Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 16, 2015 By Monica Gupta

स्वच्छता एक अहसास

स्वच्छता एक अहसास

sawacchta  book by monica gupta

स्वच्छता एक अहसास…

2009 में प्रकाशित हुई ये मेरी तीसरी किताब है. 56 पेज की है तो ये छोटी सी किताब पर इस किताब में आसाधारण गांव के लोगों की जागरुकता का वर्णन है कि कैसे मात्र 90 दिन में उनमें जागरुकता आई और हरियाणा के सिरसा के 333 गांवों को स्वच्छ बना दिया.

स्वच्छता एक अहसास

पुस्तक को लेकर आपके मन में ढ़ेरो सवाल उठ रहें होंगें कि आखिर इस पुस्तक के माध्यम से स्वच्छता का अहसास कैसे करवाया जा सकता है। सच पूछो तो, हम सभ्य समाज के सभ्य नागरिक हैं, पढे़- लिखे और समझदार भी हैं लेकिन सही मायनों में देखा जाए तो अनपढ़ और असभ्य की श्रेणी में आते हैं क्योंकि जिस समाज में हम रहतें हैं उसी को गंदा कर रहें हैं।

यहां बात भ्रष्टाचार की नहीं बलिक उस कूडे़- कर्कट की है जो हमारें चारों तरफ फैला है और कूडेदान एक तरफ खडे़- खडे़ गंदगी का मुँह ही ताकते रह जातें हैं और तो और सड़क के किनारें, दीवारों की ओट को शौचालय का रूप देकर दिन-रात गंदगी में इजाफा किया जा रहा है। सड़क पर चलते हुए थूकना और पूरी सड़क को कूडादान समझना आम बात है।

अगर यह पढ़े- लिखे सभ्य समाज को चित्रित करता है तो गाँव वालों को किस श्रेणी में रखेंगें क्योंकि वो तो वैसे भी अनपढ़, सीधे-साधारण गरीब, किसान और मज़दूर होतें हैं।
स्वच्छता एक अहसास
भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के अन्तर्गत गाँव वासियों की सोच में एक ऐसा बदलाव, ऐसी जागरूकता देखने को मिली जिसकी सपनें में भी कल्पना नहीं की जा सकती थी। बस, यहीं मुझे पुस्तक लिखने का मकसद मिल गया कि आज जो अहसास इन गाँव वासियों को हो रहा है उसकी महक उन लोगों तक भी पहुँचे जो अभी तक इससे अछूते हैं।

मैनें अपनी तरफ से पुस्तिका में स्वच्छता और उससे आए बदलाव के बारे में जानकारी देने की पूरी कोशिश की है और मुझे उम्मीद ही नही पूरा विश्वास है कि इसको पढ़ने के बाद आप भी और लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने में मदद करेंगें।

स्वच्छता एक अहसास  …

स्वच्छ भारत मिशन …

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) पंचायतीराज विभाग, भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही एक महत्वपूर्ण योजना है जिसका पूर्व में नाम निर्मल भारत अभियान था। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के निम्न उद्देश्य हैं:-
1. ग्रामीण क्षेत्रों के सामान्य जीवन स्तर में सुधार लाना।
2. समस्त ग्राम पंचायतों को निर्मल एवं स्वच्छ बनाना।
3. ग्रामीण क्षेत्र के समस्त शासकीय विद्यालयों को स्वच्छता सुविधाओं (स्वच्छ स्कूल शौचालय जलापूर्ति सहित) से आच्छादित करना साथ ही छात्र-छात्राओं को स्वास्थ्य, शिक्षा एवं साफ-सफाई की आदतों को बढ़ावा देना।
4. ग्रामीण क्षेत्र के समस्त आंगनवाड़ी केन्द्रों को स्वच्छता सुविधाओं से आच्छादित करना।?
5. सामान्य पर्यावर्णीय स्वच्छता हेतु ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबन्धन अर्थात् कूड़े कचरे एवं बेकार पानी की उचित निकासी पर कार्य करना।
मानव मल एवं पर्यावरण में इधर-उधर पड़े कूड़े-कचरे एवं बेकार पानी के कारण विभिन्न प्रकार के रोग जैसे डायरिया, मलेरिया, कालरा, जापानी इन्सेफ्लाइटिस, पोलियो जैसी भयानक बीमारियों की रोकथाम हेतु, जल स्रोतों को सुरक्षित रखने हेतु, पर्यावर्णीय स्वच्छता हेतु यह योजना अत्यन्त आवश्यक है।हमारे प्रधान मंत्री जी द्वारा आरम्भ किया गया

