Monica Gupta

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April 5, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

इंडियन आइडल सीजन 9 से क्या सीखा – खुद को कर बुलंद इतना

 Art of Public Speaking in Hindi

इंडियन आइडल सीजन 9 से क्या सीखा – खुद को कर बुलंद इतना – सिंगिंग रियलिटी शो indian idol सीजन 9 की बात करती हूं आपने भी देखा होगा … उससे आपको क्या सीखने को मिला ?? जानना जरुरी है कि मै कौन हूँ .. मैने बहुत कुछ सीखा इस प्रोग्राम से

इंडियन आइडल सीजन 9 से क्या सीखा – खुद को कर बुलंद इतना

indian idol के विन्नर एलवी रेवंथ हैं आज हम सभी उन्हें जानते हैं पर वो भी कभी गुमनामी में थे caterer थे और और कई बार मंदिर में भी गाना गाते थे हिंदी भी नही आती थी पर गाने का शौक था

और हिंदी कभी आडॆ आई ही नही और

पीवीएनएस रोहित जोकि तीसरे स्थान पर रहे हकलाते थे ठीक से बोल नही पाते थे पर उनकी सिंगगिंग के सभी कायल हो गए ..

तो ये बहाना बनान कि कि मुझ मे क्या है या

इंडियन आइडल सीजन 9 से क्या सीखा – खुद को कर बुलंद इतना

तो छोटी सी जगह से हूं … इस बंधन से बाहर निकलिए..

आपको पता है जब indian idol के फाईनल के दौरान रेवंथ के भाई संतोष ने बताया कि रेवंथ केटरर था इस पर रेवंथ ने बोला कि उन्हें पसंद नही कि कोई उनकी पर्सनल लाईफ के बारे में कुछ बोले … कि मैं केटरर था …

इस पर वहां आए फिल्म कलाकार बूमन ईरानी ने पता है क्या बोला … उन्होने बोला कि वो खुद रुम सर्विस waiter थे और 14 साल दुकानदारी की …

और इस तरह की कहानी शेयर करनी चाहिए ताकि दूसरे भी प्रेरणा लें और आगे आने की हिम्मत जुटा पाए कि जब ये आगे आ सकता है तो मैं भी प्रयास तो कर ही सकता हूं …

बात सिर्फ यह ही नही है टीवी शो में आओ … सोशल नेटवर्किंग साईटस है ना … आजकल तो हमारे पास इतने ज्यादा माध्यम है कि अगर हमारी कला में वाकई दम है तो … पर उससे पहले जरुरी है कि आप खुद को पहचानिए …

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April 3, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

गुस्सा कैसे कम करें – गुस्सा शांत करने के उपाय

मटके का पानी छी होता है क्या

गुस्सा कैसे कम करें – गुस्सा शांत करने के उपाय – krodh kam karne ke upay गुस्से पर काबू क्या पाया जा सकता है या गुस्सा शांत करने के टोटके हम खोजते फिरते हैं … आईए जाने क्रोध कम करने के कुछ उपाय – गुस्सा शांत करने का तरीका ये भी है.

गुस्सा कैसे कम करें – गुस्सा शांत करने के उपाय

आजकल पता नही क्या बात है पर लोगो में गुस्सा बहुत भरा हुआ है … सडक पर देख लीजिए वहां आपको बात बात पर लडते लोग मिल जाएगे .. कही लम्बी लाईन लगी होगी तो धक्का मुक्की करते नजर आएगॆ.. आखिर इसका कारण है क्या …

 

बात कल की है जब मैं कुछ सामान लेने एक दुकान पर गई और दुकानदार को दस मिनट बाद दुबारा बोला  कि भईया जरा सामान दिखा दीजिए .. मेरे दुबारा बोलते ही वो भडक गया और बहुत गुस्से में बोलने लगे कि आप अपने आप को समझती क्या है क्या मैं खाली खडा हूं … इतनी ही जल्दी है तो किसी और दुकान पर चली जाओ ….

