Cheating in Exams
Cheating in Exams in India. आजकल जिस तरह से परीक्षा के दिनों में नकल खुल कर चल रही है बेहद अफसोस जनक है और कोशिश यही होनी चाहिए कि बच्चों को नकल से दूर रहने की ही शिक्षा दें अन्यथा बच्चों का भविष्य हमेशा के लिए बिगड जाएगा..
Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber
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Kajal Nishad … Versatile Actress
बहुमुखी प्रतिभा की धनी है काजल निषाद
Kajal Nishad … Versatile Actress
एक गृहणी, एक कलाकार, एक परम शिव भक्त, एक कवयित्री, एक नेता, एक समाजसेवी ढेरों गुणों की खान है काजल निषाद. इन सब के इलावा एक खूबी काजल जी में और भी है कि उनमें अभिनेत्री होने का घमंड जरा भी नही है. बेहद सीधी सादी और भोली भाली काजल सभी के लिए समय निकाल कर बहुत अपनेपन से बात करती हैं. शायद इसलिए उनके और भी विस्तार से जानने इच्छा और फिर शुरु हुआ बातों का सिलसिला.
कुछ भी कहने से पूर्व मैं ये बताना चाहूगीं कि काजल निषाद जी ने बहुत टीवी धारावाहिकों मे काम किया है जिसमें से कुछ हैं…. “आप बीती”, “सात वचन सात फेरे”, “मेरे देश की बेटी”, “बाबुल के देश”, “तोता वेडस मैना”, “खुशियों की गुल्ल आशी” और “लापता गंज”, और जो बहुत जल्द प्रसारित होने वाला है उसका नाम है “बहू तूफान, फैमिली परेशान” यह हास्य धारावाहिक है. इतना ही नही सात भाषाए जानने वाली काजल ने भोजपुरी, गुजराती, ऊर्दू, बंगाली, मराठी मारवाडी, हिंदी फिल्मों में भी काम किया है और एक मूवी” झुमकी” में तो इन्होनें कोई डायलाग ही नही बोला और अभिनय के बल पर ही बेस्ट एक्टर का एवार्ड हासिल किया.
काजल यानि काशू ( बचपन का नाम) ने बातों मे मिठास के साथ मेरे सारे प्रश्नों के जबाब देने शुरु किए. गुजरात के कच्छ में 4 जून को जन्म हुआ. अपने पांच भाई बहनों मॆं सबसे छोटी थी इसलिए सभी की बहुत लाडली रही. मजे की बात यह रहती कि शरारत वो करती और डांट उनके भाई या बहन को पड जाती. बात बताती हुई वो खिलखिलाकर हंस दी मानों वो सभी दृश्य उनके मनस पटल पर सहेज कर रखे हुए हों. बचपन की यादों को ताजा करते हुए उन्होने बताया कि बेशक उनका जन्म गुजरात में हुआ पर उनकी स्कूली शिक्षा और आगे की पढाई सारी मुम्बई की ही है. बचपन में जब भी मौका मिलता वो अपने पिता के गांव जरुर जाते और गांव जाते ही वो सबसे पहले मिट्टी को मस्तक से लगाती. मिट्टी से उन्हें विशेष प्यार रहा. खेत मे खाना खाना, खेलना, गर्मी लगती तो छांव मे बैठ कर छाछ पीना बेहद सुखद अनुभव था.बहुत मजा आता था. बचपन में गुडिया हमेशा उनके हाथ मे रहती और एक बार उन्होनें अपने कुत्ते की शादी भी करवाई थी और पूरे गांव मे पारले जी बिस्कुट बांटे थे. इसे बताती हुई खिलखिलाकर कर हंस दीं.
