Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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September 17, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Bring Happiness in Family – What brings Happiness in Family –

Bring Happiness in Family

Bring Happiness in Family – What brings Happiness in Family – बातें जो घर में खुशी लाती हैं… परिवार साथ रहने से नहीं, बल्कि हमेशा साथ जीने से बनता है… हम सभी चाहते हैं कि घर का माहौल अच्छा बना रहे.. घर में सुख शांति बनी रहे…  पर कई बार समझ नहीं आता कि क्या करें और किस तरह से करें… कुछ  लोग  “ज़िन्दगी” होते हैं, कुछ  लोग  “ज़िन्दगी” में होते हैं… कुछ  लोगों  से “ज़िन्दगी” होती है, “पर” कुछ  “लोग होते हैं”  तो “जिंदगी” होती है. वो हैं हमारा अपना प्यारा परिवार.. तो इसी बारे में मैं आपको बता रही हूं सात बातें.. अगर हम उन्हें अपनी जिंदगी में उतार लेंगें तो यकीनन खुशियां आएगी… तो क्या हैं वो बातें…सबसे पहली बात..

Bring Happiness in Family – What brings Happiness in Family –

 

1.Enjoy the company परिवार के हर सदस्य की कम्पनी Enjoy करें..  जैसे हम दोस्तों के साथ कम्पनी एंज्वाय करते हैं और बोलते हैं ना कि अरे वो दोस्त.. वो मेरी फैमली जैसा है यानि बहुत close है.. बस ऐसे ही अपने फैमली के साथ उनकी कम्पनी एंज्वाय करेंगें तो खुशियां यकीनन आएगीं.. उसके लिए आप समय दीजिए.. जैसे हम अपना टाईम टेबल बनाते हैं उसमें कुछ समय फन टाईम को दीजिए… कि इस समय सभी ने मिलकर पूरी मस्ती करनी है…

समय साथ बीते इसके लिए अलग अलग तरीके अपना सकते हैं मान लीजिए एक साथ मिल कर खाना खा सकते हैं. नाश्ता नहीं तो लंच लंच नहीं तो शाम की चाय, चाय भी नहीं तो डिनर.. ज्यादातर परिवारों में डिनर एक साथ बैठ कर किया जाता है.. बस तब बातें भी कीजिए और खाना भी एक साथ खाईए.. ये सही मायनो में quality time कहलाएगा.. बस इसमें सबसे ज्यादा जरुरी है कि उस समय मोबाइल, कम्प्यूटर, टीवी सब से दूर सिर्फ और सिर्फ परिवार.. घर में हंसी खुशी और प्यार का वातावरण हो.

2 जादू की झप्पी का खुल कर इस्तेमाल कीजिए –  वो कहते हैं ना कि टच में बहुत power होती है.. पति के सिर दर्द है तो पत्नी सिर सहला दे, बच्चा स्कूल जाने में आनाकानी कर रहा है तो पेरेंटस एक प्यारा सा hug, kiss दें कि क्या बात है.. किसलिए नहीं जाना.. इसमे इतनी ताकत होती है कि बच्चा सारा डर या तकलीफ भूल जाता है.. जितना प्यार को शेयर करेंगें ये उतना ही बढेगा..

3. अपनी बातें, अपनी stories शेयर कीजिए… इससे भी घर का माहौल खुशनुमा बनता है.. आज ऑफिस में क्या क्या हुआ या बच्चे से पूछिए कि आज स्कूल का दिन कैसा रहा.. फिर जैसे एक दिन पहले बच्चे ने कोई बात बताई हो उसका कि अरे भई उसका क्या रहा.. इससे परिवार के प्रति बॉंडिग मजबूत बनती है और जिससे प्यार बढता है.. टीवी चलाने की जरुरत ही नहीं… हम टीवी किसलिए चलाते है जब कोई होता ही नहीं बात करने के लिए और जब पूरा परिवार बात कर रहा है तो ये हुआ ना मनोरंजन..

4. पेरेंटस आपस में अच्छी तरह रहे तो ROLE MODEL बन सकते हैं. मैं आपको एक example बताती हूं कुछ दिन पहले पार्क में दो बच्चे खेलते खलते बात कर रहे थे… एक बच्चा दूसरे बच्चे से बोल रहा था कि मुझे तेरे घर आना बहुत अच्छा लगता है तो उसने पूछा कि क्यों ?? तो वो बोला तो कि तेरे घर में मम्मी पापा कितने आराम से प्यार से बात करते है.. और एक मेरा घर है सारा दिन लडते झगडतें रहते हैं अब बात वही है कि रोल मॉडल बनना चाहिए.. बच्चा घर से ही सीखे बाहर से नहीं.. और न सिर्फ सीखे बल्कि एप्लाई भी करे. इसलिए पेरेंटस को भी चाहिए कि बच्चों के सामने कुछ ऐसा न करें कि उन्हें महसूस हो.. घर का माहौल एकदम शांत रखें.. आपस में कुछ बात हो भी जाए तो अलग से बात करेंगें तो बच्चे भी ऐसे ही संस्कार लेकर बडे होंगें..

5.घर के माहौल को अच्छा बनाने के लिए बच्चों को हमेशा प्यार से रहने की शिक्षा दी जाए तो भी बहुत फर्क पडता है.. भाई बहन आपस में झगडते हो तो उन्हें समझाया जाए कि आप भी लक्की हो कि आपके भाई है या बहन है.. हमेशा भगवान का GRATEFUL होना चाहिए.. और बजाय झगडा करके के एक दूसरे की मदद करनी चाहिए.. ये परिवार की एकता को दर्शाता है.. जैसा हम दूसरे से व्यवहार करेंगें दूसरा भी वैसा ही करेगा.. तो हमेशा मिलजुल कर और प्यार से ही रहना चाहिए..

6. घर का माहौल एक दम तनाव रहित हो… Relaxing environment हो  परिवार के सदस्य स्कूल कॉलिज या ऑफिस जाते हों.. जब शाम को छुट्टी हो तो अगर आने की करें चलो घर ना कि अरे नहीं घर जाना पडेगा वही किच किच वही झिक झिक… तो ऐसा माहौल घर का नहीं.. घर का माहौल एकदम तनाव रहित होना चाहिए जहां पर सब खुश होकर आएं और  रिलेक्स कर सकें… इससे हमारी क्रिएटिविटी भी स्टीम्यूलेट होती है..

हंसना खिलखिलाना बहुत अच्छी दवाई है सेहत के लिए.. इससे तनाव दूर भाग जाता है.. जब मिल कर बैठे तो ऐसी बातचीत हो की घर हंसी की आवाज से गूंज जाए.. मान लीजिए आपने कोई कॉमेडी सीरियल देखा तो उसके बारे में बात कर रहे हैं..

सिर्फ हंसी मजाक ही नहीं.. अगर कोई किसी तरह की प्रोब्लम में भी है तो उसका मिलकर तनाव दूर करेंगें तो वही बात आ जाती है कि एक तरह की बोंडिंग मजबूत होती है…

अपने परिवार के सदस्यों को प्राथमिकता देनी और उन्हें समय समय पर प्रोत्साहित करना उन्हें जताना कि मुझे आपका बहुत ख्याल है.. उनका हर छोटी बडी बात पर ध्यान रखना जैसे जन्मदिन या कोई सालगिरह या फिर कभी कभार को सरप्राईज पार्टी रखना या मिलकर बाहर घूमने जाना

परिवार घड़ी की सुईयों जैसा होना चाहिए!! भले एक फास्ट हो, भले एक स्लो हो, भले एक बड़ा हो, भले एक छोटा हो, पर जब मिल जाते हैं एक हो जाते हैं जैसे घडी की सुईया मिल जाती हैं तो किसी के भी बारह बजा सकते हैं..

7.घर के कामों में मदद भी करवाईए. घर को सजाने सवांरने की भूमिका सिर्फ एक ही व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे परिवार की होती है.. कमरा फैला है तो ये सोच नहीं होनी चाहिए कि मम्मी है न कर देगीं.. खाना खा रहे हैं तो मम्मी लाकर देंगीं.. मदद करवानी चाहिए जब सभी अपना दायित्व समझेंगें तभी बात बनेंगीं और अच्छा भी तभी लगेगा.. छोटे मोटे कामों में मदद करेंगें हम प्यार को और मजबूत करते हैं..

