Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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December 5, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Talk Less – कम कैसे बोलें – How to Talk Less and Listen More – Speak Less – Monica Gupta

How to Talk Less

How to Talk Less – कम कैसे बोलें – How to Talk Less and Listen More – Speak Less – Monica Gupta – कम बोले काम का बोलें.  बात चाहे सेहत की हो रिश्ते की ये पचास ग्राम की जीभ सब पर भारी पड जाती है तो बहुत ज़रुरी है कम बोलना और जब बोलना काम का बोलना पर कैसे ?? कम बोलना कम कैसे करें.. किन बातों का ख्याल रखें हम सभी अपने जीवन में खुश रहना चाहते हैं पर एक चीज गड़बड़ कर देती है… और वो है हमारी ज़ुबान..

How to Talk Less – कम कैसे बोलें – How to Talk Less and Listen More –

वो समझे थे कि तमाशा होगा

मैंने खामोश रह कर माहौल बदल दिया

तभी बोलना चाहिए जब ज़रुरी हो…

बोलना सिर्फ इसलिए नहीं है कि हमें खाना पूर्ति करनी है इसलिए बोलना ही है… जब लगे तभी बोलना है.. बहुत लोगो की आदत है बे वजह ही बोलना शुरु कर देते हैं वो कई बार मज़ाक का पात्र भी बन जाते हैं…

हमें बोलने से पहले सोचना चाहिए कि हम क्या बोलने जा रहे हैं… क्या कुछ ऐसा तो नहीं जो दूसरे की फीलिंग को हर्ट कर सकता है.. सोच समझ कर बोलना चाहिए.. जैसे कमान से निकला तीर वापिस नहीं लाया जा सकता वैसे ही जो बात बोल दी उसे वापिस नहीं ली जा सकती.. बाद में पछतावा हो इसका भी क्या फायदा… कि काश मैं मौन रहता..

रिश्ते खराब हो जाते हैं कई बार ज्यादा बोलने के चक्कर में कुछ ऐसा मुहं से निकल जाता है जो हम खुले आम नहीं बोलना चाहते थे.. जैसाकि मेरी सहेली ने मुझे कोई बात बताई… जो उसने किसी के साथ भी शेयर नहीं की थी और ना ही करना चाह्ती थी पर मैने वही बात दो तीन दोस्तों के बीच में पब्लिक कर दिया… बातों बातों में तो उससे क्या हुआ कि मेरी सहेली के साथ मेरे रिलेशन खराब हो गए ना…

वो कहते भी है ना कि वो समझे थे तमाशा होगा मैने कम बोल रह कर माहौल बदल दिया

कई बार ज्यादा बोलने के चक्कर में हमारे दोस्त भी कम हो जाते है कि ये तो बहुत बोलते हैं वो बोर हो जाते हैं और हमसे दूर भागते हैं

कई बार हम दूसरे को इम्प्रेस करने के चक्कर में भी बोलते रहते हैं जबकि इसका उल्टा असर भी पड सकता है

या किसी ने हमारी राय मांगी नहीं और हम ऐसे ही बीच में कूद पडे ये भी सही नहीं है…

इसलिए भी कम बोलें कि सुनना अच्छी कला है अच्छा वक्ता बनना है तो अच्छे श्रोता बनना चाहिए

इसके लिए हमें जो बोल रहा है उसकी बात ध्यान से सुननी चाहिए..

बॉडी लेग्वेज का ख्याल रखना चाहिए

और हमारा आई कॉन्टेक्ट, हमारी बॉडी लेग्वेज सही हो यानि हम उसकी बात ध्यान से सुने ना कि ऐसा महसूस करवाए कि बोर हो रहे हैं…या जब हम सुन रहे हो तो जो बोल रहा है उसे घूरे कर देखना शुरु कर दें… वो भी अजीब लगता है.. सुनने की कला पर वीडियो बनाई हुई है लिंक नीचे दे रही हूं…

और अगर हमें उनकी बात न समझ आए तो पूछ भी सकते हैं कि मैं समझा नहीं.. दुबारा बता दीजिए… कम बोलने का कई बार लोग ये मतलब ले जाते हैं कि dumb हैं

इसलिए जहां जरुरी हो वहां बोलना भी चाहिए.. जैसे मान लीजिए दो लोग यू टयूब की बात कर रहे है और उन्हें उसकी जानकारी नहीं मैं भी वही हूं मुझे भी उस बारे में जानकारी है तो मैं भी अपने वियूज शेयर कर सकती हूं… मेरी बात से किसी को कोई फायदा हो सकता है तो मुझे जरुर शेयर करना चाहिए

वैसे ज्यादा बोलने से एनर्जी भी वेस्ट होती है कई बार हम बेवजह बहस में उलझ जाते हैं तो उसका भी क्या फायदा.. मन भी खराब हो.. इसके लिए कम बोलना ही बेहतर..

अब टॉपिक है कम कैसे बोलें तो मुझे भी कम ही बोलना चाहिए… है ना.. इसलिए मैं कम ही बोलूगी पर एक बात जरुर बताना चाहूंगी कि

चुप रहने के फायदे बहुत हैं इस पर वीडियो बनाई हुई है लिंक नीचे दे रही हूं जरुर देखिएगा.. और आप क्या सोचते है कि कम कैसे बोल सकते हैं तो जरुर बताईएगा..

