Monica Gupta

Writer, Author, Cartoonist, Social Worker, Blogger and a renowned YouTuber

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December 5, 2016 By Monica Gupta 1 Comment

जीवन मे हास्य का महत्व – आपकी मुस्कराहट बहुत खूबसूरत है

मटके का पानी छी होता है क्या

जीवन मे हास्य का महत्व – आपकी मुस्कराहट बहुत खूबसूरत है – कुछ लोग खूबसूरत जगह खोजते हैं और कुछ लोग जहां जाते हैं जगह को ही खूबसूरत बना देते हैं .. सोचने वाली वाली बात ये कौन लोग हैं जो जगह को खूबसूरत बना देते है

जीवन मे हास्य का महत्व – आपकी मुस्कराहट बहुत खूबसूरत है

कल मैं पढ रही थी कि कुछ लोग खूबसूरत जगह खोजते हैं और कुछ जहां जाते हैं जगह को खूबसूरत बना देते हैं .. सोचने वाली वाली बात ये हैं कौन लोग हैं जो जगह को खूबसूरत बना देते है… मेरे विचार से जो लोग खुश रहते है हसंते मुस्कुराते रहते हैं वही माहौल को खूबसूरत बनाते है … उदास चेहरे वाले को देख कर तो माहौल अच्छा बन नही सकता … वैसे खुश रहने के मुस्कुराने के बहुत फायदे भी है …

 

 

स्माईल हमारे शरीर को स्वस्थ रखती है … हंसने से  ब्लड सर्कुलेशन अच्छा  होता है / दिल मजबूत बनता है हँसने से अधिक मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है। हँसने से हार्ट-अटैक की संभावना कम हो जाती है।  मुस्कराने से चेहरे की झुर्रिया खत्म होती है/  रोज हँसने से  कैलोरी बर्न होती है, जिससे मोटापा भी काबू में रहता है / रात को नींद अच्छी आती हैं  अगर नींद अच्छी आएगी तो हम फ्रेश उठेगें … और सारा दिन पॉजिटिव विचार आएगें घर का आफिस का माहौल खुशनुमा रहेगा … नए नए आईडियाज आएगें …लोग इँप्रेस होंगें और हमसे मिलना चाहेगें … तो बना दिया न हमने जगह को खूबसूरत …

इतने फायदे है फिर भी पता नही हम हंसने मुस्कुराने में इतनी कंजूसी किसलिए करते हैं

वैसे एक काम हम कर सकते हैं सुबह उठ कर शीशे के सामने खडॆ होकर में दो चेहरे बनाए … पहले स्माईल वाला फिर रोंंदू वाला … फिर आपके चेहरे पर सूट करें उसे दिन भर के लिए चुन लीजिए… सिंपल .. तो आप सोचिए कल फिर मिलूगी… वैसे आपकी पर्सनेलिटी से मुस्कुराहट बहुत ज्यादा मैच करती है स्माईल आप पर बहुत सूट करेगी … ट्राई करिएगा …dont forget to smile  तब तक बाय … टेक केयर…

वक्त के साथ बदलना जरुरी – बच्चों से सीखने में झिझके नहीं – Monica Gupta

वक्त के साथ बदलना जरुरी – बच्चों से सीखने में झिझके नहीं , जिंदगी बदलने के लिए लडना पडता है और आसान करने के लिए समझना पडता है …परिवर्तन प्यारा लगेगा जरुर. read more at monicagupta.info

 

December 4, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

वक्त के साथ बदलना जरुरी – बच्चों से सीखने में झिझके नहीं

 Art of Public Speaking in Hindi

वक्त के साथ बदलना जरुरी – बच्चों से सीखने में झिझके नहीं , जिंदगी बदलने के लिए लडना पडता है और आसान करने के लिए समझना पडता है …परिवर्तन प्यारा है.

