Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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June 14, 2017 By Monica Gupta 1 Comment

रक्तदान के फायदे – Benefits of Blood Donation

रक्तदान के फायदे

रक्तदान के फायदे – Benefits of Blood Donation – importance of blood donation – जब भी रक्तदान करने की बात आती है तो जहां कुछ लोग खुश हो जाते हैं वही कुछ लोग डर जाते हैं … खासकर महिलाएं कारण जागरुकता का अभाव होना  इसीलिए अपने परिवार के लोगो को मना भी करती हैं कि रक्तदान नही करना चाहिए पर अगर उन्हें बताया जाए कि रक्तदान के बहुत फायदे हैं तो उनकी सोच बदली जा सकती है तो चलिए आज बताती हूं कि ब्लड डोनेट करने के फायदे क्या होते है.

रक्तदान के फायदे – Benefits of Blood Donation

हीरो बन सकते हैं … किसी की नजरों में हमारा स्थान बहुत ऊंचा हो सकता है. किसी की जिंदगी बचाना कोई छोटी बात नही है. जैसे एक महिला बच्चे को जन्म देती है वैसे ही कोई भी किसी को रक्तदान करके नया जन्म दे सकता है …

ब्लड किसी फैक्टरी में नही बनता और  न कोई विकल्प इसलिए अगर हम अपना रक्तदान में देते हैं तो बहुत बडी बात है. रक्तदान महादान

जब हम रक्तदान करते हैं तो हमारे स्वास्थ्य की जांच होती हैं और ब्लड के सैम्पल लिए जाते हैं और पूरा चैक अप होता है जो हम रुटीन में करवाते नही है … तो हमारी हेल्थ स्क्रीनिंग हो जाती है …

 

हैल्थ कोंशियस हैं. हमारा पूरा जोर कैलोरी बर्न पर रहता है और रक्तदान कैलोरी और कोलेस्ट्रॉल घटाने में मदद करता है.

डॉक्टर्स का मानना है कि ब्लड डोनेशन से हार्ट अटैक की आशंका कम हो जाती है। डॉक्टर्स का मानना है कि डोनेशन से खून पतला होता है, जो कि हृदय के लिए अच्छा होता है। चेहरे पर चमक लाता है …

एक नई रिसर्च के मुताबिक नियमित ब्लड डोनेट करने से कैंसर व दूसरी बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है,

ब्लड डोनेट करने के बाद बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है। इससे शरीर को नए ब्लड सेल्स मिलने के अलावा तंदुरुस्ती भी मिलती है .. रक्तदान करके किसी की जान बचा कर जो happiness मिलती है उसे शब्दों में नही बताया जा सकता…

सबसे बडी बात ये है कि हमें एक मकसद मिल जाता है. कुल मिलाकर लाभ ही लाभ है … जरुर सोचिएगा

रक्तदान, रक्तदाता और असली खुशी का अहसास

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June 13, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान की जागरुकता को बढाना होगा – मेरे मन की बात

रक्तदान की जागरुकता को बढाना होगा

रक्तदान की जागरुकता को बढाना होगा  – मेरे मन की बात  – Importance of Blood Donation – विश्व रक्तदान दिवस 14 जून फिर आ गया और जैसे आया है वैसे चला भी जाएगा … जगह जगह आयोजन होंगे, रक्तदान कैम्प लगाए जाएगें, लोगो को प्रेरित किया जाएगा , सर्टिफिकेट दिए जाएगें और बस फिर अगले दिन से वही रक्त के लिए भागम भाग , मारा मारी … आखिर क्या कारण है कि इतना प्रचार होते हुए भी लोगो में रक्तदान के प्रति जागरुकता नही आ पा रही … आज भी रक्त के लिए दर दर भटकना पडता है.

रक्तदान की जागरुकता को बढाना होगा –  मेरे मन की बात

मैं अपने ही एक अनुभव से शुरुआत करती हूं.

उससे पहले मैं बताना चाहूगी कि रक्तदान से जुडी हुई हूं और एक छोटा सा नेटवर्क है जिसमे अलग अलग शहरों से, राज्यों से गम्भीरता से रक्तदान की मुहिम को आगे ले जाने वाले कुछ कर्मठ रक्तदाताओं से जुडी हुई हूं और प्रयास यही रहता है कि देश के किसी भी कोने में  अगर रक्त की जरुरत हो तो टीम के माध्यम से जरुरत पूरी की जा सके … और कहते हुए बहुत खुशी और गर्व भी है कि अभी तक जहां से भी रक्त की जरुरत के लिए फोन आया चाहे, राजस्थान  हो, हरियाणा, हो, लखनऊ हो , मुम्बई हो, नोएडा हो, पंजाब हो, चंडीगढ हो , जम्मू हो … इंतजाम हो गया… और लगातार नेटवर्क बढाने का प्रयास  है…  !!!

