Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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August 11, 2015 By Monica Gupta

Audio- मेरी कहानी -सहयोग-मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ता

story of monica gupta

Audio- मेरी कहानी -सहयोग-मोनिका गुप्ता

http://radioplaybackindia.blogspot.in/2015/08/sahyog-by-monica-gupta.html

 इस लिंक को क्लिक करके सुनिए मेरी लिखी कहानी मेरी ही आवाज में और जरुर बताईगा कि कैसी लगी ???

मेरी कहानी मेरी आवाज

कहानी – सहयोग

सुबह से ही दिनेश बहुत परेशान सा घूम रहा था.  असल मे, कुछ देर पहले ,उसके बचपन के दोस्त रवि की पत्नी का फोन आया था वो धबराई हुई आवाज मे बोल रही थी  कि भाई साहब, हमे आपकी मदद चाहिए. वैसे तो दिनेश और रवि बहुत ही अच्छे दोस्त  थे पर  बच्चो की पढाई और अन्य परिवारिक  कारणों  दिनेश की आर्थिक दशा ठीक नही चल रही थी. दिनेश ने उस समय ये कह कर फोन रख दिया कि आप चिंता मत करो मै हूं ना. पर फोन पर बात करने के बाद  वो  ये सोच कर परेशान हो गया  कि  आर्थिक तंगी के चलते वो उनकी मदद कैसे कर पाएगा.

बात को लगभग एक महीना बीत गया.इस बीच, दोनो की कोई बात नही हुई. दिनेश ने भी कोई बात करने की कोशिश नही की.पर जब भी कोई  फोन आता तो दिनेश का दिल धडकने लगता कि कही ये उसके मित्र का फोन ना हो. लगभग  दो महीने बाद रवि की पत्नी का फोन आया. वो बहुत खुश थी और बार बार उसका धन्यवाद दे रही थी इस पर दिनेश हैरान होकर बोला धन्यवाद किस बात का …  उसने तो कुछ …. इस पर वो बीच में ही बात काट कर बोली …. भाईसाहब,  आपका यह कहना कि चिंता मत करो, मै हू ना, बहुत सहारा दे गया और इन्होने जो नशा छोडने का प्रयास किया था वो  भी सफल रहा. आपकी शुभकामनाओ से यह बिल्कुल ठीक हो गए हैं. ऐसे  मुश्किल समय मे आपकी तरफ से मानसिक सहयोग मिलना ही हमारे लिए बहुत बडी बात थी. हम बहुत जल्द आपसे मिलने आएगे कह कर उसने फोन रख दिया. और दिनेश… एक बार फिर…. कुछ सोचने पर मजबूर हो गया…. !!!

Audio- मेरी कहानी -सहयोग-मोनिका गुप्ता

 

July 18, 2015 By Monica Gupta

कौन पास कौन फेल

कौन पास कौन फेल

एकता और संदीप की नई नई शादी हुई. समय बहुत अच्छा गुजर रहा था. संदीप आफिस जाता और एकता अपना घर सम्भालती. घर में खाली समय में वो टीवी देखती और फेसबुक का भी बहुत शौक था. सगाई के बाद ही उसने नया नया सीखा था. संदीप से बातें करने के लिए और धीरे धीरे उसके दोस्तों की संख्या बढती गई.

एक दोपहर जब वो फेसबुक पर किसी को कमेंट कर रही थी तभी उसके पास एक मैसेज आया. आप बेहद खूबसूरत हैं. मैं आपसे दोस्ती करना चाहता हूं. उसने तुरंत मोबाईल बंद कर दिया. शाम को जब दुबारा खोला तो दो तीन मैसेज और आए हुए थे कि आपने कोई जवाब नही दिया. क्या मेरी मित्रता आपको स्वीकार नही. तभी अचानक घंटी बजी. उसके पति आफिस से आए थे . वो उनके लिए चाय बनाने लगी. अगले दिन संदीप के आफिस जाने के बाद उसने फिर मैसेज देखा  उसमे ना सिर्फ मैसेज थे बल्कि एक दो बेहद गंदी तस्वीरे भी थी. एकता ने गुस्से में लिखा कि अगर आज के बाद आपने मुझे कोई मैसेज भेजा तो यही सारे मैसेज मैं आपकी वाल पर पोस्ट कर दूंगी. समझ  क्या रखा है अपने आप को. महिला को कैसे भी तंग करो.

