Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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March 21, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

खुश रहने के टिप्स इन हिंदी- डिजिटल डिटॉक्स प्लान

 Art of Public Speaking in Hindi

खुश रहने के टिप्स इन हिंदी- डिजिटल डिटॉक्स प्लान – शरीर का ख्याल कैसे रखे . खुश रहने के लिए क्या करें. डिटॉक्स detox diet प्लान तो आप करते ही होंगें पर क्या कभी डिजिटल डिटॉक्स के बारे में विचार किया है आपने ??विशेषज्ञों के अनुसार जिस तरह शराब,सिगरेट की लत लगती है, लोगों को उसी तरह ‘वर्चुअल वर्ल्ड’ में भी रहने की आदत हो जाती है….  चाहकर भी इससे निकल नहीं पाते…  ऐसे में  डिजिटल डिटॉक्स के फॉर्मूले को ट्राई करें

खुश रहने के टिप्स इन हिंदी- डिजिटल डिटॉक्स प्लान –

जिस तरह स्वस्थ शरीर के लिए हम हफ्ते में एक दिन लिक्विड डायट या सैलड डाइट लेते हैं और शरीर को डिटॉक्स करते हैं, उसी जैसे हमारे साथ साथ  आस पास के लोगों के साथ हमारे रिलेशन अच्छे रहें इसके लिए जरूरी है कि हम खुद को डिजिटली भी डिटॉक्स करते रहें

कल मार्किट में बहुत समय बाद  एक जानकर से मिलना हुआ …. और वो अपने घर ले गई …… मुझे जब चाय सर्व कर रही थी तो मैने पूछा आपने नही बनाई अपने लिए तो बोली कि नही आज डिटोक्स detox diet) प्लान है यानि  सिर्फ सैलेड ही लेना है कह कर वो सैलेड खाने लगी..

 

 

हमारा शरीर स्वस्थ रहे इसलिए हम अकसर डिटोक्स करते है यानि सिर्फ फल या सिर्फ सलाद … ताकि शरीर अंदर से साफ हो जाए .. और जितनी देर मैं वहां रही वो मुझसे ज्यादा मोबाईल पर जुटी रही.. खाते खाते और बाते करते करते दो दो मिनट में मोबाईल चैक कर रही थी .. पहले तो मेरा ध्यान नही गया पर बाद में मैने पूछ ही लिया कि कि कोई फोन आना है …

इस पर वो स्माईल करके बोली अरे नही …रुटीन है ये तो  वैसे ही बस चैक कर रही थी कि फेसबुक, मैसेज,  वटसअप …मेरे से बात करते करते कम से कम बीस तो सैल्फी ली होगी …

थोडी देर बैठ कर मैं घर वापिस आ गई सडक पर देखा चलते हुए या ड्राईव करते सब mobile पर जुटे हुए थे मुझे लगा कि

जिस तरह से शरीर को ठीक रखने के लिए डिटॉक्स प्लान करते हैं ऐसे ही डिटिजल डिटॉक्स भी होना चाहिए यानि कुछ समय के लिए इस से दूरी … देखिए अति हर चीज की बुरी होती है … इसलिए कुछ समय तो मोबाईल, नेट से दूरी … ये दूरी भी अपने स्वास्थ के लिए ही जरुरी है …

कम्प्यूटर से mobile से … दिन में कुछ समय अपने लिए निकालना बहुत जरुरी है … detox diet) आखें को आराम देना बहुत जरुरी है …गर्दन … अगर कुछ समय इस्तेमाल नही करेंगें तो अपनो के लिए समय निकाल पाएगें बात कर पाएगें …

जिससे दूरिया कम होंगीं ..

इधर उधर की बेमतलब की बातों से ध्यान हटेगा …

काम पर ध्यान लगा पाएगें …

अति सर्वत्र वर्जयेत

ये नशा .. शान के चक्कर में शनै शनै नाश ही न कर दें …

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Advantages and Disadvantages of Mobile Phones in Hindi

डिटॉक्स detox diet प्लान तो आप करते ही होंगें पर  क्या कभी डिजिटल डिटॉक्स के बारे में विचार किया है आपने ??  खुश रहने का एक तरीका ये भी है

डिटॉक्स detox diet प्लान तो आप करते ही होंगें पर क्या कभी डिजिटल डिटॉक्स के बारे में विचार किया है आपने ??

