Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

  • About Me
  • Blog
  • Contact
  • Home
  • Blog
  • Articles
    • Poems
    • Stories
  • Blogging
    • Blogging Tips
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Kids n Teens
  • Contact
You are here: Home / Archives for Stories

November 22, 2015 By Monica Gupta Leave a Comment

आईना – लघु कथा

आईना - लघु कथा

आईना – लघु कथा है जोकि दैनिक भास्कर की मधुरिमा में प्रकाशित हुई. कहानी में मा बेटे और नौकरी पेशा बहू का यथार्थ चित्रण है काम काजी महिलाओ को आईना दिखाती है..

आईना – लघु कथा

आमतौर पर कामकाजी महिलाएं अपने ऑफिस और काम में इतनी डूब जाती है कि घर परिवार उनका बहुत पीछे छूट जाता है और बाद में जब उन्हें समझ आती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है यही सब दिखाने की कोशिश की है कहानी आईन में …

 

आईना - लघु कथा

आईना – लघु कथा

लीजिए पढिए एक नई कहानी कोट
कोट

स्कूल यूनीफार्म का कोट था। बड़े के छोटा हुआ तो दो साल छोटे ने पहन लिया। पर छोटा बडे़ से ज्यादा लंबा हो गया और उसके लिए नया कोट सिलवाना पड़ा। अब रीटा मौसी सोचने लगीं कि वो कोट जब बनवाया था, तब सात सौ का बना था… इसीलिए उसने सोचा कि इस साल तो किसी को नहीं दूँगी, उसे सहेजकर ट्रंक में रख लिया। अगली सर्दी में फिर ट्रंक खुला। कोट को उलट-पुलट करके फिर उसमें नीम के पत्ते और फिनाइल की गोलियाँ डालकर वापस रख दिया, क्योंकि वो अभी भी नया जैसा लगता था। एक साल फिर बीतने पर उसने हिम्मत करके ट्रंक से कोट बाहर तो निकाला, पर किसी को देने का मन बना ही नहीं पाई। पूरे साल बेचारा ट्रंक में पड़ा रहा।
आज रीटा मौसी ने आखिरकार, पाँच साल बाद सोच लिया कि कोट को किसी-न-किसी को जरूर देना है…. पर हाय… अब कोट दिखने में मैला और पुराना लगने लगा। एक बार तो रीटा मौसी ने बर्तन वाली को दिखाया वो भी नाक-मुँह चढ़ाकर बोली कि इसके तीन गिलास ही मिलेंगे, लेना है तो बोलो…. और घर की ओर झाँकती हुई बोली, कुछ नया और अच्छा नहीं है क्या….। रीटा मौसी ने बिना मोल-भाव किए उसे भगा दिया। अब रीटा मौसी किसी गरीब-फटेहाल को ढूँढ रही हैं जो वो कोट पहन ले…।

एक शाम एक गरीब-फटेहाल बच्चा आया, उसने फटाफट कोट निकालकर उसे दे दिया। उसने कोट तो पहन लियाए फिर बोला कि कोट गर्म नहीं है, कोई टोपी या दस्ताने हों तो… रीटा मौसी ने उसे भगा दिया…और दरवाजा बंद करके यही सोचने लगी कि काश… पाँच साल पहले ही यह कोट किसी जरूरतमंद को दे देती तो कितना अच्छा होता! क्योंकि आज कोट देकर भी न दिए के बराबर जो हो गया था।
कैसी लगी कहानी जरुर बताईएगा ..

मां शैलपुत्री – क्या है कहानी – Monica Gupta

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कहानी देवी दुर्गा के नौ रूप हैं. पहले स्वरुप मां शैलपुत्री की क्या है कहानी सुनिए या पढिए 3 मिनट 9 सैकिंड का ऑडियो read more at monicagupta.info

 

September 19, 2015 By Monica Gupta

रिटायरमेंट

retirement photo

Photo by aag_photos

रिटायरमेंट

मोहन कुमार जिन्हें कभी लोग भाई साहब या बडे भाई के नाम से ज्यादा जानते थे  बार बार अपना मोबाईल और लैंड लाईन चैक कर रहे थे क्योकि बहुत समय से कोई फोन की घंटी नही बजी थी. उन्हे लग रहा था कि फोन मे शायद कोई गडबडी ना हो पर सब ठीक था इसलिए बार बार चैक कर रहे थे. अभी दस दिन ही हुए है उनकी रिटायरमेंट को. शहर मे बहुत अच्छे सरकारी ओहदे पर थे वो. नौकरी के दौरान उन्हे ना दिन का चैन ना रात की नींद .. हर समय वक्त बेवक्त बस कुछ अंंजाने रिश्तेदारों तो कभी जान पहचान नाते रिश्तेदारो के फोन ही घनघनाते रहते.

