Monica Gupta

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July 12, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

बच्चों की मनोरंजक कहानी – समझदार कौन

बच्चों के लिए अच्छी आदतें

बच्चों की मनोरंजक कहानी – समझदार कौन . Bachho ke Manoranjak Kahani – हमारी जिंदगी में बहुत तनाव है इसलिए कई बार कुछ हलका फुल्का पढ लेना चाहिए ताकि मन रिलेक्स हो जाए . एक ऐसी ही रोचक कहानी पढी …

बच्चों की मनोरंजक कहानी – समझदार कौन

एक राजा खुद को बहुत समझदार समझता था .एक बार उसने धोषणा कर दी कि मुझसे समझदार व्यक्ति खोज कर लाओ मैं देखना चाहता हूं कि मुझसे समझदार भी है कोई या नही … राजा अपने मंत्री को हुक्म देता है और मंत्री बहुत खोज करता है पर उसे कोई समझदार नही मिलता जो राजा को हरा दे … मंत्री की बेटी कहती है आज चिंता न करो …

एक दिन वो एक भोले व्यक्ति को लाती है और पिता को कहती है आप चिंता न करो … राजा के पास लेकर जाया जाता है राजा कहता है वो इशारे से बात करेगा …

राजा एक ऊंगली उठाता है कि सबसे समझदार में हूं इस पर वो दो ऊंगली उठाता है राजा सोचता है कि इसका मतलब है कि भगवान भी है समझदार. राजा फिर तीसरी उंगली ऊठाता है इस पर वो गर्दन न करके हिलाता है और अपनी कुर्सी छोड कर जाने को होता है

राजा खुश क्योकि राजा पूछ्ना चाह रहा था कि क्या कोई तीसरा भी समझदार है और वो मना कर देता है इशारे से और उठ जाता है राजा उसे खूब उपहार देकर विदा करते हैं मंत्र्री को समझ नही आता वो एकांत में पूछता है कि

राजा क्या कह रहे थे … वो बोला राजा ने इशारे से पूछा कि एक भेड चाहिए तो मैंने सोचा राजा बडे आदमी है तो 2 दे देता हूं पर जब राजा ने जब 3 का इशारा किया तो मैंने मना कर दिया .. … मैंने कहा कि 2 है इस पर राजा ने कहा कि मैं 3 भेड लूगा … तो मैंने मना कर दिया और खडा हो गया … इस पर मंत्री हंसता हुआ बोला कि कुछ नही होगा … और उसे वापिस गांव छोड आया..

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June 30, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

जीवन में माता पिता का महत्व – माँ और बेटे की कहानी

जीवन में माता पिता का महत्व

जीवन में माता पिता का महत्व – माँ और बेटे की कहानी. Jeevan mai Mata Pita ka Mahatva –  मां शब्द इतना प्यारा है कि जहां भी उनके बारे में पढने को मिलता है सब प्यारा सा हो जाता है …Mata Pita ke Prati Bacho ka Kartavya..कल बहुत खूबसूरत बात पढी मां के बारे में और बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो गई..

मैंने पढा कि अपने जन्मदिन पर अपनी मम्मी के लिए समय निकालो क्योकि ये दिन उनके लिए भी बहुत खास है … वाकई मां जन्म देती है और और सही मायनों में उनका भी एक जन्म होता है …

जीवन में माता पिता का महत्व – माँ और बेटे की कहानी

मां बनना और मां  कहलाना बहुत खूबसूरत अहसास होता है … जितना मां अपने बच्चे का ख्याल रखती है क्या बच्चे भी रखते हैं … खूबसूरत से रिश्ते पर नेट पर एक कहानी पढी ……

एक बूढ़ी मां नींद की गोलियों की आदी हो चुकी थी और एक दिन फिर गोली के लिए ज़िद कर रही थी। बेटे की कुछ समय पहले शादी हुई थी। बहु डॉक्टर थी। बहु सास को नींद की दवा की लत के नुक्सान के बारे में बताते हुए उन्हें गोली नहीं देने पर अड़ी थी। जब बात नहीं बनी तो सास ने गुस्सा दिखाकर नींद की गोली पाने की कोशिश की। अंत में अपने बेटे को आवाज़ दी।

