साहेब दास मानिकपुरी एक असाधारण शख्सियत- Saheb Das Manikpuri ek asadharan shakhsiyat – किसी का साधारण होना ही उसे असाधारण बना देता है .. और मैं आज ऐसी ही एक असाधारण प्रतिभा से आपको रुबरु करवा रही हूं जो बेहद साधारण कद काठी रंग रुप होते हुए भी फिल्मी दुनिया में अपनी आसाधारण छाप छोडने में सफल हो रहें हैं …
साहेब दास मानिकपुरी एक असाधारण शख्सियत
असल में, एक सीरियल देख रही थी May I Come in Madam उसमे एक हास्य पात्र हैं खिलौनी… जी, मैने कुछ गलत नही लिखा उनका नाम ही है खिलौनी … सीरियल में एक बहुत अच्छे और सच्चे दोस्त है हमेशा मदद के लिए भी तत्पर रहते हैं पर कुछ न कुछ गडबड हो ही जाती है और आप समझ ही सकते हैं कि अंत क्या होता होगा …
असल में, इस सीरियल के इलावा भी मैने उनके द्वारा किए गए बहुत सारे विज्ञापन देखे, सीरियल भी देखे, हर बार अपनी अलग पहचान और दर्शकों के दिल में अलग जगह बनाने में सफल रहे तो महसूस हुआ कि इनके बारे में और जाना जाए और मुझे बात करने का मौका मिला और खिलौनी जी उर्फ साहेब दास मानिकपुरी जी से बात हुई और उन्होनें शूटिंग की अपनी भारी व्यस्तता के बावजूद् भी समय निकाला और शुरु हुआ बातों का सिलसिला…
बिल्कुल हंसते मुस्कुराते जैसा कि हमेशा हम अभिनय में देखते हैं … सबसे अच्छी बात मानिक जी में ये लगी कि वो बिल्कुल जमीन से जुडे कलाकार है … किसी भी तरह का अहम या धमंड उन्हें छू तक नही गया है जैसा कि इस industry में आमतौर पर देखने को मिलता है … और शायद यही साधारण बात उन्हें असाधारण बना रही थी …
(बालक साहेब उन की माता और भाई कुमार मानिकपुरी)
मानिक जी का जन्म 31 मार्च को रायपुर छत्तीसगढ़ के छोटे से गाँव भैंसा सकरी में हुआ . ये चार भाई बहन में सबसे छोटे और सबसे लाडले थे. बेशक शरारती थे पर किसी का नुकसान नही करते थे . प्यार से इन्हें संजू नाम से बुलाया जाता. पिता कोतवाल हुआ करते थे और मां घर का काम काज देखतीं.
अपने बचपन को याद करते हुए मानिक जी बताते हैं कि स्कूल जाने के लिए नाला पार करना पडता था आमतौर पर बच्चे साईकिल पर स्कूल जाते हैं वो साईकिल को अपने हाथों में उठा कर स्कूल जाते क्योकि नाला जो पडता था रास्ते में .. इसलिए साईकिल हाथों में उठा कर जाना पडता ..
बचपन का एक बहुत खास दोस्त था …कल्लू कुत्ता… वो हमेशा साथ रहता और माता जी का भी बहुत ख्याल रखता .. उन्होनें बताया कि जब वो बहुत छोटे थे तब एक बार गलत इलाज के चलते उनकी माता जी की आखों की ज्योति चली गई थी पर माता जी फिर भी घर का काम करती और किसी को अहसास नही होने देती कि उन्हें दिखाई नही दे रहा ऐसे समय में कल्लू उनका बहुत ख्याल रखता था …
मानिक जी ने बताया कि उनका गाँव भैंसा सकरी गांव नही बल्कि एक परिवार था …गाँव वालो के दुख हो या सुख हों सब सांझे होते थे. बचपन की बात को याद करते हुए उन्होनें बताया कि गाँव में एक अंकल को अधरंग हो गया पर पूरे गांव ने उनके खाने का जिम्मा ले लिया एक डुगडुगी बजाते निकल जाते और गांव वाले उन्हें खाना खिलाते …
वही गाँव की एक बुआ पर जब बहुत मुसीबत आन पडी तब वो लोगो के घर पर काम करती और सभी उसकी बढ चढ कर मदद करते … ये सब बचपन से देखा इसलिए आज भी मन में हमेशा किसी की मदद करने की भावना रहती है …
फिर बात हुई अभिनय की तो उन्होनें बताया कि कोई खास शौक नही था छोटा मोटा रोल कर लेते थे बडे होने पर जब आईटीआई में दाखिला लेने की बात आई तो उनके बडे भाई कुमार मानिकपुरी जी जोकि मुम्बई ही रहते हैं उन्होनें मुम्बई बुला लिया पढने के लिए और उनके कहने पर वो मुम्बई आ गए…
May I Come in Madam
भाई के बारे में उन्होने बताया कि कि वो जाने माने लेखक हैं. उन्होने “माणिक खंड” लिखा है और अभी हाल ही में उन्होंने “श्रीमद्भगवत गीता की दोहा चौपाई में सरल टीका” की है जिसका जल्द ही प्रकाशन होने वाला है. उन्होनें बताया कि भाई ने बुलाया तो पढाई करने के लिए ही था पर वहां पर उन्होनें थिएटर ज्वाइन कर लिया …
सबसे पहले इस्कॉन थिएटर ज्वाइन किया जहाँ कुछ नाटक किये फिर पृथ्वी थिएटर ज्वाइन किया… थिएटर के दौरान बहुत कुछ सीखा.
