Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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January 4, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

You need a Digital Detox – मोबाइल की लत – Digital Detox Benefits – Digital Addiction – Monica Gupta

You need a Digital Detox

You need a Digital Detox – मोबाइल की लत – Digital Detox Benefits – Digital Addiction – Monica Gupta – Get rid of Digital Addiction – अपनाएं स्वस्थ जीवनशैली – बात कल की है मैं पार्क से लौट रही थी तभी देखा एक बहुत छोटा बच्चा कागज का जहाज रहा था और उडा  रहा था. जब उसका जहाज बहुत ऊंचा उंडा तो चिल्लाते हुए खुश होकर पापा को आवाज देने लगा कि  पापा देखो पापा देखो… और पापा लगे हुए थे अपना मोबाइल करने में… इतना महसूस हुआ कि कुछ क्षण इतने कीमती होते हैं हमें उन्हे सहेजने की बजाय उसे बिखेर देते हैं और किसकी वजह से सिर्फ गेजेंट की वजह से…

You need a Digital Detox – मोबाइल की लत – Digital Detox Benefits – Digital Addiction

बहुत जरुरी है दिन में कुछ समय डिजीटल डिटोक्स करना यानि इन से दूरी बनाए रखना..   इसके फायदे भी बहुत है यानि चाहे कम्प्यूटर है या मोबाईल दिन का कुछ समय इनसे दूरी बनाए रखने के ढेर सारे फायदे हैं… चलिए आज उसी बारे में बात करती हों क्योकि वो क्षण उस बच्चे की आखों में मैंने जो चमक देखी शायद उसके पिता कभी महसूस नही कर पाएगें…

बहुत से कीमती पलों को सहेज पाएगें..

बहुत सारे ऐसे पल होते हैं जब हमें हमारे परिवार की जरुरत होती है… हम चहते हैं कि वो हमारी खुशी को महसोस करे पर मिस हो जाती हैं वो मिस न हो उसके लिए इसे बंद कर देना कुछ समय के लिए बहुत अच्छा है…

काम करने की क्षमता बढेगी…

कैसे… जैसे मान लीजिए एक लडकी है वो पढाई कर रही है सोच रही है चलो दो मिनट फेसबुक चैक कर लूं.. एक आदमी है उसने जिम जाना है सोचता है चलो एक बार दस मिनट सोशल मीडिया चैक कर लू. तो हुआ ना उनके काम मे हर्जा… अगर वो लडकी लगातार ही पढती रहती .. सोचलेती कि जब तक ये ऊतर याद नही होगा मैं नेत नही चैक अकरुंगी.. तो अच्छा दे पाती पर बार बार देखने से पढाई पर बहुत फर्क पडा और जो पाठ उसे आधा घंटे में याद होना था वो याद करने में तीन घंटे लग गए और वो भी अच्छे से याद नही हुआ…

अच्छे इंसान बनेंगें…

अच्छे इंसान कैसे बनेंगें चलिए मैं उदाहरण दे कर बताती हूं आप कहीं पिक्चर देखने हॉल में गए हैं. वहा पिकचर के दौरान आपके सामने बैठा आदमी के पास फोन आता है और वो फोन पिक कर बात करने लगता है .. तो गुस्सा आएगा ना.. या कई लोग मैसेज भी करने लगते हैं और उससे हमारा ध्यान बंटता है और हमें बहुत गुस्सा भी आता है.. तो हम कैसे इंसान बनें ?? फोन आया और हमने बस यही बोला कि आपसे बाद में बात करता हूं .. तो मन ही मन बोला कि अच्छा आदमी है… बहुत मींटिग में भी कहा जाता है कि कि भी मोबाईल बंद कर दीजिए और जब हमारे फोन की बैल से हॉल गूंजता है तो सभी की नजरे हमी पर होती हैं…

तनाव कम होगा… depression and anxiety  से बचेग़ें

वो ऐसे की हर समय इससे जुडे रहेंगें तो किसने क्या लिखा किसने किसको कितनी बार कमेट किया.. इसने मुझे लाईक नही किया… उसली सैल्फी बहुत अच्छी कैसे आ गई.. वो धूमने कहा कहा जाते रहते हैं … पढ पढ कर दिमाग पर बोझ सा बन जाएगा.. कुछ समय के लिए बंद कर देगें तो तनाव कम होगा.. और मन शांत होगा..

बच्चों के लिए एक example  बनेंगें  बच्चे बडो से ही सीखते हैं और जब बच्चे ये देखते हैं कि मेरे पेरेंटस भी अक्सर इससे दूर रहते हैं तो उनहे भी सीख मिलेगी कि हमेशा इसी के साथ चिपकू नही रहना..

पैसे भी बचाएगें..

