Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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May 3, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

एक कहानी यह भी – हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज

इंसान और भगवान

एक कहानी यह भी – हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज – ek kahani yeh bhi .एक बार की बात है अक्सर कहानी ऐसे ही शुरु होती है कहानी लेखन भी एक कला है और कहानियां हमेशा कुछ न कुछ सीखा कर जाती हैं और अगर बड़े बुजुर्गों का महत्व ki kahani हो तो…

एक कहानी यह भी – हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज

सरप्राईज  अक्सर अच्छे भी लगते हैं और चौंका देते हैं … आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रही हूं ये कुछ समय पहले मैने लिखी थी …और कहानी का शीर्षक है सरप्राईज

हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज

कहानी है 70 साल के राम बाबू की … राम बाबू सोफे पर अध लेटे टीवी पर सपरिवार  सीरियल  देख रहे थे. उसमे एक सीन दिखा रहे थे कि परिवार के बुजुर्ग का जन्मदिन होता है और सभी मिल कर सरप्राईज पार्टी देते हैं.

अचानक मन ही मन दिमाग पर जोर डाला तो राम बाबू को याद आया कि परसो उनका भी जन्मदिन आ रहा है. जरुर उनके परिवार वाले भी कुछ सरप्राईज देंगें.

 

 

देखते ही देखते परसो का दिन भी आ गया. राम बाबू हमेशा की तरह तैयार हो गए.पर सुबह से किसी ने उन्हे मुबारक बाद नही दी .राम बाबू मन ही मन यही सोच कर खुश होते रहे कि बच्चे सरप्राईज  दे रहे हैं  ना इसलिए विश नही कर रहे.

दोपहर को सोते हुए उन्होने कुछ सुना तो था कि बाबू जी को वहा ले जाएगे उन्हे पता नही नही चलेगा. खैर वो चुपचाप रहे. शाम हुई .बच्चे तैयार हुए और बोले की बाजार चलो कुछ काम है आपका भी मन बदल जाएगा.

रामबाबू इसी बात का इंतजार कर रहे थे उन्होने 100 -100 रुपए के लिफाफे बच्चो को  बधाई स्वरुप देने के लिए जेब मे डाल लिए थे.

वो कार में बैठे और बच्चे कुछ सामान डिक्की में रखवा रहे थे …  बाजार जरा दूर था .वो सोचते जा रहे थे कि ना जाने कहा पार्टी होगी. किस किस को बुलाया होगा सच आज उनकी पत्नी सुषमा उनके साथ होती तो कितनी खुश होती.

तभी उनके पोते ने बोला…. दादाजी उठिए … आखं खुली तो सामने वृद्ध आश्रम था. उनकी सांस वही रुक गई. बच्चे कार की डिग्गी से  सामान उतार रहे थे. इतने मे आश्रम का चौकीदार भागा भागा आया.और वो सामान ले जाने लगा. बेटा बोला…  बाबूजी … आज  आप !!!!

रामबाबू सन्न रह गए .ये कैसा सरप्राईज था.

तभी पोते ने आवाज दी. दादू उठो  !!! आप तो सो ही गए थे! धबरा कर वो उठे और जान मे जान आई कि वो सब सपना ही था पर आखं खुलते ही सामने वही वृद्ध आश्रम था.

इस बार वो सपना नही था. सच, मे उन्हे वही लाया गया था. उधर चौकीदार भागता भागता आया और बोला आपका ही इंतजार था. बडी मुश्किल से खुद को संयत करके कापंते पैरो से वो भीतर पहुचे …. तो वो बहुत बडा सरप्राईज था.

उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर सभी बूढे लोगो को बांट्ने के लिए कंबल मगवाए गए थे. अपनी सोच पर गर्दन झटकते हुए आखो मे खुशी के आसूं लिए वो सभी को कंबल बांढने मे जुट गए और सरप्राईज पार्टी यादगार बन गई …  बच्चे अपने प्यारे दादू  को मुबारक बाद देने मे जुट गए.

