हे भगवान
एक प्रार्थना ईश्वर के नाम
हे भगवान! A Prayerत्योहार आते नही कि मंदिरों में भीड बढ जाती है. सुबह शाम जब भी जिसे समय मिलता है पहुंच जाता है. कई बार लम्बी लाईन होती है. अक्सर जब कई घंटो की तपस्या यानि लाईन में लगने के बाद हम अपने लक्ष्य पर पहुंच कर ह्म ईश्वर की प्रतिमा को निहार ही रहते होते हैं कि पंडित जी चलो चलो, आगे चलो, रुको नही , बोल कर हमे आखे खिसका देते हैं .
कुछ मंदिरों में चढावे के हिसाब से दर्शन करवाए जाते हैं. पंडित जी न जाने कैसे हमारे हाथ मे राशि देख लेते हैं अगर दस रुपए है तो चलो चलो आगे. 50 रुपए है तो हमें थोडा आदर मान मिल जाता है और अगर 100 रुपए या उससे ज्यादा हो तो वी आईपी ट्रीटमैंट. आपके लिए पंडित जी श्लोक भी बोलेगें और दो मिनट लगा कर पूजा भी होगी ये मेरा पर्सनल अनुभव है.
हे भगवान उठाले मुझे
एक बार तो मंदिर में गलती से आरती के समय पंहुच गए. क्षमा करें, मैने “गलती” शब्द इस्तेमाल किया . असल में, अनुभव ही कुछ ऐसा रहा इसलिए यही शब्द उचित लगा. भयंकर भीड थी. आरती के बाद फेरी शुरु हो गई. बस मुझे नही पता कि फेरी कैसे ली . मैं चल नही रही थी भीड द्वारा चलाई जा रही थी. इतनी धक्का मुक्की की बस … हालत खस्ता हो गई लगा कि अब प्राण गए मेरे .. अब मरी …
हे भगवान उठाले मुझे वाली फीलिंग आ रही थी पर पर पर बच गई और जान में जान आई. तब से तौबा कर ली कि ऐसे समय में मंदिर नही जाना.
मेरी एक सहेली की मम्मी रोज सुबह मंदिर जाती हैं और दो धंटे लगाती हैं. जाने से पहले घर पर तनाव रहता है और आते ही ये नही हुआ वो नही ये क्या है … !!!यानि कोई शांति नही … वही मेरी सहेली मणि मंदिर जाने की बजाय घर का काम करते करते हमारे ही ईश्वर का नमन या Prayer हे भगवान बोलती रहती है और यकीन मानिए मुझे वो ज्यादा सही लगता है. दिखावा किसलिए करना !!
दिल से याद करना चाहिए वैसे दिल से याद करने पर मुझे एक बात याद आई आप कहें तो सुनाऊ… चलिए सुना ही देती हूं…
वो क्या है ना कि देवी देवता भी जानते है कि अधिकांश लोग दिल से पूजा करने की बजाय दिखावे पर ज्यादा जोर देते है.
एक कहानी
एक बार देवी, देवता बहुत दुखी होकर बाते कर रहे थे कि हम अगर पहाडो पर बस जाते है तो लोग वहांं पहुच जाते हैं और अगर समुद्र मे अपना बसेरा कर ले तो भक्त वहाँ भी नही छोडते. तो हम जाए तो जाए कहाँ ???इस पर पता है नारद जी ने कहा, नारायण.. नारायण … ये तो बहुत ही आसान है. आप लोगो के दिलो मे बस जाओ.बस वही एक जगह है जहां आपको वो नही खोजते.
इसलिए सच्चे दिल से अराधना कीजिए. ईश्वर आपके दिल मे ही विराजमान हैं. आपकी मनोकामना जरुर पूरी होगी 🙂
हे भगवान … आपको कैसा लगा ??? जरुर बताईगा !!
Public Speaking
Public Speaking
कुछ समय पहले रक्तदान पर एक सेमिनार मे जाना हुआ. असल में, वहां मेरा भी lecture था. स्वाभाविक है कुछ पेट में butterflies, टेंशन और धबराहट थी. मुझे lunch के बाद का समय मिला था. इसलिए लंच का मन ही नही किया. लंच टाईम में मैं उसी कक्ष में आ गई जहां मुझे बोलना था.
