Monica Gupta

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December 17, 2018 By Monica Gupta 1 Comment

सोमवार व्रत कथा – Somvar Vrat Katha – सावन सोमवार व्रत कथा – Monday Fast Story – Monica Gupta

somvar vrat katha

सोमवार व्रत कथा – Somvar Vrat Katha – सावन सोमवार व्रत कथा – Monday Fast Story – Monica Gupta – Om Namah Shivay. सोमवार व्रत कथा – पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सोमवार व्रत का, हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है ये व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है | माना  जाता है कि सोमवार का व्रत करने वाले भक्तों के जीवन से हर कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सोमवार के व्रत तीन तरह के होते हैं- सामान्य सोमवार, प्रदोष सोमवार और सोलह सोमवार। तीनों ही प्रकार के व्रत अत्यंत फलदायी हैं।इस व्रत को कोई भी कर सकता है अविवाहित कन्या सुंदर वर के लिए इस व्रत को करती है विवाहित औरते अपने लम्बे और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए इस व्रत को करती है | पुरुष इस व्रत को इसलिए करते है ताकि सुखी और शांतिपूर्ण जीवन बिता सके |

सोमवार व्रत कथा – Somvar Vrat Katha –

                                                                                                                                                         तस्वीर गूगल से साभार…

 

सोमवार व्रत कहा कुछ इस प्रकार है…

एक समय की बात है, किसी नगर में एक साहूकार रहता था. उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी इस कारण वह बहुत दुखी था. पुत्र प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार व्रत रखता और पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा करता था.

उसकी भक्ति देखकर एक दिन मां पार्वती प्रसन्न हो गईं और भगवान शिव से उस साहूकार की मनोकामना पूर्ण करने का आग्रह किया. पार्वती जी की इच्छा सुनकर भगवान शिव ने कहा कि ‘हे पार्वती, इस संसार में हर प्राणी को उसके कर्मों का फल मिलता है और जिसके भाग्य में जो हो उसे भोगना ही पड़ता है.’ लेकिन पार्वती जी ने साहूकार की भक्ति का मान रखने के लिए उसकी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा जताई.

माता पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने साहूकार को पुत्र-प्राप्ति का वरदान तो दिया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसके बालक की आयु केवल बारह वर्ष होगी.

माता पार्वती और भगवान शिव की बातचीत को साहूकार सुन रहा था. उसे ना तो इस बात की खुशी थी और ना ही दुख. वह पहले की भांति शिवजी की पूजा करता रहा.

कुछ समय के बाद साहूकार के घर एक पुत्र का जन्म हुआ. जब वह बालक ग्यारह वर्ष का हुआ तो साहूकार ने अपने पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन दिया और कहा कि तुम इस बालक को काशी विद्या प्राप्ति के लिए ले जाओ और मार्ग में यज्ञ कराना. जहां भी यज्ञ कराओ वहां ब्राह्मणों को भोजन कराते और दक्षिणा देते हुए जाना.

दोनों मामा-भांजे इसी तरह यज्ञ कराते और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देते काशी की ओर चल पड़े. रात में एक नगर पड़ा जहां नगर के राजा की कन्या का विवाह था. लेकिन जिस राजकुमार से उसका विवाह होने वाला था वह एक आंख से काना था. राजकुमार के पिता ने अपने पुत्र के काना होने की बात को छुपाने के लिए एक चाल सोची.

साहूकार के पुत्र को देखकर उसके मन में एक विचार आया. उसने सोचा क्यों न इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं. विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर ले जाऊंगा. लड़के को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी से विवाह कर दिया गया. लेकिन साहूकार का पुत्र ईमानदार था. उसे यह बात न्यायसंगत नहीं लगी.

उसने अवसर पाकर राजकुमारी की चुन्नी के पल्ले पर लिखा कि ‘तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है लेकिन जिस राजकुमार के संग तुम्हें भेजा जाएगा वह एक आंख से काना है. मैं तो काशी पढ़ने जा रहा हूं.’