कई बार सरप्राईज ऐसा भी होता है …

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बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी – Monica Gupta

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी – chocolate सभी बच्चों को अच्छी लगती है … कितनी खिला दो पर कभी मन नही भरता … बाल साहित्यकार, हिन्दी बाल कहानियाँ बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी – Monica Gupta

 

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April 25, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी – chocolate सभी बच्चों को अच्छी लगती है … कितनी खिला दो पर कभी मन नही भरता … पर आपने कभी सुना है कि कोई बच्चा ये कहे कि मुझे चाकलेट नही खानी मुझे दूध दो , खाना दो,  दाल दो,  सब्जी दो पर  चॉकलेट नही खानी … .. नही … पर ऐसा हुआ था …

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी

सच में ऐसा हुआ पर कहानी में … एक कहानी बहुत समय पहले मैने लिखी थी… चॉकलेट की बेटी … बहुत सारी मम्मियों  की और कुछ नन्न्हें दोस्तो की फरमाईश थी कि बच्चों की कहानी  सुनाओ … तो मैं आपको सुनाती हूं  कहानी chocolate की बेटी ..

कहानी है 10 साल की मणि की … बहुत शरारती है … मम्मी की बेटी या पापा की बेटी नही बल्कि चॉकलेट की बेटी है …

 

 

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November 1, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

पति पत्नी में अनबन – सुनो, मुझे माफ कर दो

पति पत्नी में अनबन - सुनो, मुझे माफ कर दो

पति पत्नी में अनबन – सुनो, मुझे माफ कर दो  – पति पत्नी के प्यार और तकरार की एक कहानी है. सुनो, मुझे माफ कर दो … कहानी है रवि और माला की दोनो अच्छा कमाते हैं पर एक दिन किसी बात पर झग़डा बहुत बढ जाता है और फिर क्या होता है जानने के लिए पढनी पढेगी कहानी …सुनो, मुझे माफ कर दो

पति पत्नी में अनबन – सुनो, मुझे माफ कर दो

कुछ ऐसा हुआ रवि और  माला के साथ … शादी हुए साल भी नही हुआ था … रवि और माला की लव मैरिज थी और दोनों अपनी अपनी नौकरी में व्यस्त … शादी को कुछ समय बीता और छोटी मोटी कहासुनी उनकी भी होने लगी… ऑफिस से समय मिलता तो कई बार माला अपनी बडी दीदी को फोन मिला लेती और घंटों अपनी और रवि के बीच की सारी बातें डिस्कस करती.

एक दिन रवि के परिवार वालो की ओर से कोई बात उठी और बात ज्यादा ही बढ गई ..उस दिन दोनों मे झगडा हुआ और रवि बिना नाश्ता किए ही आफिस चला गया. माला भी मुंह बना कर एक ओर लेट गई और आफिस नही गई… तभी दीदी का फोन आ गया.. और गुस्से में वो रवि से हुई सारी बात बताने लगी …

दीदी का पारा भी बातें सुनकर चढने लगा कि रवि भी कैसा निकला ऐसा तो नही सोचा था … दीदी ने सारी बात मम्मी को बता दी और मम्मी तो हाय मेरी बेटी कह को दुख दे रहा है कह कर रोना शुरु कर दिया … और कुछ ही घंटे बाद माला के मम्मी, पापा और दीदी उसके पास उसके घर पर थे…

मम्मी ने तो रट लगा ली थी कि अब एक पल भी यहां नही रुकने देंगी क्योकि आज लडाई की है कल हाथ भी उठा सकता है … कुछ दिन दूर रहेगी तो शायद उसे अकल ठिकाने आ जाए … माला फोन मिलाने को हुई तो मम्मी और दीदी ने फोन काट दिया कि कोई जरुरत नही है फोन करके जाने की …

कुछ तो माला का गुस्सा और कुछ अपने परिवार वालो की बातों में आकर माला ने फैसला कर लिया कि वो अभी मम्मी के घर चली जाएगी ..खुद कमाती है तो किसी की धौंस किसलिए सुने…

