Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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December 12, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

आँखों देखा झूठ भी हो सकता है

 Art of Public Speaking in Hindi

आँखों देखा झूठ भी हो सकता है – अक्सर हम सोचते हैं कि आखों देखा सच ही होता है पर कई बार आखों देखा झूठ या गलत भी हो सकता है यानि  कई बार हम जो देखते हैं वो सब सच नही होता..

आँखों देखा झूठ भी हो सकता है

बात् कुछ दिन पहले की है पर शेयर मैं आपसे आज कर रही हूं कई बार हम जो देखते हैं वो सच नही होता … पहले मै भी यही सोचती थी कि जो देखा वही सच होता है कुछ ऐसा हुआ कि लगने लगा कि किसी बात पर फैसला या निणर्य लेने से पहले उसकी जांच जरुर कर लेनी चाहिए …

असल में मेरी सहेली मणि ने बताया कि वो अपने पडोस वाली आंटी से नाराज है क्योकि दो तीन दिन से जब भी वो स्माईल देती है वो जवाब ही नही दे रहीं इसलिए … अब वो उनसे कभी बात नही करेगी मैने मणि से पूछा कि क्या कोई बात हुई तो वो बोली कि उससे तो कोई बात हुई नही.. तो मैने कहा कि फिर ऐसे मत करो और हम उनके घर गए …

आंटी बहुत प्यार से मिले हम दोनों से और उन्होने बताया कि आजकल उनकी आखें बहुत कमजोर हो गई हैं … नजर कम आता है … वजह हमें पता चल गई थी … तो हम कुछ देर बैठ कर बात करके वापिस घर आ गए … मणि भी बहुत खुश हुई कि कोई बात ही नही थी और उसने बात का बतगंड बना दिया था… फिर उसने मुझसे कहा कि मैं इतनी कोंफिडेट कैसे थी …

तो मैने बताया कि मेरे साथ भी कुछ ऐसा हुआ कि मुझे लगा कि हर देखी भाली चीज सच नही होती … उसकी गहराई तक जरुर जाना चाहिए

 

 

ऐसा भी होता है 

मणि को बताया कि बात कुछ महीने पहले की है जब मैं सुबह शाम पौधो को पानी देती थी तो घर के सामने से कुछ कॉलिज के लडके जाया करते और अक्सर शोर मचाते भागते और क्या बोलते थे कि …

अरे देख खडी है क्या वो कही चली तो नही गई …

यार मैं क्या करुगा … कल भी नही मिली थी वो …

पहले तो मुझे समझ नही आया पर जब समझ आया कि कॉलिज के लडके हैं  और लडकियों के लिए बात करते हैं …  मुझे बहुत गुस्सा आता कि पढने की उम्र है और आवारा गर्दी करते हैं ये करीब मैं एक हफ्ते तक देखती रही कि …

देख यार खडी है ना और हंसते भागते चिल्लाते  भागते चले जाते … मनि चुपचाप मेरी बात सुन रही थी … पहले मैने सोचा कि पुलिस को शिकायत करती हूं पर क्योकि मैं रिपोर्टर भी रही हूं तो सोचा कि क्यू ना पहले खुद ही तहकीकात करती हूं

और रंगें हाथ पकडवाऊगी एक दिन जब उनके लौटने का समय था तो मैं चुपचाप उनके पीछे हो गई … वो वैसे ही मस्ती मे बाते करते चिल्लाते जा रहे थे… हाथों में किताबें थी …

तभी मैने देखा कि एक चिलाया अरे वो खडी है जल्दी आ … नही तो चली जाएगी … मैं और आगे गई तो देखा वो बस थी प्राईवेट बस … दो लडके बात कर रहे थे कि अगर दो और आ जाए तो गांव से पढने वाले बच्चे भी ज्यादा हो जाएं पर बस हैं ही नही … एक मुश्किल से मिलती है … तब मैं सोचने लगी कि मैं कितनी गलत थी…

बस तभी से सोच लिया था कि हर चीज जो हम देखते हैं सच नही होती …

इसलिए किसी निर्णय पर पहुचने से पहले हकीकत जांच लेनी चाहिए … अगर आप भी किसी के बारे में कोई राय बना चुके हैं तो एक बार …