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March 20, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

सकारात्मक सोच पर कहानी – पॉजिटिव थिंकिंग स्टोरीज

मटके का पानी छी होता है क्या

सकारात्मक सोच पर कहानी – पॉजिटिव थिंकिंग स्टोरीज – power of positive thinking. सकारात्मक सोच के परिणाम अच्छे ही होते हैं . सकारात्मक सोच की शक्ति बहुत है ..सकारात्मक और नकारात्मक विचारों का प्रभाव जिंदगी में बहुत होता है.

सकारात्मक सोच पर कहानी – पॉजिटिव थिंकिंग स्टोरीज

मेरी जानकार का ऑनलाईन इंटरव्यू था और वो बहुत ज्यादा धबरा रही थी पता नही कैसे होगा … मैने बस इतना ही कहा कि पॉजिटिव रहना और पूरे आत्मविश्वास से जवाब देना अगर ये सोच कर जाओगे कि मैं सलेक्ट नही हूंगी तो नही होंगी और अगर ये सोचेगी कि सलेक्शन हो जाएगा तो हो ही जाएगा …सोच में बहुरत शक्ति होती है और अगर सोच सकारात्मक हो तो कहना ही क्या.. पर वो चली गई … और उसके जाने के बाद मुझे एक कहानी याद आई जो मैने नेट पर पढी थी

सकारात्मक सोच पर कहानी – पॉजिटिव थिंकिंग स्टोरीज

एक बार एक बड़े राजा ने एक छोटे से राज्य पर हमला बोल दिया । छोटे राज्य  के सैनिक डर गए धबरा गए  तभी सेनापति के मन को एक आईडिया आया .. असल में उस राज्य के लोग अपने इष्ट देव को बहुत मानते थे … वह अपनी सेना को राज्य के इष्टदेवता के मंदिर में ले गया और सैनिकों को कहा कि हम इष्ट देवता से पूछते हैं कि हम हारेंगे या जीतेंगे.

यह कह कर उसने अपनी जेब से सिक्का निकला और हवा में उछाल कर कहा कि यदि हेड आता है, तो हमारे इष्ट हमारी जीत बताते हैं और टेल आया तो हमारी हार …  सिक्का जमीन पर गिरा तो सभी सैनिक उत्साह पूर्वक देखने लगे…

यह देख कर सबमें जोश भर आया कि हेड आया है यानि उसके इष्ट उनकी जीत की भविष्यवाणी कर रहें हैं .  जोश और विश्वास से भरी इस छोटी सेना ने आगे बढ़कर शत्रु की बड़ी सेना पर हमला बोल दिया…

बड़ी सेना उन सैनिकों का हौसला देख कर घबरा गई और भाग खड़ी हुई । जीत के बाद वापसी में सेना अपने इष्टदेव के मंदिर में धन्यवाद कर रही थी…

और सेनापति उस सिक्के को देख रहा था, जिसके दोनों ओर हेड का ही निशान था..

तो ये हमारी सोच ही है जो हमें या तो आगे ले जाती है या …

इसलिए हमेशा ईमानदार और पॉजिटिव रहिए फिर देखिए हमारा आत्मविश्वास … जब कभी कोई व्यक्ति कहता है कि वो ये  नहीं कर सकता है , तो असल में वो दो चीजें कह रहा होता है. या तो मुझे पता नहीं है कि ये कैसे होगा या मैं इसे करना नहीं चाहता..
ज़िंदगी मे सिर्फ़ दो नियम है 1 कभी भी हार नही मानना और दूसरा कभी भी पहला नियम नही भूलना
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सकारात्मक सोच के परिणाम अच्छे ही होते हैं . सकारात्मक सोच की शक्ति बहुत है

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March 20, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Control Your Anger at Home – ऑफिस का गुस्सा घर पर क्यों – गुस्सा करने के नुकसान – Monica Gupta

पति और पत्नी का रिश्ता खूबसूरत होता है

Control Your Anger at Home – ऑफिस का गुस्सा घर पर क्यों – गुस्सा करने के नुकसान –  गुस्सा क्यों आता है – ऑफिस का गुस्सा घर पर निकालना कितना सही- gussa kyon aata hai . क्या आपको भी गुस्सा आता है ? क्या गुस्से पर काबू नही रहता ? क्या अपने ऑफिस का गुस्सा आप घर लेकर आते हैं और अपने बेकसूर परिवार पर चिल्लाते हैं ? भई वाह !! बहुत महान हैं आप !! आप का गुस्सैल स्वभाव ..