घर को साफ सुथरा रखना चाहिए और उसके लिए और समय समय पर जो फालतू सामान रखा है जो बहुत लम्बे समय से इस्तेमाल ही नहीं हो रहा उसे भी निकालते रहिए.. जरुरतमंद को दे दीजिए.. घर पर खुल कर सांस ले सकें.. इसलिए बहुत जरुरी है.. ऐसा पडा हुआ सामान भी बहुत तनाव बढाता है..  कई बार बहुत ज्यादा हबडा तबडी से भी सब गडबड हो जाता है तो अगर हम समय को मैंनेज करके चलेंगें तो घर में खुशी बरकरार रह सकती है…  

8. घर को समय और जरुरत के हिसाब से Renovate भी करवाते रहना चाहिए

हमारी जो पांच senses पांच इंद्रियां है वो खुश रहें.. क्या क्या होती है पांच इंदियां- आखं, नाक, कान, taste और touch.. यानि जो भी महसूस करें अच्छा लगे.. आखं सब अच्छा देखें..  कई बार होता है कि बहुत समय हो गया पेंट करवाए, सफेदी करवाए, घर गंदा हो रहा है या फिर घर पर करवाया पेंट भी हमारे मन पर असर डालता है जैसाकि कई बार बहुत गहरे रंग के परदे, बेड शीट गहरी हो तो बंद बंद सा लगता है.. घर को समय समय पर Renovate भी करवाते रहना जरुरी होता है.. महक अच्छी हो… बहुत ज्यादा शोर शराबा न हो.. लोग आपस में आराम से बात करते हों.. चीखते चिल्लाते न हों..

 LIGHT IN एक मेरे जानकार हैं जब उनके घर जाती हूं तो जहां उनकी दादी का कमरा है वो सबसे अच्छा लगता है क्योंकि वो हवादार है और उस कमरे का रंग  हलका करवाया  हुआ है.. तो ये चीजे भी हमारे मन पर असर डालती हैं 

घर में एक HAPPY SPACE होना चाहिए. हम सभी के घर में एक कोप भवन तो होता है यानि जब भी गुस्सा हुए वहां चले गए.. चुपचाप बैठ गए पर हमें HAPPY SPACE बनाना है एक ऐसी जगह की मन उदास भी हो तो वहां जाकर खुश हो जाए.. छोटा सा स्पेस बना हो.. अपने मन मुताबिक हम कुछ भी रख सकते हैं वहां पर गमले तो, water fountain हवादार जगह हो, म्यूजिक चल रहा हो..

9. Positive रहें और appreciate करें जो हमारे पास जो है उसमें खुश रहें.. बहुत बार ये भी चाहिए वो भी चाहिए.. ये नहीं है वो नहीं के चक्कर में जो है उसे भी गंवा देते हैं तो जो है उसमें खुश रहिए… expectations reasonable रखिए…  उपर वाले का धन्यवाद दीजिए.. हमेशा पॉजिटिव बाते बोलिए..

Positive environment = Happy environment

रोटी कमाना बड़ी बात नही है परिवार के साथ बैठकर “खाना” बड़ी बात है अपने वो नही होते जो,“तस्वीर”में साथ खड़े होते हैं ! अपने वो होते हैं जो,“तकलीफ” में साथ खड़े होते हैं !!

धन तो हर कोई कमा लेता है लेकिन ख़ुशनसीब वो है जो परिवार कमा लेता है …!

कुछ  लोग  “ज़िन्दगी” होते हैं,

कुछ  लोग  “ज़िन्दगी” में होते हैं।

कुछ  लोगों  से “ज़िन्दगी” होती है,

               “पर”

कुछ  “लोग होते हैं”  तो “जिंदगी” होती है.

 

 

September 15, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Habits that do not Let You Save – आदतें जो बचत नहीं करने देती – Bachat Kaise Kare – Monica Gupta

Habits that do not Let You Save

Habits that do not Let You Save – आदतें जो बचत नहीं करने देती – Bachat Kaise Kare – Monica Gupta – हमारी कुछ आदतें ऐसी होती हैं जो हमें बचत नहीं करने देती.. बेशक, इच्छा तो होती ही है सेविंग की पर कर नहीं पाते.. तो ऐसी क्या आदतें हैं..

Habits that do not Let You Save – आदतें जो बचत नहीं करने देती –

 

1 सबसे पहली तो हमारी आदत में कोई प्लानिंग ही नहीं होती. कितनी इनकम है कितना खर्चा होता है.. कोई भी गोल नहीं लक्ष्य नहीं… प्लानिंग नहीं तो ऐसे में कैसे करेंगें बचत

2.फिर बात आती है कि हम organize ही नहीं रहते.. मान लिया कि हमने गोल बना रखा है पर उसका भी क्या फायदा जब हम organize ही नहीं रहेंगें.. दो दो तीन तीन दिन तक अपना हिसाब किताब नहीं लिखेंगे.. कितना खर्च हुआ.. याद ही नहीं रहेगा फिर शुरु होगा तनाव तो अगर हम खुद को organize रखेंगें तो ये नौबत आएगी ही नहीं…

3. तीसरी आदत है की हम बहुत आलसी है. हमारी आलसी होने की आदत कहीं न कहीं नुकसान दे जाती है.. जैसे मान लीजिए कि मैं हूं मैं मार्किट गई और बहुत सारी एक सप्ताह की सब्जी खरीद लाई. लाकर मैंने फ्रिज में रख दी.. उन सब्जियों में पालक भी है धनिया भी…  अब मैं ध्यान ही नहीं दे रही… जहां पालक का हर पत्ता खिला खिला था अब वो मुरझा सा गया है वही हाल धनिया का भी हुआ है.. चटनी बनानी है कोई न कल बना लेगें तीन चार दिन ध्यान नहीं दिया और वो मुरझाए से हो गए.. मैं बचत करने के हिसाब से सब्जी लाई थी पर हो गया नुकसान…महंगे महंगे पौधे सेल में लाए लाए हैं पर आलस की वजह से पानी ही नहीं दे रहे कि कल से दे देंगें… तो वो भी मुरझा गए.. पांच किलो चीनी लाए और उसे सही जगह पर नहीं रखा तो हुआ क्या कि खूब सारी चींटिया लग गई.. साफ करने में समय लगेगा वो अलग.. बहुत सारे उदाहरण हैं ऐसे..

4. हम शॉपिंग लिस्ट बनातें हैं पर उसपर स्टिक नहीं रहते.. मार्किट जाने से पहले लिस्ट बना ली कि क्या क्या जरुरत का सामान है पर temptation हो ही जाती है और हम बहुत सामान ऐसा भी खरीद लेते हैं जिसकी न जरुरत थी और न ही हमारी लिस्ट में था..

5 . लोन लेना बहुत अच्छा लगता है कि चलो एक दम से पैसा नहीं जाएगा.. हर महीने कुछ कुछ ही कटेगा.. पर ये भी कहीं न कही हमारी जेब ढीली ही करता है..

6.  Cable  चैनल  हम टीवी पर बहुत सारे चैनल देखते हैं बहुत सारे ऐसे होते हैं जो हमनें  सब्स्क्राई कर तो रखे होते हैं पर देखते नहीं.. हर महीने उनका खर्चा बेवजह जाता है तो इस आदत को भी अगर सुधार लें तो बचत कर सकते हैं

7. फिर बात आती है हमारे खाने की. बहुत शौक होता है खाने पीने का हर दूसरे तीसरे दिन बाहर जाते हैं खाना खाने या फिर बाहर से मंगवा लेते हैं.. दोनो ही हमारा खर्च  बढाते हैं… कैसे की बाहर का खाना या पीना पहली बात तो बहुत मंहगा होता है फिर दूसरा ये  की हमारी सेहत भी खराब होने के चांस रहते हैं.. कभी कभी में तो कोई बात नहीं पर अगर हर दूसरे दिन आदत ही होगी तो…

  1.   फिर बात आती है नशा करना .. किसी चीज की आदत जिसके बिना नहीं रह सकते और जो सेहत के लिए अच्छी नहीं है… चाहे सिग्रेट, शराब या जुआ खेलना.. नशा कोई भी हो अगर ये आदत है तो यकीनन नाश की ओर ही ले जाएगी.. पैसे पर ये आदत कुंडली मार कर बैठ जाती है..
  2.   बिजली , पानी वेस्ट करने की आदत.. ये आदत बहुत कॉमन है कि हम कमरे में बाहर जाने से पहले बिजली पंखा बंद नहीं करते.. और इस आदत से बिल ज्यादा आता है. मान लीजिए कूलर है या एसी लगा हुआ है तो कमरे के बाहर गए तो बंद कर दिया.. टीवी है जब नहीं देख रहे तो बंद कर दिया और ये आदत बच्चों में भी डालनी बहुत जरुरी है..

ये आदतें अगर हम सुधार लें तो हमारी लाईफ स्टाईल में बहुत सुधार हो जाएगा…

वैसे वो कहते भी है ना कि अपना माईंस पोईट जान लेना जिंदगी का सबसे बड़ा प्लस पोईट है.. वैसे वक्त की भी एक आदत होती है जैसा भी हो गुजर जाता है…

 

September 14, 2018 By Monica Gupta 1 Comment

What to Do when You are Angry – गुस्सा आए तो क्या करें – How to Control Your Anger – Monica Gupta

What to Do when You are Angry

What to Do when You are Angry – गुस्सा आए तो क्या करें – How to Control Your Anger – Monica Gupta –  क्या करें जब गुस्सा आए.. न तेरी शान कम होती न रुतबा घटा होता जो गुस्से में कहा तूने वो हंस कर कहा होता… बहुत बार ऐसा होता है कि किसी न किसी बात पर गुस्सा आ जाता है.. कभी घर पर कोई बात हो जाती है तो कभी बाहर कुछ ऐसी बात हो जाती है कि पारा सांतवे आसमान पर चढ जाता है.. फिर ऐसे में क्या करना चाहिए.. मैं आपको बता रही हूं 7 बातें कि जब गुस्सा आएं तो क्या करें और ये पूरी तरह से आजमाई हुई बातें हैं..

