Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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August 4, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Deal with Angry Child – जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें – How to Deal with Angry Child – बच्चों को कैसे समझाएं – Monica Gupta

How to Deal with Angry Child

How to Deal with Angry Child – जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें – How to Deal with Angry Child – बच्चों को कैसे समझाएं – Monica Gupta – जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें – ziddi-bache-ko-kaise-sudhare –

बहुत सारे मैसेज आए हुए हए थे कि बच्चे बहुत गुस्सैल और जिद्दी हो गए हैं उन्हें कैसे समझाएं … यही कुछ मेरे दिमाग में चल रहा था पहले तो मैं टीवी देखती रही फिर किसी के घर कुछ काम था वहां चली गई …

How to Deal with Angry Child – जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें – How to Deal with Angry Child – बच्चों को कैसे समझाएं

वहां एक चार साल का बच्चा अपनी मम्मी को बहुत तंग कर रहा था जोर जोर से चिल्ला रहा था उसकी मम्मी ने दो चांटे मारे   और फिर बच्चा भी मां को खूब मारने लगा कभी लात कभी बाल खिंचने लगा.. फिर मेरी जानकार भी खूब मारने लगी बच्चा चिल्ला रहा था …

आप गंदी हो बहुत गंदी हो मारती हो … दोनों बराबर का बोले जा रहे थे…

अचानक उनकी मार पिटाई में doorbell हुई  और मेरी नींद खुल गई .. अरे बाप रे ये सब सपना था असल में यही सोचते सोचते सो गई और शायद  सपना आ गया …

बाहर गई तो कोई नही था … शायद बच्चे ही होंगें कई बार बेल बजा कर भाग जाते हैं … क्या बच्चे ऐसे ही होते हैं गंदे, लडाकू,  जिद्दी …

यही सोचते सोचते मैं अखबार  पढने लगी .. एक खबर ने मेरी सोच बदल दी कि बच्चे ऐसे नही होते …

खबर पुणे की थी एक माता पिता के बीच में बहुत लडाई चल रही थी और जब केस जज के पास पहुंचा.. उस दिन बच्चे का जन्मदिन था और माता पिता अलग रहना शुरु कर चुके थे … कोर्ट में जन्मदिन साथ मनाया और जब उससे उपहार की बात पूछी तो बच्चे ने एक लैटर थमा दिया उस पर लिखा था कि लडिए मत … मैं आप दोनों को साथ देखना चाह्ता हूं…

दोनो को महसूस हुआ और खुल कर बात हुई और सुलह हो गई …

तो एक बात तो साफ है कि बच्चे गंदे नही होते … कुछ एक ऐसी बातें हो जाती हैं जो उन्हें चिडचिडा बना देती हैं …

अच्छा एक बात बताईए कि जब मैंनें ये कहा कि बच्चे गंदे होते हैं तो आपको कैसा लगा … अच्छा नही लगा ना आपको मन ही मन गुस्सा भी आया होगा कि ये बच्चे को गंदा कहने वाली कौन है … !! बस !! ठीक है अब मैं समझ गई …

प्यार तो आप बहुत करते हैं बच्चे से पर आपकी जिंदगी में इतने तनाव और busy  है कि आप पूरा ध्यान नही दे पा रहे इस वजह से बच्चा जिद्दी हो गया है…

मेरी एक जानकार ने बताया कि अक्सर उसका बच्चा मार्किट जाने पर बहुत जिद करता … वही दुकान पर लेट जाता .. रोने लगता और जिद करने लगता …  उसका हल उसने ये निकाला कि उसने उस समय बच्चे को कुछ नही कहा …

जब घर आए तो उसने बच्चे से बात नही की और बोला मम्मी को बहुत दुख हुआ कि मम्मी का प्यारा बेटा कैसे करता है … बच्चे जैसे भी हो पर वो मम्मी को नाराज नही देख सकते … वो झूठ मूठ से रोने की acting  करने लगी और बच्चा बार बार मम्मी के चेहरे से बाल हटा कर देखता रहा ..

