ साथ Patience  भी रखनी होगी ये नही कि इस सोच से आएं कि आज आए और कल हीरो बन जाएगें  ..

काम की बारीकी को समझ कर पूरी तरह से समर्पित होकर ही काम करना. इसी के साथ साथ सच्चाई , ईमानदारी से काम करते रहना और दूसरों का आदर मान करना और मान सम्मान देना बहुत जरुरी है…

उनकी शूटिंग शुरु होने वाली थी जाते जाते उन्होनें बताया कि बेशक मेरे गॉड फादर तो मेरे भाई साहब हैं पर दर्शकों का जो लगतार प्यार मिल रहा है उसके लिए मैं दिल की गहराईयों से उनका धन्यवाद करता हूं और यही कामना है कि प्यार और विश्वास ऐसे ही बनाए रखिएगा …

 

और  जाते जाते एक डायलॉग may I come in … अबे यार साजन क्या कह रहा है बे … और मुस्कुराते मुस्कुराते बाय बोला .. हमारी भी ऐसे असाधारण कलाकार को ढेर सारी शुभकामनाएं …

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साहेब दास मानिकपुरी एक असाधारण शख्सियत

(तस्वीरें गूगल से साभार )

May 7, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

एक छोटी सी बात -वो लडकी

इंसान और भगवान

एक छोटी सी बात – वो लडकी –  ek chhoti si baat woh ladki – एक अनुभव ऐसा भी –  daily life  यानि रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत बाते होती रहती है कई बातें , हमें तो  याद नही रहती पर दूसरे की जिंदगी में गहरा असर छोड जाती है ..chhoti si zindagi hai har baat mein khush raho..

एक छोटी सी बात – वो लडकी

आज मार्किट में एक लडकी ने आवाज दी तो मैने मुड कर देखा एक छोटी सी लडकी भागी आ रही थी मुस्कुराते हुए नमस्ते बोली तभी उसकी मम्मी दिखाई दी  बोली इसने दूर से आपको देख लिया था और आपसे मिलने के लिए मेरी उंगली छुडा कर भागी…

मुझे याद तो नही आया पर मैने पूछा कैसी हो आप ?? इस पर उसकी मम्मी बोली अब ये बिल्कुल ठीक है अब तो हर रोज स्कूल जाती है  और आपको बहुत याद करती है … बाते करते करते इस लडकी ने बोला की अब सूई से डर नही लगता बडे होकर ब्लड भी डोनेट करुगी जैसे ही उसने ब्लड डोनेशन का बोला मुझे याद आ गया कि ये कौन हैं … दो चार मिनट बात कर बाय बोल कर आगे चले गए … वो जा रहे थे और मुझे याद आई वो बात जब मैं इस लडकी से पहली बार मिली थी …

हुआ ये था कि कुछ समय पहले मेरी सहेली मणि को ब्लड टेस्ट के लिए एक लैब में जाना था … वो  मुझे अपने साथ ले गई … हम मणि के नम्बर की वेट कर रहे थे … मणि से पहले एक बहुत छोटी सी लडकी थी … ये लडकी वो ही थी जो आज मिली … लडकी को सूई से बहुत डर लग रहा था … करवाना नही चाह रही थी उसी में समय लग रहा था… उसकी मम्मी जिस तरह से उसे समझा  रही थी लग रहा था लग रहा है .. मैं उसकी फीलिंग्स  समझ गई और उसकी मम्मी की भी …

 

 

मैं लडकी के सामने गई उस समय लैब वाले  इंजेक्शन की तैयारी कर रहे थे. मैने बिन जाने पहचाने पूछा कि आप कौन सी क्लास में हो वो अपनी मम्मी का चेहरा देखने लगी … मम्मी ने इशारा किया तो वो बोली 2 क्लास में फिर मैने जब स्कूल पूछा और उसने नाम बताया तो मैने कहा कि अरे दीपिका भी उसी क्लास में पढती है क्या आप उसे जानते हो  ??