तो इतना मत बोलिए कि लोग चुप होने का इंतजार करें

इतना बोल कर चुप हो जाइए कि लोग दुबारा बोलने का इंतजार करें

सेहत और रिश्तों को ठीक रखने के लिए पचास ग्राम की जीभ को साठ या सत्तर किलो के शरीर पर हावी ना होने दीजिए

How to Talk Less – कम कैसे बोलें – How to Talk Less and Listen More – Speak Less – Monica Gupta

 

December 3, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Parenting Styles – Types of Parenting Styles – परवरिश के तरीके

Parenting Styles

Parenting Styles – Types of Parenting Styles – परवरिश के तरीके –   कैसे parents  हैं आप ? जब भी parenting की बात आती है तो हमारे जहन में दो तरह के parents आते हैं अच्छे  या गंदे  parents पर असल में, Researchers ने 4 type की parenting styles identified की है..

Parenting Styles – Types of Parenting Styles

 

वो क्या हैं ?? आईए जानते हैं वैसे रुलाना हर किसी को आता है,  हंसाना भी हर किसी को आता है, रुला कर जो हंसा दे वो हैं पापा और रुला कर जो खुद रो दे वो है मां… ऐसे होते है माता पिता… आप कैसे मम्मी पापा है ??

असल में, इससे पहले एक video बनाई थी बच्चों की परवरिश पर की How to Raise Successful Kids

उसमे मैंने बताया था कि चार तरह के parenting styles है तो बहुत सारे पेरेंट्स के कमेंट्स मैसेज आए कि कौन से हैं वो 4 स्टाईल तो वो मैं आपको बता रही हूं आप देखिएगा कि आप किस स्टाईल में फिट होते हैं..

सबसे पहले हैं  Authoritative

इनका बच्चों के साथ पॉजिटिव रिलेशन होता है ये warm, केयरिंग ख्याल रखने वाले होते हैं…खुद खुश रहते हैं और बच्चे को खुश रखते हैं… discipline strategies बनाते हैं तो उनके कारण भी बताते हैं. उन पर अडिग रहते हैं पर बच्चे की फीलिंग्स का भी ख्याल रखते हैं.. बच्चे के साथ समय बिताते हैं और उन्हें अपने views बताने की पूरी आजादी होती है.. बच्चे की praise भी करते हैं encourage करते हैं और समय समय पर  reward भी देते हैं ये set limits करते हैं और उस पर  consistentभी रहते हैं..  ऐसे बच्चे decision लेते हैं और जिंदगी में successful होते हैं

Authoritarian Parenting  ये स्टाईल वाले parents strict होते हैं

बहुत demanding होते हैं उम्मीदें बहुत ज्यादा होती हैं जितनी डिमांड या उम्मीदें होती हैं उतना ध्यान देते नहीं हैं…

एक तरफा बातचीत होती है …मैंनें कह दिया तो करना ही है… blindly follow करें बच्चे…  वो चाह्ते हैं कि बिना उम्मीद रखे बच्चे rules follow करें

Independently बच्चे को कोई काम भी नहीं करने देते

बच्चों को discipline में रखने की बजाय punishment देने में ज्यादा विश्वास रखते हैं प्यार बहुत कम दिखाते हैं ज्यादातर हार्श ही होते हैं और बच्चों पर बात बात पर चिल्लाते  हैं

ऐसे में बच्चे की self development नहीं हो पाती…. बच्चे गुस्सैल बन जाते है. उर हर समय मन में एक डर समाया रहता है..

Permissive parenting

ये स्टाईल वाले parents बहुत lenient होते हैं दयालु kind, रियायती देने वाले होते हैं.. कोई demands या expectations नहीं होती बच्चे से…  बहुत  loving होते हैं, बच्चों के लिए guidelines, rules तो बना लेते हैं पर लागू नहीं करते.. mature behavior की बच्चों से उम्मीद नहीं रखते.. चलो कोई बात नहीं बच्चा ही तो है कोई बात नहीं…

माफ करने में विश्वास रखते हैं कि गलती हो जाती है… बच्चा अच्छे से बर्ताव न करे तो उसे इग्नोर करते हैं… अक्सर parent की बजाय बच्चे को दोस्त की तरह treat करते हैं.

क्योंकि ये बच्चे को किसी काम के लिए कुछ कहते नहीं… जैसा कि मान लीजिए बच्चे ने जंक फूड खाना है तो मना नहीं किया.. बच्चे ने आज नहाना नहीं है सफाई का ख्याल नहीं रखना तो चलो कोई बात नहीं… कोई भी limit impose करने में reluctant रहते हैं

तो ऐसे में बच्चे अपने मन की ज्यादा करते हैं टीवी देखना, ज्यादा खेलना, दर नहीं होता तो ऐसे बच्चे लाईफ में ज्यादा कुछ achieve नहीं कर पाते

Uninvolved Parenting इसे  neglectful भी कहा जा सकता है जैसा कि नाम से ही साफ साफ पता चल रहा है indifferent रहते हैं, बच्चे ने पढ़ाई की, कहां है क्या कर रहा है… किसके साथ है कोई मतलब नही,

बच्चे के बारे में बहुत कम जानकारी होती है.

अपनी ही आफिस या घर की परेशानियो से कि उसने ऐसा कह दिया, इतना खर्चा हो गया… उसी में उलझे रहते हैं अपनी ही  Problems से Occupied रहते हैं न बच्चे से प्यार जताते हैं और न कोई उम्मीदें होती हैं.