उसे लगा कि उसने गलत किया है नही करना चाहिए था … और उसने सोरी बोला … उसके बाद से दोनों में बहुत दोस्ती हो गई है अब वो जिद नही करता … घर से बाहर जाने से पहले ही वो rules  बना लेते हैं एक लिस्ट बना लेते हैं कि क्या क्या करना है और क्या नही .. …. आराम से tackle  हो गई प्रोब्लम …

जरुरत यही है कि मार पिटाई हल नही है बच्चों के साथ दोस्ताना treat  करें और अगर  कोई गलती है उसे मान लें … अगर कान पकड कर सोरी बोलना भी पडे तो शर्म नही आनी चाहिए …

देखिए इन सब में एक बार जरुर देखने वाली है कि इन सब में बस एक बात का अगर ख्याल रखेंगें कि उसके उसके दोस्त कैसे हैं .. समय समय पर उसके दोस्तों को घर बुलाते रहें और उनका स्वभाव जानने की कोशिश करें …

जरुरत इस बात की है आप कूल रहें और कूल माईंड से ही कैसे सामना करना हैं वो सोचें … इसकी आखॉं में देखिए जिद्दी नही बहुत प्यारा और मासूम है वो …

यही तो बचपन के दिन है … बडा हो जाएगा चला जाएगा … इसलिए समय दीजिए समझिए और प्यार दीजिए … बस …

अगर आपको मेरी बात पसंद आई हो तो बाकि आपके पास भी कोई टिप्स हो तो कमेंट में जरुर बताईएगा …

How to Deal with Angry Child – जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें – How to Deal with Angry Child – बच्चों को कैसे समझाएं – Monica Gupta

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June 29, 2017 By Monica Gupta 1 Comment

छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाए – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी

जीवन में माता पिता का महत्व

छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाए – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी – कल जब मैं अपनी जानकार के घर गई तो टेबल पर खूब सारी कॉपी बिखरी हुई थी … वो कुछ उल्टे हाथ से लिख रही थी … मुझे देख कर वो एक दम से खडी हो गई … और कॉपी समेटते हुए बताया कि बेटे का स्कूल का होमवर्क कर रही हूं उसने किया नही अब स्कूल खुलने वाले हैं … स्कूल में सजा न मिले इसलिए उल्टे हाथ से खुद ही लिख रही हूं … ताकि पता न चले ..

छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाए – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी

वैसे होम वर्क तो बहुत मिलता है बच्चों को .. पर क्या ये सही है मम्मी खुद होमवर्क करें … इसके लिए पढाई में interest create करना  होगा

मेरे पास भी बहुत मैसेज आते हैं बच्चा LKG में है UKG मे है कैसे पढाए ध्यान ही नही है उसका … असल में,  बच्चे से ज्यादा मम्मियां  impatient हो जाती हैं … तो छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाए

Interest create करें ..सबसे पहले तो किताबी दुनिया से बाहर आकर असली दुनिया की चीजे दिखाए … इससे बच्चा जल्दी सीखेगा.  किताब में चिडिया दिखाने की बजाय असल में चिडिया दिखाएं .. जितना प्रैक्टिकल दिखाएगें उतना फर्क पडेगा

गाने या कविता के माध्यम से बच्चे जल्दी सीखते हैं … बाजार में बहुत तरह के खिलौने आते हैं जिनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है

टीवी या computer games   के माध्यम से बच्चे बहुत बातें सीख सकता है

दोस्तों के साथ खेलने दें … हम उम्र के बच्चों से जल्दी सीखते हैं बच्चे को स्पेस दें ताकि वो सीख सके

 

अब आती है बहुत जरुरी बात … अगर बच्चे को कुछ समझ न आए तो वो बार बार पूछ्ता है तो उसे सही और ढंग से जवाब दें टालमटोल न करें

नही पढाई की तो पीटूंगी … या खाना नही मिलेगा या आज खेलना बंद ऐसे उसके मन में डर बैठ जाएगा ..बल्कि ये कहना चाहिए चलो अप्पन  मिलकर होमवर्क खत्म करते हैं फिर पार्क चलेंगें या पसंद की कार्टून देखेंगें.

