Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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August 12, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

एन. रघुरामन- मैनेजमेंट फंडा – एक शख्सियत

एन. रघुरामन- मैनेजमेंट फंडा – एक शख्सियत

Ab Muskil

एन. रघुरामन- मैनेजमेंट फंडा – एक शख्सियत

N Raghuraman Management Funda in Dainik Bhaskar

कुछ साल पहले मैनें बच्चों को प्रेरित करने के लिए एक किताब लिखी थी अब मुश्किल नही कुछ भी और सोच विचार उन नामों पर था जिन्होनें अपना बचपन  बेहद साधारण रुप में यापन किया और आज आसाधारण प्रतिभा बन कर हम सभी का मार्ग दर्शन कर रहे हैं अपनी किताब के लिए मैने जिन आसाधारण प्रतिभाओं का साक्षात्कार लिया उनमें से एक हैं  एन रघुरामन.. हम हमेशा उन का लिखा मैनेजमैंट फंडा पढते हैं पर आज पढिए रघु जी के बारे में…

एन रघुरामन
कहते है कि एक अच्छी किताब सौ दोस्तो के बराबर होती है पर एक अच्छा उत्साहित करने वाला दोस्त हो तो वो तो पूरी की पूरी लाइ्रब्रेरी ही होता है।
जी हॉ, अब जिस शख्सियत से आपकी मुलाकात होगी वो हजारो प्रेरक प्रंसगो और जागरूक करने वाले फंडो की चलती फिरती लाइब्रेरी से कम नही है। मैनेजमैंट फंडा के जनक श्री एन रघुरामन आज किसी परिचय के मोहताज नही है। लेखन के प्रति समर्पित नटराजन रघुरामन मध्य प्रदेश दैनिक भास्कर के स्टेट एडिटर है और समस्त सिटी भास्कर के मुखिया है।

मैनेजेमैंट फंडा के नाम से दैनिक भास्कर में नियमित रूप से कालॅम लिखने वाले रघु जी से जब मिलने का समय लिया तो उन्होने तुरन्त अपने व्यस्त कार्यक्रम से कुछ समय निकाल लिया और फिर शुरू हुआ बातो का सिलसिला। बाते शुरू करने से पहले एक बात मैने महसूस की कि रघु जी सादगी की जीती जागती मिसाल है जिससे भी मिलते है उसे अपना बना लेते है और ऐसा महसूस होने लगता है कि इन्हे तो हम बहुत पहले से ही जानते है।

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13 मई 1960 को तमिलनाडू के तंजौर जिले के कुम्भाकोणम् मे इनका जन्म हुआ। इनकी मॉ जी श्रीमति जय लक्ष्मी गृहणी और पिता श्री वैकेटारामन नटराजन् वर्धा रेलवे स्टेशन जोकि गांधी आश्रम के पास था। उसी रेलवे में कार्यरत थे। रघुजी के दादाजी के भाई डा0 शंंकरन् महात्मा गांधी जी के तमिल टीचर थे।

वाह !!  हैरानी से सारी बात सुने जा रही थी। उन्होने बताया कि इस कारण उनको भी आश्रम मे जाने का और गांधी जी से सम्बधित चीजो को पास से देखने का सुअवसर मिला। बताते बताते उनकी आंखो मे एक अलग सी चमक आ गई। निश्चित तौर  पर यह बात किसी के लिए भी गर्व का विषय हो सकती है.

रघुजी ने बताया कि दिनचर्या मे अकसर वो स्कूल जाने से पहले गांधी आश्रम की झाड़पोछ करते और खुद को भाग्यशाली समझते। सैलानियो के लिए आश्रम आठ बजे खुलता था। तब तक उनके स्कूल जाने का समय हो जाता।
वो बता रहे थे कि बचपन में घर मे आर्थिक रूप से बहुत तंगी थी इसलिए उन्होने 14 साल की उम्र से ही अपने घर का खर्चा चलाने के लिए छोटा मोटा पढाने का काम करने लगे पर पढाई साथ में जारी रही। मैं हैरानी से उनकी बाते सुन रही थी। उन्होनें बताया कि समय ऐसे ही बीत रहा था। कुछ समय बाद गॉव में अच्छा स्कूल ना होने की वजह से उनका परिवार नागपुर जा कर बस गया और स्कूली शिक्षा नागपुर से हुई। मेरे मन मे प्रश्न् उठ रहा था कि कम उम्र में ही उन्होने घर का खर्चा चलाने के लिए काम भी करना शुरू किया पर आखिर लेखन की तरफ कैसे और कब आकर्षित हुए।
इस पर वो मुस्कुराते हुए बोले कि इसको भी अलग ही कहानी है असल में, 1978 में यानि जब वो 18 साल के थे तब उन्होने रोची प्रोडेक्ट में मशीन संचालक के रूप मे कार्यभार सम्भाला। जो सैरीडोन दवाई बनाते थे। मैने फिर बीच मे पूछा कि लेखनी…….। इस पर वो बोले कि वो उसी बात पर आ रहे है काम के दौरान एक बार सैरीडोन दवाई का पैकेट जल गया तो वहा के जी0एम0 श्री डा0 काशीनाथ कॉल ने कहा कि लिख कर सारी जानकारी दो कि ये जला कैसे। जब उन्होने लिख कर दिया तो सारी बाते भूल कर वो उनकी लेखनी से बहुत प्रभावित हुए और उसके बाद लेखन के क्षेत्र मे आगे हो बढ़ते गए।

