Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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October 14, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

कुपोषण भारत – हंगर इंडेक्स में भारत का स्थान

कुपोषण भारत

कुपोषण भारत – कुपोषित भारत  की तस्वीर वाकई में रोंगटे खडी करने वाली है  ग्लोबल इंडेक्स स्कोर में  118 देशों की लिस्ट में भुखमरी, कुपोषण, पिछड़ेपन में भारत 97वीं पायदान पर है.

कुपोषण भारत – हंगर इंडेक्स में भारत का स्थान

ये कैसी तस्वीर ???अगर वाशिंगटन स्थित इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएफपीआरआई) द्वारा जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2016 के बारे में ज्यादा न समझ आए तो आसान शब्दों में बात ये है 118 देशों की लिस्ट में भुखमरी, कुपोषण, पिछड़ेपन में भारत 97वीं पायदान पर है यानि भारत में 5 में से हर दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है.

ग्लोबल इंडेक्स स्कोर’ ज़्यादा होने का मतलब है उस देश में भूख की समस्या अधिक है और किसी देश का स्कोर अगर कम होता है तो उसका मतलब है कि वहाँ स्थिति अच्छी है. इसकेअंतर्गत कुपोषण, शिशुओं में भयंकर कुपोषण, बच्चों के विकास में रुकावट और बाल मृत्यु दर जांचा जाता है.

इस जांच में नेपाल 72वें नंबर पर म्यांमार 75वें, श्रीलंका 84वें और बांग्लादेश 90वें स्थान पर है तो वही पकिस्तान 107 वें स्थान पर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 39 प्रतिशत बच्चे अविकसित हैं जबकी आबादी का 15.2 प्रतिशत हिस्सा कुपोषण का शिकार हैं…

रैंकिंग के मुताबिक भारत में स्थिति काफ़ी गंभीर है.. जल्द ही स्मार्ट कदम उठाए जाने चाहिए …

कुपोषण भारत

October 14, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

अहोई अष्टमी कथा – अहोई अष्टमी व्रत कथा और महत्व

अहोई अष्टमी कथा

अहोई अष्टमी कथा –  अहोई माता का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन किया जाता है। माताओ के लिए यह व्रत अत्यन्त महत्वपूर्ण है। माताएं दिन भर उपवास रखती हैं होई का पूजन करती हैं और तारों को अर्ध देती हैं

अहोई अष्टमी कथा – अहोई अष्टमी व्रत कथा और महत्व

अहोई अष्टमी  कथा – इस साल अहोई माता का व्रत देश भर में 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा. कार्तिक कृष्ण पक्ष को मनाए जाने वाला होई का त्योहार किसी उत्सव से कम नही होता. जैसे महिलाओ के लिए करवा चौथ एक उत्सव की तरह मनाया जाता है ठीक वैसे ही अहोई माता का व्रत भी किसी उत्सव से कम नही होता. दीवाली से एक सप्ताह पूर्व मनाए जाने वाला ये त्योहार संतान की सुख शांति और खुशहाली के लिए माताओं द्वारा रखा जाता है

सुबह सवेरे नहा धो कर पूजा की जाती है निर्जला उपवास रखा जाता है और तारों को देख कर व्रत खोला जाता है. दीवार पर माता का चित्र बनाया जाता है.  मान्यता है कि अहोई माता संतान की रक्षा करती हैं और उन्हे शुभ आशीर्वाद देती हैं.

