हाल-ए-बीमार
कुछ देर पहले मेरी सहेली मणि घर के सामने से जा रही थी. मैने उसे बुलाया तो वो बोली कि अभी किसी रिश्तेदार की तबियत ठीक नही थी उसे मिलकर वापिस आती हूं तब तक चाय बना कर रखना. आधा धंटा बीता फिर एक फिर दो … पर मणि नही आई … मैने उसे फोन किया तो वो घर थी और उसका मूड बहुत खराब था. मैं तुरंत उसके घर गई कि क्या बात हुई.
वो चुपचाप टीवी देख रही थी. मेरे पूछ्ने पर वो बोली कि रिश्तेदार की तबियत ठीक नही थी. मिलने गई तो पहले तो उलहाना देने लगी कि अब आई है हाल पूछ्ने .. खैर ये भी कोई बात नही फिर मेरा हाल चाल पूछ्ने लगी और बोली बहुत मोटी हो गई है तेरे को थाईराईड ही निकलेगा फिर बोली शूगर भी टेस्ट करवा लियो… पता नही शायद वो भी न हो .. और वो जब खडी होने लगी तो बोली तेरे घुटने का भी आपरेशन करवा ले … जबकि उसे तो कोई तकलीफ ही नही थी…
मैने हैरानी से पूछा कि क्या ये वो पूछ रही थी जिसका हाल चाल जानने तुम गई थी या कोई अन्य .. वो बोली कि वही पूछ रही थी जिसका हाल चाल जानने वो गई थी. अब वो काफी ठीक थी शायद मैने मुस्कुरा कर कहा …
मणि बोली कि हां वो तो ठीक हो गई पर उसने उसे बीमार जरुर कर दिया. पता नही पर उसकी बातों से ऐसा लग रहा था कि वो चाहती है कि मैं बीमार पड जाऊं …
मैने मणि को थोडा नार्मल किया और समझाया कि जब कोई लम्बी बीमारी से ठीक होता है तो उसका चिडचिडा होना स्वाभाविक होता है इसलिए ज्यादा महसूस नही करके बात मुस्कुरा कर टाल देनी चाहिए. जब लगा कि मणि अब नार्मल हो गई है तो मैं वापिस घर लौट आई पर ये जरुर सोच रही थी कि ऐसे लोगो को भी अपना स्वभाव बदलना चाहिए. अगर कोई आपकी बीमारी का हाल पूछ्ने आया है तो उससे बात करो उसकी राजी खुशी पूछो…. ना कि उसे ही बीमार करके भेज दो… हर व्यक्ति अपना भाग्य लेकर आता है इसलिए किसी से कुढने या जलन वाली कोई बात नही करनी चाहिए कि बुरा लगे …
वैसे भी बात कहने से पहले खुद पर सोचो कि अगर ये बात कोई हमे कहे तो कैसी लगेगी … आपको जवाब मिल जाएगा …
वैसे आप तो ऐसे नही होंगें … है ना … अगर हैं तो जरा नही बहुत सोचने की दरकार है …