बचपन की यादों से निकल कर वो जा पहुंची. सन 2003 में जब उनकी शादी संजय निषाद जी से हुई. संजय जी जाने माने प्रोडयूसर हैं भोजपुरी फिल्म ”मुन्ना भैया” से उन्होनें नया मुकाम हासिल किया. काजल जी ने बताया कि संजय जी ने ही उन्हें प्रेरित किया कि उनमें एक बहुत अच्छा कलाकार छिपा है उनके प्रोत्साहित करने पर ही अभिनय यात्रा शुरु हुई और फिर प्रतिभा के बल पर काम मिलता ही चला गया. उन्होनें बताया कि लगभग हर तरह के रोल किए है चाहे मां का हो, अमीर धराने की बहू हो, गरीब परिवार की बिटिया हो, खलनायिका हो, मजाकिया हो या भोली सी सीधी सादी लडकी. सभी किरदारों को करती हुई उसमे बस खो जाती और पता नही चलता कि कब सीन ओके हो जाता.
उन्होनॆ बताया कि सबसे ज्यादा मजा लापतागंज करते हुए आया. उसका सबसे पहला कारण था कि वो एक गांव रुप में बसा था और गांव उनके दिल के सबसे ज्यादा करीब है और दूसरा पूरी टीम बहुत मस्ती करती और हंसते बतियाते शूटिंग कब हो जाती पता ही नही चलता . मुझे भी याद है कि चमेली के किरदार में अपने तकिया कलाम “हमें सब न पता है” से वो बहुत सुर्खियों में आई थी. वो डायलाग उन्होनें मेरे कहने पर बोल कर भी दिखाया.
बातों का सिलसिला आगे बढा और उन्होनें बताया कि बचपन से ही वो शिव भक्त रही है और शिव जी को पत्र भी लिखती थी. पत्र लिख कर वो शाम को शिवलिंग पर रख आती और सुबह पत्र उठा लेती और ये दीवानापन आज भी कायम है. आज भी हर समय उन्हें यही लगता है शिव जी उनके पास हैं और उनकी सारी बातें सुन रहे हैं. सौ से भी ज्यादा कविताए लिखी हैं जिसमें से ज्यादातर शिव जी पर है…
मैं कलम तू कागज है शिव,
मैं शिव तू काजल है, पर्वत,
हरियाली हर रंग में है शिव अफीम,
गांजा हर भंग में है शिव,
मैं शिव रात्रि तू भोर है शिव
तेरी कसम तू मेरे चारों ओर है शिव .. कहते कहते मानो वो फिर कही खो गई. मैने बात फिर आगे बढाई और जानना चाहा कि अक्टूबर 2011 में कांग्रेस की ओर से गोरखपुर में चुनाव भी लडा. ये कैसे हुआ. इस पर उन्होनें बेहद संजीदगी से बताया कि गोरखपुर उनकी ससुराल है शिक्षा, बिजली, पानी, सडकॆ आदि असुविधाओं के अभाव को झेल रहा था. एक जागरुक देशवासी होने के नाते वो बहुत सुधार लाना चाह रही थी. संयोग वश, उन्हें हाईकमान की ओर से गोरखपुर की टिकट भी मिल गई. हालांकि उनकें पास चुनाव प्रसार प्रचार का ज्यादा समय नही था क्योंकि तब “लापता गंज” की शूटिंग चल रही थी.
Kajal Nishad के प्रचार के दौरान उन पर हमला भी हुआ जिसमे वो धायल भी हो गई थी पर फिर भी उनके उत्साह में कोई कमी नही आई. तीन महीने उन्होनें जनता के बीच बिताए दुख दर्द सांझा किया. हालांकि जीत तो नही पाई पर जनता के प्यार, सम्मान और विश्वास ने उन्हें भावुक कर दिया और अब भी उनकी सोच यही रहती है कि जिले में विकास कैसे करवाया जाए ताकि जागरुकता बढे.
बात जागरुकता की चली तो मैने जानना चाहा कि समाज में जो रेप की धटनाए हो रही हैं इस पर क्या कहना चाहेंगीं. इस पर उन्होने सख्त लहजे में बोला कि दोषियों को किसी भी हाल में नही छोडा जाना चाहिए. कानून में 15 दिन के भीतर ही उन्हें सजा दे देनी चाहिए. हमारे देश की सुस्त रफ्तार कानून व्यव्स्था से चोर, मुजरिम डरते नही हैं इसलिए ये धटनाए रुक नही रही. कानून सख्त बने और उनका पालन भी सख्ताई से होना जरुरी है. और इतना ही नही एक्टिंग लाईन मे भी अक्सर ये देखा गया है कि रोल पाने के लिए कई बार लडकियां किसी भी हद तक जा सकती है इसलिए अगर एंक्टिंग को कैरियर बनाना है तो सोच समझ कर ही कदम रखें.