जब राजकुमारी ने चुन्नी पर लिखी बातें पढ़ी तो उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई. राजा ने अपनी पुत्री को विदा नहीं किया जिससे बारात वापस चली गई. दूसरी ओर साहूकार का लड़का और उसका मामा काशी पहुंचे और वहां जाकर उन्होंने यज्ञ किया. जिस दिन लड़के की आयु 12 साल की हुई उसी दिन यज्ञ रखा गया. लड़के ने अपने मामा से कहा कि मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है. मामा ने कहा कि तुम अंदर जाकर सो जाओ.

 

शिवजी के वरदान अनुसार कुछ ही देर में उस बालक के प्राण निकल गए. मृत भांजे को देख उसके मामा ने विलाप शुरू किया. संयोगवश उसी समय शिवजी और माता पार्वती उधर से जा रहे थे. पार्वती ने भगवान से कहा- स्वामी, मुझे इसके रोने के स्वर सहन नहीं हो रहा. आप इस व्यक्ति के कष्ट को अवश्य दूर करें.

जब शिवजी मृत बालक के समीप गए तो वह बोले कि यह उसी साहूकार का पुत्र है, जिसे मैंने 12 वर्ष की आयु का वरदान दिया. अब इसकी आयु पूरी हो चुकी है. लेकिन मातृ भाव से विभोर माता पार्वती ने कहा कि हे महादेव, आप इस बालक को और आयु देने की कृपा करें अन्यथा इसके वियोग में इसके माता-पिता भी तड़प-तड़प कर मर जाएंगे.

माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया. शिवजी की कृपा से वह लड़का जीवित हो गया. शिक्षा समाप्त करके लड़का मामा के साथ अपने नगर की ओर चल दिया. दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुंचे, जहां उसका विवाह हुआ था. उस नगर में भी उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया. उस लड़के के ससुर ने उसे पहचान लिया और महल में ले जाकर उसकी खातिरदारी की और अपनी पुत्री को विदा किया.

इधर साहूकार और उसकी पत्नी भूखे-प्यासे रहकर बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने प्रण कर रखा था कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वह भी प्राण त्याग देंगे परंतु अपने बेटे के जीवित होने का समाचार पाकर वह बेहद प्रसन्न हुए.

उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा कि मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लम्बी आयु प्रदान की है.

इसी प्रकार जो कोई सोमवार व्रत करता है या कथा सुनता और पढ़ता है उसके सभी दुख दूर होते हैं और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शिव भोले हैं और भक्त प्रेमी भी। पूरी श्रद्धा से की गई सामान्य पूजा भी वह अंतर्मन से स्वीकार करते हैं।

व्रत की विधि सोमवार का व्रत सामान्यतः दिन के तीसरे प्रहर तक होता है। इस दिन शिव पार्वती की पूजा-ध्यान में ही मन एकाग्र करना चाहिए।

फलाहार का कोई नियम नहीं है, पर भोजन केवल एक बार ग्रहण करना चाहिए। इस दिन सुबह से स्नान कर, साफ वस्त्र पहनकर शिव जी और मां पार्वती का ध्यान-पूजन करना चाहिए। पूजा के पश्चात कथा अवश्य सुनना चाहिए।

सोमवार व्रत कथा – Somvar Vrat Katha – सावन सोमवार व्रत कथा – Monday Fast Story – Monica Gupta

तस्वीर गूगल से साभार…

January 23, 2018 By Monica Gupta Leave a Comment

कड़वा सच – एक सच्ची कहानी – Zindagi Ka Ek Kadwa Sach

I am Proud to be an Indian

कड़वा सच – एक सच्ची कहानी – Zindagi Ka Ek Kadwa Sach –  हम जितना भी झूठ बोल लें पर सच्चाई या कड़वी सच्चाई सामने आ ही जाती है… हर सुबह वो पार्क में मिलती.. जान पहचान कोई नही थी पर रोज सैर करते आमना सामना हो ही जाता और एक दिन जब स्माईल का आदान प्रदान हुआ और फिर वो अक्सर कुछ पल पार्क में बैठने लगीं..