मनोबल बढाए ,

शाबाशी दें

ईनाम दें ,

तारीफ करें

और सबसे जरुरी बात की आप धर्य धैर्य रखें … आधीर न हो कि आज से स्कूल जाना शुरु किया छोटी ए बी सी, क ख ग अगले दिन ही आ जाए …  बिना मारे प्यार से सारी बात आराम से समझाएं

बच्चे को डांट देना या मार देना ही एक विकल्प नही ऐसे पढाए कि बच्चे की रुचि बने रहे …

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छोटे बच्चों को कैसे पढ़ाए – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी

May 15, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

स्मार्ट पेरेंटस कैसे बन सकते हैं – बच्चों को समझाए नही समझें

इंसान और भगवान

स्मार्ट पेरेंटस कैसे बन सकते हैं – बच्चों को समझाए नही समझें – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी –  परवरिश की जिम्मेदारी  बच्चों को कैसे समझाए.  पेरेंटिंग जब बच्चों की केयर के बारे में पूछते हैं तो मैं एक ही बात कहती हूं कि  घर पर हम कांच  के बर्तन की सम्भाल कैसे करते हैं … बहुत ध्यान से सम्भाल कर … है ना … बस वैसी ही देखभाल बच्चों की करनी चाहिए  हैंडल विद केयर …

स्मार्ट पेरेंटस कैसे बन सकते हैं – बच्चों को समझाए नही समझें

याद कीजिए जब पहली बार आपको पता चला था  कि आप मां बनने वाली हैं कितना खुश  हुई थी आप कितने सपने संजोए थे और अब आप बच्चे की शरारत भी बर्दाशत नही कर पाती पिटाई कर देती है जबकि बच्चों को सम्झाने का काम बहुत आराम से भी कर सकते हैं … तो क्या करें कि कैसे लालन पालन करें कि बच्चे खुश रहें … बहुत सारी बातें हैं पर मैं कुछ एक ही बताऊंगी

पहला तो ये कि बच्चों की भी सुनें … आमतौर पर उनकी बातें सुनते नही अपने आफिस के काम पर मोबाइल पर ही बीजी रहते हैं और अगर गृहणी हैं तो टीवी सीरियल की वजह से भी बच्चे कई बार पिट जाते हैं  जबकि उनकी बातें सुननी चाहिए.

अगर बच्चे ने गलत काम किया तो हम झापड़ मारने में आगे रहते हैं पर अगर अच्छा काम किया तो प्रशंसा भी तो करनी चाहिए …

कई बार फैले हुए  कमरे को भी relish करना  चाहिए … मान लीजिए बच्चे ने कमरा फैलाया तो हम देखते ही गुस्सा करेंगें नाराज होंगें … कभी कभी ऐसा मत कीजिए … फैला हुआ कमरा देखिए और कहिए … अरे बाप रे … इतना गंदा कमरा … इसे ठीक करने के लिए एनर्जी चाहिए  … कुछ देर बैठ कर आईसक्रीम खाते हैं कार्टून देखते हैं फिर मिलकर ठीक करेंगें … फिर देखिए बच्चा आपके साथ मिलकर कितनी मदद करेगा …

 

 

हम बच्चों के दोस्तों को भी कभी सही नही कहते .जबकि दोस्तों को भी सराहिए

…बच्चे को  responsibility दीजिए उन पर विश्वास कीजिए टाईम टेबल बना लीजिए और उसी हिसाब से बच्चे को चलने को कहिए

Help, advice, opinions बच्चों की लीजिए  मान लीजिए बच्चे के दोस्त का बर्थ डे है वो game  देना चाहता है और आप घर पर पडा कोई पुराना decoration piece निकालना चाहते हैं … ऐसे में तो बच्चे का mood off  होगा ही … आप वो gift  अपने दोस्त के जन्मदिन पर ही दीजिए

कोशिश ये कीजिए कि एक बार् तो लंच नही तो डिनर एक साथ मिल बैठ कर कीजिए और उस समय कोई फोन नही कोई टीवी नही बस बच्चें , आप और बातें … बातें तो बहुत हैं  पर पहले इस पर अम्ल करना शुरु कर दीजिए … बदलाव साफ दिखेगा …

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स्मार्ट पेरेंटस कैसे बन सकते हैं – बच्चों को समझाए नही समझें

 

May 5, 2017 By Monica Gupta 2 Comments

बच्चे की परवरिश में माता पिता का कर्तव्य – बच्चों को कैसे समझाए

 Art of Public Speaking in Hindi

बच्चे की परवरिश में माता पिता का कर्तव्य  – बच्चों को कैसे समझाए –  परवरिश की जिम्मेदारी माता पिता की है इसलिए स्मार्ट पेरेंटिंग या स्मार्ट पेरेंटस कैसे बनें परवरिश के कुछ सुझाव जरुर समझने चाहिए. Bacche ke parvarish mai mata pita ka kartavya