उस समय तो वो अपनी मम्मी के घर आ गई पर जब शाम तक भी रवि का फोन नही आया … तो उसके दिल में और गुस्सा भर गया कि इतना अहंकार … जरा भी चिंता नही की … सारी जिंदगी ऐसे आदमी के साथ कैसे गुजारुंगी…

समय बीता और दो दिन भी हो गए… दो दिन कोई फोन नही आया और उधर दबाव में आकर माला ने  तलाक के कागज भी साईन कर दिए.. पर उसके मन में एक ही बात चल रही थी कि अभी तक कोई फोन किसलिए नही आया … कहीं कोई बात … कोई दुर्धटना .. पर फिर उसने अपने सिर को झटक दिया…

इसी बीच वो वटसअप और फेसबुक चैक कर चुकी थी पर उसे भी दो दिन से नही देखा गया था .. जाने अंजाने उसका दिल घबराने लगा.. पर अपने आप को रिलेक्स करने के लिए वो नहाने चली गई … नहाते वक्त सोचने लगी कि  वो ही ज्यादा रिएक्ट कर गई … क्या हो गया था अगर आपस में बात हो गई थी तो … आपस में छोटे मोटे झगडे तो चलते ही रहते हैं …

पता नही रवि का क्या हाल होगा … कही सुसाईड कर लिया हो तो … पता नही अंट शंट सोचती बाथरुम से बाहर निकली और सोचने लगी कि लडाई तो शादी से पहले भी होती थी और मनाना भी आता था पर आज अचानक क्या हुआ …आखिर किसलिए उसने इतना बढा कदम उठा लिया…

अचानक दरवाजे पर घंटी बजी. वो चौक कर उठ बैठी…. अरे … वो तो सो रही थी और ये सारा सपना चल रहा था… दरवाजे पर फिर से घंटी बजी और वो सपने की दुनिया से बाहर निकल कर दरवाजा खोलने के लिए बढी उसे याद आया सुबह जब रवि से झगडा हुआ और वो बिना नाश्ता किए ऑफिस चला गया तो वो भी चुपचाप सो गई थी और ये सारा सपना ही चल रहा था…

उसी सोच में उसने दरवाजा खोला  … सामने देखा तो रवि खडा था हाथ में लाल गुलाब लिए जैसे वो पहले लाया करता था अपनी रुठी मालू को मनाने के लिए… उसने गुलाब माला की ओर बढाया और कुछ बोलने ही वाला था कि माला ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोली आई एम सॉरी … सुनो….   मुझे माफ कर दो … और दोनो नम आखॆं लिए गले लग गए…

नाश्ता करके अब रवि ऑफिस जा रहा था और पर अब चेहरे पर मुस्कान थी… माला ने छुट्टी ले रखी थी इसलिए अपने बालो का जूडा बनाती वो फैले हुए घर को समेट्ने में सहेजने में जुट गई…

तभी दीदी का फोन आया … वो सपने की सारी बात याद करके मुस्कुराने लगी और फोन उठाने पर दीदी से बोली कि आज छुट्टी का मन था इसलिए बस घर पर आराम कर रही हूं …

इतने में रवि का मैसेज आया कि वो ऑफिस पहुंच गया है आई लव यू  और माला ने भी उसका जवाब थम्स अप करके दिया और फोन रखती हुई सोच रही थी कि अब वो समझदारी से काम लेगी और अपना घर संसार खूबसूरती से निखारेगी …

सार ये है कि बात बात को घर परिवार मे शिकायत के तौर पर करना सही नही है … जरा समझदार बनिए पति पत्नी का रिश्ता और निखारिए और अपने घर संसार की बगिया किसी की बातों में आकर नही बिखरने दे .. बहुत प्यारा है ये रिश्ता …

पति पत्नी में अनबन - सुनो, मुझे माफ कर दो

पति पत्नी में अनबन – सुनो, मुझे माफ कर दो – कहानी आपको कैसी लगी ?? जरुर बताईएगा !!

