(बाल कहानी) सबसे प्यारा तोहफा
मैं हूं मणि। अभी कल ही दस साल की पूरी हुर्इ हूं। यानि मेरा कल हैप्पी बर्थ डे था। सप्ताह भर पहले से ही मेरी योजनाएं बन रही थी कि मैं जन्मदिन वाले दिन क्या पहनूंगी, क्या-क्या बनवाऊंगी मम्मी से…… मम्मी का नाम लेते ही मेरा मन फिर उदास हो गया था। आप जानना चाहेंगे कि क्यों मेरा मन उदास हो गया! चलो, कोर्इ और बात करने से पहले मैं इसी बारे में आपसे बात करती हूं।
असल में, पता है क्या बात है! मैं, मम्मी को बहुत प्यार करती हूं , उनका कहना मानती हूं, जो घर में कभी मेहमान आए तो मम्मी की मदद करती हूं , लेकिन पता नही हमेशा मम्मी की ड़ांट ही खानी पड़ती है। ना जाने मम्मी मुझ से क्यों नाराज-नाराज उदास सी रहती हैं। मेरी हर बात में कमी निकालती हैं। कभी भी मेरी तारीफ नहीं करती। पापा की बात ही क्या, वो तो महीने में 20 दिन टूर पर रहते हैं, जब आते हैं तो उनका सोशल सर्किल ही इतना बड़ा है कि उसमें व्यस्त रहते हैं।
अभी मेरे जन्मदिन के आने से पहले मैंने मम्मी को अपनी सहेलियों की लिस्ट थमा दी तो मम्मी ने कोर्इ खुशी नहीं दिखार्इ। मैं कुछ नहीं बोली। जन्मदिन को आने में चार दिन बाकी थे।
मैंने मम्मी को कहा कि अपनी सहेलियों को बुलाने का क्या समय दूं ? मम्मी ने कहा कि अभी कल बात करेंगे, आज शाम तेरी नानीजी आ रही हैं।
मैं हैरान……! नानीजी की सूरत मैंने एलबम में ही देखी है। जब मैं दस दिन की थी तब मुझे गोद में लिए…. मुझे नहलाते हुए….. मेरी मालिश करने की ढ़ेरों तस्वीरें हैं…… मैं बहुत खुश होती थी देख कर…… और आज….. इतने सालों बाद वो आ रही हैं….. वो भी मेरे जन्मदिन पर……मैं तो खुशी के मारे दोहरी हुर्इ जा रही थी।
शाम हुर्इ……… नानीजी आ गर्इं। हाथों, गालों पर बेशुमार झुर्रियां……. शायद उम्र का ही तकाजा था। मैं नानीजी से लिपट गर्इ। उन्होंने मुझे प्यारा सा गुड्डा और सौ रूपये उपहार स्वरूप दिए। मम्मी काम में लगी रहीं। मैंने एक बात पर ध्यान देना शुरू किया कि मेरी नानीजी मम्मी को बात-बात पर टोक रहीं थी।
दोपहर के खाने में भी उन्होंने ढ़ेरों नुक्स निकाल दिए। चादर ठीक से ना धुलने पर लम्बा सा लेक्चर दे डाला। मम्मी चुपचाप अपने काम में लगी रहीं। मुझे कुछ अच्छा महसूस नहीं हो रहा था। मन बहुत बेचैन था कि नानी आखिर मम्मी से ऐसा बर्ताव क्यों कर रही है? मेरे बाल-सुलभ मन में एक बात यह आ रही थी कि मम्मी की मम्मी यानि मेरी नानी अपनी बेटी के साथ ऐसा व्यवहार करती हैं, तो कभी ऐसा तो नहीं है कि इसलिए मेरी मेरी मम्मी भी मेरे साथ यही व्यवहार करती हों। पर मैंने मन में सोचा कि मैं तो मम्मी के साथ इतनी अच्छी तरह पेश आती हूं, तो यह वजह तो हो ही नहीं सकती। समय ऐसे ही बीतता रहा। मैं अपने काम में व्यसत रही पर सब कुछ देखती समझती रही।
जन्मदिन से एक दिन पहले मम्मी कपड़े प्रेस करते वक्त बुदबुदा रही थी कि मम्मी हमेशा से ही ड़ांटती आर्इ हैं। अगर मैं लड़का नहीं तो इसमें मेरा क्या दोष……..। यह कह कर मम्मी आंसू पोंछने लगी……