Dear Parents Your Kind Attention Please – Monica Gupta

Dear Parents Your Kind Attention Please- परीक्षा की तैयारी के दौरान माता पिता यानि पेरेंटस यानि अविभावक ध्यान दें कि बच्चों के लिए परीक्षा के कठिन दिन से Dear Parents Your Kind Attention Please – Monica Gupta

 

आँखों देखा झूठ भी हो सकता है –

December 10, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

प्रेरक लघु कहानी – अपने आपको कम नही आंकों

रक्तदान और महिलाए

अपने आप को कभी कम मत आंकिए – एक प्रेरक कहानी – जिंदगी में कई बार ऐसे अक्सर आते हैं जब हम अपने आपको कम आंकने लगते हैं और कहते हैं कि हमारी कोई वैल्यू नही … पर ये सही नही है … अपनी कद्र करना सीखिए … एक प्रेरक कहानी

प्रेरक लघु कहानी – अपने आपको कम नही आंकों

मेरी एक जानकार का बेटा पेपर में नकल करते हुए पकडा गया… जिससे वो बहुत उदास हो गया उसे स्कूल जाने में, दूसरो का सामना करने में शर्म आने लगी कि क्या कहेंगें… दुनिया में कितने लोग हैं कोई न कोई काम करते हुए गलती हर एक से होती है और होनी भी चाहिए नही तो सीखेगें कैसे पर गलती होने पर अपने आप को बंद कर लेना अपने आपको कोसना जरा भी सही नही है… जरुरी है कि गलती से सबक लें और वो गलती न दोहराएं … पर अपनी वैल्यू कम आंकना सही नही है…

प्रेरक लघु कहानी – अपने आपको कम नही आंकों

एक प्रेरक लघु कहानी –

… चलिए अपनी बात समझाने के लिए मैं आपको एक कहानी सुनाती हूं ये मैने बहुत समय पहले पढी थी … एक सेमीनार हो रहा होता है वहां जो स्पीकर हैं  उनके हाथ में 100 रुपए होते हैं वो उसे लहरा कर पूछते हैं कि कौन लेना चाहेगा ,… कृपया अपने हाथ ऊपर कर ले| वहां पर मौजूद सभा में सभी लोगो में अपने हाथ ऊपर उठा लिए|

फिर वो कहते हैं कि ओके एक मिनट फिर वो नोट को मरोड़ना शुरु कर देते हैं जिससे एक साफ सुथरे प्लेन से नोट में सलवट पडनी शुरु हो हाती है… वो फिर उसी नोट को हवा में लहरा कर पूछते हैं कि अब कौन लेगा … फिर से सभी लोगों में अपने हाथ ऊपर कर लिए| फिर स्पीकर बोलते हैं अच्छा एक मिनट और फिर उस नोट को जमीन पर गिरा कर उसे पैर से दबाने लगते हैं और फिर हाथ में लेकर हवा में लहराते हैं कि अब बताईए नोट कौन लेगा … “क्या अब भी इस नोट को कोई लेना पसंद करेगा?”

देखते ही देखे एक बार फिर से सभी लोगों ने अपने हाथ ऊपर उठा लिए| उस समय स्पीकर कहते हैं कि आपको सबक मिला … सब हैरान की इसमे क्या सबक था … तो वो बताते है कि हमारी वेल्यू इस सौ रुपये की नोट की तरह है… जैसे जिंदगी में अपस डाउन आते हैं … हम गंदे भी हो जाते है जैसा नोट हुआ पर उसकी वेल्यू तो कम नही हुई ना … जितने हाथ पहले खडे थे उतने ही बाद में खडे हुए

कुछ लोग अपनी हार से डर कर अपने आप को बहुत छोटा महसूस करने लगते है उन्हें अपनी ताकत को पहचानना चाहिए. यही सीख मिलती है कि हमारे साथ किसी भी तरह की परिस्थिति क्यों ना आ जाये| हमें अपनी कीमत, अपनी लग्न और मेहनत पर विश्वास होना चाहिए|

तो उदास होकर बैठने की बजाय हंसना मुस्कुराना चाहिए जैसे  जैकी चैंग की मूवी के अंत में  में गलतियां दिखाते हैंं और सभी एंंजावय करते हैं बिल्कुल वैसे ही

Dear Parents Your Kind Attention Please

 

जो हो गया सो हो गया / जो खो गया सो खो गया/ जो खोट थी वो गल गई जो शेष है वो स्वर्ण है…

, prerak laghu katha
कद्र करना , वैल्यू करना सीखें , अपनी वैल्यू करना सीखिए,
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प्रेरक लघु कहानी – अपने आपको कम नही आंकों के बारे में आपके क्या विचार हैं … ???