What to Do when You are Angry – गुस्सा आए तो क्या करें – How to Control Your Anger –

 

 

1. सबसे पहले तो चुप हो जाईए.. एक चुप सौ सुख… चुप रहना इसलिए जरुरी है कि हम बहुत बार गुस्से में बहुत कुछ गलत सलत बोल देते है.. तो जब बहुत गुस्सा आ रहा हो तो चुप हो जाईए.. जब पानी उबल रहा हो तो हम अपनी परछाई प्रतिबिम्ब उसमे नहीं देख सकते.. जब शांत हो तब आराम से देखा जा सकता है.. बस.. हमें शांत ही बने रहना है.

फिर बात आती है कि दूसरा क्या कह रहा है उसकी बात सुनें बहुत बार ऐसा होता है कि हम बोले चले जाते हैं सामने वाले की बात नहीं सुनते और इसी वजह से Misunderstanding हो जाती है.. इसलिए बहुत जरुरी है कि चुप रहिए और सामने को सुनिए.. इसे अपना कर हम बहुत बार conflict avoid  कर सकते हैं

तीसरी बात आती है कि उस जगह से चले जाईए.. मान लीजिए पति पत्नी में झगडा हो रहा है तो एक जना बोले जा रहा है तो दूसरे को चुप हो जाना चाहिए और उस कमरे से चले जाना चाहिए.. उस जगह से चले जाना चाहिए.. वहां खडे मत रहिए..

4. बात आती है कि खुद को रिलेक्स करना है.. कुछ भी ऐसा करना है जिससे हमारा गुस्सा कम हो जैसा कि पानी पीना है या हाथ मुंह धोना है या अपनी पसंद का कोई टीवी सीरियल देखना है अगर घर में कुछ प्लांटस लगे हैं तो उन्हें देख सकते हैं या सैर या मैडीटेशन कर सकते हैं यानि कैसे भी करके रिलेक्स करना है.. वैसे गुस्सा कैसे रिलीज करना है इस बारे में भी वीडियो बनाई हुई है उसका लिंक नीचे दे रही हूं.

5. बात ये आती है कि रिलेक्स होने के बाद जब लगे कि दिमाग शांत है तो सोचिए कि क्या हुआ ये गुस्सा किसलिए आया.. किसने क्या कहा या मैंनें क्या बोला.. शांत मन से और पॉजिटिव रहते हुए ये सोचना है.. अगर मैं बोल देता रिएक्ट कर देता तो क्या हो जाता..  सारे प्लस माईंस पोईंट शांत मन से सोचने हैं….पर ये सब पॉजिटिव रहते हुए ही सोचना है

6. उसके solutions खोजने हैं कि दुबारा ये बात न हो.. कई बार ऐसा होता है कि हम कोई बात पकड कर ही बैठ जाते हैं तो उसका भी कोई फायदा नहीं… हम गुस्सा रखेंगें.. मन में नफरत रखेंगें तो नुकसान हमारा ही होगा..

गुस्सा एक ऐसा श्राप है जो हम खुद को देते हैं..

तो इस बात पर ध्यान देने की किसने आपको गुस्सा दिलाया.. इसको कैसे ठीक करुं.. अगर किसी की गलती हुई है तो उसे माफ कर दीजिए खुद की है तो माफी मांग लीजिए..

मैंने पढा भी था कि अगर हम सही हैं तो हमें गुस्सा होने की जरुरत नहीं और अगर गलत हैं तो गुस्सा होने का कोई हक ही नहीं..

7. फिर आखिरी बात आती है कि अपने गुस्से को Utilize कीजिए.. उसे चैलेंज की तरह लीजिए.. मान लीजिए कोई हमें बोल देता है कि तुम कार चलाना सीख ही नहीं सकते तो इसे चैलेंज के तौर पर लीजिए बजाय खुद को कमरे में बंद करने के कि हां मुझसे नहीं हो पाएगा.. मैं किसी काम का ही नहीं.. उसे गुस्सा बनाईए और उसे कर दिखाई… कई लोग जब गुस्सा आता है लिखने लग जाते हैं कई बार लिख कर ही गुस्सा निकल जाता है.. एक उदाहरण तो मेरे साथ ही हुआ. एक लेडी को अपने पति के प्रति बहुत गुस्सा था… मैंने उन्हें बोला कि और बताईए.. और बताईए.. वो लिखती गई और लगातार तीन चार लिखने के बाद उन्होनें लिखा कि मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है बहुत समय से बात दिल में थी अब मैं रिलेक्स हूं..  और इतना ही नहीं कई बार हम जब गुस्से में लिखते है कोई लेख या कविता तो अपनी भावनाएं बहुत अच्छी तरह व्यक्त कर देते हैं जोकि आमतौर पर नहीं कर पाते.. तो अपनी एनर्जी को वेस्ट मत जाने दीजिए..

तो ये थी 7 बाते.. ये बातें अगर हम अपना लें बहुत हद तक गुस्से से बच सकते हैं वैसे बहुत जल्द इस बारे में भी वीडियो बनाऊंगी कि क्या करें कि गुस्सा आए ही न हम शांत रहे.. 

 इच्छा पूरी न हो तो क्रोध बढता है इच्छा पूरी हो तो लोभ बढता है इसलिए हर स्थिति में धैर्य बनाए रखिए

और वैसे भी… गुस्सा आने पर हमारी असली ताकत क्या है हमारी असली ताकत चिल्लाना नहीं बल्कि असली ताकत चुप रहना है..

 

What to Do when You are Angry

 

September 9, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Help Your Child Manage Stress – बच्चों में तनाव कैसे दूर करें – Monica Gupta

How to Help Your Child Manage Stress

How to Help Your Child Manage Stress – बच्चों में तनाव कैसे दूर करें – Monica Gupta – 9 tips to reduce your child’s stress… helping anxious kids & how to manage children’s emotions… what do when child is having a panic attack….बच्चों के स्ट्रेस को कैसे दूर करें पेरेंटस… बच्चों का mood or behavior  बता देता कि बच्चा स्ट्रेस में है जैसा कि कहना नही मानेगा, जिद करेगा, रोएगा, और बात बात पर चिडचिड करेगा या पेट दर्द सिर दर्द जैसे बहाने बनाएगा.. ये कहीं न कही stress के ही सिम्टम है..  अब पेरेंटस का फर्ज है कि बच्चे का तनाव दूर करें.. किस तरह से stress दूर कर सकते हैं.??

How to Help Your Child Manage Stress – बच्चों में तनाव कैसे दूर करें –

मैं आपको बताती हू 9 बातें.. क्योकि stress मे रहेगा तो कुछ नही कर पाएगा.. इसलिए बहुत जरुरी है उसे दूर करना..

उसके लिए सबसे पहली बात तो ये पेरेंटस अपना stress कम करे..

जो उनकी लाईफ में तनाव है उसे बच्चे पर संक्रामक की तरह है stress.. अगर पेरेंटस को किसी बात का तनाव होता है तो बच्चे में भी stress आ जाता है क्योकि घर का माहौल ही वैसा हो जाता है.. इसलिए पेरेंटस अपना stress कम करें या बच्चों के सामने न दिखाएं या ऐसी बात करें नार्मल बनें रहें..

दूसरी बात है कि बच्चों का schedule बिल्कुल सिम्पल बनाएं.. सुबह स्कूल फिर हॉबी क्लास, फिर ट्यूशन फिर होम वर्क.. इतनी ज्यादा बिजी लाईफ हो जाती है तो.. उनका schedule ऐसा बनाए जिसमे… खेलने का टाईम हो, भागने दौडने का टाईम हो, अच्छी नींद लेना भी बहुत जरुरी हैकई बार नहा कर भी बहुत रिलेक्स महसूस होता है तो ये चीजे तो जरुर करनी चाहिए..