बडे भाई … आपकी गुडिया की शादी है जरुर आना है और हां अगर सात आठ गैस सिलेंडर का इंतजाम हो जाता तो..! भाई साहब… हम आज सपरिवार आपसे मिलने आ रहे है हफ्ता भर रुकेंगें. भाई जी … पासपोर्ट बनवाना है जल्दी. मुन्ना विदेश जाने की सोच रहा है .. आप साईन कर देना. भाई साहब… चाची बीमार है सोच रहे हैं कि आपके पास ले आए आप सरकारी अस्पताल मे कह कर अच्छा इलाज करवा दोगें .

बडे भाई साहब … सुना है आपके एरिया मे जमीन बिक रही है जरा सस्ते मे सौदा करवा दो .. !! भाई साहब … आपके भतीजे को जेल हो गई है . जरा जज से बात करके मामला रफा दफा तो करवा दो.

और बडे भाई या भाई साहब बने मोहन कुमार सभी का काम करवा देते. इस सब में घर वाले भी अक्सर नाराज हो जाते  इस बात पर अक्सर घर में तनाव भी हो जाता था  पर ….. !!!

मोहन कुमार इसी ख्यालो मे ही गुमसुम थे कि अचानक टेलिफोन की घंटी बजी. उनके चेहरे पर खुशी दौड गई.गला साफ करते हुए उन्होने फोन उठाया पर शायद वो गलत नम्बर था…

और वो सोच रहे थे कि उनके परिवार की नाराजगी कितनी जायज होती थी…

रिटायरमेंट….

August 18, 2015 By Monica Gupta

Love Story

 

monica story love u

Love Story

आज सुनिए मेरी लिखी एक और कहानी मेरी ही जुबानी
शीर्षक है … लव यू
http://radioplaybackindia.blogspot.in/…/love-you-by-monica-…

कहानी – लव यू

मणि का बेटा मनु, होस्टल जाने के लिए तैयार हो रहा था…उसका दाखिला दिल्ली के बहुत अच्छे कालिज में हुआ था. मणि बहुत खुश थी क्योंकि मनु की मेहनत जो सफल हुई थी और आज से वो बहुत अच्छे इंजीनयरिंग कालिज में पढेगा पर मां का दिल जो ठहरा.. मनु दूर चला जाएगा … कैसे रहेगा ? कौन करेगा उसकी देखभाल? बस यही सोच सोच कर उसकी आखे भर आ रही थी. बजाय बेटे के साथ कुछ पल बैठने के वो कभी कपडे धोने बाथरुम मे चली जाती तो कभी रसोई मे जाकर प्याज काटने लगती. बहाने बना कर के बस अपने आंसुओ को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी. जब बेटे को बस स्टाप छोडने की बात हुई तो बहाना बना दिया कि काम वाली किसी भी समय आ सकती है. ताला लगा देख कर लौट ना जाए.

जाते जाते बेटा जब आशीर्वाद लेने आया तो चोरी चोरी मां की आखो मे देख ही लिया. मणि इसके लिए भी तैयार थी.. बोली बदलता मौसम है.. ना आज नाक और आंखो से पानी बहुत बह रहा है.छीके भी बहुत आ रही है. मनु चला गया और वो उदास मन से कमरे मे आकर बैठ गई. इतने मे बेटॆ का मैसेज आया ” क्या मम्मी आपको तो झूठ बोलना भी नही आता. अपना ख्याल रखना और मै भी अपना पूरा ख्याल रखूगा” लव यू !!! वैसे आप स्माईल करती ही अच्छी लगती हो !! अब मणि मुस्कुराती मुस्कुराती रो रही थी और बोल रही थी मम्मी too loves u बेटा .. अपना ख्याल रखना….

Love Story कैसी लगी … जरुर बताईगा !!!

