Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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February 8, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

अच्छाई की राह पर चलना चाहिए

 Art of Public Speaking in Hindi

अच्छाई की राह पर चलना चाहिए – अच्छाई और बुराई का नाम अगर हमारे जहन में सिर्फ् दशहरे पर ही आता है तो हमें अपनी सोच बदलनी पडेगी … क्योकि अच्छे और नेक काम कभी भी किए जा सकते हैं  और किसी भी उम्र मे किए जा सकते हैं

अच्छाई की राह पर चलना चाहिए

एक 8 साल का बच्चा लडकियों की तरह बाल लम्बें कर रहा है और इसलिए स्कूल में मजाक का भी कारण बना  हुआ है … पर जब आपको बताऊंगी कि बाल लम्बे करने का कारण क्या है तो न आप सिर्फ उसे सराहेगें बल्कि आप भी उसे की तरह कुछ करने का सोचेगें ये मैं दावे से कह सकती हूं

कई बार नेट पर कुछ सर्च करते कुछ ऐसा पढने को मिल जाता है कि मन खुश हो जाता है … और अच्छा लगता है कि अच्छा ऐसा भी होता है

मैनें पढा कि एक 8 साल का बच्चा लडकियों की तरह बाल लम्बें कर रहा है और इसलिए स्कूल में मजाक का भी कारण बना  हुआ है … अब आप भी सोचेगें कि अरे इसमे क्या हुआ … फैशन ही होगा  ये … पर असल बात कुछ और है वो बाल इसलिए लम्बे कर रहा है ताकि .. ताकि कैंसर पीड़ित बच्चों के लिए विग्स बनाए जा सके तो ना सिर्फ बच्चों ने उसे टोकना बंद कर दिया बल्कि खुद भी बाल बढाने का सोचा लिया है.

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एक खबर और पढी राजस्थान की हनुमान गढ की खबर है कि सडक पर एक्सीडेंट कम हो इसलिए एक व्यक्ति यमराज यानि यमराज के गेटअप में लोगो को नसीहत देते हैं और हेलमेट की उपयोगिता बताते हैं …

बहुत खुशी होती है ऐसी खबरें पढ कर कि कोई अपने से हट कर समाज के लिए सोसाईटी के लिए कुछ करता है …  कुछ समय पहले पढा था कि बहुत जगह नेकी की दीवार बनाई गई है उस दीवार पर कपडे, कॉपी,  किताबे आदि जरुर की चीजे रख दी जाती हैं जिसे जरुरत हो वो ले जाए …

 

 

 

इसी बारे मे एक और खबर पढी हरियाणा की खबर है कि कि विश ट्री बनाया है ये मंदिर मे लगाया गया है यहां गरीब परिवार के बच्चे पढने आते हैं मंदिर में जो दान देने आते हैं उनसे प्रार्थना की गई है कि वो दान देने की बजाय बच्चों की जरुरत पूरी कर दें …चाहे स्कूल बैग हो , बैसाखी हो, सिलाई मशीन हो या साईकिल या कॉपी पैंसिल…

अलग अलग तरीके से लोग कुछ ऐसा करते हैं जिससे मदद हो सके … कुल मिलाकर बात यही आती है जितना हमारे हाथ मे है जितना हम दे सकते हैं देना चाहिए … हमारी वजह से किसी के चेहरे पर मुस्कान आए … बहुत अच्छा लगता है …

अच्छाई की राह पर चलना चाहिए

आप भी कुछ करिए  जब 8 साल का बच्चा कुछ सोच सकता है तो हम क्यो नही सोच सकते … क्यो नही कुछ अच्छा कर सकते … दिल से पूछिए … वो मना कर ही नही सकता वो तैयार है कुछ अच्छा करने को … बस पहल आपने करनी है … करिए या बताईए मैं उनके बारे मे जरुर सभी को बताउंगी …

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अच्छाई की राह पर चलना चाहिए के बारे में आपके क्या विचार हैं ??

February 7, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

ईमानदारी से काम करते रहिए – एक प्रेरक कहानी

बच्चों की मनोरंजक कहानी – चॉकलेट की बेटी

ईमानदारी से काम करते रहिए – एक प्रेरक कहानी …ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है , ईमानदारी का फल मीठा होता है …
इसलिए जिंदगी में हमेशा ईमानदारी और सच्चाई से काम करते रहना चाहिए … भले ही कोई हमारी सराहना करे या न करे. कमेंट या लाईक मिले न मिले…

ईमानदारी से काम करते रहिए – एक प्रेरक कहानी

असल में कुछ लोगो मे पैशेंस नही होता और वो अपना ट्रैक बदल देते हैं और गलत रास्ते पर चले जाते हैं जिससे नुकसान ही होता है चलिए अपनी बात समझाने के लिए मैं एक कहानी सुनिए…….

