Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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December 2, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

ब्लॉग लेखन

how-to-start-a-blog-and-make-money

 

 

blog photo

Photo by xioubin low

 

ब्लॉग लेखन

एक समय था जब बाजार में ढेर सारी पत्र पत्रिकाओं का बोलबाला था. हर महीने हमें नए अंक का इंतजार रहता और अगर उन जानी मानी पत्रिकाओं में हमारा लेख भी प्रकाशित होता तो फिर तो क्या कहना होता … आज समय बदल चुका है. बेशक, पत्रिकाएं बाजार में बहुत है पर इंटरनेट लिखने और   पढने के लिए विशाल और अथाह सागर बन गया है. इसमे मुख्य भूमिका निभा रहा है ब्लॉग लेखन .

 कहना गलत नहीं होगा कि ब्लॉग  अपनी बात रखने का सबसे अच्छा माध्यम है जिस पर हम अपने मन की बात, अपने विचार, अपने अनुभव सांझा कर सकते हैं और अपनी सोच  को नई उडान दे सकते हैं. अपना ब्लॉग बना कर विभिन्न विषयों व लेखो के जरिए अपना ज्ञान, अनुभव सांझा  कर सकते हैं जिससे पाठको को फायदा मिल सके.

एक समय ऐसा था जब मुझे भी ब्लॉग की कोई जानकारी नही थी. बस नेट पर इधर उधर सर्च करती. कभी कहीं तो कभी कहीं  कमेंट करती रहती. फिर जब मुझे ब्लाग की जानकारी मिली तो मुझे लगा कि ये तो बहुत ही अच्छा आईडिया है. यहां लिख कर मैं अपने विचारों को नया रुप दे सकती हूं और अपने विचार सांझा कर सकती हूं  और तब से आज तक मैं ब्लाग में विभिन्न 896 पोस्ट डाल चुकी हूं.

अक्सर ब्लॉग बनाने के बारे में मेरी बहुत लोगों से बात होती रहती है.

ब्लॉग लेखन कौन कर सकते हैं …

उदाहरण के तौर पर एक जानकार से बात की तो उसका कहना था कि उसे तो सिवाय अपने गार्डन और किचेन गार्डन की देखभाल के और कुछ नही आता. उसमे लगभग 100 तरह के फूल खिले हैं और हर रोज छोटे से बागीचे से वो ढेर सारी सब्जियां निकालती है. मैने उसे बताया कि ऐसे बहुत लोग हैं जिनके पास बहुत जगह खाली है और बहुत समय भी है अगर ये सब बातों की जानकारी वो अपने ब्लाग पर डालेग़ी तो बहुत लोगो को फायदा होगा और पर्यावरण पर जो सकारात्मक असर पडेगा वो अलग … इस पर उसे बात जंच गई.

एक अन्य उदाहरण में एक बच्चे की ड्राईंग बहुत अच्छी है वो बस उसे बना बना कर अलमारी मे रख देता है अगर ब्लाग बना कर वो उसमे डालेगा तो और भी उस जैसे नन्हे बाल कलाकारों  का मनोबल बडेगा और वो आगे आएगे और धीरे धीरे वो अपना जूनियर ग्रुप भी बना सकते हैं.

और रिटायर हुए लोगों के लिए तो ये वरदान से कम नही. वो अपने अनुभव और जानकारी ब्लाग के माध्यम से आम जन तक पहुंचा सकते हैं. स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रखा जाए क्या किया और क्या न किया जाए उनसे बेहतर हमे कोई नही बता सकता.

देखा जाए तो हम नेट पर कुछ न कुछ सर्च करने ही जाते हैं और अगर हम किसी को अपने अनुभव के आधार पर कोई उपयोगी जानकारी कोई सुझाव कोई पठनीय सामग्री दे सकें तो इससे बेहतर और क्या बात हो सकती है. बडे, बुजुर्ग, गृहणियां या कालिज मे पढने वाले छात्र  सभी ब्लाग बना कर ना सिर्फ अपनी बात दूसरो तक रख सकते हैं बल्कि ब्लाग को आय का साधन भी बना सकते हैं यानि कि एक पंथ दो काज…

 बातें बहुत है और उदाहरण भी बहुत है बस जरुरत है आपको एक रुप देने की और अपनी सोच को एक उडान देने की.

