Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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May 10, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

स्कूली बच्चे और शारीरिक दंड

कार्टून
कार्टून

कार्टून

स्कूली बच्चे और शारीरिक दंड

मुर्गा बनाना मना है … कुछ देर पहले मेरी सहेली मणि का फोन आया वो खुशी खुशी बता रही थी कि आज 30 साल के बाद उसे वो टीचर मिली जो स्कूल में उसकी बहुत पिटाई करती थी. उन्हे  देख कर और मिलकर बहुत अच्छा लगा. आज वो जो भी है उन्ही की वजह से है क्योकि ना स्कूल में वो पिटाई करती न वो पढाई मे ध्यान लगाती और ना वो फर्स्ट डिवीजन में पास होती … !! वाकई मॆंं, थोडी बहुत सख्ती और डर जरुरी होता है मुझे भी याद आ गया जब क्लास में बोलने और गणित में सवाल हल न करने पर क्लास से बाहर दोनो  हाथ उपर खडा होने की सजा मिलती और फिर वो सवाल ऐसा याद हुए … ऐसे याद हुए कि जिंदगी भर नही भूले … मैं सोच ही रही थी तभी अखबार में एक खबर पर नजर गई कि अगर बच्चे को मुर्गा बनाया तो टीचर को होगी 3 महीने की जेल और एक लाख रुपया जुर्माना  …

 

 www.bhaskar.com

जस्टिस जुवनाइल एक्ट में हाल में ही संशोधन किया है। देश में जेजे एक्ट यानि जस्टिस जुवनाइल एक्ट को लागू हुए कई साल हो गए, लेकिन अब इसमें कई बदलाव कर नए सेक्शनों को शामिल किया है। सेक्शन 77 के तहत अध्यापक स्कूल में बच्चे को किसी तरह की सजा देता है और बच्चा उसकी शिकायत खुद जुवनाइल अदालत या जिला प्रोबेशन अधिकारी के माध्यम से अदालत में याचिका दायर करता है तो सजा व जुर्माना दोनों हो सकते हैं…..       read more at bhaskar.com

Rajasthan News | Hindi News | Latest News | Samachar

कई बार देखने में आया है कि विद्यार्थी सजा से इतने भयभीत हो जाते हैं कि काफी दिनों तक विद्यालय जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। मनोविज्ञानियों के अनुसार शारीरिक दंड का बच्चों के दिल और दिमाग पर गहरा असर पड़ता है। हीन भावना से ग्रस्त बच्चे इसी वजह से पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं। कई बच्चे आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं, जिसे देखते हुए किशोर न्याय अधिनियम-2015 लागू किया है। बच्चों या अभिभावक की शिकायत पर पुलिस को संबंधित शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज करना होगा। क्रूरता बरती तो 10 साल की सजा ‘आरटीई की धारा 17 के अनुसार शिक्षक द्वारा बच्चे को प्रताडि़त करने और जांच में सही पाए जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। धारा 82 (1) में अनुशासन सिखाने के नाम पर यदि बच्चे जान-बूझकर शारीरिक दंड दिया गया तो पहली बार दोष सिद्ध होने पर 10 हजार रुपए जुर्माना, दूसरी बार में तीन माह की सजा तथा धारा 82 (2) में दोषी शिक्षक को बर्खास्त करने का प्रावधान है।Ó धारा 75 के तहत बच्चे के साथ शारीरिक दंड के नाम यह क्रूरता बरती गई तो आरोपित के खिलाफ 10 वर्ष तक की सजा पांच लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान भी है। read more at rajasthannews.net

इतना ही नही सेक्शन 75 के तहत अगर घर पर माता पिता बच्चे के साथ मारपीट या अभद्र भाषा बोलते हैं तो उन्हें भी 3 साल जेल और 1 लाख रुपया जुर्माना हो सकता है..

चाहे स्कूल हो या घर बच्चे में थोडा डर तो रहना ही चाहिए पर अब बच्चा बिल्कुल बेखौफ हो जाएगा जोकि कही न कही सही नही भी है वैसे आपका इस बारे मे क्या विचार है जरुर बताईएगा …

 

 

May 8, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

बदलता समय और मदर्स डे

मदर्स डे

बदलता समय और मदर्स डे – समय बदल रहा है. कुछ समय पहले मुझे एक सहेली के जाना था. वो खुद डाक्टर हैं. उसके एक दिन पहले बेबी हुआ था. मन मे यही सोच लिए गई कि वो सो ना रही हो मेरे जाने से खलल न पडे पर जब मिलने गई तो वो वहां थी ही नही पता चला कि किसी की डिलीवरी होनी थी इसलिए मरीज को देखने गई हुई हैं… मैं हैरान रह गई क्योकि आमतौर पर यही कहते हैं कि बच्चा होने के बाद 40 दिन पूरा आराम करना होता है.. लग रहा है वाकई समय बदल रहा है.