October 26, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी

स्वच्छता का महत्व - स्वच्छ भारत अभियान में हमारा योगदान

एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी-ये कहानी सुमन और कुसुम दो महिलाओं की है…. जिंदगी में बस दिन भर चैट, लाईक और कमेंट करना ही काफी नहीं इसके आगे भी बहुत कुछ है पर क्या ??? जानने के लिए आपको सुननी पडेगी – एक कहानी ऐसी भी- हिन्दी लघु कहानी

एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी

वो दो सहेलियां थी, बिल्कुल पक्की वाली. नाम था कुसुम और सुमन. दोनो की पढाई एक ही स्कूल मे हुई  और फिर एक ही कालिज में दाखिला हुआ और फिर दोनों की शादी भी एक ही शहर में हुई. दोनो लडकियों को उनके परिवार वाले और दोस्त बहनें ही बुलाते थे और कहते कि पिछ्ले जन्म में दोनो सगी बहनें ही होगी तभी तो इस जन्म में इतनी पक्की दोस्ती है.

शादी के बाद दोनो अपना अपना घर सम्भालने में व्यस्त हो गई. दोनो के एक एक बच्चा भी हो गया और दोनों अपनी अपने गृहस्थी में मस्त हो गई. एक शहर में रहने के बाद भी दोनों जल्दी से मिल नही पाती थीं. एक दिन अचानक मार्किट में दोनो का सामना सामना हो गया. कुसुम सुमन को देख कर और सुमन कुसुम को देख कर हैरान रह गई. कुसुम जहां हमेशा की तरह एक्टिव और स्मार्ट थी वही सुमन बिल्कुल बदल गई थी.

थोडी ज्यादा ही मोटी भी हो गई थी  बिल्कुल घरेलू टाईप महिला बन गई थी… सुमन ने कुसुम से पूछा कि तुमने तो जरुर नौकरी ज्वाईन कर रखी होगी तभी तो इतनी स्मार्ट लग रही हो… इस पर कुसुम बोली … अरे नही बिल्कुल नही … घर पर बाबूजी हैं और बेटा भी बहुत छोटा है उनकी देखभाल करनी होती है ऐसे में नौकरी का तो सोच भी नही सकती… सुमन ने उसका नम्बर लिया और पूछा कि वो वटसअप पर या फेसबुक पर तो होगी तुम ?? चैट किया करेंगें…

कुसुम भी खुश हो गई और अपना नम्बर देते हुए बोली अरे वाह … फिर तो मैं भी तुम्हें फ्रेंड रिक्वेट भेजूगी … कुछ देर बात करके दोनो सहेलिया अपने अपने घर चली गई..

शाम को कुसुम ने देखा उसके वटस अप पर सुमन ने ढेर सारे मैसेज भेजे हुए थे और फेसबुक पर भी वो दूसरो पर खूब कमेंट करती रहती. दो चार बार तो कुसुम ने जवाब दिया पर वो ज्यादा समय चैट पर नही रहती थी. उसका कारण था कि कुसुम को जब भी घर के काम से समय मिलता वो ब्लॉगिंग करती उसने एक ब्लॉग बनाया हुआ था और घर के काम से फुर्सत मिलते ही उसी पर व्यस्त रह्ती.

असल में, उसे शुरु से ही प्रकृति नेचर  बहुत पसंद थी इसलिए उसी पर अलग अलग फोटो क्लिक करती और उस पर डालती और उस पर कुछ न कुछ लिखती रहती.

उसने सुमन को भी फेसबुक पर लगातार एक्टिव रहते हुए देख कर बहुत बार बोला कि तुम भी कुछ करो पर हमेशा समय कहां है सारा दिन तो घर का काम ही खत्म नही होता और कामों की लम्बी चौडी लिस्ट बता देती और बात टाल जाती पर कुसुम समझ गई थी कि वो करना ही नही चाह्ती इसलिए बहाना बना रही है क्योकि घर परिवार का जितना काम कुसुम को होता उतना ही सुमन को रहता … दोनो का छोटा बच्चा और बाबूजी थे यानि काम एक जैसा सा ही था पर सुमन घर के काम से फारिक होकर वटसअप या फेसबुक पर चैटिंग और मैसेजिंग में जुट जाती.