बच्चे decisions लेने में कमजोर रह जाते हैं . बच्चों को सही दिशा मिल ही नहीं पाती तो बिगडने के ज्यादा चांस हो जाते हैं

वैसे  authoritative parenting is the best parenting style…

रुलाना हर किसी को आता है

हंसाना भी हर किसी को आता है

रुला कर जो हंसा दे वो हैं पापा और रुला कर जो खुद रो दे वो है मां… ऐसे होते है माता पिता… आप कैसे मम्मी पापा है ??

Dedication, positive relationship and commitment से best parent बन सकते हैं

Parenting Styles

November 30, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Why People Use You – Mistakes that Make People Use You – How to Stop being Used

Why People Use You

Why People Use You – Mistakes that Make People Use You – How to Stop being Used – बहुत बार ऐसा होता है कि हम अच्छे हैं दूसरे की मदद भी कर रहे हैं, केयरिंग भी हैं, मन में किसी के प्रति कोई नाराजगी भी नहीं रख रहे फिर भी अपसेट रहते हैं, दुखी रहते हैं.. असल में, इसका कारण है हम ही हैं हमारी ही कुछ गलतियां ऐसी हो जाती हैं कि लोग फायदा उठा जाते हैं और हम दुखी रहते हैं तो क्या है ऐसी गलतियां…

लोग कहते हैं कि अपनों के आगे झुक जाओ पर जो अपने होते हैं वो झुकने ही नहीं देते

Why People Use You – Mistakes that Make People Use You – How to Stop being Used

1. हम हर बात पर खुद को ही ब्लेम देने लगते हैं कि ये हुआ तो मेरी वजह से हुआ.. जैसे मान लीजिए एक महिला के घर वाशिंग मशीन है और चलते चलते खराब हो गई तो वो ये कहती है कि मेरी ही वजह से ये खराब हुई होगी.. मैंनें ही शायद ज्यादा कपडे डाल दिए होंगें… कुछ भी इससे क्या होगा कि परिवार के अन्य सदस्य भी यही कहेंगें कि हां तुम्हारी वजह से हुआ ये.. तो बजाय खुद को blame करने के फोकस इस बात पर हो कि ठीक कैसे करवाए तो ज्यादा बेहतर है क्योंकि और लोग तो फिर खुद ही कहेंगें जब हम ही कह रहे हैं कि इसकी वजह मैं ही हूं…

2.खुद को अहमियत ही नहीं देते… खुद की respect  नहीं करते… अपनी value ही नहीं समझते… कोई कुछ भी बोल जाए.. अब देखिए मान लीजिए कि office में एक आदमी दूसरे से बहुत rudly  बात कर रहा है और किए जा रहा है तो बजाय बर्दाशत करने के उसे बोलना चाहिए कि आप कैसे बात कर रहे हैं .. हुआ क्या है ?

फिर इसमे एक बात और हो सकती है कि वो आदमी चुपचाप इसलिए सुन रहा है कुछ नहीं बोल रहा कि respect earn करने के लिए respect करनी जरुरी है तो आप चुप है और वो बोले ही चला जा रहा है.. यानि फायदा उठा रहा है…  इसलिए ऐसे लोगों को बाहर का रास्ता दिखाना बहुत जरुरी है नहीं तो वो पूरी तरह से हावी हो जाएगें

इसमे ना अपनी limit भी सेट करनी पडेगी कि आप कहां तक सहन कर सकते हैं… जितना छूट देंगें उतना ही वो फायदा उठाता जाएगा.. ऐसा न हो को कोई आपको for granted ही लेता जाए…और आप अच्छे बने रहने के चक्कर में कि बुरा न मान जाए… काम करते ही रहें.. आपका को वर्कर कह रहा है ये भी काम कर देना वो भी कर देन और खुद फोन पर बात कर रहा है कभी कैंटीन में बैठा गप्पे मार रहा है… इसलिए एक limit set  करनी जरुरी है कि बस इससे ज्यादा नहीं.. ना कहना सीखना है

3. हर बात में दूसरे की approval लेना.. यानि दूसरे की लाईकिंग का ज्यादा ख्याल रखना… खुद पर विश्वास न होना.. जैसे कि एक लेडी ने प्रेजनेटेशन तैयार की है और वो बॉस के पास जाकर बोलती है कि आप देखिएगा सर आज जो PPT बनाई है आपको जरुर पसंद आएगी.. आपका अपने बारे में opinon important है.. अपने पर विश्वास रखिए.. जैसे मान लीजिए एक lady है खाना बनाया है और उदास हो गई कि खाना बहुत yummy  बना था किसी ने कहा ही नहीं… तो खुद कहिए न कि आज मैनें बहुत टेस्टी राजमा बनाए हैं खाओ और बताओ कि कैसे बनें..