जितना नेट इस्तेमाल करेंगें उतना खर्चा भी तो आएगा.. जितना कम करेंगें उतनी बचत भी तो होगी.. देखिए आज के दौर में हम दूर तो रह नही सकते पर कुछ पल तो दूरी बना ही सकते हैं हमारे लिए हमारी सेहत के लिए…

दुर्धटनाए भी कम होगी…

अगर हम खुद से ये वायदा कर ले कि वाहन चलाते समय मोबाईल नही करना तो बहुत सारी दुर्धटनाओ से बचा जा सकता है.. इसी की वजह से बहुत एक्सीदेंट भी होते हैं और कई बार फाईन भी लग जाता है .. तो है ना नुकसान..

अच्छी नींद लेंगे..

मान लीजिए रात को सोने से पहले नेत बंद कर दिया कि अब सुबह ही देखेना है… तो नींद अच्छी आएगी.. वही रात को हम सो रहे अहिं एक मैसेज की बीप आई और हम उठ कर देखने लगे.. उससे दो बाते होंगी पहली तो हमारी नींद खराब होगी और दूसरा अंधेरे में मोबाईल चैक करेगें तो आखों पर जोर पडता है… digital detox करने से मदद मिलेगी

खाने की तरफ सी हमारा ध्यान जाएगा

नही कुछ भी खा लेते हैं क्योकि ध्यान तो होता ही नही है. कई बार तनाव मे खा लेते हैं या कई बार ओवर ही खा लेते हैं क्योकि ध्यान जो नही होता…  उस तरफ.. मेरी एक सहेली ने अपने डाईनिंग रुम में लिखा हुआ है gadgets फ्री मील्स एरिया.. वहां कोई अपना मोबाईल या लेपटोप लेकर नही जाता …

नशे के जीत लेंगें

ये भी एक तरह का नशा ही है और जब हम इस नशे को जीत लेंगें तो खुद तो अच्छा लगेगा ही … और जब हम दूसरों को इसके बारे में बताएगें तो एक प्रेरणा बनेगें..

रिश्ते मजबूत बनेंगें.. चाहे घर हो या परिवार रिश्ते मजबूत बनेंगें..

अपने आसपास देखने का मौका मिलेगा… कि हो क्या रहा है.. नही तो सारा समय हमारी गर्दन झुकी ही रहती है और अपने आसपास वालों  से पूरी तरह से कट जाते हैं तो अब रिश्ते मजबूत बनेंगें.. केयर करेंगे हाल चाल पूछेगें ..

तो तैयार हैं आप डिजीटल डोटोक्स करने के लिए

एक स्वस्थ्य जिंदगी का सबसे बड़ा राज यह है कि अपने शरीर से विषैले तत्वों को निकाला जाए इसलिए अब तक आप अपने शरीर के साथ जो बुरा करते आए हैं सुधार लें…

You need a Digital Detox – मोबाइल की लत – Digital Detox Benefits – Digital Addiction – Monica Gupta

January 3, 2018 By Monica Gupta 3 Comments

How to become a Good Wife – एक अच्छी पत्नी कैसे बने – Husband Wife Relationship Tips

How to become a Good Wife

How to become a Good Wife – एक अच्छी पत्नी कैसे बने – Husband Wife Relationship Tips   #GoodRelationshipTipsInHindi – Monica GuptaQualities needed to be a Good Wife – Husband Wife Relationship Tips In Hindi – Monica Gupta Videos – हर माता पिता का सपना होता है कि बेटी की शादी अच्छे घर में हो और वो खुश रहे… वही शादी के बाद लडकी भी ढेर सारे सपने लेकर नए घर जाती है कई बार सब अच्छा होता है पर कई बार …

How to become a Good Wife – एक अच्छी पत्नी कैसे बने – Husband Wife Relationship Tips

कुछ अनबन भी हो जाती है… तो क्या करना चाहिए एक अच्छी पत्नी बनने के लिए किन बातों का ख्याल रखना चाहिए.. तो चलिए आज इसी बारे में बात करते हैं..

सबसे पहले तो खुश रहिए…

जहां मूड खराब हुआ.. माथे पर बल आए.. वही काम खराब !! कोशिश कीजिए कि आप खुद को खुश रखें और ये पता है कब होगा.. ये तभी होगा जब आप अपनी सेहत का ख्याल रखेंगीं यानि अपने स्वास्थय का ख्याल रखेगी.