 

 

 

August 11, 2015 By Monica Gupta

Audio- मेरी कहानी -सहयोग-मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ता

story of monica gupta

Audio- मेरी कहानी -सहयोग-मोनिका गुप्ता

http://radioplaybackindia.blogspot.in/2015/08/sahyog-by-monica-gupta.html

 इस लिंक को क्लिक करके सुनिए मेरी लिखी कहानी मेरी ही आवाज में और जरुर बताईगा कि कैसी लगी ???

मेरी कहानी मेरी आवाज

कहानी – सहयोग

सुबह से ही दिनेश बहुत परेशान सा घूम रहा था.  असल मे, कुछ देर पहले ,उसके बचपन के दोस्त रवि की पत्नी का फोन आया था वो धबराई हुई आवाज मे बोल रही थी  कि भाई साहब, हमे आपकी मदद चाहिए. वैसे तो दिनेश और रवि बहुत ही अच्छे दोस्त  थे पर  बच्चो की पढाई और अन्य परिवारिक  कारणों  दिनेश की आर्थिक दशा ठीक नही चल रही थी. दिनेश ने उस समय ये कह कर फोन रख दिया कि आप चिंता मत करो मै हूं ना. पर फोन पर बात करने के बाद  वो  ये सोच कर परेशान हो गया  कि  आर्थिक तंगी के चलते वो उनकी मदद कैसे कर पाएगा.

बात को लगभग एक महीना बीत गया.इस बीच, दोनो की कोई बात नही हुई. दिनेश ने भी कोई बात करने की कोशिश नही की.पर जब भी कोई  फोन आता तो दिनेश का दिल धडकने लगता कि कही ये उसके मित्र का फोन ना हो. लगभग  दो महीने बाद रवि की पत्नी का फोन आया. वो बहुत खुश थी और बार बार उसका धन्यवाद दे रही थी इस पर दिनेश हैरान होकर बोला धन्यवाद किस बात का …  उसने तो कुछ …. इस पर वो बीच में ही बात काट कर बोली …. भाईसाहब,  आपका यह कहना कि चिंता मत करो, मै हू ना, बहुत सहारा दे गया और इन्होने जो नशा छोडने का प्रयास किया था वो  भी सफल रहा. आपकी शुभकामनाओ से यह बिल्कुल ठीक हो गए हैं. ऐसे  मुश्किल समय मे आपकी तरफ से मानसिक सहयोग मिलना ही हमारे लिए बहुत बडी बात थी. हम बहुत जल्द आपसे मिलने आएगे कह कर उसने फोन रख दिया. और दिनेश… एक बार फिर…. कुछ सोचने पर मजबूर हो गया…. !!!

Audio- मेरी कहानी -सहयोग-मोनिका गुप्ता

 

July 19, 2015 By Monica Gupta

बाल कहानी-शैंकी

बाल कहानी-शैंकी

हर रविवार की तरह आज भी नन्हीं मणि को अपने कर्मा चाचू का इन्तजार था। मणि अपने मम्मी पापा के साथ शहर में रहती थी और उसके कर्मा चाचू गाँव में काम करते थे पर हर रविवार वह शहर आ जाते थे। मणि को परियों की, राजकुमारियों की और जादू की कहानियां सुनने का बेहद शौक था। उसके मम्मी-पापा तो उसे कहानियां सुनाते नही थे। वह दोनों ही दफ्तर में काम करते थे पर मणि को कामिक्स पढ़ कर उतना आनन्द नहीं आता था जितना कि कहानियां सुन कर आता था। कर्मा चाचू की वह लाड़ली भतीजी थी और वह उसे पूरी दोपहर कहानी सुनाते रहते।