 

बेटे ने आते ही कहा,कोई बात नही आज दे देते हैं ‘माँ मुहं खोलो।’पत्नी ने मना करने पर भी बेटे ने जेब से एक दवा का पत्ता निकाल कर एक छोटी पीली गोली माँ के मुहं में डाल दी।पानी भी पिला दिया।गोली लेते ही आशीर्वाद देती हुई माँ सो गयी।.पत्नी ने कहा ,’ऐसा नहीं करना चाहिए।’ पति ने दवा का पत्ता अपनी पत्नी को दे दिया।

विटामिन की गोली का पत्ता देखकर पत्नी के चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी। धीरे से बोली ‘आप माँ के साथ चीटिंग करते हो।’बचपन में माँ ने भी चीटिंग करती थी .. इंजेक्शन लगवाने ले जाती थी और बोलती देखो कोको … और जब मैं ऊपर देखता तो डाक्टर सूई लगा देता …  पहले वो करती थीं, अब मैं बदला ले रहा हूँ।’

वैसे एक बात और भी पढी थी कि अगर गलती हो जाए तो माफी मांग लेनी चाहिए …खूबसूरत रिश्ते कल फिर

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जीवन में माँ का महत्व- माँ की ममता और माँ का महत्व जानिए – ईश्वर का दूसरा रुप है मां , भगवान हर जगह नही जा सकते इसलिए उन्होनें मां को बना दिया.
आसमान ने कहा…. “माँ एक इन्द्रधनुष है, जिसमें सभी रंग समाये हुए हैं।”
शायर ने कहा…. “माँ एक ऐसी गजल है, जो सबके दिल में उतरती चली जाती है।”
माली ने कहा…. “माँ एक दिलकश फूल है, जो पूरे गुलशन को मह्काता है।”
औलाद ने कहा…. “माँ ममता का अनमोल खजाना है, जो हर दिल पर कुर्बान है।”
वाल्मीकि जी ने कहा…. “माता और मातर भूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊँचा है।”
वेद व्यास जी ने कहा…. “माता के समान कोई गुरु नही है।”
पैगम्बर मोहम्मद साहब ने कहा…. “माँ वह हस्ती है, जिसके क़दमों के नीचे जन्नत है।”

 जीवन में माता पिता का महत्व

June 25, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

अच्छे दिन आने वाले हैं – खुशखबरी पर एक कहानी

अच्छे दिन आने वाले हैं

अच्छे दिन आने वाले हैं – खुशखबरी पर एक कहानी – acche din aane wale hai – कई बार हम बात करते हैं खुशखबर की पर क्या वो वाकई में खुशखबरी होती है  क्या वो वाकई में अच्छे दिन आने वाले हैं का संकेत देती है…

अच्छे दिन आने वाले हैं – खुशखबरी पर एक कहानी

मैं सोच ही रही थी कि आज किस बारे में बात करुं तभी बाहर से जोर जोर loudspeaker से आवाज आने लगी … खुश खबरी … आपको ये जानकर खुशी होगी कि आपके शहर में खुल गया है … और बहुत जोर जोर से आवाज आने लगी … ऐसा लगा मानो वो वही रुक गया … मैं सोचने लगी कि इतनी जोर जोर से बजाते हैं आखिर ऐसे मे खुशी किसे होगी … तभी अचानक मुझे याद आ गई एक कहानी जो मैंने कुछ समय पहले लिखी थी … कहानी का नाम भी है खुश खबरी

 

खुश खबरी

अच्छे दिन आ गए … ये कहानी है बहुत साधारण परिवार की. जिसे हम गरीब भी कह सकते है  कुछ ही देर पहले रमेश घर से गया था और आधे ही घंटे में बहुत खुशी खुशी लौट आया..पत्नी हैरान … अरे इतनी जल्दी ???