… तो अगर आप भी ब्लाग के माध्यम से अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं तो  Contact करें

 

December 1, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

Petrol

Petrol Petrol

Petrol सस्ता हुआ है शापिंग तो बनती है ना

December 1, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

दिल की बात

अपना ख्याल रखिए

दिल की बात

पिछ्ले सप्ताह मेरी सहेली मणि के अंकल की अचानक तबियत खराब हो गई शायद हार्ट अटैक था. उन्हें तुरंत दिल्ली लेकर जाना पडा. मैं, जब मणि के घर मिलने गई तो वो बेहद उदास थी. मैनें समझाया चिंता मत कर. इस पर वो मुझे बोली कि तू हमेशा कहती है कि जो कुछ होता है अच्छे के लिए होता है अब उनकी अचानक तबियत खराब हुई इसमें अच्छा क्या हुआ. मैं चुप ही रही क्योकि वो मुझे पता था कि इस समय वो बहुत उदास है मेरे कुछ भी कहने का कोई फायदा नही होगा.

अभी कुछ देर पहले ही वो आई और बहुत खुश थी क्योकि उसके अंकल का आप्रेशन सफल रहा और वो वापिस लौट आए हैं. आज उसने मुझे बोला कि तूने सही कहा था कि जो होता है अच्छे के लिए होता है. मेरे पूछ्ने पर कि आखिर हुआ क्या. इस पर वो बोली कि तबियत खराब के बाद से अंकल ने सिग्रेट पीना हमेशा के लिए छोड दिया है वो दिन में तीन तो कभी चार पैकेट सिग्रेट पीते थे. तो हुआ न अच्छा.

मैं भी मुस्कुरा दी. वैसे कई बार जिंदगी में मौके ऐसे आते है कि हमारा मन चाहा नही होता ऐसे मे यही सोचना चाहिए कि मन का हो तो अच्छा और मन का ना हो तो और भी अच्छा क्योकिं अब वो होगा जो भगवान को सही लगता है.. इसलिए हर हाल में बस खुश रहिए और सकारात्मक सोचिए.

heart photo

 

December 1, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

Press

Press

Iam from press..

प्रैस का स्टीकर लगाना कितना जायज

एक जानकार मार्किट मे मिले कार के आगे पीछे  PRESS का स्टीकर लगा रखा था. मुझे बडी खुशी हुई अरे वाह !!! प्रैस ??? कौन सा चैनल ??? इस पर वो मुस्कुरा कर बोले अरे कोई नही !!! वो तो Press  लगा कर थोडा सहारा मिल जाता है पुलिस ज्यादा छानबीन नही करती… और चालान भी नही होता मेरे हाव भाव से शायद वो समझ गए कि मुझे यह बात पसंद नही आई थी  …!!!

देखा जाए तो ये सही नही है क्योकि कुछ लोगो के ऐसे दुरुपयोग की वजह से मीडिया को मक्खी / मधुमक्खी की उपमा मिलने लगी है. !!! वैसे आप तो ऐसे नही होंगें !!! है ना !!!

Press Tv

cars photo

Photo by born1945

 

December 1, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

भारतीय महिलाए और समाज

indian lady photo

Photo by Picture Institute- Bristol Margate Nida London

 

भारतीय महिलाए और समाज

 महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में एक महिला ने शनि महाराज को तेल चढा दिया. इसके बाद बवाल खडा हो गया क्योकि ट्रस्ट का कहना है कि 400 साल की परंपरा में पहली बार किसी महिला ने मंदिर के चबूतरे पर चढकर शनि महाराज को तेल चढाया, यहां ऎसा नहीं होता है। ट्रस्ट की ओर से रविवार को मंदिर का शुद्धिकरण किया गया. इस खबर को बहुत प्रमुखता से दिखाया गया. खबर देखते देखते मेरा मन बहुत साल पीछे उड चला. मैं उन दिनों मे पहुंच गई जब टीवी, मोबाईल या कम्प्यूटर नही हुआ करते थे.

संयुक्त परिवार होते और और नानी ,दादी के घर बिल्कुल अलग माहौल होता. रेडियों ,पत्र, पत्रिकाओ का बोलबाला हुआ करता था. पत्रिकाओं में एक पत्रिका थी सरिता. सरिता पत्रिका में एक कालम आता था हमारी बेडिया. उसे अगर आज के समय में पढे तो हैरान हो जाएगा कि महिलाओ के साथ किस किस तरह का व्यवहार किया जाता था.  किस तरह के आडम्बर और बेडिया थी समाज में.