4. एक हमारी गलती ये भी होती है कि हम अपनी इच्छा को दबा लेते हैं… दूसरे के हिसाब से चलते हैं… जैसे मान लीजिए मैं और मेरी सहेली शॉपिंग करने मार्किट गए.. मुझे एक सूट पसंद आया अपने लिए पर जो सहेली मेरे साथ थी उसने दूसरे सूट के बारे में कहा कि ये ले लो.. जबकि उसका colour मुझे पसंद नहीं आया पर क्योकिं वो बुरा न मान जाए मैंनें उसे खरीद लिया… अब क्या होगा कि सूट हमेशा के लिए अलमारी में रखा रह जाएगा.. अगर मैं उस समय ये बोल देती कि चलो और देख लेते है तो हो सकता है कि वो भी मेरी मदद करती और देखने में…

5. हम इस बात से भी डरते हैं कि सामने वाला हमसे नाराज न हो जाए.. इसलिए कहना मान लेते है मना नहीं करते.. मान लीजिए एक दोस्त दूसरे के पास जाता है कि मदद चाहिए पैसे की.. तो ना चाहते हुए भी उसे पैसे देने पडते हैं कि कहीं नाराज न हो जाए… इतना ही नहीं अगर अपने पैसे किसी को दिए हैं तो मांगने में भी झिझक होती है कि वो क्या सोचेगा… उसे बुरा न लग जाए.. तो ये कहां कि समझदारी है… घर परिवार से तो बात करते रहेंगें कि उसने पैसे ले लिए… तनाव में रहेंगें … इस वजह से सब परेशान रहेंगें और फायदा कोई और उठा गया देखिए अगर सच्चे मन, दिल से मदद करना चाहता है फिर तो कोई बात नहीं पर अगर सम्भव नहीं है पैसे कम हैं तो मना कर देना चाहिए..

6.  कई बार हम अच्छे इस चक्कर में भी बन जाते हैं कि हम अकेले न पड जाएं… जैसा कि घर पर पति आराम से लेट कर टीवी देख रहे हैं और कुछ खा रहे हैं और पत्नी काम कर रही है मन कर रहा है कि अगर पति मदद करवा दें तो जल्दी काम हो जाएगा पर बोल नहीं पा रही.. कि कहीं पति नाराज होकर घर से बाहर ही न चले जाएं… ये भी हो सकता है कि वो कहे और वो उनकी मदद के लिए उठ जाएं.. पर वो बोलती नहीं और उसका फायदा उठा रहा है उसका पति

7  बेवजह अपनी एनर्जी वेस्ट करना – हम ऐसा काम करके अपनी एनर्जी वेस्ट किए जा रहे हैं जिसका कोई फायदा नहीं…  जैसा कि घर में चीनी खत्म हो गई और उसके पति आफिस से लौटने वाले हैं तो वो उन्हें बोल सकती है कि आप लेते आईए और उन्हें लाने में कोई दिक्कत भी नहीं पर अच्छा बनने के चक्कर में कि उन्हें बुरा न लग जाए तो वो खुद market जाती है ऑटो करके. परेशानी हुई वो अलग.. अब बताईए क्या होता अगर पति को ही बोल देतीये हैं कुछ बातें जिसकी वजह से हम ज्यादा अच्छा बनने के चक्कर में दुखी रहते हैं…

लोग कहते हैं कि अपनों के आगे झुक जाओ पर जो अपने होते हैं वो झुकने ही नहीं देते

Why People Use You – Mistakes that Make People Use You – How to Stop being Used –

November 28, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Forget Bad Memories – बुरी यादों को कैसे भुलाएं – Forget Bad Memories – Monica Gupta

How to Forget Bad Memories

How to Forget Bad Memories – बुरी यादों को कैसे भुलाएं – Forget Bad Memories – Monica Gupta – कैसे भुलाएं बुरी यादें

हमारे साथ लाईफ में कई बार कुछ ऐसी कुछ बात हो जाती हैं जो हमारा दिल दुखाती है बहुत painful होती है और लगता है कि उन्हें भूल जाना चाहिए पर भूल ही नहीं पाते… जितना भूलना चाहते हैं वो उतना ही आगे आती है… तो ऐसे में क्या करें?

How to Forget Bad Memories – बुरी यादों को कैसे भुलाएं –

मैं इसे बताने से पहले एक प्रसंग सुनाती हूं.. एक गुरु जी प्रवचन दे रहे थे.. सभी अपनी अपनी बात बता रहे थे तो एक बोला गुरु जी मैं बीती बात को लेकर बहुत परेशान रहता हूं.. ऐसा कुछ हुआ था जो दिमाग से बाहर जा ही नहीं रहा.. तो गुरु जी कहते हैं कि चलो तुम बैठो मैं तुम्हें एक चुटकुला सुनाता हूं… तो वो अपने भक्तों को  चुटकुला सुनाते हैं सब बहुत हंसते हैं… फिर उसी समय उसी चुटकुले को वो दुबारा सुनाते हैं… तो लोग हंसते तो हैं पर कम.. कुछ लोग जो गुरु को खुश करना चाहते थे वो जरुर हंसते हैं फिर तीसरी बार गुरु वही चुटकुला सुनाते हैं अब पहले से कम लोग हंसते हैं और कुछ तो कानाफूसी शुरु कर देते हैं कि अरे ?? ये क्या हो गया… हंसी नहीं आती… सब चुप.. तब गुरु जी पूछ्ते हैं कि क्या हुआ.. जब एक चुटकुला बार बार सुनने पर हंसी नहीं आती तो एक गम को एक दुख को लेकर बार बार दुखी किस लिए होते हो…

अब मैं अपनी बात पर आती हूं कि ये हमारे हाथ में है जब हम हंसना रोक सकते हैं तो बुरी याद को भी तो रोका जा सकता है.. बस जरुरत है मन को पक्का करना पडेगा… मुझे नहीं याद करना उस बारे में मतलब नहीं याद करना… पर ये सोचेगें कि हुंह मतलब ही नहीं कोई नहीं भूल सकता फिर हम वाकई में उसी में उलझे रह जाएगें…

