Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 27, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

सोच कर समझ कर कॉमेंट कर – व्यक्तित्व विकास टिप्स

जीवन में माता पिता का महत्व

सोच कर समझ कर कॉमेंट कर  – व्यक्तित्व विकास टिप्स- Personality Development  Tips विचार हमारे व्यक्तित्व का आईना है, विचार करें – कॉमेंट करना भी एक आर्ट है . स्मार्ट दिखने के लिए हम क्या क्या करते हैं … पहले तो कपडे अच्छे पहनते हैं , perfume लगाते हैं , body language सही रखते हैं और eye contact बना कर रखते हैं … बिल्कुल ठीक पर अगर आप सोशल मीडिया पर हो जहां आपको कोई देख नही रहा. मान लीजिए .. आप मुझे देख पा रहे हैं पर  मैं आपको नही देख पा रही तो ऐसे में आप वहां अपनी presence उपस्थिति कैसे दर्ज करवाएंगें … सोचिए सोचिए …???

सोच कर समझ कर कॉमेंट कर – व्यक्तित्व विकास टिप्स

मैं बताती हूं वहां आप अपनी राईटिंग से सभी को इम्प्रेस करेंगें … अच्छे कॉमेंट भी करेंगें … वाकई,  कमेंटस भी हमारी पर्सनालिटी पर बहुत गहरा असर डालती है … इसलिए यहां पर पूरा ध्यान इस बात पर रहना चाहिए कि हमारे कमेंटस अच्छे हों ताकि वो सभी को अच्छा लगे कुल मिलाकर सही कॉमेंट कमेंट करना भी एक आर्ट है ,

अगर हम अपनी अच्छी पर्सनालिटी बनाए रखना चाहते हैं स्मार्ट लगना चाहते हैं तो  तो कॉमेंट करने पर बहुत ध्यान देना होगा … क्योकि हम किसी के दिल में भी उतर सकते हैं और दिल से भी … मैं कुछ उदाहरण बताती हूं … जैसा कि कैसे कैसे कमेंट करते हैं लोग

एक पोस्ट पर मैंने देखा कि किसी ने लिखा था कि उसके अंकल की death हो गई … और बहुत सारे likes थे… ऐसे में वो क्या होंगें … block … बिल्कुल सही कहा  … अब और सुनिए …

हमें स्माईली बनाने का बहुत शौक होता है और वो इजी भी होता है पर उसके बारे में भी सही सही नॉलिज होनी जरुरी है … स्माईली की पहचान होनी भी बहुत जरुरी है .. इसी post  पर मैंने देखा स्माईली बनाई हुई थी … 😆 हंस हस कर बुरा हाल वाली … अब बताईए

कई बार किसी की पोस्ट पर बजाय उस पोस्ट के बारे मे लिखने के अपने ही विज्ञापन का प्रचार करने लगता है और एक बार नही बहुत बार …  उपर क्या लिखा है क्या नही उससे मतलब नही …

कुछ लोग गलत वीडियो डाल देते हैं जिसका कोई मतलब ही नही …

 

कोई कमेंट पर सिर्फ गुड मोर्निंग, गुड नाईट लिखता है उसे कोई मतलब नही कि पोस्ट किस बारे में है

 

कुछ लोग इतने नेगेटिव होते हैं कि उन्हें हर बात काटनी ही होती है कोई न कोई नुक्स निकाल कर ये जताने की कोशिश करते हैं कि लिखने वाला गलत है … हर बार … इंतजार करते हैं कि वो कुछ लिखे और वो बात काटे

. कुछ लोग  पोस्ट की बात छोड कर आपस मे ही बात करने लग जाते हैं … चाहे वो दोस्ती की बात हो या टकराव की …

 

अगर हम अपनी अच्छी पर्सनालिटी बनाए रखना चाहते हैं तो कॉमेंट करने पर बहुत ध्यान देना होगा … आजकल हम सोशल मीडिया पर ज्यादा active  हैं और लोगो का आपस में मिलना जुलना कम है  बस facebook , blog हुआ, टविटर हुआ लिख कर अपने होने का अहसास करवाते हैं इसलिए किसी पोस्ट पर हमारा कमेंट हमें स्मार्ट भी बना सकता है और नालायक भी …

