Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 13, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान की जागरुकता को बढाना होगा – मेरे मन की बात

रक्तदान की जागरुकता को बढाना होगा

रक्तदान की जागरुकता को बढाना होगा  – मेरे मन की बात  – Importance of Blood Donation – विश्व रक्तदान दिवस 14 जून फिर आ गया और जैसे आया है वैसे चला भी जाएगा … जगह जगह आयोजन होंगे, रक्तदान कैम्प लगाए जाएगें, लोगो को प्रेरित किया जाएगा , सर्टिफिकेट दिए जाएगें और बस फिर अगले दिन से वही रक्त के लिए भागम भाग , मारा मारी … आखिर क्या कारण है कि इतना प्रचार होते हुए भी लोगो में रक्तदान के प्रति जागरुकता नही आ पा रही … आज भी रक्त के लिए दर दर भटकना पडता है.

रक्तदान की जागरुकता को बढाना होगा –  मेरे मन की बात

मैं अपने ही एक अनुभव से शुरुआत करती हूं.

उससे पहले मैं बताना चाहूगी कि रक्तदान से जुडी हुई हूं और एक छोटा सा नेटवर्क है जिसमे अलग अलग शहरों से, राज्यों से गम्भीरता से रक्तदान की मुहिम को आगे ले जाने वाले कुछ कर्मठ रक्तदाताओं से जुडी हुई हूं और प्रयास यही रहता है कि देश के किसी भी कोने में  अगर रक्त की जरुरत हो तो टीम के माध्यम से जरुरत पूरी की जा सके … और कहते हुए बहुत खुशी और गर्व भी है कि अभी तक जहां से भी रक्त की जरुरत के लिए फोन आया चाहे, राजस्थान  हो, हरियाणा, हो, लखनऊ हो , मुम्बई हो, नोएडा हो, पंजाब हो, चंडीगढ हो , जम्मू हो … इंतजाम हो गया… और लगातार नेटवर्क बढाने का प्रयास  है…  !!!

अब मैं बताती हूं अनुभव …

अखबार में खबर देखी कि फलां व्यक्ति रक्तदान के क्षेत्र में जबरदस्त काम कर रहे हैं तो सोचा कि चलिए इनसे सम्पर्क करते हैं ताकि कभी जरुरत पडी तो काम आएगें पर … दुख हुआ कि कुछ लोग सिर्फ अखबार में नाम ही छ्पवाना चाह्ते हैं बस … या जाने माने फिल्मी कलाकारों के साथ फोटो करवा कर या अपनी खबर चैनल पर दे कर इति श्री कर लेते हैं ऐसे में ये मुहिम कैसे आगे बढ सकती है ?? प्रश्न वाचक चिन्ह ??

एक अन्य बात जो मैंने महसूस की कि जिसका नेटवर्क है वो किसी से शेयर नही करना चाहते … वैसे बात गलत भी नही है … इतनी मेहनत से तैयार किया होता है नेट वर्क पर जब हम देश में बदलाव लाने की बात करते हैं तो हमें मिलकर ही कदम आगे बढाना होगा… और गम्भीरता से बढाना होगा …

और जो भ्रांतियां हैं उसे दूर करना होगा … बहुत तरह की भ्रांतिया हैं जिसकी वजह से लोग रक्त दान करने में हिचकिचाते हैं.

एक उदाहरण तो हमारे सामने हैं ही श्री अमिताभ बच्चन साहब का कि जब उन्हें रक्त की जरुरत पडी और रक्त चढाया गया 1982 में फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान लगी चोट के बाद उन्हें 200 लोगों का कुल मिलाकर करीब 60 बोतल खून चढ़ाया गया था, जिनमें से एक डोनर का खून हेपिटाइटिस बी के वायरस से संक्रमित था.

इसकी ख़बर उन्हें 18 साल बाद लगी. उनका 75 फीसदी लि‍वर संक्रमित हो चुका है और सिर्फ एक चौथाई हिस्सा ही काम कर रहा है और वो सिर्फ़ 25 फ़ीसदी के सहारे जी रहे हैं.सुनकर  बेहद हैरानी और दुख हुआ. सोचने की बात ये है कि इसमें अमिताभ जी का क्या दोष ??? वो बेकसूर होते हुए भी एक ऐसी सजा भुगत रहे हैं जो कसूर उन्होनें  कभी किया ही नही.