महात्मा गांधी ने जिस भारत का सपना देखा था उसमें सिर्फ राजनैतिक आजादी ही नहीं थी, बल्कि एक स्वच्छ एवं विकसित देश की कल्पना भी थी। महात्मा गांधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर मां भारती को आजाद कराया। अब हमारा कर्त्तव्य है कि गंदगी को दूर करके भारत माता की सेवा करें। मैं शपथ लेता हूं कि मैं स्वयं स्वच्छता के प्रति सजग रहूंगा और उसके लिए समय दूंगा।

हर वर्ष 100 घंटे यानि हर सप्ताह 2 घंटे श्रमदान कर के स्वच्छता के इस संकल्प को चरितार्थ करूंगा। मैं न गंदगी करूंगा न किसी और को करने दूंगा। सबसे पहले मैं स्वयं से, मेरे परिवार से, मेरे मुहल्ले से, मेरे गांव से एवं मेरे कार्यस्थल से शुरुआत करूंगा।

मैं यह मानता हूं कि दुनिया के जो भी देश स्वच्छ दिखते हैं उसका कारण यह है कि वहां के नागरिक गंदगी नहीं करते और न ही होने देते हैं। इस विचार के साथ मैं गांव-गांव और गली-गली स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार करूंगा। मैं आज जो शपथ ले रहा हूं, वह अन्य 100 व्यक्तियों से भी करवाऊंगा। वे भी मेरी तरह स्वच्छता के लिए 100 घंटे दें, इसके लिए प्रयास करूंगा। मुझे मालूम है कि स्वच्छता की तरफ बढ़ाया गया मेरा एक कदम पूरे भारत देश को स्वच्छ बनाने में मदद करेगा।

 

राजस्थान सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को अब घरों में शौचालय बनाना अनिवार्य कर दिया है.

राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों को अब घरों में शौचालय बनाना अनिवार्य होगा. सरकार से पचास हजार का कर्जा लेने वाले काश्तकारों के लिए भी कर्ज लेने के लिए इस शर्त को पूरा करना होगा.

राज्य सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत मार्च 2018 तक प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त करने के अनूठे कार्यक्रम में ऐसी कई शर्तें जरूरी की गई है.

खास यह कि कर्मचारियों को 20 जून तक शर्त की पालना के लिए निर्धारित प्रपत्र में उद्घोषणा करनी होगी। इसके आधार पर ही उन्हें जुलाई माह में होने वाली वार्षिक वेतन वृद्धि, मानदेय,ऋण आदि स्वीकृत के लाभ दिए जाएंगे. इस कार्यक्रम की निगरानी मुख्यमंत्री कार्यालय कर रहा है. : , – Regional News – Samay Live