बाहर की तो बात अलग है घर पर ही ढेरों बंधनों में रहती जैसाकि महीने के तीन दिन उसके साथ अछूत जैसा व्यवहार किया जाता था ( सम्भव है आज भी कुछ परिवारों में यह परम्परा हो) और अगर कोई विधवा हो गई है तो उसके लिए तो बहुत बंधन थे समाज में. लडकियों को बस रसोई घर तक ही सीमित रखा जाता. पढाई तो बहुत दूर की बात थी और अगर फिर भी पढ लिख लेती तो आठवी, दसवी करते ही रिश्ते की खोज शुरु हो जाती. इतना ही नही घरों में अपने ही लोग महिला का शोषण करते और उसे अपनी आवाज दबाने को मजबूर किया जाता और वो ये सब जुल्म सहती रहती. कुल मिला कर उस दौर को पुरुष प्रधान समाज का नाम दिया जाए तो गलत नही.

अब बात आती है आज के दौर की. जहां माता पिता लडकी को पढाना चाहते हैं. शहरों में ही नही गांवों में भी लडकी को पढाने लिखाने के मामले में मानसिकता बदली है. इतना ही नही जो कोई भ्रूण या लिंग की जांच करवाता है कि अगर लडकी है तो गिरवा दो कि भावना रखता है ऐसे डाक्टर को और अविभावकों को  सलाखों के भीतर कर दिया जाता है. महिलाए नौकरी करके कमा रही हैं और अपने पैरों पर खडी हैं आज समाज में बोलने की आजादी, लिखने की आजादी है और टीवी धारावाहिकों  सोशल नेट वर्क आदि के माध्यम से  जानकारी मिलती है कि क्या सही है क्या गलत ? अनेको एप्प मार्किट में आ गए हैं  जिससे चाहे वो बच्ची हो या महिला सचेत और जागरुक रहती है.

अचानक मेरी तंद्रा भंग हुई और देखा उसी मंदिर के पुजारी बता रहे थे कि परम्परा किसने बनाई और क्यो बनाई ये तो पता नही पर 400 साल से भी ज्यादा से यही चली आ रही है इसलिए मंदिर का शुद्धिकरण करना जरुरी था. उस महिला ने सही किया या गलत इस विषय पर बहस चालू हो चुकी है पर कुल मिला कर उन दिनों की तुलना में आज समाज में महिलाओं को लेकर बहुत परिवर्तन आया है बेशक, उन बेडियों से आजाद तो नही हुए पर राहत जरुर मिली है जोकि एक अच्छा संकेत है.

महिलाओं ने अपनी मिली स्वतंत्रता का कितना दुरुपयोग किया है … ये अलग बहस का विषय है जिसके बारे में अगली बार मुद्दा उठाएगें ..

भारतीय महिलाए और समाज के बारे में आपकी क्या राय है …

November 30, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

शरारत और बचपन के दिन

शरारत और बचपन के दिन

  Shararat  aur Bachpan, मासूम बचपन, प्यारा बचपन ,

बच्चों की दुनिया बहुत प्यारी है इसे प्यारा ही बने रहने दीजिए.

आज  सुबह हमारे शहर में बहुत धुंध थी. मैं बाहर खडी मौसम देख रही थी. कुछ बच्चे धुंध में बच्चे अपनी स्कूल बस की इंतजार कर रहे थे और कुछ बच्चे बाते करते हुए जा रहे थे.तभी पीछे से एक बच्चे की आवाज आई देख मै सिग्रेट पी रहा हूं. मै हैरान कि स्कूल जाने वाले बच्चे ये क्या कर रहे है और मेरे मन में सैकडो बाते आ गई उस बच्चे के भविष्य को लेकर और मैने उसी समय पीछे मुड कर देखा कि .पता है मैने क्या देखा. बच्चा धुंध की वजह से मुहं से जान बूझ कर, हंसता हुआ, धुंआ निकाल कर सिग्रेट् पीने की एक्टिंग कर रहा था. मै उसकी  मासमूयित पर मुस्कुरा दी.

सच, आज के तनाव भरे वातावरण मे हम इतने घुल मिल गए है कि बचपन, मासूमियत और उनकी शरारतो को भूलते ही जा रहे हैं जबकि हमे उन्हे जिंदा रखना है. फिर मै भी उन बच्चो के मिल कर हंसते हंसते जानबूझ कर एक्टिंग करके मुहं से धुंआ निकलने लगी….!!! उनकी मासूम और प्यारी हंसी हमेशा ऐसी ही बनी रहॆ उसके एक लिए हमे ही प्रयास करने होंगें ..

बचपन

childhood photo

Photo by susivinh

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