अब मैं बताती हूं अनुभव …

अखबार में खबर देखी कि फलां व्यक्ति रक्तदान के क्षेत्र में जबरदस्त काम कर रहे हैं तो सोचा कि चलिए इनसे सम्पर्क करते हैं ताकि कभी जरुरत पडी तो काम आएगें पर … दुख हुआ कि कुछ लोग सिर्फ अखबार में नाम ही छ्पवाना चाह्ते हैं बस … या जाने माने फिल्मी कलाकारों के साथ फोटो करवा कर या अपनी खबर चैनल पर दे कर इति श्री कर लेते हैं ऐसे में ये मुहिम कैसे आगे बढ सकती है ?? प्रश्न वाचक चिन्ह ??

एक अन्य बात जो मैंने महसूस की कि जिसका नेटवर्क है वो किसी से शेयर नही करना चाहते … वैसे बात गलत भी नही है … इतनी मेहनत से तैयार किया होता है नेट वर्क पर जब हम देश में बदलाव लाने की बात करते हैं तो हमें मिलकर ही कदम आगे बढाना होगा… और गम्भीरता से बढाना होगा …

और जो भ्रांतियां हैं उसे दूर करना होगा … बहुत तरह की भ्रांतिया हैं जिसकी वजह से लोग रक्त दान करने में हिचकिचाते हैं.

एक उदाहरण तो हमारे सामने हैं ही श्री अमिताभ बच्चन साहब का कि जब उन्हें रक्त की जरुरत पडी और रक्त चढाया गया 1982 में फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान लगी चोट के बाद उन्हें 200 लोगों का कुल मिलाकर करीब 60 बोतल खून चढ़ाया गया था, जिनमें से एक डोनर का खून हेपिटाइटिस बी के वायरस से संक्रमित था.

इसकी ख़बर उन्हें 18 साल बाद लगी. उनका 75 फीसदी लि‍वर संक्रमित हो चुका है और सिर्फ एक चौथाई हिस्सा ही काम कर रहा है और वो सिर्फ़ 25 फ़ीसदी के सहारे जी रहे हैं.सुनकर  बेहद हैरानी और दुख हुआ. सोचने की बात ये है कि इसमें अमिताभ जी का क्या दोष ??? वो बेकसूर होते हुए भी एक ऐसी सजा भुगत रहे हैं जो कसूर उन्होनें  कभी किया ही नही.

ऐसे में एक आम आदमी के मन में भय होना स्वाभाविक है इसलिए जरुरत इस बात की भी है जो रक्त लेते हैं चाहे  वो ब्लड बैंक हो या टेक्नीशियन   वो बहुत ध्यान से परीक्षण करें और फिर चढाए अन्यथा …

मीडिया भी मात्र रक्तदान  दिवस तक ही सिमट के न रह जाए बल्कि समय समय पर ऐसी खबरें हाई लाईट करती रहे ताकि समाज में जागरुकता आए ..

स्कूलों में इस बात पर बच्चों को विशेष रुप से जागरुक किया जाए ताकि 19 साल के होते ही वो रक्तदान की महत्ता समझ कर आगे आएं

और महिलाओं को जागरुक किया जाए ताकि वो ना सिर्फ अपने परिवार को प्रेरित करें बल्कि खुद भी रक्तदान करने आगे आएं …

बहुत लोग बहुत दिल से इस मुहिम को आगे ले जाने में जुटे हैं चाहे  फेसबुक के माध्यम से हो या वटसप के माध्यम से …

आज के इस खास दिन पर मैं सभी रक्तदाताओं को बधाई देती हूं और मेरी टीम के कुछ खास रक्तदाताओं जिनसे मुझे जब भी जरुरत पडी उन्होने तुरंत रक्त का या रक्तदाता का प्रबंध करवा दिया ये नाम हैं …