देखिए इससे बाहर निकलना जरुरी किस लिए है? जरुरी इसलिए है ये बात हमें हर्ट करती है दुख पहुँचाती है, हम तनाव में आ जाते हैं और अगर हम ऐसे  हर समय सोचते ही रहेंगे तो आगे कैसे  बढ़ पाएँगें तो आगे बढना है तो इसे भुलाना होगा… पर कैसे.. इस बारे में मैं आपको 7 बातें बता रही हूं…

I. पहली बात तो Identify करना है कि मैं ऐसा किस लिए महसूस कर रहा हूं  ऐसी क्या बात है कब हुई थी, कहां हुई थी और तब मुझे क्या महसूस हुआ था… क्या ऐसी चीज है जो आपको बहुत bother कर रही है… आप लिस्ट भी बना सकते हैं.. कि ये बातें हैं जो मुझे दुखी कर रही हैं ये इसलिए जरुरी है ताकि हम उन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दें..

2. अब जो बाते, जो चीज आपको ट्रिगर कर रही है… यानि आपको उकसा रही है उसे दूर ही रखिए.. वो कोई चीज भी हो सकती है, कोई फोटो, कोई जगह या कोई व्यक्ति कोई भी हो सकता है तो दूरी बना कर रखिए..

3. हम नई और अच्छी memories बनाएं.. कई बार होता है कि हम बीत बात को भूल नहीं पा रहे हैं या तो हम गुस्से को रो कर, चिल्ला कर बाहर निकालें या फिर लिख कर जैसे बहुत कुछ हुआ पिछ्ले दिनों ..

तो वो सब लिख लीजिए…how to release anger video और लिखने के बाद उसे फाड कर फेंक दीजिए या जला दीजिए… बीती बात भूलने के लिए हम और बातों पर Focus रख सकते हैं जैसाकि  कोई हमारा ऐसा जानकार, दोस्त, जिस पर आप बहुत भरोसा करते है उसे सारी बात बता दीजिए कई बार मन की बात कहने से मन हलका हो जाता है…

नहीं है तो अच्छे दोस्त बनाईए.. जिनकी सोच पॉजिटिव हो.. ऐसे दोस्त खोजिए… दुनिया में अच्छे लोगो की कमी नहीं हैं तो आज में रहते हुए अच्छे दोस्त बनाईए.. मन को Distract करना है

4 बुरी यादें भुलाने का एक तरीका ये भी है कि उन बुरी यादों को improve करने की कोशिश करें जैसा कि मान लीजिए एक कपल पिछ्ले साल जब एक जगह घूमने गए तो बहुत बुरा अनुभव रहा.. वो इसे भूल नहीं पा रहे तो वो फिर उस जगह जाए और किसी अच्छे होटल में ठहरे वहां घूमे और अच्छी यादें ले कर वापिस जाएं तो इससे पहली वाली बात भूलने में मदद मिलेगी…

हम हर बात से कोई न कोई सबक सीखते हैं तो ये मान कर चलिए कि वो अनुभव अच्छा नहीं रहा… हम आगे किसी को गाईड भी कर सकते हैं… ताकि उसके साथ ऐसा न हो… अगर हम पॉजिटिव सोच ले कर चलेंगें तो जरुर मदद मिलेगी…

5. आज में जीने का प्रयास करें.. बीति ताहि बिसार दे… मूव ऑन – आगे बढिए और ये तभी होगा जब बीती बातों को दिमाग से निकाल देंगें..  आप ये सोचिए कि कल को ठीक तो कर नहीं सकते तो उसकी वजह से हम अपना आज भी खराब कर रहे हैं… जबकि आज को बेहतर बना कर हम अपना कल अच्छा बना सकते हैं..हैं.. आज हमारे लिए एक प्रेजेंट है यानि उपहार है.. तो इसको खुल कर जीएं जो भी है बस यही एक पल है..

जो हो गया सो हो गया जो खो गया सो खो गया.. जो खोट थी वो गल गई जो शेष है वो स्वर्ण है वो आप हैं अपनी वेल्यू कीजिए..

6. खुद को बिजी कर लें जब हमारा दिमाग खाली होता है तब मन में विचार आते हैं तो मन को ही बिजी कर लीजिए ताकि उसे कुछ सोचने का समय ही न मिले… अपने फैमली में, दोस्तों में कुछ नया करने में.. अपनी रुटीन में बदलाव लाइए… उसके लिए कोई नई हॉबी में इट्रस्त लीजिए, shopping कीजिए, कुछ ऐसा करना है कि हम उन बातों को याद न करें..

7. सबसे ज्यादा जरुरी है कि अपना ख्याल रखें… अपनी सेहत का ख्याल रखें… उसे प्राथमिकता दें… इसमे आप सैर कीजिए कसरत कीजिए अपने खान पान का ख्याल रखिए अच्छी नींद लीजिए ताकि शरीर एकदम फ़िट रहे.. लिस्ट बना लीजिए कि आपको अपने लिए क्या क्या करना है.. खुद को रिमाईडर भेजते रहिए कि क्या क्या करना है…

पर ये भी न हो कि आप बहुत दुखी और परेशान है तो नशे का सहारा लेना शुरु दो… संयम रखिए… मन को शांत रखिए.. ठंडा रखिए.. और अगर फिर भी नहीहो पा रहा तो किसी अच्छे therapist साईको थैरेपिस्ट की मदद लीजिए… एक दिन में सब नहीं हो जाता अगर मन पक्का हो और हौसला हो तो जरुर ठीक किया जा सकता है  हो कर मायूस ना यू शाम से ढलते रहिए जिंदगी भोर है सूरज सा निकलते रहिए….