बदलता समय और मदर्स डे

अब देखिए ना एक समय था जब मम्मी ने हमारी उंगली पकड कर चलना सिखाया लिखना सिखाया और एक आज का समय है जब हम मम्मी को उंगली पकड कर स्मार्ट फोन इस्तेमाल करना टच स्क्रीन मोबाईल इस्तेमाल करना सीखा रहे हैं और मैसेज कैसे भेजे, स्माईली कैसे आएगी और वटस अप कैसे करना है सब सीखा रहे हैं … !!

 

cartoon-mothers-day

और मजा तो तब आता है जब हम उन्हें गुस्सा भी कर देते हैं क्या है आप ध्यान से समझ लो एक बार … !! और तब रुआसा मुंह देख कर हंसी छूट जाती है… ये बात मैं एक मां और एक बेटी के अनुभव से बता रही हूं !! डांट खाई भी है और खिलाई भी है !! पर जो है बहुत अच्छा है … बहुत ही अच्छा है …

मां का दिल ऐसा ही होता है - मदर्स डे पर एक अनुभव

मदर्स डे की सभी को शुभकामनाएं !!

 

https://monicagupta.info/videos/%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%81-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%81/

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May 2, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

लघु कथा – ऑडियो – रफ्तार – मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ता https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/05/story-speed-by-monica-gupta.wav

Click here to listen Short Story

लघु कथा – ऑडियो – रफ्तार – मोनिका गुप्ता

नमस्कार

आप हमेशा कहानियां पढते हैं चलिए आज आपको कहानी सुनाते हैं. कहानी का शीर्षक है ” रफ्तार” कहानी की अवधि 1 मिनट 46 सैंकिंड है.

कहानी -थकावट ( मोनिका गुप्ता)

कहानी -थकावट

इस कहानी का पात्र दिनेश गलत कामों में लिप्त है और  पकडे जाने के डर से अपनी पत्नी और बच्चों के साथ गांव में साधारण जीवन जीने की इच्छा करता है पर अन्त में क्या होता है क्या वो बच जाता है या पुलिस के सामने डर कर घुटने टेक देता है … यही सब जानने के लिए सुनिए कहानी ” रफ्तार” और बताईए कि कहानी कैसी लगी ??

कहानी महिला दिवस भी जरुर सुनिएगा

लघु कथा – ऑडियो – रफ्तार – मोनिका गुप्ता

May 1, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

लघु कथा – महिला दिवस- ऑडियो -मोनिका गुप्ता

मोनिका गुप्ताhttps://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/05/story-mahila-diwas-by-monica-gupta.wav

Click here and listen ..

मोनिका गुप्ता

कहानी – मोनिका गुप्ता

लघु कथा – महिला दिवस- ऑडियो -मोनिका गुप्ता

Audio -Short Story – Monica Gupta

नमस्कार

कहानियों का संसार भी बडा अजब गजब होता है कभी हास्य कहानी दिल खुश कर देती हैं तो कभी कोई कहानी दिल के इतने करीब लगती है कि आखें नम कर देती है.

आज मेरी लिखी कहानी  जो आप सुनेंगें… इसका  शीर्षक है… महिला दिवस..

आज के समय की सच्चाई को रुबरु करवाती कहानी महिला दिवस बताईएगा कि आपको कैसी लगी और आप किस तरह की कहानी , कविता या व्यंग्य सुनना चाहते हैं ताकि मेरा प्रयास रहे कि आपकी उम्मीदों पर खरा उतर पाऊ…

 

April 29, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

लघु कथा – पसंद ना पसंद (Audio)

कहानी -थकावट ( मोनिका गुप्ता)https://monicagupta.info/wp-content/uploads/2016/04/my-story-pasand-monica-gupta.wav

 

लघु कथा – पसंद ना पसंद (Audio)

Mobile  और सोशल मीडिया का धन्यवाद क्योकि आज हम अपने ब्लॉग पर न सिर्फ लिख सकते हैं बल्कि अपनी आवाज के जरिए भी आप सभी तक पहुंच सकते हैं…

आज सुनिए मेरी आवाज में मेरी लिखी कहानी पसंद ना पसंद …

 

कहानी - पसंद ना पसंद

कहानी – पसंद ना पसंद

जरुर बताईएगा कि कैसी लगी कहानी ताकि मैं भविष्य में भी ऐसी कहानियां सुनाती रहूं

 

 