श्री राजेंद्र माहेश्वरी  जी राजस्थान भीलवाडा से, श्री राकेश सांगर जी पंचकुला, डाक्टर रवनीत कौर – चडीगढ.  कोमल  खत्री, नचिकेतन , उत्कर्ष क्वात्रा Blood connect  की पूरी टीम दिल्ली से , आशा जी – रोटरी ब्लड बैंक- दिल्ली, डाक्टर संगीता पाठक – दिल्ली से, सोनू सिह जी – दिल्ली से,  अजय चावला जी –  हरियाणा फरीदाबाद से,  मंजुल पालीवाल जी रोहतक हरियाणा से,  दीपक शुक्ला जी मुम्बई से, संगीता वधवा मुम्बई से,  जगदीश शर्मा जी जम्मु से

ये नाम हैं मैंनें जब भी इन्हें रक्त के लिए फोन किया समझ लीजिए तुरंत इंतजाम हो गया… मैं तहे दिल से इनका शुक्रिया करती हूं और बहुत बहुत शुभकामनाएं देती हूं कि जुटे रहिए … !!

रक्तदान के फायदे

 

Importance of Knowledge Sharing – जब मैंने एक जिंदगी बचाई – Monica Gupta

Importance of Knowledge Sharing – जब मैंने एक जिंदगी बचाई- benefits of knowledge sharing – how to share knowledge हम जितना जानते हैं अगर उसे शेयर ही नही करे read more at monicagupta.info

रक्तदान महादान,

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May 28, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

Get Out of Your Comfort Zone – सफलता का मूल मंत्र – सफलता का रास्ता कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर है

Get Out of Your Comfort Zone

Get Out of Your Comfort Zone – सफलता का मूल मंत्र  – सफलता का रास्ता कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर है – Safalta ka Rasta Comfort Zone se Bahar Nikal Ker Hai – एक जहाज किनारे पर सबसे सुरक्षित होता है लेकिन जहाज सिर्फ किनारे पर खड़ा रहने के लिए नहीं बनाया जाता है इसलिए जरुरी है जो हमने goal decide किया है लक्ष्य set  हो गया तो बस पूरी commitment के साथ dedicatedly बढते जाना है कि दूसरे क्या कहतें हैं उसे अनसुना कर दें और आगे बढते जाएं… discomfort में भी comfortable हो…

Get Out of Your Comfort Zone – सफलता का रास्ता कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर है

कल मैंने बात की थी कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने की … और अगर एक बार आप हिम्मत करके Comfort Zone  से बाहर निकल गए और आपको उसमें इंटरेस्ट आने लगा तो यकीन मानिए आपकी लाईफ में बहुत पॉजीटिव बदलाव आना शुरु हो जाएगा …

भंवर है कंफर्ट जोन

इसी बारे में एक कहानी याद आ रही है बहुत समय पहले नेट पर पढी थी कि बहुत सारे लोग एक सडक पर जा रहे थे और सभी के हाथ में दस फीट लम्बी लकडी का फट्टा था … सभी लोग दुखम सुखम जा रहे थे कोई धीरे कोई बहुत धीरे …

एक आदमी बहुत जल्दी तंग हो जाता है और वो भगवान से कहता है कि हे भगवान बहुत भारी है ये मैं इसे थोडा सा  काट रहा हूं मेरा सफर आसान हो जाएगा … उसे काट देता है … थोडी आगे जाता है फिर भगवान को बोलता है बस थोडा सा और काट रहा हूं मेरा सफर आसान हो जाएगा फिर काट देता है यानि 10 फुट का अब बस 5 फुट रह जाता है … अब वो आराम से और सबसे तेज जा रहा था …  …

आगे जाकर एक बहुत बडा गड्डा आता है वो सोचता है कि कैसे पार जाऊं तभी वो क्या देखता है  कि जो लोग 10 फुट वाली लकडी ले कर आ रहे थे … उन्होने उस फट्टे को गड्डे के ऊपर रख दिया और बहुत आराम से गड्डा क्रास कर लिया …

पर वो आदमी नही कर पाया क्योकि अगर उसके पास 10 फुट का फट्टा होता तो वो भी आराम से कर लेता पर उससे भार उठाया नही गया और उसने काट दिया और अब देखिए कि सभी लोगो ने गड्डा आराम से पार कर लिया और वो पीछे रह गया … वो कम्फर्ट जोन से बाहर आकर भी बाहर नही आया और असफल रह गया …

तो इस जोन से बाहर निकलिए तो पूरे जोश,  आत्मविश्वास और कमिटमेंट के साथ कि मैं हर situation में डट कर सामना करुंगा …

देखिए हमारे सामने तीन तरह की चुनौती होती है

 

पहली तो ये कि हम कम्फर्ट जोन से बाहर आने से नही डरते हम इतने आत्मविश्वासी होते हैं … कि तैयार रहते हैं हर चुनौती के लिए

दूसरा हम निकल तो जाते हैं इस जोन से बाहर पर मन मजबूत नही बनाते … इसलिए सफल भी नही हो पाते

और तीसरा हम निकलना ही नही चाह्ते … कम्फर्ट में ही रहना चाह्ते हैं और जिंदगी में कुछ नही करना चाह्ते …

आप बताईए आपकी क्या सोच है ??