उसके बाद दो दिन तक कोई मैसेज नही आया. वही संदीप सब जानता था क्योकि मैसेज वो ही भेज रहा था वो बस अपनी पत्नी का इम्तेहान ले रहा था जिसमें वो पास हुई. बात वही खत्म हो गई.

इस बात के कुछ महीने बाद एक दिन एकता को एक शरारत सूझी. उसने फेसबुक पर एक नकली प्रोफाईल बनाया और संदीप को मैसेज किया. हैलो … क्या मैं आपसे दोस्ती कर सकती हूं ? मैसेज भेजने के दो ही मिनट में उसने दोस्ती स्वीकार कर ली और मैसेज किया आप भी बेहद खूबसूरत हैं क्या मैं आपका मोबाईल नम्बर जान सकता हूं? एकता थोडा सकते मॆ आ गई और उसने कोई जवाब नही दिया. शाम को फिर मैसेज आया कि आपने अपना नम्बर नही दिया… शायद एकता की नजरों में संदीप फेल हो गया था.

sad women  photo

Photo by clala1220

 

July 15, 2015 By Monica Gupta

स्पीकर

लघु कथा – स्पीकर

land line phone  photo

Photo by Infrogmation

अचानक फोन की घंटी बजी और हमेशा की तरह फोन मम्मी ने उठाया. उनकी बातों से झलक गया था कि फोन मुम्बई से  बडे भैया का है. चलिए  पहले मैं आपको अपना परिचय करवा दू. मै मोना हू. घर की सबसे छोटी बेटी. मेरे दो  भाई है बडे भईया पापा से झगड कर मुम्बई शिफ्ट हो गए और हम दोनो अभी पढाई कर रहे है. पापा का बहुत बडा शोरुम है और पापा चाह्ते थे कि भईया उसे ही सम्भाले पर भईया को नौकरी ही करनी थी और वो सभी से झगड कर पिछ्ले साल वही बस गए 2-3 महीने मे एक आधी बार फोन आ जाता है .मम्मी से तो सारी बात होती है पर हमसे या पापा से नही हो पाती.

आज फिर फोन आया और मम्मी बातो मे जुट गई. पापा का काम , हमारी पढाई और भी बहुत बाते खुशी खुशी बताने लगी तभी आवाज शायद कम आने लगी और फोन कट गया.वैसे अक्सर ऐसा ही होता था.ज्यादातर मम्मी हैलो ही करती रह जाती थी. या नेट वर्क की दिक्कत या फिर उम्र के चलते मम्मी के कानो मे कोई परेशानी.

खैर, अगली बार जब भईया का फोन आया तो मैने मम्मी को मोबाईल पकडाते  समय  उसका स्पीकर ओन करके दे दिया ताकि उन्हे सुनने मे दिक्कत ना हो और  वो इस बात से बेखबर थी. मम्मी के हैलो करते ही वहां से बडी रुखी सी आवाज उभरी.. हां … क्या है बोलो ?? … और मम्मी हमेशा की तरह फोन कान पर लगाए मुस्कुराती हुई  बातो मे जुटी रही.हां, हां, मोना भी ठीक है और तेरे पापा .. अरे वो भी तुझे दिन रात याद करते हैं क्या मै .. अरे मुझे क्या होना है एक दम भली चंगी हू. ह हा .. क्या शायद तेरा अगले महीने आने का बन जाए अरे वाह मजा आ जाएगा … मोना से .. हाँ हाँ .. अभी बात करवाती हूं अपना  नया नम्बर भी जल्दी ले कर हमे बता देना बेटा.हैलो .. हैलो .. अरे .. नेटवर्क फिर कट गया लगता है … मां मुस्कुराती हुई बोली कि मोना से बात करने की जिद कर रहा था और बाते करती करती रसोई मे चली गई.

मै,पापा और छोटा भाई सन्न थे क्योकि भईया का स्वर एकदम रुखा था और उन्होने कोई बात ही नही की और उन्होने  बहुत ही जल्दी फोन काट दिया था… शायद हमेशा  ही वो ऐसे …. और वही दूसरी ओर मम्मी इस बात से बेखबर की हमे सब पता चल गया है वो  प्रसन्न थी कि बेटे ने आज फिर  बहुत बाते की…. पता नही क्यो पर हम मम्मी की आखों की नमी को दिल की गहराईयो से महसूस कर पा रहे थे ….