December 9, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

Dear Parents Your Kind Attention Please

 Art of Public Speaking in Hindi

Dear Parents Your Kind Attention Please- परीक्षा की तैयारी के दौरान माता पिता यानि पेरेंटस यानि अविभावक ध्यान दें कि बच्चों के लिए परीक्षा के कठिन दिन से बच्चों को आप ही उबार सकते हैं.

Dear Parents Your Kind Attention Please

थोडी देर पहले मैं अपनी जानकार के घर से खराब मूड वापिस आई वजह है कि उसके दोनो बच्चों के एक 4 और दूसरा 7 क्लास में है… पेपर यानि एग्जाम शुरु हो गए हैं और घर पर जेल जैसा माहौल है… टीवी बंद … नेट बंद बच्चों को कमरे में बंद न कही आना जाना बस पढाई पढाई और पढाई मम्मी पापा चाह्ते हैं कि बच्चे फर्स्ट आएं … बहुत अच्छी बात है उम्मीदे रखते ही हैं पर जब बच्चों से बेस्ट ऑफ लक कहने के लिएगई तो दोनो बहुत तनाव में नजर आए … बेटी ने बोला कि कुछ याद ही नही हो रहा ऐसा लग रहा है कि दिमाग एकदम ब्लैंक है … मम्मी ने और ज्यादा सख्ती कर दी …

परीक्षा की तैयारी – कृपया ध्यान दें – परीक्षा के कठिन दिन. परीक्षा और विद्यार्थी, बच्चों और पालकों , परीक्षा और पालक, परीक्षा के दिनों में बच्चे से कैसे पेश आएं, माता पिता, माता पिता कृपया ध्यान दें, परीक्षा के दिन , परीक्षा का पहला दिन, परीक्षा का भय , परीक्षा के कठिन दिन , परीक्षा एक मुसीबत , एग्जाम फोबिया ,एग्जाम फियर , एग्जाम रिजल्ट

 

   DC कोटा ,  श्री रवि कुमार सुरपुर का पत्र पेरेंटस के नाम 

पांच पेज का लैटर DC कोटा राजस्थान के हैं श्री रवि कुमार सुरपुर उन्होने लिखा कोटा जंहा ज्यादातर बच्चे कोचिंग के लिए जाते हैं और प्रेशर की वजह से कुछ बच्चों ने sucide कर लिया था…उन्होने क्या सलाह दी ..

उन्होने लिखा था कि वो चाइल्ड मैनेजमेंट का एक्सपर्ट नहीं हैं, लेकिन अपने अनुभव के आधार पर यह सब लिख रहें हैं ‘बच्चों को बेहतर प्रदर्शन के लिए डराने धमकाने या फिर अपेक्षाओं का बोझ लादने की जगह आपके सांत्वना के बोल जरूरी हैं। नतीजों को भूलकर बेहतर करने के लिए प्रेरित करना, मासूम कीमती जानें बचा सकता है।’ माता पिता को बच्चों की तरह अपरिपक्वता नही  दिखानी चाहिए ‘महज परीक्षा पास कर लेना ही सबकुछ नहीं होता। अपनी अपेक्षाओं और सपनों को जबरन अपने बच्चों पर नहीं थोपें, बल्कि बच्चे जो करना चाहते हैं, जिसे करने के काबिल हैं उन्हें वही करने दें। उनकी क्षमता के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें।’  इंजीनियरिंग और मेडिकल को अपना करियर बनाने के अलावा अन्य विकल्पों की ओर भी ध्यान देना चाहिए और सबसे आखिर में प्र्रेंटस को मैसेज दिया कि, ‘दुनिया के सबसे बेहतर पैरंट्स आप बनें।’

समय का महत्व – एक छोटी सी कहानी

ये आप नेट पर भी सर्च कर सकते हैं वाकई एग्जाम हौव्वा नही है इसलिए गुस्सा, मार पिटाई ठीक नही … पेरेंटस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.