बच्चे की परवरिश में माता पिता का कर्तव्य  – बच्चों को कैसे समझाए 

कल एक जानकार घर आए हुए थे उनका बेटा 10 11 साल का है इसके पास छोटा सा वीडियो गेम था जब मैने दिखाने को कहा तो बेटे ने मना कर दिया … और मेरी known भी बहुत गर्व के साथ बोली मेरा बेटा अपनी कोई चीज किसी के साथ शेयर नही करता … उसे बताते हुए गर्व हो रहा था … अब बताईए क्या ये गर्व की बात है .. ?? जब माता पिता ही ऐसी बातों को बढावा देंगें तो बच्चा सही बाते कैसे सीखेगा …

जबकि हम माता पिता को बच्चे को mentally prepare करना चाहिए ये बच्चे को स्ट्रांग बनाने के लिए होती है ना कि कमजोर बनाने के लिए

 

 

सुनने में भले ही अच्छी ना लगे पर बच्चों को

1 चीजें शेयर करना आना चाहिए … अपनी चीजे शेयर भी करे और दूसरों की हेल्प भी करे…

2 बच्चों का friend बनना चाहिए ताकि आपसे हर बात शेयर करें और इधर उधर से अधकचरा ज्ञान  न मिले …

मेरी सहेली ने बताया कि वो प्लकिंग करती थी … चेहरे पर बाल … उनकी बेटी देखती वो बोलती अरी कुछ नही तू चल जा वहीं वो हर रोज पापा को शेव करते देखती उसे लगा कि एक बार ब्यूटी पार्लर मे जब गई वहा भी देखा कि लडकिया बाल निकलवा रही हैं शायद ये करना सभी को जरुरी होता होगा …

और एक बार  बच्ची ने उत्सुकता वश पापा का रेजर लेकर पूरे चेहरे पर लगा लिया … ऐसा दो तीन बार किया जब मम्मी को पता चला खूब पिटाई हुई…

3 नशे के बारे मे समय समय पर सचेत करते रहना चाहिए कि इससे दूर रहना चाहिए ..

4 लाईफ के बारे में बताए … बच्चों को प्रेरक कहानियां सुनाए और साथ ही साथ बताएं कि जिंदगी में उतार चढाव आते रहते हैं.. हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए

5  पैसे पेड पर नही लगते … उसे कमाने के लिए बहुत मेहनत करनी पडती है बातें तो और भी हैं फिलहाल इन बातों पर ध्यान दीजिए

6 ईमानदार सच्चाई , समय की वेल्यू जैसी बातें तो हम समझाते ही रहते हैं पर बच्चो के सुखद भविष्य के लिए उन्हें शारीरिक ही नही बल्कि मानसिक तौर पर भी मजबूत बनाना हमारा फर्ज है…

 

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही – माँ और बच्चे का रिश्ता – Monica Gupta

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही – माँ और बच्चे का रिश्ता – . how to make your child physically strong , Don’t make your child a coward, माँ और बच्चा read more at monicagupta.info

 

 

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April 6, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही – माँ और बच्चे का रिश्ता

 Art of Public Speaking in Hindi

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही  –  माँ और बच्चे का रिश्ता – Mata pita Bacche ko bold baney kamzor nahi  – bache ka bhavishya  kaise majboot karey . how to make your child physically strong , Don’t make your child a coward,   , आपका प्यार बच्चे को कमजोर तो नही बना रहा ??

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही  –  माँ और बच्चे का रिश्ता

कल घर पर एक सहेली आई हुई थी उनका बच्चा खेलते खेलते गिर गया … ओह !! मैं जैसे ही उठने को हुई उसने मुझे रोक लिया…वो बोली कोई नही उसे खुद उठने दो … ज्यादा प्यार दिखाया तो बिगड जाएगा …

बेशक मेरी सहेली का ध्यान बच्चे पर ही था पर वो मजबूत बनी बैठी रही … कुछ ही पल में बच्चा रोता हुआ आया और बताने लगा कि गिर गया … तब मम्मी ने कहा कि कोई बात नही जाओ उसे हप्प करके आओ … और बच्चा वहां गया और उसे पांव से हप्प किया और फिर उस बात को भूल कर खेलने में जुट गया वैसे मुझे ये बात अच्छी लगी … क्योकि हम ममिया ही मजबूत नही होती….

