Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 17, 2015 By Monica Gupta

Indian Women

Indian Women

Indian Women का नाम जहन में आते ही हमारे समक्ष ऐसी महिला की छवि उभर कर आती है जिसने पहनी हो border वाली साड़ी, माथे पर हो बड़ी सी बिन्दी और हाथों में हो रंगबिरंगी चूडि़यों की खनखनाहट। दया, ममता, करूणा से सरोबार ऐसी Document(254)Indian Women को देख कर मन अनायास ही नतमस्तक हो जाता है।
सच, Indian Women की तो बात ही खास है। श्रंृगार ही उसका गहना है। मीठी, मोहक मुस्कुराहट लिए वो अपने घर परिवार में, बड़े-बुजुर्गों में, नाते रिश्तेदारों में पूरी तरह रम जाती है। इंडियन वामेन जानती है कि जो श्रंृगार की सामग्री जैसे नथ, टीका, पायल जिसे वो धारण कर रही है उसे सिर्फ शरीर से ही नहीं बलिक दिल में भी धारण कर चुकी है क्योंकि उसके लिए दिखावे की सुन्दरता नहीं बलिक असली सुन्दरता दिल के अन्दर छिपी हुर्इ है तभी तो वो जानती है उन आभूषणों की महिमा जिन्हें वो धारण करती है। जैसे :-
कड़े यानि कड़े जो वो सिर्फ सुन्दरता के लिए धारण नहीं करती बलिक वह जानती है कड़े का अर्थ है किसी से कड़े अथवा कटु वचन ना बोलें।

अंगुली में धारण किए जाने वाले छल्ले का मतलब है कि किसी से छल-कपट ना करें।

आंखों में लगाया जाने वाला काजल सदा यही कहता है कि शील का जल बनाए रखें यानि आंखों में शर्म रूपी पानी हमेशा बना रहे।

टीका हमेशा यही संदेश देता है कि यश का टीका मस्तक पर बना रहे।

Indian Women जानती है कि कर्णफूल सिर्फ लगाने से ही सुन्दरता नहीं बढ़ जाएगी बलिक कर्ण यानि कानों से सिर्फ दूसरों की प्रशंसा ही सुनेगी और किसी की बुरार्इ में बिल्कुल हिस्सा नहीं लेगी।

हंसली हमेशा यह दिखाती है कि हमेशा हंसमुख रहें। कभी किसी भी बात से किसी का मन ना दुखने दे।
Indian Women कमरबंद जब बांधती हैं तो मन ही मन यह संकल्प भी लेती है कि वो हमेशा सतकर्म यानि अच्छे कर्मों के लिए तैयार रहती है।

मोहनमाला धारण करते हुए उसके मन में सिर्फ एक ही बात रहती है कि अपने सदगुणों से वो सभी का मन मोह ले।

बंदनी का श्रंृगार वो बहुत दिल से करती है लेकिन वो इसका अर्थ भी जानती है कि बंदना करे अर्थात अपने पति, अपने गुरूजन की वो वंदना करेगी और उन्हें सदैव उचित आदर-मान देगी।

Indian Women का सबसे प्रिय आभूषण है पायल जोकि पांव में पहनी जाती है वो जानती है कि पायल का अर्थ क्या है पायल का सीधा सादा सा अर्थ है बड़े-बुजर्ुगों के चरण स्पर्श करना यानि झुक कर रहना जिसे वो दिल से करती है और हमेशा करती रहेगी।
तो देखा, ये है Indian Women । जो ना सिर्फ आभूषण धारण करती है बलिक उन्हें पूरी जिन्दगी अपनाती भी है। धन्य है Indian Women