मैं बस एक ही बात कहना चाहूंगी …

इस दुनिया में कुछ अच्छा रहने दो बच्चों को बस बच्चा रहने दो …

जरुर सोचिऎ और अपने बच्चों को ढेर सारा ढेर सारा प्यार दीजिए …

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December 8, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

नशे की चाहत – सिगरेट पीने से लाभ नही होता

मटके का पानी छी होता है क्या

नशे की चाहत – सिगरेट पीने से लाभ नही होता .. नशे के कितने नाम हैं … नशाखोरी , युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति , युवाओं में नशे की लत , नशाखोरी और देश का युवा , नशाखोरी के दुष्परिणाम , नशे की लत , नशे की गिरफ्त में , सिगरेट पीने से लाभ , सिगरेट के नुकसान,nashe ki chahat , नशा कैसे छोङे – सिगरेट पीने से लाभ नही होता आदि आदि … पर सोचने वाली बात ये है कि हम कितना जागरुक है इसे लेकर …

नशे की चाहत – सिगरेट पीने से लाभ नही होता

कल मैं फेसबुक देख रही थी कि अचानक एक पोस्ट पर ध्यान चला गया … पोस्ट में एक प्यारी सी बच्ची की तस्वीर  थी  और उसमे लिखा था कि ” मेरे पापा ने कहा है कि अगर इस फोटो को एक हजार लाईक मिले तो वो सिग्रेट पीना छोड देंगें. हैरानी तो हुई पर अच्छा ये लगा कि लगभग 900 से ज्यादा लाईक मिल चुके थे.

मैने भी तुरंत लाईक कर दिया. पता नही पर उसके बाद वो पोस्ट दुबारा तो दिखाई नही दी क्या हुआ होगा क्या नही ये तो पता नही पर दुख होता है जब लोग नशा करते हैं ये नही सोचते कि उनके परिवार वालो पर क्या बीतती है  बस बहाने लगाते हैं  कल छोड देंगें परसों छोड देंगें पर …

मेरे एक जानकार भी बहुत  स्मोक करते हैं जिससे उनके परिवार वाले बहुत गुस्सा हैं और वो हर बार अपना टारगेट रख लेते है साल के शुरु में उन्होने कहा था कि बस कि बस होली के बाद कभी नही लूंगा…

फिर राखी पर बात आती है फिर दीपावली पर और फिर नए साल पर … साल दर साल गुजरते जा रहे हैं पर छोड ही नही रहे …. वैसे इस सिचूएशन  पर हमेशा मुझे एक बात याद आती है …

कि एक आदमी ने पेड पकडा हुआ और जोर जोर से चिल्ला रहा कि बचाओ पेड ने मुझे पकड रखा है .. जो देखता हंसता कि भई पेड क्या पकडेगा. तूने ही पेड को पकडा हुआ है.

हमारे जानकार भी हालत भी ऐसी ही है. सिग्रेट को पकडा उन्होनें हुआ है और चिल्ला रहे हैं कि बचाओ सिग्रेट ने उन्हें पकडा हुआ है … वैसे नशा कोई भी हो बुरा ही होता है इसलिए जरुरत बस किसी बहाने की या कल परसो की नही आज और अभी छोडने की होनी चाहिए …वैसे इसी बात पर एक कहानी भी पढी थी …

 

नशे की चाहत – सिगरेट पीने से लाभ नही होता

एक कहानी नशे की लत पर … 

एक गांव में बहुत अमीर आदमी था वो अपने बेटे की बुरी आदतों से बहुत परेशान था। वो जब भी अपने बेटे से बुरी आदतों को छोड़ने के लिए कहता तो उसको एक ही जवाब मिलता “पिता जी कल से छोड दूंगा या परसो से छोड दूंगा पर अपनी बुरी आदतों को छोड ही नही रहा था।