June 16, 2015 By Monica Gupta

मैं हूं कौन

व्य़ंग्य

मैं हूं कौन

अरे दीवानों … मुझे पहचानो … कहां से आया … मैं हूं कौन ???
मैं हूं कौन .. जी हाँ, क्या आप जानते हैं कि मै हूँ कौन …चलिए मैं हिंट देता हूँ .. सबसे पहले मै यह बता दूं कि मैं आम आदमी नही हूँ . मुझसे मिलने के लिए लोगो की भीड लगी रहती है पर मै जिला उपायुक्त नही हूँ. मेरे आगे पीछे 4-4 अंगरक्षक घूमते हैं पर मै पुलिस कप्तान भी नही हूँ .मेरे पीछे दिन रात जनता पडी रहती है पर मै कोई स्वामी जी या कही का महाराज भी नही हूँ. मेरे बच्चे स्कूल मे प्रथम आते हैं और सभी स्कूल के प्रोग्रामो मे हिस्सा लेते हैं सारा स्टाफ मेरा सम्मान करता है पर मै स्कूल का प्रिसीपल भी नही हूँ.
जिले मे कोई भी कार्यक्रम होता है तो मुझे जरुर बुलाया जाता है . मेरे साथ फोटो खिचवाई जाती है. रिबन कट्वाया जाता है ताली बजा कर स्वागत किया जाता है मेरी बातो को समाचार पत्र मे मुख्य स्थान दिया जाता है पर मै किसी समाचार पत्र का सम्पादक भी नही हूं. मेरे पास सभी खास अफसरो के फोन आते रहते है या मै जब भी फोन करता हू तो वो तुरंत पहचान जाते हैं और मुझे और मेरे परिवार को भोजन पर बुलाते हैं. मुझे देख कर कौन कितना जला भुना या कितना खुश हुआ मैं सब जानता हूँ.

फिर  मैं हूं कौन…..

 

spoon  photo

 

आप सोच रहे होगें कि मैं यकीनन ही कोई पागल हूं जो ऐसे ही बात किए जा रहा है तो जनाब, मै बताता हू कि मै कौन हूँ . मै हूँ “चमचा” एक दम चालू चक्रम चमचा .लोगो की चापलूसी करने मे सबसे आगे .थूक कर चाट्ने मे सबसे आगे . शहर मे कौन बडा अफसर है कौन नेता है उनकी पत्नी, बच्चे और तो और उनके कुतॆ का नाम उसकी पसंद ना पसंद सभी मुझे पता है . सभी को खुश रखना मेरा परम धर्म है तभी तो लोग मुझे फोन करके मुझसे मिलने को बैचेन रहते हैं क्योकि वो जानते है कि मै ही उनके काम करवा सकता हूँ.
मै भी महान हूँ पता है जब मेरा मन होता है तब फोन उठाता हूँ

जब मन नही होता तब फोन उठाता ही नही चाहे कितनी घंटी बजती रहे. मै जानता हूँ कि जिसने मेरे पास चक्कर लगाने है वो तो लगाएगा ही चाहे घंटो ही इंतजार ही क्यो ना करना पडे
ना सिर्फ बडे लोगो से बलिक मीडिया से भी मै बना कर रखता हूँ. समय समय पर मैं प्रैस कांफ्रैस करता रहता हूँ ताकि वो सैट रहे. लोगो के काम के लिए लंबी कतार मेरे घर या दफतर मे कभी भी देखी जा सकती है . पता है मै गिरगिट की तरह रंग बदलने मे माहिर हूँ.

कल जो मेरा जानी दुश्मन था आज वो मेरे साथ बैठ कर चाय पी रहा होता है.या आज मै जिसके संग चाय पी रहा हू वो कल मेरा जानी दुश्मन बन सकता है काम निकलवाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ किसी भी हद तक जा सकता हूँ. बस अधिकारी लोग खुश रहने चाहिए.

ये चमचागिरि मुझे अपने बडो से विरासत मे नही मिली बलिक समय और हालात को देखते हुए मुझे सीखनी पडी .मै जानता हूँ कि भले ही लोग मुझे पीठ पीछे गाली देते होगें मुझे अकडू की उपाधि भी दे दी होगी पर मुझे कोई असर नही. मै आज जो भी हूँ बहुत खुश हूँ.
तो दोस्तो, अगर आप भी खुश रहना चाहते हैं तो एक बार चमचागिरी के मैदान मे आ जाओ यकीन मानो एक बार समय तो लगेगा, अजीब भी लगेगा पर कुछ समय बाद आपको खुद ही अच्छा लगने लगेगा.
सच पूछो तो आज का समय शराफत, महेनत और ईमानदारी का नही है क्योकि उनकी कोई कद्र ही नही है या ये कहे कि सबसे ज्यादा पिसता ही शरीफ आदमी है इसलिए तो मुझे भी चमचागिरी को अपनाना पडा. तो अगर आप सुखी रहना चाहते है अपने सारे काम भी निकलवाना चाहते हैं तो बनावट और दिखावे की दुनिया मे आपका स्वागत है बिना देरी किए तुरंत आए और अधिक जानकारी के लिए शहर के किसी भी बडे अफसर से आप मेरा पता पूछ सकते हैं….