  वक्त के साथ बदलना जरुरी – बच्चों से सीखने में झिझके नहीं

समय के साथ बदलना और मिलकर चलने मे ही भलाई है कल आपने बच्चे को उंगली पकड कर चलना सीखाया आज वो आपकी आप उंगली थाम कर चल रहे हैं.चाहे कम्प्यूटर सीखाने की बात हो या एस्केलेटर पर चलना सीखने की बात हो  वो कहते भी है ना कि जिंदगी बदलने के लिए लडना पडता है और आसान करने के लिए समझना पडता है

बदलते समय , बदलता समय, समय के साथ बदलना जरुरी, समय के साये में, बदलाव जरुरी, परिवर्तन ही जीवन है, परिवर्तन ही संसार का नियम है, जीवन है, परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है,

वक्त के साथ बदलना जरुरी – बच्चों से सीखने में झिझके नहीं

समय वाकई बदल रहा है और हमें भी बदलते समय के साथ कदमताल मिला लेना चाहिए … एक जानकार जोकि हाल ही में रिटायर हुए हैं बहुत खुशी खुशी घर आए और बोले आज मैने फेसबुक पर कमेंट किया … बोले लाईक तो मैं हमेशा करता था पर आज पहली बात कमेंट किया … और खुशी खुशी दूसरे दोस्तों को बताने चले गए …

मुझे याद आया कि जब मैं एक बार अपनी सहेली के गई तो उनका बेटा जोकि 10 में पढता है बहुत बुरी तरह से अपनी मम्मी को गुस्सा हो रहा था कि क्या है आप तो समझती ही नही ..कितनी बार समझा चुका हूं … और वो सिर झुकाए डांट खा रही थी …

मेरे पूछ्ने पर सहेली ने बताया कि असल में गलती ही उसी की है कमेंट पोस्ट करना नही आ रहा इसलिए ..

मैनें उसके बेटे को कहा कि अरे भई मम्मी है आपकी  जरा प्यार से समझाओ …तो मेरी सहेली मुझसे बच्चे की तरह लिपट कर बोली कि जरा इससे कहो कि मेरी फ्रेंडरिक्वेस्ट भी ले ले … ले ही नही रहा …

वैसे बात चाहे मोबाईल सीखने की हो या .. एस्केलेटर पर जाने की … सीख लेनी चाहिए … जी वो भी तो नए जमाने की देन है.. मेरी सहेली मणि को एस्केलेटर से बहुत डर लगता है …

एक बार जब वो बेटे के पास  दिल्ली गए तो जिस मॉल मे गए वहां सिर्फ एस्केलेटर ही था … मणि ने साफ मना कर दिया कि वो वापिस घर जाएगी पर इस पर नही जाएगी..

वक्त के साथ बदलना जरुरी - बच्चों से सीखने में झिझके नहीं

तो उसका बेटा आगे आया और बोला मम्मी आप मेरा हाथ पकडो और बहुत कोमलता से उसका हाथ पकडा ठीक वैसे जैसे मणि अपने बेटे का हाथ बचपन में पकड कर चलना सीखाती थी मणि कुछ नही बोल पाई … बेटे ने कहा कि कुछ नही करना बस अपना पैर पीली लाईन के अंदर रखो और अगले ही पल दोनो उपर जा रहे थे…

मणि ने बताया कि जब बचपन मे वो बेटे को  चलना सीखाती थी और  जब वो चलते चलते  जमीन पर गिर जाता था था तो कभी झूठ मूठ से फर्श की पिटाई करती और कभी कहती ओ देखो ये तो चींटी मर गई आपके नीचे आकर. आज बातो बातो मे बॆटे ने भी बहुत सारे कारण देकर उसका ध्यान बांटा  और उसके अंदर छिपे हुए डर को चुटकियो मे भगा दिया. तो बताईए परिवर्तन अच्छा है ना .

