Monica Gupta

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February 6, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान और जागरुकता

रक्तदान और जागरुकताmonica surat
रक्तदान और जागरुकताmonica surat

रक्तदान और जागरुकता     monica surat

रक्तदान और जागरुकता

Blood Donation की जागरुकता  लोगो में बढ रही है और स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति लोगो को जागरुक कर रहे हैं.

सुरत में पिछले दिनों सुरत रक्तदान केद्र और रिसर्च सैटर द्वारा स्वैच्छिक रक्तदान कैम्प आयोजको की वर्कशाप का आयोजन किया गया

surat surat1

तमे केम छो

सूरत शहर के बारे में …

डायमंड और टेक्स्टाईल का शहर सुरत भले ही तीन बार बाढ और एक बार प्लेग का प्रकोप झेल चुका हो पर आज भी शान से खडा मुस्कुरा रहा है इसकी वजह ना सिर्फ यहा पर रहने वाले लोग है बल्कि प्रशासन और महानगर पालिका का भी विशेष सहयोग है. सभी का सहयोग मिलता है और मुसीबत जल्द ही छूमंतर हो जाती है ओह छू से याद आया… तमे केम छो… मजा मा…इतना ही नही यहां के लोगो को खाने का भी बहुत शौक है हर रविवार पूरा परिवार बाहर घूमने जाता है और ठेला हो या स्टाल सडक किनारे ही मजेदार जायके का आनंद लेता है.

खम्मणी,फाफडा,पात्रा,खांडवी,लोचा,खाकरा,इंदडा( बडी मुश्किल से नाम याद हुए वैसे कुछ नही भी हुए तो लिख लिए थे) खास भोजन है. वहा के लोग कहते है कि सुरत का जमण और काशी का मरण सब चाह्ते हैं.वैसे एक खाउ गली भी है वहां पर वहां जाना नही हुआ. कुल मिलाकर तापी और नर्मदा का शहर सूरत वाकई”खूबसूरत” है.सू छै !

 

surat3

 

 

February 3, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

Blood Donation and Way of Motivation

Blood Donation

Blood Donation and Way of Motivation

रक्तदान के प्रति लोगो का, और खास तौर पर युवा का रुझान हो और वो इसकी महता समझे. इस बात को ध्यान मे रख कर हमारी संस्था आईएसबीटीआई ISBTI  और ब्लड कनेक्ट Blood Connect  ने जिला रेड क्रास Red cross , कुरुक्षेत्र KUK  तथा कुरुक्षेत्र विश्वविधालय के साथ मिल कर कुरुक्षेत्र विश्विधालय के स्टेडियम मे एक विशाल रक्त  Blood Drop की बूंद बनाई जिसमे लगभग 3069 युवा खडे थे.

यह वो युवा थे या तो जिन्होने रक्तदान किया हुआ है या फिर वो रक्तदान के प्रति जागरुक है और अन्यो को इसकी महता समझाते हुए प्रेरित करते हैं. सभी हिस्सा लेने वाले युवाओ को लाल टी शर्ट तथा कैप दी गई ताकि दूर से यह एक विशाल रक्त की बूंद लगे.

यह वाकई मे एक सुखद अनुभव था.( विशालयकाय रक्त की बूंद तथा अन्य तस्वीर में कार्यक्रम के बाद रिलेक्स करते आईएसबीटीआई और ब्लड कनेक्ट की टीम

Making of Blood Drop

 

Blood Donation and Way of Motivation

Blood Donation and Way of Motivation

blood drop isbti kuk

 

January 22, 2016 By Monica Gupta 1 Comment

Blood Type Diet

Blood Type Diet photo

हमारा खान पान और  Blood Type Diet

क्या वाकई Blood Type Diet कुछ होता है इसकी मुझे जरा भी जानकारी नही थी. पर जब पता चला तो मैंं हैरान रह गई.  असल में, आज घर पर जानकार आए हुए थे. दोनो खाने के बेहद शौकीन .. उनके चक्कर मे हमारी भी over eating हो गई. पर उनका कहना था वो कितना ही खा ले पर उनका वजन नही बढता.

मेरे पूछने पर कि कैसे ?? तो उन्होंने बताया कि उनका ब्लड A positive है और इस ब्लड ग्रुप वाले कितना ही खा लें वजन नही बढता.हां, पेट जरुर constipated रहता है पर शरीर को शुद्द शाकाहारी ही suit करता है नॉन वेज बिल्कुल सूट नही करता.