मैं हूं कौन…..

June 15, 2015 By Monica Gupta

काम वाली बाई

काम वाली बाई है मेरे पास हयं !!!!

पढने से पहले प्लीज ध्यान दें ….इस व्यंग्य की सारी बाते सच्ची धटना पर आधारित है और इसका किसी भी व्यक्ति,स्थान उम्र से अगर मेल हो तो इसे कोई हैरानी बात ना होगी ….

जी हां, अब मुस्कुराने की तो बात है ही..!! मेरे पास काम वाली बाई जो है. हयं.(अमिताभ स्टाईल मे)

cartoon maid servent by monica gupta

 

 

जी बिल्कुल, वो मुझे भूल जाए ऐसा हो नही सकता और मै उसे भूल जाऊ ऐसा मै होने नही दूगीं.(सुनील शेट्टी स्टाईल मे) सुबह शाम दिन मे दो बार आती है.क्या पूछा आपने !!छुट्टी इत्यादि!! अरे वो कोई भी दिक्कत ही नही, यह सब तो चलता ही रहता है.समय पर आती है!!! अरे समय की कोई बात नही. बस आना ही बहुत है उसका. हां वो अलग बात है कि इसके इंतजार मे मै जरा आस पास की पडोसनो के घर चक्कर लगा आती हूं और इसी बहाने मिलना जुलना भी हो जाता है सहेलियो से.

हां तो मै कह रही थी कि ….!! ओहो ! आपके पास तो प्रश्न बहुत है.मेरी भी तो सुनिए जरा. अब वो क्या है ना उसके घर आने के बाद आगे पीछे धूमना पडता है. असल मे, पिछ्ले दिनो एक सोने की चैन गुम …!!! अब उस पर तो शक कर नही सकती !!! अरे भई, शक किया तो छोड कर जो चली जाएगी ना !!!

हां, तो मै कह रही थी कि जब वो आती है तो सबसे पहले मै उसका स्वागत मुस्कुरा कर करती हूं. बैठाती हू और चाय भी पिलाती हूं.फिर जरा किसी सीरियल के बारे मे बातचीत करती हूं और फिर शुरु होता है हमारा काम… ओह आई मीन उसका काम!! इसके पीछे पीछे इसलिए धूमना पडता है कि उसकी नजर जरा कमजोर है. अक्सर या यू कहिए कि कई बार कूडा नही दिखता तो वो उसे दिखाना पडता है. फिर आजकल उसकी कमर मे दर्द चल रहा है उससे झुका नही जाता इसलिए जरा मै वहाँ झाडु करके उसकी मदद कर देती हूं.

झाड पोछ वो करती नही है इसलिए वो भी साथ की साथ मै ही करती हू ताकि एक ही बारी मे मेरा घर साफ साफ हो जाए.फिर अक्सर जाले वगैरहा भी साफ करने होते है ना मुझे वो उसका एक्स्ट्रा समय लेना पडता है और फिर उसके घर के लिए रोटियां या खाना इत्यादि पैक करके देना पडता है मुझे.!!!

बर्तन धोने के लिए गरम पानी करके देती हूं ताकि सारे बर्तन साफ धुले.अक्सर वो प्याज वाले बर्तन नही धोती. उसकी महक उसके सिर मे चढती है इसलिए प्याज वाले बर्तन मै ही साफ करती हूं और बर्तन धोने के बाद दूसरे घरो मे काम करने के चक्कर मे और जल्दी जाने के चक्कर मे वो बस टोकरी मे ही डाल जाती है जिसे मैं ही लगाती हूं.अरे( आपको क्या पता आठ घर है उसके पास!! अब थोडा सा लिहाज तो करना बनता है कि नही!!