How to become a Good Wife – एक अच्छी पत्नी कैसे बने – Husband Wife Relationship Tips

खुद हाय हाय करेगी तो परिवार का ख्याल नही रख पाएगी… तो खुश रहने के लिई जरुरी है अपनी सेहत और सही खान पान…  बात बात पर रोना बंद कीजिए TAKE CARE OF YOURSELF

अपनी PRIORITIES प्राथमिकता निश्चित कर लेनी चाहिए…

अपने घर पर मम्मी या भाभी से बात करना ज्यादा जरुरी है या जब पति घर आए तो उनसे बात करना…बहुत बार होता है फोन पर घंटो बात करने की बहुत आदत होती है या किटी पार्टी में जाने की.. पति घर पर हैं तबियत ठीक नही और आप पार्टी में जा रही हैं…

सही समय पर सही बात करना…

इसका मतलब ये है कि मान जीजिए आपके पति आफिस से थके हारे आए हैं और आप बिन उनका हाल चाल पूछे पूछे सीधा सुना रही हैं नता नही रहीं सुना रहीं हैं कि पडोस के वर्मा जी ने नई कार खरीद ली.. हम कब तक स्कूटर पर धक्के खाएगें.. कब खरीदेंगें कार… पहले पता होता तो दहेज में कार ही ले आती… सोच लीजिए अगर कोई ईमानदारी से घर खर्च चला रहा है तो उन्हें एप्रीशीएट करना चाहिए ना कि ताने मारना चाहिए.. ऐसी बाते बहुत चुभती हैं… आत्मसम्मान को चोट कभी नही पहुचानी चाहिए.. सोच समझ कर ही बोलना चाहिए कि मेरी बात की क्या प्रतिक्रिया हो सकती

पति से बात करना… पति के बारे में बात नही करना …

कोई भी बात या समस्या हो तो सीधा पति से ही बात करनी चाहिए ना कि अपने अडोस पडोस और किटी पार्टी की सहेलियों से… एक बार बात घर की चार दीवारी से बाहर निकल गई फिर आप हमेशा मजाक का कारण बन जाएगी.. तो मौका ही नही देना चाहिए…

understanding नेचर होनी चाहिए..

पति को अचानक दफ्तर में काम आ गया और बाहर धूमने नही जा सकते तो हल्ला नही करना कोई बात नही अगले महीने चलेंगें… अचानक परिवार में किसी की तबियत खराब हो गई और वो आपके घर कुछ दिन रहने आ रहे हैं तो कोई बात नही… ये उनका भी  अभी घर है… ये नही कि कोई पति की तरफ से मेहमान आए तो आपका मुंह बन जाए और अपनी साईड से कोई मेहमान आए तो खूब खातिर दारी करें… दोनो परिवार दोनो माता पिता को एक जैसा सम्मान देना … उस बात की समझ!!

विश्वास रखना…

इस रिश्ते में विश्वास रखना बहुत जरुरी है… इसलिए जरुरी है कि कभी भी कुछ न छिपाएं और जो काम करें बता कर करे… और कभी समझ नही आ रहा तो राय मांग लीजिए… ताक झांक या जासूसी नही..

सॉरी बहुत प्यारा शब्द है इसका इस्तेमाल करते रहिए – गलती मान लेना.. गलती हो भी जाती है तो उसे मान लेना..

लेकिन खुद को बहुत ज्यादा बडा दिखा कर या धमंड दिखाना कि मेरे पापा ने इतने पैसे लगाए शादी में.. मैं क्यू झुकू… ऐसा भी नही होना चाहिए…

बातें तो और भी हैं पर अब मैं आपसे पूछती हूं कि आप बताई कि एक अच्छी पत्नी बनने के लिए किस किस बात का ख्याल रखना चाहिए…

दुनिया का सबसे बेहतरीन रिश्ता वही होता है, जहां एक हल्की मुस्कुराहट और छोटी सी माफी से जिंदगी पहले जैसी हो जाए…

How to become a Good Wife – एक अच्छी पत्नी कैसे बने – Husband Wife Relationship Tips

January 2, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

 How to Stick to New Year Resolutions – नए साल के संकल्प कैसे पूरे करें – Monica Gupta

How to Stick to New Year Resolutions

 How to Stick to New Year Resolutions – नए साल के संकल्प कैसे पूरे करें – Monica Gupta – How to Keep a New Year Resolution –  नए साल की शुरुआत कैसे करें – Start New Year for a Better Life –  Motivational Videos on Self Help in Hindi – #PersonalDevelopmentVideosInHindi – Monica Gupta – How to Keep Your New Year Resolutions

 How to Stick to New Year Resolutions – नए साल के संकल्प कैसे पूरे करें

कल मार्किट मे मेरी सहेली मिली और देखते ही मैंने उसे हैप्पी न्यू ईयर बोला पर जिस खुशी से मैंनें बोला वैसा जवाब नही मिला तो लगा कि पता नही क्या बात है सब ठीक तो है… तो मैंनें पूछ ही लिया कि सब ठीक है हां वो बोली हां ठीक है … तो क्या हुआ.. ??