Blood Type Diet photo

What to eat on the Blood Type Diet

अरे वाह !! ये सही है तभी वो दोनो पतले पतले पतले और स्मार्ट  से है मैनें पूछा कि क्या मेरा भी बता सकते हैं मेरा O Positive  है ब्लड ग्रुप .. इस पर वो बोली कि गोभी फैमिली सूट नही करती.  वो नही खाना और non veg  सूट करता है जरुर खाना चाहिए … मैनें कहा नॉन वेज को तो दूर से ही प्रणाम है कुछ शुद्द शकाहारी हो तो बताओ … वो बोली भई सूट तो वही करेगा पर चलो कोई बात नही अगर नॉन वेज नही खाना तो हलका खाना चाहिए और रात को तो बिल्कुल ही लाईट लेना ठीक रहेगा … !!

इनका वजन जितनी जल्दी बढता है उतनी ही जल्दी धटता भी है.मुझे मजा आ रहा था इसलिए मैने और बातें भी जाननी चाही तो उन्होनें बताया कि B ग्रुप वालो को हर तरह की दाल और चावल  खाने चाहिए और काला चना बहुत माफिक आता है और इनका वजन बहुत मुश्किल से धटता है

AB पॉजिटिव वालो  fermentation iteams like  इडली, ढोकला टाईप चीजे बहुत सूट करती हैं वो नॉन वेज या वेज कुछ भी खाए सब सूट करता है हालाकि ये पक्का तौर पर नही है पर आमतौर पर उन्हें ऐसी ही चीजे सूट करती हैं यानि कि ये A और B दोनों का मिश्रण हैं जबकि Negative ब्लड ग्रुप वालो को दूध और पनीर की चीजे ज्यादा माफिक नही आती.

बाते तो बहुत रोचक हो रही थी पर डिनर का टाईम भी हो रहा था . ज्यादा वजन न बढ जाए इस चक्कर में मैने खिचडी बनाना ही उचित समझा इस पर वो बोली कि ठीक है अपने लिए यही बना लो पर वो तो आलू गोभी की परौंठी ही लेंगी आज सुबह भी बहुत टेस्टी बनाई थी ..

मैं सोच रही हूं हे भगवान !! मेरा ब्लड ग़्रुप ए क्यो नही !!!

 

 

Photo by maheshmedindia

Photo by sevendouse

December 16, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान महादान-रक्तदान की महत्ता

make a wish

 

रक्तदान महादान-रक्तदान की महत्ता

बेशक, रक्तदान महादान है और हम मे से बहुत लोग  इसकी महत्ता समझते हैं और दिन रात इस क्षेत्र में काम करते जा रहे हैं. कुछ रक्तदान करके कुछ दूसरो को प्रेरित करके तो  कुछ रक्त का बहुत मेहनत से बंदोबस्त करवाते हैं ताकि अनमोल जिंदगियां बचाई जा सकें तो  कुछ मरीजो की इच्छा पूरी करके उन मे जीने की नई भावना जगाते है.  आज सुबह एक खबर टीवी पर देखी तो खुशी से आखॆ नम हो गई. आठ साल का बच्चा जोकि दूसरी क्लास में पढता है उसे थैलीसीमिया है और मेक ए विश फाउंडेशन संस्था ने उसे हैदराबाद का  एक दिन का पुलिस कमिशनर बनाया.

इस तरह के प्रयास यकीनन काबिले तारीफ है और ऐसे होते रहने चाहिए  मन खुश हुआ ही था कि तभी दैनिक भास्कर (सिरसा) में एक खबर पर नजर पढी कि सरकारी अस्पताल में  ब्लड बैंक में फोन ही नही … जरुरत पडने पर बैंक ही जाना पडता है जबकि हमारा सिरसा  तो रक्तदान में अलग मिसाल कायम कर चुका है लिम्का ही नही बल्कि गिनीज वर्ड बुक आफ रिकार्ड में नाम है  और यहां ढेरों स्वैच्छिक रक्तदाता हैं और रक्तदान के प्रति जबरदस्त जज्बा देखने को मिलता है पर इस तरह की खबरे यकीनन मनोबल कम कर देती हैं…!! हालाकि खबर में यह भी बताया गया कि मोबाईल नम्बर भी है पर फिर भी रक्त के लिए अस्पताल ही आना पडता है.