कड़वा सच – एक सच्ची कहानी – Zindagi Ka Ek Kadwa Sach

एक ने बताया कि उनका बेटा विदेश में रहता है और इतनी दूर रहते हुए भी बहुत ख्याल रखता है दिन में दो दो बार फोन करता है.. उसे मेरी तबियत की बहुत फिक्र रहती है…  वही दूसरी महिला ने बताया कि उनका बेटा तो दूर जाना ही नही चाहता… उसने साफ मना कर दिया कि वो हमेशा साथ ही रहेंगें… और इसी तरह हर रोज बाते होने लगी.. एक दिन हमेशा की तरह कुछ देर बैठ कर बातें करती वो अपने अपने घर चली गई..

अगले दिन जब दोनों मिली तो आपस में नजरें नही मिला पा रही थी क्योंकि दोनों के मोबाइल फोन अदल बदल गए थे. पहले तो पता ही नही चला… पता तो तब चला जब फोन की घंटी बजी.

विदेश में रहने वाले ने फोन करके गुस्से से बोला कि क्या आप दिन में दो दो बार फोन करती रहती हो… बार बार मत किया करो जब समय हुआ करेगा  हफ्ते दस में मैं खुद ही कर लिया करुगां और फोन रख दिया.. न हाल चाल पूछा न कुछ और

वही दूसरी महिला के पास भी फोन आया और जब उसने फोन सुना तो आवाज आई.. कल कचहरी पहुंच जाना… ये घर मैं अपने नाम करवा रहा हूं फिर इसे बेच दूंगा आप अपना कोई और ठिकाना देख लेना.. सुन रही हो ना… कल सुबह 11 बजे कचहरी पहुंच जाना… वही मिलूंगा… और फोन रख दिया… बिना हाल चाल जाने… !!

और वो एक दूसरे का फोन देकर  बिना बात किए दोनों चुपचाप लौट गई..

कड़वा सच – एक सच्ची कहानी – Zindagi Ka Ek Kadwa Sach

August 9, 2017 By Monica Gupta 1 Comment

खुश रहना है तो खुद को बदलना होगा – Personal Development Tips in Hindi

Monica Gupta

खुश रहना है तो खुद को बदलना होगा – Personal Development Tips in Hindi. . अपना नजरिया बदलना होगा… कुछ कहानियां बहुत प्रेरक होती हैं और हमें बहुत बडा सबक दे जाती हैं. आज वाट्सएप whatsapp पर बहुत ही अच्छी कहानी पढी और वही  शेयर कर रही हूं..

खुश रहना है तो खुद को बदलना होगा

कहानी कुछ ऐसे है कि एक बार …

One day,all the disciples went to their master’ and said, “Master, Master, we all are going on a pilgrimage.

Master: Why you want to go on a pilgrimage trip?

Disciples: So that we can improve our devotion.

Master: OK. Then do me a favour. Please take this Karela (bitter gourd) along with you and wherever you go and whichever temple you visit, place it in the alter of the Deity, take the blessings and bring it back.

So, not only the disciples but the Karela also went on pilgrimage, temple to temple.

And finally when they came back, the Master said, “cook that Karela and serve it to me.”

The disciples cooked it and served it to the master. After having the first bite, the master said,

“Surprising”!!!!!

Disciples: What’s so surprising?

Master: Even after the pilgrimage the karela is still bitter.
How come???’

Disciples: But that’s the very nature of the Karela, Master.

Master: That’s what I am saying. Unless you change your nature, pilgrimage will not make any difference.

So, you & I, if we do not change ourselves no teacher or guru can make a difference in our lives.

If you think positively,
Sound becomes music,
Movement become dance,
Smile becomes laughter,
Mind becomes meditative and
Life becomes a celebration.

