खुशी के पल यहीं हैं – ऐसे भी लाई जा सकती है खुशी -बातें भले ही छोटी छोटी हों पर खुशियां ऐसे भी लाई जा सकती हैं चाहे वो बच्चें हो, बडे हों या बुजुर्ग –
खुशी के पल यहीं हैं – ऐसे भी लाई जा सकती है खुशी
कुछ दिन पहले नेहा स्कूल जाते हुए साईकिल से गिर गई. ज्यादा चोट तो नही आई पर डाक्टर ने उन्हे पांच दिन आराम करने को कहा. नेहा बहुत पढाकू लडकी थी. हर रोज स्कूल जाना ही उसे पसंद था इसलिए जब उसकी टीचर को पता चला तो उन्होने कहा कि कोई बात नही.
वो जो भी स्कूल मे पढाएगी शाम को उसके घर आकर समझा जाया करेगी. चार पाचं दिन टीचर उनके घर आकर स्कूल का पाठ समझाने लगी. नेहा के बीमारी वाले दिन कैसे आराम से बीत गए पता भी नही चला.
ऐसे ही दीपा के दादा रिटायर हो गए थे. सारा दिन कैसे घर मे खाली रहेगें यही सोच सोच के वो बहुत परेशान थे. रिटायरमेंट के अगले ही दिन पडोस मे रहने वाली अनु अपनी बिटिया को लेकर आ गई कि दादा जी आप इसे इतिहास पढाईए.
वहीं कालिज मे पढने वाला राजेश हर शाम अपना लेपटाप ले आता और दादा जी को नेट का इस्तेमाल सीखाता.इतना ही नही उनकी उम्र के लोगो ने हर सुबह और हर शाम सैर का प्रोग्राम बना लिया.
ऐसे ही मिल जुल कर दिन हंसी खुशी मे दिन बीतने लगे. इसलिए जितनी भी हम खुशियां बांट् सके बाटंनी चाहिए. या दूसरे शब्दो मे यह भी कह सकते हैं कि खुशियां चंदन की तरह होती हैं अगर हम दूसरे के माथे पर लगाएगे तो हमारी भी ऊगंलियां महक उठे
हिंदी ब्लॉग टिप्स – Monica Gupta
हिंदी ब्लॉग लेखन पर कुछ टिप्स जहां नेट की दुनिया में , सोशल मीडिया में फेसबुक, गूगल प्लस, ट्विटर छाया हुआ है वहीं blog और blogging के लिए हिंदी ब्लॉग टिप्स हिंदी ब्लॉग टिप्स – Monica Gupta
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