वातावरण गर्म हो चला था उसे ठंडा बनाने के लिए मैने उनसे खाने में पसंद ना पसंद के बारे मे पूछा तो अचानक उन्होने कहा ‘पिज्जा” बहुत पसंद है. गुजराती खाने के साथ साथ छाछ भी बेहद पसंद है.
अपने प्रशंसकों के लिए संदेश देते हुए Kajal Nishad… जनता का बहुत प्यार और सम्मान मिला है जिसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहती हूं और अपना प्यार इसी तरह बनाए रखे और वो अच्छे अच्छे रोल से उनका मंनोरजन करती रहेंगी.
सच, बातें बहुत हो गई थी और उनका शूटिंग का बुलावा भी बार बार आ रहा था इसलिए विदा लेनी पडी. पर एक बात तो माननी पडेगी कि अक्सर महिलाए सोचती हैं कि शादी के बाद कैरियर समाप्त हो गया पर काजल जी बहुत भाग्यशाली रही कि उन्हें अपने पति और ससुराल पक्ष से बहुत सहयोग मिला और आज, वो बहुआयामी प्रतिभा के रुप में हमारे सामने हैं. Kajal Nishad … Versatile Actress
हमारी शुभकामनाएं हैं कि आपका ये सफर अनवरत चलता ही रहे काजल जी !!!
By Monica Gupta Leave a Comment
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Hetvi Pareek … Child Artist
जिन्हे सपने देखना अच्छा लगता है उन्हे रात छोटी लगती है, जिन्हें सपने पूरा करना अच्छा लगता है उन्हे दिन छोटा लगता है…..!!! ऐसे ही अपने नन्हे मासूम सपने पूरे करने मे जुटी है आठ साल की हेतवी पारिख. जी, हां, वही हेतवी पारिख जिन्हे आप आजकल सब टीवी के बहुचर्चित धारावाहिक “लापतागंज” मे भाग्यलक्ष्मी के किरदार के रुप मे देख रहे हैं. जैसे अपने किरदार मे उसने सब मन मोह लिया ठीक वैसे ही मीठी मुस्कान और प्यारी सी आवाज लिए वो हम सब के दिलों में कब घर कर गई पता ही नही चला.
Hetvi Pareek … Child Artist “बालिका वधू”,”रिंग रांग रिंग”,”हारर नाईटस” आदि धारावाहिको के साथ साथ अनेको विज्ञापनों जैसे लाईफ बाय, हिप्पो चिप्स,कोलगेट, युनिसेफ, नूडल्स आदि में नन्ही हेतवी अपना ध्यान हमारी और आकर्षित कर रही है. प्यारी सी हेतवी से जब बात करने का मौका मिला तो उन्होने मासूमियत से सारे जवाब देने शुरु किए. मुस्कुराते हुए बताने लगी कि उनका जन्म मुम्बई मे 29 दिसम्बर 2004 को हुआ. वो अपने मम्मी पापा की इकलौती बेटी है और वो अभी तीसरी क्लास मे पढ रही है. इसी बीच उनकी मम्मी तृप्ति जी भी आ गई. मेरे पूछ्ने पर कि टीवी सीरियल मे काम करने का कैसे विचार बना. क्या कोई परिवार मे भी हैं जो पहले से ही इस क्षेत्र मे काम कर रहे हैं.