अक्सर समय बेसमय उसे इनाम या उपहार स्वरुप कुछ ना कुछ देती रहती हूं. क्या !!! किसलिए ??? अरे भई ताकि वो महारानी जी टिकी रहे. क्या करे… आजकल काम वाली बाईया मिलती ही कहां हैं!!! कम से कम स्टेटेस मे तो है बताने को कि मेरे पास काम वाली बाई है.हयं!!

अच्छा, मै अभी चलती हूं!! क्या पूछा !!! कहां !! अरे! क्या बताऊ!! आज बो बोल कर गई है कि 200 रुपए बढाने है उसका खर्चा नही चल रहा है.. बस यही सुनने के बाद सिर जरा सा दर्द कर रहा है. वैसे आपसे क्या छिपाना !!

असल मे, आजकल सिर दर्द बहुत रहने लगा है और बीपी भी ज्यादा हो गया है.. वो क्या है ना काम वाली बाई को कुछ कह नही सकते कुछ कहो तो तैयार रहो सुनने के लिए कि जा रही हूं  छोड कर और अगर घर पर बताओ कि काम वाली बाई कितना तंग करती है तो वो तुरंत कह देते है कि हटा दो उसे. इतना परेशान किसलिए होना है. बस इसलिए ही ….!! पर मुझे खुशी है कि काम वाली बाई है मेरे पास !!पर अब बस फर्क इतना ही है कि हयं नही हाय ( मोनिका गुप्ता स्टाईल मे)

June 10, 2015 By Monica Gupta

Mouth organ

Mouth organ … बहुत दिनों के बाद मणि का बेटा दो दिन के लिए घर आया. नाश्ते के बाद बेटे ने अपना बैग खोला और बोला आखॆं बंद करो आपके लिए कुछ है. फिर मणि के हाथ कुछ पकडा दिया. हाथ मे लेते ही मणि चौंक गई और आखें खोलती हुई बोली अरे !!! Mouth organ !! इतने साल हो गए .. इसका क्या करुगी.. भूल भाल गई हूं सब !!

बेटे ने कहा जब बचपन में आप हमे Mouth organ बजा कर सुनाती थीं तो आप खुद ही कहती थीं कि एक बार बजाना आ जाए तो जिंदगी भर नही भूल सकते .. मणि ने भी जानॆ अनजाने Mouth organ होठों से लगा लिया . वही मणि मुझे दिखाने लाई थी और डबडबाई आखें, खुशी … उससे कुछ बोला ही नही जा रहा था.

 

Mouthorgan  photo

Photo by Nina J. G.

मैं हाथ में mouth organ लिए ….उसकी तरफ देख कर सोचे जा रही थी….  बहने दे ये आसूं … .. सच, छोटी छोटी खुशियों में कितना सारा प्यार अपनापन और अहसास छिपा होता है

June 9, 2015 By Monica Gupta

रक्तदान

रक्तदान

एक गाँव में आग लगी. सभी लोग उसको बुझाने में लगे हुए थे. वहीँ एक चिड़िया अपनी चोंच में पानी भरती और आग में डालती. फिर भरती और फिर आग में डालती. एक कौवा डाल पर बैठा उस चिड़िया को देख रहा था. कौवा चिड़िया से बोला, “अरे पागल तू कितनी भी मेहनत कर ले, तेरे बुझाने से ये आग नहीं बुझेगी.” उस पर चिड़िया विनम्रता से बोली,”मुझे पता है मेरे बुझाने से ये आग नहीं बुझेगी. लेकिन जब भी इस आग का ज़िक्र होगा, तो मेरी गिनती कम से कम आग बुझाने वालों में तो होगी ”
अक्सर बहुत लोग हमे भी कहते है कि लोगो मे ‘”रक्तदान” के प्रति जागरुकता न के बराबर है आप कितने भी प्रयास कर लो कोई फायदा नही … मैं उन्हे इसी प्रेरक कहानी का उदाहरण देती हूं… एक उम्मीद, एक विश्वास के साथ कम से कम प्रयास तो कर रहे हैं.