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 सोच कर समझ कर कॉमेंट कर – व्यक्तित्व विकास टिप्स

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June 26, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

सावधान रहें सतर्क रहें इन लोगो से

जीवन में माता पिता का महत्व

सावधान रहें सतर्क रहें इन लोगो से  – कैसे लोगो से बचें जोकि हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं  , मतलबी रिश्ते वाले कैसे होते हैं , कैसे सावधान रहें इन लोगो से ..  savdhaan rahe satark rahe… सावधान इंडिया.. कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनसे सावधान रहना चाहिए. कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें कभी भी नाराज नहीं करना चाहिए.

सावधान रहें सतर्क रहें इन लोगो से

अक्सर हम सुनते हैं कि 4 लोग क्या कहेंगें … पर हकीकत में चार लोग किसी ने नही देखे पर हां,  तीन तरह के लोग हमारी जिंदगी में जरुर आते हैं सच में, कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनसे सावधान रहना चाहिए. कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें कभी भी नाराज नहीं करना चाहिए. इसी बारे में नेट पर मैंने एक कहानी पढी और अच्छी लगी इसलिए शेयर कर रही हूं

 

बहुत समय पहले एक गुरुकुल में शिक्षा लेने के बाद जब शिष्य अपने-अपने घर लौट रहे थे। गुरुजी भी अपने शिष्यों की शिक्षा से बहुत खुश थे और अंतिम उपदेश देने की तैयारी कर रहे थे।

गुरुजी के हाथ में लकड़ी के 3 गुड्डे थे। उन्होंने शिष्यों को तीनों गुड्डे दिखाते हुए कहा कि आप सभी को इन तीनो में फर्क क्या है  सभी  ध्यान से  गुड्डों को देखने लगे. वो  हैरान कि सब एक जैसे हैं.

तभी किसी शिष्य को एक गुड्डे के कान में छेद दिखाई दिया। इसके बाद तीनों गुड्डों में अंतर खोजकर गुरुजी को बताया कि

एक गुड्डे के दोनों कान में छेद है

दूसरे गुड्डे के एक कान और मुंह में छेद है

तीसरे के सिर्फ एक ही कान में छेद है

 

https://youtu.be/VTPnT8SNhRw


गुरुजी प्रसन्न हो गए. इसके बाद गुरुजी ने एक पतला तार शिष्यों देते हुए कहा कि इस तार को गुड्डों के कान के छेद में डालों. शिष्यों ने वैसा ही किया. तार पहले गुड्डे के एक कान से होता हुआ दूसरे कान से निकल गया.

दूसरे गुड्डे के कान से होते हुए मुंह से निकल गया.

तीसरे गुड्डे के कान में तार घुसा पर कहीं से निकल नहीं पाया.

 

तब गुरुजी ने शिष्यों से कहा कि इन तीन गुड्डों की तरह ही आपके जीवन में तीन तरह के लोग आएंगे.

पहला गुड्डा ऐसे लोगों को दर्शाता है जो आपकी बात एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देंगे. ऐसे लोगों को कभी भी अपनी समस्या नहीं बतानी चाहिए.

दूसरा गुड्डा ऐसे लोगों को दर्शाता है जो आपकी बात सुनते हैं और उसे दूसरों के सामने बोलते हैं. इनसे सावधान रहना चाहिए और कभी भी अपनी महत्त्वपूर्ण बातें इन्हें नहीं बतानी चाहिए.

 तीसरा गुड्डा ऐसे लोगों का प्रतीक है, जिन पर भरोसा किया जा सकता है.  इन लोगों से किसी भी तरह का विचार-विमर्श कर सकते हैं.  इन से सलाह ले सकते हैं. यही वे लोग होते हैं जो हमारी ताकत बन सकते हैं। इन्हें कभी भी खोना नहीं चाहिए. 