अहोई अष्टमी कथा

अहोई अष्टमी की कहानी

अहोई अष्टमी की कथा कुछ ऐसे है. प्राचीन काल में एक साहुकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। इस साहुकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो ननद भी उनके साथ हो ली। साहुकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर (साही) अपने साथ बेटों से साथ रहती थी। मिट्टी काटते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से साही का एक बच्चा मर गया। स्याहू इस पर क्रोधित होकर बोली मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी।

स्याहू के वचन सुनकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभीयों से एक एक कर विनती करती हैं कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे होते हैं वे सात दिन बाद मर जाते हैं। सात पुत्रों की इस प्रकार मृत्यु होने के बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा। पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी।

सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और उसे स्याहु के पास ले जाती है। जाते समय रास्ते में थक जाने पर दोनों आराम करने लगते हैं अचानक साहुकार की छोटी बहू की नज़र एक ओर जाती हैं, वह देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है और वो सांप को मार देती है। इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहु ने उसके बच्चे के मार दिया है इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है। छोटी बहू इस पर कहती है कि उसने तो उसके बच्चे की जान बचाई है। गरूड़ पंखनी इस पर खुश होती है और सुरही सहित उन्हें स्याहु के पास पहुंचा देती है।

वहां स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहु होने का अशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो जाता है।

अहोई का अर्थ एक प्रकार से यह भी होता है “अनहोनी को होनी बनाना” जैसे साहुकार की छोटी बहू ने कर दिखाया था। मान्यता ये भी है कि कहानी सुनने के बच्चे थाली में रखे फल, पैसे, मिठाई उठा कर भागते हैं और बच्चों की खिलखिलाहट से घर संसार महकता रहता है   आप सभी को अहोई अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं !!

 

स्कंदमाता नवरात्रि – ममतामयी है मां – Monica Gupta

कुष्मांडा माता – देवी दुर्गा का चौथा स्वरुप हैं नवरात्र के चौथे दिन देवी को कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है उदर से अंड अर्थात् ब्रह्मांड को उत्पन्न किया read more at monicagupta.info read more at monicagupta.inf

आईए ये वीडियो भी देखिए माता महागौरी की कहानी भी जरुर सुनिए …

https://monicagupta.info/articles/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BE/

October 13, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

सोशल मीडिया का युवाओं पर प्रभाव

सोशल मीडिया का युवाओं पर प्रभाव

सोशल मीडिया का युवाओं पर प्रभाव – दिन रात सोशल मीडिया से हम सभी जुडे रहते हैं… सोच रही हूं कि अगर आज के संदर्भ में त्योहार की बात करें या निबंध लिखने को कहें तो आज के बच्चों  की कुछ ऐसी सोच होगी वो कुछ ऐसा लिखेंगें…

सोशल मीडिया का युवाओं पर प्रभाव – मीडिया का जनजीवन पर सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव

क्योकि हम सोशल साईटस से दिन रात जुडे रहते हैं इसलिए  त्योहारों पर निबंध लिखना हो तो कुछ ऐसे लिखा जाएगा …

हमारे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. त्योहार के दिन फेसबुक, गूगल प्लस, टविटर आदि पर पोस्ट की सुंदरता देखते ही बनती हैं इस दिन  परिवार के संग सैल्फी ले कर पोस्ट की जाती है कैमरे की ओर देखते हुए बडो के चरण छू कर आशीर्वाद लेते दिखाया जाता है…  वटस अप शुभ संदेशों से भरा रहता है और मिठाईयों का आदान प्रदान भी होता है फूल भेजे जाते है.



सोशल मीडिया पर त्योहार से सम्बंधित कुछ तस्वीरे पोस्ट की जाती हैं और आठ दस अपनी फोटो क्लिक करके डाली जाती हैं और ज्यादा से ज्यादा कमेंट और लाईक बटोरने की इच्छा रहती है खुशी की बात ये भी है कि उस दिन कमेंट और लाईक अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा मिलते हैं  इस अवसर पर मित्रों और परिवार जनों को टैग करके विश किया जाता है .

इस दिन कुछ लोग पोक करके या मैसेज करके दोस्ती बनाने की फिराक मे रहतें हैं या बिना पूछे टैग कर देते हैं और उनके कमेंट बेमन से झेलने पडते हैं जोकि सही नही है .. फिर भी त्योहार ढेरो खुशियां लाता है….

सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान

सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान – Monica Gupta

सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान .Social media ke fayde aur nuksan …अगर आप ये सोच रहे हैं तो सबसे पहले फायदा सुन लीजिए .media ke labh aur hani सेना की लडाई सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान – Monica Gupta

 

social media photo

सोशल मीडिया का युवाओं पर प्रभाव

Photo by mkhmarketing

October 12, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

करवा चौथ की कहानी

करवा चौथ की कहानी

करवा चौथ की कहानी – बहुत ध्यान से सुनी जाती है. इस  दिन महिलाऐं अपने पति की लम्‍बी उम्र की कामना  करती हैं और दिन भर निर्जला उपवास रखती हैं, खूब सज सवर कर करवा चौथ से सम्‍बंधित कथा-कहानियाँ सुनती और सुनाती हैं रात में चंद्र उदय होने पर उसकी पूजा-अर्चना कर पति के हाथों से पानी का घूंट पीकर  व्रत खोलती हैं.

करवा चौथ की कहानी –  व्रत की कहानी

करवा चौथ अलग अलग कहानियां हैं जोकि बहुत ध्यान से सुनी जाती है इसकी अलग अलग कहानियां प्रचलित हैं. . एक कहानी कुछ ऐसे है…

एक बार अर्जुन नीलगिरि पर तपस्या करने गए। द्रौपदी ने सोचा कि यहाँ हर समय अनेक प्रकार की विघ्न-बाधाएं आती रहती हैं। उनके शमन के लिए अर्जुन तो यहाँ हैं नहीं, अत: कोई उपाय करना चाहिए। यह सोचकर उन्होंने भगवान श्री कृष्ण का ध्यान किया।

भगवान वहाँ उपस्थित हुए तो द्रौपदी ने अपने कष्टों के निवारण हेतु कोई उपाय बताने को कहा। इस पर श्रीकृष्ण बोले- ‘एक बार पार्वती जी ने भी शिव जी से यही प्रश्न किया था तो उन्होंने कहा था कि करवाचौथ का व्रत गृहस्थी में आने वाली छोटी- मोटी विघ्न-बाधाओं को दूर करने वाला है। यह पित्त प्रकोप को भी दूर करता है। फिर श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को एक कथा सुनाई-

प्राचीनकाल में एक धर्मपरायण ब्राह्मण के सात पुत्र तथा एक पुत्री थी। बड़ी होने पर पुत्री का विवाह कर दिया गया। कार्तिक की चतुर्थी को कन्या ने करवा चौथ का व्रत रखा। सात भाइयों की लाड़ली बहन को चंद्रोदय से पहले ही भूख सताने लगी। उसका फूल सा चेहरा मुरझा गया। भाइयों के लिए बहन की यह वेदना असहनीय थी। अत: वे कुछ उपाय सोचने लगे।

उन्होंने बहन से चंद्रोदय से पहले ही भोजन करने को कहा, पर बहन न मानी। तब भाइयों ने स्नेहवश पीपल के वृक्ष की आड़ में प्रकाश करके कहा- देखो ! चंद्रोदय हो गया। उठो, अर्ध्य देकर भोजन करो।’ बहन उठी और चंद्रमा को अर्ध्य देकर भोजन कर लिया। भोजन करते ही उसका पति मर गया। वह रोने चिल्लाने लगी। दैवयोग से इन्द्राणी देवदासियों के साथ वहाँ से जा रही थीं। रोने की आवाज़ सुन वे वहाँ गईं और उससे रोने का कारण पूछा।

ब्राह्मण कन्या ने सब हाल कह सुनाया। तब इन्द्राणी ने कहा- ‘तुमने करवा चौथ के व्रत में चंद्रोदय से पूर्व ही अन्न-जल ग्रहण कर लिया, इसी से तुम्हारे पति की मृत्यु हुई है। अब यदि तुम मृत पति की सेवा करती हुई बारह महीनों तक प्रत्येक चौथ को यथाविधि व्रत करो, फिर करवा चौथ को विधिवत गौरी, शिव, गणेश, कार्तिकेय सहित चंद्रमा का पूजन करो और चंद्र उदय  के बाद अर्ध्य देकर अन्न-जल ग्रहण करो तो तुम्हारे पति अवश्य जीवित हो उठेंगे।’