ऐसे में एक आम आदमी के मन में भय होना स्वाभाविक है इसलिए जरुरत इस बात की भी है जो रक्त लेते हैं चाहे  वो ब्लड बैंक हो या टेक्नीशियन   वो बहुत ध्यान से परीक्षण करें और फिर चढाए अन्यथा …

मीडिया भी मात्र रक्तदान  दिवस तक ही सिमट के न रह जाए बल्कि समय समय पर ऐसी खबरें हाई लाईट करती रहे ताकि समाज में जागरुकता आए ..

स्कूलों में इस बात पर बच्चों को विशेष रुप से जागरुक किया जाए ताकि 19 साल के होते ही वो रक्तदान की महत्ता समझ कर आगे आएं

और महिलाओं को जागरुक किया जाए ताकि वो ना सिर्फ अपने परिवार को प्रेरित करें बल्कि खुद भी रक्तदान करने आगे आएं …

बहुत लोग बहुत दिल से इस मुहिम को आगे ले जाने में जुटे हैं चाहे  फेसबुक के माध्यम से हो या वटसप के माध्यम से …

आज के इस खास दिन पर मैं सभी रक्तदाताओं को बधाई देती हूं और मेरी टीम के कुछ खास रक्तदाताओं जिनसे मुझे जब भी जरुरत पडी उन्होने तुरंत रक्त का या रक्तदाता का प्रबंध करवा दिया ये नाम हैं …

श्री राजेंद्र माहेश्वरी  जी राजस्थान भीलवाडा से, श्री राकेश सांगर जी पंचकुला, डाक्टर रवनीत कौर – चडीगढ.  कोमल  खत्री, नचिकेतन , उत्कर्ष क्वात्रा Blood connect  की पूरी टीम दिल्ली से , आशा जी – रोटरी ब्लड बैंक- दिल्ली, डाक्टर संगीता पाठक – दिल्ली से, सोनू सिह जी – दिल्ली से,  अजय चावला जी –  हरियाणा फरीदाबाद से,  मंजुल पालीवाल जी रोहतक हरियाणा से,  दीपक शुक्ला जी मुम्बई से, संगीता वधवा मुम्बई से,  जगदीश शर्मा जी जम्मु से

ये नाम हैं मैंनें जब भी इन्हें रक्त के लिए फोन किया समझ लीजिए तुरंत इंतजाम हो गया… मैं तहे दिल से इनका शुक्रिया करती हूं और बहुत बहुत शुभकामनाएं देती हूं कि जुटे रहिए … !!

रक्तदान के फायदे

 

Importance of Knowledge Sharing – जब मैंने एक जिंदगी बचाई – Monica Gupta

Importance of Knowledge Sharing – जब मैंने एक जिंदगी बचाई- benefits of knowledge sharing – how to share knowledge हम जितना जानते हैं अगर उसे शेयर ही नही करे read more at monicagupta.info

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May 10, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Blood Donation Awareness Video – रक्तदान – करके देखो अच्छा लगता है – Donate Blood –

Blood Donation Awareness Video

Blood Donation Awareness Video – रक्तदान – करके देखो अच्छा लगता है – Donate Blood – Monica Gupta – Misconceptions about Blood Donation – कुछ दिन पहले मैं blood donation  पर सर्च कर रही थी तभी मैने देखा किसी ने मेरा लिखा आर्टिकल अपने नाम से डाल रखा है पहले तो मुझे अच्छा नही लगा पर जब मैने उसने लिखें कमेंट पढे तो बहुत सारे कमेंट थे किसी ने बहुत अच्छा लिखा है किसी ने लिखा कि मैं भी जरुर ब्लड डोनेट करुगां …

Blood Donation Awareness Video – रक्तदान – करके देखो अच्छा लगता है

तो मुझे सच में बुरा नही लगा सोचा कि एक noble cause है अगर जागरुकता ऐसे आती है तो ऐसे ही सही … वैसे जागरुकता है नही लोगों में रक्तदान के प्रति…बहुत तरह की बाते देखने सुनने को मिल जाती है …

क्योकि इस field  से जुडी हूं तो बहुत बातें हैं बहुत बातों में  एक बात मुझे हमेशा याद रहती है जो मैने बहुत समय पहले net  पर पढी थी  खबर पढी कि अहमदाबाद के रोहित उपाध्याय  ने 100 बार रक्तदान किया..

माँ तो माँ होती है – एक छोटी सी कहानी

शायद आपको इस खबर में कोई नयापन न लगे पर अगर मैं आपको कहूं कि वो रिक्शा चलातें है तो भी शायद कुछ हट कर न  लगे लेकिन अगर मैं आपको ये बताऊ कि वो मरना चाहते थे इसलिए रक्तदान करने गया था तो शायद आप भी चौंक़ जाएगें.