अपने सबसे पहले नाटक को याद करते हुए उन्होनें बताया कि नाटक कंस वध था जिसमें वो कृष्ण के दोस्त मनसुख बने थे… बहुत खुशी की बात यह हुई कि उन्हें अभिनय के लिए मनोज बाजपेयी से अवार्ड मिला … जोकि निसंदेह एक मील का पत्थर साबित हुआ…
वहीं जब पहली बार कैमरा फेस करने की बात पूछी तो उन्होनें बताया कि उनका पहला सीरियल सी आई डी था … बहुत नर्वस थे पर धबराहट तो आज भी कोई रोल करते हुए होती है पर सब हो जाता है … बताते बताते मुस्कुराने लगे ..
उनकी फिल्मों में कुछ हैं … फँस गए रे ओबामा , मर्दानी , जयंता भाई की लव स्टोरी , रमैया वस्ता वैया और हिस्स आदि हैं और सीरियल में तोता वेड्स मैना , ऍफ़ आई आर , भाभी जी घर पर हैं, मे आई कम इन मैडम हैं इतना ही नहीं फिल्मों के साथ साथ ऐड फिल्म्स यानि विज्ञापन भी खूब किए चाहे स्वच्छता अभियान पर हो या आधार कार्ड पर या शिशु आहार पर विज्ञापन बहुत सराहे गए खासकर वो विज्ञापन जिसमें श्री अमिताभ बच्चन और कंगना रनावत हैं.
अपनी एक फिल्म “रायता”के बारे में उन्होनें बताया कि फिल्म में वो इरफ़ान खान के साथ काम कर रहें हैं. ये फिल्म पानी की समस्या और भविष्य में उपजे संकट के बारे में है. इसके अलावा एक फिल्म टाइपकास्ट है ये बुंदेलखंड की कहानी है और इस फिल्म में श्रेयस तलपड़े लीड रोल में हैं फिल्म भी मज़ेदार है और रोल भी बताते हुए वो फिर मुस्कुरा दिए.
जैसाकि मैं शुरु में ही बात कर रही थी कि उनके भीतर असाधारण सी शख्सियत की छाप देखने को मिली … जिस सादगी से, जिस ईमानदारी से उन्होनॆं अपनी बातें बताई बहुत प्रभावित कर गई …
अब मेरा प्रश्न था कि क्या ये फिल्मी सफर आसान रहा … इस पर उनका सीधा सा जवाब था नही … क्योकि साधारण शक्ल सूरत बहुत साधारण थी … बहुत बार रिजेक्ट भी हुआ पर जिस भी काम को किया उसे बहुत मेहनत और ईमानदारी से दिल लगा कर किया … चाहे वो हास्य पात्र खिलौनी हो या विज्ञापन का भ्रष्ट अधिकारी जो पान खाकर पीक भी करता है या फिर एक पात्र जो लोटा लेकर जंगल जाता है और वातावरण अस्वच्छ कर रहा है…
अब उनकी शूटिंग का समय भी हो गया था तो जाते जाते मैने एक बात और पूछी कि जो अभिनय के क्षेत्र में आना चाहते हैं उनके लिए आपका क्या संदेश है ..
उन्होने कहा कि जो भी आए उसका स्वागत है अभिनय करें पर थियेटर करते हुए और आगे बढें इसी के साथ साथ Patience भी रखनी होगी ये नही कि इस सोच से आएं कि आज आए और कल हीरो बन जाएगें ..
काम की बारीकी को समझ कर पूरी तरह से समर्पित होकर ही काम करना. इसी के साथ साथ सच्चाई , ईमानदारी से काम करते रहना और दूसरों का आदर मान करना और मान सम्मान देना बहुत जरुरी है…
उनकी शूटिंग शुरु होने वाली थी जाते जाते उन्होनें बताया कि बेशक मेरे गॉड फादर तो मेरे भाई साहब हैं पर दर्शकों का जो लगतार प्यार मिल रहा है उसके लिए मैं दिल की गहराईयों से उनका धन्यवाद करता हूं और यही कामना है कि प्यार और विश्वास ऐसे ही बनाए रखिएगा …
और जाते जाते एक डायलॉग may I come in … अबे यार साजन क्या कह रहा है बे … और मुस्कुराते मुस्कुराते बाय बोला .. हमारी भी ऐसे असाधारण कलाकार को ढेर सारी शुभकामनाएं …
साहेब दास मानिकपुरी एक असाधारण शख्सियत
(तस्वीरें गूगल से साभार )
Mukesh says
best actor….
Heera Dass Panika says
ye jivan ek sangram hai yuddh ka maidan hai bina mehanat .,karya kiye kuchh nahi milta kuchh pane ke liye kuchh khona , kuchh karna padega.jo bhi aaj kisi achchhe ohade ya jagah me hain to samajhen o bahut kuchh khoya hai thanks