वही कुसुम अपने समय का सही उपयोग कर रही थी. वटस अप हो या फेसबुक समय सभी को देती पर कुछ थोडा ज्यादा समय अपने शौक को देती. और आज ना सिर्फ वो बहुत क्रिएटिव हो गई बल्कि उसमें आत्मविश्वास भी बहुत आ गया अपने सर्कल में उसका नाम के साथ साथ मान सम्मान  और पहचान बनने लगी  बहुत लोग जानने लगे  और उस से टिप्स भी लेने लगे.

वही दूसरी ओर सुमन थी … दिनभर बस चैट, लाईक और कमेंट करती वो किसी भी मुकाम पर नही पहुंच पाई थी और ना ही अपनी पहचान बना पाई थी.

हो सकता है उसके मन में एक दर्द, एक टीस सी तो उठती हो पर उसे ज्यादा न सोच कर गर्दन झटकती उस बात से ध्यान हटाती वो फिर जुट जाती किसी की पोस्ट लाईक करने, किसी पर ताना कसने में …

एक दिन जब सुमन किसी पर कमेंट कर रही थी एक जानकार महिला का उसके पास मैसेज आया उस पर लिखा था कि कि आपकी फ्रेंड लिस्ट में कुसुम जी है जरा मेरी उनसे जान पहचान करवा दीजिए प्लीज …वो बहुत क्रिएटिव है और उन्ही की तरह बनना चाहती हूं इसलिए उनसे मिलना चाहती हूं …

सुमन ने कल मिलवाने  की बात कही और अगले दिन सुबह ही वो कुसुम के घर जा रहे थे. कुसुम ने दोनो को चाय सर्व की और सुमन के साथ आई महिला से मिलकर बहुत खुश हुई कि वो भी कुछ करना चाह्ती है क्योकि आमतौर पर कुछ महिलाएं नेट पर रहती तो सारा समय है पर कुछ क्रिएटिव करना हो या कुछ अलग करना हो तो समय न होने का बहाना बना देती हैं जबकि घर बैठे बैठे अपनी एक अलग पहचान बनाने का ये सबसे अच्छा माध्यम है…

कुसुम ने अपने बारे में बताया कि उसे प्रकृति की फोटो लेने का बहुत शौक था बस इसी शौक को कोनटिन्यू रखा और अपनी एक सहेली मणि से ब्लॉग बनवाया  उसमे आर्टिकल फोटो पोस्ट करती रही …और सोचा भी न था कि इसके शौक को इस कदर पसंद किया जाएगा… उस महिला ने बताया कि उसे कुकिंग का बहुत शौक है … इस पर कुसुम ने कहा कि फिर तो वो बहुत कुछ कर सकती है… नई नई डिश सीखाए … और नेट से और भी नई नई डिश बनाना सीखे … अपने अनुभव शेयर करे … बहुत कुछ है कर दिखाने को बस मन में लग्न होनी चाहिए और एक दिन ऐसा भी आएगा जब अपने शौक के साथ साथ ये करियर भी बन जाएगा और सोर्स ऑफ इंकम भी …

वही सुमन उन दोनों की बातों में खो सी गई सच … ये सब कितना आसान था … और वो बस अपना समय ही वेस्ट करती रही …और दो साल में उसे मिला क्या… कुछ नही न अपनी पहचान बनी और न वो क्रिएटिव… अब उसे भी जिंदगी में कुछ बनना है घर बैठे बैठे ही वो बहुत कुछ करके दिखाएगी

कुसुम के घर से बाहर निकलते निकलते वो सोच रही थी कि वो भी अपने भीतर छिपे  इंटर्स्ट को खोज कर जल्द ही कुसुम के पास आएगी और वो भी अपनी पहचान जरुर बनाएगी..