एक सेठ लोगो के घर बनवाया करते थे. उनके पास बहुत सालों से  एक बहुत मेहनती और ईमानदार ठेकेदार था… ठेकेदार ने बहुत सारे घर बना कर दिए … एक बार ठेकेदार ने सेठ से कहा कि बहुत साल से मैं ये काम कर रहा हूं अब बूढा हो गया अब काम नही कर पाऊगा इसलिए मुझे आज्ञा दीजिए … सेठ ने कहा कि बस एक घर और बना दो … उस में रुपये पैसे की चिंता न करना …

बहुत आलीशान और शानदार बनें … वो कहता कि ठीक  है … पर अब उसके मन में लालच आ गया … सोचा कि कितना काम किया सेठ के कभी मेरी मेहनत को सम्मान नही दिया और अब तो मैं जा ही रहा हूं छोड कर तो वो उस घर में बहुत घटिया और बेकार सामान  आदि लगाता है …  पैसे बचा लेता है …

 

 

जब घर बन कर तैयार हो जाता है तो सेठ को चाबी देने जाता है कि घर की चाबी … सेठ चाबी लेते हैं और पूछ्ते कि एक दम बढिया बना है कोई कमी तो नही … सौंप दू ना जिसे वो घर देना है … वो बोलता है कि जी बिल्कुल बहुत बढिया बना है …

सेठ उसे चाबी देते हुए कहते हैं कि फिर ये लीजिए … चाबी ये घर आपका है इतने साल आपने मेरे लिए एक से एक घर बना कर दिए … ये है आपकी मेहनत का इनाम आपका उपहार … अब आप सोच सकते हैं कि ठेकेदार के मन पर कया बीती होगी …  इसलिए सब्र रखिए और नेकी का रास्ता कभी नही छोडिए  …

 
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February 6, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Art of Public Speaking in Hindi

 Art of Public Speaking in Hindi

Art of Public Speaking in Hindi – Public Speaking पर मेरा एक अनुभव और कुछ tips – मैने पढा कि  Public Speaking में 70% लोगो को डर लगता है … वाकई डर और धबराहट तो होती है पर ऐसा क्या करें कि न डर लगे न धबराहट हो … एक मेरा अनुभव जिसमें मुझे भी डर लगा था … किस बात का डर था वो …

Art of Public Speaking in Hindi

पब्लिक स्पीकिंग एक कला है.  पर अकसर डर भी लगता है तो  कैसे कैसे डर होते हैं और हम कैसे डर दूर भगाएं  ,  How do you get rid of the fear of public speaking , How can I be a good public speaker….

कैसी हो Public Speaking

कुछ समय पहले lecture के लिए एक सेमिनार मे जाना हुआ. स्वाभाविक है कुछ पेट में butterflies, टेंशन और धबराहट थी. मुझे lunch के बाद का समय मिला था. इसलिए लंच का मन ही नही किया. लंच टाईम में मैं उसी रुम में आ गई जहां मुझे बोलना था.

दो बजे और लगभग कक्ष पूरा भर गया. मेरा नम्बर सात वक्ताओं के बाद का था और सभी को दस दस मिनट मिले. वक्ता एक एक करके बोले जा रहे थे और यकीन मानिए इक्का दुक्का को छोड कर बस बोले जा रहे थे. उन्हें दर्शकों से कोई लेना देना नही था

इतना ही नही मेरे साथ बैठी महिला के खर्राटे मैं आराम से सुन पा रही थी.

कोई मोबाईल पर लगा था तो कोई टेक लगा कर आराम से AC hall मे उंघ रहा था शायद सभी को दिन में भोजन के बाद सोने की आदत होगी. मैं सोच रही थी कि मेरी मेहनत तो बेकार ही जाएगी जब कोई सुनने वाला ही न हो … हां सुनने वाले तीन लोग तो जरुर थे पहली जो स्टेज पर आने का निमंत्रण दे रहीं थीं. दूसरे जो स्टेज पर थे और तीसरे जो certificate या मोमेंटो आदि देने की तैयारी कर रहे थे.