भंवर है कंफर्ट जोन, उपयोगिता करें साबित , एक्टिव रहें, एक्सपोजर जरूरी है, आरामपसंद न हों ……..हर गलती या हर विफलता एक सबक होगी पर हार नही माननी चाहिए ..

Get Out of Your Comfort Zone – सफलता का मूल मंत्र – सफलता का रास्ता कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर है

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सफलता का रास्ता कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर है

सफलता के टिप्स , सफलता का राज , सफलता की कहानी , असफलता की कहानी

March 25, 2013 By Monica Gupta Leave a Comment

Success story of Blood Donor

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सफलता की कहानी … !!!

 Success story of Blood Donor

वो दिन रात रक्त दान के प्रति लोगो को जागरुक करने की मुहिम मे जुटे थे पर लोगो की भ्रातियां, रक्तदान के प्रति नकारात्मक सोच पीछा ही  नही सोच रही थी. उन्ही दिनो की बात है जब वो एक बार कालिज के बच्चो को रक्तदान के लिए प्रेरित करके लौटे ही थे कि एक बच्चे की मम्मी का फोन  आ गया कि मेरे बच्चे को छोड दो.  बेशक आप एक हजार रुपए ले लो पर मेरे बच्चे को रक्तदान के लिए बिल्कुल मत कहना.

वही एक दूसरे उदाहरण में जब वो घर घर जाकर लोगो को रक्तदान के लिए लोगो को जागरुक कर रहे थे तब एक व्यक्ति हाथ जोड कर बोला कि मैं बाल बच्चेदार  आदमी हूं खून दान करके अपनी जिंदगी खतरे मे नही डाल सकता. एक अन्य उदाहरण मे तो और भी आश्चर्यजनक बात हुई. सुबह सवेरे एक प्रोफेसर साहब के पास फोन आया कि रक्तदान केंद्र मे खून की जरुरत है. उन्होने अपनी पत्नी को बताया कि वो खून दान कर के अभी वापिस आते हैं. जब तक वो रक्तदान केंद्र पहुंचे  तब तक एक अन्य व्यक्ति रक्तदान कर चुका था इसलिए प्रोफेसर साहब कुछ देर रुकने के बाद चाय ठंडा पी कर जब घर वापिस लौटे तब पत्नी ने उन्हे देखते ही कहा कि ओह … आप कितने कमजोर लग रहे हो!!! इस पर उन्होने मुस्कुराते हुए बताया कि खून दान तो उन्होने किया ही नही. यह सुनकर उनकी पत्नी बहुत झेप सी गई.

 

जरा सोचिए कि ऐसे वातारवरण मे लोगो मे जागरुकता पैदा  करना  कितना कठिन काम रहा होगा पर उनके भीतर  लग्न, जोश, जनून ने ऐसे मुश्किल काम को सम्भव कर दिखाया. भले आज वो हमारे बीच नही है सन 2011 की 20 अगस्त को वो पंच तत्व मे विलीन हो गए पर रक्त दान के क्षेत्र मे जो मिसाल कायम कर गए वो एक मील का पत्थर बना खडा सभी का पथ प्रदर्शक कर रहा हैं.

 

रक्तदान के क्षेत्र मे अपनी एक अलग ही पहचान बनाने वाली उस शख्सियत का नाम है स्वर्गीय श्री हजारी लाल बंसल. 22 सितम्बर 1935 को भटिंडा के कटार सिह वाला मे जन्मे और सन 1962 मे हमेशा के लिए रामपुरा फूल मे बस गए. सब कुछ अच्छा चल रहा था कि अचानक जिंदगी ने एक ऐसा मोड लिया कि उनकी सोचने की दिशा ही बदल गई या ये भी कह सकते हैं कि जिंदगी को  एक नया मकसद मिल गया.