उन्होनें बताया कि उनका कोई फिल्मी बैकग्राऊंड नही है और ना ही कोई गाड फादर हैं. असल मे, जब हेतवी छोटी थी तो सभी कहते थे कि यह बहुत ही प्यारी है इसे अभिनय के क्षेत्र मे आना चाहिए. पहले तो ज्यादा ध्यान नही दिया पर दोस्तों के बार बार कहने पर उन्होनें एक बार कोशिश करने की सोची. पर राह आसान नही थी. बहुत जगह गए. आडीशन दिए.कुल मिलाकर यह ये कहे कि बहुत धक्के खाए तो गलत नही होगा. जब ट्राई करना शुरु किया तब ये तीन साल की थी. दो साल बीत गए पर कही से आशा की किरण नही नजर आई. तृप्ति जी बताए जा रही थी कि बस उन्होने हिम्मत नही हारी और एक दिन आया जब हेतवी 5 साल की उम्र मे कैमरे के आगे अपना पहला शाट दे रही थी.वो पल सबसे ज्यादा खुशी का पल था जब आज भी वो पल आखों के सामने आ जाता है तो आखॆ खुद ब खुद नम हो जाती हैं.
एक वो दिन था और आज का दिन है. आठ साल की हेतवी शूटिंग मे पूरी तरफ से व्यस्त है.पास मे बैठी Hetvi Pareek शरारत कर रही थी तो मैने पूछा कि जब रिकार्डिंग होती है तब पढाई कैसे करती हो इस पर वो बोली कि कभी कभी स्कूल मिस हो जाता है पर जब पेपर होते हैं तब वो उन्हे नियमित रुप से देती है और तब कोई शूटिंग नही करती.
मेरे पूछने पर कि कभी रिकार्डिंग के दौरान मजेदार बात हुई जिसे याद करके बहुत हंसी आती हो. इस पर उसने एक पल सोचा फिर जोर जोर से हंसते हुए बताने लगी कि कुछ समय पहले लापतागंज की रिकार्डिंग चल रही थी और उसका सोने का सीन था. उसे आखे बंद कर सोने को कहा गया और वो सचमुच मे ही सो गई. सीन खत्म होने के बाद सब उसे उठा रहे थे और वो मजे से सोए जा रही थी. उसकी प्यारी प्यारी बाते सुन कर सच मे बहुत मजा आ रहा था. मैने हेतल से फिर पूछा कि खाने मे क्या पसंद है इस पर वो तपाक से बोली पिज्जा और चाईनीज. मैने भी तपाक से पूछ लिया और दूध पीना कैसा लगता है इस पर वो बोली तो कुछ नही पर उसके हाव भाव से मै समझ गई थी कि और बच्चो की तरह वो भी दूध के नाम से कोसो दूर भागती है.
तृप्ति जी ने बताया कि 6 से 8 घंटे की शूटिंग के दौरान वो घर का खाना, फल और जूस सेट पर ले कर जाती हैं ताकि समय समय पर उसे दे सके. तब वो मना नही करती और चुपचाप ले लेती है. हेतवी साथ ही बैठी सारी बाते सुन रही थी मैने पूछा कि अब तक का सबसे अच्छा रोल कौन सा लगता है इस पर वो बोली कि वैसे तो सभी अच्छे लगते हैं पर लापतगंज करते हुए बहुत मजा आ रहा है. वहां बहुत मस्ती भी करते है. खासकर एक ऐपिसोड था जिसमे सीरियल “चिडिया घर” और “लापतागंज” मिला कर एक घंटे का बनाया था उसमे उसने अपनी मम्मी यानि इन्दुमति का किरदार निभाया था. जिसकी सभी ने बहुत प्रशंसा की थी.
बताते बताते वो मानो उसी की यादो मे खो गई. मैने उसे उन यादो से बाहर निकाला और पूछा कि उसके पसंदीदा हीरो और हीरोईन कौन है. मुस्कुराते हुए वो बोली कि करीना, कैटरीना और आमिर, सलमान और शाहिद अंकल बहुत ही पसंद हैं और बहुत मन है कि इन सभी के साथ एक बार जरुर काम करे वैसे काजोल आंटी के साथ तो नूडल्स के विज्ञापन मे काम किया ही था. तब सच मे बहुत अच्छा लगा था. हेतवी की मम्मी ने बताया कि जो भी रोल इसे दिया जाता है उसे पूरी मेहनत और लग्न के साथ निभाती है और हर समय एक जोश मे रहती है. बात चाहे पढाई की हो या रिकार्डिंग की. दोनो तरफ पूरा ध्यान रहता है. खुशी इस बात की भी है कि पढाई मे भी उतना ही बेहतर नतीजा लाती है और स्कूल मे सब इसे बहुत प्यार करते हैं.