 

हिंदी ब्लॉग टिप्स – Monica Gupta

हिंदी ब्लॉग लेखन पर कुछ टिप्स जहां नेट की दुनिया में , सोशल मीडिया में फेसबुक, गूगल प्लस, ट्विटर छाया हुआ है वहीं blog और blogging के लिए हिंदी ब्लॉग टिप्स read more at monicagupta.info

वक्त के साथ बदलना जरुरी – बच्चों से सीखने में झिझके नहीं के बारे में आपकी राय का स्वागत है…

December 3, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

कुछ खास है हम सभी में – अपने भीतर छिपी प्रतिभा को पहचानिए

दूसरों की मदद करना अच्छा – एक प्रेरक कहानी

कुछ खास है हम सभी में – अपने भीतर छिपी प्रतिभा को पहचानिए , kuch khaas hai hum sabhi mein , प्रतिभा पहचानिए, खुद को जानें , examples of talent, explore talent , explore talent in you..

कुछ खास है हम सभी में – अपने भीतर छिपी प्रतिभा को पहचानिए

कुछ देर पहले घर के बाहर से बांसुरी बजाने की आवाज आई जब बाहर निकल कर देखा तो एक बहुत छोटा सा बच्चा बांसुरी बजा रहा था उसकी मम्मी गुब्बारे बेचने वाली थी बोली कि घर में पडी रहती है बस सीख गया होगा तब मैं सोचने लगी कि कुछ न कुछ खासियत हम सभी में होती है सोच इस बात की है कि हम खासियत को कितना जान कितना पाते हैं और अपनी अलग पहचान बना पाते हैं …

 

https://youtu.be/zVEITi2TukU

 

अगर मैं आप से पूछू की आप मे क्या खास बात है तो आप यही कहेंगें कहां कुछ नही है … पर नही ऐसा नही है … हम सभी में कुछ न कुछ तो है … और कई बार ऐसे ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाते हैं कि हैरानी होती है… कि वाकई में हर किसी में कुछ न कुछ खास होता है…

चाहे कार रिपेयर करने वाला मिस्त्री हो या झाडू लगाने वाला सफाई कर्मचारी … हर किसी में कुछ न कुछ स्पार्क होता ही है …

इसलिए अपने भीतर को टटोलिए और अपनी अलग पहचान बनाईए. काम करो ऐसा की पहचान बन जाए/ हर कदम चलो ऐसा की निशान बन जाए/ यहां जिंदगी तो सभी काट लेते हैं ….. यहां जिंदगी तो सभी काट लेते हैं  /जिंदगी ऐसे जीयो की मिसाल बन जाए
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चिंता मत करो, मैं हूँ ना – जादुई शब्द (एक कहानी) – Monica Gupta

चिंता मत करो, मैं हूँ ना – जादुई शब्द (एक कहानी) अपना ख्याल रखना, मैं हूँ ना, जादुई शब्द , तुम चिंता मत करो, मैं हूं ना, टेक केयर , सब ठीक हो जाएगा रिलेक्स, read more at monicagupta.info

 

December 2, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

अच्छे काम के लिए चीयर्स – पर ढिंढोरा पीटना मना है

दूसरों की मदद करना अच्छा – एक प्रेरक कहानी

अच्छे काम के लिए चीयर्स – पर ढिंढोरा पीटना मना है -खामोशी से भी काम होते हैं मैने देखा है पेड़ों को छाया देते हुए… अच्छे या नेक काम करते रहना चाहिए पर उसका ढिंढोरा नही पीटना चाहिए कि मैने किया है किसी की भावनाएं आहत हो सकती हैं. गरीब हो या अमीर, बुजुर्ग हो या बच्चा किसी को ठेस लग सकती है…

अच्छे काम के लिए चीयर्स – पर ढिंढोरा पीटना मना है

आज नेट पर मैं सुबह नेकी की दीवार के बारे में पढ रही थी कि अलग अलग शहरों में नेकी की दीवार बनी है. तभी मेरी एक जानकर का फोन आया उसने पूछ कि किसी गरीब जरुरतमंद को जानते हो तो मुझे बताना हम मदद करेंगें …

मैने कहा अरे वाह !! ये तो बहुत ही अच्छी बात है किसी की मदद करना … कोई निगाह में आया तो जरुर बताऊंगी उसका फोन रखते ही माली आ गया … मुझे याद आया कि उसने बताया था बच्चे को साईकिल खरीद कर देनी है …