वो बोली कि आ गया नया साल … तो ?? हर बार टरकाती आ रही थी कि नए साल पर डाईटिंग शुरु करुंगी आ गया नया साल … अब कैसे करुं.. और दुखी होते होते आगे बढ गई… मैं भी घर लौट आई और यही सोच रही थी हम अपने लिए हुए संकल्प का इतना हौव्वा क्यों बना लेते हैं…

क्यों नही छोड पाते … ऐसा क्या नशा है खाने में कि… और बात खाने की नही है कोई भी सकंल्प हो … नही पूरा कर पाते … 6 – 7 दिन बीतते हैं और तनाव सा होने लगता है … और वही सकंल्प जिसे इतने लोगो के सामने ठोक कर लिया होता है चैलेंज करके लिया होता है वो बोझ बन जाता है… तो क्या करना चाहिए कि हम अपने इस सकंल्प पर डटे रहें…

सबसे पहले तो ये कि संकल्प लिया कैसे है

दिल से या धक्के से

दिल से-

Motivation दो तरह का होता है एक तो वो जो सीधा दिल की गहराईयों से होता है … जब हम खुद कुछ करना चाहे यानि खुद अपने मन से  

 धक्के से –

एक होता है दिखावा जिसे हम उपरी मन से करते हैं अक्सर तो किसी के कहने पर

अब सोचना इस बात का है आप किस केटेगिरी में आते हैं अगर दिल से वाले में आते हैं तो आप कर भी सकते हैं और अगर नही धक्के से है तो एक बार सोचना होगा… और इसे दिल तक बनाना होगा

तो जरुरत इस बात की है कि खुद को तैयार करना होगा दिल से… कम्फर्ट जोन से बाहर निकलना होगा…

 मन डगमगा रहा है तो टारगेट थोडा छोटा कर लीजिए…

जैसे मान लीजिए आपने सोचा है कि मीठा बंद तो बंद और मीठा देख देख कर आपका मन ललचा रहा है… ऐसे का भी क्या फायदा… आप ये सोचिए बंद नही करना .. एक चमच की बजाय आधा चम्मच चीनी लूंगी और अगर दिन में तीन बार चाय पीती हूं तो दो बार पीऊंगी… हो गया न सेट गोल…

एक किलोमीटर नही सिर पार्क का एक चक्कर लगना है आपका बिस्तर छोड कर बाहर निकलना ही बहुत बडी बात है … और फिर जब अपने जैसे लोगो को वहा देखेंगें तो मोटिवेशन मिलेगी कि वो लोग भी आते हैं…

जैसा मान लीजिए अगर आपने बाहर सैर का संकल्प लिया है और आप बाहर गए हैं और दस मिनट चलें हैं फिर आप थक गए तो ये भी बहुत बडी उपलब्धि है… अगले दिन देखिए कि आप उससे भी दस कदम आगे चलें… सिर्फ दस कदम… और ऐसे ही बढाते जाईए… आप देख लीजिए कि एक महीने में कितनी चलना शुरु हो गया…

लिख लीजिए… आप एक डायरी बना सकते हैं और हर रोज हर रोज पर लिखिए… आप ये सोच लीजिए कि जब तक मैने अपना लिया संकल्प आज पूरा नही किया तो मैं कोई काम ही नही करुंगी…

“why” से “why not पर आ जाईए…

कई बार मन मे आता है सब ठीक तो चल ही रहा है किसलिए करुं किसलिए सुबह जल्दी उठकर पढाई करुं  किसलिए एक चपाती खाऊं. तो अपने आप से बात कीजिए कि “why” की बजाय why not कहना है कि किसलिए नही… मुझे अपना कुछ बन कर दिखाना ही दिखाना है

 जरुरत है अपने आप से ईमानदार रहने की…

हमें अगर अपनी बात पर कायम रहना है तो हमें अपने साथ ईमानदार रहना बहुत जरुरी है… जैसाकि मान लीजिए मैंनें सोचा है कि एक ही चपाती खानी है और फिर देख इधर उधर कि कोई नही देख रहा तो उसे खा लिया… या सैर करने गए.. सोचा है कि सिग्रेट छोड दूंगा… बाहर गए और स्मोक करके आ गए… घर वालो की नजर में आप छोड चुके हैं.. इसका कोई फायदा है … अगर नही है तो अपने प्रति ईमानदार रहिए…

अपनी जवाबदेही के लिए तैयार रहिए…

ये आपका सकंल्प था तो आपको अपने आप को इसका जवाब भी देना ही पडेगा… आसान नही होता पर अगर मन पक्का कर लेगें तो मुश्किल भी नही…

अपने दोस्त सकारात्मक सोच के रखिए…

ऐसे दोस्त हों जो मोटिवेट करें न कि मजाक बनाएं मान लीजिए एक लडके का ग्रुप है और वो शराब नही लेता बोलता है कि मैने छोड दी है…  तो उसके दोस्त मजाक बना रहे है अल्ले बेटे ने शराब छोड दी… दूधु लाओ बच्चे के लिए बच्चा दूध पीएगा… ऐसे दोस्तों का साथ एकदम से छोड दीजिए…

खुद को मोटिवेट कीजिए...