फ्री प्री जनरल उनका पहला पेपर ग्रुप था जिसमे उन्होने काम करना शुरू किया। बचपन से एक ऐसा माहौल देखा था कि मन मे आता था कि कुछ ऐसा लिखूं की आमजन तक उनकी आवाज पहुचे। इसी बीच लेखन के साथ साथ पोस्ट ग्रेजूएशन की और एम0बी0ए0 की डिग्री  मुम्बई से प्राप्त की।
सन् 2000 में दैनिक भास्कर समाचार पत्र में मैनेजेमैंट गुरू के नाम से कालॅम लिखना शुरू किया और हर दिन लेखो की जबरदस्त प्रतिक्रिया मिलती रही जिससे हर रोज कुछ नया कुछ अलग लिखने की भावना आती रही। उनके लेख ना सिर्फ पंसद किए जाते बल्कि पाठक उनसे प्रेरणा भी लेने लगे। इसके लिए उन्होने विशेष रूप से दैनिक भास्कर का धन्यवाद किया क्योकि उसके माध्यम से वो निरन्तर अपनी बात रख रहे है।
मै उनकी बाते बहुत ध्यान से सुन रही थी और मैं कुछ पूछने को ही हुई थी कि उनका फोन आ गया और वो दो मिनट का समय लेकर बात करने मे व्यस्त हो गए।
फोन रखने के बाद मेरा प्रश्न तैयार था कि बहुत लोग आपको अपना गुरू या आर्दश मानते है क्या आपके भी कोई प्रेरक है? इस पर वो मुस्कुराते हुए बोले कि जिससे भी चाहे वो बच्चा हो या बडा सीखने को मिले वो उनका गुरू है। वैसे वो श्री सी0के0 प्रहलाद जोकि जाने माने मैनेजेमैण्ट एक्सपर्ट है उन्हे बहुत पंसद करते है क्योकि जमीन से जुडे उनके लेख आम आदमी को बहुत प्रभावित करते है।

इसी बीच फिर से उनका फोन आ गया और वो किसी से बात करने लगे। मेरा अगला प्रश्न तैयार था। फोन रखते ही मैने पूछा कि आपके बचपन की कोई ऐसी धटना जिसे आप कभी ना भूल पाए। उस पर वो बोले कि बाते तो बहुत है पर एक धटना बहुत बड़ी सीख दे गई थी।
एक बार गॉव मे मेला लगा हुआ था। मॉ ने 5 पैसे दिए। मेरी गो राऊड (गोल घूमने वाला) झूले में तीन पैसे का एक चक्कर था। एक चक्कर लगाने के बाद झूले वाले ने कहा कि दो पैसे में वो एक चक्कर और लगवा देगा। वो खुश हो गए और एक चक्कर और लगा लिया। घर लौट कर जब मॉ जी की बताया कि झूले में 5 पैसे लगा दिए दो पैसे बेवजह खर्च करने पर तो बहुत नाराज हुई कि 2 पैसे खर्च करने का अधिकार किसने दिया इसके परिणाम स्वरूप उन्हे 6 धण्टे धूप मे खडे रहने की सजा मिली। बुखार भी हो गया और डाक्टर का खर्चा हुआ वो अलग। पर ये बात बहुत बडा सबक दे गई कि ऐसे ही फिजूल खर्च नही करने चाहिए और बात भी सही है जब तक हम कमाते नही है तब तक इसकी कीमत भी नही पता लगती।
उन्होने बताया कि आज के समय मे जहॉ बच्चे 100-200 रूपये तो ऐसे खर्च कर देते है वहा 2 पैसे की बात सुनकर उन्हे हॅसी ही आऐगी। पर ये भी एक सच है ऐसा लगा कि वो बाते बताते बताते कही खो गए मैने बात को आगे बढ़ाते हुए पूछा कि बचपन की और क्या बात बहुत याद आती है उन्होने बताया कि मॉ जब अपने हाथ से खाना खिलाती थी तो वो समय बहुत याद आता है। काश वो समय दुबारा आ जाए कहते-कहते वो संजीदा हो गए।