दो बजे और लगभग कक्ष पूरा भर गया. मेरा नम्बर सात वक्ताओं के बाद का था और सभी को दस दस मिनट मिले. वक्ता एक एक करके बोले जा रहे थे और यकीन मानिए इक्का दुक्का को छोड कर बस बोले जा रहे थे. उन्हें दर्शकों से कोई लेना देना नही था. इतना ही नही मेरे साथ बैठी महिला के खर्राटे मैं आराम से सुन पा रही थी. कोई मोबाईल पर लगा था तो कोई टेक लगा कर आराम से AC hall मे उंघ रहा था शायद सभी को दिन में भोजन के बाद सोने की आदत होगी. मैं सोच रही थी कि मेरी मेहनत तो बेकार ही जाएगी जब कोई सुनने वाला ही न हो … हां सुनने वाले तीन लोग तो जरुर थे पहली जो स्टेज पर आने का निमंत्रण दे रहीं थीं. दूसरे जो स्टेज पर थे और तीसरे जो certificate या मोमेंटो आदि देने की तैयारी कर रहे थे. वक्ता के बोलने के बाद ताली भी ऐसे बजा रहे थे खुद की ताली की आवाज अपने ही कानों को न सुनाई दे. बस एक्शन ही था ताली का.
…. और मेरा नम्बर भी आ गया. मेरे साथ बैठी खर्राटे लेती महिला भी उठ चुकी थी और उनकी नजरे दरवाजे की तरफ थी कि कब चाय आए और वो फ्रेश हो जाए. खैर. मैने स्टेज पर जाकर अभिवादन किया और पूछा कि स्टेज पर यहां खडे होकर वक्ता को एक बात से बहुत डर लगता है. क्या आप बता सकते हैं? दर्शक थोडे उत्सुक हो गए . किसी ने कहा कि भूलने का डर तो किसी ने कहा अपना पेपर ही न लाए हो अलग अलग आवाजे आ रही थी पर मैं सभी की बाते बेहद विश्वास से मना करती जा रही थी फिर मैने कहा डर इस बात का लगता है कि सामने सीट पर बैठे लोग सो न रहे हो…लंच टाईम से पहले तो लोग लंच की इंतजार में जागते हैं पर लंच के बाद हालत गम्भीर हो जाती है और एक आध झपकी … !! ठहाके से कक्ष गूंज उठा. मैने विनती की कि प्लीज आप मत सोईएगा क्योकि आपको सोता देख मुझे भी नींद आ गई तो … !!! खैर, मैं अपना lecture शुरु कर चुकी थी और दस बारह मिनट बाद में समाप्त करके वापिस अपनी सीट पर जा रही थी. बेशक, बाद में बहुत लोग मिले. Visiting cards भी दिए. तारीफ भी की और अन्य सेमिनार के निमंत्रण भी मिले पर सोचने की बात ये है कि हम वक्ता के रुप में क्या बोले कि दर्शक बिना सोए और आराम से सुने. वैसे नेताओ को तो हम समय समय पर सुनते ही रहते है. कुछ पढ कर बोलते है कुछ बिना पढे बोलते है बिना पढ कर बोलने वालो को दर्शक ज्यादा पसंद करते हैं. विभिन्न सेमिनार में मेरा जो बोलने का अनुभव रहा है उसी के आधार पर मैं कुछ बातें शेयर करना चाह्ती हूं.
Public Speaking
कुछ लोग तो बहुत बोलते हैं बस माईक मिला नही कि आधा आधा घंटा बस बोलते रहते बोलते रहते हैं … ये भी ठीक नही. कम बोलिए और काम का बोलिए.
बेशक speaker को बोलने से पहले थोडा डर रहता है और होना भी चाहिए. कई बार अति आत्मविश्वास भी ठीक नही होता. बस मन ही मन खुद को तैयार करना है और लम्बे गहरे सांस लेने हैं और अगर पानी की आवश्यकता हो तो जरुर पी लें ताकि गला न सूखे और हो सके तो पानी की छोटी वाली बोतल पर अपने पास रख लें.
इस बात को भी मन मे बैठा लें कि जो सामने बैठे हैं ये भी सभी वक्ता हैं और आपकी तरह ही है अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
आरम्भ में आप दर्शकों को अपना कोई उदारण दे कर बताएगें कि मेरे सामने बहुत माननीय लोग बैठे हैं अगर बोलने में हकला जाउं घबरा जाऊ या कोई गलती हो जाए तो क्षमा कीजिएगा तो इससे आप भी रिलेक्स हो जाएगें और दर्शक भी आराम से आपकी बात सुनेंगें.
अगर बोलते वक्त आप कोई PPT यानि Power Point Presentation दे रहे हैं तो और और भी अच्छा है आपका ध्यान स्क्रीन और लोगो की तरफ बराबर रहेगा और भूलने वाला कोई सीन ही नही होगा क्योकि आप अगली स्लाईड करके आराम से देख सकते हैं और इसी बीच बोलने में एक ठहराव भी ला सकते हैं जोकि जरुरी भी है.