मैं एक उदाहरण बनने जा रहा हूं ऐसी सोच हर एक की नही होती.. man of principles.. मैं बन कर दिखाऊंगा… प्रेरणा बनूंगा कि जो कहा वो किया… मन  ये सोचिए कि हर किसी में इतनी हिम्मत नही होती.. मैं करके दिखाऊंगा !!

सर्च कीजिए…

ऐसे लोगो को सर्च कीजिए जो अपना लक्ष्य पा पाए हैं या ऐसा कुछ मोटिवेशनल पढिए कि जिन्होनें सोचा और वैसा ही किया ऐसे लोगो से मोटिवेशन मिलती है और मन में आता है कि जब वो कर सकते हैं तो मैं क्यू नही…

मन को मजबूत करना ही होगा … अपना इरादा पक्का बनाना ही होगा…

ख्वाहिशों से नही गिरते फूल,  झोली में, वक्त की डाल को हिलाना होगा

कुछ नही होगा अंधेरो को बुरा कहने से,  अपने हिस्से का “दिया” खुद ही जलाना होगा.

How to Stick to New Year Resolutions – नए साल के संकल्प कैसे पूरे करें –

January 1, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

How to Start the New Year right – ऐसे करें नए साल की शुरुआत – नए साल के दिन क्या करें  – Monica Gupta –

How to Start the New Year right

How to Start the New Year right – ऐसे करें नए साल की शुरुआत – नए साल के दिन क्या करें  – Monica Gupta – दिन की शुरुआत भगवान का नाम लेकर की जाए तो दिन अच्छा बीतता है.. वैसे भगवान रहते कहां हैं.. इस बारे में बहुत धारणाए हैं… एक कहानी इसी बारे में मैंने  पढी थी…

How to Start the New Year right – ऐसे करें नए साल की शुरुआत – नए साल के दिन क्या करें  – Monica Gupta

जब भगवान जी ने दुनिया बनाई तो बहुत खुश हुए पर हुआ क्या कि जब भी किसी मनुष्य को मुसीबत आती तो वो भागा भागा भगवान के पास आ जाता… तब भगवान जी परेशान होकर एक मीटिंग बुलाते हैं सभी देवी देवता आते हैं भगवान जी कहते हैं कि जब देखो मनुष्य अपनी मुसीबत  लेकर आते रहते हैं न मैं तप कर सकता हूं न शांति से रह सकता हूं क्या करु कहां जाऊ तो

 

आप लोग मुझे कृपया ऐसा स्थान बताएं जहां मनुष्य नाम का प्राणी न पहुंच सके।

सभी देवी देवताओं ने अपने-अपने विचार प्रकट किए कोई बोले ‘आप हिमालय पर्वत की चोटी पर चले जाएंपर भगवन ने कहा कि वहां भी सब पहुंच जाते हैं

किसी ने कहा कि समुद्र मे चले जाईए तो वहा6 भी पहुंच जाते ‘यह स्थान तो मनुष्य की पहुंच में है। उसे वहां पहुंचने में अधिक समय नहीं लगेगा।

  ब्रह्माजी निराश होने लगे थे। वह मन ही मन सोचने लगे, ‘क्या मेरे लिए कोई भी ऐसा गुप्त स्थान नहीं है, जहां मैं शांतिपूर्वक रह सकूं’

अंत में सूर्य देव बोले, ‘आप ऐसा करें कि मनुष्य के हृदय में बैठ जाएं। मनुष्य इस स्थान पर आपको ढूंढने में सदा उलझा रहेगा’

ब्रह्माजी को सूर्य देव की बात पसंद आ गई। उन्होंने ऐसा ही किया। वह मनुष्य के हृदय में जाकर बैठ गए। उस दिन से मनुष्य अपना दुख व्यक्त करने के लिए ब्रह्माजीको ऊपर ,नीचे, दाएं, बाएं, आकाश, पाताल में ढूंढ रहा है पर वह मिल नहीं रहे। मनुष्य अपने भीतर बैठे हुए देवता को नहीं देख पा रहा है

नियत अच्छी हो तो, भक्ति भी सच्ची होती हैं,
भगवान हर हृदय में हैं, घरो में रखने की जरूरत नही होती हैं.