और पानी देते हुए पूछने लगी कि क्या कहीं नौकरी की बात बनी। पति के चेहरे पर खुशी देखकर उसे लग रहा था कि  कोई ना कोई खुशखबरी है जरूर…।

रमेश ने गिलास एक तरफ रखते हुए उसे अपने पास बैठाया और प्यार से बोला कि अब तो समझो अपने दिन फिर गए हैं। अच्छे दिन आ गए हैं।

रूपी चहकती हुई बोली… कहां बात बनी… कितनी तनख्वाह मिलेगी…। कोई नौकरी नही थी बहुत समय से वो खाली बैठा था …  रमेश ने उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहा कि अब तो समझो… रानी बन कर ही राज करोगी… राज…।

जब वो घर से निकला ही था तो सामने से राज पण्डित आ रहे थे। उन से दो चार बात हुईं और वो उसे उनके घर ले गए। जन्मपत्री देखकर उन्होंने बताया है कि बस अब राजयोग बनने ही वाला है।

बस थोड़ी सी दक्षिणा और पूजा का इंतजाम करना है फिर देखना… लक्ष्मी की बरसात होगी… बरसात…। बरसात…। लक्ष्मी की… हूंह… । रूपी… के पास बोलने को कुछ नहीं था, वो चुपचाप उठी और बर्तन मांजने लगी।

क्या ये वाकई में  खुश खबर ही है ???

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May 14, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

छोटी बाल कहानी – मुझे नहीं बनना मम्मी वम्मी

छोटी बाल कहानी – मुझे नहीं बनना मम्मी वम्मी – बच्चों की सोच होती है मम्मी बनना बहुत आसान है … मम्मी को काम ही क्या होता है सारा दिन टीवी देखना, तैयार होना और  बच्चों को डांटना … बस … मम्मी बनना बहुत आसान है … पर क्या वाकई … !! बहुत समय पहले मैने एक कहानी लिखी थी एक लडकी की सोच होती है कि मम्मी बनना बहुत आसान है पर कहानी के अंत में कह उठती है कि मुझे नही बनना मम्मी वम्मी…

छोटी बाल कहानी – मुझे नहीं बनना मम्मी वम्मी

मैं हूं मणि। मैं अभी-अभी रूपा और कुणाल के घर से अपने भाई के साथ लौटी हूं। वहां हम खूब खेले। इतना खेले कि समय का पता ही नहीं चला और जब समय देखा तो सिट्टी पिट्टी गुम… मम्मी तो डाटेंगी ही और पापा भी दफ्तर से घर लौट आए होंगे। घर का गेट खोलते ही शुक्र मनाया कि पापा अभी नहीं लौटे। मम्मी टेलीविजन देख रही थी। सच, कितने मजे है ना मम्मी के। सुबह से रात तक ना कोई पढ़ाई ना कोई स्कूल की टेंशन। मेरा तो दिमाग ही घूम जाता है पढ़ाई से।

ऊपर से जबसे गणित की नई अध्यापिका आई हैं रोज पहाड़े सुनाती है वो भी बीस तक। लिखने में तो मैंने रट्टा लगा रखा है पर सुनाने में…मेरी जान निकलती है। पापा को भी अपने पांव दबवाने का अच्छा बहाना मिल गया है।

मुझे पांव पर खड़ा कर लेते हैं और बोलते हैं कि पांव पर चलते भी रहो और पहाड़े भी याद करते रहो। सच, पढ़ाई ऐसी मुसीबत लगती है कि मेरा मन करता है कि मैं भी मम्मी बन जाऊं और सारा दिन शीशे के सामने बैठी बिंदी, लिपस्टिक लगाती रहा करूं। लेकिन ऐसा अभी होने से तो रहा क्योंकि मैं अभी पांचवी कक्षा में हूं।

हे भगवान…मैं कब बड़ी होऊंगी। सोचते-सोचते मैंने गणित की पुस्तक निकाली और तीन तीया नौ याद करने लगी। पर फिर मैं ख्यालों में खो गई। सच, मम्मी बनने पर मैं आराम से आठ बजे उठूंगी। उठते ही अखबार और चाय का गिलास लेकर बैठूंगी। अखबार पढ़कर नहाने जाऊंगी और फिर टीवी के आगे बैठ जाऊंगी। जब बच्चों के आने का समय होगा…