छोटी मोटी बाधाए हटा कर ,रक्तदान के क्षेत्र में हम सभी को मिल जुल कर लगातार सार्थक प्रयास  करने होंगें चाहे वो आम आदमी हो या सरकारी तंत्र …  तभी रक्त की कमी को खत्म कर पाएगें  .. अन्यथा …!!!

 

sirsa blood phone

रक्तदान महादान-रक्तदान की महत्ता

November 27, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान और अमिताभ बच्चन

रक्तदान और अमिताभ बच्चन

रक्तदान और अमिताभ बच्चन (एक खुलासा) हेपिटाइटिस बी और बिग बी की वैक्सीन को लेकर जागरुकता

स्वैच्छिक रक्तदान की जागरुकता के लिए ,मैं, अक्सर अपनी मोटिवेशनल स्पीच में ,बच्चन साहब के नाम को भी लेती हूं कि इन्हें भी रक्त की जरुरत पडी थी. रक्त की जरुरत किसी को भी कभी भी पड सकती है  इसलिए स्वैच्छिक रक्तदान की महत्ता समझ कर  इसे नियमित करते रहना चाहिए ताकि हम किसी की अनमोल जिंदगी बचा सकें . पर, आज, जब अमिताभ बच्चन जी ने अपने स्वास्थ्य को लेकर एक बड़ा और गंभीर खुलासा किया कि वो 20 सालों से हेपिटाइटिस बी से जूझ रहे हैं.

रक्तदान और अमिताभ बच्चन

1982 में फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान लगी चोट के बाद उन्हें 200 लोगों का कुल मिलाकर करीब 60 बोतल खून चढ़ाया गया था, जिनमें से एक डोनर का खून हेपिटाइटिस बी के वायरस से संक्रमित था। इसकी ख़बर उन्हें 18 साल बाद लगी. उनका 75 फीसदी लि‍वर संक्रमित हो चुका है और सिर्फ एक चौथाई हिस्सा ही काम कर रहा है और वो सिर्फ़ 25 फ़ीसदी के सहारे जी रहे हैं.

(गूगल सर्च से साभार तस्वीर)

रक्तदान और अमिताभ बच्चन

रक्तदान और अमिताभ बच्चन

 

सुनकर  बेहद हैरानी और दुख हुआ. सोचने की बात ये है कि इसमें अमिताभ जी का क्या दोष ??? वो बेकसूर होते हुए भी एक ऐसी सजा भुगत रहे हैं जो कसूर उन्होनें  कभी किया ही नही.

 बेशक, यह बात उन्होने टीका करण यानि  वैक्सिनेशन की जागरुकता  के संदर्भ मे कही हो पर इस बात से मेरे मन में एक और ही बात उभर कर आई और वो है रक्तदान के प्रति जागरुकता का अभाव. चाहे वो ब्लड बैंक हो, टैक्नीशियन हो आम रक्तदाता… सभी को, अलग अलग क्षेत्र में,  रक्तदान के के बारे में  जानकारी का अभाव है जिसके चलते ऐसी धटनाए देखने को मिलती हैं.

बेहद गम्भीर  और चिंता का विषय  है क्योंकि ऐसा सुनकर जिन्हें हम रक्तदान के लिए प्रेरित करते हैं वही पीछे हट जाते हैं और वैसे भी हमारे इस सिस्टम में इतनी खामियां हैं कि  रक्तदान के लिए लोगो को प्रेरित करना दिन प्रतिदिन बहुत मुश्किल होता जा रहा है.

रक्तदाता को भी समझना होगा कि रक्तदान करते समय किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी हैं रक्तदान से पहले फार्म को भली प्रकार से पढ कर ही रक्तदान करना चाहिए ताकि बाद में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पडे.

ब्लड डोनेशन कैम्पस में भी बजाय अपना टारगेट पूरा करने के रक्तदाताओं का होमोग्लोबिन और  भार इत्यादि भली प्रकार चैक करना चाहिए और इस बात का भी ध्यान देना चाहिए कि वो ना सिर्फ फार्म पढे बल्कि सच्चाई से उस पर अम्ल भी करें अगर कोई पीलिया आदि जैसी बीमारी है तो  उसे छिपाने के बजाय डाक्टर को बताए.