June 17, 2015 By Monica Gupta

बाल कहानी अहसास

 

 writing on paper photo

बाल कहानी अहसास

प्रिय मम्मी,

मुझे समझ नहीं आ रहा कि आपको क्या और कैसे लिखूं पर मुझे माफ कर दो। मेरी उन गलतियों की जोकि मैंने की और आपको तंग किया। आप आज अस्पताल में मेरी ही वजह से हैं, लेकिन सच मानो, मेरा न तो कोर्इ गन्दा दोस्त है और न ही मैं इंटरनेट या टी.वी. देखकर बिगड़ा हूं। मुझे खुद भी नहीं पता कि मैं ऐसा क्यों हो रहा हूं। वैसे तो मैंने बहुत गलतियां की हैं पर कुछ एक के लिए मैं ………………!आपको याद होगा कि एक दिन आपने मुझसे बार-बार पूछा था कि चुप-चुप क्यों हूं। असल में मैंने जानबूझ कर अनिल को बाल मारी थी। उसे आँख के नीचे सात टांके लगे थे। नोटिस मिला कि आपको बुलाया है तो मैंने झूठ-मूठ अपनी तरफ से ही लिख दिया कि मैं बीमार हूं इसलिए आ नहीं सकती। आपके सार्इन भी कर दिए थे। झूठ के हस्ताक्षर किये थे ना इसलिए डर रहा था कि सच्चार्इ पता लगेगी तो मैं फँस ही ना जाऊँ। एक बार जब आपने मेरी पसन्द का खाना नहीं बनाया तो मैं मुंह फुला कर अपने कमरे में चला गया था।

सन्नी लिख ही रहा था तभी दरवाजे की घंटी बजी। सन्नी ने फटाफट अपनी चिठ्ठी तकिए के नीचे छिपा दी और दरवाजा खोलने चला गया। बाहर सन्नी के दादा जी खड़े थे। वो अन्दर आ गए और बोले कि उसकी मम्मी को ग्लूकोज लग रहा है, ब्लड़ प्रेशर बहुत कम है। एक घण्टे में उसके पापा खिचड़ी लेने आएंगे। चाची बनाकर तैयार रखेगी। सभी ने हामी की मुद्रा में गर्दन हिला दी। चाची मम्मी की बीमारी के कारण कुछ दिनों के लिए यहां आर्इ हुर्इ हैं, पर चाची को अपने बेटे नमन के अलावा कोर्इ दिखता ही नहीं, सन्नी से तो वो सीधे मुंह बात ही नहीं करती। कल मैगी बनार्इ और चाकलेट केक बनाया तो सारा अकेले ही नमन ही खा गया। सन्नी सोच रहा था कि मम्मी होती तो उसका कितना ख्याल रखती। सन्नी ने दादाजी को बताया कि उसकी चाची अभी बाजार गर्इ हुर्इ है। आने वाली होगी।

दादाजी अपना न्यूज चैनल लगा कर बैठ गए। सारा घर कितना गंदा हो रहा था। उसकी मम्मी सारा दिन घर कितना साफ रखती थी। सन्नी अपनी बात मम्मी तक चिठ्ठी के माध्यम से पहुंचाना चाह रहा था। उसे डर लग रहा था कि वो जल्दी से चिठ्ठी लिखे, और वो उड़ कर उसकी मम्मी तक पहुंच जाए और मम्मी उसको माफ करके ठीक होकर जल्दी से घर आ जाए।
सन्नी की मम्मी सन्नी को बहुत प्यार करती थी। पर जबसे सन्नी आठंवी क्लास में आया है तभी से कुछ बदल गया है। सीधे मुंह बात नहीं करता, उलटे सीधे जवाब देता, मम्मी कोर्इ घर का काम कहती तो साफ मना कर देता। मम्मी ने कर्इ बार प्यार से तो कर्इ बार गुस्से से समझाया पर उसने कभी समझने की कोशिश नहीं की। लेकिन आज शायद मम्मी को अस्पताल तक ले जाने का दोषी शायद वो खुद ही है।
सन्नी जल्दी से चिठ्ठी लिख कर मम्मी तक पहुंचाना चाहता था। वो चाह रहा था कि जब अस्पताल में मम्मी के लिए खिचड़ी जाए तो वो चिठ्ठी भी चली जाए। उसकी चाची भी बाजार से आ गर्इ थी और बर्तनों की उठा-पटक तेज हो गर्इ।
सन्नी अपने कमरे में गया और तकिए के नीचे से चिठ्ठी निकाली ………….. कमरे में चला गया था। उसने आगे लिखना शुरू किया …………. मम्मी, आपने बहुत मनाया और रात को होटल से खाना मंगवाने का वायदा भी किया पर मैं मुँह बना कर ही पड़ा रहा और उसी शाम मैंने आपके पर्स से पाँच सौ रूपये चुरा लिए थे। आप तो मेरे ऊपर शक कर ही नहीं सकती थी और काम वाली बाई तुलसी को आपने काम से निकाल दिया। वो बेचारी रोती रही कि उसने चोरी नहीं की ……….। उसके बाद आपने दूसरी कामवाली भी नहीं रखी और मैंने भी आपको सच्चार्इ नहीं बतार्इ। एक बार संजय अंकल आए थे तो मैंने उनकी सिग्रेट भी पी थी पर थोड़ी सी।
जब आप हर रोज सुबह मुझे स्कूल जाने के लिए उठाती, मुझे दूध देती और मेरे बालों को सहलाती तो मुझे बड़ा गुस्सा आता कि क्या है, सुबह-सुबह मेरी नींद खराब कर देती हैं ……….. काश मम्मी की तबियत ही खराब हो जाए ताकि न मुझे दूध पीना पड़े और न ही स्कूल जाना पड़े। सारा दिन घर पर मजे से बैठ कर टी.वी. देखूं। पर मम्मी, सच, आज आपको अस्पताल गए चार दिन हो गए हैं। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि चालीस दिन हो गए हैं।

