Me Too Movement – महिलाओं में कैसे आए जागरुकता – Me Too Movement in India – #मीटू – Monica Gupta – Me Too यानी मैं भी या मेरे साथ भी बेशक, यौन उत्पीड़न की शिकार बहुत सारी महिलाएं सोशल मीडिया पर हैशटैग MeToo के साथ अपने साथ बीते कड़वे अनुभव शेयर कर रही हैं लेकिन इस वीडियो में मैं बात कर रही हूं कि आज की तारीख में हम किस तरह से हम अवेयर रहे कि हमें हैशटेग मीटू कहने की जरुरत ही न हो..
Me Too Movement
इसी बारे में यू टयूब पर मैंने आपके विचार मांगे थे और बहुत खुशी हुई कि बहुत सारे जवाब आए है… तो मैं पढ़ना शुरु करती हूं सबसे पहले तो मनस्विनी ने अपना अनुभव शेयर किया है
- मनस्विनी का कहना है कि मेरे साथ, एक बार किसी ने ऐसा थोडा सा behave किया था और उनकी wife भी इनका साथ दे रही थी तो मैंने boldly handle किया जबकि मैं अंदर से इतनी bold नहीं हू मैं इसलिए बोल्ड बनती हूं अगर मैं बोल्ड नहीं बनूगी तो मेरी बेटी को कैसे बनाऊंगी… thanks mam for the nice idea
Akhi सरस्वती ने लिखा है
सारे राज खुलेंगे धीरे धीरे, कारनामे बाहर आयेंगे धीरे धीरे
जो अच्छाईयो के पुतले बने पङे है सारे चेहरे उतरेंगे धीरे धीरे
- Mrs. Manisha लिखती हैं
मेरा मानना है कि महिलाओ को शाररिक रुप से मजबूत होना चाहिए जैसे जूडो ,कराटे आदि सिखने चाहिए ताकि वे अपनी रक्षा खुद कर सके।
Himani कहती हैं I think mam हमें शुरु से अपने बच्चों को especially लडको को ladies की respect करना सीखाना चाहिए
Ekta Gupta
Most important thing तो ये है कि we as mothers should teach our sons to respect and honour females
3. Devendra Parida मधुस्मिता कहती हैं बिल्कुल ऐसा ही होता है इसलिए हमें strong hona padega और ऐसे लोगो को सबक सीखाना बहुत जरुरी है
Alka Devi मेरा मानना है कि बेटी को जितनी तहजीब हम सीखाते हैं बेटे को भी उतनी तमीज भी सीखानी चाहिए एक महिला या लड़की को किसी भी डर से पहले अपने आत्मसम्मान के बारे में सोचना चाहिए…
Anjali gera पेरेंटस को बच्चों का विश्वास जीतना चाहिए ताकि बच्चे आराम से अपनी सारी problems easily discuss कर सकें…
श्रीमा Bhol Excellent idea mam. रोजमर्रा की जिंदगी में, हर situation में, महिला को bold होना ही चाहिए
4. I am Meghna pandey मैं indore mp se हूं मैं सबसे पहले इस सब पर ये कहना चाहूंगी कि उत्पीडन के मामले में जो सबसे पहले कदम उठाना चाहिए वो ये कि आप सीधा जाकर उस व्यक्ति से बात करो जो आपको परेशान कर रहा है.. और उसे इस बात का अंदेशा दें कि आप बर्दाशत करने वाले या डरने और चुप रहने वालो में से नहीं है और उसे इस सम्बंध मे एक चेतावनी भी दें.. यदि बात करने पर कोई फायदा न हो तो अपने घर के लोगो को साफ साफ इस बारे में बताए ताकि वो आगे उचित रुप में कार्यवाही कर सके
Ruby Mansoori
I’m Ruby from Delhi मेरा मानना है कि ladies को खुद को weak नहीं समझना चाहिए ऐसे मर्दो का डट कर मुकाबला करना चाहिए
…..अनिता जैन– Ladies ko bold होना ही चाहिए… आपका आईडिया बहुत useful है
5. Chitra Sharma
hlo mam.. mai chitra sharma Alwar rajsthan se.. इन्होंने लिखा है
मुझे लगता है कि हम लोगो को बचपन से ही बच्चों में लड़का और लड़की दोनो की बराबर इज्जत करना का गुण डालना चाहिए और क्योंकि बच्चे की परवरिश मा और पिता करते हैं तो उनका behaviour ही बच्चे के चरित्र का निर्माण करने में अहम होता है इसलिए मा और पिता भी एक दूसरे की इज्जत करे…
दूसरा लडको को sensitive भी बनाना जरुरी है ताकि वो सही गलत में भेद कर पाए ..