असल में, अहमदाबाद के राहुल उपाध्याय ओटो रिक्शा चलाते हैं वो अपनी जिंदगी से बहुत परेशान  हो गए थे और सुसाईड करना चाहते थे उन्हें लगता था कि रक्तदान करने पर आदमी मर जाता है इसलिए रक्तदान करने गए थे पर रक्तदान करके जब यह पता चला कि  उन्हें तो कुछ हुआ नही और उन्होनें किसी की जिंदगी बचाई है तो उनकी सोच बदल गई और लगातार रक्तदान करने लगे…उनकी देखा देखी बहुत ओटो वाले भी आगे आए … कहने का मतलब यही है कि मन से कंफ्यूजन निकाल दीजिए पूछिए और अपने डाउट दूर कीजिए … और रक्तदान करके देखिए … अच्छा नही बहुत अच्छा लगेगा … आप किसी के नजरों में हीरो बन जाएगें … जरुर सोचिएगा … कल फिर

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रक्तदान महादान

March 25, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

Success story of Blood Donor

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सफलता की कहानी … !!!

 Success story of Blood Donor

वो दिन रात रक्त दान के प्रति लोगो को जागरुक करने की मुहिम मे जुटे थे पर लोगो की भ्रातियां, रक्तदान के प्रति नकारात्मक सोच पीछा ही  नही सोच रही थी. उन्ही दिनो की बात है जब वो एक बार कालिज के बच्चो को रक्तदान के लिए प्रेरित करके लौटे ही थे कि एक बच्चे की मम्मी का फोन  आ गया कि मेरे बच्चे को छोड दो.  बेशक आप एक हजार रुपए ले लो पर मेरे बच्चे को रक्तदान के लिए बिल्कुल मत कहना.

वही एक दूसरे उदाहरण में जब वो घर घर जाकर लोगो को रक्तदान के लिए लोगो को जागरुक कर रहे थे तब एक व्यक्ति हाथ जोड कर बोला कि मैं बाल बच्चेदार  आदमी हूं खून दान करके अपनी जिंदगी खतरे मे नही डाल सकता. एक अन्य उदाहरण मे तो और भी आश्चर्यजनक बात हुई. सुबह सवेरे एक प्रोफेसर साहब के पास फोन आया कि रक्तदान केंद्र मे खून की जरुरत है. उन्होने अपनी पत्नी को बताया कि वो खून दान कर के अभी वापिस आते हैं. जब तक वो रक्तदान केंद्र पहुंचे  तब तक एक अन्य व्यक्ति रक्तदान कर चुका था इसलिए प्रोफेसर साहब कुछ देर रुकने के बाद चाय ठंडा पी कर जब घर वापिस लौटे तब पत्नी ने उन्हे देखते ही कहा कि ओह … आप कितने कमजोर लग रहे हो!!! इस पर उन्होने मुस्कुराते हुए बताया कि खून दान तो उन्होने किया ही नही. यह सुनकर उनकी पत्नी बहुत झेप सी गई.

 

जरा सोचिए कि ऐसे वातारवरण मे लोगो मे जागरुकता पैदा  करना  कितना कठिन काम रहा होगा पर उनके भीतर  लग्न, जोश, जनून ने ऐसे मुश्किल काम को सम्भव कर दिखाया. भले आज वो हमारे बीच नही है सन 2011 की 20 अगस्त को वो पंच तत्व मे विलीन हो गए पर रक्त दान के क्षेत्र मे जो मिसाल कायम कर गए वो एक मील का पत्थर बना खडा सभी का पथ प्रदर्शक कर रहा हैं.

 

रक्तदान के क्षेत्र मे अपनी एक अलग ही पहचान बनाने वाली उस शख्सियत का नाम है स्वर्गीय श्री हजारी लाल बंसल. 22 सितम्बर 1935 को भटिंडा के कटार सिह वाला मे जन्मे और सन 1962 मे हमेशा के लिए रामपुरा फूल मे बस गए. सब कुछ अच्छा चल रहा था कि अचानक जिंदगी ने एक ऐसा मोड लिया कि उनकी सोचने की दिशा ही बदल गई या ये भी कह सकते हैं कि जिंदगी को  एक नया मकसद मिल गया.

