Monica Gupta

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October 4, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

मां सिद्धिदात्री – माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम

मां सिद्धिदात्री

मां सिद्धिदात्री – माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम है. सिद्धिदात्री  siddhidatri maa को देवी सरस्वती का भी स्वरूप कहा जाता है जो श्वेत वस्त्र धारण किए भक्तों का ज्ञान देती है।हे माँ! सर्वत्र विराजमान और माँ सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है

मां सिद्धिदात्री – माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम

नवरात्रि का नवां दिन मां सिद्धिदात्री का है जगत के कल्याण हेतु नौ रूपों में प्रकट हुई और इन रूपों में अंतिम रूप है देवी सिद्धिदात्री। जिनकी आराधना से  सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है उसे बरे कर्मों से लडऩे की शक्ति मिलती है.कमल के आसान पर विराजमान मां सिद्धिदात्री के हाथों में कमल, शंख गदा, सुदर्शन चक्र है जो हमें बुरा आचरण छोड़ सदकर्म का मार्ग दिखाता है। देवतागण, ऋषि-मुनि, असुर, नाग, मनुष्य सभी मां के भक्त हैं। देवी जी की भक्ति जो भी हृदय से करता है मां उसी पर अपना स्नेह लुटाती हैं। मां की आराधना करने से भक्तों को यश, बल व धन की प्राप्ति होती है।

 

जय माता की

मां सिद्धिदात्री – माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम है …मां के आर्शीवाद से ही हमारे भीतर क्रियाशीलता उत्पन्न होती है जिससे हम कठिन से कठिन मार्ग पर भी सहजता से आगे बढ़ते जाते हैं देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं शक्ति स्वरूपा देवी की उपासना करके सभी शक्तियां प्राप्त की थीं जिसके प्रभाव से शिव का आधा शरीर स्त्री का हो गया था। शिवजी का यह स्वरूप अर्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

मां सिद्धिदात्री सिंहवाहिनी, चतुर्भुज तथा सर्वदा प्रसन्नवंदना है। सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का भी स्वरूप कहा जाता है जो श्वेत वस्त्र धारण किए भक्तों का ज्ञान देती है।

हे माँ! सर्वत्र विराजमान और माँ सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है

मां सिद्धिदात्री

 

देवी सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत सौम्य है, देवी की चार भुजाएं हैं जिसमे चक्र, गदा, शंख और कमल का फूल है। कमल आसन पर विराजमान मां की सवारी सिंह हैं।

मां शैलपुत्री – क्या है कहानी – Monica Gupta

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कहानी देवी दुर्गा के नौ रूप हैं. पहले स्वरुप मां शैलपुत्री की क्या है कहानी सुनिए या पढिए 3 मिनट 9 सैकिंड का ऑडियो read more at monicagupta.info

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October 4, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

महागौरी माता – महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरूप

महागौरी माता

महागौरी माता – महागौरी मां  mahagauri mata दुर्गा का आठवां स्वरूप है  दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है।या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: .. इनकी शक्ति अमोघ और फलदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों को सभी पाप धुल जाते हैं त्रिशूल और डमरू लिए बैल के पीठ पर विराजमान महागौरी करूणामयी, स्नेहमयी, और शांत है. महागौरी माता – महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है आईए जाने इनके बारे में कुछ प्रचलित कहानियां

महागौरी माता – महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरूप

मोनिका गुप्ता का नमस्कार ..माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है त्रिशूल और डमरू लिए बैल के पीठ पर विराजमान महागौरी करूणामयी, स्नेहमयी, और शांत है.

महागौरी माता की कहानी

महागौरी माता – महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है मा की कहानी कुछ इस प्रकार कही जाती है कि एक बार शंकर जी ने मां गौरी को कुछ ऐसा कह दिया जिसकी वजह से वो नाराज हो गई और तपस्या में चली गई . उनहे खोजते हुए शिव उनके पास जब पहुंचे तो हैरान रह गए । पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई दे रही थी.