कैसी लगी आपको ये कहानी … जरुर बताईएगा 🙂

 

June 25, 2015 By Monica Gupta

पतंग बनी तीर कमान

पतंग बनी तीर कमान

(बच्चों की कहानी)

पतंग का मौसम वैसे तो उड़न छू हो गया था पर नन्हे गोलू को पतंगों का इतना शौक था कि उसने पतंग सम्भाल कर रखी हुर्इ थी। वह सोच रहा था किसी दिन जब तेज हवा चलेगी तब वो पतंग उड़ाऐगा। एक दिन शाम को जब मौसम सुहावना हुआ। बादलों के साथ-साथ हवा भी खूब तेज चलने लगी तब गोलू अपनी पतंग लेकर छत पर जा पहुँचा। वहाँ अचानक ड़ोर उसके पाँव में उलझ गर्इ और पतंग दो जगह से फट गर्इ। गोलू उदास होकर बैठ गया कि अब क्या करे किससे खेलें।

वो चुपचाप बैठ कर पतंग को उल्ट-पुल्ट कर देखने लगा तभी उसके मन में एक विचार आया। उसने बड़ी सफार्इ से पतंग का कागज फाड़ ड़ाला। अब उसमें रह गर्इ दो सीखनुमा ड़ण्ड़ी । एक थोड़ी गोलार्इ में और एक सीधी। उसने गोलार्इ वाली ड़ण्ड़ी और लम्बी ड़ण्ड़ी को अलग करके गोलार्इ वाली ड़ण्ड़ी में एक दूसरे तरफ लम्बार्इ में धागा बाँध दिया और वो बन गया कमान के आकार का और जो दूसरी ड़ण्ड़ी थी वो अपने आप तीर बन गर्इ थी। गोलू अपनी इस उपलबिध पर बड़ा खुश हुआ कि पतंग से उसने तीर-कमान बना लिया और वो नीचे अपने मम्मी-पापा को बताने भागा। उन्होनें भी उसके विचार की बहुत तारीफ की और समझाया भी कि तीर कमान ध्यान से खेलना किसी को चोट ना पहुँचें। मम्मी की बात का समर्थन करता हुआ वो अपने दोस्त मोना और पिन्टू को दिखाने उनके घर भागा।

 

boy flying kite photo

Photo by G’s memories

 

पतंग बनी तीर कमान … कैसी लगी … जरुर बताईएगा 🙂

June 24, 2015 By Monica Gupta

बाल कहानी

बाल कहानी

  100रभ की 6तरी

( अंको को शब्दों के साथ जोड़कर कहानी का आनन्द लें)

2पहर के समय बर7 शुरू हो गर्इ। स्कूल से लौटते समय 100रभ ने अपनी कमीज की आस् 3 ऊपर कर ली थी। उसने पिताजी को बहुत बार 6तरी लाने को कहा था पर वो टाल देते थे। आज उसका जन्मदिन है पर उसकी 100तेली माँ ने उसे अभी तक बधार्इ भी नही दी। जब उसने स्कूल में अपने 2स्तों को यह बात बतार्इ तो वह उल्टे ही 100रभ के कान भरने लगे कि 100तेली माँ के आ4-वि4 अच्छे नही होते। वह हमेशा बच्चों में 2ष ही निकालती हैं और अत्या4 करती हैं। कर्इ बार तो उन्हें 6ड़ी से भी पीटती है। कर्इ बार तो बच्चे इतने ला4 हो जाते है कि घर से भागने की 9बत ही आ जाती है।

स्कूल की छुटटी के बाद वह सोचता हुआ जा रहा था कि 100तेली माँ से उसकी कभी अनबन भी नही हुर्इ पर आज उन्होनें बधार्इ क्यों नही दी। क्या वो भी उसे घर से निकाल देंगीं? लगता है, अब तो पिताजी भी उसे प्यार नही करते। 6तरी भी शायद इसीलिए नही लाकर दे रहे हैं। इसी सोच में उसे रास्ते में 1ता दीदी मिली। वो हमेशा वे2 के बारे में अच्छी-अच्छी बातें बताया करती थी। उन्होनें उसके घर का समा4 जाना और 2राहें पर से अपने घर चली गर्इ। वो 6मियाँ राम जी की 2ती थी। उसके और 100रभ के पिताजी बहुत अच्छे 2स्त थे। 1ता दीदी के पिताजी 9सेना में 9करी करते थे और 100रभ के पिता सवार्इ मानसिंह में रोगियों का उप4 करते।