Control Your Anger at Home – ऑफिस का गुस्सा घर पर क्यों – गुस्सा करने के नुकसान

एक बात बताईए मान लीजिए आप आफिस में कुछ भूल जाते हैं तो उसे कहां खोजेगें … आफिस में या घर पर  …आफिस में ही ना  बिल्कुल जहां कोई चीज गुम हुई है वही तो मिलेगी …

गुस्सा क्यों आता है

अब एक बात और बताईए कि अगर आपकी आफिस में किसी बात पर किसी ने नाराजगी हो जाए तो गुस्सा कहां उतारेगें … उतारना तो आफिस में ही चाहिए पर हम कहा उतारते हैं … घर पर/ बच्चों पर परिवार पर …. किसलिए … ??

मैं अपनी एक सहेली के घर गई हुई थी उसके पति आफिस से आए और पहले तो पार्किंग को लेकर गुस्सा आ गया कोई पडोसी ने कार पहले ही खडी कर दी थी फिर घर आते ही बिना वजह चिलाने लगे … मेरी सहेली भी समझ गई कि आज फिर आफिस में कुछ हुआ है … जरा भी समझदारी नही है … कंट्रोल कीजिए गुस्से पर …

हमारा  ही नुकसान है …सेहत खराब होती है.. मस्तिष्क को हानि पहुँचती है… ब्लड प्रेशर बढ़  सकता है

क्रोधित इंसान के स्वभाव की वजह से कोई उन्हें पसंद नहीं करता। अगर किसी की गलती है तो जरुर बोलिए पर बिना गलती

आमतौर पर हमारी यही आदत होती है … बिना किसी की गलती की सजा किसलिए देना

वैसे मुस्कान वो वक्र रेखा है जो सभी मुद्दों को सीधा कर देती है

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गुस्से पर काबू, गुस्सा आने के कारण, गुस्सा क्यों आता है , क्या आप भी ऑफिस का गुस्सा घर पर निकालते हैं , गुस्सा ऑफिस का और निकालते हैं घर पर , भई वाह !! बहुत महान हैं आप !! गुस्सैल स्वभाव

 

March 19, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

हिन्दी बाल कहानी – कामकाजी मां और बच्चे की परवरिश

इंसान और भगवान

हिन्दी बाल कहानी – कामकाजी मां और बच्चे की परवरिश – hindi baal kahani  – माँ की ममता पर कहानी- क्या वाकई मां का काम करना बच्चे के लिए सुखद है या बच्चें को घर पर अकेले दिक्कत होती है एक बच्चे की सोच जताती कहानी

हिन्दी बाल कहानी – कामकाजी मां और बच्चे की परवरिश –

कहानी बच्चों की है

एक लडकी होती है उसका नाम मणि है वो 8 क्लास में पढती है स्कूल से वापिस उदास सी लौटती है बैल बजाती है मम्मी दरवाजा खोलती हैं वो पूछती है कोई बात बनी … मम्मी न की मुद्रा में सिर हिला देती है … असल में, मणि की सभी सहेलियो की मम्मी नौकरी करती है पर मणि की मम्मी सार समय घर पर रहती है और घर का ख्याल रख्ती है मणि को लगता है कि उसे आजादी नही मिलती है उसका कमरा एक दम साफ होता है और मम्मी आवाज देकर बुलाती हैं जल्दी आ जाओ आपके पसंद के राजमा चावल बने हैं …