एक अन्य कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव इन्हें स्वीकार करते हैं और इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।

महागौरी जी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है इसके जिसके अनुसार, एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया। देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आती है और माँ उसे अपना सवारी बना लेती हैं क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।

हे माँ! सर्वत्र विराजमान और माँ गौरी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।

 

 

कालरात्रि माता – मां दुर्गा की सातवीं शक्ति – Monica Gupta

कालरात्रि माता – मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कोई मां कालरात्रि तो कोई कालरात्रि देवी भी कहता है काल का नाश करने वाली हैं इसलिए कालरात्रि कहलाती हैं। नवरात्रि के सप्तम दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है कालरात्रि माता – मां दुर्गा की सातवीं शक्ति – Monica Gupta

 

देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं “सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते

पुराणों में माँ महागौरी की महिमा का प्रचुर आख्यान किया गया है।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे माँ, मुझे सुख-समृद्धि प्रदान करो।

 

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October 4, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

कालरात्रि माता – मां दुर्गा की सातवीं शक्ति

कालरात्रि माता

कालरात्रि माता – मां दुर्गा की सातवीं शक्ति  कोई मां कालरात्रि  तो कोई  कालरात्रि देवी भी कहता है.  ये काल का नाश करने वाली हैं इसलिए कालरात्रि कहलाती हैं। नवरात्रि के सप्तम दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है

भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए

कालरात्रि माता – मां दुर्गा की सातवीं शक्ति हैं और इनसे डरने की जरुरत नही क्योकि यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए.होता है. मां दुर्गा की  सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है । ये काल का नाश करने वाली हैं इसलिए कालरात्रि कहलाती हैं। नवरात्रि के सप्तम दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है

अत्यंत शुभ है देवी शुभंकरी

कालरात्रि माता – मां दुर्गा की सातवीं शक्ति भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए ही है

देवी की चार भुजाएं हैं एक से वरदान दे रही हैं और दूसरी से अभय का आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं. अन्य भुजा में तलवार और खड्ग धारण किया है गर्दभ पर सवार मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है,केश बिखरे हुए हैं, कंठ में विद्युत की चमक वाली माला है, तीन नेत्र ब्रह्माण्ड की तरह विशाल व गोल हैं, जिनमें से बिजली की भाँति किरणें निकलती रहती हैं, इनकी नासिका से श्वास तथा निःश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालायें निकलती रहती हैं पर  माँ का यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए.होता है
सदैव शुभ फल प्रदान करने के कारण् मा को शुभंकरी भी कहा जाता है. माना जाता है कि मधु कैटभ नामक महापराक्रमी असुर से जीवन की रक्षा के लिए और भगवान
विष्णु को नींद से जगाने के लिए ब्रह्मा जी ने मां की स्तुति की थी..  माता भक्तों के दु:ख, दर्द हर लेती है। दुश्मनों का नाश करती है और मनोवांछित फल प्रदान कर उपासक को संतुष्ट करती हैं।

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हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

नवरात्रि पूजा – माता के नौ रुप – Monica Gupta

जय माता की. नवरात्रि पूजा – आईए देखें वीडियो . मां दुर्गा के नौ रूप कौन कौन से हैं और माँ के अस्त्र-शास्त्र क्या हैं और उनका वाहन कौन सा है.जय माता दी. read more at monicagupta.info

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October 3, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्कंदमाता नवरात्रि – ममतामयी है मां

स्कंदमाता नवरात्रि

स्कंदमाता नवरात्रि – ममतामयी है मां. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता  रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..स्कंदमाता नवरात्रि – ममतामयी है मां. नवरात्र के पांचवे दिन मां स्कंदमाता  यानि देवताओं के सेनापति कुमार कार्तिकेय की माता की पूजा होती है. कुमार कार्तिकेय को ग्रंथों में स्कन्द कुमार के नाम से पुकारा गया है.