 

बात सन 1975 की है. उनकी बिटिया रजनी  की अचानक तबियत खराब हो गई  और उनके शरीर मे बस दो ग्राम खून ही रह गया. वो पहली बार था जब उन्होने  रक्तदान किया. हालाकि उनके एक अन्य रिश्तेदार ने भी रक्तदान किया पर खून और भी चाहिए था. वो खून के लिए इधर उधर बहुत भटके, घूमे  फिरे और खून नही मिल पाया फिर पीजीआई चंडीगढ ले जाया गया और ईश्वर का शुक्र रहा रहा कि उनकी बिटिया की जान बच गई और वो कुछ समय बाद सकुशल घर लौट आई. पर इस धटना ने हजारी लाल जी को बुरी तरह से झंझोर दिया और उन्होने निश्चय किया कि चाहे कुछ हो जाए रक्तदान की वो एक मुहिम चलाएगे. तब उन्होने अपने  जीवन को एक नई दिशा दी और उसी दिन से वो रक्तदान की मुहिम मे जुट गए. फिर झेलने पडी ढेरो नकारात्मकता और लोगो का रक्तदान के प्रति विपरीत रवैया. पर बस  एक अजीब सा जनून था जोकि उनके कमजोर नेत्र रोग के सामने भी कमजोर नही पडा. असल मे, जब वो दसवी कक्षा मे थे. तभी उन्हे नेत्र रोग हो गया था जिसकी वजह से लगातार उनकी नेत्र ज्योति क्षीण होती जा रही थी. दसवी कक्षा मे वो मात्र 50% ही देख पाते थे. धीरे धीरे यह ला ईलाज रोग बढता ही जा रहा था और जिंदगी के आखिरी 15 सालो मे वो पूरी तरह से नेत्र विहीन हो चुके थे और दूसरो की मदद के बिना कुछ् नही कर पाते थे. पर यह बात भी माननी पडेगी कि भले ही खुद वो बिना नेत्र ज्योति के रहे पर लोगो के दिलो मे रक्तदान के प्रति रक्तदान की ऐसी आलौकिक रोशनी जगा गए कि वो आज भी सभी का मार्ग प्रशस्त कर रही है.  Success story of Blood Donor

उनके सपुत्र श्री सुनील बंसल ने सारी जानकारी देते हुए बताया कि उनके पिता जी के बारे मे कुछ भी कहना सूरज को दीया दिखाने के बराबर है. पापा का जोश और जनून था जब हमारे गांव रामपुरा फूल मे 1 अक्टूबर 1978 को पहली बार रक्तदान कैम्प लगा. जिसमे पहली बार 46 रक्तदाताओ ने रक्तदान किया. उनके पिता ब्लड डोनर फांउडेशन के संस्थापक भी रहे. जब भी वो रक्तदान पर बोलते सभी चुप होकर बहुत गम्भीरता से उनकी बात सुनते और रक्तदान के प्रति प्रेरित होते. उनके पिता को सन 84 मे रेड क्रास सोसाईटी ने और 1996 तथा 2008 मे इंडियन सोसाईटी आफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन ने भी विशेष रुप से सम्मानित किया था. सुनील जी ने बहुत गर्व से बताया कि आज उनके गांव रामपुरा फूल मे शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदाता हैं. दूर दराज जानी मानी संस्थाए यहां रक्तदान कैम्प लगाती है और खून की वजह से कोई व्यक्ति की जान जाए ऐसा कभी नही हुआ. आज वो स्वय भी रक्तदान के प्रति लोगो को प्रेरित करने मे दिन रात जुटे हैं और खुद 34 बार रक्तदान भी कर चुके है.

वाकई मे , हजारी लाल जी के बारे मे जान कर बहुत खुशी हुई. इसी दौरान रजनी जी जोकि इस मुहिम  का कारण बनी. उनसे भी बात की. रजनी जी ने बताया कि हर कोई चाहता है कि वो बीमार ना पडे पर मेरा बीमार पडना मेरे पापा की जिंदगी मे एक नई क्रांति ले आएगा यह कभी नही सोचा था. खुद नेत्र ज्योति ना के बराबर होते हुए भी लोगो को रक्तदान के क्षेत्र मे राह दिखाई. मुझे गर्व है कि मैं ऐसे पिता की बेटी हूं. उनके जज्बे के आगे मैं नत मस्तक हूं.  

यकीनन श्री हजारी लाल बंसल जी का नाम रक्तदान के क्षेत्र मे अग्रणी रहेगा. आईएसबीटी आई परिवार की और से उन्हे सादर श्रधांजलि!!!Success story of Blood Donor!!!

 

 

मोनिका गुप्ता

सिरसा


हरियाणा

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