वो हमेशा की तरह कमरा फैला कर खाने आ जाती है और उसका उदास चेहरा देख कर मम्मी कहती हैं कि कोशिश तो कर रही हूं जल्दी नौकरी मिल भी जाएगी … फिर खाना खाकर वो टीवी देखती हैं मम्मी बोलती हैं सो जाओ मैं एक घंटे में उठा दूंगी

hindi baal kahani

कल मेरी एक जानकर ने बताया कि उसने अपनी नौकरी छोड दी है और वो घर रह कर काम करेगी और बच्चों की तरफ पूरा ध्यान देगी ये सुनकर मुझे मेरी लिखी कहानी याद आ गई …कहानी बच्चों की है एक लडकी होती है उसका नाम मणि है वो 8 क्लास में पढती है स्कूल से वापिस उदास सी लौटती है बैल बजाती है मम्मी दरवाजा खोलती हैं वो पूछती है कोई बात बनी … मम्मी न की मुद्रा में सिर हिला देती है … असल में, मणि की सभी सहेलियो की मम्मी नौकरी करती है पर मणि की मम्मी सार समय घर पर रहती है और घर का ख्याल रख्ती है मणि को लगता है कि उसे आजादी नही मिलती है उसका कमरा एक दम साफ होता है और मम्मी आवाज देकर बुलाती हैं जल्दी आ जाओ आपके पसंद के राजमा चावल बने हैं … वो हमेशा की तरह कमरा फैला कर खाने आ जाती है और उसका उदास चेहरा देख कर मम्मी कहती हैं कि कोशिश तो कर रही हूं जल्दी नौकरी मिल भी जाएगी … फिर खाना खाकर वो टीवी देखती हैं मम्मी बोलती हैं  सो जाओ मैं एक घंटे में उठा दूंगी …

शाम को दोनो हमेशा की तरह धूमने जाते है और जब घर लौटते हैं तो पापा भी आ जाते हैं पापा बताते हैं कि   उन्हें टूर पर जाना है दिल्ली मणि खुश हो जाती है क्योकि वहां पर नोनू रहता है पापा ने बताया एक दिन वहां रुकेगें तब तुम नोनू से ढेर सारी बाते कर लेना … नोनू पहले उनका पडोसी था उसके पापा की बदली दिल्ली हो गई और अब वो वही पढ रहा था …

अगली सुबह वो दिल्ली के लिए निकल जाते हैं  दिल्ली पहुंच जाते हैं नोनू घर पर अकेला होता है … वो सभी को देख कर बहुत खुश होता है और मम्मी को फोन करके बताता  है कि मणि और अंकल आंटी आए हुए है …

मम्मी आफिस से 5 मिनट के आती हैं और बोल कर चली जाती हओं रात को बहुत जरुरी मीतिंग है … देर हो जएगी .. उसी बीच में गीतू के पापा आ जाते है … गीतू मणि को अपने कमरे में ले जाता है … मणि को नोनू बहुत उदास लगता है … वो जब उसकी कापी देख ती है तो वो सभी मे फेल होता है ..

मणि पूछती है कि क्या हुआ … क्योकि वो पढाई में बहुत अच्छा था… वो बोला कि मम्मी ने आते ही नौकरी ज्वाईन कर ली थी और बस सारा दिन व्यस्त रहती … दिक्कत किसी बात की नही है पर मुझे घर पर मम्मी का स्पोर्ट  चाहिए जो नही मिल रहा …

जब घर आते हैं तो मीटिंग , मोबाईल, लैपटाप पीछा नही छोडते … और रोने लगा … मणि ने उसे समझाया और फिर वो मिल कर टीवी देखने लगे .. अगले दिन मणि और उसके मम्मी पापा वापिस लौट रहे थे..

मणि कार में ही लेट गई और लेटते हुए सोच रही थी कि मम्मी उसका कितना ख्याल रखती हैं  … कमरा साफ करना , होमवर्क करवाना, सैर करवाने ले जाना  और पढाई करवाना… अगर मम्मी भी अफ़िस जाने लगी तो उसका हाल भी कहीं नोनू जैसा न हो जाए … हर रोज जब घर लौटेगी ताला खुद खेलेगी , खाना खुद गर्म करेगी … कैसे होगा सब … सोचते सोचते उसका घर भी आ गया … मम्मी कार  से उतरे गेट खोला और सामने लैटर वाक्स पर लैटर चैक की तो वो अचानक चिल्ला उठे … अरे वाह नौकरी मिल गई .. appointment letter आ या है … और मणि को बोले बेटा अब खुश हो जाओ … अब तुम्हारी मम्मी भी काम पर जाएगी … मणि जोर जोर से रोने लगी …

मम्मी प्लीज मुझे माफ कर दो प्लीज आप नौकरी मत करो आप मेरा ख्याल रखना मुझे नही करवानी नौकरी … मम्मी पापा दोनो हैरान कि हुआ क्या …