ब्राह्मण कन्या ने अगले वर्ष 12 माह की चौथ सहित विधिपूर्वक करवा चौथ का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उनका मृत पति जीवित हो गया। इस प्रकार यह कथा कहकर श्रीकृष्ण द्रौपदी से बोले- ‘यदि तुम भी श्रद्धा एवं विधिपूर्वक इस व्रत को करो तो तुम्हारे सारे दुख दूर हो जाएंगे और सुख-सौभाग्य, धन-धान्य में वृद्धि होगी।’ फिर द्रौपदी ने श्रीकृष्ण के कथनानुसार करवा चौथ का व्रत रखा। उस व्रत के प्रभाव से महाभारत के युद्ध में कौरवों की हार तथा पाण्डवों की जीत हुई

करवा चौथ की एक कहानी कुछ ऐसे है .. पुराणों के अनुसार करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित गांव में रहती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था। एक दिन जब वह नदी के किनारे कपड़े धो रहा था तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आया, और धोबी के पैर अपने दांतों में दबाकर यमलोक की ओर ले जाने लगा। वृद्ध पति यह देख घबराया और जब उससे कुछ कहते नहीं बना तो वह करवा..! करवा..! कहकर अपनी पत्नी को पुकारने लगा।

पति की पुकार सुनकर धोबिन करवा वहां पहुंची, तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने ही वाला था। तब करवा ने मगर को कच्चे धागे से बांध दिया और मगरमच्छ को लेकर यमराज के द्वार पहुंची।

उसने यमराज से अपने पति की रक्षा करने की गुहार लगाई और बोली- हे भगवन्! मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर पकड़ लिए है। आप मगरमच्छ को इस अपराध के दंड-स्वरूप नरक भेज दें।

करवा की पुकार सुन यमराज ने कहा- अभी मगर की आयु शेष है, मैं उसे अभी यमलोक नहीं भेज सकता। इस पर करवा ने कहा- अगर आपने मेरे पति को बचाने में मेरी सहायता नहीं कि तो मैं आपको श्राप दूंगी और नष्ट कर दूंगी।

करवा का साहस देख यमराज भी डर गए और मगर को यमपुरी भेज दिया। साथ ही करवा के पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया।

तब से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत का प्रचलन में आया। जिसे इस आधुनिक युग में भी महिलाएं अपने पूरी भक्ति भाव के साथ करती है और भगवान से अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

12 अक्तूबर शनिवार अहोई अष्टमी है

हिन्दू मुस्लिम एकता पर कबूतर ने दी सीख – एक प्रेरक कहानी – Monica Gupta

हिन्दू मुस्लिम एकता पर कबूतर ने दी सीख – एक प्रेरक कहानी – पशु और पक्षी हमारे मित्र हैं और पशु पक्षियों का हमारे जीवन में महत्व Hindu Muslim ekta kabootar read more at monicagupta.info

 

https://monicagupta.info/articles/%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF-%E0%A4%AA%E0%A5%82%E0%A4%9C%E0%A4%BE/

8 अक्तूबर 2017 sunday को करवा चौथ है और 12 अक्तूबर शनिवार अहोई अष्टमी है…

October 9, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

अंधविश्वास की कहानी – उपवास से होगा मुनाफा

अंधविश्वास की कहानी

अंधविश्वास की कहानी भले ही रोचक लगे, मनोरंजक लगे सबसे ज्यादा टीआरपी बटोरे पर समाज के माथे पर बहुत बडा धब्बा है. इंटरनेट के जमाने में भी हम अन जाने किस  दुनिया मे जी रहे हैं … फेसबुक पर एक पोस्ट पढ रही थी कि अगर इस पोस्ट को शेयर करोगें तो कृपा बरसेगी उसे देखते देखते अचानक मुझे एक खबर की याद आ गई जो कल ही पढी थी.