सच मे, Hetvi Pareek की प्यारी प्यारी बाते सुन कर जाने का मन तो नही कर रहा था पर उसकी शूटिंग थी और तैयारी भी करनी थी. जाने से पहले मैने एक बात उससे जरुर पूछी कि वो अपनी उम्र के बच्चो को क्या मैसेज देना चाहेगी इस पर वो बोली कि किसी भी काम की टॆंशन नही लेनी चाहिए. जिस काम का करने का मन हो वो जरुर करना चाहिए. मेहनत से काम करते रहना चाहिए. फिर उसका रिजल्ट हमेशा अच्छा ही आएगा. वाकई मे, उसने बिल्कुल सही कहा. आज नन्ही हेतवी धारावाहिक, विज्ञापनो के साथ साथ दो फिल्मे भी कर रही है. पापा मम्मी की लाडली हेतवी भी दिन रात मेहनत, लग्न और सच्चाई से काम करती रहे और ईश्वर करे कि जिस मुकाम पर वो पहुचनां चाहे उसे सफलता मिले.
नन्ही ,प्यारी सी Hetvi Pareek … Child Artist को ढेर सारी शुभकामनाएं !!!!
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सुखवंत कलसी कार्टून की दुनिया के सम्राट
Journey from commerce to comics !!!
बच्चों और बचपन का नाम लेते ही मन मे बहुत सारी बातें उभर कर आती हैं जैसाकि पढाई, मासूमियत, शरारतें, मस्ती और कार्टून. जी हां, बच्चों और कार्टून का गहरा नाता है. चाहे वो टीवी पर देखें या बच्चों की पत्रिका मे पढें. खुद को तनाव रहित और रिलेक्स करने के लिए यह कार्टून वाकई मे बहुत ताजगी दे जाते हैं. ये तो बात हुई बच्चो की जो कार्टून पढते हैं.
आईए, आज आपकी मुलाकात ऐसी शखसियत से करवाते हैं जो अपने बचपने से ही ऐसे मनोरंजक, ज्ञानवर्धक कार्टून बनाने लगे.जी हां, खुद बनाने लगे और उन्होने सौ नही, हजार नही बल्कि आप बच्चों के लिए दस हजार से भी ज्यादा कार्टून बनाए हैं.
चलिए आप को मैं हिंट देती हूं और आप ही बताईए कि उन आसाधारण प्रतिभा का नाम है क्या !!! मूर्खिस्तान, जूनियर जेम्स बांड…. !!! अरे क्या !!! आप पहचान गए !!! अरे वाह !! आप तो बहुत जल्दी पहचान गए. बिल्कुल सही पहचाना!!! वो महान कलाकार हैं श्री सुखवंत कलसी जी.
श्री सुखवंत कलसी जी ना सिर्फ़ नन्हो की दुनिया के कार्टून सम्राट हैं बल्कि टेलिविजन की दुनिया मे भी उन्होने एक से एक बढ कर लेखन कार्य किया है और उन धारावाहिको को शीर्ष तक ले कर गए हैं.
सुखवंत जी से मिलने से पहले कई बार मन मे यह बात आई कि इतने महान और व्यस्त कलाकार हैं पता नही बात करेगे या नही, समय देंगे या नही पर मेरी हैरानी और खुशी की सीमा नही रही जब सुखवंत जी ने ना सिर्फ समय दिया बल्कि अपने बचपन के बारे मे बहुत सी बाते बताने का भी वायदा किया. उनसे मिलने के बाद शुरु हुआ बातों का सिलसिला.