तो मैने उसे बताया कि एक है वो मदद करना चाह्ते है साईकिल दिलवा देंगें… वो भी खुश हो गया मैने उसे उनका नाम पता बताया तो एक दम से बोला अरे … वो अरे नही … बिल्कुल नही … बहुत दिखावा करते है सौ रुपये की चीज देते हैं और दस जगह अपना प्रचार करते फिरते है बडा बुरा लगता है

ढिंढोरा पीटना

वो बता रहा था कि उसके पडोसी के बच्चे को स्कूल के काले बूट दिए और दस जगह फोटो डाल दी कि गरीब बच्चे की मदद की … उसके स्कूल के दोस्त उसके जूते का ही मजाक बनाने लगे …

वैसे कई बार समझ नही आता हम अपने किए काम की पब्लिसिटी क्यो करते है चुपचाप भी तो काम किए जा सकते हैं ढिंढोरा पीटना की क्या जरुरत

तभी मुझे ख्याल आई एक कहानी जो नेट पर पढी थी  कि एक आदमी दूसरे शहर जाता है उस शहर मे उसने सुना था उस शहर में  कि सभी खुशहाल हैं उसे समझ नही आया कि खुशहाल कैसे रहते हैं …

उस शहर मे पहुंचता है वहां कॉफी की दुकान होती है तो वो वहा चला जाता है एक आदमी शॉप में आया और उसने दो कॉफ़ी के पैसे देते हुए कहा दो कप कॉफ़ी , एक मेरे लिए और एक उस दीवार पर

व्यक्ति दीवार की तरफ देखने लगा लेकिन उसे वहाँ कोई नज़र नहीं आया , पर फिर भी उस आदमी को कॉफ़ी देने के बाद वेटर व्यवहार दीवार के पास गया और उस पर कागज़ का एक टुकड़ा चिपका दिया , जिसपर “एक कप कॉफ़ी ” लिखा था .

व्यक्ति समझ नहीं पाया कि आखिर माजरा क्या है . उसने सोचा कि कुछ देर और बैठता हूँ , और समझने की कोशिश करता हूँ .

थोड़ी देर बाद एक गरीब मजदूर वहाँ आया , उसके कपड़े फटे -पुराने थे पर फिर भी वह  आत्म -विश्वास के साथ शॉप में घुसा और आराम से एक कुर्सी पर बैठ गया .

व्यक्ति सोच रहा था कि एक मजदूर के लिए कॉफ़ी पर इतने पैसे बर्वाद करना कोई समझदारी नहीं है …तभी वेटर मजदूर के पास आर्डर लेने पंहुचा .“ सर , आपका order please !”, वेटर बोला .“ दीवार से ek cup कॉफ़ी .” , मजदूर ने जवाब दिया .

वेटर ने मजदूर से बिना पैसे लिए एक कप कॉफ़ी दी और दीवार पर लगी ढेर सारे कागज के टुकड़ों में से “एक कप कॉफ़ी ” लिखा एक टुकड़ा निकाल कर dustbin में फेंक दिया .

व्यक्ति को अब सारी बात समझ आ गयी थी . कसबे के लोगों का ज़रूरतमंदों के प्रति यह भावना देखकर वह खुश हो गया … सचमुच लोगों ने मदद का कितना अच्छा तरीका निकाला है जहां एक गरीब मजदूर भी बिना अपना आत्मसम्मान कम किये एक अच्छी सी कॉफ़ी -शॉप में खाने -पीने का आनंद ले सकता है .

अब वह शहर  की खुशहाली का कारण जान चुका था और

हम पडे रहते हैं दिखावे में …

खामोशी से भी काम होते हैं मैने देखा है पेड़ों को छाया देते हुए…..!!!