सत्यम-शिवम-सुन्दरम,
हर हृदय में हर-हर हैं,

प्यार में ताकत हैं दुनिया को झुकाने की,
वरना क्या जरूरत थी राम को झूठे बैर खाने की.

How to Start the New Year right – ऐसे करें नए साल की शुरुआत – नए साल के दिन क्या करें  – Monica Gupta –

December 31, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Love Yourself and Be Happy – खुश कैसे रहें – अपने आप से प्यार करें – अपना ख्याल रखें – Monica Gupta

Love Yourself and Be Happy

Love Yourself and Be Happy – खुश कैसे रहें – अपने आप से प्यार करें – अपना ख्याल रखें – Monica Gupta – #PersonalDevelopmentVideosInHindi – Monica Gupta – खुश रहने के लिए क्या करें – How to be Happy – http://https://www.youtube.com/@MonicaGupta/ – Motivational Videos in Hindi – मोनिका गुप्ता

क्या आप किसी को पसंद करते हैं… बहुत ज्यादा पसंद ?? तो क्या करते हैं उनके लिए !! उनका ख्याल रखते हैं उनके लिए फिक्र मंद होते हैं भगवान से यही कामना करते हैं कि इनके ऊपर कभी कोई दिक्कत न आए… यही सब ना .. !!

Love Yourself and Be Happy – खुश कैसे रहें – अपने आप से प्यार करें – अपना ख्याल रखें

चलिए भगवान ने आपको ये गुण तो दिया है… कि आप बहुत केयरिंग हैं बहुत प्यार करने वाला दिल है आपके पास.. लविंग नेचर है आपकी

तो चलिए आज एक काम करते हैं … आज अपने आप से प्यार करते हैं…देखिए जब हम किसी को प्यार करते हैं पसंद करते हैं तो क्या करते हैं.. उनका ख्याल रखते हैं कभी नही चाह्ते उनकी तबियत खराब हो…

कभी नही चाह्ते कि उनके ऊपर कोई दिक्कत आए… और अगर हम खुद से प्यार करना शुरु कर देंगें तो यही बात अगर हम अपने ऊपर अपनाएगें तो देख लीजिए कितना फर्क पड जाएगा… फिर टाल मटोल करने की आदत भी खत्म हो जाएगी… फिर शुरु होगा हमारे जीवन का नया अध्याय…

आज जिंदगी में हमें सब कुछ चाहिए अच्छा परिवार अच्छी नौकरी अच्छा घर… ये सब कब मिलेगा… ये सब तब मिलेगा जब हम काम करेंगें और काम तभी करेंगें जब हमारी सेहत अच्छी होगी… सेहत अच्छी कब होगी जब हम अपना ख्याल रखेंगें और ख्याल कब रखेंगें .. ख्याल तभी रखेंगें जब हम अपने आप से प्यार करेंगें अपनी केयर करेंगें…

वैसे खुद को प्यार करने के बहुत सारे फायदे हैं …

सबसे पहला तो यही कि हम स्वस्थ रहेंगें अपनी सेहत का ख्याल रखेंगें…

हम अच्छा सोचेगें… जब अपनी केयर करेंगें तो यकीनन अच्छा ही सोचेगें जो चीजे हमे नुकसान देती हैं उनसे दूर रहेंगें… जैसा कि नशा नशा से दूर रहेंगें

फिर हम नेगेटिव नही होंगें यानि सोच पोजीटिव रहेगी… खुद को appreciate करेगें …  खुद को कोसेगे नही

अपना एक बहुत प्यारा दोस्त मिल जाएगा.. जो हमेशा आपके साथ रहेगा…

जब आप खुद की केयर करनी शुरु कर देंगें तो  healthier decisions लेगें… चाहे हमारी सेहत की बात हो या अन्य कुछ भी .. हम तुरंत न कहने वाले बन जाएगे..

टाल मटोल खत्म हो जाएगी कि चल आज खा लेते हैं क्या फर्क पडता है

खुद की छवि अच्छी बनती है जब दूसरे देखते है तो कह उठते है कि वाह … !! प्रेरणा बन सकते हैं

हम अपने आप को younger महसूस करते हैं …

जब तनाव ही नही होगा तो झुरिया भी नही आएगी चेहरे पर

जब हम खुश होगें तो हम दूसरो का भी करना चाहेंगें .. मान लीजिए एक महिला है हमेशा बीमार रहती है… उसका मन करेगा किसी की सेवा करे..