बच्चों का, मैंने सोचा बच्चे स्कूल से तब आएंगे ना जब मैं उन्हें सोते हुए उठाऊंगी-उसके लिए तो मुझे पांच बजे उठना पड़ेगा। क्योंकि पहले मम्मी मेरे छोटे भाई के लिए दूध की बोतल उबालकर, दूध गर्म करके उसे ठण्डा करती है फिर उसमें हल्की सी चीनी डाल कर छान कर उसे अपने हाथ से पिलाती है जिसमें लगभग बीस मिनट लगते हैं।

फिर बारी आती है मुझे उठाने की। भई, इसमें शर्म की कोई बात नहीं है कि मुझे उठाने में मम्मी को पूरे दस पंद्रह मिनट तो लग ही जाते हैं। मुझे पता है कि पहले पहल तो मम्मी कितना दुलार दिखाती है उठाने में लेकिन हद होती है ना जब मैं उठूं ही नहीं तो…और उठने के बाद तो जो अशांति होती है उसका तो क्या कहना।

पहले तो उठने के साथ चप्पलें नहीं मिलती फिर घमासान युद्ध होता है कि पहले बाथरूम कौन जाएगा या फिर बाशबेसिन के आगे खड़ा होकर पहले ब्रश कौन करेगा क्योंकि पापा को भी समय से आफिस पहुंचना होता है। खैर, हमारे तैयार होने केे बाद मेरे कमरे की तुलना किसी भूकंप ग्रस्त क्षेत्र के घर से की जा सकती है। अब वो काम मम्मी का होता है। मनु भईया को गोद में लिए वो सारा काम निपटाती है। मेरे वापिस आने पर वो कमरा जो दमक रहा होता है उसमें फिर से भूूकंप के झटके लगने शुरू हो जाते हैं।

स्कूल की दिनचर्या व स्कूल बस में दिप्पी के साथ हुई सारी बातें ए टू जेड मम्मी को बतानी होती है जिन्हें वे बहुत ध्यान और धैर्य से सुनती हैं और खाना लगाते-लगाते उस सुंदर से कमरे को बिखरता देखती हैं। मम्मी को पता है कि बच्चों से बार-बार-बार  करने का कि कमरा साफ रखो या चीजों को ठीक से रखो…कोई फायदा नहीं है।

करीब आधे घंटे में वो कमरा फिर से हमें साफ मिलता है। फिर स्कूल का होमवर्क, फिर मनु का किसी भी समय रोना या कुछ तोड़-फोड़ करना जारी रहता है। शाम होते ही मम्मी फिर से दूध लेकर मेरे पीछे पड़ जाती है। पिछले महीने तक तो मैं मम्मी की निगाहों से बचकर दूध बाशबेसिन में गिरा रही थी किंतु एक दिन मेरी चोरी पकड़ी गई।

अब तो मम्मी दूध खत्म होने तक मुझ पर नजरें गड़ाए रहती है। दूध पीते समय बस एक श्रृंगार रस को छोड़ कर मेरे चेहरे से सभी रस टपकते रहते हैं। खैर हर रोज मेरी पसंद और पापा की पसंद का खाना बनाया जाता है। सभी की पसंद अलग होने के बावजूद भी मम्मी सभी का ख्याल रखती है। किसी को निराश नहीं होने देती।

मनु को गोद में लिए-लिए अपने बालों का जूड़ा बनाकर सारा दिन काम में जुटी रहती है। जिस दिन काम वाली बाई नहीं आती उस दिन भी मम्मी किसी से कुछ नहीं कहती। पर फिर भी अपने लिए श्रृंगार और टीवी देखने का समय पता नहीं कैसे निकाल लेती हैं।

मुझे याद है एक दिन मम्मी को मनु को लेकर डाक्टर के पास जाना पड़ा था। मैंने घर साफ करने की कोशिश भी की थी लेकिन वो कहते है ना…जिसका काम उसी को साजे…बस, मैं कुछ नहीं कर पाई थी, हां, उस समय मैं पहाड़े लेकर जरूर बैठ गई थी याद करने और मुझे चार का पहाड़ा याद भी हो गया था।…बड़ी भूल कर रही हूं, मैं तो बच्ची ही ठीक हूं।