मेरे साथ मेरी सहेली भी थी उसकी बात सुनकर मेरी सहेली को भी गुस्सा आ गया .. उसने मुझे कहा कि तू चुपचाप किसलिए खडी है ये कितनी बत्तमीजी से बोले जा रहा है …

और मैं हैरान …

पर जब वो इतनी बुरी तरह से बोला तो मुझे भी गुस्सा आ गया और मैं भी बोलने लगी … कि हां हां  बहुत गलती हो गई जो तुम्हारी दुकान पर आ गई … मैं तो अपने सभी जानकरों को भी बोल दूंगी कि इनके पास कभी मत जाना और मेरी बात सुनकर उसे और गुस्सा आ गया और अपनी दुकान का सामान वो पटकने लगा … वहां खडे किसी ने पुलिस को फोन कर दिया … और पंद्र्ह मिनट के भीतर पुलिस आ गई … दुकान के बाहर बहुत भीड जमा हो गई और वो अभी भी चिल्लाए जा रहा था …

कल मैं अपनी सहेली के साथ मार्किट् मे एक दुकान पर गई. वहां दुकानदार से कुछ दिखाने को कहा और इंतजार करने लगी 10 मिनट बाद जब दुबारा याद दिलाया तो वो अचानक भडक गए …

गुस्सा कैसे कम करें – गुस्सा शांत करने के उपाय

बहुत गुस्से में बोलने लगे कि आप अपने आप को समझती क्या है क्या मैं खाली खडा हूं … इतनी ही जल्दी है तो किसी और दुकान पर चली जाओ ….

उसकी बात सुनकर मेरी सहेली को भी भी गुस्सा आ गया .. उसने मुझे कहा कि तू चुपचाप किसलिए खडी है ये कितनी बत्तमीजी से बोले जा रहा है …

मैं एक दम चुप हैरान होकर सोच रही थी क्योकि उस दुकान पर मैं पहले भी आई हूं पर वो ऐसा नही था …

पर जब वो इतनी बुरी तरह से बोला तो मुझे भी गुस्सा आ गया और मैं भी बोलने लगी … कि हा हा बहुत गलती हो गई जो तुम्हारी दुकान पर आ गई … मैं तो अपने सभी जानकरों को भी बोल दूंगी कि इनके पास कभी मत जाना और मेरी बात सुनकर उसे और गुस्सा आ गया और अपनी दुकान का सामान वो पटकने लगा … वहां खडे किसी ने पुलिस को फोन कर दिया … और पंद्र्ह मिनट के भीतर पुलिस आ गई …

दुकान के बाहर बहुत भीड जमा हो गई और वो अभी भी चिल्लाए जा रहा था … तभी मुझे friend  की आवाज आई … मैं अचानक ख्यालों से लौट आई … friend   मुझे झंकोर रही थी …

असल में मैं सोचने लगी थी …ऐसा कुछ नही हुआ था …

तभी मेरा ध्यान दुकान दार की तरफ गया दुकान दार सामने खडा था और सोरी  बोल रहा था कि घर मे कुछ परेशानी चल रही है माफ कीजिए अगर आपको कुछ बुरा लगा हो … ओह … मैने भी कहा कोई बात नही और सामान खरीद कर वापिस आ गए …

असल में .. ये बताने का मेरा मतलब यही है कि अगर कभी ऐसी सिचयुशन आ जाए तो दिमाग शांत रखे …और किसी की भडकाई मे न आए ,…  क्योकि गुस्सा सोचने समझने की सारी क्षमता खत्म कर देता है और किसी का बुरा हो या न हो खुद का बुरा जरुर हो जाता है इसलिए बस मौन धारण कीजिए..

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गुस्सा क्यों आता है , क्रोध कम करने के उपाय ,  क्रोध से मुक्ति , क्रोध के दुष्परिणाम , क्रोध से हानि ,krodh ko kaise shant kare

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April 2, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

सही और गलत क्या है – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी

Importance of Mothers in Life

सही और गलत क्या है – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी – sahi aur galat जहां हम हमेशा झूठ को लेकर परेशान  रहते हैं और हमेशा कहते हैं कि बच्चा झूठ बोलता है सच बोलना चाहिए पर… कल एक जानकार मिली वो अपने बच्चे के सच बोलने की आदत से परेशान है … उसके हिसाब से उनका बेटा बहुत बिगड गया है जिद्दी हो गया है उसे कैसे सबक सिखाऊं .. सही और गलत क्या है , सच और झूठ में अंतर , झूठ बोलना पाप , गलत सही में फर्क ,

सही और गलत क्या है – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी

जब मैने पूछा कि हुआ क्या तो पूछ्ने पर बोली अरे एक हो तो बताऊ बहुत सारी बातें हैं फिर उसने कुछ एग्जामपल दिए … बोली कि दो दिन पहले  मार्किट में सब्जी खरीद रहे थे और वो मोल भाव कर रही थी जहां से फल लिए उन्होने बोल दिया कि भैया सही सही लगाओ सामने वाला तो तुमसे 10 रुपये कम दे रहा है इस पर साथ आया बेटा बोल पडा मम्मी कहा … वो भी तो इतनी ही दे रहा है … !!