वक्ता के बोलने के बाद ताली भी ऐसे बजा रहे थे खुद की ताली की आवाज अपने ही कानों को न सुनाई दे. बस एक्शन ही था ताली का.….

और मेरा नम्बर भी आ गया. मेरे साथ बैठी खर्राटे लेती महिला भी उठ चुकी थी और उनकी नजरे दरवाजे की तरफ थी कि कब चाय आए और वो फ्रेश हो जाए. खैर.

मैने स्टेज पर जाकर अभिवादन किया और लोगो से पूछा कि स्टेज पर यहां खडे होकर वक्ता को एक बात से बहुत डर लगता है. क्या आप बता सकते हैं? दर्शक थोडे उत्सुक हो गए . किसी ने कहा कि भूलने का डर तो किसी ने कहा अपना पेपर ही न लाए हो

Art of Public Speaking in Hindi

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February 5, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

अफवाहों का शिकार होने से कैसे बचें – अफवाह भूकम्प की

 Art of Public Speaking in Hindi

अफवाहों का शिकार होने से कैसे बचें – अफवाह भूकम्प की – अफवाहों का शिकार होने से बचें ???. अगर सुबह सुबह आपके पास फोन आए कि भूकम्प bhukamp आने वाला है ये जानते समझते कि भूकम्प की कोई भविष्यवाणी नही होती फिर भी एक डर सा दिल में बैठ जाता है … ऐसे मे आप क्या करेंगें .. ???

 अफवाहों का शिकार होने से कैसे बचें – अफवाह भूकम्प की

जब अपनी जान बचाने की बात हो तो इस अफवाहो पर ध्यान चला ही जाता है और सब कुछ जांते बूझते हम बुदू बन जाते हैं  तो इससे बचे तो बचे कैसे ???

                                 अफवाहों का शिकार होने से कैसे बचें – अफवाह भूकम्प कीकई बार जानते बूझते भी हम अफवाहों पर ध्यान दे देते हैं जैसाकि गणेश की मूर्ति के दूध पीने की, तो कभी किसी बीमारी के फैलने की.

आख़िर क्यों हम ऐसी ऊल-जलूल बातों पर यक़ीन कर लेते हैं? मनोवैज्ञानिक भी  कहते हैं कि दिमाग़ के इस्तेमाल में हम अक्सर कंजूसी बरतते हैं. सोच-विचारकर किसी भी बात पर भरोसा करने के बजाय हम बहुत जल्द अटकलों पर यक़ीन कर लेते हैं. इसमें दिमाग़ पर ज़ोर नहीं डालना पड़ता.

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February 4, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

मैं किसी की जरूरत नहीं – एक प्रेरक कहानी

 Art of Public Speaking in Hindi

मैं किसी की जरूरत नहीं – एक प्रेरक कहानी

आम तौर पर हम सोच यह रहती है कि मैं काम का नही , किसी को मेरी जरुरत नही … जबकि ये सही नही है .. आप बहुत अच्छे हैं  – जरुरत है तो इस सोच को मन से निकाल फेंकने की और सकारात्मक सोचने कि और इस सोच की कि मैं किसी से कम नही …ख्वाहिशों से नही गिरते फूल—— वक्त की शाख को हिलाना होगा … कुछ नही होगा अंधेरों को बुरा कहने से…. अपने हिस्से का दीया खुद ही जलाना होगा अपने आप को जानिए कि कितने खास हैं आप …..!!

मैं किसी की जरूरत नहीं – एक प्रेरक कहानी

कल मैं नेट पर कुछ सर्च कर रही थी तभी नजर पढी एक बहुत Positive thought  पर ही अलग हट के विचार पर

वो कुछ ऐसे था कि एक बहरा deaf बच्चा कह रहा है कि कि भले ही आपके लिए मै deaf हूगां पर मेरे लिए तो आप सभी dumb  गूंगे हो ये है जिंदगी के प्रति चमत्कारी रवैया  जिंदगी के प्रति सकारात्मक सोच …