यही सोचते-सोचते उसका घर आ गया और उसने ड़रते-ड़रते दरवाजे़ पर 10तक दी पर दरवाज़ें खुला था। कमरे में किसी की आहट ना पाकर वो चुपचाप अपने कमरे में चला गया। उसकी हैरानी की कोर्इ सीमा नही रही जब उसने अपनी 4पार्इ पर 100गात रखी देखी। 100गात खोलने पर उसमें सुन्दर सी 6तरी मिली। जैसे ही उसने पलट कर देखा तो उसकी माताजी और पिताजी जन्मदिन की बधार्इ ताली बजा कर दे रहे थे। उस समय तीनों की आँखें नम थी।

आज का दिन 100रभ के लिए ढ़ेरो खुशियाँ लेकर आया था। उसे अपनी माँ का प्यार मिला। माँ ने बताया कि शाम को तोहफा देकर चौंका देना चाहते थे। इसीलिए सुबह बधार्इ नही दी। अब उसके मन में कोर्इ शंका नही थी कि मम्मी पापा उसे बहुत प्यार करतें हैं। अपनी नर्इ 6तरी लेकर वो 2स्तों को दिखाने बाहर भागा। बाहर धूप निकल आर्इ थी और सुन्दर सा इन्द्रधनुष सुनहरी 6ठा बिखेर रहा था।

umberella photo

Photo by oatsy40

रोचक बाल कहानी 100रभ की छतरी

राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित हुई कहानी

आपको कैसी लगी … जरुर जरुर बताईगा 🙂

June 17, 2015 By Monica Gupta

एक पत्र चोर के नाम

एक पत्र चोर के नाम

बाल साहित्य लेखन बच्चे की तरह  बहुत  मासूम होता है और इसे लिखते वक्त बाल मन मे उठने वाली सभी भावनाओ को पिरोना होता है… बाल साहित्य लिखना किसी चैलेंज़ से कम नही…

बच्चे का पैगाम, चोर के नाम

समझ नहीं आ रहा कि तुम्हें किस नाम से सम्बोधन करूँ प्रिय, तो तुम हो ही नहीं सकते क्योंकि तुमनें घर में मेरे मम्मी-पापा और बूढ़े दादा-दादी को बहुत रूलाया है। अन्य कोर्इ आपत्त्तिजनक सम्बोधन मैं कर नहीं सकता क्योंकि मेरे परिवार से मुझे ऐसे संस्कार ही नहीं मिले। लेकिन एक बात तो तय है कि तुम बुरे हो…………बहुत बुरे हो।

child photo

कल ही की तो बात है सुबह से हम कितने खुश थे। मुझे पता लगा था कि हमारे घर नन्हा-मुन्हा मेहमान आने वाला है। मम्मी भी कितनी प्यारी लग रही थी, भगवान जी के सामने हाथ जोड़कर वह कितनी देर तक लक्ष्मी माँ को निहार रही थी और सुबह से ना जाने कितनी बार मेरा माथा चूम रही थी।

शाम को मैंने ही जिदद की थी कि हम होटल में खाना खाने जाऐंगे, मम्मी का भी चटपटी चीज खाने को मन था। अत: पापा भी दफ्तर से जल्दी छुटटी लेकर आ गए थे। वह सरकारी नौकरी में हैं, पहले मेरे दादू भी सरकारी नौकरी में थे पर रिटायर होने के पश्चात वह गाँव में रहने लगे। मम्मी की खुशखबरी सुनकर वह और दादी भी बधार्इ देने आए थे।