कैसे लोगो से बचें , मतलबी रिश्ते, सावधान रहें इन लोगो से जो … ,

सावधान रहना चाहिए इन लोगो से, सावधान इंडिया, सतर्क रहना,

सावधान रहें सतर्क रहें इन लोगो से

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June 24, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

हिंदी की बाल साहित्यकार – बाल साहित्य की विधाएँ

अच्छे दिन आने वाले हैं

 हिंदी की बाल साहित्यकार – बाल साहित्य की विधाएँ – बाल साहित्य लेखन हमेशा से बहुत आकर्षित करता है.. सबसे अच्छी बात ये लगती है कि बाल लेखन के समय मन भी बच्चा बन जाता है …

 हिंदी की बाल साहित्यकार – बाल साहित्य की विधाएँ –

देखा जाए तो लगभग 27 साल से सक्रिय हूं । दिल्ली सिटी केबल से अपने कार्य की शुरुआत की.  राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं के साथ-साथ लोटपोट, चंपक, बालहंस, बालभारती, नैशनल बुक ट्रस्ट की न्यूज़ बुलेटिन आदि में इनके लेख, कहानी एवं प्रेरक प्रसंग नियमित रूप से छपते रहे हैं।

इसके साथ-साथ इन्होंने जयपुर और हिसार आकाशवाणी के कई प्रोग्राम में भी भाग  लिया और एकंरिंग  भी की । आकाशवाणी रोहतक से इनके द्वारा लिखित नाटक एवं झलकियां प्रसारित होती रही हैं। बाल नाटक बहुत लिखे जोकि आकाशवाणी में भी प्ररसारित हुुुए 

 अभी तक 8 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। दो किताबों को बाल साहित्य सम्मान मिला है हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से … 

 हिंदी की बाल साहित्यकार – बाल साहित्य की विधाएँ –

‘मैं हूं मणि’ को 2009 में हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से बाल साहित्य पुरस्कार मिला।बच्चों की कहानियों  का सकंलन है.

 ‘काकी कहे कहानी’

 ‘काकी कहे कहानी’ बाल पुस्तक है जो ‘नैशनल बुक ट्रस्ट’ से प्रकाशित हुई है. काकी कहे कहानी  नेशनल बुक ट्रस्ट , इंडिया से प्रकाशित बाल कहानी है. काकी कहे कहानी का प्रकाशन 2011 में हुआ. ये एक ही  छोटी सी कहानी है जिसके मात्र 16 पेज है. कहानी आज के बच्चें की सोच पर आधारित है.

कहानी में काकी शहर में रहने वाले  बच्चें मोहित को  मजेदार मजेदार कहानियां  सुनाना चाहती है ऐसे में क्या मोहित कहानी सुनता है या अपनी मोबाईल और टीवी की दुनिया में ही खोया रहता है या पढाई के बेहद तनाव की वजह से वो कहानी नही सुन पाता … 

बाल पुस्तक ‘अब मुश्किल नहीं कुछ भी’

 एक अन्य बाल पुस्तक ‘अब मुश्किल नहीं कुछ भी’ को भी हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से अनुदान मिला है।इसमे जानी मानी शख्सियत के साक्षात्कार हैं कि उनका बचपन कैसा था और आज कितनी जबरदस्त उपलब्धियां मिली हैं. अब मुश्किल नही कुछ भी   प्रेरणादायक बाल साहित्य है.सन 2008 में प्रकाशित पुस्तिका को हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से  अनुदान मिला.

अब मुश्किल नही कुछ भी  …
यह किताब  बच्चों को प्रेरणा और सीख देने के लिए लिखी है पर मैने भी इन सभी शखिसयतो से मिलकर बहुत कुछ सीखा है।  इसमें मेहनत की पटकथा पर जीवन की सफलता की फिल्म रचने वाले दस व्यक्तित्वों की रोचक एवं प्रेरणास्पद कहानियां हैं।