स्कंदमाता नवरात्रि – ममतामयी है मां.

नवरात्रि में पांचवें दिन स्कंदमाता नवरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से बुलाया जाता है.

 शुभदायिनी है देवी स्कन्दमाता

जब अत्याचारी दानवों का अत्याचार बढ़ता है तब माता संत जनों की रक्षा के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का अंत करती हैं.

ममतामयी है माता स्कन्द

देवी स्कन्दमाता की चार भुजाएं हैं, अपने दो हाथों में कमल का फूल धारण किया हैं और एक भुजा से  भगवान स्कन्द या कुमार कार्तिकेय को अपनी गोद में लिये बैठी हैं और एक हाथ भक्तो को आशीर्वाद देने की मुद्रा मे है. देवी स्कन्द ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं माहेश्वरी और गौरी है. अपने गौर वर्ण के कारण देवी गौरी के नाम से पूजी जाती हैं. माता इस रूप में पूरी तरह ममता लुटाती हुई नज़र आती हैं..
माता को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है तभी तो मां को अपने पुत्र के नाम के साथ संबोधित किया जाना अच्छा लगता है. जो भक्त माता के इस स्वरूप की पूजा करते है मां उस पर अपने पुत्र के समान स्नेह उडेल देती हैं. शुभ्र वर्ण लिए माता स्कंद माता का रूप सौंदर्य अद्वितिय आभा से परिपूर्ण है .. इनकी आराधना से मनुष्य सुख-शांति की प्राप्ति करता है। यशस्विनी देवी स्कन्दमाता शुभदायिनी है। इनकी उपासना करने से साधक अलौकिक तेज की प्राप्ति करता है.

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स्कंदमाता नवरात्रि

कुष्मांडा माता – देवी दुर्गा का चौथा स्वरुप – Monica Gupta

कुष्मांडा माता – देवी दुर्गा का चौथा स्वरुप हैं नवरात्र के चौथे दिन देवी को कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है उदर से अंड अर्थात् ब्रह्मांड को उत्पन्न किया read more at monicagupta.info

स्कंदमाता नवरात्रि

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October 3, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

कुष्मांडा माता – देवी दुर्गा का चौथा स्वरुप

कुष्मांडा माता

 

कुष्मांडा माता – देवी दुर्गा का चौथा स्वरुप हैं नवरात्र के चौथे दिन देवी को कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है अपने उदर से अंड अर्थात् ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कुष्मांडा देवी के नाम से पुकारा जाता है।

कुष्मांडा माता – देवी दुर्गा का चौथा स्वरुप

मां कूष्मांडा कुष्मांडा माता – देवी दुर्गा का चौथा स्वरुप हैं और माना जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। देवी कूष्माण्डा इस चराचार जगत की अधिष्ठात्री हैं.अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं।

जय माता दी कूष्मांडा देवी

कुष्मांडा माता – देवी दुर्गा का चौथा स्वरुप मां कुष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं और इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं।  माँ की आठ भुजाएँ हैं इसलिए मां अष्टभुजा देवी के नाम से भी जानी जाती हैं। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा और  आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है।

माँ कुष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग और दुख  मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं।अगर  मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।

कुष्मांडा  हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है

 

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

नवरात्रि पूजा – माता के नौ रुप – Monica Gupta

जय माता की. नवरात्रि पूजा – आईए ऑडियो सुने या पढे . मां दुर्गा के नौ रूप कौन कौन से हैं और माँ के अस्त्र-शास्त्र क्या हैं और उनका वाहन कौन सा है.जय माता दी. read more at monicagupta.info

 