 

वो कहते भी है न कि जल को बर्फ़ में बदलने में वक्त लगता है, सूरज को निकलने में वक्त लगता है, किस्मत को तो हम बदल नही सकते,

लेकिन अपने हौसलों से किस्मत बदलने में वक्त लगता है।

दुसरो को समझना बुद्धिमानी है , खुद को समझना असली ज्ञान

दुसरो को काबू करना बल है , और खुद को काबू करना वास्तविक शक्ति है

जिसने संसार को बदलने की कोशिश की वो हार गया

और जिसने खुद को बदल लिया वो जीत गया

जो हो गया सो हो गया जो खो गया सो खो गया.. जो खोट थी वो गल गई जो शेष है वो स्वर्ण है

How to Forget Bad Memories – बुरी यादों को कैसे भुलाएं – Forget Bad Memories – Monica Gupta – कैसे भुलाएं बुरी यादें

 

November 23, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Deal with Selfish People – मतलबी लोग – Dealing with Selfish People –

How to Deal with Selfish People

How to Deal with Selfish People – मतलबी लोग – Dealing with Selfish People – Ways You Can Deal with Selfish People –  स्वार्थी लोगों से कैसे निपटें – मतलबी लोगों की पहचान How to deal with selfish people in your life and the workplace….. कई बार हम किसी की बहुत केयर करते हैं ख्याल रखते हैं पर वो Selfish निकल जाता है तो ऐसे लोगो से कैसे डील करें तो मैं आपको कुछ बातें बता रही हूं..

How to Deal with Selfish People – मतलबी लोग –

सबसे पहले तो पहचानिए कि कौन है Selfish..

 

वो हमारा दोस्त, पड़ोसी, को वर्कर या घर परिवार का कोई सदस्य हो सकता है.. ऐसे लोगो से Relationship रख कर दुख और निराशा ही होगी.. इसलिए हमारी बेटरमैंट के लिए ही पहचान करनी जरुरी ही है…

और ना assume नहीं करना कई बार हम कल्पना कर लेते हैं या किसी के कहने पर अपनी मन स्थिति वैसी बना लेते हैं तो किसी के बारे में राय बनाने से पहले देख लेना चाहिए.. कहीं हम तो ऐसे नहीं हैं.. अगर हम ऐसे हैं जिस वजह से वो ऐसा  कर रहा है तो हमें भी खुद को बदलने की जरुरत है… पर हम ऐसे नहीं थे.. हम बहुत sincere थे..

अब हम देख लिया और पहचान भी लिया अब हमें सामना करना होगा…

जैसाकि मैं एक उदाहरण बताती हूं.. मैं बहुत परेशान हूं.. मैंने अपनी सहेली को फोन मिलाया उससे बात करना चाह रही हूं और वो कहती है वो बिजी है और उसने एक बार भी पलट कर भी नहीं पूछा कि क्या हुआ.. ?? और अगले ही दिन जब अपना काम हुआ तो तुरंत आ गई.. तो ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए.. देखिए अलग अलग सिटयूएशन हैं

या तो मुझे थोडा स्टिक्ट होना पडेगा… या तो मैं सॉरी बोल कर मना कि मैं नहीं कर सकती कर दूं और उसे साफ साफ बोल दूं कि जो कल हुआ वो मुझे अच्छा नहीं लगा.. मैने अपना समझ कर ही फोन किया था पर तुमने पूछा तक नहीं… या ये बोलू कि ठीक है पर पहले तुम मेरा ये काम कर दो… या फिर मैं पर ये बात कोई झगडा करते हुए नहीं कहनी इस तरह से कि उसे जता दिया जाए ताकि वो रिएलाईज करे..

पर इसमें एक बात का ध्यान ये भी देना है कि खुद को blame नहीं देना.. आपने किसी के लिए अच्छा किया और उसने अच्छा नहीं किया तो खुद को कसूरवार नहीं ठहराना कि अरे ये तो मेरी गलती से हुआ.. ये आपका fault नहीं है कि आप समझ ही नहीं पाए.. पर अब आप सर्तक हो जाईए.. पर अपनी नेचर नहीं बदलनी.. कि उसने ऐसा किया तो मैं भी वैसा ही करुंगा.. अगर ऐसी सोच रखेंगें तो क्या फर्क रह जाएगा आप में और उस में

यानि अपने स्तर तक नहीं जाना.. आप जैसे हैं वैसे ही रहिए..

आप ये मान कर चलिए कि वो Selfish है उन्हें बस अपना काम निकलवाना आता है  उनके मन में कोई regard या रिस्पेक्ट नहीं होती तो बात बात पर

उनका फेवर नहीं करना चाहिए..

कि वो बोल रहे हैं मेरा ये काम कर दो तो हां हां क्यों नहीं… अपना आत्म सम्मान बना कर रखना है..