लिम्का बुक आफ रिकार्डस की सम्पादिका श्रीमति विजया घोष, काटूर्निस्ट संकेत गोस्वामी, माऊंट ऐवेरेस्ट फतह करने वाली सुश्री ममता सोढा, भारतोलन मे अर्जुन एर्वाड विजेता श्रीमति भारती सिंह, जिला उपायुक्त और रक्त दान के क्षेत्र मे अलग पहचान बनाने वाले डा0 युद्धवीर सिंह ख्यालिया , निर्माता, निर्देशक सिनेमेटोग्राफर और गायक श्री मनमोहन सिंह, मैनेजेमैंट फंडा के गुरू और लेखन के प्रति समर्पित श्री नटराजन रघुरामन, सुप्रसिद्ध कवि, लेखक प्रोफेसर अशोक चक्रधर, मशहर टेलीविजन अदाकारा सुश्री नेहा शरद जोशी, एक पैर से मैराथान मे हिस्सा ले रहे जाने माने पहले भारतीय ब्लेड रनर  और जाबांज  मेजर देवेन्द्र पाल सिहं।

 ‘वो तीस दिन’ बाल उपन्यास

 ‘वो तीस दिन’ बाल उपन्यास ,नैशनल बुक ट्रस्ट के नेहरू बाल पुस्तकालय की ओर से 2014 में प्रकाशित हुआ है। इस किताब को हरियाणा साहित्य अकादमी की तरफ से  2016 का बाल साहित्य पुरस्कार मिला है.

 

TV पर बच्चों को मोटिवेट करने के लिए ढेर सारे प्रोग्राम बनाएं

 

स्वच्छ्ता पर गाना भी फिल्माया और एक गाना खुद भी लिख कर बच्चोंं पर फिल्माया

 

 

 दैनिक नवज्योति, जयपुर से हर रविवार  लगभग 4 साल तक लागतार ‘दीदी की चिट्ठी’ के नाम से बच्चों के लिए लेख नियमित रूप से छ्पे हैं

इसके अतिरिक्त आजकल यूटयूब पर चैनल पर बच्चों की कहानियां व अन्य मोटिवेशनल विचार देकर प्रेरित करती हैं

 

 

 

 

 

नेशनल बुक ट्र्स्ट की वेबसाईट पर मेरी लिखी किताब का कवर पेज …

अब तक प्रकाशित 8 किताबें

 

सफर जारी है … शेष फिर

June 24, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

जिंदगी जिंदादिली का नाम है

 जिंदगी जिंदादिली का नाम है

जिंदगी जिंदादिली का नाम है… zindagi zindadili ka naam hai – सुख दुख आते जाते रहते है – जिंदगी चलती रहनी चाहिए – सोशल नेट वर्किंग साईट पर एक लडकी से जान पहचान हुई. कल उसका बर्थ डे था तो मैं जब फोन करके उसे विश किया तो उसने ज्यादा खुशी नही दिखाई …

 जिंदगी जिंदादिली का नाम है

मैंने पूछा कि पार्टी के लिए कहां जा रहे हो तो वो बोली कि वो अपना बर्थ डे कभी नही मनाती क्योकि 10 साल पहले उसके अंकल की death  हो गई थी … तब से उसका कोई  बर्थ डे कोई नही मनाता जब भी जन्मदिन आता है सब बस अंकल को ही याद करते हैं सब … उसकी उदासी देख कर मैंने  भी ज्यादा बात नही की और फोन रख दिया पर मुझे याद आई एक कहानी  जो मैंने net  पर पढी थी.

 

कुछ दिन पहले एक एक आदमी की इकलौती  बेटी बीमार पड़ गयी. बहुत कोशिश के बाद भी वो नहीं बच पाई. पिता गहरे शोक में डूब गया और खुद को दुनिया और दोस्तों से दूर कर लिया.

एक रात उसे  सपना आया की वो स्वर्ग में था जहाँ नन्ही परियो का जुलुस जा रहा था. वो सब जलती candle को हाथ में लिए सफ़ेद पोशाक में थी. उनमे से एक लड़की की मोमबत्ती बुझी हुई थी. व्यक्ति ने पास जाकर देखा तो वो उसकी बेटी थी.