तीसरी बात है कि बच्चे को पॉजिटिव रहना सीखाना है बच्चे से बहुत ज्यादा उम्मीद नही लगा लेनी कि ये हर चीज में अव्वल आए. अक्सर ज्यादा स्ट्रेस होता इसी बात का है.. जैसे मान लीजिए क्लास टेस्ट था बच्चे के मार्क्स कम आए और उसे इस बात का स्ट्रेस हो गया कि मम्मी साईन नही करेगी.. डांट पडेगी तो बच्चे को बताईए कि कोई बात नही… नम्बर कम किसलिए आए उस को इम्प्रूव करना और साईन भी कर दिए.  4गलती करने पर डांटे नही.. बल्कि समझाएं.. कोई खिलौना टूट गया या स्कूल में बच्चा कुछ गुम कर आया तो पेरेंटस क्या करते हैं अक्सर चिल्लाएगें, गुस्सा करेंगें, और पिटाई भी कर देते हैं तो ये नही करना बल्कि समझाना है कि हम गलती से ही सीखते हैं पर ये गलती अब दुबारा नही करनी…

बच्चे की जान लोगे क्या

5. स्ट्रेस कम करने के लिए अच्छी अच्छी कहानी सुनाना, और कहानी के माध्यम से कल्पना करवाना.. जैसे कि रात को मम्मी बच्चे को कोई न कोई कहानी सुनाती है और बच्चे को बोलती है कि आप इमेजिन करो कि आप कि एक समुद्र है वहां मच्छली है.. या पहाड है वहां खूब सारे पेड हैं हवा चल रही है.. ऐसी कहानियां दिमाग को रिलेक्स करती हैं.. या फिर मजेदार क्विज खेलना, ब्रेन गेम खेलना, इससे भी बच्चे बहुत जल्दी रिलेक्स होते हैं..

6. एक बात का और भी ध्यान रखना है कि अगर टीवी बहुत देखता है या मोबाइल बहुत करता है तो थोडा सा कम.. एक दम से नही धीरे धीरे देखने का समय कम करते जाईए उसके बजाय कुछ और क्रिएटिव काम करने को बोलिए.. जो उसकी पसंद का काम..

7. इसी बीच में बातो बातो में बच्चे से स्ट्रेस की वजह भी जानने का प्रयास कीजिए.. और ये तभी सम्भव हो पाएगा जब पेरेंटस बच्चे को समय देंगें.. बहुत सारी बातें बच्चे के मन में होती हैं जोकि वो आया या ड्राईवर से नही बल्कि पेरेंटस से शेयर करना चाहता है पर जव वो टाईम नही देते तो वो स्ट्रेस में चला जाता है तो समय देना बहुत जरुरी है..

8. बच्चे का ध्यान डाईवर्ट करना – बच्चे का ध्यान हटाने के लिए उसकी अटेंशन डाईवर्ट करना –

वो बातें करना जिससे उसके चेहरे पर स्माईल आ जाए..

उसके लिए कोई सरप्राईज खाना बनाना या दोस्तों को बुलाना, घूमने जाना,

उसे पौधा लगा कर उसकी देखभाल के लिए बोलना या पक्षी के लिए दाना पानी रखना,

किसी की मदद करना चाहे स्कूल का दोस्त हो या आस पास रहने वाला कोई गरीब बच्चा. चाहे उसे अपनी पुरानी किताब कॉपी देना, या कपडे या खिलौने देना.

9.  उसे हम करना.. सारा स्ट्रेस उसका वैसे ही भाग जाएगा.. रो रहा है कहना नही मान रहा है तो हग दे दीजिए…

मस्जिद है बहुत दूर तो चलो यूँ कर लें किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए

How to Help Your Child Manage Stress

September 7, 2018 By Monica Gupta 3 Comments

Dealing with Difficult Family Members – How to Deal with Difficult Family Members –

Dealing with Difficult Family Members – How to Deal with Difficult Family Members – रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए एक छोटा सा उसूल बनाते हैं, रोज कुछ अच्छा याद रखते हैं और कुछ बुरा भूल जाते हैं… मैंनें अपनी पिछली वीडियो में बताया था कि कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनसे दूरी बनाना ही सही है.. जिसमे अलग अलग 9 तरह के लोगो के बारे में बताया था… उस वीडियो पर बहुत सारे कमेंटस और मैसेज आए कि ऐसे लोग अगर हमारे घर परिवार में हो तो क्या करें… उनसे कैसे दूरी बनाए.. वो नेगेटिव भी हैं jealous करते हैं, बात बात पर criticize करते हैं.. आलसी होते है… गप्प भी मारते हैं.. !! तो यही सोच लिए मैं किचन में चली गई और सोचने लगी कि जो ऐसे हों उनके साथ कैसे डील करें ?? क्या क्या बातें अपनाई जानी चाहिए..

Dealing with Difficult Family Members – How to Deal with Difficult Family Members

किचन में धीमी आंच में सब्जी बन रही थी और बहुत अच्छी महक आ रही थी… मैंने क्या किया कि आंच तेज कर दी गैस की कि सब्जी जल्दी बन जाएगी तो मैं काम करने बैठ जाऊंगी.. तो क्या हुआ.. कुछ ही देर में मुझे जले जले की महक आने लगी.. और मैने ये भी महसूस किया कि सब्जी कच्ची भी है.. जब धीमी आंच थी तो क्या हुआ अच्छी तरह से सिक भी रही थी और बन भी रही थी पर तेक आंच करने पर जल भी गई और बनी भी नही तो मुझे पहले पोईंट का ख्याल आया कि रिश्तों की आंच भी तेज नही होनी चाहिए.. तेज आंच में रिश्ते अक्सर खराब हो जाते हैं यानि पेशेंस होनी चाहिए.. तो सबसे पहले तो यही बात की सब्र संयम होना चाहिए…

बहुत लोग कहते हैं कि हम में संयम नही है… तो मैं उन लोगो एक उदाहरण देना चाहूगी.. मान लीजिए आपका व्रत है… आपने सारा दिन कुछ नही खाना और पानी भी नही पीना.. घर पर कोई नही है फिर भी आप पानी नही पीती कुछ नही खाती ये ही संयम हैं… कि बस नही खाना… संयम एक ऐसा युद्द है जो अपने ही विरुद्द होता है.. और हम जीत कर ही बाहर निकलते हैं… तो अगर आप ये सोच रखते हैं कि संयम नही है तो संयम तो है… जरुरत है बस थोडा मैच्योर थोडा समझदार बनने की… !!

फिर दूसरी बात आती है हमारी सोच – कि आप क्या सोच रखते हैं  कि रिश्तें कैसे बनें रहें?? मधुर या खराब?? यकीनन हमारा जवाब होगा मधुर.. हम सभी चाहते हैं . पर जरा दिल पर हाथ रख कर बताईए कि कि क्या मन में जरा भी नेगेटिविटी नही है… नही है तो बहुत अच्छी बात है पर अगर है तो.. पॉजिटिव सोच रखिए… अगर हमारी सोच सकारात्मक होगी तो हम रिश्ते बेहतर बना सकते हैं..

फिर तीसरी बात आती है calm polite रहना है.. आप ये ही सोच रहे होंगें कि हम तो अच्छा ही बनाना चाहते हैं पर सामने वाला ही सही नही होता.. तो क्या सामने वाला सही नही हम अपने संस्कार भूल जाएगें.. नही ना.. हमें गिरना नही है. हमें अपनी decency शिष्टता नही खोनी..  flexible रहना है..

नर्म रहना है और हमारी जुबान से अच्छा और उदाहरण कहां मिल सकता है ?? 32 दांतों के बीच में सम्भल कर रहती है 32 दांत कठोर होते हैं वो टूट जाते हैं पर जुबान अंत तक बनी रहती है…  तो नम्र रहना चाहिए और शांत रहना है

हमें अपनी बाऊंडरी सेट करनी है.. हमारी रेखा क्या है यानि हमें चाहे कुछ हो जाए संयम का साथ नही छोडना.. मिस बिहेव, अपशब्द हमें नही बोलने…

4. अब बात आती है कि जब सामने वाला कुछ कहें तो किस तरह से रिएक्ट करें…

पहली बात तो ये कि क्या वो हमेशा ऐसे ही हैं या कभी कभी कुछ गलत बोलते हैं..कभी कभी बोलते हैं तो वजह जानने की कोशिश कीजिए कि ऐसी क्या बात है जो उन्हें बार बार डिस्टर्ब करती है और वो उस तरह से रिएक्ट करते हैं…

आप उनसे पूछ सकते हैं help offer कर सकते हैं आप परिवार की बात करते हैं तो परिवार के दुख सुख सब एक ही होते हैं

फिर बात आती है कि नही उनकी nature ही ऐसी है वो हमेशा ऐसे ही रहते हैं हैं.. तो उनके साथ अलग तरह से रिएक्ट करना चाहिए..

जैसे.. मान लीजिए किसी ने कुछ कह दिया और आपको वो पसंद नही आया तो या उस समय बात का विषय बदल देना चाहिए.. या चुपचाप बिना कुछ बोले उस जगह से चले जाईए… बोल कर या मुंह बना कर नही जाना.. interaction limit में रखनी है…

आपने खुद को समझाना है कि मैं स्ट्रांग हूं और मैं कुछ गलत या नेगेटिव नही बोलूंगी क्योकि मुझे ऐसे संस्कार नही मिले हैं.. फिर घर में बच्चे भी है उन पर भी बुरा असर पड सकता है..

खुद को नार्मल करने के लिए पानी पी लिजिए या अपनी पसंद का टीवी सीरियल लगा लीजिए.. जो बात आपको रिलेक्स करती है वो करनी है.. ताकि ध्यान उस तरफ से हट जाए..