अपनी limits Set कर लीजिए … Boundaries कि कितना साथ रहना है कितना समय एक साथ गुजारना है

Attention ज्यादा मत दीजिए… ज्यादा भाव मत दीजिए कि मान लीजिए एक जानकार कहते है कि मेरा तो मार्किट में बैग छीन कर भाग गया.. तो आमतौर पर यही कहेंगें न कि ओह.. ये कैसे हुआ.. क्या हुआ.. बहुत दुख हुआ… तो ये कहना चाहिए ये तो आजकल आम बात हो गई है… तो वो बगले झांकते नजर आएगें… भागते नजर आएगे… ..  ये भी नहीं कि आप उनके साथ रुड हो जाएं.. पर ज्यादा ध्यान भी नहीं…

इनसे दूरी बनाए रखने के लिए अच्छे दोस्त खोजिए.. और उनके साथ ज्यादा रहिए.. मन के खुश रखने के लिए ये बहुत जरुरी है … और कभी होता है कि साथ बैठना भी पड रहा है बात भी करनी पड रही है तो आप भी अपने interest की बात कीजिए… वो अगर अपने interest की बात कर रहा है तो आप भी कोई ऐसा टॉपिक जो आपको अच्छा लगता है वो बोलिए… बातो बातों में शुरु कर दीजिए..

आप उनको क्या Dose देंगें?? जैसे इग्नोर कीजिए, ज्यादा बात मत कीजिए, फोन आए तो मत उठाईए… ये उनके लिए अच्छा सबक होगा.. not interested

जीवन में कभी मौका मिले तो सारथी बनने की कोशिश करनी चाहिए स्वार्थी नहीं…

मुझको क्या हक, मैं किसी को मतलबी कहूँ..

मैं खुद ही ख़ुदा को, मुसीबत में याद करता हूँ

How to Deal with Selfish People

November 21, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Me Too Movement – महिलाओं में कैसे आए जागरुकता – Me Too Movement in India – #मीटू – Monica Gupta

Me Too Movement

Me Too Movement – महिलाओं में कैसे आए जागरुकता – Me Too Movement in India – #मीटू – Monica Gupta – Me Too यानी मैं भी या मेरे साथ भी  बेशक, यौन उत्पीड़न की शिकार बहुत  सारी महिलाएं सोशल मीडिया पर हैशटैग MeToo के साथ अपने साथ बीते कड़वे अनुभव शेयर कर रही हैं लेकिन इस वीडियो में मैं बात कर रही हूं कि आज की तारीख में हम किस तरह से हम अवेयर रहे कि हमें  हैशटेग मीटू कहने की जरुरत ही न हो..

Me Too Movement

इसी बारे में यू टयूब पर मैंने आपके विचार मांगे थे और बहुत खुशी हुई कि बहुत सारे जवाब आए है… तो मैं पढ़ना शुरु करती हूं सबसे पहले तो मनस्विनी ने अपना अनुभव शेयर किया है

  1. मनस्विनी का कहना है कि मेरे साथ, एक बार किसी ने ऐसा थोडा सा behave किया था और उनकी wife भी इनका साथ दे रही थी तो मैंने boldly handle किया जबकि मैं अंदर से इतनी bold नहीं हू मैं इसलिए बोल्ड बनती हूं अगर मैं बोल्ड नहीं बनूगी तो मेरी बेटी को कैसे बनाऊंगी… thanks mam for the nice idea

Akhi सरस्वती ने लिखा है

सारे राज खुलेंगे धीरे धीरे, कारनामे बाहर आयेंगे धीरे धीरे

जो अच्छाईयो के पुतले बने पङे है सारे चेहरे उतरेंगे धीरे धीरे

  1. Mrs. Manisha लिखती हैं

मेरा मानना है कि महिलाओ को शाररिक रुप से मजबूत होना चाहिए जैसे जूडो ,कराटे आदि सिखने चाहिए ताकि वे अपनी रक्षा खुद कर सके।

Himani कहती हैं I think mam हमें शुरु से अपने बच्चों को especially लडको को  ladies की respect करना सीखाना चाहिए

Ekta Gupta

Most important thing तो ये है कि we as mothers should teach our sons to respect and honour females

3. Devendra Parida मधुस्मिता कहती हैं बिल्कुल ऐसा ही होता है इसलिए हमें strong hona padega और ऐसे लोगो को सबक सीखाना बहुत जरुरी है

Alka Devi मेरा मानना है कि बेटी को जितनी तहजीब हम सीखाते हैं बेटे को भी उतनी तमीज भी सीखानी चाहिए  एक महिला या लड़की को किसी भी डर से पहले अपने आत्मसम्मान के बारे में सोचना चाहिए…

Anjali gera पेरेंटस को बच्चों का विश्वास जीतना चाहिए ताकि बच्चे आराम से अपनी सारी problems easily discuss  कर सकें…

श्रीमा Bhol Excellent idea mam. रोजमर्रा की जिंदगी में,  हर situation में,  महिला को bold होना ही चाहिए

4. I am Meghna pandey मैं  indore mp se हूं मैं सबसे पहले इस सब पर ये कहना चाहूंगी कि उत्पीडन के मामले में जो सबसे पहले कदम उठाना चाहिए वो ये कि आप सीधा जाकर उस व्यक्ति से बात करो जो आपको परेशान कर रहा है.. और उसे इस बात का अंदेशा दें कि आप बर्दाशत करने वाले या डरने और चुप रहने वालो में से नहीं है और उसे इस सम्बंध मे एक चेतावनी भी  दें.. यदि बात करने पर कोई फायदा न हो तो अपने घर के लोगो को साफ साफ इस बारे में बताए ताकि वो आगे उचित रुप में कार्यवाही कर सके

