परीक्षा के दिनों में बच्चें – एक प्रेरक कहानी – pariksha ke kathin din , Exams यानि परीक्षा आने वाली है और अब खूब पढना भी पडेगा … जो बच्चे सारा साल नियमित रहते हैं उनके लिए कोई चिंता नही पर जो बच्चे सारा साल पढाई नही करते वो सुबह सवेरे उठने में, पढने आना कानी भी करते हैं
परीक्षा के दिनों में बच्चें – एक प्रेरक कहानी
Exams days में बच्चे अकसर अपनी मम्मी को कह कर सोते हैं कि सुबह उठा देना और वो सुबह उठाते रहते हैं और हम बस दो मिनट पांच मिनट ही करते रहते हैं पर उठते नही सोते ही रह जाते हैं … और वही जब वटसअप या फेसबुक कर रहे होते हैं तो कहते हैं बस दो मिनट मे बंद ही कर रहा हूं पर दो मिनट है कि पूरे ही नही होते … इन दोनो के पीछे एक बात कॉमन है कि हम खुद नही चाहते … खुद जब तक हमारा मन किसी काम को करने के लिए मजबूत नही होगा … खुद से फैसला नही लेगें टालते जाएगें .. टालते जाएगें खुद नही करेंगें तो काम भी नही होगा …जिस दिन खुद फैसला ले लिया उस दिन आप न सिर्फ कर पाएगें बल्कि सफल भी होंगें… इसी बारे में एक कहानी है
इसी बारे में एक प्रेरक कहानी है …
एक बार एक किसान के गेंहू के खेत में एक चिड़िया ने घोंसला बना रखा था। उस घोंसले में उसने अंडे दिये। कुछ समय बाद अंडो में से बच्चे निकले। चिड़िया दाना चुगने के लिए दूर जंगल में जाती थी और अपने बच्चों के लिये दाना लेकर लौटती थी। इस दौरान उसके बच्चे घोंसले में अकेले रहते थे। जब चिड़िया दाना लेकर लौटकर आती तो बच्चे बहुत खुश होते और दानों को खाते।
एक दिन चिड़िया जब दाना लेकर लौटी तो उसने देखा कि उसके बच्चे बहुत डरे हुए हैं। उसने बच्चों से पूछा क्या बात है बच्चो ? तुम सब इतने डरे हुए क्यों हो?
बच्चों ने बताया कि “आज किसान आया था और वह कह रहा था कि फसल अब पक चुकी है, मैं कल अपने मजदूरों से फसल काटने के लिये कहूँगा। अगर उसने फसल काटी तो हमारा घोसला टूट जायेगा, फिर हम कहाँ रहेंगे?”
चिड़िया बोली “ फ़िक्र मत करो बच्चों, अभी खेत की फसल नही कटेगी।”
सच में अगले दिन कोई फसल काटने नहीं आया और चिड़िया के बच्चे बेफिक्र हो गए। लेकिन कुछ दिनों बाद चिड़िया को बच्चे फिर से डरे हुए मिले। चिड़िया के पूछने पर बच्चों ने बताया “किसान आज भी आया था और कह रहा था कि बेटे नहीं आये तो क्या हुआ? कल फसल काटने के लिए बेटों को भेजूंगा।”
इस बार भी चिड़िया ने बच्चों से कहा “डरने की जरुरत नहीं हैं, फसल कल भी नहीं कटेगी।”
ऐसे ही कुछ दिन और बीत गए। कोई फसल काटने के लिए नहीं आया।
कुछ दिन बाद एक दिन बच्चे फिर से डरे हुए थे। और उन्होंने चिड़िया को बताया कि “आज किसान फिर से आया था और कह रहा था कि दूसरों के भरोसे रहकर मैंने फसल काटने में बहुत देर कर दी है। मैं कल खुद ही फसल को काटने आऊँगा।
यह सुनकर चिड़िया बच्चों से बोली “अब हमें यह जगह छोड़कर कोई सुरक्षित जगह चले जाना चाहिए। क्योंकि कल खेत की फसल जरुर कटेगी।”
वह तुरंत बच्चों को लेकर एक दूसरे घोसले में आ गई। जिसे उसने कई दिनों से कड़ी मेहनत कर के बनाया था।
अगले दिन चिड़िया और उसके बच्चो ने देखा कि किसान ने फसल काटनी शुरू कर दी है।
बच्चों ने बड़ी हैरानी से चिड़िया से पूछा “माँ, तुमने कैसे जाना कि कल खेत की फसल कट ही जाएगी?”
चिड़िया ने बच्चो को बताया कि “जब तक इंसान किसी कार्य के लिए दूसरों पर निर्भर रहता है, वह कार्य पूरा नहीं होता है। लेकिन जब इंसान उस कार्य को खुद करने की ठान लेता है तो वो कार्य जरुर पूरा होता है। किसान जब तक दूसरों पर निर्भर था तब तक उसकी फसल नहीं कटी। लेकिन जब उसने खुद फसल काटने का फैसला किया तो उसकी फसल कट गयी।
– जब तक हम किसी भी काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं तो उस काम के होने की सम्भावना बहुत कम होती हैं और अगर वो काम हो भी गया तो उस तरह से नहीं हो पाता जैसे हम चाहते थे। लेकिन अगर वही काम हम खुद करें तो वो काम समय पर हो भी जायेगा और जैसा हम चाहते हैं वैसा ही होता है। मन को पक्का कीजिए … और जुट जाईए
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