मम्मी, आपकी बहुत याद आ रही है अब प्लीज, घर आ जाओ। मेरी सारी गलतियों की सजा पिटार्इ करके दे दो। सन्नी के लिखे अक्षर धुंधले हो गए। पर वो जल्दी से चिठ्ठी लिखकर उसे मम्मी तक पहुंचाना चाह रहा था इसलिए उसने फटाफट आँसू पोंछे और लिखना जारी रखा।
मम्मी, मैं आपसे माफी मांगता हूं और वायदा करता हूं कि जितना प्यार से आप मुझसे बात करती हो उससे भी ज्यादा प्यार से रहूंगा आपका कहना मानूंगा और आपके हाथ से सुबह-सुबह दूध पी पीऊंगा। मम्मी पता है आज मैं मंदिर भी गया था वहां से चरणामृत पीकर आपकी तबियत की भगवान से विनती की कि हे भगवान जी, मेरी मम्मी को फटाफट ठीक कर दो।
तभी आवाज आर्इ कि उसकी चाची ने सारा सामान टोकरी में रख दिया है। सन्नी के पापा भी घर आ गए थे बोले कुछ तबियत ठीक है। उसने फटाफट कागज मोड़ कर उस पर ‘सिर्फ मम्मी के लिए लिख दिया और प्लेट के नीचे नैपकिन के ऊपर अपनी चिठ्ठी को धड़कते दिल से रख दिया। मम्मी का हँसता चेहरा बार-बार उसे नज़र आ रहा था।
पापा जल्दी में थे और चले गए। सन्नी डर रहा था। मम्मी पढ़ेगी तो क्या सोचेगी ……….. अगर उस चिठ्ठी को किसी और ने पढ़ लिया तो ……….!!
पर अब कुछ नहीं हो सकता था चिठ्ठी जा चुकी थी। सन्नी को खुद पर गुस्सा आने लगा कि उसने इतनी जल्दी में चिठ्ठी क्यों दे दी। ना नीचे ढ़ंग से अपना नाम लिखा। बिना खाना खाए अपना कमरा ठीक करके वो चुपचाप सो गया। चाची एक बार उससे खाने का पूछने आर्इ लेकिन उसके मना करने पर उन्होंने दुबारा उससे पूछा नहीं। बस, अब सन्नी मन ही मन चाह रहा था कि मम्मी जल्दी घर आ जाए …………. तो वो कभी भी मम्मी को तंग नहीं करेगा। उधर उसे चिठ्ठी का भी डर लग रहा था कि मम्मी उसके बारे में क्या सोचेंगी। वो मन ही मन चाहने लगा कि मम्मी वो कागज देखे ही नहीं और खाना वापिस आने पर वो उस चिठ्ठी को फाड़ कर फैंक देगा। और हमेश के लिए अच्छा बच्चा बन जाएगा। यह बात भी बिल्कुल सच है कि उसकी मम्मी बहुत प्यार करती थी और जब वो बतमीजी से बोलता, कहना नहीं मानता तो वो उसकी बातें दिल से लगा लेती उधर से काम वाली बार्इ के जाने के बाद वो सारा काम खुद करने लगी। टैन्शन और काम के बोझ से अचानक उनकी तबियत बिगड़ गर्इ और अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा। आज सन्नी को महसूस हो रहा था कि वो मम्मी के बिना  कुछ भी नहीं। पापा तो काम में ही व्यस्त रहते हैं और दादी-दादा गाँव में रहते हैं चाची-चाचा दूसरे शहर में रहते हैं।
यहीं सोचते-सोचते वो सो गया। शाम को आँख खुली तो पापा की आवाज आ रही थी कि अस्पताल में उन्होंने खाना नहीं खाया। पर तबियत बेहतर है शायद कल घर ही आ जाए। सन्नी उठ कर बाहर भागा। उसने टोकरी में देखा तो चिठ्ठी वैसी ही रखी मिल गर्इ शायद किसी ने पढ़ी ही नहीं थी। सन्नी ने फटाफट टोकरी से वो चिठ्ठी निकाल कर उसे अपनी अलमारी में छिपा दिया। सोच कि समय मिलने पर फैंक दूंगा।
मम्मी कल घर आ जाएगी तो आज घर का माहौल कुछ हलका था। सन्नी सभी से बात कर रहा था और चाची के साथ घर की सफार्इ भी करवा रहा था। उसमें एक नया जोश भरा था।
बड़ी मुश्किल से दिन बीता। दोपहर को मम्मी घर आ गए। वो बहुत कमजोर लग रही थीं। सन्नी ने मम्मी को फल काट कर दिए। शाम को मम्मी के पास ही लेटा रहा था। एक-दो दिन में चाची और दादा जी भी चले गए थे। मौका मिलते ही उसने वो चिठठी भी फाड़ कर फैंक दी थी। मम्मी अब काफी ठीक होने लगी थी।