   अंधविश्वास की कहानी – 13 साल की लडकी और 68 दिन का उपवास

क्या वाकई उपवास रखने से मुनाफा होना शुरु हो जाता है ?? कैसे संत होते हैं और कैसे माता पिता … ???

अंधविश्वास की कहानी है हैदराबाद से जब एक संत के कहने पर एक 13 साल की लडकी 68 दिन के उपवास पर इसलिए बैठी ताकि उसके पिता का बिजनेस सफल हो… बिजनेस सफल रहा या नही ये तो पता नही पर लडकी सदा के लिए दुनिया से चली गई…

सिकंदराबाद में 8वीं क्लास में  पढने वाली आराधना की उपवास तोडऩे के कुछ समय बाद मौत हो गई. जानकारी के मुताबिक चेन्नई के एक संत ने आराधना के पेरेंट्स को सलाह दी थी कि अगर उनकी बेटी 4 महीने उपवास कर ले तो उनके बिजनेस में फायदा होगा.

लेकिन लंबा उपवास तोडऩे के बाद आराधना बेहोश होकर नीचे गिर गई थी और कोमा में चली गई. उसे तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया…

किसका कुसूर है .. संत का या माता पिता का या पैसे के लालच का या फिर हमारे अंधविश्वास का… क्या सबक लेंगें हम या ऐसे हादसे होते ही रहेंगें…

अंधविश्वास या आस्था

अंधविश्वास या आस्था थोडी देर पहले मैं अपनी सहेली मणि से बात कर रही थी कि अचानक उसकी हथेली मे खारिश होने लगी. वो परेशान हो गई और मैं  read more at monicagupta.info

 

अंधविश्वास की कहानी

क्या ऐसी धटना से हम सबक लेंगें या ऐसी धटनाए अंधविश्वास की कहानियों के रुप में समाज में चलती रहेंगीं …

October 7, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

सीमा पर तैनात – सेना में महिलाएं

सीमा पर तैनात - सेना में महिलाएं
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सीमा पर तैनात – सेना में महिलाएं

सीमा पर तैनात महिलाओं को सरहद की रक्षा करते देख बहुत गर्व महसूस हुआ. भारत पाक में बढते तनाव के चलते खबर देखी कि सेना में तैनात महिलाए सरहद पर चौकसी में जुटी है  यकीन मानिए उन्हें देख कर अलग ही तरह का आत्मविश्वास बढा.

हम किसी से कम नहीं

सीमा पर तैनात – सेना में महिलाएं देख कर मन में यही विचार आया कि हम किसी से कम नही … दुश्मन भी हैरान हैं क्योंकि सीमा की रखवाली महिलाएं स्वयं देवी दुर्गा कर रुप बन कर रही हैं. 50 डिग्री सेल्सियस की गर्मी हो, रेतीला इलाका हो या  हाड़ कंपाने वाली ठंड, हर मौसम में बेख़ौफ़, बहादुरी के साथ सीमा की निगरानी में खड़ी  हैं महिलाएं .

नारी कमजोर

नारी कमजोर नही … सीमा पर तैनात हैं महिलाएं … एक समय  था, जब महिलाएं सेना  में बहुत कम आती थीं, लेकिन अब  करीब 1000 महिलाएं सीमा पर तैनात  हैं. भारतीय सीमा पर दुश्मनों पर पैनी नजर रखने वाली BSF की महिला सैनिक 24 घंटे कड़ा पहरा देती हैं. वे इसे अपना फर्ज़ मानती हैं. देश के विकास के साथ देश की सुरक्षा भी कर रही हैं.

 हाथों में बंदूकें लिए एसएसबी महिला जवान दिनरात सीमा की रखवाली में तैनात हैं. इतना ही नही  एसएसबी देश की पहली पैरा मिलिट्री फोर्स है जिसने सबसे पहले महिला जवानों की भर्ती की और उन्हें सरहद की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी.

ऐसे में बस यही आईडिया जहन में आया और बना डाला …

हमें इन पर गर्व है.

 

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