 

चिंता मत करो, मैं हूँ ना – जादुई शब्द (एक कहानी) – Monica Gupta

चिंता मत करो, मैं हूँ ना – जादुई शब्द (एक कहानी) अपना ख्याल रखना, मैं हूँ ना, जादुई शब्द , तुम चिंता मत करो, मैं हूं ना, टेक केयर , सब ठीक हो जाएगा रिलेक्स,

चिंता मत करो, मैं हूँ ना – जादुई शब्द (एक कहानी) – Monica Gupta

 

December 1, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

रक्तदान है महादान – एक संदेश थैलीसीमिया मरीज का

रक्तदान है महादान – एक संदेश थैलीसीमिया मरीज का – रक्तदान पर संदेश, अपनी बात को मनवाने के लिए या जोरदार तरीके से रखने के लिए कई बार लोग खून से लिखा पत्र भेजते हैं पर आज जो मैं आपको सुनाने जा रही हूं वो ब्लड से लिखा तो नही लिखा पर ब्लड के लिए लिखा गया है यानि अपील की गई है कि खून डोनेट करें रक्तदान करें और ये मैसेज है संगीता वधवा का संगीता थैलीसीमिया मेजर की मरीज हैं अभी तक लगभग 750 बार खून चढ चुका है .

सफलता की कहानी, थैलीसीमिया से लडती एक मरीज, आईए रक्तदान करें, रक्तदान , रक्तदान के फायदे, थैलीसीमिया,  थैलीसीमिया क्या है. thalassemia treatment , thalassemia treatment,

रक्तदान है महादान – एक संदेश थैलीसीमिया मरीज का

संगीता ने बताया कि जब वो 5 साल की हुई तब  समझ आना शुरु हुआ  कि कुछ समझ नही आ रहा कि यह हो क्या रहा है. संगीता की बहन भी थैलीसीमिया मेजर की मरीज थी. उनके मम्मी पापा और भईया कभी एक अस्पताल तो कभी दूसरे अस्पताल खून के लिए भागते रहते. लोग आटा चीनी मांगने एक दूसरे के घर जाते है पर वो खून मांगने लोगो के घर जाते थे.

एक समय ऐसा आया जब रिश्तेदार भी कतराने लगे कि कही खून के साथ साथ पैसा भी न मांग लें क्योकि खर्चा भी बहुत हो जाता था. जब दूसरे बच्चे पिकनिक पर जाते थे तब वो लोग ब्लड ट्रास्फ्यूजन के लिए होस्पीटल जाते. पढने की इच्छा होती तो लोग दबे स्वर मे पेरेंट्स को कहते कि क्या फायदा पढा के मर तो जाना ही है इन्हें … वो अक्सर पापा से पूछ्ती कि वो ही क्यो? तब पापा उसे समझाते कि वो भगवान के स्पेशल बच्चे हैं और भगवान हमारा टेस्ट ले रहा है. बिना धबराए उस टेस्ट मे हमें खरा उतरना है.

5 साल के बाद से और आज तक लगभग 750 बार खूब चढ चुका है.संगीता ने बताया कि अगस्त 2010 में जब बडी बहन की डेथ हुई तब अचानक ऐसा महसूस होना शुरु हुआ कि सही जानकारी न होने के अभाव से उसकी डेथ हुई है. बस तब से एक जुनून एक आग सी दिल में भर गई कि कुछ भी हो जाए जनता को इसके बारे मे जागरुक करना ही करना है. एक संस्था बनाई youth thalamic alliance और उसका मोटो रखा  FACE,  FIGHT ,  FINISH . …

आज संगीता 39years हैं MBA कर रही हैं   Health Care and Hospital Administration मे और इसी के साथ साथ हशू अडवाणी मैमोरियल फांऊंडेशन हैल्थ एड केयर थैलीसिमिया सेंटर में PRO  और Counseller की भूमिका निभा रही हैं..आज वो संगीता जो जीने की इच्छा खो चुकी थी आज उन लोगों की काऊंसलिंग कर रही है जो जीने की इच्छा छोड चुके हैं.

 

 

 

 

 

एक संदेश थैलीसीमिया मरीज का हमारे लिए 

संगीता का आप सभी के लिए ये संदेश है … दो तरह के लोग होते हैं. पहले तो वो जो रक्त दान नही करते और दूसरे वो जो रक्तदान तो करते हैं पर उनका ब्लड रिजेक्ट हो जाता है. दोनो के लिए यह सोचने की बात है..