कई बार वक्ता हाथ बहुत हिलाते हैं हाथों के हाव भाव होने चाहिए पर बहुत ज्यादा हाथ हिलाना कई बार मजाक का कारण बन जाता है. कई बार वक्ता बस पेपर रीडिंग ही करते रह जाते हैं जोकि बिल्कुल भी सही नही है ऐसे में तो दर्शको का सोना या उंघना पक्का होता है या फिर समय अवधि बहुत ज्यादा हो तो भी दर्शकों को नींद आ जाती है.
एक बार मंच संचालन के दौरान मैने देखा कि बहुत लोग सुस्त हो रहे हैं जी हां सही पहचाना वो भी लंच के बाद का सैशन था. एक व्यक्ति बार बार घडी देख रहा था. जैसे बहुत बोर हो रहा हो और दूसरा अपनी घडी हिला हिला कर देख रहा था. मेरे पूछ्ने पर उसने बताया कि वो ये देख रहा कि घडी रुक तो नही गई. चल तो रही है ना … !!! इस पर लोग थोडा हंस भी दिए और प्रोग्राम मे थोडी जान भी आ गई. कई बार छोटी छोटी बाते पूछ कर मनोरंजन करते रहना चाहिए. चाहे चुटकुला हो या प्रेरक प्रसंग या अपना कोई उदाहरण. पर सार्थक होना चाहिए यानि बातों बातो से ही निकलना चाहिए. जैसाकि इस बात पर मुझे एक बात याद आई … !!!
एक मुख्य बात यह भी की मुस्कान जरुर रखनी चाहिए. ना बहुत ज्यादा न बहुत कम. इससे दर्शकों को अच्छा लगता है. रोता मुंह या उदास मुंह कोई पसंद नही करता.
बातें और और भी बहुत है पर अगर ये लेख लंबा हो गया और आपको नींद आ गई तो तो तो … इसलिए अभी के लिए इतना ही… बाय बाय !
वैसे जाते जाते एक जरुरी टिप्स … रात को अच्छी नींद लीजिएगा ताकि अगले दिन अच्छी तरह से बोल पाए…
वैसे अगर कुछ टिप्स आपके पास भी हो leadership Speaking की तो जरुर दीजिए आपका स्वागत है … Public Speaking skills ,Public Speaking tips , Public Speaking course हो या आपका अपना अनुभव आपका स्वागत है …
हे भगवान
हे भगवान
उफ्फ ये मोबाईल
काफी दिनो से मेरी एक सहेली से फोन पर बात नही हुई तो सोचा कि चलो फ्री हूं उसे फोन मिला लू. असल मे, मेरी सहेली जब भी बात करती है इतनी अच्छी तरह बात करती है मानो सारा प्यार ही उडेल रही हो. उससे बात करके मन खुश हो जाता है.
उसी खुशी मे मैने फोन मिला लिया पर मेरी आशा के विपरीत उसने पूछा कि कौन बोल रहा है? पहले मैने सोचा कि मजाक कर रही है फिर सोचा शायद मुझसे नम्बर गलत न मिल गया पर नम्बर भी सही था. जब वो नही पहचानी तो मुझे बताना पडा कि मै कौन बोल रही हूं. उसने तुरंत क्षमा मांगी और बताया कि असल में, उसका मोबाईल चोरी हो गया. नए मोबाईल मे नम्बर फ़ीड नही है इसलिए पहचान नही पाई. खैर उस समय तो मैने फोन रख दिया पर सोचने लगी कि वाकई में मोबाईल हमारी जिंदगी से बहुत बुरी तरह से जुड गया है कि इसके गुम होने पर क्या सब खत्म !!
मैं सोच ही रही थी कि अचानक घर पर मेहमान आ गए. वो बैठे ही थे कि अचानक उनके पास किसी का फोन आया.फोन सुनते ही वो घबरा गए और पूछ्ने लगे कि ये कब हुआ! अचानक ऐसे कैसे हो सकता है! हे भगवान! अब क्या होगा उसके बिना कैसे होगा?कैसे रहेगी ?? मैं बात सुन रही थी और किसी अनिष्ट आशंका को लेकर बुरी तरह धबरा गई. मन मे बुरे बुरे विचार आने लगे. फोन रखते ही मेरे पूछ्ने पर कि क्या हुआ उन्होने धबराए स्वर में बताया कि बिटिया का फोन था अपनी सहेली के मोबाईल से कर रही थी. असल में, उसका मोबाईल खो गया है…. और वो तनाव मे ही बाहर निकल गए.