अब बताईए कैसे सिखाऊ इसे कि ये ही तरीका होता है … एक दिन पडोसी ने कही जाना था और चाबी हमे देने लगे तो मैने कहा कि हम घर पर नही होंगें तो बेटा बीच में ही बोल पडा … नही तो कहां जा रहे हैं हम … तो उस समय तो बात को सम्भाल लिया पर इतना सच्चा होना भी सही नही है ना …

अब  एक बार घर पर गेस्ट आ गए फिर हम पार्टी में चले गए और मैं उसे learn  नही करवा पाई अगले दिन इसका टेस्ट था तो मैने डायरी में लिख दिया कि  बहुत तबियत खराब हो गई थी होस्पिटल जाना पडा पर बेटे ने स्कूल जा कर सारा सच उगल दिया कि लर्न किसलिए नही किया था … अब इसे कैसे सुधारु … मेरे विचार से अब सुधरना बच्चे को नही बल्कि खुद को पडेगा … ट्रांसपरेंसी रखनी ज़रूरी है। आप समझाईए कि आप झूठ किसलिए बोल रही हैं बच्चे को कनविंस कीजिए …   आज  बच्चे बहुत स्मार्ट है पर अब स्मार्ट पेरेंटस को बनना है और स्मार्टली हैंडल करना पडेगा … बच्चे का पहला स्कूल तो घर ही होता है।

जरुर सोचिएगा …

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सही और गलत क्या है – पेरेंटिंग टिप्स इन हिंदी

April 1, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

छोटी छोटी मगर मोटी बाते

मटके का पानी छी होता है क्या

छोटी छोटी मगर मोटी बाते – chhoti chhoti magar moti baatein  बडे बडे शहरों में छोटी छोटी बाते होती रहती हैं .बेशक हमें ये डायलॉग बहुत अच्छा लगता है और हम इसका इस्तेमाल भी बात बात पर करते रहते हैं पर इस बात में भी कोई शक नही कि छोटी छोटी बाते कई बार इतना असर डालती हैं कि हमारी सोच का नजरिया ही बदल जाता है

छोटी छोटी मगर मोटी बाते

एक प्रसंग मैने पढा आपने भी जरुर पढा और सुना होगा कि घर पर कूडा वाला आता है तो बच्चा मम्मी को आवाज लगाता है कि मम्मी कूडे वाला आया है तब मम्मी समझाती है कि नही बेटा कूडे वाला नही ये सफाई कर्मचारी है … कूडे वाले तो हम हैं जो हम इसे कूडा देते हैं  वाकई बहुत सही लगी थी ये बात और

आज ऐसा ही एक छोटा सा मैसेज पढा  … सूर्यास्त के समय एक बार सूर्य ने सबसे पूछा, मेरी अनुपस्थिति मे मेरी जगह कौन कार्य करेगा?

समस्त विश्व मे सन्नाटा छा गया।

किसी के पास कोई उत्तर नहीं था।

तभी  कोने से एक आवाज आई–  दीपक ने कहा “मै हूं  ना”

मै अपना पूरा  प्रयास  करुंगा । आपकी सोच  में  दम होनी चाहिए , चमक होनी चाहिए।छोटा -बड़ा होने से फर्क  नहीं पड़ता,सोच  बड़ी  होनी चाहिए।

और वैसे भी … इंसान तब समझदार नही होता जब बडी बडी बाते करने लगता है बल्कि समझदार तब होता है जब छोटी छोटी बाते समझने लगता है … तो कल फिर मिलूगी तब तक इस बारे में जरुर सोचिएगा …

 

एक छोटी सी चींटी हमारे पैर में काट सकती हैं……….

….लेकिन……

हम उसके पैर में नहीं काट सकते………

छोटी सी बात , छोटी छोटी मगर मोटी बाते , कुछ ज्ञान की बाते , छोटी छोटी बातें , जिंदगी के सफर में ,

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March 30, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

विद्यार्थी जीवन में माता पिता का सहयोग

मटके का पानी छी होता है क्या

विद्यार्थी जीवन में माता पिता का सहयोग –  माता पिता की भूमिका  बच्चों का करियर बनाने में महत्वपूर्ण है .परीक्षा के कठिन दिन होते हैं
माता पिता की भूमिका और बच्चों का करियर क्या हो अपने इच्छा या  विचार नही लादें तो बेहतर हो …
बच्चों का क्या भविष्य हो, बच्चा क्या बनें , माता पिता क्या सोचते हैं बच्चों के करियर के बारे में ..