मैने बात बदलते हुए पूछा कि चलिए खाने की बात चली है तो खाने मे क्या-क्या पंसद है । तो उन्होने बताया दही, चावल अचार बहुत पंसद है और अगर पूरे साल सिंर्फ यही मिले तो भी वो बहुत शौक से खा सकते है बताते हुए उनके चेहरे पर मुस्कान दौड गई। मैने जानना चाहा कि उनकी दिनचर्या कैसी रहती है तो उन्होने बताया कि सुबह 5.30 बजे उठाना और 6 बजे से 8 बजे तक अखबार पढ़ना और सैर करना रहता है और इसी बीच विचारो की उथल पुथल होती रहती है और वही समय लेखन के लिए उपयुक्त होता है।
मैने मुस्कुराते हुए पूछा कि हम अपने मनोरंजन और ज्ञानवर्धन के लिए आपके लेख पढ़ते है पर आप इसके लिए क्या करते है कोई फिल्म वगैरहा या इस पर वो बोले कि फिल्मो मे तो ज्यादा रूचि है नही पर लेखन के लिए फिल्म देखनी पड़ती है और पसंदीदा गाना पूछने पर उन्होने बताया कि एम0एस0 सुब्बालक्ष्मी का भजन भज गोविंदम् प्रार्थना है। जब कभी भी सुनते हैं तो रोंगटे खडे हो जाते है और बार बार सुनने का मन करता रहता है।
मेरे पूछने पर कि आप दक्षिणी भारतीय है कौन सी जगह भारत की पसंद है उन्होने मुस्कुराते हुए कहा कि सभी जगह उन्हे बहुत पसंद है फिर मेरे एक प्रश्न पूछ्ने  पर कि जिंदगी में हमेशा  उतार-चढाव और टेंशन  आती रहती है। तनाव के वक्त खुद को कैसे कूल रखते है… उन्होने सहज होते हुए कहा कि टेंशन होने पर टेंंशन मे रहने से कोई नतीजा नही निकलता।

उन्होने बताया कि अब इस समय उनकी बेटी अस्पताल मे भर्ती है तबियत ठीक नही है और वो उसके पास नही है पर टेंशन लेने से ना तो वो ठीक हो जाऐगी और न ही वो ठीक रह पाऐगें। हां  इतना जरूर है कि उन्होने सभी अपने डाक्टर मित्रो को बोल दिया है और वो लगातार उनसे फोन पर सम्पर्क बनाए हुए है और उसकी तबियत की जानकारी दे रहे है।
सच पूछो, तो अब मैं थोड़ी असहज हो गई क्योकि मुझे लगा कि शायद ये सही समय नही है उनसे बात करने के लिए। तो उन्होने कहा कि कोई दिक्कत ही नही है आप अपना अगला प्रश्न पूछिए।

मैने मुस्कान लाते हुए पूछा कि बचपन मे आपने कोई सपना देखा था। उन्होने बताया कि बचपन में बहुत गरीबी देखी थी इसीलिए बस यही सपना देखता था कि बडे होकर आराम की जिंदगी जीउ, इसीलिए बचपन से ही दिन रात मेहनत शुरू कर दी। 14 साल की उम्र से काम मे लग गया। आज ईश्वर की कृपा है कि उन्होने मेरी प्रार्थना सुन ली और उनके बच्चे को वो सब नही देखना पडा जो उन्होने देखा।

अब बच्चे का भविष्य खुद बच्चो पर निर्भर है कि वो अपना आने वाला कल कैसे बनाते है। बिल्कुल सही बात है। मै उनकी बात से सहमत थी।
मै जानना चाह रही थी कि उनके परिवार में और कौन कौन है और परिवार को कितना वक्त दे पाते है इस पर वो बोले कि उनकी पत्नी प्रेमा है, प्यारी सी बिटिया है और पिक्सी नाम की डॉगी है पर जहॉ तब वक्त देने की बात है.