रक्तदान करके किसी की जिंदगी बचाना बहुत पुण्य का काम है. वैसे कुछ अन्य बातो का ख्याल रख कर भी हम रक्तदान अभियान मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. जैसाकि अगर महिलाओ की बात करे तो अक्सर उनका खून कम होता है यानि वो एनीमिक होती है. अगर वो अपने शरीर का अपने खान पान का ख्याल रखें तो उन्हे रक्त की जरुरत ही नही होगी और समस्या भी नही होगी.

वही दूसरी तरफ रक्तदान के बारे मे बहुत भ्रांतियां होती है जो हमे रक्तदान करने से रोकती है अगर उन्हे दूर कर लिया जाए तो हम बजाय रक्तदान न करने के दूसरो को इसके प्रति प्रेरित ही करेंगे.

वही अगर ब्लड बैंक भी अगर लोगो की भावनाओ को समझ कर उनके साथ पूरा सहयोग करे तो भी हम रक्तदान के लिए आगे जरुर आएगें. कुल मिला कर सभी को जागरुक होने की आवश्यकता है!!! पर फिर भी रक्तदान करने वाला हमेशा ही महान था, है और रहेगा इसलिए “जय रक्तदाता” !!

ऐसा भी होता है…..

आज एक मित्र ने बताया कि किसी को एमरजैंसी मे रक्त की जरुरत थी. एक   सज्जन को पता चला तो बिना समय व्यर्थ गवाए वो रक्त देने दौडे चले आए. रक्त देने के बाद जब वो बाहर आए तो उस मित्र ने उनकी फोटो खीचने की इच्छा जाहिर की इस पर उन सज्जन ने कहा कि वो जिस मकसद से आए हैं वो पूरा हो गया है और मुस्कुराते बिना फोटो करवाए चले गए.वही एक जानकार तो ऐसे हैं जो रक्तदान करने आए और उस समय कोई फोटोग्राफर नही था तो वो नाराज होकर चले गए.

ऐसे में,  निस्वार्थ भावना के बारे मे जान कर बहुत अच्छा लगा अन्यथा आज कल तो चाहे हम कुछ करे या ना करें टीवी पर या अखबार मे आने की होड मे पता नही क्या क्या कर जाते है और जो खबरो की सुर्खियां नही बनता उसे हम कुछ समझते भी नही है जबकि दिखावा सही नही है..!! है ना

किसी ने बहुत सही कहा है कि भले ही मेरे पास डाक्टरी डिग्री नही है पर इंसानियत की डिग्री जरुर है. मैं रक्तदाता हूं. कई बार इस तरह के स्लोगन या पोस्टर कुछ ना कुछ सोचने पर जरुर मजबूर कर देते हैं. बेशक, बहुत लोग ( खासकर महिलाए) रक्तदान नही कर पाती पर अपने भाषण, स्लोगन या पोस्टर के जरिए हम किसी के विचारो को बदल जरुर सकते हैं. रक्तदान करना किसी को नया जीवन देना बहुत भलाई का काम है.

1517404_262166020657153_6388772630526675907_n     रक्तदान The Top 100 Selfless Selfies!

 

 

 

 

June 8, 2015 By Monica Gupta

Kalayana sundaram

Kalayana sundaram

आमतौर पर हमारे काम करने के बाद भी हमें वाहवाही न मिले तो हम निरुत्साही हो जाते हैं. अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो Kalayana sundaram जी से मिलिए.

30 साल यह Librarian रहे और जितनी हर माह तन्खाह मिलती वो सारी राशि गरीबो मे खर्च कर देते. जी हां आपने सही पढा. जितनी राशि मिलती उसे गरीबों में बांट देते. अपनी सैलरी का एक रुपया भी खुद पर खर्च नही किया यहां तक की पैंशन के दस लाख रुपए भी सेवा मे लगा दिए.