उन्ही दिनों उनके गांव में जाने -माने एक महात्मा आए हुए थे। जब उस व्यापारी को उस महात्मा से अपने बेटे की बुरी आदतों के बारे में सब महात्मा को बता दिया। महात्मा ने व्यापारी की बात को बड़े ही ध्यान से सुना और उसने अपने बेटे को कल उसके पास लेकर आने के लिए कहा।

महात्मा उसके लड़के को नजदीक के ही बगीचे में लेकर चले गए। दोनों बगीचे में धीर -धीरे चल रहे थे। अचानक महात्मा रुके और उसने लड़के से कहा क्या तुम इस बगीचे से इस छोटे से पौधे को उखाड़ सकते हो ? जी महात्मा जी इसमें कौन सी बड़ी बात है यह तो बड़ा ही आसान काम है। लडके ने बड़ी आसानी से उस छोटे से पौधे को जड़ से उखाड़ दिया।

आगेचलकर वो एक पेड उखाडने को कहते हैं  इस पर लडका बोलता है कि पेड उखाडना … असम्भव है … इस पर महात्मा बोलते हैं कि  ऐसा ही हमारी अपनाई बुरी आदतों के साथ होता है जब यह नयी होती हैं तो हम इन्हें थोड़े प्रयास के साथ छोड़ सकते हैं पर जैसे ही यह पुरानी होने लगती हैं इन्हें छोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है हमें इनकी लत लग जाती है।

इसलिए आज और अभी …

असल में ,  हर उस काम को कर सकते हैं जिसे हम वाकई में करना चाह्ते हैं … .. बस !!

समय का महत्व – एक छोटी सी कहानी – Monica Gupta

समय का महत्व – एक छोटी सी कहानी -पहले समय में घडी किसी के पास नही होती थी पर समय सभी के पास होता था और आज घडी सभी के पास है पर वक्त … बस वक्त ही नही है…. समय का महत्व – एक छोटी सी कहानी – Monica Gupta

 

नशे की चाहत – सिगरेट पीने से लाभ नही होता के बारे में आपका क्या विचार है…

December 7, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

समय का महत्व – एक छोटी सी कहानी

 Art of Public Speaking in Hindi

 

समय का महत्व – एक छोटी सी कहानी -पहले समय में घडी किसी के पास नही होती थी पर समय सभी के पास होता था और आज घडी सभी के पास है पर वक्त … बस वक्त ही नही है…..जिसे देखो वही व्यस्त अति व्यस्त या महा व्यस्त है  इतना ही नही कई लोग तो ये भी कहते मिल जाते हैं कि इतने बीजी हैं कि मरने तक की फुर्सत नहीं..

समय का महत्व – एक छोटी सी कहानी

वक्त बिताएं, अपनों को तोहफे में घडी देना आसान लगता है – बस वक्त देना ही मुश्किल लगता है… आज कुछ ऐसा पढा कि लगा कि इस बात को आपसे शेयर करना चाहिए …

खबर है न्यूजीलैंड के प्रधान मंत्री जॉन की … जॉन 8 साल प्रधान मंत्री रहे. उन्होंने रिजाईन कर दिया….  पर रिजाईन  किसी और वजह से नही बल्कि इस वजह से कि अपनी पत्नी और अपने बच्चों को समय नही दे पाए …

उन्होने बताया कि कितने मौके ऐसे आए कि उनकी पत्नी उनके बिना रही और उनके बच्चे कब युवा हो गए पता ही नही चला और कहते कहते वो भावुक हो गए… हालाकि और भी वजह हो सकती हैं पर ये भी एक मुख्य वजह थी… उनके इस फैसले से सभी हैरान थे पर उनके बेटे बने कहा कि मेरे पिता मेरे रोल मॉडल हैं .. जिंदगी में व्यस्त रहना अच्छा है पर इस बात को भी नही भूलना चाहिए कि जिसके लिए कमा रहे हैं उनके लिए कितना समय दे पा रहे हैं…

कितने पति पत्नी शादी के बाद भी नौकरी की वजह से अलग रहते है … कितने बच्चे ऐसे है कि पेरेंटस उन्हीं के लिए कमा रहे हैं पर बच्चा होस्टल में है क्योकि उनके पास समय ही नही है…

समय का महत्व – एक छोटी सी कहानी

आमतौर पर समय न दे पाना बहुत घरों में तनाव की वजह बनती है.. जरुरत है इस बिजी लाईफ में अपनो के लिए समय निकालने की ..