सच मे, व्यस्तताएॅ इतनी ज्यादा है कि वो ज्यादा समय परिवार को नही दे पाते। पर जब भी समय मिलता है तो उनका सारा समय परिवार के साथ ही बीतता है और कहते कहते मुस्कुराने लगे।
मेरा अगला प्रश्न भी तैयार था कि भविष्य को लेकर आपका क्या सपना है इस पर वो मुस्कराते हुए बोले कि अच्छा सवाल है वो अक्सर सोचते है कि उनके इस दुनिया से अलविदा कहने के बाद जब लोग आएगे तो क्या बात करेगे कि अच्छा हुआ एक बुरा आदमी दुनिया से चला गया । बहुत दुख हुआ। उन्होने बच्चो और बड़ो से बहुत ज्ञान बांंटा पर अब शून्य ही रह गया ।

फिर खुद ही मुस्कुराते हुए बोले कि वो जानते है कि अभी वो उस रास्ते से कोसो दूर है जब लोग उनके बारे मे अच्छा बोलेगे पर इतना यकीन है कि वो कम से कम सही रास्ते पर तो है।
इसमें कोई शक नही कि अपने लेखन से वो पाठको को हर रोज कुछ ना कुछ नया सन्देश दे रहे है। सन्देश से मुझे याद आया और मैं पूछ बैठी कि बच्चो को क्या संदेश देना चाहते है तो वो कुछ सोचने की मुद्रा मे बोले कि आज के बच्चे बहुत समझदार है उनके सपने वो जानते है कि उन्हे क्या करना है पहले साधन नही थे। आज उनके पास सभी साधन और सुविधाए है बस उसका इस्तेमाल सही ढ़ग से करना होगा। सीधे शब्दों  मे कहे तो चीनी, चावल उनके पास है खीर कैसे बनानी है यह उन्हे सोचना होगा।

नींव उनके पास उस पर महल कैसे खडा करना है उन्हे विचारना होगा ताकि आने वाली पीढी के लिए रास्ता खुला रहे। हम सभी को उन्हे प्रोत्साहित करना होगा, पीठ थपथपानी होगी ताकि वो मीलो आगे जा सकें। बस अपने से बडो का आदर मान कभी नही छोडना चाहिए। जो बच्चे अपने अभिभावको का आदर करते है देख कर बहुत खुशी होती है उन्होने सभी बच्चो को शुभकामनाए दी और कहा कि अपने माता पिता बडे बुर्जगो की सेवा करते, आशीर्वाद  लेते अपने लक्ष्य की ओर बढो फिर देखो सफलता आपके कदमो मे होगी।
फिर उनका फोन आ गया और वो फोन पर बात करने मे व्यस्त हो गए और मैं भी अपने कागजो को समेटने लगी क्योकि बहुत सारी जानकारी उनसे ले ली थी। बस एक आखिरी प्रश्न  पूछना रह गया था कि उनकी भविष्य मे क्या योजनाए है फोन पर बात करने के बाद वो समझ चुके थे कि मैं कुछ पूछना चाह रही हॅू प्रश्न  सुनने के बाद वो बोले कि वो दिन रात इसी प्रयास में जुटे है कि लेखन के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगो के बीच मे रह कर उन्हे जागरूक और प्रेरित करते रहे।

nraghu ji

 

चार किताबे भी लिखी है और दूसरी किताबो पर काम चल रहा है इसी सिलसिले ने ना सिर्फ देश के अन्य शहरो मे बल्कि विदेशो में भी दौरे लग रहे है और लोगो के स्नेह देखकर वो भी बहुत उत्साहित है मुझे जाने के लिए उठता देख उन्होनें कहा कि आपके बिना प्रश्न पूछे एक बात का मैं जवाब देना चाह्ता हूं कि  उनकी बिटिया अब ठीक है अभी फोन पर बात हुई है । उनकी बात सुनकर मै मुस्कुरा उठी।
मैने उन्हे सुनहरे भविष्य की ढेर सारी शुभकामनाए दी और वहा से रवाना हो गई ।जाते जाते मैं सोच रही थी कि सादा जीवन उच्च विचार रखते हुए रघु जी आज निसन्देह एक चमकते सूरज के समान अपनी किरणो रूपी बातो और लेखो से हम सभी में एक नई स्फूर्ति भर रहे है। यही सोचते सोचते मै आगे बढ़ गई।

कैसा लगा आपको उनका ये साक्षात्कार ?? जरुर बताईएगा !!