और मन बना लिया कि कल ही वो कुसुम के पास जाकर अपनी जिंदगी को नई पहचान देगी… वो भी कुछ कर के दिखाएगी…

वैसे आपने क्या सोचा घर पर रहते हुए भी क्या आप भी अपनी पहचान बनाना चाहती हैं …एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी-

वैसे अगर आप  भी जिंदगी में कुछ करना चाहते हैं तो प्लीज सोचिए मत कर डालिए … आप भी किसी के लिए आदर्श या प्रेरणा बन सकते हैं

बच्चों की छोटी कहानियाँ – Monica Gupta

दीदी की चिठ्ठी नियमित स्तम्भ बच्चों की छोटी कहानियाँ हो या बडी कहानियां बाल लेखन ने हमेशा मुझे प्रेरित किया है.नेशनल बुक ट्र्स्ट , हरियाणा साहित्य अकादमी read more at monicagupta.info

एक कहानी की मौत – Monica Gupta

संदीप घर से हंसता मुस्कुराता निकला। उसकी पत्नी बेबी ने बाहर आकर उसे बाय-बाय किया और अपनी पड़ोसन नीलम से बतियाने लगी। संदीप दफ्तर के सौ कामों के बीच छोटी बहन रीना के बारे में सोचता मोटरसाइकिल दौड़ाए चला जा रहा था। कल रीना को लड़के वाले भी देखने आ रहे हैं। उसकी छोटी-सी प्यारी बहन दुल्हन बनकर घर से विदा हो जाएगी और एक नया संसार उसका घर होगा जहां वो किसी की चाची, ताई, आंटी, जेठानी, बड़ी बहू या फिर रीनू बनकर रम जाएगी। read more at monicagupta.info

 

एक कहानी ऐसी भी – हिन्दी लघु कहानी – आपको कैसी लगी… जरुर बताईगा .. !!

 

August 14, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

एक कहानी की मौत

एक कहानी की मौत

एक कहानी की मौत –  अंधविश्वास, टोना टोटका, जादू, ज्योतिष, पुनर्जन्म, मस्त, मनोरंजक, मजेदार, थ्रिलर, हॉरर, भूत, सस्पैंस , रोचक, प्रेरक हो या आप बीती कहानी. कहानियों  में अक्सर  किरदर मरा करते हैं पर मेरी कहानी में तो कहानी की ही मौत हो गई. कैसे?? जानने के लिए पढिए… एक कहानी की मौत

 एक कहानी की मौत

एक कहानी की मौत

एक कहानी की मौत

संदीप घर से हंसता मुस्कुराता निकला। उसकी पत्नी बेबी ने बाहर आकर उसे बाय-बाय किया और अपनी पड़ोसन नीलम से बतियाने लगी। संदीप दफ्तर के सौ कामों के बीच छोटी बहन रीना के बारे में सोचता मोटरसाइकिल दौड़ाए चला जा रहा था। कल रीना को लड़के वाले भी देखने आ रहे हैं। उसकी छोटी-सी प्यारी बहन दुल्हन बनकर घर से विदा हो जाएगी और एक नया संसार उसका घर होगा जहां वो किसी की चाची, ताई, आंटी, जेठानी, बड़ी बहू या फिर रीनू बनकर रम जाएगी।

संदीप को मामा कहकर जब नन्हा-मुन्ना पुकारेगा तो वो कितना खुश होगा। सच, भगवान ने इस गृहस्थी को कितना कुछ दिया है बस, अपना आशीर्वाद बनाकर रखना। तभी अचानक ना जाने कहां से एक ट्रक रास्ते में आ गया और…और…नहीं…और मैनें अपना पैन बीच में ही रोक दिया। ‘नहीं’…संदीप को मारना जरूरी है क्या…? बेचारा इतने सपने लेकर घर से चला था।

और मैं कुछ सोचते-सोचते उठ गई और इधर-उधर चहल-कदमी करने लगी। मन में हजारों प्रश्न आसन जमाए बैठे थे कि संदीप का क्या होगा या संदीप के बाद कहानी में बदलाव क्या आना चाहिए। क्या संदीप का पुर्नजन्म दिखाए या फिर उसका हमशक्ल या फिर ट्रक ड्राईवर एक नेक इंसान। मेरा दिमाग चकरा गया। इसी बीच चाय भी पी पर चाय भी कहानी को नया मोड़ देने में असमर्थ रही। मन बैचेन और परेशान हो उठा।