अगले महीने मेरे चाचा की शादी होनी थी तो खूब खरीददारी भी चल रही थी। मैंने घोड़ी पर चाचा के साथ बैठना था इसलिए मेरी अचकन, पगड़ी और बहुत बड़ा मोतियों का हार लाए थे। मम्मी ने सब सम्भाल कर अपनी अलमारी में रखा हुआ था। माँ ने भी अपने पसन्द की सुन्दर साडि़यां खरीदी थी और पापा ने भी ढ़ेर सारी खरीददारी की थी।
चोर, तुम तो जानते ही हो, र्इमानदारी से सरकारी नौकरी करने वाले की आय क्या होती है। वैसे, मेरे पापा ने हमें किसी भी चीज़ की कभी तंगी नहीं होने दी। वह सिर ऊँचा करके चलते और कभी भी गलत बात सहन नही करते थे। अच्छा तो मैं बता रहा था कि शाम को होटल से खाना खाकर जब हम निकले तो सोचा अगर सिनेमा के टिकट मिल जाते हैं तो शो ही देख लेंगे। भाग्यवश कहो या दुर्भाग्य वश टिकट मिल गए और हम रात को बारह बजे घर पहुंचे।
पापा को घर पहुंचते ही कुछ गड़बड़ लगी। पापा लार्इट जला कर जेब से चाबी निकाल ही रहे थे कि दरवाजे का ताला टूटा पड़ा था। पापा स्वयं को संयत करके दादू का हाथ पकड़ कर घर के अन्दर दाखिल हुए तो घर खाली-खाली सा नजर आ रहा था। टी.वी., टेप-रिकार्डर  और दीवार घड़ी कहीं नजर नहीं आ रहे थे।
पूरे घर को इस तरह से उलट-पुलट कर रखा था मानों अभी-अभी भूचाल आया हो। मम्मी की अलमारी से सारे कपड़े जमीन पर बिखरे पड़े थे और उसमे रखा नकदी और जेवर सब गायब था। वैसे मुझे पता नहीं मम्मी के पास क्या-क्या था पर इतना पता है कि मम्मी एकदम सन्न होकर पलंग पर गिर पड़ी थी और पापा ने मुझे पानी लाने के लिए दौड़ाया।
रसोर्इघर के पास ही हमारा छोटा सा मंदिर है उस लक्ष्मी गणेशजी के मंदिर में रखा सारा चढ़ावा भी ले गए और हनुमान जी की गुल्लक को जमीन पर फैंक कर उसे तोड़ कर उनकी रोजगारी भी ले गए। मुझे परसों ही कक्षा में प्रथम आने पर सोने का तमगा (गोल्ड़ मैड़ल) मिला था जोकि मैंने गणेश जी की मूर्ति गिरा कर ले गए।
हर कमरे का ताला टूटा हुआ था। कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। पडोसी भी सब घर पर इकटठा हो रहे थे। सदा मुस्कुराने वाली मेरी मम्मी को देख कर मेरी आँखों से आँसू बहे ही जा रहे थे। मम्मी की नर्इ साडि़यां, मेरी शादी के लिए तैयार की गर्इ अचकन भी ले गए। हमारे ही घर का सामान, हमारी ही अटैची और बैग में भर-भर कर ले गए।
पता नहीं, तुम कितने लोग आए थे और क्यों आए थे। आखिर हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था। मुझे पता है कि पापा ने किस तरह रूपया-रूपया जोड़कर छोटा सा रंगीन  टेलिविज़न खरीदा था और मेरी मम्मी कालोनी के बच्चों को घर पर पढ़ाती ताकि मैं सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ संकू।
लेकिन आज मैं बहुत उदास बेबस और मायूस महसूस कर रहा हूँ

और चोर, तुमको पत्र लिख रहा हूँ। पापा मेरे आँसू पोंछते हैं लेकिन खुद के दस-दस आंसू टपक जाते हैं, मुझे हिम्मत देते हैं और खुद………… कमजोर पड़ जाते हैं। अचानक मम्मी को रात ही को अस्पताल ले जाना पड़ा मुझे नहीं पता क्या बात है पर दादी ने बताया कि अचानक उनकी तबियत खराब हो गई अब वह कल वापिस घर आऐंगी। मुझे ज्यादा समझ तो नही पर इतना जरुर कह सकता हूं कि कोई न कोई बात मुझसे जरुर चिइपाई जा रही थी क्योकि अस्पताल से आने के बाद सभी दबी आवाज में कुछ बातें कर रहे थे.
घर में पुलिस भी आर्इ। उन्होंने हमारे बयान  भी लिखे पर सामान कब मिलेगा और मिलेगा या नहीं इसका किसी को नहीं पता। पर इतना पता है आज खुशी हमारे घर से दो सौ मील दूर भाग गर्इ हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वह समय के साथ सब ठीक कर देगा और मेरी मम्मी भी अस्पताल से जल्दी ही वापिस आ जाएगी।
चोर, अगर जाने-अनजाने तुम मेरा यह लेख पढ़ रहे हो तो मैं तुम्हारे सामने आँसू भरी आँखें और हाथ जोड़ कर विनती करता हूँ कि प्लीज़, चोरी करना छोड़ दो। इस महंगार्इ के समय में हर आदमी तिनका-तिनका जोड़ कर अपना आशियाना बनाता है तुम उसे एक झटके में मत ले जाओ…….. मत ले जाओ…….. मत ले जाओ……..

एक बच्चे का चोर के नाम पैगाम आपको कैसा लगा ??? जरुर बताईएगा !!!

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