 

माता पिता बच्चे को बोल्ड बनाएं कमजोर नही – माँ और बच्चे का रिश्ता

कहने को छोटी छोटी बातें होती हैं मान लीजिए बच्चे को छींक आ गई या खांसी ही हो गई तो मम्मिया सारा परेशान हो जाती हैं कि क्या हुआ… कैसे हुआ…. क्यू हुआ … ऐसे में नुकसान ये होता है बच्चे भी जरुरत से ज्यादा सैंसिटिव हो जाते हैं इसलिए बजाय हाय तौबा मचाने के बच्चों का मनोबल बढाईए … उन्हें बताईए कि ये छोटी मोटी बाते हैं होती ही रहती हैं …

खाने पीने का ख्याल रखते हैं शरीर मजबूत बने वैसे ही मन को भी मजबूत बनाना चाहिए …

Sportsmanship spirit जरुरी है … हार गए तो उदास नही होना … गिर गए तो रोना नही … अगर फर्स्ट नही आए तो हार कर बैठ ना नही .. डरपोक नही बनाए

इसके लिए सबसे पहले मदर्स को ही अपना मन पक्का बनाना होगा … joint families तो अब रही नही … बच्चे अपनी मम्मी से बहुत कुछ सीखते हैं इसलिए … इसलिए बच्चों को बचपन से ही बोल्ड बनाना होगा ताकि बडे होकर जब बच्चे घर से बाहर पढने या नौकरी करने जाएं उन्हें दिक्कत न हो …

Be a good role model: सही और गलत का फ़र्क सिखाना :

बच्चों को स्पेस दीजिए कुछ करने का मौका दीजिए विश्वास कीजिए

positive emotions , इसके लिए जो व्यक्ति जिंदगी मॆं कुछ बनें हैं उनके बारे मे पढाए … मोटिवेशनल विचार कहानियां पढाए और सुनाए …  RISKS लेना सीखाना होगा … ” बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए ये करना होगा अच्छा व्यवहार

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बच्चे को कमजोर नही मजबूत बनाए , डरपोक नही बनाए

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March 19, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

हिन्दी बाल कहानी – कामकाजी मां और बच्चे की परवरिश

इंसान और भगवान

हिन्दी बाल कहानी – कामकाजी मां और बच्चे की परवरिश – hindi baal kahani  – माँ की ममता पर कहानी- क्या वाकई मां का काम करना बच्चे के लिए सुखद है या बच्चें को घर पर अकेले दिक्कत होती है एक बच्चे की सोच जताती कहानी

हिन्दी बाल कहानी – कामकाजी मां और बच्चे की परवरिश –

कहानी बच्चों की है

एक लडकी होती है उसका नाम मणि है वो 8 क्लास में पढती है स्कूल से वापिस उदास सी लौटती है बैल बजाती है मम्मी दरवाजा खोलती हैं वो पूछती है कोई बात बनी … मम्मी न की मुद्रा में सिर हिला देती है … असल में, मणि की सभी सहेलियो की मम्मी नौकरी करती है पर मणि की मम्मी सार समय घर पर रहती है और घर का ख्याल रख्ती है मणि को लगता है कि उसे आजादी नही मिलती है उसका कमरा एक दम साफ होता है और मम्मी आवाज देकर बुलाती हैं जल्दी आ जाओ आपके पसंद के राजमा चावल बने हैं …

वो हमेशा की तरह कमरा फैला कर खाने आ जाती है और उसका उदास चेहरा देख कर मम्मी कहती हैं कि कोशिश तो कर रही हूं जल्दी नौकरी मिल भी जाएगी … फिर खाना खाकर वो टीवी देखती हैं मम्मी बोलती हैं सो जाओ मैं एक घंटे में उठा दूंगी