पर एक बात सन्नी को कभी पता नहीं लगेंगी कि उस दिन मम्मी ने उसकी चिठ्ठी पढ़ ली थी लेकिन सन्नी को महसूस तक नहीं होने दिया ताकि उसे दुख न हो कि उनके बेटे ने कितने गलत काम किए हैं। पर अब उसने गलती सुधार ली है और वायदा किया है तो उनके लिए यही बहुत था। उस दिन अस्पताल में चिठ्ठी पढ़ने के बाद उनसे खाना नहीं खाया गया और सन्नी की बाल सुलभ भावनाओं को समझते हुए चिठ्ठी उसकी जगह पर रखकर उन्होंने वापिस भिजवा दी थी। घर में ये बात किसी को भी पता नहीं चली।
अब सब ठीक है। सन्नी अच्छा बच्चा बन गया है। मम्मी का कहना मानता है और स्कूल में किसी से झगड़ा नहीं करता। सन्नी खुश है कि मम्मी ने उसकी चिठ्ठी नहीं पढ़ी और मम्मी खुश है कि सन्नी ने चिठ्ठी में अपनी सारी गलितयों को मानकर माफी माँग ली है और अब वो सुधर रहा है। तुलसी ने भी काम पर आना दुबारा से शुरू कर दिया। सन्नी ही उसे लेकर आया। मम्मी के पूछने पर सन्नी ने बताया कि जब आपकी तबियत बिल्कुल ठीक हो जाएगी तब दुबारा हटा देना। मम्मी ने सब जानते-बूझते उससे कुछ नहीं कहा और मेरा अच्छा बेटा कहकर उसे बाँहों में ले लिया।

बाल कहानी अहसास …. कहानी आपको कैसी लगी… आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार है 🙂