कहानी लगभग खत्म होने पर ही थी पर अब अटक गई तो समझो अटक ही गई। बहुत सोचने पर बस बार-बार यही ध्यान आ रहा था कि जमाने में और भी बहुत दुख-दर्द है। अगर संदीप को मार दिया तो कोई नई बात नहीं होगी। फिर  मन में आया कि क्यों ना कहानी को मोड़ दे दिया जाए कि संदीप असल में अच्छा इंसान ही नहीं था। उसकी पहली पत्नी भी थी। वो उसकी अपनी पसंद की थी लेकिन बेबी से उसे दबाव में आकर शादी करनी पड़ी। अब वो बेबी को छोड़ना नहीं चाहता था और पहली पत्नी को भी रखना चाहता था। जबकि पहली पत्नी को अपना हक नहीं मिल रहा था इसलिए उसने अपने भाई के साथ मिलकर पहली पत्नी का प्लान रचा। वो ट्रक ड्राईवर उसकी  पहली पत्नी का भाई था। जिसने जानबूझ कर टक्कर मारी।

पर इसमें भी मन नहीं माना। सोचा कि संदीप को एक बार दफ्तर भेज ही देती हूं। शाम को उसे तैयारियां भी तो करनी है। मन बार-बार बेचैन हो रहा था कि क्या रीना के साथ कोई हादसा दिखा दिया जाए कि लड़के वाले या तो आए ही नहीं या फिर देखते हां कर दें और सिर्फ चुन्नी चढ़ाकर ही ले जाए। घर का माहौल एकदम गंभीर हो जाए। कुछ समझ नहीं आ रहा था।

तभी घर के बाहर घंटी बजी। मेरी सहेली मणि मिठाई का डिब्बा लेकर आई थी। उसकी बुआ के बेटा हुआ है। कुछ देर बैठने के बाद वो चली गई और मेरे मन में मची उथल पुथल फिर हिलोरे लेने लगी। दुबारा पैन लेकर बैठ गई। कहानी को बढ़ाना है तो संदीप की दुर्घटना दिखानी पड़ेगी। हाथ में मिठाई लिए अचानक मन में ख्याल आया कि क्यों न कहानी को प्यारा-सा मोड़ दे दूं।

जिंदगी में उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं जिंदगी दुखों से भरी है शायद कहानी से किसी को राहत ही मिल जाए क्योंकि कहानी में खून-खराबा होगा तो…! मन फिर बेचैन हो उठा। कलम छटपटा उठी। बार-बार लिखकर मैं उसे काटे जा रही थी। जहां कहानी की शुरूआत बहुत अच्छी हुई थी। संदीप और बेबी की पहली मुलाकात, कॉलिज के दिन फिर तांत्रिकों का चक्कर, फिर ज्योतिष की हिदायत…सब कुछ बिल्कुल अच्छा चल रहा था फिर ना जाने कहानी का ये मोड़ इतना जरूरी सा हो गया था। या तो कहानी क्रमशः रखनी पड़ती या फिर इसका पूरा नॉवल बनाना पड़ता। ताने-बाने इतने बुन लिए गए थे कि…!

बस…अब और नहीं। मैने मन ही मन सोच लिया कि संदीप को कुछ नहीं होगा। तांत्रिक की बात गलत निकलेगी और वो शाम को घर सही सलामत पहुंच जाएगा। पर मेरी कलम फिर रूक गई और सोचने लगी कि आज का समाज अंधविश्वास के साए में ही तो जी रहा है।

अंधविश्वास की कहानियां कितनी चटकारे लेकर पढ़ी जाती हैं वो समाज की पंसद के विरोध में भी तो नहीं बोल सकता तो क्या होगा संदीप का? क्या वो घर से दफ्तर पहुंच पाएगा? क्या पहली पत्नी उसे दर्द देगी? क्या रीना को लड़के वाले देखने आ पाएंगे? क्या इसका अंत खुशी में रखा जाए या किस्तों में कहानी को चलवाकर एक नॉवल का रूप दे दिया जाए?

उफ…इतनी उहापोह…इतना सोच विचार…इतनी देर में तो मैं एक नई कहानी ही लिख देती और और देखते ही देखते मैने कहानी के पांचों पृष्ठ रद्दी की टोकरी के भेंट चढा दिए। और  कुछ और नया सोचने में जुट गई…  !!!

