काम वाली बाई या घरेलू नौकर
काम वाली बाई या घरेलू नौकर की जरुरत सभी को रहती है और बहुत जरुरत पडने पर आनन फानन हम बिना तहकीकात किए रख लेते है पर ये कितना सही और गलत है आईए जाने दैनिक भास्कर की मधुरिमा में प्रकाशित लेख कुछ तहकीकात नौकर रखने से पहले
Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber
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( गूगल से साभार तस्वीर )
आंख उठा कर भी न देखू जिससे मेरा दिल न मिले ,रस्मी तौर पर हाथ मिलाना मेरे बस की बात नही …
आज जब केजरीवाल जी की नीतीश जी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान लालू जी से मिलन के बारे में सफाई आई तो बस यही बात मन में आई कि केजरीवाल जी ये हम सभी ने देखा कि पहल लालू जी ने ही की थी पर … पर … पर आपको विरोध करना चाहिए था आपने विरोध क्यों नही किया …!! देखिए दो बातें हो सकती थी या तो आप कार्यक्रम में जाते ही नही…. और अगर जाते तो दूरी बना कर रखते पर आप गए भी और भाई चारा_गी से खुद को रोक नही पाए या लालू जी नही रोक पाए और जबरदस्ती कर ली .. बहुत लोगों के दिल टूटे. जिनका मेरी तरह रहा सहा विश्वास बचा हुआ था वो भी अब डगमगा गया है क्योकि आम आदमी पार्टी पार्टी जिस लक्ष्य को लेकर सिर उठा कर चली थी अब वही सिर उठ नही रहा और अन्य पार्टियों के इस प्रश्न का सामना करने में असमर्थ हैं. कितनी लडाई करे और किस किस से लडाई करें कि अरविंद जी ने सही किया गले मिलकर … इसलिए अब यही बोलना पडता है कि हम कभी आम आदमी पार्टी में “थे” अब तो यही सोच है कि कोई सोच नही है बस दुख है और सिर्फ दुख है.
अब आप कुछ भी कहिए कोई भी सफाई दीजिए या ना दीजिए कोई फर्क नही पडता… क्योकि हमारी सोच तो कुछ इस तरह की है कि” आंख उठा कर भी न देखू जिससे मेरा दिल न मिले रस्मी तौर पर हाथ मिलाना मेरे बस की बात नही”
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आज सुबह दैनिक भास्कर अखबार पढते पढते एक खबर पर नजरे टिक गई . चाय का कप एक तरफ रख कर मैं जुट गई खबर पढने में …खबर थी कि 2050 के बाद विश्वभर में कैंसर से नही जाएगी किसी की जान .. (एम्बीकान 2015) यानि राष्ट्रीय कार्फ्रेस आफ एसोसिएशन आफ मेडिकल बायोकेमिस्ट आफ इंडिया के दौरान बताया गया कि वैज्ञानिक शोध मे जुटे हैं लंबा वक्त लगेगा पर कामयाबी की सम्भावना है.पढ कर राहत मिली और एक स्माईल भी आ गई. क्योकि जिस तरह से खांसी जुकाम होता है ना आजकल वैसे ही कैंसर का सुनने को मिल रहा है. जिसे देखो उसे कैंसर…. मेरे अपने ही परिवार के ना जाने कितने लोगों को इसकी वजह से जिंदगी को अलविदा कहना पडा,
कैंसर की चपेट में लगातार ढेरों लोग नित आए जाए रहे हैं. कैंसर महंगा ईलाज महंगा होने के साथ साथ बहुत painfull भी है ईश्वर शोध करने वालो को और ज्यादा ताकत दे ताकि वो जल्द से जल्द इस बीमारी का तोड खोज सकें और हम किसी अपने को खोने से बच जाए… बाकि जितनी एहतियात आरम्भ से रखें उतना ही अच्छा… तब तक स्वस्थ रहिए
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एक समय ऐसा आता है जब माता पिता को अपने बच्चे से दोस्त जैसा व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चा अपने मन की सारी बात उनसे शेयर कर सके पर कई बार माताए ज्यादा भावुक हो जाती है और अपना गुबार या भडास बच्चों के सामने निकाल देती हैं या बच्चों के सामने कुछ ऐसा बोल जाती हैं जो उन्हे नही बोलना चाहिए था मसलन अपनी सास की बुराई या फिर यह बोलना कि मैं तो तंग ही आ गई जिंदगी से बस तुम बच्चों की खातिर ही जी रही हूं इससे बच्चे के मन मे विपरीत असर पडता है .
माता पिता और बच्चे मेरा लिखा यह लेख दैनिक भास्कर की मधुरिमा में प्रकाशित हुआ .
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