Understanding Children – बच्चों को कैसे समझें – Understand Your Child- Parenting Tips in Hindi – बच्चों को समझाए नही समझें parents – बच्चों को समझना बहुत जरुरी है क्योकि एक बार parents अपने बच्चों के स्वभाव, उनकी भावनाओं को समझ गए तो ये रिश्ता बहुत खूबसूरत बन जाएगा… पर समझें कैसे बच्चों को.. बात बात पर वो जिद करता है, रोता है, सामान फेंकता है ,खाना नही खाता 100 तरह की बातें हैंतो चलिए…
Understanding Children – बच्चों को कैसे समझें – Parenting Tips in Hindi
जरुरी 7 बातें जानते हैं.. कि पेरेंटस बच्चों को कैसे समझे ??
1. Observe करें..
कब, क्यों, कहां .. वो क्या कर रहा है, किस तरह से कर रहा है, क्यों कर रहा है… कैसे खेल रहा है, कैसे दोस्तों से बात कर रहा है, कैसे बात करता है, गुस्सा कब आता है खुश कब होता है हर बात Observe करें और इसका मतलब ये नही कि तुलना करें कि भाई की तरह नही करते या तुम्हारी दीदी तो ऐसे करती है तुम कैसे करते हो… नहीं… ऐसा नहीं… बल्कि ये सोच कर कि हर बच्चा unique होता है और उसकी अपनी ही personality होती है… जज नही बनना बस Observe करना है उसे बेहतर रुप से जानने के लिए… जरुरी है कि उनके साथ समय बिताना है.. तो दूसरी बात यही है कि
2. बच्चों के साथ Quality Time बिताना है.. इसमे ध्यान देने वाली बात ये है
quantity नही हो.. आज के समय में मम्मी पापा दोनो बहुत बिजी हैं बहुत सारे काम होते हैं उनके पास करने को ऐसे में Quality Time नही निकल पाता… बात तब होती है जब बच्चे को स्टॉप पर छोडना है या जब पिक करना है… या फिर खाने के समय… जबकि इसके इलावा समय निकालना होगा. बैठ कर बात भी करनी होगी या बच्चे के साथ खेलना होगा.. अगर हमें अपने बच्चे को समझना है तो उनके लिए समय तो निकालना ही होगा.. जब आप शारीरिरिक तौर पर ही नही बल्कि मानसिक तौर पर उसके साथ ही हों..यानि Attention देनी है और अगली बात भी यही है… हर बच्चे को अलग अलग
3. Attention देनी है
एक महिला के बेबी हुआ उनका पहला बेटा 4 साल का है.. अस्पताल में कोई उससे बात ही नही कर रहा था.. सभी उसके छोटे भाई को देखने आ रहे थे… वही मम्मी पापा जिनकी Attention उसे 24 घंटे मिलती थी.. आज नही मिल रही थी तो वो नाराज और चिडचिडा हो रहा था तो उसकी भावनाओं को समझ कर उसे Attention देनी जरुरी है.. जैसा कि मान लीजिए बच्चा स्कूल से आता है बहुत सारी बातें है उसके पास बताने को पर मम्मी शॉपिंग गई है घर में आया के साथ कितनी और क्या बात करेगा वो…
4. Listen…
बोलना अच्छा है पर सुनना भी एक कला है… खासकर जब बच्चा बोले बिन उसकी बात काटे उसे बोलने दीजिए और समझिए कि क्या कहना चाह रहा है… बच्चा शब्दों के फ्रेम तो नही बना सकता जैसे हम बडे बनाते है.. इसलिए उसे बोलने दीजिए और समझिए कि क्या कहना चाह रहा है.. ऐसे नही कि हां बोल मैं सुन रहूं और ध्यान हमारा मोबाइल मैसेज मे है एक दम सही से eye contact बनाते हुए बॉडी लैंग्वेज ऐसी हो कि बच्चे को लगे कि उसकी सारी बात सुनी जा रही है..
5. फोकस रखिए
बच्चे जो बनाते है उस पर फोकस रखिए… जैसा कि मान लीजिए एक family है मम्मी पापा और दो बच्चे एक बच्चा अभी 2 महीने का है और उसे स्कूल मे मिलता है कि ड्राईंग बनाओ My Family तो वो मम्मी पापा और खुद को बनाता है.. छोटे भाई को नही बनाता… जैसाकि नाराज है या jealousy है… इससे पता चल जाएगा कि बच्चे के मन में क्या चल रहा है… ऐसी बहुत सारी बातें होती हैं जैसा कि जब भी बाहर धूमने की बात होती है वो हमेशा sea बनाता है.. ऐसी बातों से हम हम जान सकते हैं.. इसलिए जरुरत है कि फोकस रखें..
6. दूसरे बच्चों को Observe करें-
अपने बच्चे को बेहतर समझने के लिए हम दूसरे बच्चों को Observe कर सकते हैं पर ये तुलना नही है आमतौर पर जब मदर्स मिलती है तो अपने बच्चों की बात बताती है… उससे बच्चों की अलग अलग abilities जानने का मौका मिलता है पर अगर पेरेंटस compare करने लगे तो सही नही है… परवरिश में कही न कही कमी रह गई तो उसे सुधारा जा सकता है
7. समाननूभूति Empathy रखिए…
बच्चे के एंगल से ही सोचें.. बच्चा से बडा बन कर बात करेंगे तो बच्चा सारी बात नही बता पाएगा.. आराम से प्यार के लहजे से बात करनी होगी… अगर उसने कुछ गलत किया तो भी.. झूठ बोला चोरी की तो कारण जानना होगा कि उसने ऐसा किया.. आराम से बच्चे से बात करेंगें तो वो सारी बात खुल कर भी बता देगा.. पर डर दिखा दिया तो… अंत होगा मार पिटाई और ये कोई हल नही है.. Empathy important quality है जिसे parents को develop करना चाहिए.
तो ये हैं कुछ बातें अगर इन बातों का हम ध्यान रखना शुरु करेंगें तो यकीनन बच्चे से हमारा रिश्ता खूबसूरत बन जाएगा..
Understanding Children – बच्चों को कैसे समझें – Parenting Tips in Hindi
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