July 19, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

हिंदी ब्लॉगर- ब्लॉगिंग और मेरा Passion

हिंदी ब्लॉगर- ब्लॉगिंग और मेरा Passion

ब्लॉगर मोनिका गुप्ता. बात ज्यादा पुरानी भी नही जब मैंने इंटरनेट की दुनिया में सहमे सहमे प्रवेश किया. मन में जहां बहुत उत्साह था वही एक डर भी था कि न जाने ये दुनिया कैसी होगी ? गूगल प्लस, फेसबुक, टवीटर, आदि बहुत सी साईट्स ने आकर्षित किया पर सबसे ज्यादा मैं ब्लॉग शब्द से प्रभावित हुई.

एक मित्र फेसबुक पर खुद को  ब्लॉगर के नाम से खुद को सम्बोधित करते तब बहुत अच्छा लगता पर सोचती भी कि आखिर ये ब्लॉग होता क्या है जैसे जैसे जाना वैसे वैसे अंदर बैठा लेखक हिलोरे लेने लगा ,बेशक समाचार पत्रों, बाल साहित्य पत्रिकाओं में ढेरों लेख, कार्टून कहानियां छ्प चुके हैं पर फिर भी बहुत रचनाए ऐसी होती थीं जो सम्पादक महोदय के डेस्क से धन्यवाद सहित वापिस आ जाती थी…

बेशक, सम्पादक महोदय के ज्ञान पर मुझे कोई संशय नही होता पर पर्सनल तौर पर वापिस आई रचना इतनी बुरी भी नही होती थी.. मुझे ब्लॉग देख कर लगा कि अब मैं सब कुछ लिख कर प्रकाशित कर पाऊंगी… यकीनन, जिम्मेदारी भी बहुत है क्योकि हम लेखक भी हैं, सम्पादक भी हैं और प्रकाशक भी है … !!

 मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ता

 

29. 11. 2012 की बात है जब मैनें अपना blog  बना कर लिखना शुरु किया  और आज की तारीख में 1,308 यानि एक हजार तीन सौ आठ पोस्ट हो चुकी हैं और अगर इंडिया में रैंकिंग देखी जाए तो Alexa Traffic Ranking IN में बीस हजार से कम है और पूरी दुनिया में 2, 56,667  है . मेरी पोस्ट में लेख, कहानियां, कार्टून, वीडियो, ऑडियो ब्लॉगिंग टिप्स आदि अन्य बहुत सारी रोचक और प्रेरणादायक साम्रग्री है…!!

इससे पूर्व नव भारत टाइम्स में  ब्लॉग  लेखन की शुरुआत की थी. बात 30 जून 2011 की है जब मैंने नव भारत टाइम्स में अपना रीडर्स ब्लाग लिखना शुरु किया  था उसमें भी मेरे बनाए कार्टूंस को बहुत प्रमुखता दी गई.  भी तब से आज तक 800 से ज्यादा लेख, विचार और कार्टून प्रकाशित हो चुके हैं और फिर अक्टूबर 2015 से  नव भारत टाईम्स ने मुझे रीडर्स ब्लॉग  से author blog में शामिल कर लिया गया है जिसमें मेरे अधिकतर कार्टून प्रकाशित होते हैं. निसंदेह बेहद  खुशी का विषय है … !शेष फिर….. नाम देकर  मैनें नए सिरे से  author blog की शुरुआत की है.

दायित्व और भी ज्यादा बढ गया है इसलिए मेरा सदा प्रयास रहेगा कि अपने लेख, कार्टून के माध्यम से अपने विचार और भी दमदार तरीके से व्यक्त कर पाऊ.. !!

Cartoon: Pokemon and ‘acche din’ are similar, they don’t exist – NavBharat Times Blog

लेखिका, कार्टूनिस्ट, पत्रकार और समाज सेविका मोनिका गुप्ता 27 साल से लेखन मे सक्रिय हैं। राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओ मे निरंतर लेख प्रकाशित। दूरदरर्शन में कार्यक्रम व आकाशवाणी में ऐंकरिंग तथा नाटक, झलकियां दीं। सिटी केबल के अनेक कार्यक्रमों की स्क्रिप्ट, जिंगल्स व वॉइस ओवर की। “सैमसन क्रिएशन “और “दोस्त “संस्था के माध्यम से बच्चों मे छिपी प्रतिभा को सामने लाने में भूमिका निभाई। ज़ी न्यूज़ की दस साल संवाददाता रहीं। अभी तक 7 पुस्तकें प्रकाशित। जिसमें से दो नैशनल बुक ट्र्स्ट से हैं। रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक करती हैं। 2011 से कार्टून बनाने आरम्भ किए जोकि राष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रहे हैं। पुस्तक लेखन के साथ-साथ आजकल अपने www.monicagupta.info ब्लॉग लेखन में जुटी हैं। read more at indiatimes.com