hindi baal kahani

कल मेरी एक जानकर ने बताया कि उसने अपनी नौकरी छोड दी है और वो घर रह कर काम करेगी और बच्चों की तरफ पूरा ध्यान देगी ये सुनकर मुझे मेरी लिखी कहानी याद आ गई …कहानी बच्चों की है एक लडकी होती है उसका नाम मणि है वो 8 क्लास में पढती है स्कूल से वापिस उदास सी लौटती है बैल बजाती है मम्मी दरवाजा खोलती हैं वो पूछती है कोई बात बनी … मम्मी न की मुद्रा में सिर हिला देती है … असल में, मणि की सभी सहेलियो की मम्मी नौकरी करती है पर मणि की मम्मी सार समय घर पर रहती है और घर का ख्याल रख्ती है मणि को लगता है कि उसे आजादी नही मिलती है उसका कमरा एक दम साफ होता है और मम्मी आवाज देकर बुलाती हैं जल्दी आ जाओ आपके पसंद के राजमा चावल बने हैं … वो हमेशा की तरह कमरा फैला कर खाने आ जाती है और उसका उदास चेहरा देख कर मम्मी कहती हैं कि कोशिश तो कर रही हूं जल्दी नौकरी मिल भी जाएगी … फिर खाना खाकर वो टीवी देखती हैं मम्मी बोलती हैं  सो जाओ मैं एक घंटे में उठा दूंगी …

शाम को दोनो हमेशा की तरह धूमने जाते है और जब घर लौटते हैं तो पापा भी आ जाते हैं पापा बताते हैं कि   उन्हें टूर पर जाना है दिल्ली मणि खुश हो जाती है क्योकि वहां पर नोनू रहता है पापा ने बताया एक दिन वहां रुकेगें तब तुम नोनू से ढेर सारी बाते कर लेना … नोनू पहले उनका पडोसी था उसके पापा की बदली दिल्ली हो गई और अब वो वही पढ रहा था …

अगली सुबह वो दिल्ली के लिए निकल जाते हैं  दिल्ली पहुंच जाते हैं नोनू घर पर अकेला होता है … वो सभी को देख कर बहुत खुश होता है और मम्मी को फोन करके बताता  है कि मणि और अंकल आंटी आए हुए है …

मम्मी आफिस से 5 मिनट के आती हैं और बोल कर चली जाती हओं रात को बहुत जरुरी मीतिंग है … देर हो जएगी .. उसी बीच में गीतू के पापा आ जाते है … गीतू मणि को अपने कमरे में ले जाता है … मणि को नोनू बहुत उदास लगता है … वो जब उसकी कापी देख ती है तो वो सभी मे फेल होता है ..

मणि पूछती है कि क्या हुआ … क्योकि वो पढाई में बहुत अच्छा था… वो बोला कि मम्मी ने आते ही नौकरी ज्वाईन कर ली थी और बस सारा दिन व्यस्त रहती … दिक्कत किसी बात की नही है पर मुझे घर पर मम्मी का स्पोर्ट  चाहिए जो नही मिल रहा …

जब घर आते हैं तो मीटिंग , मोबाईल, लैपटाप पीछा नही छोडते … और रोने लगा … मणि ने उसे समझाया और फिर वो मिल कर टीवी देखने लगे .. अगले दिन मणि और उसके मम्मी पापा वापिस लौट रहे थे..

मणि कार में ही लेट गई और लेटते हुए सोच रही थी कि मम्मी उसका कितना ख्याल रखती हैं  … कमरा साफ करना , होमवर्क करवाना, सैर करवाने ले जाना  और पढाई करवाना… अगर मम्मी भी अफ़िस जाने लगी तो उसका हाल भी कहीं नोनू जैसा न हो जाए … हर रोज जब घर लौटेगी ताला खुद खेलेगी , खाना खुद गर्म करेगी … कैसे होगा सब … सोचते सोचते उसका घर भी आ गया … मम्मी कार  से उतरे गेट खोला और सामने लैटर वाक्स पर लैटर चैक की तो वो अचानक चिल्ला उठे … अरे वाह नौकरी मिल गई .. appointment letter आ या है … और मणि को बोले बेटा अब खुश हो जाओ … अब तुम्हारी मम्मी भी काम पर जाएगी … मणि जोर जोर से रोने लगी …

मम्मी प्लीज मुझे माफ कर दो प्लीज आप नौकरी मत करो आप मेरा ख्याल रखना मुझे नही करवानी नौकरी … मम्मी पापा दोनो हैरान कि हुआ क्या …

ये कहानी थी जो मैने लिखी थी … उस महिला के फैसले पर मुझे खुशी हुई  कि उसने अपने परिवार को प्राथमिकता देना जरुरी समझा वैसे आजकल घर पर रह कर भी बहुत काम किए जा सकते हैं क्योकि जब बच्चे छोटे होते हैं बच्चों की देखभाल करना उनअच्छे संस्कार बहुत जरुरी होता है जिनके लिए बहुत जरुरी न हो … उन्हें बच्चों का ख्याल रखना ही चाहिए  

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