अपनी चिर परिचित और सहज मुस्कान से साथ सुखवंत कलसी जी ने बताया कि उनका जन्म 14 जुलाई को कानपुर मे हुआ. पापा इंजीनियर थे और मम्मी घर का काम सम्भालती थी.चार भाई बहन यानि उनके एक बडे भाई और दो बहने है. वो सबसे छोटे थे और छोटे होने के नाते बेहद शरारती और लाडले थे.फिर मैने बात की पढाई की तो मुस्कुराते हुए बताने लगे कि वो पढाई मे ठीक ठीक ही थे पर स्कूल मे पढते पढते उन्होने दूसरी गतिविधियो मे भी बहुत बढ चढ कर हिस्सा लिया और उसमे मुख्य थी चित्रकारी.
उन्होनें अपने बचपन को याद करते हुए बताया कि स्कूल में जब उनके हाउस की डयूटी लगती थी तो वो अपने नोटिस बोर्ड पर कार्टून बनाकर डालते थे और उस समय पूरा स्कूल उमड पडता था यह देखने को कि आज इन्होने क्या बनाया है. स्कूल के टीचर भी बहुत खुश होते और बहुत उत्साहित करते.
मैने बीच मे ही पूछा कि इतनी छोटी उम्र मे कार्टून बनाने शुरु किए. अखबारों या बच्चो की पत्रिकाओं मे देने के बारे मे कुछ बताईए. उन्होने हसंते हुए बताया कि उन दिनो घर मे मम्मी “सरिता” मैगजीन पढा करती थी. इसके इलावा “मनोरमा” व अन्य पत्रिका घर पर आया करती थी.बस तब यह विचार आया कि उनमे भेजकर देखते हैं. एक बार सरिता मे कार्टून भेजने पर जवाब आया. जिसमे सम्पादक महोदय ने लिखा था कि कि रेखाचित्र कमजोर है.प्रयास जारी रखिए सफलता अवश्य मिलेगी. उस पत्र मे बहुत प्रोत्साहित किया और वो कार्टून और वो पत्र अभी तक उन्होने सम्भाल कर रखा हुआ है.पर उसमे बाद भी प्रयास जारी रखा और ईश्वर की कृपा रही और कार्टून छ्पने शुरु हो गए. इसके इलावा एक और भी मजेदार बात हुई एक बार कार्टून बना कर जब वो स्वयं सम्पादक से मिलने गए तो उनकी दीदी और दीदी के रिश्तेदार साथ मे थे. सम्पादक महोदय कार्टून के बारे मे जो भी बात कर रहे थे वो दीदी के रिश्तेदार से सुखवंत कलसी समझ कर ही कर रहे थे बात खत्म होने के बाद दीदी ने जब उन्हे यह बताया कि सुखवंत तो ये है तब वो इतने हैरान हुए कि ये सुखवंत है.इतना छोटा बच्चा और इतने अच्छे कार्टून बना रहा है. उन्हे विश्वास ही नही हुआ.
बातों बातों में ही एक किस्सा याद करते हुए उन्होने बताया कि एक बार सम्पादक महोदय ने उनसे कहा कि आजकल बहुत बचकाना कार्टून बना रहे हो इस पर उन्होने हँस कर कहा तो आप “चंपक” मे स्थान दे दीजिए. इस पर सम्पादक महोदय भी हंसे बिना नही रह सके. सुखवंत जी ने बताया कि ये बात वो इसलिए बताना जरुरी समझते हैं कि ज्यादातर बच्चे हौंसला अफजाई ना मिलने से हिम्मत हार जाते है पर वो हिम्मत नही हारे बल्कि और हर बात को बहुत सकारात्मक रुप से स्वीकार कर के और अपने काम मे दिन रात जुटे रहे.
उन्होने बताया कि पहले उनके पास साईंस विषय था बाद मे उन्होने कामर्स ले ली और फिर कामर्स से कामिक्स तक का लंबा सफर शुरु हो गया.