April 2, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

आत्महत्या, कारण और हमारा समाज

suicide cartoon by monica gupta

आत्महत्या, कारण और हमारा समाज

कल्पना कीजिए कि आपको एक व्यक्ति का पता है कि वो बार बार आत्महत्या की बात कर रहा है उसे कैसे समझाएगें आप ?? असल में, हम टोकने में या बुराई करने में तो जुटे रहते हैं पर समाधान नही निकालते कि कैसे उसे समझाए कि वो अपना इरादा बदल दे…  अगर आप के पास कोई टिप्स हो तो जरा बताईए हो सकता है कि आपकी दी गई टिप्स किसी की जिंदगी बदल दे…

सोशल मीडिया हो या समाचार पत्र हर रोज कभी किसान तो कभी कोई स्कूली, कॉलिज या विश्वविधालय मे पढने वाला छात्र, बहू, कोई मॉडल या अभिनेत्री की आत्महत्या से जुडी खबरे पढने सुनने को मिलती ही रहती हैं जिससे एक रोष एक दुख सा मन में भर जाता है और जिसका असर लम्बे समय तक समाज में देखा जा सकता है.

suicide cartoon by monica gupta

आज एक मशहूर टीवी अदाकारा प्रत्यूषा जोकि ना सिर्फ बालिका वधू में आनन्दी के किरदार में बल्कि, झलक दिखला जा और बिग बॉस जैसे शो में भी काम कर चुकी है बल्कि सावधान इंडिया जैसे क्राईम से जुडे कार्यक्रम में एंकरिंग भी कर चुकी है उसका पंखें से लटक कर अपनी जान दे देना बेहद दुखद है … यकीनन उसकी मृत्यु ने बहुत सारे प्रश्नवाचक चिन्ह खडे कर दिए.

आत्महत्या की बात हो तो दिव्या भारती, परवीन बॉबी, जिया खान और सिल्क स्मिता आदि के नाम जहन में चले आते हैं उन्हें आजतक  कोई नही भूला. सिल्क  स्मिता की असल कहानी पर तो   डर्टी पिक्चर नामक  फिल्म भी बनी थी जिसे विधा बालन ने बखूबी निभाया था.

 

मेरी एक जानकार जोकि मुम्बई में टीवी धारावाहिको की दुनिया में अपनी जगह बनाने में जुटी हुई है जब उससे इस बारे में बात की तो उसने कहा कि ऐसी खबरें बहुत दुख देती है उसने बताया कि इस खबर के बाद से दस बार उसके माता पिता का फोन आ गया है कि वापिस आ जाओ यही कोई छोटी मोटी नौकरी कर लो .. कुछ नही रखा वहां … !!!

बात महज फिल्म इंडस्ट्री की ही नही बल्कि छात्रों की, दहेज के कारण महिला की, खेतों में काम करने वाले किसानों की भी है जोकि बेहद बेहद दुखद है.

यकीनन हल हालात से, परेशानी से भागने में नही बल्कि सामना करने में हैं.

मुझे एक घटना याद आ रही है जब हम कॉलिज में पढते थे. कॉलिज के ही एक लडका, लडकी शादी करना चाह्ते थे पर घर से मंजूरी नही मिली और दोनों रेल की पटरी पर चले गए. बाद में ये पता चला कि रेल के आते ही लडका पटरी से अचानक हट गया और लडकी हट नही पाई उसे अपने दोनो पैर कटवाने पडे. सारी उम्र के लिए एक दाग लग गया कैसे जीया होगा उसने कोई नही जानता … ऐसे एक नही हजारो उदाहरण हैं …

जरुरत खुद को मजबूत करने की है और परिवार का साथ मिलने की भी है. आमतौर पर व्यस्त जिंदगी में अपनो से बात करने का समय ही नही मिलता किसी दूसरे से दिल की बात कह नही सकते या फिर अगर किसी हम उम्र से बात करें भी तो इस बात की कोई गारंटी नही कि सलाह सही ही मिलेगी या भडकाने वाली… !! इस लिए ऐसे विचार आने पर खुद बेहद संयम से काम लेने की दरकार है…

Suicide of a News  जरुर पढे

आमतौर पर जब जब ऐसे धटना सामने आती हैं हमारा मीडिया एक्टिव हो जाता है. हम बडी बडी बाते करने लगते हैं एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं और अगले ही दिन फिर कोई नया मुद्दा किसी दूसरे विषय पर लेकर झगड रहे होते हैं.. और समय गुजर जाता है..

खुद के भीतर को जागना जरुरी है

बेशक आत्महत्या करने की वजह सभी की अलग अलग हो सकती है पर जब मन में इस तरह के विचार चल रहे हों तो समझाना हमारा परम कर्तव्य है  ताकि नकारात्मक चल रहे विचारों पर रोक लगाई जाए… जिंदगी परीक्षा लेती है तो उसे लेने दीजिए, यकीन मानिए हम हौसलों से हर बाजी जीतने का दम रखते हैं. बस यही विश्वास हर मन में हमेशा रहना चाहिए.

कैसा लगा आपको ये लेख … जरुर बताईएगा !!

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