इतना पहाड़ जैसा काम करने से बेहतर तो यही है कि मैं पहाड़े ही याद कर लूं। सच में…मुझे नहीं बनना मम्मी वम्मी। पापा शायद मुझे आवाज लगा रहे हैं। मणि जल्दी आओ, जरा मेरे पांव पर खड़ी होकर मुझे जोर से पहाड़े तो सुनाओ कि कितने याद हुए। मैं किताब लेकर खुशी से पापा के पास भागी कि चलो मैं अभी मणि ही हूं…मम्मी नहीं।

 

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‘‘मुझे नहीं बनना मम्मी वम्मी’’

May 8, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

माँ तो माँ होती है – एक छोटी सी कहानी

इंसान और भगवान

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माँ तो माँ होती है – एक छोटी सी कहानी

कई बार कुछ ऐसा पढने को मिल जाता है कि पढने के बाद बस विचार शून्य यानि  हो जाता है …नेट पर कुछ सर्च कर रही थी तभी ध्यान एक कहानी पर गया … कहानी बहुत छोटी सी पर बहुत गहरा असर छोड गई.

कहानी है एक वादक की वो हर रोज जंगल में जाकर मृदंग ड्रम  बजाता … जब वो ड्रम बजाता एक मेमना आ कर बैठ जाता … वादक हर रोज उसे देखता एक दिन उसने पूछ ही लिया कि तू यहां हर रोज आकर बैठता है मेरा गाना अच्छा लगता है या बजाना …

किसलिए आता है तू रोज …

 

 

मेमना बोला ये तो मैं नही जानता कि लय ताल गाना बजाना  क्या है…. मैं तो बस इतना जानता हूं कि जो आप ड्रम बजाते हो उस पर मेरी मां का चमडा लगा है जब आप बजाते हो उसकी थाप पडती है तो ऐसा लगता है कि मेरी मां मुझे पुकार रही है …

जीवन में माँ का महत्व – Monica Gupta

एक महीना हो गया पर दोनो बच्चों ने घर सम्भाल रखा है ऐसा लग रहा है मानो पिकनिक हो रही हो … इतने में उनका बेटा चाय ले आया और कुछ देर बाद में बहुत खुश होकर लौट रही थी और सोच रही थी कि अगर सब मिलकर काम करें एक दूसरे का ख्याल रखें तो कितना अच्छा हो read more at monicagupta.info

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जानिए  किसने क्या कहा …

जीवन में माँ का महत्व- माँ की ममता और माँ का महत्व जानिए – ईश्वर का दूसरा रुप है मां , भगवान हर जगह नही जा सकते इसलिए उन्होनें मां को बना दिया.
आसमान ने कहा…. “माँ एक इन्द्रधनुष है, जिसमें सभी रंग समाये हुए हैं
शायर ने कहा…. “माँ एक ऐसी गजल है, जो सबके दिल में उतरती चली जाती है
माली ने कहा…. “माँ एक दिलकश फूल है, जो पूरे गुलशन को मह्काता है।”
औलाद ने कहा…. “माँ ममता का अनमोल खजाना है, जो हर दिल पर कुर्बान है
वाल्मीकि जी ने कहा…. “माता और मात्ृ भूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊँचा है
वेद व्यास जी ने कहा…. “माता के समान कोई गुरु नही है
पैगम्बर मोहम्मद साहब ने कहा…. “माँ वह हस्ती है, जिसके क़दमों के नीचे जन्नत है

और मैंने कहा कि उसको नही देखा हमने मगर पर उसकी जरुरत क्या होगी … ए मां तेरी सूरत से अलग भगवान की मूरत क्या होगी …

May 6, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

समाज में रिश्तों की अहमियत पर एक लघु कहानी

 Art of Public Speaking in Hindi

समाज में रिश्तों की अहमियत पर एक लघु कहानी- जीवन से जुडी सच्चाई … कुछ कहानियों में न तो मनोरंजन होता है और ना कोई प्रेरणा बस वो समाज का आईना होती हैं और सोचने पर मजबूर जरुर कर जाती है …

 समाज में रिश्तों की अहमियत पर एक लघु कहानी –

मैने कुछ समय पहले कुछ देखा महसूस किया और कहानी मे पिरो दिया  .. आज वही कहानी आपको सुना रही हूं … सुनने के बाद जरुर बताईएगा कि आपके क्या विचार हैं ..