 

लेखिका से कार्टूनिस्ट तक का सफर

https://monicagupta.info/articles/%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%96%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%82%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F-%E0%A4%A4%E0%A4%95/लेखिका से कार्टूनिस्ट तक का सफर-मोनिका गुप्ताFrom writer to cartoonist Monica GuptaLady Cartoonist Monica Gupta बात बचपन के उन दिनों की है जब घर पर या किसी सहेली या जन्मदिन होता तो मैं read more at monicagupta.info

 

निसदेंह, नेट की दुनिया में हर रोज कुछ नया और हर रोज ब हुत कुछ सीखने को है.. और हर रोज सीख भी रही हूं पर लेखन हो कार्टून बनाना वो निरतंर जारी है.. बहुत दोस्त ब्लॉगिंग के बारे में पूछ्ते भी है उन्हें मैं अपने अनुभव के हिसाब से पूरी जानकारी देती हूं और कहती हूं कि अगर आप  अपनी पहचान पूरी दुनिया में बनाना चाह्ते हैं तो नेट पर ब्लॉगिंग सबसे अच्छा और सशक्त माध्यम है …

इस ब्लॉग के बारे में आपके विचारों का स्वागत है मैं इसे बहुत आगे तक लेकर जाना चाह्ती हूं आपकी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण हो सकती है…

July 14, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

साफ सफाई -लघु कथा -ऑडियो

जब कोई बात बिगड़ जाये तो रहें बी पॉजिटिव https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/07/audio-safai-by-monica-gupta-1.wav

क्लिक करिए और सुनिए  एक मिनट और 48 सैंकिंड की कहानी “साफ सफाई -लघु कथा -ऑडियो ” वाचिका मोनिका गुप्ता

साफ सफाई  हम सभी को पसंद है पर कुछ मामलों में सफाई से सख्त नफरत है .. खासकर हमारे देश में….

कैसे ?? जानने के लिए सुनिए कहानी

सफाई

पिछले बहुत दिनों के तनाव के बाद आज घर में रौनक थी। दादी पूजा करवा रही थी। 12 वर्षीय मोनी जब  स्कूल घर लौटी तो खुशनुमा वातावरण था। पिछले बहुत दिनों से वो भी इस तनाव को महसूस कर रही थी। उसकी मम्मी सुस्त तो लग रही थीं, पर पूजा की तैयारी में जुटी थी और पापा बाजार से फल और मिठाई लाने गए हुए थे।
मोनी सोच रही थी कि आखिर इतने दिनों का तनाव ऐसे कैसे खत्म हो गया, क्योंकि आज न केवल सभी खुश हैं, बल्कि घर पर पूजा भी रखवा दी गई है। तभी बुआ का फोन आया और दादी बात करने में जुट गईं। वो खुशी- खुशी बता रही थीं कि पिछली बार की तरह इस बार भी सफाई हो गई है।

ईश्वर ने चाहा तो अबकी बार मोनी का भाई ही खेलेगा गोदी में… न कि .. मोनी सुनकर सन्न रह गई… तो क्या….अब वो नन्ही गुडि़या से कभी नहीं खेल पाएगी? फोन रखकर दादी ने आवाज दी मोनी पूजा में बैठने के लिए जा जाओ।
मोनी दादी के पास जाकर बोली कि आज पूजा कैसे हो सकती है। याद नहीं, पिछले साल जब चाचा की death  हुई थी, तब कुछ दिनों के लिए उन्होंने पूजा बंद करवा दी थी!

दादी अगरबत्ती और दीयाजलाते हुए, हँसते-हँसते बोलीं कि कैसी बातें कर रही है… आज कौन मरा है, जो घर में पूजा न होगी। मेरी बहन… सुना…. मेरी बहन… जिसकी आपने पेट में ही सफाई करवा दी। वो पूजा में नहीं बैठेगी और गुस्से से पैर पटकती, रोती हुई अपने कमरे में भाग गई ।
अचानक पूरे घर में मानो सन्नाटा-सा छा गया। दादी को ऐसा महसूस हुआ मानो सच में ही कोई मर गया है।

 

ऑडियो - मोनिका गुप्ता

ऑडियो – मोनिका गुप्ता

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July 3, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

ऑडियो- कहानी – पसंद नापसंद (Audio)

https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/04/my-story-pasand-monica-gupta.wav

क्लिक करिए और सुनिए महिला की सोच और उसके विचारों का ताना बाना बुनती खूबसूरत सी छोटी सी कहानी

