Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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July 8, 2015 By Monica Gupta

Whistleblowers

 

cartoon vyapam by monica gupta

 

Whistleblowers

व्यापम घोटाले के दौरान बार बार एक शब्द बहुत सुनने को मिला वो शब्द था ..Whistleblowers   means व्हिसल ब्लोअर्स… थोडा बहुत अंदाजा तो था कि ये कौन लोग होते हैं पर ज्यादा डिटेल नही पता थी इसलिए नेट सर्च करना शुरु किया.. तब पता चला कि

 

2010 में यूपीए-2 सरकार एक बिल लेकर आई. नाम था, पब्लिक इंटरेस्ट डिसक्लोज़र एंड प्रोटेक्शन फॉर पर्सन्स मेकिंग डिसक्लोज़र बिल 2010. संक्षेप में कहें, तो व्हिसल ब्लोअर बिल 2010. व्हिसल ब्लोअर बिल 2010 में सरकारी धन के दुरुपयोग और सरकारी संस्थाओं में हो रहे घोटालों की जानकारी देने वाले व्यक्ति को व्हिसल ब्लोअर माना गया यानी भ्रष्टाचार के ख़िला़फ बिगुल बजाने वाला. इस बिल में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को अतिरिक्त अधिकार दिए गए. सीवीसी को दीवानी अदालत जैसी शक्तियां भी देने की बात कही गई. सीवीसी भ्रष्टाचार के ख़िला़फ आवाज़ उठाने वालों के ख़िला़फ अनुशासनात्मक कार्रवाई रोक सकता है. भ्रष्टाचार की जानकारी देने वाले की पहचान गुप्त रखने की ज़िम्मेदारी सीवीसी की है. अगर पहचान उजागर होती है, तो ऐसे अधिकारियों के ख़िला़फ शिक़ायत भी की जा सकेगी.
इस विधेयक के दायरे में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी भी शामिल हैं. बहरहाल, इस विधेयक में सीवीसी को जितनी ज़िम्मेदारी सौंपी गई, सीवीसी उसे पूरा कर पाने में सफल होगा या नहीं, यह एक सवाल था. जैसे, क्या सीवीसी की सांगठनिक संरचना इतनी बड़ी है, जिससे वह भारत जैसे बड़े देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की समस्या से लड़ पाए? राज्यों, ज़िलों और पंचायतों में फैले भ्रष्टाचार से कैसे निबटेगा सीवीसी? यह विधेयक 2011 में ही लोकसभा से पारित हो गया था, लेकिन उच्च सदन से पारित होने में इसे लंबा समय लगा. खैर, यूपीए-2 ने अंतिम समय में जब इस विधेयक को पारित कराने के लिए राज्यसभा में पेश किया, तो भाजपा ने कुछ संशोधन पेश किए थे. यूपीए-2 सरकार ने इन संशोधनों को ज़रूरी बताते हुए स्वीकार भी कर लिया था, लेकिन उच्च सदन में बहस के दौरान यूपीए ने भाजपा से इस बिल को दोबारा निचले सदन में भेजने का दबाव न बनाने का आग्रह भी किया था. संसद ने इस विधेयक को पारित कर दिया था, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी.
राष्ट्रपति द्वारा विधेयक पर 9 मई, 2014 को हस्ताक्षर किए जाने के बावजूद सरकार ने अब तक इसे क़ानून के तौर पर लागू नहीं किया है. सवाल है कि एक साल बीतने के बाद भी इस बहुप्रतिक्षित क़ानून को (पारित किए जाने के बाद भी) लागू क्यों नहीं किया गया, जबकि पिछले कई सालों से पूरे देश के सामाजिक कार्यकर्ता सरकार से मांग करते रहे हैं कि भ्रष्टाचार के ख़िला़फ बिगुल बजाने वाले लोगों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए. एक ऐसा क़ानून बनाया जाए, जिससे इस तरह के लोगों की पहचान गुप्त रखी जा सके. अब जब क़ानून बना भी, तो उसे लागू नहीं किया गया. अब, इस क़ानून को लागू करने की जगह एक बार फिर मौजूदा केंद्र सरकार इसमें संशोधन की बात कह रही है. केंद्र की एनडीए सरकर ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को व्हिसिल ब्लोअर्स प्रोटेक्टशन एक्ट के दायरे से बाहर रखने के लिए क़ानून में संशोधन का प्रस्ताव रखा है