हे भगवान
उफ्फ ये मोबाईल 🙂
नौकरी खोज
नौकरी खोज
क्या आप पढे लिखे हैं और नौकरी की तालाश मे दर ब दर भटक रहे हैं तो यह खबर आपके लिए भी हो सकती है
पर कृप्या कमजोर दिल वाले न पढे
पहले समय मे बोला करते थे कि पढ लिख ले नही तो चपडासी बन जाएगा पर आज मायने बदल गए है आज चाहे पीएचडी हो या इंजीनियर, एमएससी हो या एमकाम .. चपडासी बनना ही गवारा है. खबर यूपी के लखनऊ की है वहां विधान सभा सचिवालय के लिए चपडासी पद की 368 भर्ती होनी है और 23 लाख से ज्यादा आवेदन आए हैं जिसमें 255 पीएचडी हैं … डेढ लाख ग्रेजुएट, 25 हजार पोस्ट ग्रेजुएट और 75 हजार 12वी पास !!! हैरानी की बात ये है कि जरुरत मात्र 5 वी पास की है जो साईकिल चलाना जानता हो.
जब इसी बारे में पोस्ट ग्रेजुएट से बात की कि आपने आवेदन क्यो किया तो वो बोला कि एक साल से नौकरी नही मिल रही थी कि दूसरी बात की हमारे पीएम भी चाय बेचते थे और अम्बानी पेट्रोल पम्प पर काम करते थे कोई काम छोटा बडा नही होता.
वही वहां पहले से काम कर रहे चपडासियों मे तनाव सा है कि वो ऐसे पढे लिखो के साथ कैसे तालमेल बैठा पाएगें …
नौकरी खोज
हे भगवान !!! अरे आपको क्या हुआ !!! मैने तो पहले ही कहा था कि कमजोर दिल वाले इसे न पढे !!!

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Diet Plan

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Diet Plan
Nutrition Tips
बात कुछ दिनों पहले की है. मैं अपनी सहेली मणि के घर पर थी. मणि के पति का जन्मदिन हाल ही में गया है और मणि का जन्मदिन आने वाला है तो हम बैठ कर खाना डिसाईड कर रहे थे कि उस दिन क्या क्या बनेगा. मणि को खाने का बहुत ज्यादा शौक तो नही है पर कम भी नही है. आलू पूरी, छोले भठूरे, टिक्की, फ्रूट क्रीम, फलूदा कुल्फी ही पसंद है बस … ह हा हा !!! मैं इसलिए हंसी क्योकि आप यही सोच रहे हो कि बस !!! हां तो मैंने खाने की बात करते करते मणि से कहा कि केक मेरी तरफ से होगा. इस पर मणि बोली कि अरे नही !!! पिछ्ले साल भी बेटे ने केक online order कर दिया था और दो दो केक खाने मुश्किल हो गए थे इसलिए इस बार उसने मुझे केक के लिए मना कर दिया. वैसे वो केक बहुत ही स्वादिष्ट था.पाईनएपल केक का सुनते ही मेरे मुंह में भी पानी आ गया. असल में, आज भी केक पर लगे पाईनएपल के लिए मेरी और मणि की बच्चों की तरह लडाई होती है. बच्चे घर पर हो तो हम कंट्रोल कर लेते हैं नही तो …!!
हम बात कर ही रहे थे कि तभी मणि के बेटे का फोन आ गया वो फिलहाल विदेश में किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में गया हुआ है.मणि उससे बात करने लगी. ज्यादा समझ तो नही आया पर महीने के हाव भाव से लग रहा था कि कुछ हैरानी और टेंशन की बात है वो मना कर रही थी और थोडी देर बात करने के बाद फोन रख दिया. मेरे पूछ्ने पर उसने बताया कि फंस गए!! अरे !! क्या हुआ? वो बोली कि अभी किसी dietician का फोन आएगा और वो मेरा और इनका (मणि के पति) का सारा डाईट प्लान और हिस्ट्री पूछेगी… मैने हैरानी से पूछा कि यानि !!! किसलिए ??? हुआ क्या!!! मणि ने बताया कि उसके बेटे ने एक साल के लिए देश की जानी मानी डाटिशियन को बुक किया है अब उसके बताए खाने के हिसाब से चलना होगा. उससे पहले अलग अलग blood test करवा कर भेजने होंगें जिससे शरीर के भीतर क्या क्या हो रहा है पता चल सके. उसके आधार पर वो क्या खाना है और नही खाना वो बताएगें. कोर्स भी बहुत महंगा है पर बेटे ने ज्वाईन करवा दिया. बस मेल और फोन पर बात होगी और उनके कहे अनुसार चलना होगा.