फिर भी वो अगर बात करनी ही पडे या जवाब देना ही पडे तो बिना अग्रेसिव हुए दीजिए.. अपनी तरफ से कोई question  नही पूछना.. या करना.. अपना काम करते रहिए eye contact नही बनाईए इससे दूसरा समझ जाएगा कि अभी बात नही करना चाहती..

अगर वही बात बार बार हो रही है तो मान लीजिए कोई एक महिला के परिवार के बारे में कमेंट करता है.. मजाक बनाता है फिर अपनी बात साफ साफ कह दीजिए… नार्मल लहजे में कि आज आपने ऐसा कहा मुझे अच्छा नही लगा.. ताकि वो बात दुबारा करे ही ना..

अगर घर में कोई ऐसा भी हो जिससे आप सारी बात कह सके.. तो बहुत ही अच्छा है  पर वो विश्वास के होने चाहिए ताकि कभी कभार वो बीच बचाव कर सकें.. जैसे मान लीजिए घर पर सास बहू और पति हैं.. सास बहु की नही बनती तो पति बीच बचाव कर सकते है और पति पत्नी का झगडा हो जाए तो सास बचाक करे या ससुर.. कोई न कोई ऐसा हो तो बहुत अच्छा है..

कुल मिलाकर रहना तो हमने परिवार के साथ ही है एक ही छ्त के नीचे रहना है तो कोशिश मन मुटाव खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए… एक अच्छा उदाहरण पेश करना चाहिए..

और magic words का इस्तेमाल करते रहना चाहिए जैसा कि गलती हो गई तो मान लीजिए.. किसी दूसरे से हो गई तो चलो कोई बात नही.. आगे से मत करना.. किसी ने मदद की तो थैक्स

कुछ अच्छा काम किया तो उन्हें appreciate कीजिए आज तो बहुत अच्छा काम किया… मैं आपकी केयर करती हूं.. मुझे आपकी चिंता है..

और अगर बात नही बन रही तो अपनी तरफ से नेगेटिव या कडवे बातें नही करनी चाहैए..

रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए एक छोटा सा उसूल बनाते हैं,
रोज कुछ अच्छा याद रखते हैं और कुछ बुरा भूल जाते हैं…

बदला लेकर नहीं खुद को बदल कर देखिये!

न तेरी शान कम होती न रुतबा घटा होता

जो गुस्से में कहा तूने वो हंस कर कहा होता..

Dealing with Difficult Family Members – How to Deal with Difficult Family Members

September 5, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Avoid These People – ऐसे लोगों से दूर रहें – People You should Avoid –

Avoid These People

Avoid These People – ऐसे लोगों से दूर रहें – People You should Avoid – दूर रहिए इन लोगों से – Remove Toxic People from Your Life – Personal Development Videos in Hindi – Monica Gupta Videos – How to Make Life Better in Hindi Avoid these 9 Kinds of People – कैसे लोगों से रहें दूर –

Avoid These People – ऐसे लोगों से दूर रहें –

Avoid These People – ऐसे लोगों से दूर रहें – People You should Avoid

कल मैं अपनी एक सहेली के घर गई हुए थी. तभी एक दम से तीन चार बार लगातार doorbell बजने लगी.. मेरी सहेली बोली जरुर पडोसन आई है. उसकी यही आदत है… और दरवाजा खोल दिया.. वो आई और बोली क्या weighing scale फ्री हो गया ?? इससे पहले मेरी सहेली कुछ बोलती उसने देखा अरे वो रही और उठाकर बाय बोल कर चली गई… मैंने पूछा कि अरे तुम्हारी weighing scale कहां गई? वो बोली ये मेरी ही है पर वो हर चीज पर अपना अधिकार जमा लेती है पडोसन होने के नाते मना भी नही कर सकती.. कितनी बार मिक्सी मांग कर ले जाती है और कितनी बार तो वाई फाई का पासवर्ड पूछ् कर यही video down load करती है मना भी नही किया जाता..

मुझे वाकई बहुत हैरानी हुई ऐसा तो नही करना चाहिए चलो एक बार दो बार जब बहुत जरुरत हो तो मांग लिया पर हमेशा ही ऐसे करना तो ऐसे लोगो से तो दूरी बना कर रखनी चाहिए… वैसे इसी तरह के कुछ और भी  लोग होते हैं जिनसे हमें दूरी बना कर रखनी चाहिए… जो लोग हमें बहुत तनाव देते हैं..

तो मैं जो हमारे daily life में कुछ लोग तो अक्सर मिल जाते  हैं वो है पहला तो ये ही जो हमेशा कुछ न कुछ मांगते रहते हैं… आदत ही होती है और लौटाते भी नही जल्दी से..

2. दूसरे लोग जो बात बात पर मखन्न लगाते हैं यानि बहुत बटरिंग करते हैं.. इस तरह का मख्न्न लगाना सेहत के लिए नुकसान दायक हो सकता है.. वही बात आ जाती है कि कभी कभार तो ठीक है पर हमेशा ही बटरिंग करने वाले से दूर रहना चाहिए… वो हमारी  FLATTERY करते हैं दिल से रिस्पेक्ट नही करते.. एक तो होती है genuine praise एक होती है FLATTERY बस इससे बचना चाहिए

3.  जो बहुत आलसी होते हैं.. उन्हें किसी काम को कहो नही करते और हम अगर किसी काम को कर रहे हो तो हमें भी मना कर देते हैं चल छोड न कल कर लेंगें.. और वो कल कभी नही आता… या फिर वो हमसे कोई अपना काम करवा लेगें प्लीज प्लीज करके खुद नही करेंगे उनके जीवन में कोई उत्साह नही होता.. न ही मोटिवेटिड रहते हैं.. अगर हम उनके साथ रहे तो वो आदत हम मे भी आ जाती है..

4.  I-Me-Myself  सोच रखने वाले..  selfish  लोग जिनकी दुनिया मैं से शुरु होकर मैं पर ही खत्म होती है… मैं ये मैं वो.. न दूसरो की सुनते हैं न बोलने का मौका देते हैं… हम की सोच नही होती .. मी की होती है वी की नही होती – बहुत स्वार्थी होते हैं बस अपना ही सोचते हैं.

5.  उन लोगो से भी दूर रहना चाहिए जो बहुत गप्प मारते हैं.. यानि Gossipers होते हैं.. आपने सुना होगा कि “जो Great mind होते हैं वो ideas discuss करते हैं average लोग event discuss करते हैं और जो  छोटे  दिमाग के होते हैं वो लोगो को discuss करते हैं बस ये लोग वही करते हैं.. और इघर की उधर की इधर… यही काम होता है.. कभी कभार तो अच्छा लगता है पर अगर किसी की आदत ही हो तो.. उससे दूरी बना कर रखनी बहुत जरुरी है.. क्योकि हमारा समय भी वेस्ट होता है और दिमाग भी फालतू बातों से खराब होता है.. जो किसी की बुराई हमारे सामने कर रहा है वो कल को किसी के सामने हमारी बुराई भी कर सकता है यानि sincere नही होते…

6.  Hypocrites यानि  कपटी लोगो से- ये लोग हमारे सामने तो बहुत स्वीट बनते हैं पर पीठ पीछे बदल जाते हैं.. कपटी लोग हमेशा ही सिर्फ उनकी ही इज़्ज़त करते है जो किसी अच्छी पोस्ट पर होते है। जिन लोगो के पास कुछ ताकत होती है  कपटी इंसान अपना मतलब पूरा करने के लिए एक क्षण भी सोचते नही..  अपने फायदे के लिए कभी भी धोखा दे सकते हैं..

मुझे एक छोटा सा incident याद आया.. बात बहुत साल पुरानी है.. एक जानकार ने बताया था फिर इस पर मैंने कहानी भी लिखी थी. दो दोस्त थे.. दोनो की लडकियां  शादी लायक थी. एक दिन जब दोनो दोस्त मिले तो एक ने फोटो दिखाई कि बहुत अच्छा रिश्ता आया है…  और लडके की सारी प्रोफाईल दिखाई… उन्होने देखा कुछ सोचा और बोले की लडका तो सही नही है.. बाकि तुम्हारी मर्जी… ये सुनकर दूसरे दोस्त ने तुरंत मना कर दिया.. कुछ समय बात उन्हें पता चला कि उसी दोस्त की बेटी की शादी पक्की हो गई.. जब वो घर पता लगाने गए तो उसी लडके से हुई थी जिसके लिए उन्होने मना किया था…

7. ईष्यालु jealous करने वाले… कभी भी दूसरे की खुशी अच्छी नही लगती.. जलते हैं..
ईष्यालु आदमी छल-कपट से परिपूर्ण होता है। वो सामने वाले को नीचा दिखाने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकता है। जलन और द्वेष की भावना रखना वाला इंसान अपने स्वार्थ के लिए सही-गलत कुछ भी नहीं देखता है।

वैसे झूठ बोलने वाले और बात बात पर Criticize करने वाले और Manipulators भी इसी केटेगिरी में आते हैं

वैसे आप बताईए कि आप के हिसाब से किन लोगो से दूरी बना कर रखनी चाहिए..