 

बात सन 1975 की है. उनकी बिटिया रजनी  की अचानक तबियत खराब हो गई  और उनके शरीर मे बस दो ग्राम खून ही रह गया. वो पहली बार था जब उन्होने  रक्तदान किया. हालाकि उनके एक अन्य रिश्तेदार ने भी रक्तदान किया पर खून और भी चाहिए था. वो खून के लिए इधर उधर बहुत भटके, घूमे  फिरे और खून नही मिल पाया फिर पीजीआई चंडीगढ ले जाया गया और ईश्वर का शुक्र रहा रहा कि उनकी बिटिया की जान बच गई और वो कुछ समय बाद सकुशल घर लौट आई. पर इस धटना ने हजारी लाल जी को बुरी तरह से झंझोर दिया और उन्होने निश्चय किया कि चाहे कुछ हो जाए रक्तदान की वो एक मुहिम चलाएगे. तब उन्होने अपने  जीवन को एक नई दिशा दी और उसी दिन से वो रक्तदान की मुहिम मे जुट गए. फिर झेलने पडी ढेरो नकारात्मकता और लोगो का रक्तदान के प्रति विपरीत रवैया. पर बस  एक अजीब सा जनून था जोकि उनके कमजोर नेत्र रोग के सामने भी कमजोर नही पडा. असल मे, जब वो दसवी कक्षा मे थे. तभी उन्हे नेत्र रोग हो गया था जिसकी वजह से लगातार उनकी नेत्र ज्योति क्षीण होती जा रही थी. दसवी कक्षा मे वो मात्र 50% ही देख पाते थे. धीरे धीरे यह ला ईलाज रोग बढता ही जा रहा था और जिंदगी के आखिरी 15 सालो मे वो पूरी तरह से नेत्र विहीन हो चुके थे और दूसरो की मदद के बिना कुछ् नही कर पाते थे. पर यह बात भी माननी पडेगी कि भले ही खुद वो बिना नेत्र ज्योति के रहे पर लोगो के दिलो मे रक्तदान के प्रति रक्तदान की ऐसी आलौकिक रोशनी जगा गए कि वो आज भी सभी का मार्ग प्रशस्त कर रही है.  Success story of Blood Donor

उनके सपुत्र श्री सुनील बंसल ने सारी जानकारी देते हुए बताया कि उनके पिता जी के बारे मे कुछ भी कहना सूरज को दीया दिखाने के बराबर है. पापा का जोश और जनून था जब हमारे गांव रामपुरा फूल मे 1 अक्टूबर 1978 को पहली बार रक्तदान कैम्प लगा. जिसमे पहली बार 46 रक्तदाताओ ने रक्तदान किया. उनके पिता ब्लड डोनर फांउडेशन के संस्थापक भी रहे. जब भी वो रक्तदान पर बोलते सभी चुप होकर बहुत गम्भीरता से उनकी बात सुनते और रक्तदान के प्रति प्रेरित होते. उनके पिता को सन 84 मे रेड क्रास सोसाईटी ने और 1996 तथा 2008 मे इंडियन सोसाईटी आफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन ने भी विशेष रुप से सम्मानित किया था. सुनील जी ने बहुत गर्व से बताया कि आज उनके गांव रामपुरा फूल मे शत प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदाता हैं. दूर दराज जानी मानी संस्थाए यहां रक्तदान कैम्प लगाती है और खून की वजह से कोई व्यक्ति की जान जाए ऐसा कभी नही हुआ. आज वो स्वय भी रक्तदान के प्रति लोगो को प्रेरित करने मे दिन रात जुटे हैं और खुद 34 बार रक्तदान भी कर चुके है.

वाकई मे , हजारी लाल जी के बारे मे जान कर बहुत खुशी हुई. इसी दौरान रजनी जी जोकि इस मुहिम  का कारण बनी. उनसे भी बात की. रजनी जी ने बताया कि हर कोई चाहता है कि वो बीमार ना पडे पर मेरा बीमार पडना मेरे पापा की जिंदगी मे एक नई क्रांति ले आएगा यह कभी नही सोचा था. खुद नेत्र ज्योति ना के बराबर होते हुए भी लोगो को रक्तदान के क्षेत्र मे राह दिखाई. मुझे गर्व है कि मैं ऐसे पिता की बेटी हूं. उनके जज्बे के आगे मैं नत मस्तक हूं.  

यकीनन श्री हजारी लाल बंसल जी का नाम रक्तदान के क्षेत्र मे अग्रणी रहेगा. आईएसबीटी आई परिवार की और से उन्हे सादर श्रधांजलि!!!Success story of Blood Donor!!!

 

 

मोनिका गुप्ता

सिरसा


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