वो बोली दीपिका नही तो दीपांशी तो है मैने कहा कि हो सकता है कि घर पर उसे दीपिका कहते हो … उसके बाल बहुत लम्बे हैं और बहुत मोटी है … हमेशा अपने पास चाकलेट रखती है कहते कहते मैने उसके हाथ में छोटी सी चाकलेट थमा दी … इस पर वो बोली नही उसके तो बहुत छोटे बाल हैं और बातो बातों में डाक्टर सूई लगा चुके थे.

वो कुर्सी से उठ चुकी थी और उसकी मम्मी ने मुझे बताया कि इसे बहुत दिनों से बुखार चल रहा था इसलिए डाक्टर ने ब्लड टेस्ट  के लिए लिखा था पर उसे सूई से बहुत डर लग रहा था रात भर  ये सोई नही कि सूई लगेगी पर आपकी बातों की वजह से इतना आराम से सूई लगवा ली … कुछ हुआ तो नही ना … और वो चुपचाप कुर्सी से उतर गई …

मैने उसका गाल थपथपाया और बोला कि ये सूई से डरते नही है आप तो बहुत बहादुर बच्चे हो और बडे होकर ब्ळड भी तो डोनेट करना है … बेशक मैने ये बात नोर्मली कही थी पर उसके मन में कितनी गहराई तक है … आज उसे देखा तो याद आ गया …  ऐसी ही कोई बात आपके साथ भी हुई हो तो जरुर शेयर करना … कल फिर मिलूगी …

 

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May 5, 2017 By Monica Gupta 2 Comments

बच्चे की परवरिश में माता पिता का कर्तव्य – बच्चों को कैसे समझाए

 Art of Public Speaking in Hindi

बच्चे की परवरिश में माता पिता का कर्तव्य  – बच्चों को कैसे समझाए –  परवरिश की जिम्मेदारी माता पिता की है इसलिए स्मार्ट पेरेंटिंग या स्मार्ट पेरेंटस कैसे बनें परवरिश के कुछ सुझाव जरुर समझने चाहिए. Bacche ke parvarish mai mata pita ka kartavya

बच्चे की परवरिश में माता पिता का कर्तव्य  – बच्चों को कैसे समझाए 

कल एक जानकार घर आए हुए थे उनका बेटा 10 11 साल का है इसके पास छोटा सा वीडियो गेम था जब मैने दिखाने को कहा तो बेटे ने मना कर दिया … और मेरी known भी बहुत गर्व के साथ बोली मेरा बेटा अपनी कोई चीज किसी के साथ शेयर नही करता … उसे बताते हुए गर्व हो रहा था … अब बताईए क्या ये गर्व की बात है .. ?? जब माता पिता ही ऐसी बातों को बढावा देंगें तो बच्चा सही बाते कैसे सीखेगा …

जबकि हम माता पिता को बच्चे को mentally prepare करना चाहिए ये बच्चे को स्ट्रांग बनाने के लिए होती है ना कि कमजोर बनाने के लिए

 

 

सुनने में भले ही अच्छी ना लगे पर बच्चों को

1 चीजें शेयर करना आना चाहिए … अपनी चीजे शेयर भी करे और दूसरों की हेल्प भी करे…

2 बच्चों का friend बनना चाहिए ताकि आपसे हर बात शेयर करें और इधर उधर से अधकचरा ज्ञान  न मिले …

मेरी सहेली ने बताया कि वो प्लकिंग करती थी … चेहरे पर बाल … उनकी बेटी देखती वो बोलती अरी कुछ नही तू चल जा वहीं वो हर रोज पापा को शेव करते देखती उसे लगा कि एक बार ब्यूटी पार्लर मे जब गई वहा भी देखा कि लडकिया बाल निकलवा रही हैं शायद ये करना सभी को जरुरी होता होगा …

और एक बार  बच्ची ने उत्सुकता वश पापा का रेजर लेकर पूरे चेहरे पर लगा लिया … ऐसा दो तीन बार किया जब मम्मी को पता चला खूब पिटाई हुई…

3 नशे के बारे मे समय समय पर सचेत करते रहना चाहिए कि इससे दूर रहना चाहिए ..