अगर खुश रहना है तो बजाय इधर उधर के अपने भीतर झांकों और खुद को बदलने की कोशिश करो … अगर हम खुद बदल लेंगें तो सार्थक परिणाम आने शुरु हो जाएगें …

July 20, 2017 By Monica Gupta 1 Comment

प्रेरक और मनोरंजक कहानी – मीठा मीठा गप गप 

Life of a Teenager

प्रेरक और मनोरंजक कहानी – मीठा मीठा गप गप  – prerak aur manoranjak kahani  “मीठा मीठा गप गप – कड़वा कड़वा थू थू”  अरे मैं किसी फल की बात नही कर रही … कल टीवी पर न्यूज चैनल देख रही थी उसमे बहस हो रही थी और सभी लोग चाहे वो आमंत्रित मेहमान हो या एकंर सभी चिल्ला रहे थे   और एक नेता तो बार बार एक ही बात बोल रहेे थेे  “मीठा मीठा गप गप – कड़वा कड़वा थू थू” देख कर ऐसा लगा मानो कुछ अच्छा रहा ही नही … मैंने टीवी बंद करके नेट चला लिया … दिमाग में बहस की बात “मीठा मीठा गप गप – कड़वा कड़वा थू थू” ही घूूूूम  रहा था …

प्रेरक और मनोरंजक कहानी – मीठा मीठा गप गप

तभी नजर एक कहानी पर गई … और उसे पढ कर मुझे ऐसा लगा कि अच्छाई और अच्छे लोग भी है दुनिया में ऐसा नही है कि बस बुराई ही बुराई है …  वो कहानी मैं आपसे शेयर कर रही हूं …

 

आप भी सुनकर कहेंगें वाकई बहुत अच्छी कहानी है … एक बूढी महिला सडक किनारे बैठ कर संतरे बेचती थी  एक आदमी ने देखा और सोचा कि कितनी बूढी और गरीब है  वो वहां रुका और बुढिया के पास गया और बोला – माता जी 1  किलो संतरे दे दो…  बुढ़िया खुश हो गई और जल्दी से संतरे तौलने लगी….  पैसे देकर मनोज ने थैली से एक संतरे निकाला और खाते हुए बोला – अम्मा ये संतरे मीठे नही हैं और ये कहकर उसने एक संतरा बुढ़िया को दिया वो संतरा चखकर बोली – मीठे तो हैं beta   फिर उस आदमी ने कुछ नही कहा और संतरे ले कर चला गया…

अगले दिन फिर आया … संतरे लिए … चखा और बोला मीठे नही है … और फिर संतरे लेकर चला गया … अब ये रोज का क्रम हो गया…  वो हर  रोज उस बुढ़िया amma से संतरे खरीदता और थैली से एक संतरा निकालकर खाता और बोलता अम्मा संतरे मीठे नही हैं और कहकर बचा संतरा अम्मा को देता…

बूढी संतरा खाकर बोलती मीठे तो हैं बाबू…  कई बार उस आदमी की पत्नी भी साथ होती एक बार वो बोली कि आप संतरे तो हर रोज मीठे होते हैं फिर भी आप यही कहते हो मीठे नही है … वो आदमी बोला कि मुझे पता है पर वो अम्मा कभी खुद उन संतरों को नही खाती…  मैं तो बस ऐसा जानबूझ कर करता हूँ कि इसी बहाने ही सही वो इसे खाले …

अच्छा जहां वो अम्मा सब्जी बेचती एक सब्जी वाली भी वहीं सब्जी बेचती … वो हर रोज उस आदमी को देखती एक दिन वो बूढ़ी अम्मा से बोली – ये लड़का रोज संतरा खरीदने में कितना चिकचिक करता …

रोज तुझे तंग करता है फिर भी मैं देखती हूँ कि तू उसको एक संतरा फालतू तोलती है क्यों? बूढ़ी बोली – मालती, वो लड़का मेरे संतरों की बुराई नही करता बल्कि मुझे रोज एक संतरा खिलाता है और उसको लगता है कि जैसे मुझे पता नही है लेकिन उसका प्यार देखकर खुद ही एक संतरा तोल में ज्यादा डाल देती हूं…

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July 17, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