विद्यार्थी जीवन में माता पिता का सहयोग

बेशक,  छोटे बच्चो के एग्जाम खत्म हो गए पर पेरेंटस की चिंता अभी भी बरकरार  है कल मेरी एक जानकार मिली बोली वो दिल्ली शिफ्ट हो रहे हैं ताकि बच्चे की पढाई अच्छी हो कोचिंग …… वो अभी दूसरी क्लास में है …

वैसे इन दिनों अखबार भी विज्ञापन से भरे हुए है और  और विज्ञापन हैं कोचिंग सैंटर्स के  और उन बच्चों के  जिन्होने मैडिकल या नॉन मैडिकल में रैंक ली हैं …

बडे बच्चों को तो है ही पर छोटी क्लास मे पढने वाले बच्चों के पेरेंटस को चिंता है कि बच्चा क्या सब्जेक्ट ले … किस फील्ड में जाए … ….. दो दिन पहले मैं भी नेट पर ऐसा ही कुछ सर्च कर रही थी कि एक टोपिक इसी से रिलेटिड था

बडा अच्छा लगा और सोचा कि इसे आप से जरुर शेयर करुं मैनें पढा कि एक मातापिता जानना चाह रहे थे कि उनका बेटा 5 में है उसके लिए आईआईटी के लिए कौन सा कोचिंग सेंटर सही रहेगा … अब बताईए … 5 क्लास से ही आप बच्चे को लेकर इतने गम्भीर हो जाएगें तो उसका बचपन तो गया…

वैसे बात यही नही रुकी थी लोगो ने अपनी प्रतिक्रियाए भी दी थी इस विषय पर … एक ने तो कहा था कि लेकिन आपका बच्चा थोड़ा लेट हो गया है. आईआईटी की तैयारी तो 5वीं क्लास के पहले से ही शुरू हो जाती है. यही नहीं यह तो बच्चे के पैदा होने से पहले ही शुरू हो जाती है.

दूसरे लिखा कि एक ने लिखा- मेरे पास इससे बेहतर आइडिया है. जब आपकी पत्नी दोबारा गर्भवती हों तो उन्हें सारी अच्छी किताबे पढा देना एचसी वर्मा ,डीसी पांडेय की किताबों से सवाल हल करने के लिए कहें क्योंकि आप जानते ही होंगे कि अभिमन्यु ने गर्भ में ही चक्रव्यूह के बारे में जान लिया था. इससे आपका बेटा कम से कम समय में आईआईटी की तैयारी कर लेगा.

ये बात बताने का मेरा बस एक ही मतलब है कि बच्चे को जीने दीजिए उन पर अपनी इच्छाओं का बोझ मत लादिए … उन्हें स्प्पेस दीजिए …

एक सर्वे रिपोर्ट में ये भी लिखा था कि 51 % इंडियन पेरेंटस बच्चे का सफल करियर चाह्ते हैं … पर हैरानी ये है कि बच्चों की खुशी और हैल्थ को प्राथमिकता नही थी बस करियर को प्राथमिकता है  वैसे आप तो ऐसे नही है ना …जरुर सोचिएगा …
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vidyarthi jeewan mai mata pita ka sehyog

March 29, 2017 By Monica Gupta Leave a Comment

संतोष सबसे बड़ा धन है

यम से बचना है तो नियम अपनाए

संतोष सबसे बड़ा धन है –  Santosh sabse bada dhan hai –  संतोष धन सर्वोपरि , जब आवे संतोष धन , सब धन धूरि समान , पता हम सभी को है पर मानते कितने लोग हैं कि हमें संतोष से रहना चाहिए … गौ धन गज धन बाज धन और रतन धन खान।जब आवे संतोष धन सब धन धूरि समान ।। जितना है उसी में खुश रहिए और ईश्वर का शुक्र मानिए

संतोष सबसे बड़ा धन है

कल जब मैं मार्किट में नारियल ले रही थी  दुकानदार को मैं जानती थी मैने इनसे पूछा कि कैसे हो भईया … वो बोले शुक्र् है भगवन का … सुनकर बहुत अच्छा लगा

तभी वहां एक बडी सी कार आकर रुकी और उसमे से एक महिला उतरी मैने देखा मेरी जानकार थी  वो भी नारियल खरीदने लगी …