और इससे आता है confidence  कोई किसी को एप्रीशीएट नही करता .. ह्म किसी की इंतजार नही करनी होगी . खुद की पीठ थपथपाएगें

तो चलिए एक नई शुरुआत करते हैं… खुद से नाराज होईए खुद को गुस्सा कीजिए और तो और खुद को रिश्वत भी दीजिए…

हर दिन अपनी जिंदगी को नया ख्वाब दो

चाहे पूरा न हो पर एक आवाज दो

एक दिन पूरे हो जाएगें ख्वाब सारे, सिर्फ एक शुरुआत तो दो…

       ख्वाहिशों से नही गिरते ‘फूल,  झोली में, वक्त की डाल को हिलाना होगा

कुछ नही होगा अंधेरो को बुरा कहने से,  अपने हिस्से का ” दीया ‘ खुद ही जलाना होगा.

Love Yourself and Be Happy – खुश कैसे रहें – अपने आप से प्यार करें – अपना ख्याल रखें – Monica Gupta

December 30, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Teach Kids to Accept Failures – बच्चों को सिखाएं – विफलता को स्वीकार करें – Monica Gupta

Teach Kids to Accept Failures

Teach Kids to Accept Failures – बच्चों को सिखाएं – विफलता को स्वीकार करें – Monica Gupta – Parenting Tips in Hindi – पेरेंटिंग टिप्स – बच्चों को कैसे समझाएं बच्चों की परवरिश – बच्चों की परवरिश कैसे करें – परवरिश के तरीके – बच्चों को हम पेरेंट्स क्या क्या सीखाते हैं.. लिखना, पढ़ना  खेलना, हंसना बोलना…  पर क्या हम बच्चों को फेल होने पर, असफल हो जाने पर उसे स्वीकार कर लेना चाहिए सीखाते हैं ?? नही ..

Teach Kids to Accept Failures – बच्चों को सिखाएं – विफलता को स्वीकार करें

ज्यादातर पेरेंट्स नही सीखाते क्योंकि पेरेंट्स  का बस एक ही लक्ष्य होता है कि बच्चा हर चीज में फर्स्ट रहे… उससे इतनी उम्मीदे रख लेते हैं अगर बच्चा किसी काम में रह गया तो नाराज हो जाते हैं, बहुत प्रेशर डालते हैं… टीवी खाना बंद कर देते हैं वहीं बच्चा भी सफलता न मिलने पर वो उसे पचा नही पाता और टूट जाता है… जबकि हमें बच्चों को सीखाना चाहिए जीवन मे सफलता और असफलता दोनो होती रहती हैं और हमें दोनो को स्वीकार करना आना चाहिए..

ऐसा नही करना चाहिए कि बच्चे के नम्बर सबसे ज्यादा आए तो टेस्ट में चीटिंग भी करवा रहे हैं या प्रैक्टिकल है और जो examiner आए हैं उन्हें पैसे खिला कर या सिफारिश से बच्चे के नम्बर लगवा रहे हैं..

ऐसे में बच्चा हमेशा सफलता ही चाहेगा और जब उसे नही मिलेगी तो वो टूट जाएगा.. ऐसी स्थिति से बचने के लिए हमे उसे ये सीखाना होगा कि हार जाना भी आना चाहिए… सफल न होने पर मायूस नही होना… अगर सफलता चाहते हैं तो असफलता का स्वाद भी चखना पडेगा..

पेरेंट्स खुद मॉडल बनें..

मॉडल तब बनेंग़ें जब अपनी उम्मीदें कम रखेंगें…

इसका बहुत प्रेशर बच्चे पर पडता है.. बहुत ज्यादा उम्मीद रखते हैं और किसी वजह से अच्छा नही कर पाया तो बुरा बर्ताव करते हैं… कुछ दिन पहले मैंने एक रिएलिटी शो में देखा कि एक बच्चे की आवाज बहुत अच्छी थी पर उसके सुर बिखर रहे थे.. गाने के बाद उसने बताया कि पापा का बहुत प्रेशर था कि अगर इसमे सेलेक्ट नही हुआ तो तेरा गाना बंद… इसलिए वो बहुत तनाव में गा रहा था… वही एक बच्चा जिसके सुर इतने अच्छे नही थे पर वो पूरी मस्ती में गा रहा था.. क्योकि उसके मम्मी पापा ने कहा था कि तुम चाहे सेलेक्ट हो या न हो हमारे लिए तो तुम हीरो हो… और वो खूब मस्ती में गा रहा था… और वो सिलेक्ट भी हो गया… ये होता है जब बहुत प्रेशर होता है… इसलिए प्रेरेंट्स को यह बात सीखनी चाहिए कि प्रेशर न डाले.