Ruby Mansoori

I’m Ruby from Delhi मेरा मानना है कि  ladies को खुद को weak नहीं समझना चाहिए ऐसे मर्दो का डट कर मुकाबला करना चाहिए

…..अनिता जैन– Ladies ko bold होना ही चाहिए… आपका आईडिया बहुत useful  है

5. Chitra Sharma

hlo mam.. mai chitra sharma Alwar rajsthan se.. इन्होंने  लिखा है 

मुझे लगता है कि हम लोगो को बचपन से ही बच्चों में लड़का और लड़की दोनो की बराबर इज्जत करना का गुण डालना चाहिए और क्योंकि बच्चे की परवरिश मा और पिता करते हैं तो उनका behaviour ही बच्चे के चरित्र का निर्माण करने में अहम होता है इसलिए मा और पिता भी एक दूसरे की इज्जत करे…  

दूसरा लडको को sensitive भी बनाना जरुरी है ताकि वो सही गलत में भेद कर पाए ..

एक मां या  बहन या दोस्त होने के नाते लड़कों को सिखाए कि सम्मान और प्यार पाने के लिए सम्मान और प्यार देना भी पड़ेगा यही मेरे विचार हैं

6. दीप पंजाब से, मैं बताना चाहती हूं कि ज्यादातर सरकारी या गैर सरकारी दफ्तरों या अन्य कार्यक्षेत्रों में महिलाओं की संख्या बहुत कम है। अगर महिलाओं की संख्या पुरुषों के बराबर कर दी जाए तो भी इस तरह की घटनाओं पर लगाम लग सकती है। फिर महिला अकेला महसूस नहीं करेगी।

मैं आगरा यूपी से आलोक दिवाकर

ये बहुत अच्छा है कि महिलाएं अपने कटु अनुभव सांझा कर रही हैं! वो ऐसा करके आज की पीढी में जागरुकता पैदा कर रही हैं कि जो दर्द पहले महिलाओं ने झेला वो उन्हें न सहना पडे और मजबूती से सामना करें. एक तरह से ये पॉजिटिव बदलाव है.. मैं उन महिलाओं को सलाम करता हूं…

7.Ruby Kumari

best यही है कि girls अपने parents को जरुर बताएं क्योंकि parents के पास हर problem का solutions होते हैं। पर  हर वक़्त parent तो साथ होते नही इसलिए bold बन के रहे।

अगर  एक बार bold आवाज़ में विरोध कर दिया ना  तो शायद ही वह दुबारा हिम्मत करेगा।

 वैसे एक suggestions मैं उन parents को देना चाहूंगी जो कुछ भी गलत होने पर लड़कियों को ही दोषी ठहरा देते हैं और लड़कों को कहते है कि वो लड़का है वो तो ऐसा करेगा ही।

तो क्या girls and womens घर से बाहर निकलना छोड़ दें अपना कैरियर बनाना छोड़ दें हमेशा अपने पिता भाई या पति के सहारे ही रहे। नहीं न… तो अगर हम चाहते हैं कि हमारे समाज में ऐसा नहीं हो तो मेरे विचार से लड़कों को भी उतना ही संस्कारी बनाना होगा जितना हम लड़कियों को बनाते हैं। parents अपने लड़कों को लड़कियों की इज्जत करना सिखाएं।

तो ये थे आप सभी के विचार जिसके लिए मैं तहे दिल से आप सभी का धन्यवाद करती हूं

आप सभी के विचारों से यही बात निकल कर आई है कि घर हो या बाहर हम महिलाओं को बोल्ड होना पडेगा… ऐसे न हो कि कोई भी डर दिखा कर कुछ भी करवाता रहे…

गर्ल्ज को भी अगर वो स्कूल या कॉलिज जाती हैं अपना वटस अप पर अपना घर परिवार या सहेलियों के साथ ग्रुप बना लेना चाहिए और लगातार उनके टच में रहना चाहिए..

और जब भी घर से बाहर निकले मोबाइल चार्ज हो ऐसा न हो बैटरी ही डाऊन हो गई बात ही नहीं कर पाए..

स्कूल कॉलिज में इसी विषय की बातें  कॉम्पीटिशन करवाते रहना चाहिए ताकि जागरुकता बनी रहे.. या घर पर भी मदर्स को अपने बच्चो के साथ ऐसा व्यवहार रखना चाहिए कि वो इनसे सारी बात शेयर कर सकें.. छिपाए ना..

और इस तरह की खबरों से खुद को अपडेट रखना चाहिए ताकि पता चले कि आज समाज में क्या हो रहा है.. आखें मूंद कर नहीं चलना चाहिए..

दूसरों को समझना चाहते हैं तो आखें खुली रखिए और खुद को समझने के लिए बंद …!!!

हिम्मत हार के बैठना ये हमें मंजूर नही बेशक मंजिल दूर है हमसे पर हम मंजिल से दूर नही

समस्याएं इतनी ताक़तवर नहीं हो सकती जितना हम इन्हें मान लेते हैं ,कभी सुना है  कि अंधेरों ने सुबह ही ना होने दी हो

 

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