महाशिवरात्रि पर कुछ बातें – सत्यम शिवम सुंदरम- ॐ नम: शिवाय – आज शिवरात्रि है वातावरण शिवमय हो रहा है. मंदिर मे लम्बी भक्तों की कतारे हैं तो लाउडस्पीकर पर शिव के गीत वातावरण को भक्ति से सरोबार कर रहे हैं … महाशिवरात्रि की कहानी तो हम सभी ने सुनी होगी… शिव जी प्रेरणा के स्त्रोत भी हैं … भोले भंडारी कीबहुत सारी ऐसी बाते हैं जो हम उनसे सीख सकते हैं…’तुलसी इस संसार में सबसे मिलिए धाय, न जाने किस रूप में नारायण मिल जाए।
महाशिवरात्रि पर कुछ बातें
हम सभी जानते हैं कि शिव जी ने विष का पान किया था. ना तो उसे निगला था और ना ही उगला था. बस गले में ही रखा था, ठीक वैसे ही, हमें भी, घर की विष रुपी परेशानी को ना तो बाहर किसी को बताए और ना ही उसे दिल से लगा कर बैठे.
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कलह हर घर में होती है, लेकिन अगर वो उसे बाहर के लोगो को बताएगे तो बात बढ़ जाएगी और अगर गले से नीचे उतार लेगे तो खुद तबियत खराब करके बैठ जाएगे.
शिव जी के माथे पर जैसे चादँ शांति, गंगा का प्रतीक है, हमें भी वैसे ही अपना दिमाग शांत रखना चाहिए.
एक अन्य उदाहरण है कि जैसे शिव जी का वाहन बैल, उमा का वाहन सिहं, शिव का कंठ हार सर्प, गणेश जी का मूषक और कार्तिक का वाहन मोर है पर शिव की महिमा देखिए आपस मे पुश्तैनी दुश्मनी होते हुए भी सर्प, बैल, सिंह, मूषक, मोर सभी एकता और प्रेम मे बंधे हुए है .हमे भी इसी दिशा मे प्रयास करते रहना चाहिए कि किस प्रकार सभी को प्यार से और ज्यादा खुशहाल कैसे रखा जा सकता है … महाशिवरात्रि की ढेर सारी शुभकामनाएं ….
कही पढा है कि भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए उन्हें भांग-धतूरा, दूध,बेलपत्र, चंदन, और भस्म चढ़ाते हैं पर ये चीजे शिव जी पर न चढ़ाएं ये सामान
शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का सूचक है इसलिए उन पर हल्दी का अर्पण वर्जित है।
शिवलिंग पर लाल रंग, केतकी एवं केवड़े के पुष्प अर्पित नहीं किए जाते।
भगवान शिव पर कुमकुम और रोली का अर्पण भी निषेध है।
भगवान शंकर ने शंखचूर नामक दैत्य का वध किया था, जिसके कारण उनकी पूजा में शंख की मनाही है।
भोलेनाथ पर नारियल अर्पित करना वर्जित है।
शिवलिंग पर और शिवपूजन में तुलसी पत्ते का प्रयोग भी निषेध है।
तुलसीदासजी ने भी कहा है, ‘तुलसी इस संसार में सबसे मिलिए धाय, न जाने किस रूप में नारायण मिल जाए।
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