उसने अपनी बेटी को दुलारा और पूछा की ‘बेटी तुम्हारी candle में रौशनी क्यों नहीं हैं?’लड़की बोली की ‘पापा ये लोग कई बार मेरी मोमबत्ती जलाते हैं लेकिन आपके आंसुओ से हर बार बुझ जाती हैं.” एकदम से उस आदमी की नीदं खुली और उसे सपने का मतलब समझ आ गया. तब से उसने दोस्तों से मिलना खुश रहना शुरू कर दिया ताकि उसके आंसुओ से उसकी बेटी की candle न बुझे.

कई बार हमारे आंसू और दुःख, हमारे न चाहते हुए भी अपनों को दुःख देते हैं. और वे भी दुखी हो जाते हैं.

 जिंदगी जिंदादिली का नाम है

मूव ऑन आगे बढो … हिम्मत रखो

सुख दुख आते जाते रहते है – जिंदगी चलती रहनी चाहिए

जिंदगी का सच , जिंदगी का कड़वा सच , छोटी छोटी खुशियाँ

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June 23, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

अच्छे स्वास्थ्य का महत्व समझना होगा

जीवन में माता पिता का महत्व

अच्छे स्वास्थ्य का महत्व समझना होगा –  अच्छा स्वास्थ्य महा वरदान – आप क्या कर रहे हो .  स्वास्थ्य ही जीवन है क्या वाकई हम जानते हैंं ? पहला सुख निरोगी काया है. अपनी बात कहने के लिए मैं दो उदाहरण देती हूं  अलग अलग बात के हमारे अलग अलग रिएक्शन होते हैं खुशी की बात पर खुश … उदासी की बात पर उदास और कभी कभी रोना भी आ जाता है पर आज दो बातों को लेकर समझ नही आ रहा कि क्या रिएक्श्न दूं … अगर आप बता सकते हैं जरुर बताईए

अच्छे स्वास्थ्य का महत्व समझना होगा

बात अभी सुबह की है मैं बाहर पौधो को पानी दे रही थी तो एक परिवार पैदल अटैची और बैग लिए जा रहा था दो बच्चे थे और शायद मम्मी और पापा … बच्चों के चेहरे की खुशी बता रही थी कि वो कहीं छुट्टियों में जा रहे हैं.

जाते जाते अचानक वो बिल्कुल घर के सामने रुके आदमी बोला कि मैं कुछ भूल गया … तुम चलो धीरे धीरे मैं आता हूं … महिला ने कहा कि वो यही रुक कर इंतजार कर लेते हैं पर वो बोले कि कोई नही तुम चलो मैं अभी आया … जब मैंने अगले ही पल देखा तो वो दीवार के साथ लग कर सिग्रेट पी रहा था…

 

अब बताईए इस बात पर मेरा क्या रिएक्शन होना चाहिए झूठ बोल कर अपने परिवार को भेजा पर नुकसान किसका .. ??

आप क्या कर रहे हो

अब एक बात और सुनिए कि घर के सामने पार्क है और दो दिन से बहुत रौनक थी पार्क में बहुत लोग आ रहे थे कि योग दिवस है … फोटो भी करवाई … पर आज वो पार्क सूनसान पडा था.. इक्का दुक्का लोग ही थे …

अब ऐसे में क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए … लोगो की ऐसी सोच देख कर हंसी भी आ रही है और मन भी उदास हो जाता है कि इतने लापरवाह किसलिए हैं हम …

अपनी सेहत का ख्याल किसलिए नही रखते … हम अपने स्वास्थय की महत्ता समझते किसलिए नही हैं.. अगर सिग्रेट बुरी है तो बुरी है अगर योग करना व्यायाम करना अच्छा है तो अच्छा है रोज करना चाहिए किसी खास दिन की इंतजार नही करनी चाहिए……

यही बात थी कि मुझे समझ नही आ रहा कि कि क्या रिएक्शन होना चाहिए … समझ आ रही है तो बस एक बात कि अपना ख्याल रखिए अपनी सेहत का ख्याल रखिए …

पहला सुख निरोगी काया है … इसको समझिए

कैसे हो आप , आप क्या कर रहे हो.