  CHAUTHI DUNIYA

अब सवाल यह है कि सरकार भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में किस तरह का संशोधन करना चाहती है? आ़िखर भ्रष्टाचार के मामले उजागर होने से राष्ट्र की अखंडता और सुरक्षा को किस तरह से ़खतरा हो सकता है? अगर इस क़ानून में संशोधन करना ही है, तो होना यह चाहिए था कि इस क़ानून की संस्थागत संरचना पर विचार हो. यह सोचना चाहिए कि आरटीआई क़ानून के लिए तो केंद्रीय सूचना आयोग के साथ राज्य सूचना आयोग भी हैं. उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए तो ज़िला स्तर तक आयोग गठित किए गए हैं. फिर भ्रष्टाचार जैसी संवेदनशील समस्या से निपटने के लिए स़िर्फ सीवीसी ही क्यों? वह भी स़िर्फ केंद्रीय स्तर पर? यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ऐसे में सीवीसी के काम का दायरा कितना बड़ा हो जाएगा और वह अपने तीन सदस्यों के बूते कितना बोझ ढो पाएगा. देखते हैं, व्हिसिल ब्लोअर्स प्रोटेक्टशन एक्ट में अब किस तरह के संशोधन होते हैं और उनके क्या मायने निकल कर सामने आते हैं.

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अब अगर व्यापम घोटाले की बात करें तो

Whistleblowers

BBC

आशीष की भूमिका और बाद में लगातार मिलने वाली धमकियों की वजह से अदालत ने स्थानीय प्रशासन को इन्हें सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए.

प्रशांत के बारे में जानकारों की राय है कि इन्हीं के ज़रिए मध्य प्रदेश की मौजूदा सरकार के कुछ कथित ‘बड़े लोगों’ के नाम व्यापमं घोटाले से जोड़े जाने लगे.

बताया जाता है कि ख़ुद प्रशांत संदिग्ध अधिकारियों के कंप्यूटरों की हार्ड ड्राइव से डेटा निकालने में जांच एजेंसियों का सहयोग कर रहे थे. लेकिन प्रशांत के मुताबिक़ उनकी मुश्किलें तभी से शुरू हुईं जब उन्हें खुद कुछ ऐसा डेटा (एक्सेल शीट) मिला जिसमें कई बड़े लोगों के नाम शामिल थे.

इनका दावा है कि जहाँ ये जानकारी सार्वजनिक हुई इन्हे प्रदेश की जांच एजेंसियों ने परेशान करना शुरू कर दिया. पहले इन्हें कुछ दिन हिरासत में रखा गया और बाद में इन पर आईटी एक्ट और आईपीसी की धारा 420 के तहत मामले दर्ज किए गए.

फिर प्रशांत को हाईकोर्ट से राहत मिली. इसके बाद से प्रशांत पांडे सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटा चुके हैं और इन दिनों सुरक्षा कारणों से अपना ज़्यादातर समय दिल्ली में ही बिताते हैं. Read more…

जो भी है .. आज ये मुद्दा बेहद गर्माया हुआ है…. !!!

July 8, 2015 By Monica Gupta

Suicide Note

Suicide Note

cartoon suicide note by monica

आजकल व्यापम धोटाले को लेकर टेंशन तो है ही उससे भी ज्यादा टेंशन होने वाली मौतों को लेकर है … ये बेचारा टिल्लू दुनिया से जा रहा है पर मामले की गम्भीरता को देखते हुए एक काम इसने किया कि अपने सोसाईट नोट में लिख दिया कि इसमें व्यापम की कोई भूमिका नही है ताकि पुलिस पब्लिक, पत्रकार ,मंत्री गण हैरान परेशान न हो …

खैर ये तो टिल्लू ने अच्छी बात की पर टिल्लू महाराज  सोसाईड करना अच्छी बात भी नही  है …

July 8, 2015 By Monica Gupta

व्यापम बनाम प्रश्नवाचक

cartoon vyapam by monica gupta

एक नही दो दो प्रश्न वाचक चिन्ह लिए है ये व्यापम घोटाला  … भला इस पर प्रश्न क्यों नही उठेंगें … NRHM के बाद अब तक का सबसे बडा घोटाला.. व्यापम यानि व्यवसायिक परीक्षा मंडल   ….

 

 

: 10 – ABP News

नई दिल्ली: सांसें रोक देने वाले व्यापम घोटाले में मौत का सिलसिला थमा नहीं रहा है. आज सागर में ट्रेनी महिला सब इंस्पेक्टर की खुदकुशी की खबर आई है. पिछले तीन दिन में 3 मौत से देश में सनसनी मची हुई है. दो दिन पहले एक पत्रकार अक्षय सिंह की मौत हुई. एक दिन पहले जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन की भी मौत हुई.