मैं सोच रही थी कि बहुत लोगो की सोच ऐसी नही होती … वो कहते है कि हमे तो कुछ ही नही आता.. हम तो फालतू है… हम तो बेकार हैं .. जीने क्या क्या फायदा. वगैरहा वगैरहा जबकि ऐसा नही है … जरुरत है इस फालतू के विचार को मन से निकालने की …इस दुनिया में कोई भी है कोई भी … बेकार नही है सभी किसी न किसी काम आती हैं चाहे वो वेस्ट हो, पत्थर हो या मकडी हो या मक्खी  .. मकडी भी काम आ जाती है … मैने कल ही एक कहानी पढी … सोचा अपनी बात समझाने के लिए इसका सहारा लेती हूं …

 

 

Motivational Story about our Importance

एक राजा था। उसने आज्ञा दी कि संसार में इस बात की खोज की जाय कि कौन से जीव-जंतु निरुपयोगी हैं। बहुत दिनों तक खोज बीन करने के बाद उसे जानकारी मिली कि  जंगली मक्खी और मकड़ी बिल्कुल बेकार हैं। राजा ने सोचा, क्यों न जंगली मक्खियों और मकड़ियों को ख़त्म कर दिया जाए।

इसी बीच उस राजा पर एक अन्य शक्तिशाली राजा ने आक्रमण कर दिया, जिसमें राजा हार गया और जान बचाने के लिए राजपाट छोड़ कर जंगल भाग  गया। शत्रु के सैनिक उसका पीछा करने लगे।  राजा ने अपनी जान बचाई और थक कर एक पेड़ के नीचे सो गया।

तभी एक जंगली मक्खी ने उसकी नाक पर डंक मारा जिससे राजा की नींद खुल गई। उसे ख़याल आया कि खुले में ऐसे सोना सुरक्षित नहीं और वह एक गुफ़ा में जा छिपा। जब राजा गुफ़ा में छिपा हुआ था तब मकड़ियों ने गुफ़ा के द्वार पर जाला बुन दिया।

शत्रु के सैनिक उसे ढूँढ ही रहे थे। जब वे गुफ़ा के पास पहुँचे तो द्वार पर घना जाला देख कर आपस में कहने लगे, “अरे! चलो आगे। इस गुफ़ा में वह आया होता तो द्वार पर बना यह जाला क्या नष्ट न हो जाता।”

गुफ़ा में छिपा बैठा राजा ये बातें सुन रहा था। शत्रु के सैनिक आगे निकल गए। उस समय राजा की समझ में यह बात आई कि संसार में कोई भी प्राणी या चीज़ बेकार नहीं। अगर जंगली मक्खी और मकड़ी न होतीं तो उसकी जान न बच पाती।

यानि इस संसार में कोई भी चीज़ या प्राणी बेकार नहीं। हर एक की कहीं न कहीं उपयोगिता है।

तो क्या सोचा …

हर एक इंसान अपने आप में unique है…अलग है। हर किसी के अन्दर कोई न कोई बात है जो उसे ख़ास बनाती है..तो जरुरी है अपने आप को अंडर एस्टीमेट करने के खुद को पहचानें …

 

अब मत बोलिए कि mai kisi ki zaroorat nahi
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February 3, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

नकारात्मक सोच को बदलने का तरीका

रक्तदान और महिलाए

नकारात्मक सोच को बदलने का तरीका  – समाज मे जिस तरह से नकारात्मकता बढती जा रही है अच्छाई बहुत दूर जाती जा रही है ऐसे में क्या करें कि लोगो में सकारात्मक सोच लाई जा सके …समाज में बुराई बनाम अच्छाई का कोई कॉम्पीटिशन ही नही रह गया … विजेता बुराई ही है तो ऐसे में क्या करें ??    https://www.facebook.com/linkmonicagupta

नकारात्मक सोच को बदलने का तरीका

समाज में बुराई बनाम अच्छाई … समाज में बढ रही नकारात्मक सोच को कैसे बदलने का एक तरीका ये भी है ….

 

मेरी एक जानकार को अचानक खून की जरुरत पडी जब तक हम होस्पिटल पहुंचे एक व्यक्ति blood donate  कर रहे थे … ये उनका 100वा रक्तदान था … उनका जज्बा उनका जोश देखते हुए मैने उनसे कहा कि आपके बारे में मैं लिखना चाहूंगी … अपने बारे में बताईए कि कब से donate करना शुरु किया और कैसे … इस पर उन्होने मना कर दिया कि अरे नही … मैं तो साधारण सा आदमी हूं … मेरे बारे मे क्या लिखोगे …और वो चले गए …

 

 