मैने सोचा कि मणि के बेटे ने ऐसा क्यों किया. उसने बताया जब पिछ्ली बार मिले थे तो बेटा गुस्सा हो रहा था कि आप और पापा दोनो मोटे हो रहे हो जरा अपना ख्याल रखो … शायद इसी वजह से… वो बता ही रही थी तभी उसके मोबाईल पर फोन आया जोकि true caller में डाईटिशियन का ही नम्बर आ रहा था. मैं उठने को हुई तो मणि ने हाथ पकड कर रोक लिया. मैं फिर बैठ गई. लगभग 15 मिनट बाद हुई दोनों की और मणि ने फोन रखने के बाद बताया कि वो मेल भेज रहे हैं उसके हिसाब से आठ दस टेस्ट करवा कर उनको भेजने हैं blood group और weight भी फिर उसी हिसाब से वो क्या खाना है क्या नही खाना वो बताते रहेंगें. हम दोनो के मन में अजीब सा तनाव था कि ना जाने क्या होगा.
शाम को मणि घर आई तो थोडा रिलेक्स थी. जब वो और उसके पति उनके बताए सारे blood test करवाने गए तो लैब के डाक्टर जानकार मित्र थे. उनके पूछ्ने पर मणि ने बेटे की सारी बात बताई तो डाक्टर बहुत खुश हुए और बोले बहुत ही अच्छी बात है आप तो ये मान कर चलिए कि आपके बेटे ने आप दोनो की दस दस साल उम्र बढा दी. आपके बेटे ने बहुत सही सोचा. हम भारतीय लोगो का खान पान बहुत बिगडा हुआ है और उसी वजह से सारी बीमारियां होती है… जाते जाते उन्होनें यह भी कहा कि उन्हें भी Diet Plan जरुर भेजिएगा कि वो क्या और किस तरह का डाईट प्लान बनाते है वो भी इसे जरुर ज्वाईन करना चाहेंगें.
Diet Plan
शाम को सारी रिपोर्ट मिल गई खुश किस्मती यह भी रही कि सारे टेस्ट नार्मल रेंज में थे. और अब शुरु होना था उनका डेली डाईट प्लान Diet Plan. आज सुबह मैं खीर बना रही थी पर अनमने भाव से क्योकि जब भी खीर बनाती मणि को जरुर दे कर आती पर अब वो तो नही खाएगी … मैं भी क्या करुंगी खीर बना कर . तभी मणि का फोन आया कि तेरे पास किसी का फोन आया . मैने कहा कि नही तो किस का आना है ???… वो हंसने लगी और बोली अगर मेरा बेटा दूर बैठे अपने मम्मी पापा का इतना ख्याल रख सकता है तो क्या मैं पास बैठी सहेली के लिए इतना भी नही कर सकती … तेरा जन्मदिन भी तो आ रहा है … !!!क्या !! बता न…!!! क्या बात है … मेरी उत्सुकता बढती जा रही थी. वो बोली कि उसने dietician को मेरा नम्बर दे दिया है … क्या मैने कहा !! अरे नही !!! मैं तो बिल्कुल ठीक हूं मुझे जरुरत नही है और ये कंट्रोल वंट्रोल मुझसे नही होगा…. और ये एक साल का पैकेज महंगा भी तो है … प्लीज मना कर दे .. प्लीज … प्लीज .. !!वैसे भी मुझसे कंट्रोल भी नही होता !!! इतने में मेरे मोबाईल पर दूसरा फोन आ रहा था…शायद ये वहीं से था. अब मैं भी उससे बात कर रही हूं और अपने बारे मे सारी जानकारी दे रही हूं… !!!
इस बात को हफ्ता हो गया है और मणि के अनुभव को देखते हुए और उसकी खुशी को देखते हुए मुझे भी लग रहा है कि over weight के कम होने wait नही करनी चाहिए अपने शरीर का ख्याल रखना चाहिए. खासकर खाने के मामले में तो बहुत जरुरी है. असल में, हमारी Indian eating habits आदतें बहुत खराब है जोकि जाने अंजाने शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं… और अगर इस पर कंट्रोल हो गया तो मन वैसे ही प्रफुल्लित रहेगा.. वैसे आप कैसे हैं … !!! Fitness का कितना ख्याल रख रहें हैं आप ?? सेहत यानि health के लिए Healthy Eating बहुत जरुरी है …
ह हा हा … अभी तो शुरुआत ही हुई है मेरी और मैं समझाने भी लग गई आपको … 🙂
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