बड़े बुजुर्गों की अहमियत – एक प्रेरक कहानी

बच्चों के लिए अच्छी आदतें

बड़े बुजुर्गों की अहमियत – एक प्रेरक कहानी  – bade buzurgo ki ahmiyat  बड़े बुजुर्गों का महत्व बहुत है हमारी जिंदगी में और उनके अनुभव से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं.  एक कहानी ऐसी भी – बड़े बुजुर्गों के अनुभव से सीखना चाहिए

बड़े बुजुर्गों की अहमियत – एक प्रेरक कहानी

एक कहानी ऐसी भी – बड़े बुजुर्गों के अनुभव से सीखना चाहिए – Motivational & Personal Development Videos in Hindi by Monica Gupta… https://monicagupta.info
एक कहानी ऐसी भी – बड़े बुजुर्गों के अनुभव से सीखना चाहिए … नेट पर पढी  प्रेरक कहानी
एक बुज़ुर्ग से महिला ने पूछा कुछ नसीहत या शिक्षा दीजिये
तो बुजुर्ग ने अजीब सवाल किया
कभी बर्तन धोये हैं?

उस महिला ने हैरान होकर जवाब दिया *जी कभी कभार धोये हैं
बुजुर्ग ने पूछा क्या सीखा?_

उस महिला ने कहा इसमें सीखने वाली बात क्या है?

बुज़ुर्ग ने मुस्कुराकर जवाब दिया_

बर्तन को बाहर से कम, अन्दर से ज़्यादा धोना पड़ता है

हम भी शरीर को धोने में लगे हुए है
*मन को कब धोएंगे?

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July 13, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

प्रेरक कहानी ये वक्त भी गुजर जाएगा

बच्चों के लिए अच्छी आदतें

प्रेरक कहानी ये वक्त भी गुजर जाएगा –  yeh waqt bhi guzar jayega – this too shall pass .. एक सूफी कहानी … सूफी गाने हमें बहुत अच्छे लगते हैं ठीक वैसे ही सूफी कहानी भी बहुत प्रेरक और मनोरंजक होती हैं. ये कहानी नेट पर पढी.

प्रेरक कहानी ये वक्त भी गुजर जाएगा

एक राजा दरबार में ये कहते हैं कि मुझसे बडे बडे शास्त्र तो पढे नही जाते इसलिए कोई छोटी सी ऐसी बात बताओ  जो हर समय काम आए दुख में सुख में , हार मे जीत में, जीवन मे या death में , अब सब हैरान की ऐसा क्या हो …

क्योकि इस बारे में तो बडे बडे अध्याय  ही थे …  तभी मंत्री को पता चला कि गांव में एक सूफी संत आए हैं वो उनके पास गए और पूछा तो उन्होने अपनी अंगूठी निकाल कर दी और बोले इस अंगूठी में एक कागज पर लिख है पर उसे जब बहुत मुसीबत आए कोई हल न दिखाई दे तभी खोलना नही तो इसका कोई मतलब नही रह जाएगा …

मंत्री ने अंगूठी राजा को दे दी … तभी दूसरे राजा ने हमला कर दिया .. और वो राजा अपनी जान बचाने के लिए भागा … वो एक गुफा मे छिप गया .. उसके हाथ मे चोट लग गई थी हाथ देखा तो नजर अंगूठी पर पडी … उन्होने सोचा कि अब मुसीबत में हूं और सही समय है इसे पढने का ..

 

उसे पढा तो लिखा था ये वक्त भी गुजर जाएगा … राजा ने पढा तो हिम्मत सी आई … और गुफा से बाहर निकल कर कुछ सैनिक इकठ्ठा किए और एक टीम बना कर फिर उसी राजा पर लडाई की …

अब वो जीत गया … जब अपनी गद्दी पर बैठे तो फिर वो अग़ूंठी निकाली उस पर लिखा था कि ये वक्त बीत जाएगा… राजा फिर सोचने लगा … और अब उसने लडाई छोड कर अच्छे कामों में ध्यान लगाना शुरु कर दिया …

तो समय सदा एक सा नही रहता … इसलिए नेक काम अच्छे काम हमेशा करते रहना चाहिए …

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प्रेरक लघुकथा – सबसे शक्तिशाली कौन

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