बहुत दूर तक जाना पडता है ये जानने के लिए कि नजदीक कौन है !!

Avoid These People – ऐसे लोगों से दूर रहें – People You should Avoid

September 3, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Parents Fighting in front of Children – झगड़ों का बच्चों पर असर – Parents Fighting – Monica Gupta

Parents Fighting - Negative Effects of Parents Fighting

Parents Fighting in front of Children – झगड़ों का बच्चों पर असर – Parents Fighting – बहुत लड़ाई झगड़ा करते हैं बहुत ही लड़ाई झगड़ा करते हैं.. है ना.. आप भी सोच रहे होंगें कि हां बच्चे बहुत ज्यादा लड़ाई झगड़ा करते हैं पर एक मिनट मैं बच्चों की बात नही कर रही.. मैं कर रही हूं पेरेंट्स  की…. बात की आपस में बहुत  ज्यादा  झगड़ा करते हैं.. कभी शराब पी कर आए, कभी किससे बात कर रही थी, किससे मिलने गई थी बिना बताए, कभी तुम्हारे पेरेंटस ऐसे सास ने ये कहा ननद ने ये कहा.. कभी दोस्तों के साथ कहां थे इतनी देर? अनगिनत मुददे है..

Parents Fighting in front of Children – झगड़ों का बच्चों पर असर – Parents Fighting –

बात बात पर लड़ाई, झगड़ा, टोका टाकी, कमी निकालना..  आपके पास पर क्या कभी सोचा है कि इन सब बातों का आपके बच्चे पर क्या असर पड सकता है.. कई मदर्स सोच रही होंगी कि हम झगडा नही करते चलिए मान लिया पर उस गुस्से की frustration तो बच्चों पर निकलते हैं..  चलिए मैं आज 7 बातें बताती हूं ये सात बातें कही से पढी नही बल्कि देखी हुई हैं..

पहली है Parent child relationship –

हम जो हमेशा बात करते है कि बच्चे से अच्छे सम्बंध बना कर रखें ताकि वो आपसे सारी बातें शेयर करे.. यहा उल्टा हो जाता है.. वो कंसेप्ट ही खत्म हो जाता है… शेयर करना तो दूर की बात वो अपने पेरेंट्स को ही एवाईड करने लगता है.. उनका अपने माता पिता के प्रति प्यार खत्म हो जाता है.. प्यार ही नही करते.. आज सोच सकते है कि इसका मतलब क्या है.. ?

दूसरा Health Issues

उसकी सेहत खराब होने लगती है.. कैसे ? हर समय पेरेंट्स  को झगडते हुए देखेंगें तो भूख प्यास सब खत्म हो जाती है.. और उसकी मन में बैठ जाता है स्ट्रेस, तनाव… हर समय सोचते रहते हैं… रात को सो रहे होंगें तब उंची उंची आवाजे आनी शुरु हो जाएगी.. स्कूल में भी प्रोग्राम होगा तो उन्हें यही डर लगने लगेगा कि अगर आकर यहां भी झगडने लगे तो क्या होगा.. और अगर नही आएगें तो भी तनाव.. क्योकि दूसरे सभी बच्चों के पेरेंटस तो आए हैं.. पूरी तरह से कंफ्यूज हो जाते हैं न बात कर सकते न अपनी frustration कही और निकाल सकते.. तो मैंटली और फिजिकली सेहत खराब होने लगती है.. और ये एक दो दिन का नही होता long term यानि लम्बे समय तक असर डालता है..

तीसरा बच्चे की Personality पर असर पडता है

उसका बर्ताव दूसरे बच्चों से हट कर हो जाता है.. हसंते मुस्कुराते  बात कर ही नही पाएगा… न ही किसी से खुल कर बात कर पाएगा.. मन में हमेश एक डर एक घबराहट सी रह्ती है.. कोफिडेंस ही नही आ पाएगा.. जब हमेशा लडते झगडते पेरेंट्स को देखेगा तो या तो डरा डरा सहमा सहमा रहेगा चुप रहेगा या फिर बहुत उल्टा जवाब देने वाला बन जाएगा… या तो सामने किसी से बात नही कर पाएगा या फिर चिल्ला कर बात करने लगेगा.. यानि अग्रेसिव हो जाएगा.. यानि आक्रमक सामने वाला कोई बात कर रहा है तो उसे उल्टा जवाब देने लगेगा.. क्योकि ये सब घर पर देखता है तो वो इस तरह का अग्रेसिव बच्चा बन जाएगा. या कही जाएगा तो चुप चुप रहेगा बात करने में भी झिझकेगा…

4. वो खुद को insecure महसूस करने लगेगा

घर का पेरेंटस का एक ऐसा माहौल होता है जहां प्यार होता है केयर होती है लेकिन पेरेंटस उसे क्या ये सब दे रहे हैं.. अपने झगडे में उलझ कर क्या आप सोच सकते हैं कि वो secure फील करेगा.. और उसमे ये फीलिंग एक दो दिन के लिए नही हमेशा के लिए घर कर जाती है..

5.  बच्चे पर studies पर concentrate नही कर पाते..

पेरेंट्स अक्सर शिकायत करते है कि बच्चा पढता नही.ध्यान ही नही है पढाई की तरफ.. पर ये भूल जाते हैं कही न कही इसका कारण वो खुद बन रहे हैं… बात बात पर एक दूसरे से झगडते रहेंगे तो बच्चा कैसे अपना ध्यान पढाई में लगा पाएगा.. ना पेरेंट्स पढाई पर ध्यान दे पा रहे है.. क्योकि उन्हें झग़डे से ही फुर्सत नही.. कोई अपनी इगो छोडने को तैयार नही.. बच्चे का कोई सोच ही नही रहा… हर समय घर में तनाव का माहुल बना रहता है.. आफिस से देर से क्यो आए? किस दोस्त के साथ थे.? आपस में लडाई करएग़ें तो अक्सर गुस्सा बच्चे पर निकाल देते हैं.. तो बच्चे का ध्यान भी उन्ही बातो में रहता है कि आज न जानेे क्या होगा किस बात पर झगडा होगा.. या झगडा हो गया अब मम्मी पापा क्या करेंगें..

6. बच्चे को शर्म और guilt का अहसास होता है

इसे एक तरह की शर्म का अहसास होता है जैसा कि मान लीजिए उसके दोस्त घर आए हुए हैं और वही किसी बात पर पेरेंटस का झगडा हो गया.. तो उसे बहुत झेंंप लगती है या फिर वो कही बाहर धूमने गए है पर मुंह बना कर रखा है ना एक दूसरे से बात कर रहे हैं न एंज्वाय कर रहे हैं तो भी बाहर जाने का भी क्या फायदा.. बात बात पर जब उन्हें ये सुनने को मिलता है तुम्हारी बजह से मैं जिंदा हू या घर छोड कर नही जा रही वरना मर जाती या तलाक ले लेती तो बच्चे में guilt की भावना आ जाती है और वो बहुत लाचार  सा महसूस करता है

7. बुरी आदतों में पड जाता है..

और ये बात बहुत पीडा दायक है.. एक अच्छा खासा बच्चा था और पेरेंटस ने अपने झगडे की वजह से बच्चे को जिंदगी खराब कर दी.. झगडे के चक्कर में बच्चा पेरेंट्स से बात करना नही चाहता न उनके पास बैठना चाहता है ना बात करना चाहता है..

ऐसे में कोई गलत कदम उठा लेता है .. अपने तनाव को कम करना है. समझ है नही कि क्या करे.. तो गलत संगत या नशा आदि करने लगता है.

तो देखिए बहुत जरुरी है आपस में लडाई झगडा न करे.. इसके लिए पेरेंट्स क्या कर सकते हैं ये मैं अगली वीडियो में बताऊंगी.. पर अगर आप भी बहुत झगडा करते हैं बच्चों के सामने थोडा सा कंट्रोल कर लीजिए क्योकि बच्चे के भविष्य का सवाल है…

September 1, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Learn from the Life of Lord Krishna – भगवान कृष्ण के जीवन से सीखें – अच्छी बातें – Monica Gupta

Learn from the Life of Lord Krishna

Learn from the Life of Lord Krishna – भगवान कृष्ण के जीवन से सीखें – अच्छी बातें – What lesson do we learn from lord Krishna कृष्ण भगवान जी भगवान विष्णु के अवतार थे. वैसे पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जब धरती पर पाप बहुत बढ गए थे तब भगवान विष्णु ने.. धरा को पापियों से मुक्त करवाने के लिए कृष्ण रुप में अवतार लिया.. भादो महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माता देवकी और वसुदेव के यहां जेल में आधी रात को जन्म लिया.

इस दिन फूलो की होली खेली जाती है.. दही हांडी खेल खेला जाता है.. झाकियां निकलती हैं.. मंदिर सजाए जाते हैं नटखट बाल गोपाल को झूला झुलाया जाता है और रास लीला की जाती है..