June 8, 2015 By Monica Gupta

No Parking

No Parking

भारत की ज्यादातर आबादी पार्किंग की समस्या से जूझ रही है। निसंदेह, वाहनों की आबादी इतनी बढती जा रही है कि खडे करने को जगह नही और तो और इस भयंकर गर्मी में और भी एक समस्या देखने को मिल रही है… असल में, वो क्या है ना कि भयंकर गर्मी के चलते  लोग खुले मे कार खडी करने को मजबूर है क्योकि अब पेड  तो रहे नही और लोग वाहन खडा करके खुद ए सी रूम में चले जाते हैं और लाखों की कार  बाहर खडी तपती रहती है. मजबूरी में लोग ‘नो पार्किंग’ वाली जगहों पर गाड़ियां खड़ी करते हैं..

No Parking cartoon no parking by monica gupta

ऐसे मे इन महाशय ने ये जगह खरीद ली है. और पेड के छांव  में इन्होने पार्किंग के रेट भी बढा दिए हैं  और जो भी कोई आसपास खडा हो जाता है उसे धमका भी देते हैं …

 

No Parking

 

Parking Problems in India and Their Solutions | My India

India is facing a new problem nowadays – lack of sufficient parking space. With families getting smaller and the total number of motor vehicles exceeding the total number of heads per family, the parking scenario is woefully falling short of the current requirements in the country. The situation is such that on any given working day approximately 40% of the roads in urban India are taken up for just parking the cars. The problem has been further exacerbated by the fact that nowadays even people from low income group are able to own cars. The number of families with cars has become much more than what the country is able to manage.

As it is, the cities in India are highly congested and on top of that the parked cars claim a lot of space that could otherwise be used in a better way. Thanks to poor, and at times zero, navigability, Indian cities are regarded as some of the worst options for living. One can also add the issue of pollution to this mix and understand the enormity of the crisis. In this context it needs to be understood that the Indian cities, with the possible exception of Chandigarh, were never planned in such a way so as to accommodate a deluge of cars as is the situation now. The apathy of present day urban planners has only made the situation worse.

Possible Solutions to the Menace

There are some other ways to solve car parking issues, such as multi-level car parking. Multi-level car parking is of two types – conventional and automated. Conventional multi-level car parking can be done anywhere – over the ground or under it. The open parking areas are more preferred as opposed to closed areas in case of parking above the ground as specialised fire protection systems and mechanical ventilation are not needed in this case. Automated multi-level car parking is more difficult to achieve in India considering the fact that it is entirely technology driven and does not involve much human element. As it stands now, India and Indians might not be ready for this technology. The more conventional option seems to be the better bet. Read more…

No Parking

May 23, 2015 By Monica Gupta

राखी का त्यौहार

 

Rakhi festival in india photo

Photo by Meanest Indian

 

राखी का त्यौहार एक पवित्र और  खूबसूरत बंधन का त्योहार है पर  इसमें भी  दिखावा ….

बात राखी की …

कुछ् समय पहले राखी की दुकान पर एक महिला कार से उतरी और दुकान दार से बोली सबसे मंहगी राखी दिखाओ. राखी देखते हुए बोली पिछ्ली बार भी नग वाली राखी लेकर गई थी. भईया ने दस मिनट भी नही पहनी क्योकि उसके नग निकल गए थे कोई और अच्छी और महंगी राखी दिखाओ जिसके नग न निकले.  बहुत देर माथा पच्ची के बाद और ठंडा कोल्ड ड्रिक पी कर दुकान दार ने सबसे महंगी राखी देकर विदा किया. ये वो जानता था कि इसके नग की भी कोई गारंटी नही पर उसे महंगी राखी जो चाहिए थी इसलिए…

वही एक अन्य महिला आई और उसने खूबसूरत डोरी खरीदी. दुकानदार के पूछ्ने पर वो बोली कि पिछ्ले साल भी जो डोरी लेकर गई थी भईया ने बहुत महीने तक पहने रखी इसलिए डोरी ही ले कर जाऊगी ताकि भईया की कलाई पर ज्यादा से ज्यादा समय तक वो सजी रहे  .