अपनी सारी राशि दूसरो पर लगाने के नेक कार्य करने का Kalayana sundaram जी को आज यह फल मिला कि संयुक्त राष्ट्र संघ  ने इन्हे 20वी सदी का Man of the Millennium’ अवार्ड से सम्मानित किया .

ये सब पढने के बाद आपके मन में भी एक प्रश्न  आ रहा होगा जो मेरे मन में भी था कि अपनी गुजर बसर कैसे करते थे?   जब इनसे पूछा गया कि वो अपना खर्चा कैसे चलाते थे तो  Kalayana sundaram  जी  ने बताया कि होटल मे सेवक के रुप मे काम करके अपनी आवश्यकताए पूरी की. आज य़ू एन ओ से उन्हे 30 करोड मिले हैं और आदतनुसार वो भी यह उन्ही पर खर्च कर रहे हैं. ह्मे गर्व है कि ऐसे नेक व्यक्ति हमारे देश के ही हैं .

73-year-old Tamil Nadu librarian donated Rs 30 crore to the uneducated poor

http://www.dnaindia.com/india/report-73-year-old-tamil-nadu-librarian-donated-rs-30-crore-to-the-uneducated-poor-1928555A will to serve humanity has been 73-year-old Kalyanasundaram’s guiding principle throughout his life. A gold medalist in library science, he also holds a masters degree in literature and history. During his 35-year-long career at Kumarkurupara Arts College at Srivaikuntam, he diligently and willingly donated his salary month after month towards charity and did odd jobs to meet his daily needs. Even after retirement, he worked as a waiter in a hotel in exchange for two meals a day and a meagre salary so that he could continue to donate to orphanages and to children’s educational funds.

He was amply rewarded for his service to humanity. The Union government acclaimed him as the best librarian in India. The International Biographical Centre, Cambridge, has honoured him as one of the ‘noblest of the world’ and the United Nations adjudged him as one of the most outstanding people of the 20th century. He also received Man of the Millenium award and Life Time of Service Award from Rotary Club of India in 2011.

“People think that I started doing charity when I was young by donating clothes and helping people study, and they attribute it to a public cause, but I insist it was for a private one. The place where I lived was a tiny village with no provision for roads, buses, schools, electricity, and there was not even a shop to buy a matchbox from. I had to walk 10km to school and back and walking all that way alone can be a pretty lonesome experience. Hence, I had this thought that if I could motivate most of the children to come with me to school, it would be great fun as well.” Read more…

Kalyanasundaram a man of ‘generosity’

He is the first person in the world to spend the entire earnings for a social cause. He received a sum of Rs 30 crores by USA government as part of this award which he distributed entirely for the needy as usual.

We heard about Harshwardhana, Mahabali and Harischandra. These characters lie in history books and rarely we find such examples in today’s self-oriented life. But in South India, a simple looking man named Kalyanasundaram rejuvenated the history and made a great example of honorary works.USA recently awarded Kalyanasundaram as ‘Man of the Millennium’. Kalyanasundaram had been working as a librarian for 30 years. Every month in his 30-year-long service, he donated his entire salary to help the needy. He worked as a server in a hotel to meet his needs. He donated even his pension amount of about ten lakh rupees to the needy. He is the first person in the world to spend the entire earnings for a social cause. He received a sum of Rs 30 crores by USA government as part of this award which he distributed entirely for the needy as usual. Moved by his passion to help others, Super Star Rajnikanth adopted him as his father. He still stays as a bachelor and dedicated his entire life for serving the society. This is Painful to see this unsung hero is continue to serve the Nation silently but his deeds are not recognised by Indian Authorities or Media. Latest News from India News Desk Kalyanasundaram a man of ‘generosity’

मैने भी यह सीखा कि भले ही नेक कार्य करने पर शाबाशी ना मिले फिर भी सच्चे दिल से जुटे रहना चाहिए. 

सैल्यूट है Kalayana sundaram जी !!! आप एक मिसाल हैं… ढेरों शुभकामनाए!!!

Image via dnaindia.com

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