कथा कहानी
बहुत सम्भाल कर रखी हुई हैं ये कतरनें … पर कागज ही तो है पीला पडने लगा है इसलिए सोचा कि क्यू ना ब्लॉग पर स्कैन करके डाल लू इसी बहाने हमेशा मेरे पास रहेगा मेरा ये अनमोल खजाना
यह कहानी गाजियाबाद (यूपी) के सांध्य दैनिक अथाह में 10 मार्च 1992 को प्रकाशित हुई.
कथा कहानी