नवरात्रि शुरु हो गए हैं और ये 10 अक्टूबर तक चलेंगे. मैने पढा कि इस बार प्रतिपदा तिथि दो दिन होने के कारण नवरात्रे नौ दिन की बजाय 10 दिन रहेंगे। ज्यादा समझ तो नही आया बस यही समझ आया कि ये महासंयोग 18 साल बाद बन रहा है तो सुनकर अच्छा लगा. ये भी समझ नही आया कि दो दिन माता शैल पुत्री का पूजन होगा … खैर जो भी है जिंदगी में और हमारे खान पान में बदलाव लेकर आते हैं त्योहार ..एक बदलाव मैने भी किया अपने ब्लॉग पर नवरात्रि की यानि देवी मां की कहानियां ऑडियों video  रुप में पोस्ट कर रही हूं …हर ऑडियो video  दो से तीन मिनट की होगी … अगर आप पढना चाहे तो पढ सकते हैं और सुनना चाहे तो सुन भी सकते हैं
1. अक्तूबर शनिवार – प्रतिपदा (देवी शैलपुत्री) 2. अक्तूबर रविवार – प्रतिपदा (देवी शैलपुत्री)
3. अक्तूबर सोमवार – द्वितीया (देवी ब्रह्मचारिणी) 4. अक्तूबर मंगलवार – तृतीया (देवी चन्द्रघंटा)
5. अक्तूबर बुधवार – चतुर्थी (देवी कूष्मांडा) 6. अक्तूबर बृहस्पतिवार – पंचमी (माता स्कंदमाता)
7. अक्तूबर शुक्रवार – षष्ठी (मां कात्यायनी) 8. अक्तूबर शनिवार – सप्तमी (मां कालरात्रि)
9. अक्तूबर रविवार – अष्टमी (मां महागौरी) 10. अक्तूबर सोमवार – नवमी (देवी सिद्धदात्री)
11. अक्तूबर मंगलवार –दशहरा।

 

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October 1, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

नवरात्रि पूजा – माता के नौ रुप

मां सिद्धिदात्री

नवरात्रि पूजा – माता के नौ रुप. आईए जाने मां दुर्गा के नौ रूप कौन कौन से हैं और ये भी जानिए कि  माँ के अस्त्र-शास्त्र क्या हैं और उनका वाहन  कौन सा है जय माता दी

नवरात्रि पूजा – माता के नौ रुप

नवरात्रि पूजा – माता के नौ रुप … जय माता की …नवरात्रि पूजा –  देवी मां के नौ स्वरुप- देवी मां के नौ स्वरुप

आप मेरी आवाज में 2 मिनट के ऑडियों के माध्यम से भी माता के नौ रुप के बारे में जान सकते हैं

https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/10/jai-mata-ki-by-monica-gupta.wav

मां शैलपुत्री  

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शैलपुत्री देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है बैल इनका वाहन है

माँ ब्रह्मचारिणी 

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कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी यानी ब्रह्मचारिणी नाम से पुकारा गया,ब्रह्मचारिणी इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं

 

 माँ चंद्रघंटा

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चंद्रघंटा देवी के दस हाथ हैं। वह खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं। सिंह पर सवार इस देवी की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है।

 

माँ कूष्मांडा देवी

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कूष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए ये अष्टभुजा भी कहलाईं। इनके सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इस देवी का वाहन सिंह है।

 

माँ स्कंदमाता देवी

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स्कंदमाता देवी की चार भुजाएं हैं। यह दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इस देवी का वाहन सिंह है|

 

माँ कात्यायनी

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माँ कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां की बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। माँ कात्यायनी का भी वाहन सिंह ही है।

 

माँ कालरात्रि

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माँ कालरात्रि के सांस से निरंतर अग्नि निकलती रहती है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है। इनका वाहन गधा है.

 

माँ भगवती महागौरी

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भगवती महागौरी बैल के पीठ पर विराजमान हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय-मुद्रा और नीचे के दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बायें हाथ में डमरु और नीचे के बायें हाथ में वर-मुद्रा है।

 

 

माँ सिद्धिदात्री

 

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माँ सिद्धिदात्री के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बाईं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है। इनका वाहन सिंह है और यह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं।

 

जय माता की … !!

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( सभी तस्वीरें गूगल से साभार )

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