बेशक , स्वैच्छिक रक्तदान के लिए बहुत लोग, संस्थाए दिन रात काम  कर रही हैं. कुछ गैरसरकारी अस्पताल भी ऐसे हैं जहां ब्लड टेस्ट बहुत अच्छी प्रकार किया जाता है ताकि रक्त जांच में किसी तरह की कोई कमी न रह जाए. इतना ही नही, यहां तक की हीमोफीलिया और थैलीसिमिया की बीमारी से पीडित  मरीज भी स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति जागरुकता फैलाने का काम कर रहे हैं ताकि जनता जागरुक हो और उनका जीवन क्रम चलता रहे .

 इस बात में भी कोई दो राय नही कि इन सभी के ऐसे प्रयासों से, जागरुकता की वजह से अनगिनत लोगो की जिंदगियां भी बच रही हैं पर फिर भी रक्तदान के क्षेत्र में हम बहुत पीछे हैं बहुत कार्य करना है, बहुत प्रयास करना है और सफर बहुत लम्बा है …!!

डाक्टर से लेकर ब्लड बैंक और  टेक्नीशियन स्टाफ मे पारदर्शिता और हम रक्तदाताओं में  जागरुकता जब तक  नही आएगी हम उस लक्ष्य को नही जीत सकते जिसमे हम कहते हैं हमारे देश में खून की कमी से कोई नही मरना चाहिए और शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदाता हो ..

इसके लिए रक्तदान की सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को आगे आकर आम जन जागरुक करना होगा. जन साधारण की सभी भ्रांतियां और सभी प्रश्नों के उत्तर देने होगें ताकि भविष्य में कोई संशय न रहे. युवा वर्ग को रक्तदान के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना होगा.

मात्र रक्तदान करना ही नही बल्कि रक्तदान के प्रति जागरुकता लाना ही हमारा परम कर्तव्य होना चाहिए.

रक्तदान और अमिताभ बच्चन  लेख के बारे में आपकी क्या राय है जरुर बताईएगा … !!

टैटू गुदवाना और रक्तदान – Monica Gupta

टैटू गुदवाना और रक्तदान – 14 जून यानि World Blood Donor Day पर मैं कुछ लिखने का सोच ही रही थी कि घर पर जानकार आ गए बातो में उन्होने बताया कि उनकी fiancee read more at monicagupta.info

 

October 2, 2015 By Monica Gupta

रक्तदाता और सफलता की कहानी

 

r saini kuk

r saini kuk

 

रक्तदाता और सफलता की कहानी

अगर बात हो निस्वार्थ स्वैच्छिक रक्तदान की तो हरियाणा के राजेन्द्र सैनी का नाम आगे आता है.

हरियाणा के जिला  कुरुक्षेत्र में रक्तदान से सम्बंधित एक कार्यक्रम चल रहा था. स्टेज पर जो भी वक्ता आ रहे थे सभी राजेंद्र सैनी का धन्यवाद और आभार प्रकट कर रहे थे कि आज रक्तदान के क्षेत्र मे रक्तदाता या कैम्प आयोजक या प्रेरक वो जो भी कुछ  है  सब राजेंद सैनी जी  की वजह से हैं.सभी के मुंह से यह बात सुनकर एक उत्सुकता सी बनी हुई थी कि आखिर सैनी जी है कौन  क़िस तरह का काम कर रहे हैं. खैर मीटिंग खत्म हुई और मुझे मौका मिला. सैनी साहब से बात करने का.

न्यू पिंच ने बदल दी दुनिया

1 जून 1962 को पुंडरी मे जन्मे राजेंद्र सैनी आज पूरी तरह से रक्तदान केप्रति समर्पित है. इतना ही नही इनके  परिवार  परिवार म्रे बेटा और बेटी भी रक्तदाता है. मेरे पूछ्ने पर कि रक्तदान के प्रति ऐसी प्रेरणा कब आई तो उन्होने बताया सन 1998 मे रक्तदान मे मीटिंग के दौरान  एक बार उन्होने श्री युद्दबीर सिह ख्यालिया को सुना और रक्तदान के बारे मे उनकी बाते सुनकर उनकी सोच बदली और उन्होने मन ही मन प्रण किया कि वो भी रक्तदान करेंगें. बाकि तो सब ठीक था बस एक ही जरा सी अडचन थी कि उन्हे सूई से डर लगता था. हालाकिं वो बच्चो या बडो को रक्तदान के प्रति जागरुक करते रहते थे कि सूई से जरा भी डर नही लगता पर खुद सूई फोबिया से बाहर नही निकल पा रहे थे.