सन 1972 से “सरिता”, “मनोरमा”, “कारवा”,”वोमेंस ईरा”,”धर्मयुग” आदि कोई किताब ऐसी नही रही जिसमे उन्होने अपना कार्टून ना दिया हो और बच्चो की पत्रिका “दीवाना”( बात बेबात की),”मेला”(भोलू)आदि और फिर 1980 मे डायमंड कामिक्स( हीरा मोती, राजन इकबाल),मनोज कामिक्स, चित्रा भारती आदि ढेर सारी कामिक्स पर काम किया. सफर ऐसे ही आगे बढता रहा.
बाल पत्रिका “नन्हे सम्राट” का भी सम्पादन कर रहे हैं या दूसरे शब्दो मे यह कह सकते है कि “नन्हे सम्राट” के वो ही जन्मदाता है. “नन्हे सम्राट” इस उद्देश्य को लेकर चले कि उसमे सिर्फ और सिर्फ बच्चो का जबरदस्त मनोरंजन हो. ताकि जब बच्चे उसे पढे तो बस हंसी खुशी की दुनिया मे ही खो जाए. उन्होने जो सोचा वो कर के भी दिखाया क्योकि यह उनकी व उनकी टीम के अथक मेहनत और प्रयास का ही नतीजा है कि “नन्हे सम्राट” अपनी अपार सफलता के 25 साल पूरे होने जा रहा हैं और बहुत ही जल्द 300वां अंक प्रकाशित होगा. यह बात बताते हुए उनके चेहरे से खुशी मानो टपक रही थी.मुस्कुराते हुए उन्होने बताया कि बच्चो के इस प्यार से उन्हे यकीनन बहुत उर्जा मिली और नए नए आईडिया आते ही जा रहे हैं.
अपने टीवी के सफर के बारे में Sukhwant Kalsi जी ने बताया कि 98-99 मे वो मुम्बई शिफ़्ट हो गए और फिर शुरु हुआ टीवी पर लेखन का दौर. “मूवर्स एंड शेखर्स” मे लगभग 250 स्क्रिप्ट उन्होने लिखी और लालू यादव के स्टाईल से शेखर सुमन छाने लगे. इसमे वो खुद भी कभी कवि तो कभी वैज्ञानिक की भूमिका मे नजर आए. बताते बताते वो मुस्कुराने लगे.इसी सिलसिले मे वो लालू जी से भी मिले और लालू जी भी उनसे मिलकर खुश हुए बल्कि उनके काम की बेहद तारीफ भी की. इसके साथ साथ दूरदर्शन तथा अन्य ढेर सारे चैनलो के लिए इन्होने हास्य लेखन किया जैसे “नीलाम घर”,”कामेडी सर्कस भाग 1”,”द ग्रेट इंडियन लाफदर चैलेंज”, “गोलमाल”,”हम आपके है वो” आदि ढेर सारे ऐसे धारावाहिक है जिनका लेखन उन्होने किया.सुप्रसिद्द हास्य कलाकार “राजू श्रीवास्तव” के लिए भी यह लगातार लिख रहे है और सांसद “नवज्योत सिह सिद्दू” के लिए बहुत पंच लाईने लिखी हैं.
बच्चो को संदेश देते हुए उन्होने कहा कि जिंदगी मे सबसे जरुरी पढाई है. हां, अपनी पढाई के साथ साथ अपने पसंद के काम को भी चुन सकते हो पर पढाई सबसे ज्यादा जरुरी है और अपने मम्मी पापा का कहना मानना भी बहुत जरुरी होता है. वो जो भी कहते है हमारे ही भले के लिए होता है और अभिभावको को भी यह संदेश दिया है कि बच्चो की रुचि देख कर उन्हे उत्साहित करने की कोशिश करनी चाहिए.पर दूसरे बच्चे से तुलना भी नही करनी चाहिए. हर बच्चे मे अपनी अपनी खूबी अपनी प्रतिभा होती है.बजाय उसे दबाने के उस खूबी को उभारना चाहिए.
सच, सुखंवत कलसी जी से मिलकर बहुत खुशी हुई.वाकई में, मैनें उनका बहुत सारा समय लिया !!!! पर उनके कार्टून जैसा नही !!! Sukhwant Kalsi … Ek Mulakat बहुत यादगार रही !!!
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