मेरी एक जानकार का दिल्ली से फोन आया कि उनके बेटे के कॉलिज में जन्माष्टमी पर प्रोग्राम है और कुछ बोलना है कृष्ण जी के बारे में.. पर कहानी भी नही चाहिए क्योकि बहुत दोस्त इस बारे मे सुना रहे है..  कुछ अलग पर बहुत प्रेरक.. मैंनें उसे बोला कि शाम तक कुछ सोच कर बताती हूं.. और सोचने लगी कि क्या हो सकता है… मैंनें कृष्ण भगवान जी की फोटो खोल ली और उसे ध्यान से देखने लगी… फोटो बहुत ही खूबसूरत थी… उनके चेहरे पर हल्की सी स्माईल थी.. जिसे देख कर कर मुझे भी स्माईल आ गई.. एक फोटो सुदामा के साथ थी एक फोटो में वो गाय चरा रहे हैं.. एक फोटो में वो राक्षसी से लड रहे हैं.. उन्हें देखते देखते मुझे लगा कि भगवान जी  से हम जमाष्टमी के शुभ अवसर पर कुछ सीख ले सकते हैं.. जो बातें मैंने उन्हें नोट करवाई वही आपसे भी शेयर कर रही हूं कि भगवान कृष्ण से हम क्या सीख ले सकते हैं

क्या क्या शिक्षा ले सकते हैं हम सभी भगवान जी से.. सबसे पहले तो वही

1 मुस्कुराहट

भगवान कृष्ण के चेहरे पर हमेशा स्माईल रहती थी.. चाहे कितनी भी प्रोब्लम आ जाए.. मुस्कुराते हुए सामना किया.. ये हम सभी ने सीरियल्स में या मूवी में देखा ही है.. ये सीख लेनी चाहिए. आज के समय में ये कही गायब हो गई है… ये रहनी चाहिए

शान्त स्वभाव रखना
बेशक, कृष्ण बचपन में बहुत शरारती थे फिर भी वह बेहद शान्त स्वभाव के थे. जेल में जन्म हुआ.. बचपन गोकुल में बीता. कंस मामा मारने को हमेशा तत्पर रहे और वही राक्षस राक्षस मारने का षडयंत्र रचते रहे… पर फिर भी कभी माथे पर बल नही आए.. शांत स्वभाव रखा.. और समय आने पर कंस के हर प्रहार का मुंह तोड़ दिया

दयालु स्वभाव.. केयरिंग नेचर

सभी को एक समान रुप से देखते और सभी की मदद करने को तत्पर रहते.. गोकुल में रहते हुए पशु पक्षियों से भी बहुत प्रेम हो गया था.

साधारण जीवन जीना

भगवान श्रीकृष्ण एक अच्छे बड़े घराने से संबंध रखते थे फिर भी वे गोकुल के अन्य बालको की तरह ही रहते, घूमते और खेलते रहते थे। गाय चराने जाना तो उन्हें बेहद प्रिय था.. उनकी नजरों में सब एक समान थे.. कोई छोटा बडा नही था.. उन्होंने कभी भी किसी में कोई अंतर नहीं रखा। उनमें राज घराने का कोई घमंड नही आया हमेशा उनके चहेरे पर सरल भाव रखते थे। बचपन भले ही गोकुल में बीता पर जब सच्चाई पता चली और वो मथुरा चले गए पर वहां भी घंमड नही किया.. प्रजा का हाल चाल जानते और उन्हीं के साथ मिलजुल कर रहते..

माता-पिता के प्रति सेवा भाव

बेशक, जन्म देवकी ने दिया पर लालन पालन यशोदा ने किया. पता लगने के बाद उनके मन में जरा सा भी फर्क नही आया.. और दोनो माता पिता को बराबर का आदर मान दिया.. को बराबरी का स्थान दिया. उन्हें पूरी इज्जत और मान दिया.

भाई के लिए कृष्‍ण का प्यार

बेशक अपने भाई बलराम से कहीं ज्यादा बलशाली थे और बुदिमान थे। परंतु फिर भी उन्होंने कभी खुद को अपने बडे भाई बलराम से श्रेष्ठ नहीं समझा। बचपन में कृष्‍ण और बलराम दोनों ने कई कठिनाइयों का सामना किया। इसी कारण दोनों एक दूसरे की क्षमताओं को बहुत अच्‍छे से जानते थे। कृष्ण अपने बडे भाई का बहुत आदर करते थे।

जिस भी रिश्तें में रहे ईमानदारी से निभाया

भगवान श्री कृष्‍ण सुदामा की दोस्ती को कौन नही जानता..  आज भी लोग उनकी दोस्‍ती की कसमें खाते है। सुदामा, कृष्ण के बचपन के मित्र थे। वह बहुत ही गरीब व्‍यक्ति थे, लेकिन कृष्ण ने अपनी दोस्ती के बीच कभी धन व हैसियत को नहीं आने दिया

वे अर्जुन के भी बहुत अच्छे मित्र थे न सिर्फ युद्द में अर्जुन के रथ का सारथी की भूमिका निभाई.. बल्कि मुश्किल परिस्थिति में, वक्त में पांडवो का साथ भी दिया

और द्रौपदी के भी बहुत अच्‍छे सखा थे।.. चीरहरण के समय उन्होनें ही आगे बढ कर उनकी लाज बचाई

चाहे वो राधा के प्रति प्रेम हो या गुरू के लिए प्रति प्यार

भगवान विष्णु का अवतार रूप होने के बावजूद भी  कृष्ण जी के मन में अपने गुरुओं के लिए बहुत सम्मान था.. जिस साधु संत से में मिले सम्मान दिया..

धरती के प्रति प्रेम

धरती पर बढते अन्याय को समाप्त करने के लिए उन्होनें  धरती पर अवतार लिया था। इससे स्पष्ट है, कि वे धरती मां से कितना प्यार करते थे। महाभारत का युद्ध ना हो इसके लिए उन्होंने पांडवों की मांग को दुर्योधन के सामने रखा था। श्री कृष्‍ण से हमें भी सीखने को मिलता है, यह धरती हमारी मां हैं और हमें इसकी रक्षा के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

अपने शौक से हमेशा प्यार किया.. अहमियत दी

बचपन में चाहे गाय चराते थे या बडे होकर जब द्वारिकाधीश बने फिर भी बांसुरी से मोह नही छोडा. बांसुरी हमेशा उनके साथ ही रहती…

कर्तव्य को निभाया.. जब पता चला कि वो कौन है तो उन्हें मथुरा जाना पडा.. गोकुल का सब कुछ त्याग कर वो मथुरा चले गए.. क्योकि वहां उन्हें अपने कर्तव्य को निभाना था.. उनकी अब प्राथमिकता यही थी..

कभी हार न मानना संदेश
भगवान श्रीकृष्ण ने कभी भी हार न मनाने का संदेश दिया था। व्यर्थ की चिंता नही करनी चाहिए.. .. अंत तक प्रयास करते रहना चाहिए, भले ही परिणाम हमारे पक्ष में क्यों न हो बजाय हार की वजहों को जानकर आगे बढ़ना चाहिए. समस्याओं का सामना करें. एक बार डर को पार कर लिया तो फि‍र जीत आपके कदमों में होगी.

हर चीज हद में अच्छी लगती है पर तुम बेहद अच्छे लगते हो.. कान्हा जी…

तो आप सभी को भी जन्माष्टमी की बहुत बहुत बधाई..

तुलसी इस संसार में सबसे मिलिए धाय ना जाने किस रूप में नारायण मिल जाए।।

Learn from the Life of Lord Krishna

August 30, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

Habits to Live a Happy Life – Habits of Happy People in Hindi – आदतें जो हमें खुश रखती हैं

Habits to Live a Happy Life

Habits to Live a Happy Life – Habits of Happy People in Hindi  – आदतें जो हमें खुश रखती हैं.. 9 Habits of Happy People – खुश रहने वाले लोगों की 9 आदतें –  How to be Happy in Life in Hindi If you want to find out how to be happy… it is often best to start by examining other happy people and their habits which make them happy…हमने अक्सर ये सुना होता है आदतें खराब करती हैं आदतें बिगाड देती हैं पर आदते खुश भी रख सकती हैं.तो हैं क्या वो आदतें?

Habits to Live a Happy Life – Habits of Happy People in Hindi

मैं आपको सिर्फ 9 आदतें बता रही हूं.. आप देखिएगा और बताईएगा कि क्या आप मे भी हैं ये आदत – अगर हैं तो आप भी यकीनन खुश रहते होंगें.