एक दिन एक कैम्प के दौरान मन बना पर फिर डर गए और सोचा कि किसी लैब मे ही जाकर चुपचाप रक्तदान करके आंऊगा क्योकि अगर यहां  रक्तदान कैम्प मे वो रक्तदान करते समय डर के मारे चिल्ला पडे तो दूसरे लोग उनके बारे मे क्या सोचेगें पर शायद उस दिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था. डाक्टर ने उनकी भावनाओ को समझा और उन्हे बातो मे लगा कर उन्हे लिटाया और  सूई लगा दी. जब रक्तदान करके वो उठे  तो नई स्फूर्ति का उनके अंदर संचार हो रहा था, उस समय का अनुभव बताया कि दर्द तो महज इतना ही हुआ जितना  कोई नई कमीज पहनता है और उसके दोस्त उसे न्यू पिंच बोलते. 

दूसरे शब्दो मे यह न्यू पिंच ही था जिसने एक नई दिशा दी और वो और भी ज्यादा विश्वास से भर कर लोगो को रक्तदान के प्रति जागरुक करने मे जुट गए. तब का दिन है और आज का दिन है. आज सैनी जी 49 बार रक्तदान कर चुके हैं और न्यू पिंच से प्यार हो गया है. उन्होने बताया कि रक्तदान मे अर्धशतक तो लग चुका है पर  बस अब वो  शतक लगना चाहते हैं. उन्होने बताया कि लोगो को प्रेरित करना और वो प्रेरित हुए  लोग  आगे लोगो को प्रेरित करके मुहिम जारी रखे तो एक सकून सा मिलता है. बहुत अच्छा लगता है. जब  एक दीए से दूसरा दीया जगमग करता है तो दिल को खुशी मिलती है जिसका बयान शब्दो मे नही किया जा सकता.

अपनी बिटिया श्वेता के बारे मे उन्होने बताया कि जब उनकी बिटिया पहली बार रक्तदान के लिए गई तो डाक्टर ने बोला कि वजन कम है  वो रक्तदान कर  नही पाएगी. इस पर वो काफी मायूस हो गए पर आधे धटे बाद जब देखा तो वो रक्तदान करके बाहर आ रही थी इस पर जब उन्होने हैरानी जाहिर की तो श्वेता ने बताया कि उसने 5-6 केले खा लिए थे और रक्तदान कर के आई है. उसके चेहरे से जो खुशी झलक  रही थी वो आज भी भुलाए नही भूलती.

मैने जब उनसे पूछा कि कार्यक्रम के दौरान जब सभी उनका नाम ले कर सम्बोधितकर रहे थे तो वो कैसा महसूस कर रहे थे इस पर वो बोले कि खुशी तो हो रही थी एक नया संचार सा शरीर मे भर  रहा था पर दूसरी तरफ अच्छा भी नही लग रहा था. कारण पूछ्ने पर उन्होने बताया कि कही दर्शक यह ना सोचे कि मैंने  ही उन्हे कहा है कि  मेरे बारे मे भी जरुर कहना. उनकी बात सुनकर मै मंद मंदमुस्कुरा उठी क्योकि मैने खुद सुना कि लोग पीठ पीछे भी उनकी तारीफ कर रहेथे. आखिर नेक काम की अच्छाई तो छुपाए नही छिप सकती.

आज रक्तदान के क्षेत्र मे हरियाणा के  राजेंद् सैनी अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. पीजीआई रोहतक से उन्हे कैम्प आयोजक रुप मे दो बार सम्मान मिल चुका है और फस्ट एड ट्रैनर यानि प्राथमिक चिकित्सक ट्रैनर  व रक्तदाता के रुप मे वो महा महिम बाबू परमानंद, डाक्टर किदवई और श्री धनिक लाल मंडल से सम्मानित हो चुके है. राजेंद्र सैनी  दिन रात इसी उधेड बुन मे रहते है  कि किस तरहलोगो को जागरुक करे और उन्हे मोटिवेटर बनाए ताकि वो इसका संदेश आगे औरआगे फैलाते रहें. भले ही राजेंद्र सैनी आज 52 साल के हो चुके हैं पर खुद को वो नौजवान ही मानते है उनका कहना है कि रक्तदाता कभी बूढा नही होता वो हमेशा जवान ही बना रहता है.उनकी भाषा मे ‘ तो आप न्यू पिंच कब करवा रहे हैं”  !!!!

हमारी ढेर सारी शुभकामनाएं !!! 

रक्तदाता और सफलता की कहानी

 

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