कैसी लगी एक कहानी की मौत जरुर बताईगा !!

Photo by PSVitaWallpapers

July 14, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

साफ सफाई -लघु कथा -ऑडियो

जब कोई बात बिगड़ जाये तो रहें बी पॉजिटिव https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/07/audio-safai-by-monica-gupta-1.wav

क्लिक करिए और सुनिए  एक मिनट और 48 सैंकिंड की कहानी “साफ सफाई -लघु कथा -ऑडियो ” वाचिका मोनिका गुप्ता

साफ सफाई  हम सभी को पसंद है पर कुछ मामलों में सफाई से सख्त नफरत है .. खासकर हमारे देश में….

कैसे ?? जानने के लिए सुनिए कहानी

सफाई

पिछले बहुत दिनों के तनाव के बाद आज घर में रौनक थी। दादी पूजा करवा रही थी। 12 वर्षीय मोनी जब  स्कूल घर लौटी तो खुशनुमा वातावरण था। पिछले बहुत दिनों से वो भी इस तनाव को महसूस कर रही थी। उसकी मम्मी सुस्त तो लग रही थीं, पर पूजा की तैयारी में जुटी थी और पापा बाजार से फल और मिठाई लाने गए हुए थे।
मोनी सोच रही थी कि आखिर इतने दिनों का तनाव ऐसे कैसे खत्म हो गया, क्योंकि आज न केवल सभी खुश हैं, बल्कि घर पर पूजा भी रखवा दी गई है। तभी बुआ का फोन आया और दादी बात करने में जुट गईं। वो खुशी- खुशी बता रही थीं कि पिछली बार की तरह इस बार भी सफाई हो गई है।

ईश्वर ने चाहा तो अबकी बार मोनी का भाई ही खेलेगा गोदी में… न कि .. मोनी सुनकर सन्न रह गई… तो क्या….अब वो नन्ही गुडि़या से कभी नहीं खेल पाएगी? फोन रखकर दादी ने आवाज दी मोनी पूजा में बैठने के लिए जा जाओ।
मोनी दादी के पास जाकर बोली कि आज पूजा कैसे हो सकती है। याद नहीं, पिछले साल जब चाचा की death  हुई थी, तब कुछ दिनों के लिए उन्होंने पूजा बंद करवा दी थी!

दादी अगरबत्ती और दीयाजलाते हुए, हँसते-हँसते बोलीं कि कैसी बातें कर रही है… आज कौन मरा है, जो घर में पूजा न होगी। मेरी बहन… सुना…. मेरी बहन… जिसकी आपने पेट में ही सफाई करवा दी। वो पूजा में नहीं बैठेगी और गुस्से से पैर पटकती, रोती हुई अपने कमरे में भाग गई ।
अचानक पूरे घर में मानो सन्नाटा-सा छा गया। दादी को ऐसा महसूस हुआ मानो सच में ही कोई मर गया है।

 

ऑडियो - मोनिका गुप्ता

ऑडियो – मोनिका गुप्ता

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छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

Blogging Tips in Hindi

Blogging Tips in Hindi Blogging यानि आज के समय में अपनी feeling अपने experience, अपने thoughts को शेयर करने के साथ साथ Source of Income का सबसे सशक्त माध्यम है  जिसे आज लोग अपना करियर बनाने में गर्व का अनुभव करने लगे हैं कि मैं हूं ब्लागर. बहुत लोग ऐसे हैं जो लम्बें समय से […]

GST बोले तो

GST बोले तो

GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें …  GST बोले तो Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. […]

डर के आगे ही जीत है - डर दूर करने के तरीका ये भी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन – Social Networking Sites aur Blog Writing –  Blog kya hai .कहां लिखें और अपना लिखा publish कैसे करे ? आप जानना चाहते हैं कि लिखने का शौक है लिखतें हैं पर पता नही उसे कहां पब्लिश करें … तो जहां तक पब्लिश करने की बात है तो सोशल मीडिया जिंदाबाद […]

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