स्वास्थ्य ka mahatva , अच्छे स्वास्थ्य का महत्व, स्वास्थ्य ही जीवन है, आप क्या कर रहे हो ,

June 22, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

नेशनल बुक ट्र्स्ट से प्रकाशित बाल उपन्यास वो तीस दिन

नेशनल बुक ट्र्स्ट से प्रकाशित बाल उपन्यास वो तीस दिन

नेशनल बुक ट्र्स्ट से प्रकाशित बाल उपन्यास वो तीस दिन – नेशनल बुक ट्र्स्ट में किताब छपना तो अपने में ही गर्व की बात है पर उससे भी ज्यादा खुशी आज ये देख कर हुई कि मेरी लिखी किताब “वो तीस दिन” जिसे हाल ही में हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से बाल साहित्य सम्मान भी मिला है उस किताब का कवर पेज नेशनल बुक ट्र्स्ट की वेवसाईट के कवर पर है..

नेशनल बुक ट्र्स्ट से प्रकाशित बाल उपन्यास वो तीस दिन

नेशनल बुक ट्र्स्ट से प्रकाशित बाल उपन्यास की पहली आवृति “वो तीस दिन” 2014 में प्रकाशित हुआ था और अब नए सिरे से 2017 में प्रकाशित हुआ है…

 

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि – बाल साहित्य सम्मान – Monica Gupta

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि -हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से 2015 का “बाल साहित्य पुरस्कार” मेरी किताब “वो तीस दिन” को मिला नेशनल बुक ट्र्स्ट से प्रकाशित read more at monicagupta.info

बाल उपन्यास की मुख्य पात्रा है कक्षा दस ने पढने वाली मणि. जोकि किसी भी बच्चे की तरह बेहद शरारती चुलबुली है पर कक्षा दस की परीक्षा खत्म होने के बाद नतीजा आने से पहले तीस दिनों में ऐसा क्या होता है कि मणि के एक जबरदस्त बदलाव आ जाता है…

कहानी बेहद रोचक, मनोरंजक और शिक्षाप्रद है. और नेशनल बुक ट्र्स्ट की साईट पर ऑनलाईन भी उपलब्ध है..

बाल साहित्य में एक और उपलब्धि – बाल साहित्य सम्मान

वो तीस दिन

एक झलक कहानी की

मै हूँ मणि। आज मेरी दसवीं क्लास की बोर्ड़ परीक्षा का आखिरी दिन है। हे भगवान! कितनी टेन्शन थी ना………। आज पता है मैं घर जाकर सबसे पहले क्या करूंगी। शर्त लगा लो आप लोग बता ही नहीं सकते। मैं सबसे पहले टेलिविज़न चलाऊंगी और दो महीने से जो पिक्चरें मैंने नहीं देखी वो देखूंगी और अपने मोबार्इल पर आए मैसेज पढूंगी। पता है पिछले दो महीनों से मम्मी-पापा ने मुझे कुछ भी नहीं करने दिया बस…………..पढ़ार्इ………..पढ़ार्इ………पढ़ार्इ……… इस करके………. आज मैं ढे़र सारी मनमानी करने वाली हूं।
उफ……….शुक्र है………. आज आखिरी पेपर उम्मीद के अनुसार ठीक ही हो गया अब तो जल्दी थी घर पहुंचने की।

मैं रास्ते में जा रही थी कि मेरे सामने वाली सड़क पर एक स्मार्ट सी युवती, छोटे-छोटे बालों वाली, आंखों में धूप का चश्मा लगाए, बैग कन्धे पर लटकाए सड़क पार कर रही थी कि शायद उसका पांव फिसल गया या पता नहीं………..क्या हुआ………पर वो बहुत बुरी तरह से गिर गर्इ।

पता नहीं उसे देखकर मेरी बहुत बुरी तरह हंसी निकल गर्इ और मैं ठहाका लगाती ताली बजाक

हिंदी बाल साहित्य लेखक – हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

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