मणि इकलौती बेटी होने के कारण वह सभी की चहेती थी। मणि का जन्मदिन भी करीब आने वाला था। उसके चाचू उस दिन उसके लिए छोटा सा सफेद रंग का कुत्ता लाए। मणि को पहले तो उससे बहुत ड़र लगता रहा। जैसे ही वो भौं-भौं करता मणि की ड़र के मारे अंगुलियां मुंह में चली जाती पर कुछ ही घण्टों में वह उससे हिल-मिल गर्इ। मणि के मम्मी-पापा भी उस छोटे से कुत्ते को देखकर बेहद खुश हुए। मणि ने उसका नाम शैंकी रखा। चाचू की कहानियां सुनने का शौक भी वैसे ही बरकरार रहा। उसे बड़ा ही अच्छा लगता था जब पुरानी कहानियों में मेंढ़क राजा बन जाता था या फिर सिर्फ छूने से ही पत्थर परी बन जाती। दो सप्ताह तक चाचू को किसी जरूरी काम से कलकत्ता जाना पड़ा। पर वह वायदा करके गए कि वापिस आने के बाद और खूब सारी कहानियां सुनोंगे।
मणि अपनी पढ़ार्इ और  शैंकी में मस्त हो गर्इ। एक दिन जब मणि स्कूल गर्इ हुर्इ थी उसके पापा दफ्तर जाने के लिए गैराज से कार निकाल रहे थे कि अचानक शैंकी को जाने क्या हुआ वो भागा-भागा आया और गाड़ी के टायर के नीचे आकर दबने की वजह से मर गया। अब मणि के मम्मी-पापा दोनों उदास हो गए। उन्हें सबसे ज्यादा मुशिकल यह हो रही थी कि वह मणि को कैसे समझाऐंगे क्योंकि अभी कर्मा भी नहीं है। ऐसे मौके पर कर्मा तो सारी बात संभाल लेता। स्कूल से आने के बाद मणि को शैंकी के मरने की बात ना बता कर यह बताया गया कि वो सुबह ही गेट खुला रहने की वजह से भाग गया था। फिर तो मणि ने जो रो-रो कर हाल बेहाल किया वो तो उसके पड़ोसी भी जान गए थे कि शैंकी कहीं बाहर चला गया है और वह जल्दी ही खुद-ब-खुद लौट आएगा।
दो-तीन दिन इन्तज़ार में बीते पर शैंकी नहीं आया। आता भी कैसे? इस बीच में मणि के पिताजी की कलकत्ता कर्मा से बात हुर्इ और उन्होंने सारी बातें उसे बता दी। कर्मा कल आ रहा है। चलो, अब तो वह सम्भाल ही लेगा। पर इन दो-तीन दिन में ना तो मणि ने ढंग से खाया और ना ही किसी से बात की। यहां तक की वो तो एक स्कूल भी नहीं गर्इ।
एक सुबह, मणि ने देखा घर के बाहर आटो आकर रूका, उसमें चाचू थे और ये क्या उनके पास एक छोटा-सा पिंजरा था और उसमे प्यारा-सा तोता था। वो अपनी जगह चुपचाप बैठी रही। चाचू उसके पास आकर बैठे और कहने लगे कि भर्इ, तुमने शैंकी को क्या कह दिया था। वो मेरे पास कलकत्ता आया था।

क्या….? आपके पास….! मैंने तो कुछ भी नहीं कहा। चाचू ने बताया कि शैंकी कहा कि मणि दी का मन करता है कि वह मुझे स्कूल ले जाए और मुझसे बातें करे पर मैं स्कूल तो नहीं जा सकता और मीठी-मीठी बातें भी नहीं कर सकता इसलिए आप मुझे तोता बना दो जब भी दीदी स्कूल जाऐंगी मैं उड़ कर उन्हें स्कूल तक छोड़ने जाऊंगा और वापिस आ जाऊंगा। और शाम को ढ़ेर सारी बातें करेंगे….  तो, लो भर्इ यह तुम्हारा शैंकी अब मैंने उसे तोता बना दिया है। तभी तोता भी बोलने लगा, हैल्लो……………. मैं शैंकी हूं, मणि………. मैं शैंकी हूं। मणि उस तोते से मिल कर इतनी खुश हुर्इ और चाचू के हाथ से पिंजरा छीन कर अपने कमरे में ले गर्इ। मम्मी-पापा भी सारी बातें पीछे खड़े होकर सुन रहे थे। शैंकी के साथ मणि को खुश देखकर तीनों की आंखें ड़बड़बा आर्इ थी।

 

girl and dog photo

कहानी आपको कैसी लगी. जरुर बताईएगा !!!

July 18, 2015 By Monica Gupta

कौन पास कौन फेल

कौन पास कौन फेल

एकता और संदीप की नई नई शादी हुई. समय बहुत अच्छा गुजर रहा था. संदीप आफिस जाता और एकता अपना घर सम्भालती. घर में खाली समय में वो टीवी देखती और फेसबुक का भी बहुत शौक था. सगाई के बाद ही उसने नया नया सीखा था. संदीप से बातें करने के लिए और धीरे धीरे उसके दोस्तों की संख्या बढती गई.