ऑडियो- कहानी – पसंद नापसंद (Audio)

नेट, Mobile  और सोशल मीडिया का  बहुत धन्यवाद क्योकि आज  इसी की वजह से हम अपने ब्लॉग पर न सिर्फ लिख सकते हैं बल्कि अपनी आवाज के जरिए भी आप सभी तक पहुंच भी सकते हैं…

आपका कहानी पढना  नही बल्कि मेरा आपको कहानी सुनाने का छोटा सा प्रयास है ये ऑडियो

आप इस कहानी को सुनिए और बताईए कैसी लगी…

आज की कहानी है पसंद ना पसंद

 मोनिका गुप्ता - कहानी

मोनिका गुप्ता – कहानी

 

ऑडियो- कहानी – पसंद नापसंद (Audio)

….जरुर बताईएगा कि कैसी लगी कहानी ताकि मैं भविष्य में भी ऐसी कहानियां सुनाती रहूं…

 

 

 

June 24, 2016 By Monica Gupta 1 Comment

एक स्टार्टअप जिंदगी के नाम

एक स्टार्ट अप जिंदगी के नाम

एक स्टार्टअप जिंदगी के नाम startup (महिलाए, स्टार्ट अप और मेरे मन की बात ) समाज में दो तरह की महिलाएं हैं एक तो वो जो सारा दिन बस आराम ही आराम करना चाहती है.. घर पर नौकर चाकर है अच्छी किटी पार्टी ज्वाईन की हुई है बस घर सम्भालना, आराम करना , वटस अप करना, मैसेज करना, मूवी देखना, चैनल बदलना और शापिंग करना (ओह इतने सारे काम  और बस सो जाना …

एक स्टार्टअप जिंदगी के नाम

और अगर कुछ उनसे क्रिएटिव करने को कहें तो बोलेगी कि क्या करें समय ही नही मिलता … सारा दिन घर सम्भालना, बच्चों की देखभाल करना … बाई की इंतजार करना उससे काम करवाना …कही बाहर डिनर या लंच पर जाना हो तो सारा दिन ड्रेस फाईनल करने में ही लग जाता है क्या पहन कर जाएं … दिन ऐसे ही निकल जाता है.

        ladies photo

एक स्टार्ट अप जिंदगी के नाम

(महिलाए, स्टार्ट अप और मेरे मन की बात )

पिछ्ले दिनों मैं कुछ ऐसे ही उदाहरणो या बहानों  से दो चार हुई. एक महिला मिली जिसे एम ए किया हुआ है. मेरे पूछ्ने पर कि आप क्या करती हैं वो बोली कुछ नही मैने पूछा कि शायद आपके परिवार वाले कुछ काम  के लिए मना करते होंगें .. वो बोली कि अरे नही मना नही करते… पर कौन पडे अब चक्करों में…. बस पढ लिए बहुत है अब तो सारा दिन चैट करना, टीवी देखना, क़िटी पार्टी जाना और शापिंग से ही फुर्सत नही.

एक अन्य महिला भी घर पर आराम करने के हक में है मैने उसे दिन में किसी वजह से फोन किया तो वो आराम कर रही थी बोली तीन दिन पूरा आराम है मेरे पूछ्ने पर वो बोली कि हमारे यहां तीन दिन रसोई में नही जाते मैने कहा कि अरे आज के समय में भी तुम ऐसी बाते मानती हो .. इस पर वो मुझे ही गलत ठहराते हुए बोली कि बुरा क्या  है इसी बहाने आराम करने का पूरा मौका मिल जाता है …

अरे !! आराम पर आराम !! कितना आराम करोगी … क्या आराम करते  करते थक नही जाती ये महिलाएं . ऐसी महिलाए आती हैं मिसेज की श्रेणी में यानि मिसेज कपूर, मिसेज शर्मा, मिसेज राव यानि अपनी कोई पहचान नही होती ..बुरा नही मानिएगा पर ऐसी महिलाएं बस अपने पति के नाम से ही समाज मे जानी पहचानी जाती हैं…

और दूसरी श्रेणी की महिलाए होती हैं जो घर का काम सम्भालते हुए भी कुछ  करना चाहती हैं उनकी आत्मा बैचेन सी रहती है कि कुछ करुं और घर पर काम होते हुए भी, अति  व्यस्त रहते हुए भी, घर के काम से हट कर कोई न कोई काम ऐसा खोज ही लेती हैं जो न सिर्फ उन्हे खुशी देता है बल्कि एक अलग पहचान बनाने का मौका भी देता है.. मिसेज होते हुए भी लोग उन्हें “उनके”” नाम से जानते हैं..