मैने उसे हैलो किया और पूछा कि कि कैसी हो तो वो बोली क्या बस कट रही है …

मैं नारियल ले कर लौट रही थी और सोच रही थी कि एक तरफ  नारियल वाला कितना संतुष्ट था … दूसरी तरफ वो जानकार जो इतनी बडी कार से आई और फिर भी बोली बस कट रह्ही है इस पर मुझे एक कहानी याद आई जो मैने नेट पर पढी थी

Shikshaprad Kahani – 

एक छोटे से गाँव में महात्मा  गए. सभी गांव वाले इकट्ठे हो गए और उन्होंने महंत के समक्ष अपनी फरियादें रखीं, ‘हमें हमारी परेशानियों से छुटकारा पाने में कृपया मदद कीजिए… हमारा जीवन खुशियों से तब भरेगा जब हमारी इच्छाएँ पूरी होंगीं.

महात्मा ने चुपचाप सबकी बातें सुनीं. अगले दिन उन्होंने घोषणा की- ‘इस गाँव में कल दोपहर एक चमत्कार होगा . सभी गाँव वासी अपनी सारी समस्याएँ एक काल्पनिक बोरी में बाँध लें और उसे नदी के उस पार ले जाकर छोड़ दें.

 

संतोष सबसे बड़ा धन है

फिर, उसी काल्पनिक बोरी में वह सब डाल लें जो आपको चाहिए….सोना, आभूषण, अन्न…और उसे अपने घर ले आयें. ऐसा करने से आपकी समस्त इच्छाएँ पूरी हो जायेंगीं.’ ये मौका एक ही बार मिलेगा …

गाँववाले हैरान !! हक्के-बक्के थे परन्तु…..उन्होंने सोचा कि हिदायत का पालन करने में कोई हानि नहीं है. अगर सच है तो जो वह चाहते हैं, वह उन्हें वास्तव में मिल जाएगा और अगर झूठी है तब भी कोई अंतर नहीं पड़ेगा. अतः उन्होंने घोषणा का पालन करने का निश्चय किया.

अगली दोपहर, सबने अपनी मुसीबतें एक काल्पनिक बोरी में बाँधीं, उन्हें नदी के उस पार छोड़ा और वह सब ले आए जो उनकी सोच के अनुसार उन्हें ख़ुशी देने वाला था….सोना, गाड़ी, घर, आभूषण, हीरे.

गाँव वापस लौटने पर सभी हैरान थे.  जिस व्यक्ति को गाड़ी चाहिए थी, उसके घर के आगे गाड़ी खड़ी थी. जिसने आलीशान घर की कामना की थी, उसने देखा कि उसका घर एक शानदार घर में बदल गया था. सब अत्यंत खुश थे. उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था.

पर  हर्ष व उल्लास कुछ समय तक ही कायम रह पाया. जल्द ही सब अपनी तुलना अपने पड़ोसियों से करने लगे. सब महसूस करने लगे कि उनके बगल वाला उनसे अधिक प्रसन्न व धनी था.

अतः दूसरों के बारे में और अधिक जानने के लिए सब आपस में बात करने लगे. इस व्यवहार से सबको पछतावा होने लगा. ‘मैंने एक साधारण सोने की चेन की माँग की थी परन्तु पड़ोस की लड़की ने आकर्षक सोने के हार माँगा था और उसे वह मिल गया!

मैंने केवल एक मकान की माँग की थी पर सामने के घर में रहने वाले व्यक्ति ने हवेली माँगी थी. एक कार मांगी दो मांगता …

हमें भी ऐसी वस्तुओं की माँग करनी चाहिए थी! यह एक अनोखा व सुनहरा मौक़ा था परन्तु हमने अपनी मूर्खता के कारण इसे गवाँ दिया.’

सभी गाँववाले एक बार पुनः महात्मा के पास गए और सारा गाँव एक बार फिर निराशा व असंतोष में डूब गया.

जबकि संतोष में रहना सीखना चाहिए वो कहते भी हैं कि ना कि  जब संतोष आ जावे तब सब धन धुरि के समान लगते है।गौ धन गजधन बाज धन और रतन धन खान।जब आवे संतोष धन सब धन धूरि समान ।।  खुश है जितना है खुश रहिए और ईश्वर का शुक्र मानिए तभी खुश रह सकेग़ें …

संतोष सबसे बड़ा धन है

Shikshaprad Kahani – jab aave santosh dhan sab dhan dhuri saman , santosh sabse bada dhan , संतोष का अर्थ ,
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