एक मां या बहन या दोस्त होने के नाते लड़कों को सिखाए कि सम्मान और प्यार पाने के लिए सम्मान और प्यार देना भी पड़ेगा यही मेरे विचार हैं
6. दीप पंजाब से, मैं बताना चाहती हूं कि ज्यादातर सरकारी या गैर सरकारी दफ्तरों या अन्य कार्यक्षेत्रों में महिलाओं की संख्या बहुत कम है। अगर महिलाओं की संख्या पुरुषों के बराबर कर दी जाए तो भी इस तरह की घटनाओं पर लगाम लग सकती है। फिर महिला अकेला महसूस नहीं करेगी।
मैं आगरा यूपी से आलोक दिवाकर
ये बहुत अच्छा है कि महिलाएं अपने कटु अनुभव सांझा कर रही हैं! वो ऐसा करके आज की पीढी में जागरुकता पैदा कर रही हैं कि जो दर्द पहले महिलाओं ने झेला वो उन्हें न सहना पडे और मजबूती से सामना करें. एक तरह से ये पॉजिटिव बदलाव है.. मैं उन महिलाओं को सलाम करता हूं…
7.Ruby Kumari
best यही है कि girls अपने parents को जरुर बताएं क्योंकि parents के पास हर problem का solutions होते हैं। पर हर वक़्त parent तो साथ होते नही इसलिए bold बन के रहे।
अगर एक बार bold आवाज़ में विरोध कर दिया ना तो शायद ही वह दुबारा हिम्मत करेगा।
वैसे एक suggestions मैं उन parents को देना चाहूंगी जो कुछ भी गलत होने पर लड़कियों को ही दोषी ठहरा देते हैं और लड़कों को कहते है कि वो लड़का है वो तो ऐसा करेगा ही।
तो क्या girls and womens घर से बाहर निकलना छोड़ दें अपना कैरियर बनाना छोड़ दें हमेशा अपने पिता भाई या पति के सहारे ही रहे। नहीं न… तो अगर हम चाहते हैं कि हमारे समाज में ऐसा नहीं हो तो मेरे विचार से लड़कों को भी उतना ही संस्कारी बनाना होगा जितना हम लड़कियों को बनाते हैं। parents अपने लड़कों को लड़कियों की इज्जत करना सिखाएं।
तो ये थे आप सभी के विचार जिसके लिए मैं तहे दिल से आप सभी का धन्यवाद करती हूं
आप सभी के विचारों से यही बात निकल कर आई है कि घर हो या बाहर हम महिलाओं को बोल्ड होना पडेगा… ऐसे न हो कि कोई भी डर दिखा कर कुछ भी करवाता रहे…
गर्ल्ज को भी अगर वो स्कूल या कॉलिज जाती हैं अपना वटस अप पर अपना घर परिवार या सहेलियों के साथ ग्रुप बना लेना चाहिए और लगातार उनके टच में रहना चाहिए..
और जब भी घर से बाहर निकले मोबाइल चार्ज हो ऐसा न हो बैटरी ही डाऊन हो गई बात ही नहीं कर पाए..
स्कूल कॉलिज में इसी विषय की बातें कॉम्पीटिशन करवाते रहना चाहिए ताकि जागरुकता बनी रहे.. या घर पर भी मदर्स को अपने बच्चो के साथ ऐसा व्यवहार रखना चाहिए कि वो इनसे सारी बात शेयर कर सकें.. छिपाए ना..
और इस तरह की खबरों से खुद को अपडेट रखना चाहिए ताकि पता चले कि आज समाज में क्या हो रहा है.. आखें मूंद कर नहीं चलना चाहिए..
दूसरों को समझना चाहते हैं तो आखें खुली रखिए और खुद को समझने के लिए बंद …!!!
हिम्मत हार के बैठना ये हमें मंजूर नही बेशक मंजिल दूर है हमसे पर हम मंजिल से दूर नही
समस्याएं इतनी ताक़तवर नहीं हो सकती जितना हम इन्हें मान लेते हैं ,कभी सुना है कि अंधेरों ने सुबह ही ना होने दी हो
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