4 लाईफ के बारे में बताए … बच्चों को प्रेरक कहानियां सुनाए और साथ ही साथ बताएं कि जिंदगी में उतार चढाव आते रहते हैं.. हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए

5  पैसे पेड पर नही लगते … उसे कमाने के लिए बहुत मेहनत करनी पडती है बातें तो और भी हैं फिलहाल इन बातों पर ध्यान दीजिए

6 ईमानदार सच्चाई , समय की वेल्यू जैसी बातें तो हम समझाते ही रहते हैं पर बच्चो के सुखद भविष्य के लिए उन्हें शारीरिक ही नही बल्कि मानसिक तौर पर भी मजबूत बनाना हमारा फर्ज है…

 

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही – माँ और बच्चे का रिश्ता – Monica Gupta

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही – माँ और बच्चे का रिश्ता – . how to make your child physically strong , Don’t make your child a coward, माँ और बच्चा read more at monicagupta.info

 

 

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May 4, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

मामला गड़बड़ है – निर्भया कांड और अदालत का धीमी गति का फैसला

मामला गड़बड़ है - निर्भया कांड और अदालत का धीमी गति का फैसला

मामला गड़बड़ है – निर्भया कांड और अदालत का धीमी गति का फैसला –  rarest of rare case का ये हाल है तो सोच लीजिए आम आदमी का क्या ?? वो कहां फरियाद लेकर जाए और कब तक इंतजार करेगा…

मामला गड़बड़ है – निर्भया कांड और अदालत का धीमी गति का फैसला

आज न्यूज सर्च करते करते अचानक एक खबर पर नजर ठहर गई … हैरानी हुई कि खबर निर्भया से जुडी थी कि देश को हिला देने वाले 16 दिसंबर 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले में चार दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट कल यानि शुक्रवार को अपना अहम फैसला सुनाएगा.

गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च  2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी. दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी .  देश भर को दहला देने वाली इस वारदात के बाद मुख्य आरोपी ड्राइवर राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित खुदकुशी कर ली थी जबकि नाबालिग अपनी तीन साल की सुधारगृह की सजा पूरी कर चुका है.

सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि गैंगरेप के दोषियों को फांसी की सजा मिलेगी या नहीं…

मामला गड़बड़ है – निर्भया कांड और अदालत का धीमी गति का फैसला

बात ये नही है कि फांसी मिलेगी या नही.. मैं ये सोच रही हूं कि कानून इतनी धीमी गति से काम करेगा तो कैसे बात बनेगी … अभी तो ये हाई प्रोफाईल और शायद rarest of rare cases केस था … तब ये हाल है हे भगवान !! बहुत सुधार चाहिए न्याय प्रणाली में ….!! खैर फिलहाल नजरे कल पर … !!! कडी सजा तो होनी ही चाहिए !!

निर्भया रेप कांड और हमारी कानून व्यवस्था

निर्भया गैंगरेप कांड – दोषी रिहा – Monica Gupta

निर्भया निर्भया गैंगरेप कांड – दोषी रिहा तीन साल बाद आखिर  निर्भया गैंग रेप कांड का सबसे जधन्य नाबालिग दोषी , अपराधी अपनी बाल सजा पूरी करके रिहा हो रहा है. इसे सिलाई मशीन तथा 10 हजार रुपये दिए जा रहे हैं ताकि अपना काम धंधा शुरु कर सके   – निर्भया की मां आशा … निर्भया गैंगरेप कांड – दोषी रिहा – Monica Gupta

 

निर्भया कांड और दोषी की रिहाई

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