एक दोपहर जब वो फेसबुक पर किसी को कमेंट कर रही थी तभी उसके पास एक मैसेज आया. आप बेहद खूबसूरत हैं. मैं आपसे दोस्ती करना चाहता हूं. उसने तुरंत मोबाईल बंद कर दिया. शाम को जब दुबारा खोला तो दो तीन मैसेज और आए हुए थे कि आपने कोई जवाब नही दिया. क्या मेरी मित्रता आपको स्वीकार नही. तभी अचानक घंटी बजी. उसके पति आफिस से आए थे . वो उनके लिए चाय बनाने लगी. अगले दिन संदीप के आफिस जाने के बाद उसने फिर मैसेज देखा  उसमे ना सिर्फ मैसेज थे बल्कि एक दो बेहद गंदी तस्वीरे भी थी. एकता ने गुस्से में लिखा कि अगर आज के बाद आपने मुझे कोई मैसेज भेजा तो यही सारे मैसेज मैं आपकी वाल पर पोस्ट कर दूंगी. समझ  क्या रखा है अपने आप को. महिला को कैसे भी तंग करो.

उसके बाद दो दिन तक कोई मैसेज नही आया. वही संदीप सब जानता था क्योकि मैसेज वो ही भेज रहा था वो बस अपनी पत्नी का इम्तेहान ले रहा था जिसमें वो पास हुई. बात वही खत्म हो गई.

इस बात के कुछ महीने बाद एक दिन एकता को एक शरारत सूझी. उसने फेसबुक पर एक नकली प्रोफाईल बनाया और संदीप को मैसेज किया. हैलो … क्या मैं आपसे दोस्ती कर सकती हूं ? मैसेज भेजने के दो ही मिनट में उसने दोस्ती स्वीकार कर ली और मैसेज किया आप भी बेहद खूबसूरत हैं क्या मैं आपका मोबाईल नम्बर जान सकता हूं? एकता थोडा सकते मॆ आ गई और उसने कोई जवाब नही दिया. शाम को फिर मैसेज आया कि आपने अपना नम्बर नही दिया… शायद एकता की नजरों में संदीप फेल हो गया था.

sad women  photo

Photo by clala1220

 

  • « Previous Page
  • 1
  • …
  • 3
  • 4
  • 5
  • 6
  • 7
  • …
  • 10
  • Next Page »

Stay Connected

  • Facebook
  • Instagram
  • Pinterest
  • Twitter
  • YouTube

Categories

छोटे बच्चों की सारी जिद मान लेना सही नही

Blogging Tips in Hindi

Blogging Tips in Hindi Blogging यानि आज के समय में अपनी feeling अपने experience, अपने thoughts को शेयर करने के साथ साथ Source of Income का सबसे सशक्त माध्यम है  जिसे आज लोग अपना करियर बनाने में गर्व का अनुभव करने लगे हैं कि मैं हूं ब्लागर. बहुत लोग ऐसे हैं जो लम्बें समय से […]

GST बोले तो

GST बोले तो

GST बोले तो –  चाहे मीडिया हो या समाचार पत्र जीएसटी की खबरे ही खबरें सुनाई देती हैं पर हर कोई कंफ्यूज है कि आखिर होगा क्या  ?  क्या ये सही कदम है या  देशवासी दुखी ही रहें …  GST बोले तो Goods and Service Tax.  The full form of GST is Goods and Services Tax. […]

डर के आगे ही जीत है - डर दूर करने के तरीका ये भी

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन

सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लॉग लेखन – Social Networking Sites aur Blog Writing –  Blog kya hai .कहां लिखें और अपना लिखा publish कैसे करे ? आप जानना चाहते हैं कि लिखने का शौक है लिखतें हैं पर पता नही उसे कहां पब्लिश करें … तो जहां तक पब्लिश करने की बात है तो सोशल मीडिया जिंदाबाद […]

  • Home
  • Blog
  • Articles
  • Cartoons
  • Audios
  • Videos
  • Poems
  • Stories
  • Kids n Teens
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Disclaimer
  • Anti Spam Policy
  • Copyright Act Notice

© Copyright 2024-25 · Monica gupta · All Rights Reserved