कहानी का शीर्षक है  वापसी –

अचानक रात की खामोशी को चीरती हुई मोबाईल की घंटी बजने लगी अमेरिका से रवि का फोन था और वो बता रहा था कि अगले सप्ताह के टिकट हो गए हैं और वो अपनी पत्नी रीमा के साथ आ रहा है। घर में अचानक खुशी की लहर दौड़ गई। मां बाबू जी खुश हो गए क्योकि दो साल के बाद बेटा-बहू आ  रहे हैं।

माँ की आँखों से  जहां खुशी के आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे वही भीगी पलकों से वो खाने की लिस्ट भी बनाने में जुट गई कि उन दिनों क्या क्या बनेगा … बेटे बहू की पसंद की सारी चीजे बनाऊंगी और सुनहरे सपने बुनने लगीं … वही रवि के पिता ने पहली मंजिल पर कमरा बनवाने का निर्णय कर रखा था कि जब बेटा आएगा उससे 5 – 7  लाख की माँग करेंगे। उधर, रवि के चाचा ने अपने बेटे विक्की को उनके साथ विदेश भेजने का सोच लिया। उनके साथ घर पर रहेगा और नौकरी खोजेगा।

वहीं रवि  की दादी इस फिराक में थीं कि उनकी बेटी निशा यानी रवि की बुआ, जिसका हाल ही में तलाक हुआ है, उसके लिए विदेश में कोई घर मिल जाए, ताकि एक चिंता मिटे। कुल मिलाकर, उनके आने का सभी को इंतजार था…

सभी बहुत उत्साहित थे। अब तो इंतजार था कि वो कब आएगा… इंतजार की घडियां भी खत्म हुई. हल्ला गुला और शोर शराबें में सप्ताह भी बीत गया और खूब धूमधाम से उनका स्वागत हुआ। वो भारत दो साल बाद लौटा था…

 

 

खूब सारा सामान लाए थे वो। सभी रिश्तेदारों की आँखों में चमक थी कि ना जाने उनके लिए क्या-क्या सामान लाए हों। देर रात तक खाना-पीना चलता रहा। हँसी-खुशी का माहौल अचानक शांत हो गया और सभी उठकर चुपचाप अपने-अपने घर जाने लगे। सभी के चेहरे पर तनाव था।

असल में, खाना खाते-खाते जब रवि के पिता ने उसका प्रोग्राम पूछा कि कितने दिन का प्रोग्राम है तो उसने बताया कि अब वो वापस नहीं जाएगें .. भारत में रहकर ही कोई काम करेंगे, क्योंकि वहाँ दिल नहीं लगा।

देखत-ही-देखते कमरा खाली हो गया। बस, वहाँ रवि  और रीमा बैठे रह गए और सामने बैठी थीं उनकी माँ… जिनकी आँखें खुशी के आँसू बरसाए जा रही थीं कि अब उनका बेटा हमेशा उन ही के पास रहेगा। उसकी आखों के सामने… !!

तो ये थी कहानी आप बताईएगा कि आपको कैसे लगी …

एक कहानी यह भी – हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज – Monica Gupta

एक कहानी यह भी – हृदयस्पर्शी कहानी सरप्राईज – ek kahani yeh bhiएक बार की बात है अक्सर कहानी ऐसे ही शुरु होती है कहानी लेखन बड़े बुजुर्गों का महत्व ki kahani read more at monicagupta.info

 

समाज में रिश्तों की अहमियत पर एक लघु कहानी

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एक सच्चाई ऐसी भी – रिश्तों की अहमियत पर एक कहानी

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