हर तरफ से सीबीआई जांच की मांग हो रही है, लेकिन शिवराज सरकार टस से मस नहीं हो रही है. कांग्रेस ने दावा किया कि अनामिका को व्यापम की जांच में लगी एसटीएफ से धमकियां मिल रही थीँ. कांग्रेस ने दस सवाल दागकर सीएम शिवराज सिंह की भी इस घोटाले में जांच कराने और इस्तीफे की मांग की है.

76 लाख छात्रों के भविष्य से जुड़े व्यापम घोटाले में महिला ट्रेनी सब-इंस्पेक्टर अनामिका कुशवाहा की खुदकुशी को 45वीं मौत बताया जा रहा है. ब़ड़ा खुलासा ये हो रहा है कि आईजी सागर रेंज केपी खरे ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि अनामिका कुशवाहा को ससुराल से मानसिक प्रताड़ना मिल रही थी. पति पत्नी में मतभेद था. रिश्तों में तनाव था. अनामिका के पिता का आरोप है कि दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था. पति ने कल रात से अपना फोन बंद कर रखा था. आज सुबह 6.40 पर तालाब में कूदी अनामिका.

अनामिका की मौत पर मध्य प्रदेश सरकार ने दावा है कि उसने पारिवारिक कलह के कारण मौत हुई. वो घोटाले की आरोपी भी नहीं थी लेकिन कांग्रेस का दावा है कि अनामिका को लगातार धमकियां मिल रही थीं.

आइए जानते हैं व्यापम से जुड़े आज के 10 बड़े अपडेट्स

1. सागर में महिला ट्रेनी सब-इंस्पेक्टर अनामिका कुशवाहा ने खुदकुशी की है. पुलिस ने खुदकुशी का ही केस दर्ज किया है. पुलिस एकेडमी के पास ट्रेनिंग कॉलेज के बगल के तालाब में डूब कर अनामिका ने जान दी. मुरैना की अनामिका की भर्ती पिछले साल व्यापम से ही हुई थी. दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया है कि ये 46 वीं मौत या 47वीं. पढ़ें पूरी खबर

2. सीएम शिवराज से सीबीआई जांच की मांग की जा रही है लेकिन शिवराज कह रहे हैं कि हर मौत का व्यापम से कनेक्शन नहीं है. उनका कहना है कि हर मौत को व्यापम से जोड़ना ठीक नहीं है.  देखें: सीएम शिवराज क्या कह रहे हैं

3. कांग्रेस ने दावा किया कि अनामिका को व्यापम की जांच में लगी एसटीएफ से धमकियां मिल रही थीँ. कांग्रेस ने दस सवाल दागकर सीएम शिवराज सिंह की भी इस घोटाले में जांच कराने और इस्तीफे की मांग की है. जानें कांग्रेस के 10 सवाल Via abpnews.abplive.in

July 2, 2015 By Monica Gupta

भविष्यकर्ता

cartoon kaam wali bai by monica gupta

भविष्यकर्ता -ये हैं हमारी भविष्यकर्ता !!इनका नाम है मिस टेक … भविष्यवाणी में साढे सात साल का लम्बा अनुभव है … ना जाने कितनी तरह की अलग अलग किताबें इन्होने पढ रखी हैं पर एक बात से ये भी सहमत है कि बेशक हम कितने भी बडे ज्योतिष क्यो न बन जाए पर एक बात आज भी पता नही लग असकते कि काम वाले बाई आज काम पर आऐगी या नही

July 1, 2015 By Monica Gupta

Foot Steps

cartoon neta no by monica gupta

Foot Steps  एक समय था जब हमारे देश मे ऐसे नेता थे जिनके पद चिन्ह यानि Foot Steps का हम अनुकरण करते पर आज के दौर में कोई भी ऐसा नेता नही जो इस काबिल हो कि हम उनका अनुकरण करके उनसे  प्रेरणा पा सकें

बहुत दुख होता है कि हम भविष्य के लिए क्या सहेज कर रख रहे हैं और भावी पीढी को क्या देकर जाएगें …

July 1, 2015 By Monica Gupta

दैनिक जागरण में कार्टून

collage DJ 16

दैनिक जागरण में कार्टून … दैनिक जागरण में मुद्दा के अंतर्गत कुछ कार्टून … समाज में फैले अलग अलग गम्भीर  मुद्दों पर चर्चा करके उनका हल निकाला जाता था … उसी मे प्रकाशित कुछ कार्टून

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