एक कहानी 

इसी बारे में बहुत समय पहले एक कहानी पढी थी कि एक पिता बहुत देर देर तक घर आते एक दिन उनका बच्चा जाग रहा होता है और पूछ्ता है कि पापा आप एक दिन में कितना कमा लेते हैं अब बच्चा ऐसी बात करेगा तो गुसा आएगा ही … खैर वो बोलते हैं कि 1o00 रुपये फिर बच्चा बोलता है कि क्या आप मुझे सौ रुपये देंगें… मेरे पास सौ रुपये कम है … पापा कहते हैं कि अभी तो घर आया हूं और तुम्हारी फरमाईश शुरु हो गई … जाओ अपने कमरे मे मैं कुछ नही दूगा … बच्चा चुपचाप कमरे में चला जाता है …

थोडी देर बाद पापा को रिएलाईज होता है कि उन्हें गुस्सा नही करना चाहिए था पता नही क्या खरीदना था उसे इसलिए वो बच्चे के कमरे में जाते हैं और उसे सॉरी बोलते हैं और 100 रुपये देते हैं कि ये लो बच्चा खुश हो जाता है और भाग कर अपने जमा किए रुपये लाता है और बोलता है कि ये लीजिए पूरे एक ह्जार अब मेरे साथ कल का पूरा दिन मेरे साथ बिताईए .. अब पापा के पास कोई जवाब नही था वो उसे बस गले लगा लेते हैं …

जीवन मे हास्य का महत्व – आपकी मुस्कराहट बहुत खूबसूरत है – Monica Gupta

जीवन मे हास्य का महत्व – आपकी मुस्कराहट बहुत खूबसूरत है – कुछ लोग खूबसूरत जगह खोजते हैं और कुछ लोग जहां जाते हैं जगह को ही खूबसूरत बना देते हैं .. कौन लोग read more at monicagupta.info

 

इसलिए अपनो को समय दीजिए , प्रोत्साहित कीजिए, अपनापन दीजिए वो कहते भी है ना कि समय सबको मिलता है जिन्दगी बदलने के लिए पर जिन्दगी दोबारा नहीं मिलती समय बदलने के लिए….

क्या आप जानते हैं ?? 

न्यूजीलैंडके प्रधानमंत्री जाॅन की ने इस्तीफा दे दिया … वजह, राजनीतिक, भ्रष्टाचार या कोई आरोप होना नहीं है। बल्कि परिवार को समय दे पाना है। जॉन 8 साल से प्रधानमंत्री थे। उन्होंने पार्टी के नेता पद से भी इस्तीफा दे दिया है। उनके फैसले से हर कोई हैरान है। क्योंकि इसके बारे में उनकी पार्टी को भी नहीं पता था।
जॉन की सोमवार को साप्ताहिक प्रेस काॅफ्रेंस कर रहे थे। बात करते-करते अचानक जॉन भावुक हो गए, बोले ‘मैं प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं। मेरे लिए यह बहुत ही कठिन फैसला है। लेकिन मैंने कई ऐसी रातें और दिन बिताए हैं जब पत्नी ब्रोना को अकेले रहना पड़ा.. कई खास मौके आए, जब मैं उनके साथ नहीं था। मेरे बच्चे स्टेफी और मैक्स कब युवा हो गए, मुझे पता भी नहीं चला। यदि मैं कहूं कि मैंने यह निर्णय अपनी निजी और पारिवारिक जिंदगी को फिर से पाने के लिए लिया है तो यह सही होगा। हालांकि कई और कारण भी हैं, लेकिन मेरे लिए राजनीति छोड़ने का यह सही समय है। मैंने अपनों के लिए यह फैसला लिया है

समय का महत्व – एक छोटी सी कहानी – आपको कैसी लगी जरुर बताईएगा ….