ये कहानी थी जो मैने लिखी थी … उस महिला के फैसले पर मुझे खुशी हुई  कि उसने अपने परिवार को प्राथमिकता देना जरुरी समझा वैसे आजकल घर पर रह कर भी बहुत काम किए जा सकते हैं क्योकि जब बच्चे छोटे होते हैं बच्चों की देखभाल करना उनअच्छे संस्कार बहुत जरुरी होता है जिनके लिए बहुत जरुरी न हो … उन्हें बच्चों का ख्याल रखना ही चाहिए  

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March 19, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Stop Procrastination and Get Work Done – टालमटोल ना करें – कार्य पूरा करें

Stop Procrastination and Get Work Done

Stop Procrastination and Get Work Done – टालमटोल ना करें – कार्य पूरा करें  – जिंदगी का सफर है ये कैसा – zindagi-ka-safar-hai-yey-kaisa – सफर  suffer  ना बन जाए .जिंदगी में हम खुश रहना चाहते हैं या दुखी ये किसी दूसरे पर नही हमारे उपर ही निर्भर करता है.

Stop Procrastination and Get Work Done –  बहाने ना बनाएं – टालमटोल ना करें

मेरी एक जानकार की तबियत ठीक नही रहती. असल में खाने पर  कंट्रोल जरुरी है बस वो ही नही करती … बहुत खाती है मीठा भी और चटपटा भी … जब पहले कहा तो बोली कि बस बेटी की शादी हो जाए फिर अपना ध्यान रखूंगी ..

शादी के बाद बोला तो कभी बहाना कि बेटी ने आना है या उन्होनें बेटी से मिलने जाना है …  कुछ समय बाद बहाना था कि बस एक बार नानी बन जाउं फिर तो आराम ही करना है यानि बहाने पर बहाने … बहानो की लिस्ट तैयार रहती है

एक प्रेरक कहानी

उसके बहाने देख कर मुझे एक बात याद आई जो मैने कुछ समय पहले नेट पर पढा था … एक साधु नदी किनारे बैठे थे … एक आदमी आया और पूछा कि साधु बाबा जी क्या हुआ …  बाबा बोले मैं इंतजार कर रहा हूं कि नदी का पानी कब सूखे कब वो नदी के पार जा पाए …

इस पर वो आदमी हंसा और बोला बाबा जी ये नदी तो सूखने से रही आपको तो खुद ही रास्ता बनाना होगा … या किसी नाव या कश्ती का सहारा लेना होगा … तो साधु बाबा बोले … मेरा संदेश भी तो यही है …

 

 

हम बस इंतजार ही करते हैं … ये हो जाए तो वो कर लेगें … ये हो जाए तो वो कर लेंगें जबकि … ये सब चीजे तो चलती रहेगी … इन सब में रहते हुए इन सबमें समय निकालना सीखना चाहिए …

जिंदगी में तो ये सब चलता ही रहेगा … पर जरुरी है कि बनाने या टाल मटोल करने की बजाय …

और वैसे भी जो लोग समय के क्षण की और अन्न के कण की इज्जत नही करते …. वो कभी सफल नही हो सकते …

वो कहते भी है न कि रास्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में, मंजिल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएँ।

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March 18, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

हिंदी बाल साहित्य लेखक – हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

हिंदी बाल साहित्य लेखक - हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

हिंदी बाल साहित्य लेखक – हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार – hindi bal sahitya lekhak साहित्य सम्मान मिलना बेहद सम्मान की बात होती है.हाल ही में मुझे हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से बाल साहित्य सम्मान मिला है और किताब है बाल उपन्यास “ वो तीस दिन” ये किताब नेशनल बुक ट्र्स्ट से प्रकाशित हुई है ..

हिंदी बाल साहित्य लेखक – हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

बच्चों के लिखना बाएं हाथ का या बच्चों का खेल नही है  इससे पूर्व भी मुझे हरियाणा साहित्य अकादमी से “मैं हूं मणि” के लिए बाल साहित्य सम्मान मिल चुका है … अभी तक 8 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं … जिसमें से तीन किताबें नेशनल बुक ट्र्स्ट से हैं

हिंदी बाल साहित्य लेखक - हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार

 

 

हिंदी बाल साहित्य लेखक – हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार
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