1. मार्निग रुटीन.. जो लोग खुश रहते हैं उनकी मार्निंग रुटीन होती है- वो जानते हैं कि अगर हमारी दिन की शुरुआत अच्छी होगी तो यकीनन सारा दिन बहुत अच्छा खुशनुमा निकलेगा तो उसके लिए कुछ आदतें जैसा कि अच्छी नींद लेना, सुबह फ्रेश उठना, सुबह खाली पेट पानी पीना, सैर करना या मैडीटेशन करना ये आदत हमारे शरीर और दिमाग को एक्टिव रखती है जिससे दिन खुशनुमा

2. अपना ख्याल रखना.. मी टाईम – अपने लिए समय निकालना, अपनी कोई हॉबी पर काम करना, अपनी पसंद के गाने सुनना या जो भी पसंद हो वो कुछ देर जरुर करना ये हमें बहुत खुशी दे जाता है.

3. आदत सिम्पल लाईफ जीने की – कोई show off दिखावा नही करना, आमतौर पर हम दिखावे के चक्कर में खुद ही परेशानियों को इंवाईट कर लेते हैं तो बिल्कुल सादा जीवन जीना, हमारी इच्छाए लालसाए बढती जाती हैं..

4.  optimistic यानि आशावादी होते है.. हमेशा पॉजिटिव सोच रखते हैं..  प्रोब्लम तब आती है जब हम अपनी सोच को नेगेटिव कर लेते हैं जो खुश रहते हैं  वो अपनी सोच पॉजिटिव रखते हैं और इसी के साथ साथ खुद पर पूरा विश्वास होता है खुशनसीब वो नहीं जिसका नसीब अच्छा है ! खुशनसीब वो है जो अपने नसीब से खुश है

5.  खुश रहने वाले लोगो की आदत होती है अच्छा साहित्य पढना  अच्छी किताबें पढते हैं अच्छी पॉजिटिव वीडियोज देखते हैं और अच्छे लोगो की संगत में रहते हैं जिससे अच्छी बातें सीख सके.. बुरी चीजो से दूर रहते हैं

6.  Behaviour खुश रहने वालो को आदत में शामिल होती है स्माईल, हल्की सी मुसुकुराहट हमेशा चेहरे पर रहती है.. जो भी मिलता है तो उसके चेहरे पर भी स्माईल आ जाती है.. लडाई झगडा या बहस में नही पडते, ना किसी से किसी की तुलना करते है. दूसरे की respect करते हैं और आदर से बात करते हैं.

7.  उनका स्वभाव होता है कि कोई गलती करे तो माफ कर दे कि चलो कोई बात नही आगे से ऐसा नही करना और अगर कोई अच्छा करे तो उसे शाबाशी या appreciate करते हैं.. और इसी के साथ साथ अगर किसी को जरुरत है तो उसकी मदद के लिए आगे आते हैं..

8.  Relationship रिश्ते निभाते है.. रिश्ते बनाते भी है और उसे निभाते भी हैं.. अपने रिश्ते को पूरा समय देते हैं यानि कुछ समय के लिए मोबाइल या कम्प्यूटर बंद कर देते हैं या एक तरफ रख देते हैं और अपने रिश्ते को पूरा समय देते हैं

9.  As a Volunteer काम करते हैं – अपनी खुशी से कोई समाज सेवा का काम करते हैं.. कुछ भी चाहे रक्तदान हो, स्वच्छता के बारे में हो शिक्षा पर जोर हो, पेड लगाने हो.. कुछ भी जो उन्हें बहुत पसंद है उसे समय जरुर देते हैं.. इससे self satisfaction मिलती है जोकि खुश रखने में बहुत सहायक होती है

खुशी के लिये काम करोगे तो खुशी नहीं मिलेगी… पर खुश होकर काम करोगे तो खुशी जरूर मिलेगी…!! खुशी उन्हें नहीं मिलती जो जिंदगी को अपनी शर्तो पर जीते है बल्कि खुशी उन्हे मिलती है जो दूसरों की खुशी के लिए अपनी जिंदगी की शर्तो को बदल देते है..!!

Habits to Live a Happy Life

August 28, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Face Problems – मुश्किलों से कैसे निपटें – How to Deal with Problems in Life – Monica Gupta

How to Face Problems

How to Face Problems – मुश्किलों से कैसे निपटें – How to Deal with Problems in Life – Monica Gupta – ये राहें ले ही जायेगी मंजिल तक हौंंसला रख ….  कभी सुना है कि अंधेरे ने सवेरा होने न दिया – लाईफ में दो नही सौ तरह की Problems चलती रहती है सोच इस बात की है कि हम इससे डील कैसे करते हैं.. जो लोग अच्छे से हैंडल करते हैं वो जल्द ही प्रोब्लम से बाहर निकल जाते हैं पर जो नही कर पाते वो इसी में उलझे रह जाते हैं..

How to Face Problems – मुश्किलों से कैसे निपटें – How to Deal with Problems in Life –

अब उलझा तो कोई नही रहना चाहता पर डील भी कैसे करें ये बात भी समझ से बाहर है तो मैं आज आपको बताती हूं कि लाईफ में अगर किसी भी तरह की प्रोब्लम आए तो कैसे करें सामना…

 

1.सबसे पहले तो क्या है प्रोब्लम.. किस तरह की है… इसे एनालाईज करना है..

2.फिर ठंडे दिमाग से काम लेना है… कॉम और कूल.. और सामना करना है

3.आमतौर पर जब हम किसी प्रोब्लम से धिर जाते है तो एक बात हमारे मन में जरुर आती है कि मैं ही क्यू… ये मुसीबत का पहाड मेरे ही सिर पर क्यों गिरा… तो मैं बताना चाहूंगी कि ये आपकी प्रोब्लम नही.. ऐसी प्रोब्लम तो न जाने कितने लोगो के साथ है.. नही विश्वास तो नेट पर सर्च कर डालिए…

4.तो फिर हमें छोडनी होगी नेगेटिविटी और सोच बदलनी होही.. आमतौर पर दूसरे पर बलेम लगा देते हैं कि ये तो उसकी वजह से हुआ.. ये भी नही करना..

5.तो हमें साथ रहना होगा कुछ पॉजिटिव सोच की लोगो के साथ.. ये बहुत जरुरी है…

6.इसी के साथ साथ हमें मैंटली स्ट्रांग बनना होगा.. और इस प्रोब्लम को चएलेंज अके तैर पर स्वीकार करना होगा कि  चलो भई… मैं देखता हूं कि कैसे खडी रहती हैं ये प्रोब्लम ..

7.इसके लिए कुछ काम भी करना होगा जैसा कि मी टाईम देना होगा.. यानि खुद को समय देना होगा.. इसमें हमें अपनी फीलिग भी रीलीज करनी होंगी अपना एंगर तनाव , निकालना होगा .. इस बारे में तो वीडियो भी बनाई हुई है..

8.इस बात का भी ख्याल रखना है कि सभी के साथ अपनी प्रोब्लम शेयर नही करनी कई बार हम अपनी परेशानी में किसी से शेयर तो कर लेते हैं पर वो लोग इस बात की गम्भीरता को नही समझते.. इसलिए परिवार का ऐसा सदस्य जिस पर आपको बहुत विश्वास है या आपका कोई दोस्त जो आपके बहुत close भी हो और sincere भी हो..

9. दोस्तों या परिवार के साथ साथ खुद कोप भी मोटिवेट करना है कि कोई बात नही.. मैं कर सकता हूं इसका सामना.. कोई बात नही.. अगर मगर किंतु परंतु.. नही… ये तो लाईफ का ही पार्ट है.. और मुझे सामना करना ही है.. confidence रखना है खुद पर..

10. जब अपने बारे में सोच रहे हो तो ना तो किसी situation को over react करना ना ही over analyze , hard सोचना यानि  extreme  कि भई मैं तो सामना नही करता चलो बस अब तो मर ही जाता हूं

11.जबकि एक्शन लेना है कि मैंने किस किस तरह से इसे ठीक करना है

12. जब आप समय लेंगें तो इस बात क अभी ध्यान रखना है कि सब कुछ एक ही दिन में ठीक नही हो जाएगा.. समय लगता है तो पेशेस रखनी हैं छोटे छोटे कदमों से शुरुआत करते हुए आगे बढना है..

13.कई बार कोई प्रोब्लम एक वरदान बन कर भी आती है.. कोई प्रोब्लम आई और हम उससे बहुत कुछ सीख सकते हैं…

जिन लोगो में हमारी मुश्किल दिनों में मदद की चाहे मैंटली या फाईनेनशनली.. हमें उनका भी धन्यवाद करना नही भूलना चाहिए..

देखिए अगर हम ये कुछ बाते प्रोब्लम के समय में अपना लेंगें तो यकीनन बाहर भी निकल आएगें … वैसे मैंनें कहीं पढा था..

जीवन में विपत्ति आना “पार्ट ऑफ़ लाइफ” है विपत्ति में भी मुस्करा कर शांति से बाहर निकलना “आर्ट ऑफ़ लाइफ” है

ये राहें ले ही जायेगी मंजिल तक हौंंसला रख ….  कभी सुना है कि अंधेरे ने सवेरा होने न दिया

How to Face Problems – मुश्किलों से कैसे निपटें – How to Deal with Problems in Life – Monica Gupta –

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