December 6, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

समाज में फैले अंधविश्वास – अंधविश्वास पर कहानी

 Art of Public Speaking in Hindi

समाज में फैले अंधविश्वास – अंधविश्वास पर कहानी – समाज में इतने अंधविश्वास फैले हुए हैं कि दुख होता है ये सब देख कर. एक तरह से अभिशाप ही ये अंधविश्वास …थोडी देर पहले मेरी सहेली मणि आई हुई थी अचानक उसे छींकें आनी लगी तो मैने उसे अपना रुमाल दे दिया तो उसने मना कर दिया बोली अगर मैं तेरा रुमाल ले लूंगी तो हमारी लडाई हो जाएगी … हे भगवान मैने कहा कि किस चक्कर में पडी है फिलहाल अपना जुकाम ठीक कर और वो बिना रुमाल लिए छींकें मारती घर चली गई..

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समाज में फैले अंधविश्वास – अंधविश्वास पर कहानी

मैं सोचने लगी कि आज भी हम अंधविश्वास की गिरफ्त में ही हैं… इससे निकल नही पा रहे या निकलना नही चाह्ते …  वैसे बहुत पहले सरिता पत्रिका में एक कॉलम पढा करती थी … हमारी बेडिया … उसे पढ कर बहुत हैरानी होती थी कि अच्छा ऐसा भी होता था समाज में … …

 

और आज देख लीजिए कोर्ट के आदेश से बेशक, महिलाओ ने मंदिरों या दरगाहों में जाना शुरु कर दिया अच्छी बात है पर अंधविश्वास अभी भी समाज मे व्याप्त हैं उसका का दामन कब छोडेगें हम इसका कोई आईडिया नही ???  आज भी अंधविश्वास पर बहुत उदाहरण देखने को मिल जाते हैं … कि मन सोचने पर मजबूर हो जाता है…

बात तब की है जब श्राद्द चल रहे थे इस बीच एक महिला को जोकि प्रेगनेंट थी उसे पैन शुरु हो गए पर परिवार वाले इसलिए चुप रहे कि बस श्राद्द निकल जाए फिर डाक्टर के लेकर जाएगें वो तो जब डाक्तर ने गुस्सा किया तब वो उसे अस्पताल लेकर भागे  पर बात यही खत्म नही हुई बच्चे का जन्म क्योकि श्राद्द के दिनों मे हुआ इसलिए पिता ने बच्चे का तीन दिन मुंह नही देखा अब बताईए इस बात का क्या जवाब है… कुछ समय पहले उपवास की खबर भी पढी थी कि हैदराबाद की 13 साल की लडकी ने 68 दिन का इसलिए उपवास रखा कि उसके पिता का बिजनेस अच्छा चले …

समाज में फैले अंधविश्वास – अंधविश्वास पर कहानी

बिजनेस का तो पता नही पर वो लडकी जरुर स्वर्ग सिधार गई…

इतना ही नही आजकल ई अंधविश्वास भी है … मेरी एक जानकार की मम्मी  तो फेसबुक पर सारी भगवान की फोटो शेयर करती हैं और हमें भी टैग कर देती हैं और फोन करके बोलती हैं कि लाईक करो कृपा बरसेगी और जब उसकी पोस्ट को कोई लाईक या कमेंट नही मिलता तो ये भी कहती हैं कि न जाने किसकी नजर लग गई …

अब बताईए ये अंधविश्वास कब दूर होंगें वैसे एक बात तो पक्की है कि कहते है ना कि जो भाग्य में होगा वो भाग कर भी आएगा जो भाग्य में नही होगा वो आकर भी भाग जाएगा…

अंधविश्वास एक समस्या – Monica Gupta

अंधविश्वास एक समस्या एकदम सच्ची बात पर आधारित. हमारे देश में अंधविश्वास बहुत है आज इसी बात का एक उदाहरण देखने को मिला..आलू लो, मटर लो प्याज लो, टमाटर लो … दो दिन पहले एक जानकार के घर गई हुई थी. अचानक बाहर से सब्जी वाले ने आवाज लगाई और मेरी जानकार एक मिनट कह … read more at monicagupta.info

 

समाज में फैले अंधविश्वास – अंधविश्वास पर कहानी  पर आपकी राय क्या है ???
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