जैसा कि रुबी मनचंदा  हैं उन्हें जब भी मौका मिलता है महिलाओं को रक्तदान की अहमियत बताती है और साथ ही साथ खुद का सही हीमोग्लोबिन होना कितना जरुरी है इसके बारे में अलग अलग उदाहरण देकर समझाती हैं.

एक अन्य महिला  प्रीति अपने घर से हर शाम आधा धंटा का समय निकाल कर पार्क में गरीब बच्चों को बुलाती हैं और उन्हें कुछ न कुछ पढाती हैं और बातो ही बातो में सफाई का मह्त्व समझाती हैं…

इन सब के इलावा भी ना जाने कितने ऐसे काम हैं जिनसे हम समाज में अपनी अलग पहचान बना सकते हैं

फैसला हमारे हाथ में है कि हम चाहते क्या हैं … . !! मिसेज …. या अपनी अलग पहचान !!

बेशक, आप में से कुछ को मेरी बात कडवी लगे और शायद आप बोर आर्टिकल समझ कर बीच में ही पढना बंद भी कर दें

पर एक बात मैं जरुर कहना चाहूग़ी कि आजके समय में हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हम नेट के जमाने में हैं और हम घर पर बैठे बैठे ही इसके माध्यम से बहुत कुछ कर सकते हैं अगर करना चाहे तो … !!ध्यान दीजिए … अगर हम करना चाहे तो !!!

फैसला हमारे उपर है कि हम “आराम ” को प्राथमिकता देते हैं या अपनी खुशी को … !! और असली खुशी है अपनी जिंदगी में एक नया स्टार्ट अप देने की …

जरुर सोचिएगा … और अगर मन में कुछ भी विचार आए जो आप मुझे शेयर करना चाहें तो आपका स्वागत है … !!

तो कब बता रही हैं मुझे अपना नाम ….

Your Attention Please Housewives जरुर पढिए 🙂

Photo by Reuben Whitehouse

June 21, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

मजाक उड़ाना कितना सार्थक

हमारे व्यक्तित्व

मजाक उड़ाना कितना सार्थक

बात मजाक उडाने की चले तो हमारे जहन में सोशल मीडिया और खासकर टवीटर आता है क्योकि  कम से कम शब्दों में इतना भयंकर मजाक उडाया जाता है वहां कि बस पूछो ही मत .. पर पर पर .. जरा ठहरिए .. अगर आप ये सोच रहे हैं तो जरा रुकिए … ऐसा नही है कि सोशल नेट वर्किंग ने ही मजाक उडाने का ठेका लिया हो और भी बहुत जगह मजाक उडाया जाता है … असल में हुआ ये कि

कुछ देर पहले मैं, अपनी सहेली  मणि  के साथ उनकी जानकार के घर गई. हम चाय पी ही रहे थे कि उनके घर की door bell बजी. उनके दस साल के बेटे ने दरवाजे से झांका और बोला अरे मम्मी वही बोर मुटल्ली आंटी आई है अब खाएगी आपका सिर… मम्मी के इशारा करने पर उसने दरवाजा खोल दिया और वो महिला उनसे ऐसे हंस बोल कर बात करने लगी जैसे मानो वो सबसे प्रिय सहेली हो …

इतने मे हम भी जाने के लिए उठ गए.. बाहर निकलते हुए मैं मणि से पूछ रही थी कि वैसे दरवाजा खोलने से पहले हमें क्या क्या उपाधि मिली होगी …… मणि ने चिढाते हुए बोला कि उसका तो पता नही मिली होगी पर तुझे कार्टून की उपाधि जरुर मिली होगी…

बेशक, हमने इस बात को मजाक में उडा दिया पर बहुत सोचने वाली बात है कि बच्चों के सामने दूसरों का मजाक उडाने के बजाय हमें संस्कार ऐसे देने चाहिए कि दूसरा मजाक उडाए तो उसे टोके या समझाए कि ये गलत बात है ऐसे नही बोलना चाहिए!!!

वैसे, सोशल नेट वर्किंग पर जो लोग पसंद नही है एक क्लिक लगता है उन्हें ब्लाक करने में या अनफ्रैंड करने में पर रियल लाईफ में बहुत सोच समझ कर कट्टी करनी पडती है … से इस बारे में आपके क्या विचार है ?  जरुर बताईएगा !! making fun of others photo

अनसोशल होता सोशल मीडिया

भी जरुर पढे ….

Photo by arol lightfoot ♥ trying really hard to catch up

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