मुझे याद आया कि एक हमारे बहुत close friend हैं उनका दिल्ली जाते हुए accident हो गया तो रास्ते से जा रही एक कार मे एक couple बैठा था उन्होने न सिर्फ तुरंत पुलिस को inform  किया बल्कि car मैं बैठा कर अस्पताल भी ले गए और तब तक बैठे रहे जब तक उनके रिश्तेदार नही आ गए … वो भी गुमनाम ही रह गए …

कुछ तो मदद करने वाले सामने नही आना चाह्ते क्योकि वो sincere होकर काम करते हैं दिखावा पसंद नही …  और वहीं कुछ हमारा media , news ,न्यूज चैनल  सकारात्मक खबर दिखाने से परहेज करता है इसलिए अच्छाई और सच्चाई कही दब कर रह गई है …

क्या आप जानते हैं कि समाज में  ज्यादा है जबकि बुराई बहुत कम

मैने कही पढा था कि अच्छाई ज्यादा है जबकि बुराई बहुत कम पर दिक्कत ये है कि अच्छी बाते सामने नही आने पाती … ये बात मैने फेसबुक पर भी पूछी तो ज्यादातर के यही विचार थे अच्छाई ज्यादा है पर दबी हुई है …

कुछ लोगो के विचार …

 

Govind Sharma – अच्छाई ज्यादा है, पर बुराई का बोलबाला ज्यादा है |

Bharat Bhushan Arora – हो सकता है अच्छे लोग ज्यादा हों, लेकिन फिर भी यहाँ बुराई ताकतवर है हावी है

Dharam Pal Chaudhary –  Your query is just like … Which is more ; Sugar or Salt?
Definitely Sugar is more but when Salt present in excess of its permissible limit…. It causes hue n cry…

Ashutosh Agnihotri – फिलहाल अच्छाई बुराई पर भारी है, इसीलिए तो जिंदगी की जंग जारी है।

अन्तर सोहिल –  अच्छे लोग ज्यादा दीखते हैं मुझे तो ……. वो बात अलग है कि खुद को ज्यादा अच्छा दिखाने के लिए दूसरे को बुरा कहना पड़ता है

Ashwani Sharma – अच्छा या बुरा होना व्यक्ति की सोच , संस्कार और परिस्थितियों पर निर्भर करता है । व्यवस्था की भी बहुत महत्तवपूर्ण भूमिका रहती है व्यवस्था में सुधार से बुराई ख़त्म होती है ।
बुराई का बोलबाला इस लिए है कि व्यवस्था में खामियां है और हर व्यक्ति किसी परिस्थिति में एवं किसी के लिए अच्छा होता है और अन्य परिस्थिति में या किसी दुसरे के लिए अच्छा होता है।सो
हिसाब लगाना मुश्किल है ।

Deepak Sharma – बुराई

Sanju Mehta  – Kisi dum pe ti desh chal rha h

Rajindera Sachdeva Rajan –  achhai, ya burai, har insaan ki apni paribasha hai

 

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आज सोशल मीडिया पर नेगेटिव खबरे ही ज्यादा वायरल होती हैं जैसाकि … एम्बूलेंस नही मिली तो पत्नी की बॉडी को कन्धे पर डालकर चला या सडक दुर्धटना हुई और तो उसकी मदद करने की बजाय या तो उसका वीडियो बनाते रहे या पीडित आदमी का मोबाईल ही उठा कर भाग गए … ये देख कर मन मे यही रहता है कि बुरा ही बुरा है हर जगह …

एक बच्चे ने रेल हादसा होने से रोका क्या आपको पता है …  यूपी के अठसैनी गांव के रेलवे फाटक के रेल पटरी टूटी देखी तो दस साल के बच्चे सलमान ने रुकवाया हादसा

तो प्रश्न ये उठता है कि हम अब क्या योगदान दे सकते हैं … हम इतना तो कर ही सकते हैं कि अपने आसपास कोई भी अच्छा काम होते हुए देखें उसे लिखे सोशल मीडिया का फायदा उठाते हुए … उनके बारे में पॉजिटिव लिखें ताकि अच्छाई सामने आए और लोग देखा देखी अच्छे काम करने के लिए प्रेरित हों … अच्छाई अच्छाई अच्छी लिखते रहें लिखते रहें जिससे बुराई दब जाए … मीडिया जब नेगेटिव न्यूज दिखा सकता है तो हम क्या पोजिटिव को नही दिखा सकते … जरुर सोचिएगा …

 

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