दुर्भाग्य की बात है कि आज की तारीख मे जितने लोग रक्तदान करते हैं उनसे चार गुणा हमे ज्यादा चाहिए. मंदिर मे हम दान करके आते हैं तो हमे पता नही चलता कि हमारा रुपया कहां जाता है किसके काम आता है पर रक्तदान…

आपके द्वारा किया गया रक्तदान हमारी जिंदगी बचा सकता है..   रक्तदान महादान है रक्त दान देंगे तो एक साथ चार जिंदगी बचाएगें. इसलिए आप सभी से हाथ जोड अनुरोध है कि थैलीसीमिक बच्चों को जीवन दान देने के लिए रक्तदान के लिए आगे आएं, स्वैच्छिक रक्तदान कीजिए और हमारी जिंदगी बचाईए. प्लीज … तो क्या सोचा … ???

रक्तदान है महादान – ब्लड डोनेशन के फायदे – Monica Gupta

रक्तदान है महादान – ब्लड डोनेशन के फायदे – रक्तदान के बहुत फायदे हैंं इसलिए इसकी महत्ता समझते हुए स्वैच्छिक रक्तदान हर तीन महीने मे करते रहना चाहिए जान बचाई रक्तदान है महादान – ब्लड डोनेशन के फायदे – Monica Gupta

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November 30, 2016 By Monica Gupta Leave a Comment

चिंता मत करो, मैं हूँ ना – जादुई शब्द (एक कहानी)

चिंता मत करो, मैं हूँ ना - जादुई शब्द (एक कहानी)

चिंता मत करो, मैं हूँ ना – जादुई शब्द (एक कहानी) अपना ख्याल रखना, मैं हूँ ना, जादुई शब्द , तुम चिंता मत करो, मैं हूं ना, टेक केयर , सब ठीक हो जाएगा , रिलेक्स, मैं कर दूंगा , सॉरी, थैंक्यू… आदि कुछ जादुई शब्द हैं इनका इस्तेमाल करते रहना चाहिए

चिंता मत करो, मैं हूँ ना – जादुई शब्द ( एक कहानी)

दो दोस्त होते हैं बचपन में एक साथ खेले पढे और शादी हो गई और अपनी अपनी जिंदगी में दोनो बिजी हो गए… बहुत साल बाद एक मित्र के पास दूसरे दोस्त की पत्नी का फोन आता है कि भाई साहब …, हमे आपकी मदद चाहिए. अब उसे ये सुनकर हैरानी तो हुई कि क्या हुआ पर उन्होनें कह दिया कि कोई बात नही मैं हूं ना … आप चिंता न करना …

यह कह कर उसने फोन तो रख दिया पर सोचने लगा कि हमारी पैसे की तंगी चल रही है… अगर उन्हें पैसे की जरुरत हुई तो कैसे मदद कर पाएगा …क्योकि उसके परिवार का खर्चा भी बहुत था इसलिए फोन पर बात करने के बाद वो ये सोच कर परेशान हो गया कि आर्थिक तंगी के चलते वो उनकी मदद कैसे कर पाएगा. फिर क्या हुआ … ??? क्या दोस्त ठीक हो गया ???

हर बार सिर्फ रुपया पैसा ही सब कुछ नही होता कई बार कोई और स्पोर्ट भी चाहिए होती है…  इसलिए समय समय पर सॉरी या थैक्स भी बोलना पडॆ तो बोल देना चाहिए … तुम चिंता मत करो मैं हूं ना,, सब ठीक हो जाएगा , रिलेक्स, मैं कर दूंगा ….

अच्छे समय में तो हर कोई साथ देता है पर कठिनाई के समय में साथ जरुर देना चाहिए … शब्दों का इस्तेमाल करते रहना चाहिए … करके देखिए …

 

 

प्रशंसा करना – अगर कोई हमारी प्रशंसा न करे तो – Monica Gupta

प्रशंसा करना – अगर कोई हमारी प्रशंसा न करे तो – किसी की प्रशंसा करना कितना जरुरी , how to encourage, how to encourage someone who is depressed, motivation read more at monicagupta.info

 

 

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