सच, बात मंहगी सस्ती की नही ,प्यार की होती है. ऐसे में दिखावा न हो तो त्योहार मनाने का मजा आए

राखी का त्यौहार  हार्दिक शुभकामनाएं !!!

April 13, 2015 By Monica Gupta

Marriage Age

    Marriage Age

मणि के घर किसी काम से गई थी कि उसके घर कोई बुजुर्ग मेहमान आए हुए थे. उनके जाने के बाद मणि ने बताया कि वो अपनी लडकी की शादी का न्यौता देने आए थे. मैने कहा कि उसके दादा दादी थे क्या वो तब वो हैरानी से बोली … क्या हो गया ??? लडकी के मम्मी पापा थे.अब मेरे चौकने की बारी थी पर वो तो बहुत बडे लग रहे थे. शायद उनकी चौथी या पांचवी संतान होगी वो लडकी. इस पर फिर उसने चौकाया कि इकलौती बेटी है उनकी.

असल में, पहले तो माता पिता की देरी से शादी यानि 34 साल मे शादी हुई अब बेटी की भी 30 साल मे शादी … उफ !! सही है जिस तरह से शादी की उम्र खिसकती जा रही है अब यही देखने को मिला करेगा …पहले समय मे तो लडकी और उसकी मम्मी एक ही उम्र की लगा करती थी यंग यंग और अब.. हम हुए देख कर दंग दंग …

Marriage Age

 question photo

March 29, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

Article … Be careful

Be careful photo

Be careful

अगर किसी से कोई मन मुटाव है तो बजाय उधर उधर बात करने के सीधे उसी से बात करे तो यकीनन आपकी बात का सही  हल निकल जाएगा अन्यथा लोग तो मजे लेते ही हैं

मणि का अपने बेहद नजदीकी रिश्तेदार से कुछ मनमुटाव हो गया. असल मॆं, मणि ने नया घर बनवाया था और उस बेहद करीबी जानकार ने उसे बधाई तक नही दी.इससे उसमे मन में बहुत गुस्सा था वो दूसरे शहर रहती है इसलिए  बहुत समय से बात भी नही हुई पर दिल में गुस्सा बहुत था. एक दिन वो धूप मे बैठी सोच ही रही थी.

तभी एक अन्य जानकार उसे बधाई देने घर आए. चाय पानी पीने के बाद बातों बातों में मणि ने अपने दिल की बात उन्हें बता दिया और नाराजगी भी जाहिर कर दी.

वो एक दूसरे को जानते थे इसलिए बात जरा सा नमक मिर्च लगा कर उस महिला तक पहुंच गई. फिर वो महिला अपने बारे मे सुन कर कहां चुप रहने वाली थी उसने भी दो चार बातें मणि के लिए सुना दी और माध्यम बनी वही महिला. उस महिला ने वो ही बात को और जायकेदार बनाने के लिए गरम मसाला भी डाल दिया कुल मिला कर आग मे घी का काम किया और सम्बंध बनने के बजाय टूटते चले गए. गलती कहां हुई किससे हुई कुछ पता नही चला पर तनाव बहुत बढ गया और मणि का ब्लड प्रैशर भी .. !!

अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई और मणि नींद से उठी. अरे वो तो सो गई थी और ये सब सपना था. उसने निश्चय किया कि वो खुद ही उसे फोन करेगी … मणि ने फोन मिलाया और उसने उठाया. मणि ने सीधा बोला मैं बहुत नाराज हूं .. इस पर वो बोली sorry  दी. असल में, घर पर कोई समस्या आन खडी हुई थी इसलिए फोन नही कर पाई और फिर दोनों सहेलियो का वार्तालाप पुन चालू हो गया

कहने का अर्थ यही है कि अगर किसी से कोई मन मुटाव है तो बजाय उधर उधर बात करने के सीधे उसी से बात करे तो यकीनन आपकी बात का सही  हल निकल जाएगा अन्यथा लोग तो मजे लेते ही हैं  तो अब तो आप समझ ही गए होंगें इसलिए Be careful .

Photo by vvvyvyyy

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