मैं मम्मी के पीछे ही खड़ी थी पर मम्मी को पता ना था। नानीजी बाजार शापिंग के लिए गर्इ हुर्इ थी। मैंने प्रेस का स्विच बंद किया और मम्मी का हाथ खींच कर अपने कमरे में ले गर्इ। मम्मी ने मुझे उस समय कुछ नहीं कहा। मैंने मम्मी के माथे पर प्यार किया। उस समय मेरी आवाज भी थोड़ी भर्रा गर्इ थी। मम्मी, क्या हुआ! मैंने बहुत प्यार से पूछा। मम्मी ने किसी छोटे से आज्ञाकारी बच्चे के समान ना की मुद्रा में गर्दन हिला दी। मैंने पूछा, आप भी मुझे इसलिए प्यार नहीं करती ना, क्योंकि मैं लड़की हूं। मम्मी ने यह सुनते ही मेरे मुंह पर हाथ रख दिया और आंखों से आंसुओं की बरसात होने लगी। मम्मी बोली, बचपन से ही मैं यही सुनती आर्इ हूं। मेरी मां हमे मुझे ही कोसती थी। फिर जब तू हुर्इ तो मुझे और अपमान झेलना पड़ा। मैंने कहा, मां, क्या मैंने आपकी कभी ऐसा महसूस होने दिया कि मैं लड़की हूं। साइकिल चला कर बाजार के सारे काम करके लाती हूं। रेडि़यो ठीक कर देती हूं। गैराज से गाड़ी तक भी बाहर खड़ी कर देती हूं। फिर आप ऐसा क्यों सोचती हैं? नानी की बात ठीक थी। उस समय जमाना और था। अब जमाना बदल गया है। आज के समय में लड़कियां बहुत कम अनुपात में रह गर्इ हैं। बलिक आज के समय में तो लड़की होने पर आपको गर्व होना चाहिए। मम्मी चुपचाप सब बातें सुन रही थी।
मम्मी, मैं आपको और पापा को बहुत प्यार करती हूं और मैं चाहती हूं कि आप भी मुझे उतना ही प्यार दें।
मम्मी ने मुझे गले से लगा लिया और बोली, कर्इ बार मैं भी यही सोचती थी कि मैं तुम्हें खूब प्यार करूं, पर फिर सोचती थी कि जब मुझे अपनी मम्मी से प्यार नहीं मिला तो मैं तुम्हें प्यार क्यों दूं। तुम्हें मैं वही देने लगी जो मुझे अपने घर से मिला। लेकिन मैं वाकर्इ में गलत थी। मेरी प्यारी बच्ची…..मुझे माफ कर दे……! इतने में नानीजी की आवाज आर्इ ओ……..मणि की मां…… दरवाजा तो खोल………मेरे दोनों हाथ भरें हैं…..! मम्मी और मैं दोनों मुस्कुरा दिए।
मम्मी मुझे भली प्रकार समझ चुकी थी। और मेरा जन्मदिन खूब धूमधाम से मनाया गया। नानीजी की अब मुझे परवाह नहीं थी। लेकिन उन्हें आदर-मान देने में मैंने कोर्इ कसर नहीं छोड़ी। नानीजी की आंखें भी खुली की खुली रह गर्इं, जब मेरी एक सहेली विडियो से हमारी पिक्चर बना रही थी और दूसरी फटाफट स्कूटी पर जाकर कोल्ड ड्रिंक्स ला रही थी।
मैं बहुत ही खुश थी। मुझे मम्मी का प्यार मिल गया था, जो कि मेरा सबसे बड़ा तोहफा था। जन्मदिन से अगले दिन पापा का टूर भी खत्म हो गया था। पापा दो दिन घर पर ही रहने वाले थे। पापा मेरे लिए बहुत ही सुंदर डाल लाए थे। जहां इतनी बड़ी, प्यारी गुडि़या देखकर मम्मी और मैं हैरान हो गए, वहीं नानीजी का मुंह बन गया कि गुड्डा ना ला सकता था क्या, जो गुडि़या ले आया।
लेकिन पापा हंसते हुए बोले कि इस घर में गुडि़या के लिए भी तो एक गुडि़या चाहिए। यह बात सुनते ही मम्मी तो शरमा गर्इ। पर मैं समझ गर्इ और अपनी सहेलियों को गुडि़या दिखाने भाग गर्इ।
तो कैसी लगी आपको सबसे प्यारा तोहफा कहानी … आप जरुर बताना 🙂