बच्चे से empathy यानि सहानूभूति रखनी चाहिए…

आमतौर पर बच्चे के असफल होने पर हम बोल देते हैं कि ठीक है अगली बार अच्छा करना… इसका मतलब हो ये हुआ ना कि बच्चे ने इस बार अच्छा नही किया … जबकि कहना चाहिए कि आप बहुत ज्यादा उदास हो … मुझे पता है आप इससे बेहतर करना चाहते थे कोई बात नहीं.. यानि उसे मोटिवेट करना है न कि डिमोटिवेट..

कई बार फेल होना एक सबक होता है..

कितनी बार जब बच्चे के कम नम्बर आते हैं तो पेरेंटस ये कहते हैं कि अच्छा हुआ.. अब सबक मिलेगा अब मेहनत करेगा… एक बात तो मैं ही बताती हूं कि दो दोस्त थे.. 9 क्लास में..  एक की english अच्छी थी दूसरे का maths दोनो ने स्कीम बना ली कि एक दूसरे को दिखाएगें… english वाले ने तो अपना पेपर दिखा दिया पर दूसरे ने अपना maths का पेपर  नही दिखाया उसने चीटिंग कर ली… वो बच्चा फेल हो गया पर अब उसमे एक नया आत्मविश्वास था कि खुद अपनी maths अच्छी करेगा.. और अगले साल वो मेहनत करके क्लास में फर्स्ट आया  इसलिए सीखाना चाहिए कि

इसे दिल और दिमाग पर हावी नही होने देना… .

ये जिंदगी का बहुत महत्वपूर्ण सबक है…  और अगर ये पेरेंटस ने बच्चे को सीखा दिया तो वो जिंदगी का सामना सहजता से करेगा और जल्दी ही उससे बाहर भी आ जाएगा..

बच्चों को उदाहरण भी दीजिए..

अगर हम गूगल सर्च करेंगें या नेट पर सर्च करेंगें बहुत सारी ऐसी प्रेरक कहानियां हैं जिनसे हम सबक ले सकते हैं कि इन्होनें भी इतनी दुख, तकलीफ उठाई पर आज देखो उससे निकल कर आ गए और सफल भी है…

एक प्रसंग कुछ ऐसे हैं कि एक बार एक व्यक्ति मंदिर से बाहर आ रहा होता है और बहुत सारे बंदर उसके पीछे पड जाते हैं तो वो आदमी डर कर भागने लगता है वही एक पंडित देख रहे होते हैं वो बोलते हैं भागो मत सामना करो…  वो वही रुक गए और सामना किया और अब बंदरों के डर कर भागने की बारी थी… हमारे सामने दो situation आती हैं पहली भाग लो या भाग लो… या तो भाग लो या सामना करो उस चैलेंज का…

असफलता ही सफलता की सीढ़ी है

ये समझाना चाहिए कि असफलता हमें सबक सीखाती है… बहुत बार ऐसा होता है कि हम अपनी हार को एक चैलेंज की तरह ले लेते हैं और फिर दुगुने उत्साह के साथ सामना करते हैं

दूसरे शब्दों में, हमारी असफलता, हमारी हार, एक opportunity ले कर आती है.. जो हमें महसूस कराती है.  हम सीखते हैं और आगे बढते हैं..

नई Field Explore होती हैं …

एक अच्छे बात ये भी होती है हम नई नई चीजे सीख जाते हैं.. कई बार हम एक ही चीज के पीछे लग जाते हैं दूसरी चीज को ट्राई ही नही देते जबकि इसी बहाने हम दूसरी चीज पर अपना ध्यान लगाते हैं और पता चलता है अरे ये तो बहुत अच्छी थी… तो एक तरह से असफलता वरदान बन कर आई.. जैसे एक बच्चा बहुत प्रैक्टिस करता है वेट लेफ्टिंग की.. पर बार बार असफल हो जाता है फिर एक बार उसे मौका मिलता है कि वो रंनिग करे और उसमे उसे गोल्ड मैडल मिल जाता है…

असफल होने पर बहुत बार ये भी देखा गया है

खुद पर विश्वास ज्यादा हो जाता है मन मजबूत कर के हम खुद को ही चैलेंज कर देते हैं..

“मैं” से बाहर निकलते हैं..  Sportsmanship बढती है..

कि मैं ही जीतूंगा मैं ही फर्स्ट आऊंगा.. इससे बाहर निकल कर दूसरों को जीतते हुए देखते हैं तो sportsmanship बढती है..

कुल मिलाकर बच्चों को असफलता का, हार का सामना करना सीखाना चाहिए.. ठोकर खाकर ही सीखते हैं हम कई बार !!

मील का पत्थर बन कर आता है ये हमारे सामने…

तो क्या सोचा.. ??

Teach Kids to Accept Failures – बच्चों को सिखाएं – विफलता को स्वीकार करें – Monica Gupta

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छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

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